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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

exforum

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Some facts without comments about Eastern and Central UP, where this story is based

1. Credit deposit ratio ( CDR ) in India is about 70% (2019) but if we move to eastern UP and central UP it is around 40 % and if we further move to rural it will be further reduced and if we break it to those who are marginal farmers, small farmers or landless labor one can understand the limits.

It was in 1980 that the RBI has advised rural and semi urban branches to achieve a CDR of about 80 %.

2. Purvanchal tops with over 84% of agricultural land holdings below one hectare. Eastern Uttar Pradesh, popularly termed as Purvanchal, leads the tally in the state with highest percentage of agricultural land holdings below one hectare, which classifies a farmer as marginal. The all-India average of land holding below one hectare is about 65 per cent.

3. As per 2011 census of UP, there were more females than males in many districts of UP, a result of migration. In Jaunpur it was 1024, in Deoria, it was 1017 and Azamgarh it was 1,019, to name a few. However, job rich districts like Gautam Buddh Nagar ( NOIDA) has only 851 female per 1000 males.


भूख के मारे बिरहा बिसरिगा, बिसरिगा कजरी कबीर


अब देख देख गोरी क जोबनवा उठै न करेजवा में पीर।

समस्याएं हर क्षेत्र, राज्य में हर तरह की हैं। लेकिन कुछ नव विवाहिताएं अपने मनसेधू के साथ बियाह के तुरंत बात परदेस जाके जोबन का जो आनंद उठाती हैं बिना लाज सरम के। अपने गांव देस से दूर । पौने दो साल बाद आती हैं तो एक लरिका नीचे चल रहा होता है तो एक कोरा (गोद) में होता है। फिर भी गांव की समौरी मेहरारू से कम उमर की दीखती हैं। परदेस में दुख भी है आनंद भी है। पहले जो डेढ़ साल परदेस में छ महीने गांव में रहते थे। उन्होंने गांव सहर दोनो का भरपूर आनंद लिया है। अगर आपने शहरों को करीब से देखा हो तो आपको पता होगा। सहर में कुछ औरतें बेहद आजादी से रहती हैं अच्छा भोजन दोपहर और रात में चुदाई । सुबह प्रकृति के साथ विहार शाम को बाजारों में विहार।
 

Rajizexy

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भाग ५६ - गीता और खेत खलिहान

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और बाऊजी के आने का

गीता अब थोड़ा सहज हो गयी थी, बोली,

चाचा से बात हुयी थी उनकी लेकिन आमने सामने नहीं फोनवे पे,... और चाचा का भी पासपोर्ट वहां रखवाय लिया है , उनका फोन आया था माँ के पास,... इधर से नहीं कर सकते उधर से ही वो भी हफ्ते में एक दिन,... तो माँ ने हम दोनों को भी बताया लेकिन ये भी बोला की जबतक वो खुद बात नहीं कर लेती तो, ... और चाचा ने उन्हें बोला है की बाऊ जी वो फूटबाल वाला सब मैचवा ख़त्म हो गया तो जिसके यहाँ थे उसी ने ६ महीने के लिए सऊदी भेज दिया है और बाऊ जी बोल रहे थे की छह महीने बाद पक्का बम्बई चले जाएंगे।

तो छह महीने बाद बाऊ जी गाँव आएंगे,... छुटकी को तो हर बात का जवाब चाहिए था.

गीता ने लम्बी सांस ली फिर कुछ रुक के बोली,... पता नहीं,... माँ ने बोला था बिना बाऊ जी से मिले गाँव नहीं लौटेंगी और उ मुँहझौंसी एजेंसिया क काम तो एकदम बंद. माँ तो कटाई बुआई तीज त्यौहार आएँगी, हफ्ता दस दिन में आता है फोन उनका,... लेकिन बाऊ जी आएंगे नहीं आएंगे गाँव पता नहीं।

एक बार गीता फिर से चुप हो गयी थी।

माहौल अब थोड़ा नार्मल हो चला था , छुटकी एक बात पूछने की सोच रही थी, हिम्मत कर के उसने पूछ ही लिया,...

" दी, गुस्सा मत होइयेगा, मेरी समझ में एक बात नहीं आयी, ...आप लोगों के पास इतना खेत, बाग़ बगीचा सब है,... लेकिन तब भी बाऊ जी बंबई गए और अब माँ भी,... "



गीता मुस्करा दी और छुटकी को गले लगाते बोली, गुस्सा क्यों होउंगी वो गाना सुना है , रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे,...

" सुना, अरे गाती भी हूँ, ... " और छुटकी ने गाने की पहली लाइनें दुहरा भी दी,




रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे,

रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे ।

जौन टिकसवा से बलम मोरे जैहें, रे सजना मोरे जैहें,


पानी बरसे टिकस गल जाए रे, रेलिया बैरन ।।


" एकदम " गीता बोली, फिर उसे दुलार से समझाया, लेकिन असली लाइन है आखिरी, जो अक्सर नहीं गाते,...

ना रेलिया बैरन ना जहजिया बैरन, इहे पइसवा बैरन,

तो असली चीज है पैसा, पक्का टाइम टाइम पे मिलने वाला वाला पैसा,... जो खेती में अक्सर,

गीता चुप हो गयी, थोड़ी उदास थोड़ी गुस्से में, फिर अचानक बोली,...

" अच्छा हम लोगो के पास तो खेत है, अच्छा ख़ासा बाग़ भी है ट्यूबवेल लगा है, ... और तुम पूछ रही हो क्यों गए

लेकिन कजरी का भाई क सोच वो नाउन के बेटवा, गुलबिया भौजी क मरद , बियाहे क महीना नहीं हुआ था चला गया कमाने,... केतना जमीन है उसके पास,... पहले तो जजमानी में गाँव में मनई, दाढ़ी बाल बनावे के,... नाउन कउनो तीज त्यौहार,... पैर में रंग लगाने रस्म काज,... अब पास में बजार में सैलून खुल गया है बढ़िया, जेको देखो वहीँ जाके बाल दाढ़ी और जउन स्टाइल चाहो तौन,... फिर जजमानी में जमीन एक दो बिस्सा, अब खेतिहर के पास खुदे जमीन नहीं तो नाऊ कहार के कहा, ... फिर कजरी की माई बताती है , जब वो बियाह के आयी,.. उसकी ददिया सास के जमाने में चार बिस्सा थी,... जजमानी क,... लेकिन चार भाई तो घट के एक बिस्सा और अगली पीढ़ी में,... फिर फुलवा क मरद उसकी तो न जजमानी न एक इंच जमीन न जाए कमाने तो का, दस दिन बाद वो भी,.... अरे कजरी क भौजी क गोड़े क महावर भी नहीं सूखा था, मुंह देखाई भी पूरी नहीं हुयी थी,... लेकिन जेतना छुट्टी उतना ही न, और एक बार नौकरी चली गयी तो,... हमारे गाँव में भरौटी कहारौटी छोडो कई दर्जन लोग, ...बस वही होली दिवाली कभी रिजर्वेशन नहीं मिला तो कभी छुट्टी नहीं, साल दो साल में एक बार "


छुटकी चुपचाप सुन रही थी वो शहर से आयी थी उसे ये सब बातें इतनी नहीं मालूम थी लेकिन सवाल पूछने में क्या, और उसने सवाल पूछ लिया,...

मान लीजिये जमीन नहीं है, तो मजदूरी कर के भी तो,..



गीता चुप रही फिर बड़ी बेचारगी की हंसी हंसी।

जिनके पास खेत है, उनकी हालत खराब और जिनके पास एकदम नहीं हो वो तो और, उनके पास कौन चारा है बाहर जाने के अलावा, केतना काम रह गया है , माँ बताती थीं जब वो बियाह के आयीं तो यह देखते थे की कितने हल की खेती है,... चार चार हरवाह थे "

और अब कितने हैं छुटकी ने उत्सुकता से पूछा


" एक तोहार भतार। " खिलखिलाते हुए गितवा बोली और छुटकी के गाल पे जोर से चिकोटी काट ली, और छुटकी न समझी हो तो बोल भी दिया,..

" अरे और कौन अरविन्द भैया "

छुटकी भी खिलखिला पड़ी। और गीता ने हाल खुलासा बयान किया

" भैया चलाते हैं खुदे ट्रैक्टर, शुरू में तो कोई और था लेकिन माँ पीछे पड़ीं और अब तो सब काम ट्रैकटर वाला वो खुदे ,...वो भी बाबू जी के पैसे से आया, कुछ कर्जा भी लिए थे लेकिन बमबई में ही आपन दो टैक्सी बैंक के पास रख के,... और जब आया तो मैं भैया और माँ उस पे चढ़ के मंदिर गए, फिर उसकी ट्राली आयी फिर और बहुत कुछ चीज पीछे लगाने वाली,... साल दो साल तो खाली हम लोगों के पास था अब तो तीन तीन ट्रैक्टर है और एक तो किराए पे भी चलाता है ,..."


गीता रुक गयी, फिर बोली ऐसा नहीं है की मजूर आसानी से गाँव में मिल जाते हैं
Awesome updates, super duper gazab,Gita ne bahut achha sikhaya padhaya hai chhutki ko.
New adbhut style writing.
👌👌👌👌👌👌👌
✅✅✅✅✅✅
🔥🔥🔥🔥🔥

Didi tume dekh kar mene bhi apni writing mein kuch changes ki hain.
Raji tumari shisya jo thehri.
Padh kar dekhna apni Raji behn ki story mein changes bilkul Komal the gr8 style mein.
Komal mam u r a superb, super se bhi upar writer.
Love u didi 💋💋💋♥️♥️♥️
 

motaalund

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Thanks so much aapko acha laa ye part thoda alaga tha isliye koyi hint maine nahi diya ki aage kya hona hai aur aapne relate bhi kiya varana mujhe lg raha tha ki main likh to rhi hun lekin ye bhogne ki aur mahsosos karne vaala paart hai sheer fanatsy nahi pata nahi kaisa lagega aur ise likhan baaki paart se jyada mushkil tha. thanks again
ऐसा इस फोरम पर सिर्फ आप हीं कर सकती हैं....
 

motaalund

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आप का साथ रहेगा, आप की दुआएं रहेंगी तो बेशक मैं कोशिश करुँगी🙏🙏🙏🙏🙏🙏
कोशिश जरुर करते रहें..
वादे तो अक्सर टूट जाया करते हैं....
 

motaalund

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आभार तो मुझे आपका मानना चाहिए की आपको न सिर्फ अपडेट पसंद आया बल्कि आपने सराहा भी. तारीफ़ के शब्द कहे

मैं तो घबड़ा रही थी की पता नहीं कोई पूरा पढ़ेगा भी की नहीं, सुख तो सब बाँट लेते हैं, दुःख कोई कोई ही,... लेकिन मुझे यह लगा की बिना यह लिखे मैं शायद मैं रह नहीं पाउंगीं,...

और इसी कहानी में सिर्फ गितवा के बाऊ जी ही नहीं बंबई गए, कजरी की भौजी ( नउनिया की बहू ) गौने में आयी और कुछ दिन बाद ही पति पंजाब चला गया,

मैंने जो देखा सुना भोगा वही लिख दिया जस का तस,

एक बार फिर से धन्यवाद,

:thanks::thanks::thanks::thanks::thanks:
ये सबसे अच्छा पार्ट था...
समाज के उस पार्ट का दर्पण ..
जिसे लोग नजरंदाज कर जाते हैं...
लेकिन सच्चाई... से आँखें मूंद कर .. कब तक...
 

motaalund

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संतुष्ट ग्राहक दुबारा आता है चार लोगों से तारीफ़ भी करता है तो क्या पता फुलवा की ननद दुबारा आये कहानी में और अपने गाँव में भी भौजी के मायके की तारीफ़ करे
और चार और लोगों को साथ में लाए....
 

motaalund

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नमन तो मेरा है आपको..
अपने व्यस्त शेड्यूल में से समय निकाल कर मानसिक तृप्ति प्रदान करने वाला लेखन....
 

motaalund

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एकदम लेकिन टांग उठाये उठाये, या निहुरे निहुरे कुछ ताकत तो लगती ही है
और अगर विपरीत रति में हो तो सारी मेहनत.....
 
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