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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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भाग ९८

अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६

अपडेट पोस्टेड, कृपया पढ़ें, मजे ले, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
 
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komaalrani

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फिर तो बार-बार आएगी...
ऐसे स्वाद के लिए...
और फुलवा चिढ़ाएगी भी उसे, ... फिर चमेलिया ने अपना और गितवा का भी

तुलनात्मक अध्ययन के लिए
 

komaalrani

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९००००० व्यूज के लिए मुबारकां....
Thanks soooooooooo much
 

komaalrani

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चाची को चाव से..
भाभी को भाव से...
दीदी को दांव से...
आप तो आरुषि जी की तरह कविता करने लगे
 

komaalrani

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गन्ने और अरहर का खेत तो सबसे माकूल जगह है... साथ में बंसवाड़ी भी..
गितवा धीरे धीरे गाँव के सब रसम रिवाज सीख रही है और चमेलिया हैं न उसको सब अड्डे बताने वाली
 

komaalrani

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लेकिन एक बार जब खड़ा हो गया तो फिर बिना फाड़े वापस म्यान में नहीं आएगा...
Ekdam sahi kaha aapne
 

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स्पेशल हलवा खिलाई...
और अब मुँह के बजाय.. गांड़ दिखाएगी...
अरे उसकी चाल से ही पता चल जाएगा की


ट्रैक्टर पिछवाड़े भी चला है और कस कर चला है, गाँव में अब किसी लौंडे को सील तोड़ने की मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, न अगवाड़े की न पिछवाड़े की।
 

komaalrani

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ये प्यार का जंग है...
तलवार और म्यान दोनों इसका लुत्फ उठाएंगे...
एकदम सही कहा आपने

किसी ने कहा है की अगर कान में खुजली हो और आप ऊँगली से खुजलाओ तो मज़ा का को आता है कि ऊँगली को,

बस वही बात है, म्यान को कम मजा नहीं आता भले शुरू में म्याऊं म्याऊं करे
 

komaalrani

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खो गई है ख़ुशियाँ
मुस्कान क़ायम है
दर्द दफ़्न हैं सीने में
कतरा कतरा ख़त्म
हो रहा है सब कुछ
मर चुकी है ज़िंदगी
साँसें क़ायम है
आँसू जो बहा नहीं आँखों से
चीख जो निकली नहीं ज़बान से
नील पड़े हैं मन की देह पर
डरे सहमे हैं ख़्वाब झूठे
यथार्थ का सच क़ायम है
आप कविता की चंद पंक्तयों में जो दुःख बयान कर देती हैं, वो गद्य के दस पन्ने भी नहीं कर पाते, जीवन यही सुख दुःख का धूप छाँव का खेला है,

आप की उपस्ठिति किसी भी थ्रेड को, कुछ भी कहे के प्रभाव को दस गुना बढ़ा देती है।
 

komaalrani

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लास्ट पोस्ट भाग ५५ -माँ

अगली पोस्ट भाग ५६ - गीता और खेत खलिहान
 

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