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भाग ९८
अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६
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अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६
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जब नयकी भौजी क छुटकी बहिनिया लौटे अपने मायके ,... तो ओकर गाँड़ ओकरी महतारी के भोंसडे से , जिसमें से वो और उसकी बहिने निकली हैं , उससे भी चाकर हो जाए,... 'छुटकी के पिछवाड़े का नेवान - ननद की प्लानिंग
लेकिन पहली बार है तो हाथ पैर भी बहुत फेंकेगी , छपटपटायेगी भी बहुत , ... बस उसी के ब्रा चड्ढी से दोनों हाथ कस के एक बार बाँध दोगे न ,... "
नन्दोई जी एकदम खुश , ननद का गाल चूम के बोले ,
" बात तो तेरी एकदम ठीक है ,... ब्रा से एकबार कस के हाथ बांध दूंगा न फिर तो वो लाख छटपटाये ,... "
" एकदम , और एक बात और बाग़ में न थोड़ा आगे जाके जउन लंगड़ा आम वाली बाग़ है न जेकरे बगल में सरसों बोई है , बस उसी बाग़ में ,... "
ननद ने एक आइडिया और दिया ,
मैं समझ गयी ननद का मकसद , उसके बगल वाले खेतों में शाम के समय खेतों में काम करने वाली खूब रहती हैं , और जब ये बाग़ में घुसेंगे तो वो सब देखेंगी ही और ,
फिर थोड़ी देर बाद छुटकी की चीख चिल्लाहट , सबको मालूम हो जाएगा की नयकी भौजी की छुटकी बहन की फ़ट रही है , और जब वो घण्टे भर में निकलेगी , जमीन पर मारे दर्द के उसके पैर नहीं पड़ रहे होंगे , ...
तो सब अंदाज भी लगा लेंगी और सुबह तक पूरे गाँव जवार में खबर फ़ैल जायेगी ,
इनकी छुटकी साली मशहूर हो जायेगी की उसके दोनों दरवाजे खुल गए हैं , आगे वाले का हाल तो कजरी और नैना दोनों ने देखा था , जब उसमें से मलायी टपकी थी , ...
की वो अपनी जीजा की मलाई गपक चुकी है , और एक बार दोनों दरवाजे खुलने की बात जहाँ गाँव में फैली , ... गाँव वालों की लाइन लग जायेगी , दोनों दरवाजों से अंदर घुसने के लिए ,
और मेरी ननद एकदम विस्तार से समझा रही थीं की मेरी बहन का हाथ उसीकी ब्रा से कैसे बाँध के तब उसकी गाँड़ मारें
" यही तो मैं कह रही हूँ , मेरे बुद्धू बालम, अरे इत्ता मस्त माल , ऐसी कच्चे कच्चे टिकोरे वाली रोज नहीं मिलती, अरे तुझे उसकी लेनी थोड़े है , उसकी कुंवारी कच्ची गाँड़ फाड़नी है, चीथड़े चीथड़े कर देनी,...
अरे लेंगे तो उसकी इस गाँव के लौंडे सब , तेरे साले, मेरे भाई, दौड़ा दौड़ा के , पटक पटक के,... खेत खलिहान में , बाग़ बगीचे में,... लेकिन एक बार तुम हचक के गाँड़ उसकी फाड़ दोगे तो तेरे सब सालों का कितना भला होगा। इसीलिए मैं कह रही हूँ , हाथ बाँध देना उसकी ब्रा से, अरे इस उमर की लौंडियों के लिए ब्रा का तो असली काम यही है , चोदते समय यार हाथ बांध दें वरना ये बही बस आ रही कच्ची अमिया कोई छिपाने वाली चीज थोड़े ही है.
मैं कोने खड़ी खड़ी ननद रानी की बातें सुन रही थीं ,
कैसे वो मेरे ननदोई को उकसा रही थीं मेरी छोटी बहना की रगड़ाई का प्लान बना रही थीं,... और नन्दोई जी कान पार कर सुन रहे थे, ननद रानी ने अपनी ज्ञान धारा और आगे बढ़ाई,...
सिर्फ हाथ बांधना और कुछ नहीं , मुंह तो कत्तई नहीं,...
" लेकिन,... वो बहुत चिल्लायेगी, रोयेगी,... चीखेगी ,... " ननदोई जी ने तुरंत अपनी परेशानी जाहिर की
नन्दोई भी,... औजार कितना भी तगड़ा हो , मोटा हो , .... शादी के तीन चार साल हो गए,... अभी तक ननद जी को समझ नहीं पाए , अरे वो यही तो चाहती थीं,... इसलिए जो जगह उन्होंने बताई थी मेरी बहना का पिछवाड़ा फाड़ने के लिए , गाँव की काम करने वाली सब औरतें उधर से ही शाम को लौटती थीं , छुटकी की चीख पुकार जरूर उन्हें सुनाई पड़ेगी ,... फिर वहां बाग उतनी गझिन भी नहीं है , जरा सा भी वो सब झाँक झुंक करेगी तो बस सब खेल दिखाई पडेगा एकदम खुल्लम खुल्ला,...
और ननद जी ने अपना फैसला सुना दिया , आखिरी फैसला ,...
" तो चिल्लाने देना न स्साली को,... हाथ पैर तो फेंक नहीं पाएंगी न मेरी भौजी क बहिना,... हाथ तो कस के बाँध देना और टाँगे तो वैसे ही फैली रहेंगी,... चीखेगी , चिल्लायेगी , टेसुए बहायेगी पूरे गाँव में सुनाई पडेगा तभी तो मजा आएगा अरे गाँड़ मरवाने आयी हैं खुद चल के,... अरे मैं तो,... जब नयकी भौजी क छुटकी बहिनिया लौटे अपने मायके ,... तो ओकर गाँड़ ओकरी महतारी के भोंसडे से , जिसमें से वो और उसकी बहिने निकली हैं , उससे भी चाकर हो जाए,... '
मैं बजाय गुस्सा करने के मुस्करा रही थी ,
यही बात , ठीक यही बात इन्होने और नन्दोई जी ने मेरे ममेरे भाई से कही थी जब वो बार बार छुटकी के लिए कह रहा था , अभी छोटी है , अभी छोटी है ,.. तो इन्होने और इनके जीजू ने यही बोला था , ...
"स्साले छोटी छोटी कह रहे हो , जब लौटेगी तो उसकी गाँड़ भोंसडे से भी चौड़ी हो जायेगी और गालियां इतनी देगी की तेरे शहर की रंडिया मात,..."
लेकिन ननद जी ने अगली बात जो बोली उससे मेरा पारा गरम हो गया, नन्दोई का मूसल वैसे ही इतना मोटा ऊपर से,...
ननद जी ने बड़ी सॉलिड प्लानिंग की थी, नन्दोई जी से बहुत प्यार दुलार से बोलीं,...
" तेरा तो वैसे ही लोहे का खम्भा है,... लेकिन जाने के पहले याद है तेरे मायके वाला सांडे का तेल , ... पहली रात तेरी बहन ने अपने हाथ से तेरे खूंटे में लगा के मेरे पास भेजा था और मेरी कैसे दुर्गत बनी थी , ... उसमें आठ दस जड़ी बूटी और मिला के,.. अब तो क्या कहते हैं सुपर स्ट्रांग ,... बस अपने हाथ से दो अंजुरी लगा लगा के भेजूंगी अपने साजन को,... "
नन्दोई जी सच में,...और नन्दोई जी क्या सारे मरद सच में एकदम बुद्धू ,... बुद्धू की तरह ही बोले ,...
" लेकिन तूने तो कहा था की एकदम सूखे मारनी है उसकी,... "
" वो तो मैं अभी भी कह रही हूँ , मेरे बुद्धू राजा , मेरी सास के खसम , मेरी ननदों के भतार,... अरे खाने के बाद , मैं आराम से धीरे धीरे लगा के अच्छी तरह सुखा दूंगी, चार पांच बार, हलके हलके मालिश कर के,.. असर तो उसका छह सात घंटे रहता है ,... और जाओगे तो तुम बहनोई साले , सांन्झ होते समय निकलोगे , तब तक तो तक एकदम सूख जाएगा , लेकिन असर उसका अंदर तक,... और निकलने के पहले आजकल जैसे पूड़ी पकौड़ी की चिकनाई लोग नेपकिन से साफ़ करते है उसी तरह से नेपकिन से पोंछ पोंछ करके,... एकदम सुखा दूंगी ,.... पहली बार तो निहुरा के ही फाड़ोगे उसकी तो अपने साले से बोलना ,... मैंने देखा है छेद उसका बहुत ही छोटा है,.. सुई के छेद की तरह ,... और सुपाड़ा तेरा उसकी मुट्ठी के बराबर तो होगा ही ,...
तो अपने साले से कहना दोनों अंगूठे लगा के अपनी साली के पिछवाड़े का छेद अच्छी तरह चियार के फैलाये, फिर सटा के,... मेरी कसम पहले ही धक्के में , पूरा सुपाड़ा अंदर होना चाहिए ,...
मैं काँप गयी ,
ये सोंच के एक धक्के में तो मैं पहली बार इनका सुपाड़ा नहीं घोंट पायी थी जबकि इन्होने मेरी छोटी ननद की पूरी की बोरोलीन की ट्यूब मेरी गाँड़ में पिचका के भर दी , बजबजा रही थी गाँड़ मेरी क्रीम से ,
और यहाँ एकदम सूखी,... चमड़ी शर्तिया छिल जायेगी,.. और उसी छिली चमड़ी पर , ... दर्द के मारे चिल्ला चिल्ला के,
ये स्साली भाई चोद, अपने सामने अपने मरद से इसकी गाँड़ न मरवाई , मुझे सब मालूम है ये भैया बहिनी क्या क्या खेला खेलते थे ,... और अब अपने सामने पेलवाउंगी इसको इसके भाई से,
मेरे सामने तो दूर दूर,... लेकिन लगता था मुझको जो नैना मटक्का भैया बहिनी में चलता था जरूर ये ननद चुदी होगी मेरे मरद से अपने भाई से वो तो इनकी सास मेरी माँ , पेट में से बात निकलवा लेती हैं और इस ननद के भाई से सब उगलवाया उन्होंने की अपने मायके में किसको किसको कब कब चोदा है और सास के आगे वो भी सब बात बता गए,...
लेकिन असली मजा तो तब आएगा ये छिनार जो मेरी छोटी सी गुड़िया सी बहन के लिए,... उस ननद को उसके भाई के नीचे अपने सामने लिटाऊंगी , उसकी गाँड़ भी मरवाउंगी सूखे,...
अब इन्होने अपनी सास के सामने क्या बताया था इसके लिए थोड़ा सा फ्लैश बैक
मस्त अपडेटछुटकी के पिछवाड़े का नेवान - ननद की प्लानिंग
लेकिन पहली बार है तो हाथ पैर भी बहुत फेंकेगी , छपटपटायेगी भी बहुत , ... बस उसी के ब्रा चड्ढी से दोनों हाथ कस के एक बार बाँध दोगे न ,... "
नन्दोई जी एकदम खुश , ननद का गाल चूम के बोले ,
" बात तो तेरी एकदम ठीक है ,... ब्रा से एकबार कस के हाथ बांध दूंगा न फिर तो वो लाख छटपटाये ,... "
" एकदम , और एक बात और बाग़ में न थोड़ा आगे जाके जउन लंगड़ा आम वाली बाग़ है न जेकरे बगल में सरसों बोई है , बस उसी बाग़ में ,... "
ननद ने एक आइडिया और दिया ,
मैं समझ गयी ननद का मकसद , उसके बगल वाले खेतों में शाम के समय खेतों में काम करने वाली खूब रहती हैं , और जब ये बाग़ में घुसेंगे तो वो सब देखेंगी ही और ,
फिर थोड़ी देर बाद छुटकी की चीख चिल्लाहट , सबको मालूम हो जाएगा की नयकी भौजी की छुटकी बहन की फ़ट रही है , और जब वो घण्टे भर में निकलेगी , जमीन पर मारे दर्द के उसके पैर नहीं पड़ रहे होंगे , ...
तो सब अंदाज भी लगा लेंगी और सुबह तक पूरे गाँव जवार में खबर फ़ैल जायेगी ,
इनकी छुटकी साली मशहूर हो जायेगी की उसके दोनों दरवाजे खुल गए हैं , आगे वाले का हाल तो कजरी और नैना दोनों ने देखा था , जब उसमें से मलायी टपकी थी , ...
की वो अपनी जीजा की मलाई गपक चुकी है , और एक बार दोनों दरवाजे खुलने की बात जहाँ गाँव में फैली , ... गाँव वालों की लाइन लग जायेगी , दोनों दरवाजों से अंदर घुसने के लिए ,
और मेरी ननद एकदम विस्तार से समझा रही थीं की मेरी बहन का हाथ उसीकी ब्रा से कैसे बाँध के तब उसकी गाँड़ मारें
" यही तो मैं कह रही हूँ , मेरे बुद्धू बालम, अरे इत्ता मस्त माल , ऐसी कच्चे कच्चे टिकोरे वाली रोज नहीं मिलती, अरे तुझे उसकी लेनी थोड़े है , उसकी कुंवारी कच्ची गाँड़ फाड़नी है, चीथड़े चीथड़े कर देनी,...
अरे लेंगे तो उसकी इस गाँव के लौंडे सब , तेरे साले, मेरे भाई, दौड़ा दौड़ा के , पटक पटक के,... खेत खलिहान में , बाग़ बगीचे में,... लेकिन एक बार तुम हचक के गाँड़ उसकी फाड़ दोगे तो तेरे सब सालों का कितना भला होगा। इसीलिए मैं कह रही हूँ , हाथ बाँध देना उसकी ब्रा से, अरे इस उमर की लौंडियों के लिए ब्रा का तो असली काम यही है , चोदते समय यार हाथ बांध दें वरना ये बही बस आ रही कच्ची अमिया कोई छिपाने वाली चीज थोड़े ही है.
मैं कोने खड़ी खड़ी ननद रानी की बातें सुन रही थीं ,
कैसे वो मेरे ननदोई को उकसा रही थीं मेरी छोटी बहना की रगड़ाई का प्लान बना रही थीं,... और नन्दोई जी कान पार कर सुन रहे थे, ननद रानी ने अपनी ज्ञान धारा और आगे बढ़ाई,...
सिर्फ हाथ बांधना और कुछ नहीं , मुंह तो कत्तई नहीं,...
" लेकिन,... वो बहुत चिल्लायेगी, रोयेगी,... चीखेगी ,... " ननदोई जी ने तुरंत अपनी परेशानी जाहिर की
नन्दोई भी,... औजार कितना भी तगड़ा हो , मोटा हो , .... शादी के तीन चार साल हो गए,... अभी तक ननद जी को समझ नहीं पाए , अरे वो यही तो चाहती थीं,... इसलिए जो जगह उन्होंने बताई थी मेरी बहना का पिछवाड़ा फाड़ने के लिए , गाँव की काम करने वाली सब औरतें उधर से ही शाम को लौटती थीं , छुटकी की चीख पुकार जरूर उन्हें सुनाई पड़ेगी ,... फिर वहां बाग उतनी गझिन भी नहीं है , जरा सा भी वो सब झाँक झुंक करेगी तो बस सब खेल दिखाई पडेगा एकदम खुल्लम खुल्ला,...
और ननद जी ने अपना फैसला सुना दिया , आखिरी फैसला ,...
" तो चिल्लाने देना न स्साली को,... हाथ पैर तो फेंक नहीं पाएंगी न मेरी भौजी क बहिना,... हाथ तो कस के बाँध देना और टाँगे तो वैसे ही फैली रहेंगी,... चीखेगी , चिल्लायेगी , टेसुए बहायेगी पूरे गाँव में सुनाई पडेगा तभी तो मजा आएगा अरे गाँड़ मरवाने आयी हैं खुद चल के,... अरे मैं तो,... जब नयकी भौजी क छुटकी बहिनिया लौटे अपने मायके ,... तो ओकर गाँड़ ओकरी महतारी के भोंसडे से , जिसमें से वो और उसकी बहिने निकली हैं , उससे भी चाकर हो जाए,... '
मैं बजाय गुस्सा करने के मुस्करा रही थी ,
यही बात , ठीक यही बात इन्होने और नन्दोई जी ने मेरे ममेरे भाई से कही थी जब वो बार बार छुटकी के लिए कह रहा था , अभी छोटी है , अभी छोटी है ,.. तो इन्होने और इनके जीजू ने यही बोला था , ...
"स्साले छोटी छोटी कह रहे हो , जब लौटेगी तो उसकी गाँड़ भोंसडे से भी चौड़ी हो जायेगी और गालियां इतनी देगी की तेरे शहर की रंडिया मात,..."
लेकिन ननद जी ने अगली बात जो बोली उससे मेरा पारा गरम हो गया, नन्दोई का मूसल वैसे ही इतना मोटा ऊपर से,...
ननद जी ने बड़ी सॉलिड प्लानिंग की थी, नन्दोई जी से बहुत प्यार दुलार से बोलीं,...
" तेरा तो वैसे ही लोहे का खम्भा है,... लेकिन जाने के पहले याद है तेरे मायके वाला सांडे का तेल , ... पहली रात तेरी बहन ने अपने हाथ से तेरे खूंटे में लगा के मेरे पास भेजा था और मेरी कैसे दुर्गत बनी थी , ... उसमें आठ दस जड़ी बूटी और मिला के,.. अब तो क्या कहते हैं सुपर स्ट्रांग ,... बस अपने हाथ से दो अंजुरी लगा लगा के भेजूंगी अपने साजन को,... "
नन्दोई जी सच में,...और नन्दोई जी क्या सारे मरद सच में एकदम बुद्धू ,... बुद्धू की तरह ही बोले ,...
" लेकिन तूने तो कहा था की एकदम सूखे मारनी है उसकी,... "
" वो तो मैं अभी भी कह रही हूँ , मेरे बुद्धू राजा , मेरी सास के खसम , मेरी ननदों के भतार,... अरे खाने के बाद , मैं आराम से धीरे धीरे लगा के अच्छी तरह सुखा दूंगी, चार पांच बार, हलके हलके मालिश कर के,.. असर तो उसका छह सात घंटे रहता है ,... और जाओगे तो तुम बहनोई साले , सांन्झ होते समय निकलोगे , तब तक तो तक एकदम सूख जाएगा , लेकिन असर उसका अंदर तक,... और निकलने के पहले आजकल जैसे पूड़ी पकौड़ी की चिकनाई लोग नेपकिन से साफ़ करते है उसी तरह से नेपकिन से पोंछ पोंछ करके,... एकदम सुखा दूंगी ,.... पहली बार तो निहुरा के ही फाड़ोगे उसकी तो अपने साले से बोलना ,... मैंने देखा है छेद उसका बहुत ही छोटा है,.. सुई के छेद की तरह ,... और सुपाड़ा तेरा उसकी मुट्ठी के बराबर तो होगा ही ,...
तो अपने साले से कहना दोनों अंगूठे लगा के अपनी साली के पिछवाड़े का छेद अच्छी तरह चियार के फैलाये, फिर सटा के,... मेरी कसम पहले ही धक्के में , पूरा सुपाड़ा अंदर होना चाहिए ,...
मैं काँप गयी ,
ये सोंच के एक धक्के में तो मैं पहली बार इनका सुपाड़ा नहीं घोंट पायी थी जबकि इन्होने मेरी छोटी ननद की पूरी की बोरोलीन की ट्यूब मेरी गाँड़ में पिचका के भर दी , बजबजा रही थी गाँड़ मेरी क्रीम से ,
और यहाँ एकदम सूखी,... चमड़ी शर्तिया छिल जायेगी,.. और उसी छिली चमड़ी पर , ... दर्द के मारे चिल्ला चिल्ला के,
ये स्साली भाई चोद, अपने सामने अपने मरद से इसकी गाँड़ न मरवाई , मुझे सब मालूम है ये भैया बहिनी क्या क्या खेला खेलते थे ,... और अब अपने सामने पेलवाउंगी इसको इसके भाई से,
मेरे सामने तो दूर दूर,... लेकिन लगता था मुझको जो नैना मटक्का भैया बहिनी में चलता था जरूर ये ननद चुदी होगी मेरे मरद से अपने भाई से वो तो इनकी सास मेरी माँ , पेट में से बात निकलवा लेती हैं और इस ननद के भाई से सब उगलवाया उन्होंने की अपने मायके में किसको किसको कब कब चोदा है और सास के आगे वो भी सब बात बता गए,...
लेकिन असली मजा तो तब आएगा ये छिनार जो मेरी छोटी सी गुड़िया सी बहन के लिए,... उस ननद को उसके भाई के नीचे अपने सामने लिटाऊंगी , उसकी गाँड़ भी मरवाउंगी सूखे,...
अब इन्होने अपनी सास के सामने क्या बताया था इसके लिए थोड़ा सा फ्लैश बैक
छुटकी के पिछवाड़े का नेवान - ननद की प्लानिंग
लेकिन पहली बार है तो हाथ पैर भी बहुत फेंकेगी , छपटपटायेगी भी बहुत , ... बस उसी के ब्रा चड्ढी से दोनों हाथ कस के एक बार बाँध दोगे न ,... "
नन्दोई जी एकदम खुश , ननद का गाल चूम के बोले ,
" बात तो तेरी एकदम ठीक है ,... ब्रा से एकबार कस के हाथ बांध दूंगा न फिर तो वो लाख छटपटाये ,... "
" एकदम , और एक बात और बाग़ में न थोड़ा आगे जाके जउन लंगड़ा आम वाली बाग़ है न जेकरे बगल में सरसों बोई है , बस उसी बाग़ में ,... "
ननद ने एक आइडिया और दिया ,
मैं समझ गयी ननद का मकसद , उसके बगल वाले खेतों में शाम के समय खेतों में काम करने वाली खूब रहती हैं , और जब ये बाग़ में घुसेंगे तो वो सब देखेंगी ही और ,
फिर थोड़ी देर बाद छुटकी की चीख चिल्लाहट , सबको मालूम हो जाएगा की नयकी भौजी की छुटकी बहन की फ़ट रही है , और जब वो घण्टे भर में निकलेगी , जमीन पर मारे दर्द के उसके पैर नहीं पड़ रहे होंगे , ...
तो सब अंदाज भी लगा लेंगी और सुबह तक पूरे गाँव जवार में खबर फ़ैल जायेगी ,
इनकी छुटकी साली मशहूर हो जायेगी की उसके दोनों दरवाजे खुल गए हैं , आगे वाले का हाल तो कजरी और नैना दोनों ने देखा था , जब उसमें से मलायी टपकी थी , ...
की वो अपनी जीजा की मलाई गपक चुकी है , और एक बार दोनों दरवाजे खुलने की बात जहाँ गाँव में फैली , ... गाँव वालों की लाइन लग जायेगी , दोनों दरवाजों से अंदर घुसने के लिए ,
और मेरी ननद एकदम विस्तार से समझा रही थीं की मेरी बहन का हाथ उसीकी ब्रा से कैसे बाँध के तब उसकी गाँड़ मारें
" यही तो मैं कह रही हूँ , मेरे बुद्धू बालम, अरे इत्ता मस्त माल , ऐसी कच्चे कच्चे टिकोरे वाली रोज नहीं मिलती, अरे तुझे उसकी लेनी थोड़े है , उसकी कुंवारी कच्ची गाँड़ फाड़नी है, चीथड़े चीथड़े कर देनी,...
अरे लेंगे तो उसकी इस गाँव के लौंडे सब , तेरे साले, मेरे भाई, दौड़ा दौड़ा के , पटक पटक के,... खेत खलिहान में , बाग़ बगीचे में,... लेकिन एक बार तुम हचक के गाँड़ उसकी फाड़ दोगे तो तेरे सब सालों का कितना भला होगा। इसीलिए मैं कह रही हूँ , हाथ बाँध देना उसकी ब्रा से, अरे इस उमर की लौंडियों के लिए ब्रा का तो असली काम यही है , चोदते समय यार हाथ बांध दें वरना ये बही बस आ रही कच्ची अमिया कोई छिपाने वाली चीज थोड़े ही है.
मैं कोने खड़ी खड़ी ननद रानी की बातें सुन रही थीं ,
कैसे वो मेरे ननदोई को उकसा रही थीं मेरी छोटी बहना की रगड़ाई का प्लान बना रही थीं,... और नन्दोई जी कान पार कर सुन रहे थे, ननद रानी ने अपनी ज्ञान धारा और आगे बढ़ाई,...
सिर्फ हाथ बांधना और कुछ नहीं , मुंह तो कत्तई नहीं,...
" लेकिन,... वो बहुत चिल्लायेगी, रोयेगी,... चीखेगी ,... " ननदोई जी ने तुरंत अपनी परेशानी जाहिर की
नन्दोई भी,... औजार कितना भी तगड़ा हो , मोटा हो , .... शादी के तीन चार साल हो गए,... अभी तक ननद जी को समझ नहीं पाए , अरे वो यही तो चाहती थीं,... इसलिए जो जगह उन्होंने बताई थी मेरी बहना का पिछवाड़ा फाड़ने के लिए , गाँव की काम करने वाली सब औरतें उधर से ही शाम को लौटती थीं , छुटकी की चीख पुकार जरूर उन्हें सुनाई पड़ेगी ,... फिर वहां बाग उतनी गझिन भी नहीं है , जरा सा भी वो सब झाँक झुंक करेगी तो बस सब खेल दिखाई पडेगा एकदम खुल्लम खुल्ला,...
और ननद जी ने अपना फैसला सुना दिया , आखिरी फैसला ,...
" तो चिल्लाने देना न स्साली को,... हाथ पैर तो फेंक नहीं पाएंगी न मेरी भौजी क बहिना,... हाथ तो कस के बाँध देना और टाँगे तो वैसे ही फैली रहेंगी,... चीखेगी , चिल्लायेगी , टेसुए बहायेगी पूरे गाँव में सुनाई पडेगा तभी तो मजा आएगा अरे गाँड़ मरवाने आयी हैं खुद चल के,... अरे मैं तो,... जब नयकी भौजी क छुटकी बहिनिया लौटे अपने मायके ,... तो ओकर गाँड़ ओकरी महतारी के भोंसडे से , जिसमें से वो और उसकी बहिने निकली हैं , उससे भी चाकर हो जाए,... '
मैं बजाय गुस्सा करने के मुस्करा रही थी ,
यही बात , ठीक यही बात इन्होने और नन्दोई जी ने मेरे ममेरे भाई से कही थी जब वो बार बार छुटकी के लिए कह रहा था , अभी छोटी है , अभी छोटी है ,.. तो इन्होने और इनके जीजू ने यही बोला था , ...
"स्साले छोटी छोटी कह रहे हो , जब लौटेगी तो उसकी गाँड़ भोंसडे से भी चौड़ी हो जायेगी और गालियां इतनी देगी की तेरे शहर की रंडिया मात,..."
लेकिन ननद जी ने अगली बात जो बोली उससे मेरा पारा गरम हो गया, नन्दोई का मूसल वैसे ही इतना मोटा ऊपर से,...
ननद जी ने बड़ी सॉलिड प्लानिंग की थी, नन्दोई जी से बहुत प्यार दुलार से बोलीं,...
" तेरा तो वैसे ही लोहे का खम्भा है,... लेकिन जाने के पहले याद है तेरे मायके वाला सांडे का तेल , ... पहली रात तेरी बहन ने अपने हाथ से तेरे खूंटे में लगा के मेरे पास भेजा था और मेरी कैसे दुर्गत बनी थी , ... उसमें आठ दस जड़ी बूटी और मिला के,.. अब तो क्या कहते हैं सुपर स्ट्रांग ,... बस अपने हाथ से दो अंजुरी लगा लगा के भेजूंगी अपने साजन को,... "
नन्दोई जी सच में,...और नन्दोई जी क्या सारे मरद सच में एकदम बुद्धू ,... बुद्धू की तरह ही बोले ,...
" लेकिन तूने तो कहा था की एकदम सूखे मारनी है उसकी,... "
" वो तो मैं अभी भी कह रही हूँ , मेरे बुद्धू राजा , मेरी सास के खसम , मेरी ननदों के भतार,... अरे खाने के बाद , मैं आराम से धीरे धीरे लगा के अच्छी तरह सुखा दूंगी, चार पांच बार, हलके हलके मालिश कर के,.. असर तो उसका छह सात घंटे रहता है ,... और जाओगे तो तुम बहनोई साले , सांन्झ होते समय निकलोगे , तब तक तो तक एकदम सूख जाएगा , लेकिन असर उसका अंदर तक,... और निकलने के पहले आजकल जैसे पूड़ी पकौड़ी की चिकनाई लोग नेपकिन से साफ़ करते है उसी तरह से नेपकिन से पोंछ पोंछ करके,... एकदम सुखा दूंगी ,.... पहली बार तो निहुरा के ही फाड़ोगे उसकी तो अपने साले से बोलना ,... मैंने देखा है छेद उसका बहुत ही छोटा है,.. सुई के छेद की तरह ,... और सुपाड़ा तेरा उसकी मुट्ठी के बराबर तो होगा ही ,...
तो अपने साले से कहना दोनों अंगूठे लगा के अपनी साली के पिछवाड़े का छेद अच्छी तरह चियार के फैलाये, फिर सटा के,... मेरी कसम पहले ही धक्के में , पूरा सुपाड़ा अंदर होना चाहिए ,...
मैं काँप गयी ,
ये सोंच के एक धक्के में तो मैं पहली बार इनका सुपाड़ा नहीं घोंट पायी थी जबकि इन्होने मेरी छोटी ननद की पूरी की बोरोलीन की ट्यूब मेरी गाँड़ में पिचका के भर दी , बजबजा रही थी गाँड़ मेरी क्रीम से ,
और यहाँ एकदम सूखी,... चमड़ी शर्तिया छिल जायेगी,.. और उसी छिली चमड़ी पर , ... दर्द के मारे चिल्ला चिल्ला के,
ये स्साली भाई चोद, अपने सामने अपने मरद से इसकी गाँड़ न मरवाई , मुझे सब मालूम है ये भैया बहिनी क्या क्या खेला खेलते थे ,... और अब अपने सामने पेलवाउंगी इसको इसके भाई से,
मेरे सामने तो दूर दूर,... लेकिन लगता था मुझको जो नैना मटक्का भैया बहिनी में चलता था जरूर ये ननद चुदी होगी मेरे मरद से अपने भाई से वो तो इनकी सास मेरी माँ , पेट में से बात निकलवा लेती हैं और इस ननद के भाई से सब उगलवाया उन्होंने की अपने मायके में किसको किसको कब कब चोदा है और सास के आगे वो भी सब बात बता गए,...
लेकिन असली मजा तो तब आएगा ये छिनार जो मेरी छोटी सी गुड़िया सी बहन के लिए,... उस ननद को उसके भाई के नीचे अपने सामने लिटाऊंगी , उसकी गाँड़ भी मरवाउंगी सूखे,...
अब इन्होने अपनी सास के सामने क्या बताया था इसके लिए थोड़ा सा फ्लैश बैक
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मस्त अपडेट
जीजा का साली का गॉड फैलाकर अपने जीजा से फटवाना और साली का मिन्नत करता अपनी गाँड बचाने का मस्त सीन
Thanksजब नयकी भौजी क छुटकी बहिनिया लौटे अपने मायके ,... तो ओकर गाँड़ ओकरी महतारी के भोंसडे से , जिसमें से वो और उसकी बहिने निकली हैं , उससे भी चाकर हो जाए,... '
Waaaaah
update de diya ab coment bhi de dijiyeAaj hi kr do update
Super shandaar Komal jiबहन की ऊँगली,... बहन की,...
मुझे अपने पिछवाड़े छुटकी की ऊँगली का अहसास हो रहा था , बड़ी गिजगिजी सी फीलिंग हो रही थी , मुझे बदमाशी सूझी , ... बस मैंने जोर से ऊँगली उसकी कस के भींच ली , उसे मेरी पिछवाड़े की अंदरूनी दीवारों का ,... और जब मैंने ढीली किया तो वो एक बार अब और जोर से गोल गोल घुमाने लगी ,
उसके जीजू उसे उकसा रहे थे ,
" अरे स्साली पूरा पेल न अपनी बहिनिया की गाँड़ में , तेरी ऊँगली नहीं जा पा रही है तो तेरे जीजू का ये मोटा खूंटा कैसे घुसेगा , ... "
छुटकी ने एक बार फिर पूरा जोर लगाया , और अब ऊँगली थोड़ी अंदर घुसी लेकिन मैने एक बार गाँड़ कस के ऊँगली भींच ली , और अब छुटकी लाख कोशिश करे
मैंने जीजा साली दोनों को चढ़ाया भी चिढ़ाया भी ,
" क्या हुआ जीजा साली मिल के भी , कुछ नहीं कर पा रहे हो , तुम दोनों के बस का नहीं है ,... "
बात इन्हे भी लग गयी , इनकी साली को भी ,
" हे ऊँगली निकाल के थूक लगा के , ... " इन्होने समझाया भी अपनी साली को और अपने हाथ से उसकी कलाई पकड़ के उसकी मंझली ऊँगली बाहर खींच ली , और सीधे मेरी छोटी बहन के मुंह में ,...
पहले तो वो चूसने लगी , लेकिन फिर जब उसे याद आया की ऊँगली 'कहाँ 'से निकली है , तो वो गिनगीना उठी
पर ये पहले से तैयार बैठे थे , और कस के उन्होंने छुटकी की कलाई पकड़ ली थी , वो चाह के भी मुंह से ऊँगली निकाल नहीं सकती थी , फिर उस के ऊपर भांग की मस्ती भी थी और जीजू के संग चलने का नशा भी था
" हाँ अच्छी तरह से चूस , खूब थूक लगा के , और अबकी पूरा पेल देना अपनी बहन की गाँड़ में , ... और कस के करोच करोच के गोल गोल घुमा के , थोड़ी देर बाद फिर मुंह में खूब थूक लगा के , बस चार पांच कर दो उसके बाद देखना तेरी दीदी की कैसे लेता हूँ , तेरे सामने , बहुत बोल रही हैं हम जीजा साली को , साली इज्जत का सवाल है , "
इन्होने उसे और उकसाया ,
और सच में मेरी बहन की पूरी ऊँगली अबकी मेरी गाँड़ में धंस गयी , ... वो एकदम खुश , ... ख़ुशी से अपने जीजू को देख रही थी
" देख मैं कह रहा था न , बस अब ज़रा अच्छे से अपनी दीदी की गाँड़ एक ऊँगली से , ... गोल गोल , चमच की तरह थोड़ा मोड़ के करोच करोच के , इससे छेद अच्छी तरह खुल जाएगा , ... फिर थोड़ी देर बाद थूक लगा के ,..."
मैं उनकी ट्रिक समझ गयी थी , करोच के , ... चम्मच की तरह , ... तो उसकी ऊँगली में क्या ,.....
और वो जीजू की चमची एकदम उसी तरह से करोच करोच के , अबकी मैंने अपनी पूरी तरह से ढीली कर रखी थी , और अब की जब उसने ऊँगली निकाली तो अच्छी तरह , लेकिन उसके जीजू थे न आज उस की सारी आदतें सुधारने के लिए , बस अपने हाथ से पकड़ कर , और वो ऊँगली गप्प , ...
और वो खुल के उसे चिढ़ा भी रहे थे
मजा आ रहा है , कैसा लग रहा है दी का स्वाद , ...
छुटकी जितना ही बुरा मुंह बना रही थी , उसके जीजू उसे उतना ही चिढ़ा रहे थे ,
" अरे यार तेरी दी का ही तो है , पचा पचाया ,... "
मैं कातिक की कुतिया की तरह निहुरी ,मुश्किल से अपनी हंसी दबा पा रही थी , सच ही तो कह रहे थे ये , पहुंचने दो मेरी ससुराल में इनकी साली को ,
मेरी सास ननद , पास पड़ोस वाली सब ,... कच्ची कली देख कर ,... कोई छोड़ेगा , ...
तभी उन्होंने ऐसी बात कही की उनकी साली का चेहरा खिल गया ,
" बोल साफ़ तू चाहती है न की तेरी दीदी की मैंने तेरे सामने अभी हचक के मैं मारुं और वो जोर जोर से चीखें जैसे तू शाम को ,... "
एकदम उसकी आँखे ख़ुशी से नाचने लगीं , बोल तो सकती नहीं थी , ... उसके मुंह में मेरे पिछवाड़े से निकली ऊँगली थी , .... जोर से हिला हिला कर उसने हामी भरी
" तो अपनी ऊँगली कस कस के चूस , एकदम खूब थूक लगा ले , एक ऊँगली और ले ले साथ में अबकी दो ऊँगली पेलना अपनी दी की गाँड़ में , बहुत कसी हैं तेरी दी की गाँड़ ,... "
जीजू ने तरकीब भी बताई और पूछा भी ,
छुटकी ने एक बार फिर से हाँ में सर हिलाया और एक ऊँगली और साथ में ,
उसके जीजू उसको पक्का ट्रेन कर रहे थे , एक ऊँगली के नीचे दूसरी ऊँगली लगा कर , और जब घुस जाए तो दोनों ऊँगली अलग अलग ,... फिर वही चम्मच की तरह दोनों को मोड़ कर करिच कर , गोल गोल ,
और जब उसने दोनों ऊँगली बाहर निकाली तो दोनों ऊँगली पर , .... लेकिन अबकी बिना अपने जीजू के कहे उसने ऊँगली अपने मुंह में ,
और साथ में उसके जीजू की ऊँगली मेरे आगे वाले छेद में जीजा साली मिल के मेरी ऊँगली कर रहे थे , जीजू की ऊँगली बुर का मंथन कर रही थी और साली की पिछवाड़े ,
हालत खराब मेरी हो रही थी , क्योंकि जीजू उसके अब ऊँगली करने के साथ मेरी क्लिट की भी जम के रगड़ाई कर रहे थे , और अब मैं अच्छी तरह पनिया गयी थी , दो तीन बार और उन्होंने अपनी साली से ऊँगली करायी , फिर उसको हटा के , उन्होंने हचाक के पेल दिया ,
ट्रेन अभी रुकी हुयी थी , कोई स्टेशन था