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भाग ९८
अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६
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Thanks so much, ....please keep on sharing views posting commentsBhut shandaar update
bahoot bahoot dhanyaad,..saath aur sneh baanye rakhe,... bina hunkaari bahrane vaalon ke khanai suanaanevaalon ko bhi ninnd aane lagati haiSuper shandaar Komal ji
Akhir kar jija sali ne mil kar dard dene ka man bana hi liya hai
Abhi time ki kami hai is liye thoda thoda padh raha huin aap bindas likhiye jab jab time milega story par aata rahunga![]()
ekdam sahi kaha aapne , aapke comments ke bina majaa aadha ho jata haiऐ जिज्जी,हमारी १ सहेली कि दादि का फैवरेट डायलॉग रहा
भूँड़वे, तेरी माॅं को गदहे चोदें
Comments aate rahenge har waqtbahoot bahoot dhanyaad,..saath aur sneh baanye rakhe,... bina hunkaari bahrane vaalon ke khanai suanaanevaalon ko bhi ninnd aane lagati hai
bahoot bahoot shukirya main palak pavande bichaaye intezar karungiComments aate rahenge har waqt
Super shandaar jabardast Update Komal jiछुटकी
उसके चेहरे से लग रहा था उसका अब मन कर रहा है , पर वो बोली
" हां दी , लेकिन अभी नहीं , कल , कल पक्का , एक बार भी मना नहीं करुँगी , ... "
मैंने भी जोर नहीं दिया मैं उनके धक्के का जवाब देने में जुटी थी , कभी अपनी गांड सिकोड़ के उनके लंड को कस के दबौच कर , निचोड़ कर , तो कभी चूतड़ उठा उठा के उनके हर धक्के का जवाब धक्के से देने में ,
मैं झड़ने के कगार पर थी और न वो रुके , न मैं और न उन्होंने मेरी क्लिट छुई , न जोबन चूसा न आगे ऊँगली की , ..सिर्फ पिछवाड़े के धक्कों से मैं जोर जोर से झड़ रही थी काँप रही थी , ...
गाडी थोड़ी धीमी हो गयी थी , एक अलग तरह की आवाज आ रही थी लग रहा था जैसे गाडी किसी पुल के ऊपर से गुजर रही है , ...
जैसे बारिश बंद होने के बाद धीमे धीमे भीगे पत्तों से बूंदे टपकती रहती हैं , वही हालत मेरी देह की हो रही थी , मेरी चुनमुनिया धीमे धीमे सिकुड़ फ़ैल रही थी
और उन्होंने पोजीशन बदल ली ,
अब हम लोग साइड में थे , वो मेरे पीछे , मेरी एक टांग उठी हुयी और उनका मोटा खूंटा मेरे पिछवाड़े घुसा , ... एकदम जड़ तक पूरा बित्ता
कुछ देर तक उन्होंने धक्के लगाने बंद कर दिया , बस पीछे से कभी वो मेरे ईयर लोब को हलके से किस कर देते , कभी उनकी जीभ गले को सहला देती लेकिन कभी कचकचा के मेरे गोर मुलायम गाल काट लेते ,
इनका एक हाथ मेरे जोबन को हलके से सहला रहा था ,
मैंने ही पीछे पहले धक्का लगाया , और उनकी अंदाज लग गया की मैं तैयार हूँ अब , और फिर उनकी पकड़ मेरे उभार पर बढ़ गयी , कस के उन्होंने मुझे चूमा और
हचाक ,
अब गाँड़ मरवाई एक बार फिर कस के शुरू हो गयी , साथ में उनका एक हाथ मेरे जोबन को रगड़ रहा था , दूसरा मेरी चुनमुनिया को सहला रहा था , कभी वो दो ऊँगली एक साथ ठेल देते , जड़ तक तो कभी अंगूठे से क्लिट भी साथ साथ रगड़ देते ,
उनके हर धक्के का जवाब मैं अपने बड़े बड़े चूतड़ से कस के पीछे धक्का मार कर देती ,
बर्थ पर हम दोनों लेटे थे , मैं आगे वो मेरे पीछे , मेरी एक टांग ऊपर उठी हुयी थी और उनका मोटा मूसल सटासट सटासट मेरे पिछवाड़े जा रहा था , ...
और मेरी सबसे छोटी बहन सामने वाली बर्थ पर बैठी टकटकी लगाए अपने जीजू का मोटा लंड मेरी गाँड़ में अंदर बाहर होते देख रही थी
पर थोड़ी देर बाद पॉजिशन बदली , और इस बार पहल मैंने की ,... कोई जरूर थोड़ी है की मर्द ही धक्के लगाए ,...
वो जैसे सीट पर कोई बैठता है , वैसे बैठे थे , और उनके बांस पर , ... मैं चढ़ गयी , मेरा पीछे वाला छेद , देखते देखते उनका पूरा बांस मैं घोंट गयी ,
अब वो सिर्फ मेरी कमर पकडे थे और मैं खुद ऊपर नीचे हो रही थी , जैसे मेले में कोई नटिनी की लड़की , बांस पर चढ़े उतरे एकदम वैसे ,
सटासट , गपागप उनका मोटा बांस मेरा छेद घोंट रहा था
और छुटकी , उनकी छोटी साली सामने बैठी टुकुर देख रही थी ,
उसके जीजू का दोनों हाथ मेरे जोबन पर था ,
लेकिन थोड़ी देर में फिर बर्थ पर निहुरि हुयी थी , कुतिया बनी और उसके जीजू सटासट मेरी गाँड़ अब पूरी ताकत से मार रहे थे , बीच बीच में अपने आधे घुसे लंड को पकड़ के मथानी की तरह गोल गोल घुमाते और मेरा पेट घुमड़ घुमड़ कर रहा था , पर वो और जोर से गोल गोल ,
छुटकी अब हमारे साथ उसी बर्थ पर बैठी थी , एकदम चिपकी , ... और उसका मुंह मेरे पीछे के छेद के एकदम पास आलमोस्ट चिपका
अब वो एकदम तुफान मेल हो गए थे , हर धक्का मेरी चूल चूल हिला दे रहा था , लेकिन मैं चाहती भी यही थी ,
ओह्ह्ह उह्ह्ह उईईईईई
मैं कभी जोर से चीखती कभी मस्ती में सिसकती , और कभी उन्हें उकसाती ,
" अरे अपनी माँ का भोंसड़ा समझ रखा है जो इतनी जोर जोर से , ... हाँ ओह्ह रुक क्यों गए , मादर ,... फाड़ दो राजा , नहीं उन्हह ,... मेरी सास ने बचपन में अच्छी ट्रेनिंग दी है ,... "
और नतीजा ये होता की ये और जोर से ,...
बस थोड़ी देर में मैं झड़ने के कगार पर थी , मेरी देह जोर से काँप रही थी गाँड़ और बुर दोनों ही जोर जोर से सिकुड़ , फ़ैल रही थी ,... और असर ये हुआ की ये भी साथ साथ
खूब देर तक मेरे पिछवाड़े , ... कटोरी भर से कम कभी रबड़ी मलाई ये छोड़ते नहीं थे ,... मैं महसूस कर रही थी मेरे अंदर जैसे कोई ज्वालामुखी फूट रहा हो ,
मैं बर्थ पर ही कटे पेड़ की तरह गिरी , पेट के बल लेटी रही , ... ज़रा भी ताकत नहीं बची थी मेरी अंदर ,... और ये एकदम मेरे अंदर घुसे धंसे , छुटकी एकदम हम लोगो के बगल में बैठी , हम लोगो की हालत देखती ,...
लेकिन उसके जीजू ने वही किया जो जीजू को छोटी साली के साथ करना चाहिए , ...
उन्होंने मेरे पीछे से अपना मोटा मूसल निकाला , और जब तक छुटकी समझे समझे ,
उसके जीजू ने एक हाथ से उसके गोरे मुलायम कस के दबाये , उसने गौरेया की तरह चोंच खोल दी ,...
और उसके जीजू ने मेरी गाँड़ से निकला अपना लंड सीधे उसके मुंह में , लेकिन सिर्फ सुपाड़ा , ...
वो सर हिलाती रही , झटकती रही , अपनी आँखे बंद कर ली ,
लेकिन तबतक सीट का सहारा लेकर मैं भी बैठ गयी और अपनी दायीं कलाई में छुटकी की दोनों कलाइयों को मोड़ कर दबोच लिया , और दुसरे हाथ से उसके सर को पकड़ लिया ,
" साली जी , अरे जरा आँख खोल के देख तो लीजिये न , ... "
उसके जीजू ने कस के उसके निपुल मरोड़ते होये कहा , ... मारे दर्द के उसने आँखे खोल दी ,...
और अब जीजू का उसके , चिढ़ाना छेड़ना चालू हो गया ,
अरे स्साली जी आपके जीजू का इतना बुरा भी नहीं है की मेरी साली प्यार से उसे देख भी नहीं सके , ज़रा देखिये न कैसा रंग , ...
और सच में जिस तरह से घंटे भर हचक के मेरी उन्होंने ली थी , ...
मलाई कम थी , मक्खन ज्यादा लगा था मेरे पिछवाड़े का ,...
मैंने छुटकी के नथुने दबा दिए , ... और हड़काया प्यार से
" तुम्ही कहती जीजू ने दोनों बहनों में भेद किया , अरे मेरे एक छेद का मजा लिया तो थोड़ा सा ही तेरा छेद भी , जबतक नहीं चूसना शुरू करती मैं छोडूंगी नहीं ,
और उनकी साली ने, छुटकी ने उनका मक्खन मलाई लगा लंड चूसना शुरू किया और ,
मुझे अपनी हालत दो दिन पहले की याद आ रही थी , होली के दिन वाली , मेरी ननद और नन्दोई ने मिल कर , ...