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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

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159
भाग ५७- कुश्ती ननद भौजाई की -

छुटकी और गितवा

9,41,000


weight lifter

अभी कहानी वापस मुड़ रही है जहाँ से मुड़ी थी या ननद भौजाई के बीच कबड्डी की तैयारी,..बस दो घंटे बचे हैं , कब से भौजाइयां लगातार हार रही हैं लेकिन अबकी पासा पलटना है , स्ट्रेटजी बनानी है , टीम का फाइनल करना है और टीम मेंबर्स के साथ बैठ के स्ट्रेटजी सेट करनी है तो बस

और घड़ाइये मत , गीता और छुटकी की आखिर में क्या कानाफूसी हुयी ,क्या बात छुटकी ने मानी और क्या शर्तें रखीं सब ,..
छुटकी अभी ननदो से होली खेल के लौटी नहीं पर मैं परेशान थी,



नहीं नहीं छुटकी के लिए नहीं, उसके तो अब खेलने खाने के दिन थे,... और ननद छिनार हों वो भी नैना ऐसी तो,...

मेरी परेशानी ननदों को लेकर ही थी लेकिन दूसरी,...

मंजू भाभी के यहाँ मैंने गाँव की अपनी जेठानियों को बोल तो दिया था की अबकी ननदों को हम लोग न सिर्फ हराएंगे बल्कि खुल के उनकी गाँड़ मारेंगे भी गाँव के बीच में खुले मैदान में और अपने देवरों से भी अगले दिन मरवाएँगे,...



weight lifter

दो चार उमर में थोड़ी बड़ी जेठानियों ने मुंह भी बिचकाया,..सोच रही थी ये नयको नयी आयी आयी है पहली होली है इस गाँव की,... कुछ दिन पहले घूंघट छूटा है बस खाली माँ ने बढ़ बढ़ के बोलना सिखाया है, पर मंजू भाभी को पूरा भरोसा था मेरे ऊपर जिस तरह से चुन्नू की में थोड़ी देर पहले नथ उतारी थी और एक बहुत बड़ा चैलेंज गाँव की भौजाइयों ननदों सब का पूरा किया था, सुबह सुबह आज, चंदू ब्रह्मचारी देवर से तीन राउंड कुश्ती खेल के आ रही थी , और अब एक बार उसका लंगोट खुल गया तो वो नाग लंगोट में बंद होने वाला नहीं था. और ये भरोसा मंजू भाभी के साथ मेरी बाकी जेठानियों का भी था,...

मैंने बोल तो दिया और इस बार की कैप्टेन मंजू भाभी थीं तो मेरे मन की बात सुन सोच के उन्होंने टीम भी एकदम से बदल दी,...

४ हमलोगों के टोले की बाहर वाली, काम करने वालियां, लेकिन देह की बहुत कड़ी खूब जांगर वाली,



weight lifter

दो तीन ऐसी भौजाइयां जो अभी लड़कोर नहीं थीं, तीन चार साल पहले गौना हुआ था,..


weight lifter

मंजू भाभी और दो उमर में थोड़ी बड़ी लेकिन जो मानती थीं की हाँ हम लोग जीत सकते हैं,... जो मैच के पहले हार मान जाए सिर्फ रस्म रिवाज के लिए मैच खेले,...वैसी एकदम नहीं फायटिंग स्प्रिट हम लोगों से भी ज्यादा और अनुभव भी

जैसे दूल्हे को दुल्हिन लाने पे दूल्हे के मायके में कोहबर में पासा खिलाया जाता है , दूध में अंगूठी डाल के ढुंढवायी जाती है और बगल में बैठी भौजाई कान में देवर को समझा देती है, अगर गलती से भी एक बार जीत गए न,... तो ये मिठाई जो बगल में बैठी है आज रात में नहीं मिलेगी खाने को सोच लो,...





weight lifter

और वो बेचारा तीनों बार हार जाता है,... फिर मौरी सेरवाने में नयी बहु, उसकी दुल्हन के सामने गांव की भौजाई सब अपनी ननदों को उसकी बहन को उसी का नाम लग लगा के खूब गरियाती है, लेकिन बगल में बैठी 'मिठाई ' के लालच में वो सब कुछ करता है,...

तो मेरी बात मान के टीम भी बदल गयी थी जो नयी नयी चार को शामिल किया गया था वो सब मान भी गयीं थी,... और थोड़ी देर में टीम की मीटिंग थी, पर बारह आने का खेल तो अभी होना था , टीम की स्ट्रेटजी तय करनी थी,... और ये तो मुझे ही करनी थी,...कैप्टेन मंजू भाभी जरूर थीं लेकिन सब जिम्मेदारी मेरे कंधो पर और अब टीम मेरे कहे अनुसार बन गयी थी पुरानी टीम के ६-७ सीनियर खिलाड़ी बदल गए थे तो,... अब तो कोई बहाना भी नहीं

और फिर इस ननद भौजाइयों की कबड्डी की हार जीत पे बहुत कुछ होना था,.... एक तो ननदों का घमंड,... वो भौजाई कौन जो ससुराल में पहुँच के ननद की नाक न रगड़वा दे,... अरे दुश्मन को दुश्मन के किले में हराना ही असली जीत है, अपनी गली में तो,...

लेकिन कैसे, ...


जो जीतता है उसकी बात न सिर्फ होली में, रंगपंचमी में बल्कि साल भर अगली होली तक चलती है अगर हम लोग जीत गए तो बस इस रंगपंचमी में नहीं साल भर,... और ये बात कौन भौजाई नहीं चाहेगी की ननद चुपचाप उसका कहा करती रहे, उसकी चुगली अपनी माँ से भाई से न करे,... और हम लोग जीत गए तो ऐसी रगड़ाई करवाउंगी उन सब की,... और अब तो ननद के भैया मोबाइल लाये हैं जो फोटो भी जबरदस्त आती है और वीडियो भी , बस सब कुछ रिकार्ड होगा,... लेकिन जीते तो सही है और उस के लिए बात थी स्ट्रेटजी की,

मैंने एक बार फिर ठन्डे दिमाग से सोचना शुरू किया,...

मुझे शुन त्जू की बात याद आयी, नो योर एनेमी ,...


और मैं नयी नयी इस गाँव में,... तो सबसे पहले ननदो की टीम की स्ट्रेंथ, ... और अलग अलग खिलाड़ियों की ताकत,....

फिर उनकी स्ट्रेटजी,... और वीकनेस,... वीकनेस का तो खैर मुझे अंदाजा था , उन सबका ओवरकॉन्फिडेंस और बड़बोलापन,... लेकिन अलग अलग खिलाड़ियों की कमजोरी इंडिविजुअल अगर पता चल जाए,...कबड्डी में जब कोई आपके पाले में आता है तो वो अकेला होता है और उस समय अगर उस की कमजोरी मालूम है तो उसे पटकना बहुत आसान है,... फिर पिछले मैचों में उनकी स्ट्रेटजी,...

वो तो खैर मंजू भाभी और बाकी दो मेरी जेठानियाँ जो प्रौढ़ा थीं और पिछले पांच छह साल से कबड्डी का ये मैच खेल रही थीं , उनसे ननदों की ट्रिक्स पता चल जायेगी,... और उनकी स्ट्रेंथ में सबसे बड़ी थी लीडरशिप, अबकी नैना वापस आ गयी थी और नैना की बात सब मानती थीं , वो थी भी बहुत शातिर दिमाग, एकदम असली ननद,...



weight lifter

लेकिन ऐसी ननद के साथ ही तो ननद भौजाई का मजा आएगा,... लेकिन नैना के बारे में मैंने तय कर लिया था , डिफेन्स इस बेस्ट आफेंस, ... उसके आते ही हम सब पीछे हट जाएंगे और बस बचने की कोशिश करेंगे,... और वो मुझे या किसी तगड़े प्लेयर पे निशाना लगाएगी तो किसी प्रौढ़ा को आगे कर देंगे , सैक्रिफाइस के तौर पे,... लेकिन देर तक छकाने के बाद,... और फिर जो बाकी आएँगी तो उन्हें तो रगड़ रगड़ के,...

और बाद में अगर वो बच भी जायेगी तो क्या,...

लेकिन मेरी सब जेठानियाँ गीता की ताकत की भी तारीफ़ कर रही थीं और काठ की हांड़ी दो बार तो चढ़ती नहीं तो गीता की तो काट तो ढूँढ़नी पड़ेगी और वो मुझे सबसे कठिन लग रहा था,... पिछले साल नैना नहीं थी तो गितवा ने ही भौजाइयों को दौड़ा दौड़ा के,...


और अगर ननदें हार गयीं तो उनसे क्या क्या करवाएंगे,....

कोई कह सकता है की इससे क्या फरक पड़ता है लेकिन ये बहुत जरूरी था प्लान करना मेरी टीम के मेंबर्स को मोटिवेट करने के लिए,...

पहले भी जीतने के बाद सिपाहियों को दो तीन दिन तक लूटने की पूरी छूट मिलती थी , सिर्फ धन सम्पत्ति ही नहीं, लड़कियां औरतें भी,... जितो वा भोक्ष्यते महीम,... और दूसरा ऑप्शन मैंने कभी न दिया न सोचा,...

मैंने अल्टीमेट सरेंडर की लेस्बियन रेसलिंग के बहुत वीडियो देखे थे और इस समय वही दिमाग में नाच रहे थे, जीतने वाली एक फुटा स्ट्रैप ऑन डिलडो बाँध के और हारने वाली की क्या दुर्गत होती थी,... बस वो सब टीम के मेंबर्स को दिखाने थे और उनसे डिस्कस भी करना था क्या होना है ननदों के साथ,.. एक से एक मस्त मस्त ऑप्शन मेरे दिमाग में आ रहे थे

लेकिन तो सब तभी होगा जब गीता की कोई काट निकल जाए ,

उफ़ आप भूल गए कबड्डी वाली बात, चलिए पन्ना पलट के आप को याद दिला ही देती हूँ मंजू भाभी के यहाँ जो बातें हुयी थी फिर ढूंढती हूँ गीता की काट
“”

दो तीन ऐसी भौजाइयां जो अभी लड़कोर नहीं थीं, तीन चार साल पहले गौना हुआ था,..

जैसे दूल्हे को दुल्हिन लाने पे दूल्हे के मायके में कोहबर में पासा खिलाया जाता है , दूध में अंगूठी डाल के ढुंढवायी जाती है और बगल में बैठी भौजाई कान में देवर को समझा देती है, अगर गलती से भी एक बार जीत गए न,... तो ये मिठाई जो बगल में बैठी है आज रात में नहीं मिलेगी खाने को सोच लो,...

“”

Waah
 
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भाग ५७- कुश्ती ननद भौजाई की -

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और घड़ाइये मत , गीता और छुटकी की आखिर में क्या कानाफूसी हुयी ,क्या बात छुटकी ने मानी और क्या शर्तें रखीं सब ,..
छुटकी अभी ननदो से होली खेल के लौटी नहीं पर मैं परेशान थी,



नहीं नहीं छुटकी के लिए नहीं, उसके तो अब खेलने खाने के दिन थे,... और ननद छिनार हों वो भी नैना ऐसी तो,...

मेरी परेशानी ननदों को लेकर ही थी लेकिन दूसरी,...

मंजू भाभी के यहाँ मैंने गाँव की अपनी जेठानियों को बोल तो दिया था की अबकी ननदों को हम लोग न सिर्फ हराएंगे बल्कि खुल के उनकी गाँड़ मारेंगे भी गाँव के बीच में खुले मैदान में और अपने देवरों से भी अगले दिन मरवाएँगे,...



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दो चार उमर में थोड़ी बड़ी जेठानियों ने मुंह भी बिचकाया,..सोच रही थी ये नयको नयी आयी आयी है पहली होली है इस गाँव की,... कुछ दिन पहले घूंघट छूटा है बस खाली माँ ने बढ़ बढ़ के बोलना सिखाया है, पर मंजू भाभी को पूरा भरोसा था मेरे ऊपर जिस तरह से चुन्नू की में थोड़ी देर पहले नथ उतारी थी और एक बहुत बड़ा चैलेंज गाँव की भौजाइयों ननदों सब का पूरा किया था, सुबह सुबह आज, चंदू ब्रह्मचारी देवर से तीन राउंड कुश्ती खेल के आ रही थी , और अब एक बार उसका लंगोट खुल गया तो वो नाग लंगोट में बंद होने वाला नहीं था. और ये भरोसा मंजू भाभी के साथ मेरी बाकी जेठानियों का भी था,...

मैंने बोल तो दिया और इस बार की कैप्टेन मंजू भाभी थीं तो मेरे मन की बात सुन सोच के उन्होंने टीम भी एकदम से बदल दी,...

४ हमलोगों के टोले की बाहर वाली, काम करने वालियां, लेकिन देह की बहुत कड़ी खूब जांगर वाली,



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मंजू भाभी और दो उमर में थोड़ी बड़ी लेकिन जो मानती थीं की हाँ हम लोग जीत सकते हैं,... जो मैच के पहले हार मान जाए सिर्फ रस्म रिवाज के लिए मैच खेले,...वैसी एकदम नहीं फायटिंग स्प्रिट हम लोगों से भी ज्यादा और अनुभव भी

जैसे दूल्हे को दुल्हिन लाने पे दूल्हे के मायके में कोहबर में पासा खिलाया जाता है , दूध में अंगूठी डाल के ढुंढवायी जाती है और बगल में बैठी भौजाई कान में देवर को समझा देती है, अगर गलती से भी एक बार जीत गए न,... तो ये मिठाई जो बगल में बैठी है आज रात में नहीं मिलेगी खाने को सोच लो,...





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और वो बेचारा तीनों बार हार जाता है,... फिर मौरी सेरवाने में नयी बहु, उसकी दुल्हन के सामने गांव की भौजाई सब अपनी ननदों को उसकी बहन को उसी का नाम लग लगा के खूब गरियाती है, लेकिन बगल में बैठी 'मिठाई ' के लालच में वो सब कुछ करता है,...

तो मेरी बात मान के टीम भी बदल गयी थी जो नयी नयी चार को शामिल किया गया था वो सब मान भी गयीं थी,... और थोड़ी देर में टीम की मीटिंग थी, पर बारह आने का खेल तो अभी होना था , टीम की स्ट्रेटजी तय करनी थी,... और ये तो मुझे ही करनी थी,...कैप्टेन मंजू भाभी जरूर थीं लेकिन सब जिम्मेदारी मेरे कंधो पर और अब टीम मेरे कहे अनुसार बन गयी थी पुरानी टीम के ६-७ सीनियर खिलाड़ी बदल गए थे तो,... अब तो कोई बहाना भी नहीं

और फिर इस ननद भौजाइयों की कबड्डी की हार जीत पे बहुत कुछ होना था,.... एक तो ननदों का घमंड,... वो भौजाई कौन जो ससुराल में पहुँच के ननद की नाक न रगड़वा दे,... अरे दुश्मन को दुश्मन के किले में हराना ही असली जीत है, अपनी गली में तो,...

लेकिन कैसे, ...


जो जीतता है उसकी बात न सिर्फ होली में, रंगपंचमी में बल्कि साल भर अगली होली तक चलती है अगर हम लोग जीत गए तो बस इस रंगपंचमी में नहीं साल भर,... और ये बात कौन भौजाई नहीं चाहेगी की ननद चुपचाप उसका कहा करती रहे, उसकी चुगली अपनी माँ से भाई से न करे,... और हम लोग जीत गए तो ऐसी रगड़ाई करवाउंगी उन सब की,... और अब तो ननद के भैया मोबाइल लाये हैं जो फोटो भी जबरदस्त आती है और वीडियो भी , बस सब कुछ रिकार्ड होगा,... लेकिन जीते तो सही है और उस के लिए बात थी स्ट्रेटजी की,

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और मैं नयी नयी इस गाँव में,... तो सबसे पहले ननदो की टीम की स्ट्रेंथ, ... और अलग अलग खिलाड़ियों की ताकत,....

फिर उनकी स्ट्रेटजी,... और वीकनेस,... वीकनेस का तो खैर मुझे अंदाजा था , उन सबका ओवरकॉन्फिडेंस और बड़बोलापन,... लेकिन अलग अलग खिलाड़ियों की कमजोरी इंडिविजुअल अगर पता चल जाए,...कबड्डी में जब कोई आपके पाले में आता है तो वो अकेला होता है और उस समय अगर उस की कमजोरी मालूम है तो उसे पटकना बहुत आसान है,... फिर पिछले मैचों में उनकी स्ट्रेटजी,...

वो तो खैर मंजू भाभी और बाकी दो मेरी जेठानियाँ जो प्रौढ़ा थीं और पिछले पांच छह साल से कबड्डी का ये मैच खेल रही थीं , उनसे ननदों की ट्रिक्स पता चल जायेगी,... और उनकी स्ट्रेंथ में सबसे बड़ी थी लीडरशिप, अबकी नैना वापस आ गयी थी और नैना की बात सब मानती थीं , वो थी भी बहुत शातिर दिमाग, एकदम असली ननद,...



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लेकिन ऐसी ननद के साथ ही तो ननद भौजाई का मजा आएगा,... लेकिन नैना के बारे में मैंने तय कर लिया था , डिफेन्स इस बेस्ट आफेंस, ... उसके आते ही हम सब पीछे हट जाएंगे और बस बचने की कोशिश करेंगे,... और वो मुझे या किसी तगड़े प्लेयर पे निशाना लगाएगी तो किसी प्रौढ़ा को आगे कर देंगे , सैक्रिफाइस के तौर पे,... लेकिन देर तक छकाने के बाद,... और फिर जो बाकी आएँगी तो उन्हें तो रगड़ रगड़ के,...

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लेकिन मेरी सब जेठानियाँ गीता की ताकत की भी तारीफ़ कर रही थीं और काठ की हांड़ी दो बार तो चढ़ती नहीं तो गीता की तो काट तो ढूँढ़नी पड़ेगी और वो मुझे सबसे कठिन लग रहा था,... पिछले साल नैना नहीं थी तो गितवा ने ही भौजाइयों को दौड़ा दौड़ा के,...


और अगर ननदें हार गयीं तो उनसे क्या क्या करवाएंगे,....

कोई कह सकता है की इससे क्या फरक पड़ता है लेकिन ये बहुत जरूरी था प्लान करना मेरी टीम के मेंबर्स को मोटिवेट करने के लिए,...

पहले भी जीतने के बाद सिपाहियों को दो तीन दिन तक लूटने की पूरी छूट मिलती थी , सिर्फ धन सम्पत्ति ही नहीं, लड़कियां औरतें भी,... जितो वा भोक्ष्यते महीम,... और दूसरा ऑप्शन मैंने कभी न दिया न सोचा,...

मैंने अल्टीमेट सरेंडर की लेस्बियन रेसलिंग के बहुत वीडियो देखे थे और इस समय वही दिमाग में नाच रहे थे, जीतने वाली एक फुटा स्ट्रैप ऑन डिलडो बाँध के और हारने वाली की क्या दुर्गत होती थी,... बस वो सब टीम के मेंबर्स को दिखाने थे और उनसे डिस्कस भी करना था क्या होना है ननदों के साथ,.. एक से एक मस्त मस्त ऑप्शन मेरे दिमाग में आ रहे थे

लेकिन तो सब तभी होगा जब गीता की कोई काट निकल जाए ,

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Puri S.W.A.T analysis ho rahi hai mast 👌👌👌
 

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और घड़ाइये मत , गीता और छुटकी की आखिर में क्या कानाफूसी हुयी ,क्या बात छुटकी ने मानी और क्या शर्तें रखीं सब ,..
छुटकी अभी ननदो से होली खेल के लौटी नहीं पर मैं परेशान थी,



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मेरी परेशानी ननदों को लेकर ही थी लेकिन दूसरी,...

मंजू भाभी के यहाँ मैंने गाँव की अपनी जेठानियों को बोल तो दिया था की अबकी ननदों को हम लोग न सिर्फ हराएंगे बल्कि खुल के उनकी गाँड़ मारेंगे भी गाँव के बीच में खुले मैदान में और अपने देवरों से भी अगले दिन मरवाएँगे,...



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दो चार उमर में थोड़ी बड़ी जेठानियों ने मुंह भी बिचकाया,..सोच रही थी ये नयको नयी आयी आयी है पहली होली है इस गाँव की,... कुछ दिन पहले घूंघट छूटा है बस खाली माँ ने बढ़ बढ़ के बोलना सिखाया है, पर मंजू भाभी को पूरा भरोसा था मेरे ऊपर जिस तरह से चुन्नू की में थोड़ी देर पहले नथ उतारी थी और एक बहुत बड़ा चैलेंज गाँव की भौजाइयों ननदों सब का पूरा किया था, सुबह सुबह आज, चंदू ब्रह्मचारी देवर से तीन राउंड कुश्ती खेल के आ रही थी , और अब एक बार उसका लंगोट खुल गया तो वो नाग लंगोट में बंद होने वाला नहीं था. और ये भरोसा मंजू भाभी के साथ मेरी बाकी जेठानियों का भी था,...

मैंने बोल तो दिया और इस बार की कैप्टेन मंजू भाभी थीं तो मेरे मन की बात सुन सोच के उन्होंने टीम भी एकदम से बदल दी,...

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जैसे दूल्हे को दुल्हिन लाने पे दूल्हे के मायके में कोहबर में पासा खिलाया जाता है , दूध में अंगूठी डाल के ढुंढवायी जाती है और बगल में बैठी भौजाई कान में देवर को समझा देती है, अगर गलती से भी एक बार जीत गए न,... तो ये मिठाई जो बगल में बैठी है आज रात में नहीं मिलेगी खाने को सोच लो,...





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और वो बेचारा तीनों बार हार जाता है,... फिर मौरी सेरवाने में नयी बहु, उसकी दुल्हन के सामने गांव की भौजाई सब अपनी ननदों को उसकी बहन को उसी का नाम लग लगा के खूब गरियाती है, लेकिन बगल में बैठी 'मिठाई ' के लालच में वो सब कुछ करता है,...

तो मेरी बात मान के टीम भी बदल गयी थी जो नयी नयी चार को शामिल किया गया था वो सब मान भी गयीं थी,... और थोड़ी देर में टीम की मीटिंग थी, पर बारह आने का खेल तो अभी होना था , टीम की स्ट्रेटजी तय करनी थी,... और ये तो मुझे ही करनी थी,...कैप्टेन मंजू भाभी जरूर थीं लेकिन सब जिम्मेदारी मेरे कंधो पर और अब टीम मेरे कहे अनुसार बन गयी थी पुरानी टीम के ६-७ सीनियर खिलाड़ी बदल गए थे तो,... अब तो कोई बहाना भी नहीं

और फिर इस ननद भौजाइयों की कबड्डी की हार जीत पे बहुत कुछ होना था,.... एक तो ननदों का घमंड,... वो भौजाई कौन जो ससुराल में पहुँच के ननद की नाक न रगड़वा दे,... अरे दुश्मन को दुश्मन के किले में हराना ही असली जीत है, अपनी गली में तो,...

लेकिन कैसे, ...


जो जीतता है उसकी बात न सिर्फ होली में, रंगपंचमी में बल्कि साल भर अगली होली तक चलती है अगर हम लोग जीत गए तो बस इस रंगपंचमी में नहीं साल भर,... और ये बात कौन भौजाई नहीं चाहेगी की ननद चुपचाप उसका कहा करती रहे, उसकी चुगली अपनी माँ से भाई से न करे,... और हम लोग जीत गए तो ऐसी रगड़ाई करवाउंगी उन सब की,... और अब तो ननद के भैया मोबाइल लाये हैं जो फोटो भी जबरदस्त आती है और वीडियो भी , बस सब कुछ रिकार्ड होगा,... लेकिन जीते तो सही है और उस के लिए बात थी स्ट्रेटजी की,

मैंने एक बार फिर ठन्डे दिमाग से सोचना शुरू किया,...

मुझे शुन त्जू की बात याद आयी, नो योर एनेमी ,...


और मैं नयी नयी इस गाँव में,... तो सबसे पहले ननदो की टीम की स्ट्रेंथ, ... और अलग अलग खिलाड़ियों की ताकत,....

फिर उनकी स्ट्रेटजी,... और वीकनेस,... वीकनेस का तो खैर मुझे अंदाजा था , उन सबका ओवरकॉन्फिडेंस और बड़बोलापन,... लेकिन अलग अलग खिलाड़ियों की कमजोरी इंडिविजुअल अगर पता चल जाए,...कबड्डी में जब कोई आपके पाले में आता है तो वो अकेला होता है और उस समय अगर उस की कमजोरी मालूम है तो उसे पटकना बहुत आसान है,... फिर पिछले मैचों में उनकी स्ट्रेटजी,...

वो तो खैर मंजू भाभी और बाकी दो मेरी जेठानियाँ जो प्रौढ़ा थीं और पिछले पांच छह साल से कबड्डी का ये मैच खेल रही थीं , उनसे ननदों की ट्रिक्स पता चल जायेगी,... और उनकी स्ट्रेंथ में सबसे बड़ी थी लीडरशिप, अबकी नैना वापस आ गयी थी और नैना की बात सब मानती थीं , वो थी भी बहुत शातिर दिमाग, एकदम असली ननद,...



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लेकिन ऐसी ननद के साथ ही तो ननद भौजाई का मजा आएगा,... लेकिन नैना के बारे में मैंने तय कर लिया था , डिफेन्स इस बेस्ट आफेंस, ... उसके आते ही हम सब पीछे हट जाएंगे और बस बचने की कोशिश करेंगे,... और वो मुझे या किसी तगड़े प्लेयर पे निशाना लगाएगी तो किसी प्रौढ़ा को आगे कर देंगे , सैक्रिफाइस के तौर पे,... लेकिन देर तक छकाने के बाद,... और फिर जो बाकी आएँगी तो उन्हें तो रगड़ रगड़ के,...

और बाद में अगर वो बच भी जायेगी तो क्या,...

लेकिन मेरी सब जेठानियाँ गीता की ताकत की भी तारीफ़ कर रही थीं और काठ की हांड़ी दो बार तो चढ़ती नहीं तो गीता की तो काट तो ढूँढ़नी पड़ेगी और वो मुझे सबसे कठिन लग रहा था,... पिछले साल नैना नहीं थी तो गितवा ने ही भौजाइयों को दौड़ा दौड़ा के,...


और अगर ननदें हार गयीं तो उनसे क्या क्या करवाएंगे,....

कोई कह सकता है की इससे क्या फरक पड़ता है लेकिन ये बहुत जरूरी था प्लान करना मेरी टीम के मेंबर्स को मोटिवेट करने के लिए,...

पहले भी जीतने के बाद सिपाहियों को दो तीन दिन तक लूटने की पूरी छूट मिलती थी , सिर्फ धन सम्पत्ति ही नहीं, लड़कियां औरतें भी,... जितो वा भोक्ष्यते महीम,... और दूसरा ऑप्शन मैंने कभी न दिया न सोचा,...

मैंने अल्टीमेट सरेंडर की लेस्बियन रेसलिंग के बहुत वीडियो देखे थे और इस समय वही दिमाग में नाच रहे थे, जीतने वाली एक फुटा स्ट्रैप ऑन डिलडो बाँध के और हारने वाली की क्या दुर्गत होती थी,... बस वो सब टीम के मेंबर्स को दिखाने थे और उनसे डिस्कस भी करना था क्या होना है ननदों के साथ,.. एक से एक मस्त मस्त ऑप्शन मेरे दिमाग में आ रहे थे

लेकिन तो सब तभी होगा जब गीता की कोई काट निकल जाए ,

उफ़ आप भूल गए कबड्डी वाली बात, चलिए पन्ना पलट के आप को याद दिला ही देती हूँ मंजू भाभी के यहाँ जो बातें हुयी थी फिर ढूंढती हूँ गीता की काट
Bahut hi garam aur mast tayari
 

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छुटकी और गितवा



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तो टीम तो बन गयी थी मंजू भाभी के ही यहाँ लेकिन बस अब ये गितवा की झंझट और फाइनल स्ट्रेटेजी

एक बार हम लोग जीत गए और जीतना तो है ही,

मैंने अल्टीमेट सरेंडर की लेस्बियन रेसलिंग के बहुत वीडियो देखे थे और इस समय वही दिमाग में नाच रहे थे, जीतने वाली एक फुटा स्ट्रैप ऑन डिलडो बाँध के और हारने वाली की क्या दुर्गत होती थी,...



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बस वो सब टीम के मेंबर्स को दिखाने थे और उनसे डिस्कस भी करना था क्या होना है ननदों के साथ,.. एक से एक मस्त मस्त ऑप्शन मेरे दिमाग में आ रहे थे



लेकिन तो सब तभी होगा जब गीता की कोई काट निकल जाए ,


और तभी छुटकी आती दिखी, हंसती खिलखिलाती,... उछलती




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और आते ही मेरे गले से चिपक गयी और फिर अपने आप बोलने लगी , .... वो गीता के पास से ही आ रही थी,... ये तारीफ़ ये तारीफ़

और मुझे गीता का हल मिल गया।




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छुटकी गीता और उसके भाई अरविन्द का किस्सा बताती रही और मैं सुनती रही, मुझे कुछ नया नहीं लग रहा था, पहले ही जानती थी ननद का मतलब खाली छिनार नहीं भाईचोद भी होता है और देवर स्साला अगर बहनचोद नहीं है तो उसे बहनचोद बनाना भौजाई क काम है,...

लेकिन मेरे कान खड़े हो गए जब छुटकी ने दो शर्तों की बात की तो उसी समय मैंने उसे टोक दिया, और हड़काया पूरा बोल.


मुझे लगा की गीता की चाभी मिल गयी।

और जब छुटकी ने हाल खुलासा सुनाया तो बस मैंने उसे गले से लगा लिया।


हुआ ये था की स्टेशन पर जब हम लोग थे तो अरविन्द भी था और बस छुटकी को देख के उसका टनटनाने लगा, और उसमें कोई अलग बात नहीं थी। छुटकी थी है ऐसी मेरी और उस दिन तो और रात भर जीजू ने उसके ट्रेन में रगड़ा था, चूँचियों पर ढक्क्न भी नहीं था, बिल में मलाई बजबजा रही थी,...

लेकिन अरविन्द बाबू की हालत तो एकदम ही खराब थी और उसी रात अपनी बहिनिया कम बीबी ज्यादा से अपने दिल का हाल बताया,...


लेकिन परेशानी जो गीता ने बताई वो ये थी की उसके भाई ने कसम खा रखा था की अपनी बहन के अलावा इस टोले में किसी और लड़की के साथ ( हालांकि इस अपवाद में रोपनी कटनी वाली , गाँव की भौजाइयां शामिल नहीं थीं ). बस मैं मान गयी छुटकी को जो उसने रास्ता निकाला,...

वो गीता से बोली, दीदी अरे मैं आपको तो दी ही मान रही हूँ मान क्या रही हूँ आप हैं ही,



weight lifter

गीता ने छुटकी को गले से लगा लिया आज उसने पहली बार मन की बात किसी से कही थी, बोली, ...

बहन तो हो ही मेरी प्यारी प्यारी छोटी बहन , मेरी कोई छोटी बड़ी बहन नहीं थी, तो आज मुझे एक प्यारी प्यारी सुंदर सी मस्त छोटी बहन मिल गयी, असली वाली सगी से भी बढ़के ...

बस छुटकी ने वहीँ कैच कर लिया और बोली

" दी, पक्का मैं आपकी छोटी बहन हूँ तो भैया की भी तो छोटकी बहिनिया हूँ , फिर क्या, अब बड़ी बहन के साथ उन्होंने बहुत मस्ती कर ली अब छोटी का नंबर है,... और जानती हैं मेरे कोई भाई भी नहीं, सगा भी नहीं चचेरा ही नहीं,... मेरा बड़ा मन करता था भाई चोद होने का बस, ... और भैया को बोल दीजियेगा , अगर उन्होंने जो भी ना नुकुर की जो मैं आपकी बहन हूँ छोटी तो भैया की भी छोटी बहन ही हुयी न बस हम दोनों बहनें मिल के उन्हें चोद देंगे अगर उस बहन चोद ने ज़रा भी नखड़ा किया। "

गीता खिलखिलाने लगी, और हंस के बोली, पक्का,...

" बस अबकी राखी में उन्हें राखी बाँध दूंगी और उसी राखी बंधे हाथ से जुबना दबवाउंगी, तो बोलिये वो है न मेरा भाई"

छुटकी ने हँस के कहा,... और गीता मान गयी और फिर दोनों शर्त , छुटकी ने कहा की अगर वो बहन है तो उसकी बाकी बहने भी भैया की बहन ही लगेगी ,

लेकिन मुझे कोई फरक पड़ता था चाहे मैं उसे देवर समझ के चोदू या है भाई समझ के , सगा तो मेरा कोई था नहीं और सगे की तरह जो ममेरा भाई था चार पांच दिन पहले अपनी जेठानी ननदों के सामने उसी ममेरी भाई से खुल के चुदवाया,... उस समय तो चलिए मैं कच्ची दारु के नशे में थी पर शाम को ट्रेन में तो उसे उकसा के,

बस छुटकी की दूसरी शर्त का मैंने फायदा उठाया और उसे समझा दिया की मैच के दौरान या उसके ठीक पहले, वो गीता को,...

गीता कबड्डी में आएगी तो उसके सामने छुटकी ही ,... बस शर्त के मुताबिक़ वो छुटकी को मार नहीं सकती और छुटकी के आगे हार मान जाती,...

मेरी बड़ी मुश्किल सुलझ गयी



तबतक मंजू भाभी रामजनिया और कजरी की भौजी आ गयीं,... और मंजू भाभी ने और रमजनिया ने ननदों की स्ट्रेटजी के बारे में बताना शुरू कर दिए।



मंजू भाभी ने पिछले चार साल से कबड्डी खेली थी और दो साल तो वो वाइस कैप्टेन भी थीं. रमजनिया खेलती नहीं थी क्योंकि अब तक खाली बबुआने क लड़कियां और औरतें, लेकिन रहती जरूर थी और मुझे उसकी नज़र और अकल दोनों पे भरोसा था. उसी के भरोसे मैंने चंदू का किला जीता था वरना पूरे गाँव की औरतों ने ऐसा चैलेन्ज दिया था की उसका लंगोटा खुलवाना बड़ा मश्किल है और अब ननदो की शलवार स्कर्ट खुलवानी थी, ....


छुटकी गीता और उसके भाई अरविन्द का किस्सा बताती रही और मैं सुनती रही, मुझे कुछ नया नहीं लग रहा था, पहले ही जानती थी ननद का मतलब खाली छिनार नहीं भाईचोद भी होता है और देवर स्साला अगर बहनचोद नहीं है तो उसे बहनचोद बनाना भौजाई क काम है,...



Kuch naya nahi laga 🤣🤣🤣🤣🤣
 

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छुटकी और गितवा



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तो टीम तो बन गयी थी मंजू भाभी के ही यहाँ लेकिन बस अब ये गितवा की झंझट और फाइनल स्ट्रेटेजी

एक बार हम लोग जीत गए और जीतना तो है ही,

मैंने अल्टीमेट सरेंडर की लेस्बियन रेसलिंग के बहुत वीडियो देखे थे और इस समय वही दिमाग में नाच रहे थे, जीतने वाली एक फुटा स्ट्रैप ऑन डिलडो बाँध के और हारने वाली की क्या दुर्गत होती थी,...



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बस वो सब टीम के मेंबर्स को दिखाने थे और उनसे डिस्कस भी करना था क्या होना है ननदों के साथ,.. एक से एक मस्त मस्त ऑप्शन मेरे दिमाग में आ रहे थे



लेकिन तो सब तभी होगा जब गीता की कोई काट निकल जाए ,


और तभी छुटकी आती दिखी, हंसती खिलखिलाती,... उछलती




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और आते ही मेरे गले से चिपक गयी और फिर अपने आप बोलने लगी , .... वो गीता के पास से ही आ रही थी,... ये तारीफ़ ये तारीफ़

और मुझे गीता का हल मिल गया।




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छुटकी गीता और उसके भाई अरविन्द का किस्सा बताती रही और मैं सुनती रही, मुझे कुछ नया नहीं लग रहा था, पहले ही जानती थी ननद का मतलब खाली छिनार नहीं भाईचोद भी होता है और देवर स्साला अगर बहनचोद नहीं है तो उसे बहनचोद बनाना भौजाई क काम है,...

लेकिन मेरे कान खड़े हो गए जब छुटकी ने दो शर्तों की बात की तो उसी समय मैंने उसे टोक दिया, और हड़काया पूरा बोल.


मुझे लगा की गीता की चाभी मिल गयी।

और जब छुटकी ने हाल खुलासा सुनाया तो बस मैंने उसे गले से लगा लिया।


हुआ ये था की स्टेशन पर जब हम लोग थे तो अरविन्द भी था और बस छुटकी को देख के उसका टनटनाने लगा, और उसमें कोई अलग बात नहीं थी। छुटकी थी है ऐसी मेरी और उस दिन तो और रात भर जीजू ने उसके ट्रेन में रगड़ा था, चूँचियों पर ढक्क्न भी नहीं था, बिल में मलाई बजबजा रही थी,...

लेकिन अरविन्द बाबू की हालत तो एकदम ही खराब थी और उसी रात अपनी बहिनिया कम बीबी ज्यादा से अपने दिल का हाल बताया,...


लेकिन परेशानी जो गीता ने बताई वो ये थी की उसके भाई ने कसम खा रखा था की अपनी बहन के अलावा इस टोले में किसी और लड़की के साथ ( हालांकि इस अपवाद में रोपनी कटनी वाली , गाँव की भौजाइयां शामिल नहीं थीं ). बस मैं मान गयी छुटकी को जो उसने रास्ता निकाला,...

वो गीता से बोली, दीदी अरे मैं आपको तो दी ही मान रही हूँ मान क्या रही हूँ आप हैं ही,



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गीता ने छुटकी को गले से लगा लिया आज उसने पहली बार मन की बात किसी से कही थी, बोली, ...

बहन तो हो ही मेरी प्यारी प्यारी छोटी बहन , मेरी कोई छोटी बड़ी बहन नहीं थी, तो आज मुझे एक प्यारी प्यारी सुंदर सी मस्त छोटी बहन मिल गयी, असली वाली सगी से भी बढ़के ...

बस छुटकी ने वहीँ कैच कर लिया और बोली

" दी, पक्का मैं आपकी छोटी बहन हूँ तो भैया की भी तो छोटकी बहिनिया हूँ , फिर क्या, अब बड़ी बहन के साथ उन्होंने बहुत मस्ती कर ली अब छोटी का नंबर है,... और जानती हैं मेरे कोई भाई भी नहीं, सगा भी नहीं चचेरा ही नहीं,... मेरा बड़ा मन करता था भाई चोद होने का बस, ... और भैया को बोल दीजियेगा , अगर उन्होंने जो भी ना नुकुर की जो मैं आपकी बहन हूँ छोटी तो भैया की भी छोटी बहन ही हुयी न बस हम दोनों बहनें मिल के उन्हें चोद देंगे अगर उस बहन चोद ने ज़रा भी नखड़ा किया। "

गीता खिलखिलाने लगी, और हंस के बोली, पक्का,...

" बस अबकी राखी में उन्हें राखी बाँध दूंगी और उसी राखी बंधे हाथ से जुबना दबवाउंगी, तो बोलिये वो है न मेरा भाई"

छुटकी ने हँस के कहा,... और गीता मान गयी और फिर दोनों शर्त , छुटकी ने कहा की अगर वो बहन है तो उसकी बाकी बहने भी भैया की बहन ही लगेगी ,

लेकिन मुझे कोई फरक पड़ता था चाहे मैं उसे देवर समझ के चोदू या है भाई समझ के , सगा तो मेरा कोई था नहीं और सगे की तरह जो ममेरा भाई था चार पांच दिन पहले अपनी जेठानी ननदों के सामने उसी ममेरी भाई से खुल के चुदवाया,... उस समय तो चलिए मैं कच्ची दारु के नशे में थी पर शाम को ट्रेन में तो उसे उकसा के,

बस छुटकी की दूसरी शर्त का मैंने फायदा उठाया और उसे समझा दिया की मैच के दौरान या उसके ठीक पहले, वो गीता को,...

गीता कबड्डी में आएगी तो उसके सामने छुटकी ही ,... बस शर्त के मुताबिक़ वो छुटकी को मार नहीं सकती और छुटकी के आगे हार मान जाती,...

मेरी बड़ी मुश्किल सुलझ गयी



तबतक मंजू भाभी रामजनिया और कजरी की भौजी आ गयीं,... और मंजू भाभी ने और रमजनिया ने ननदों की स्ट्रेटजी के बारे में बताना शुरू कर दिए।



मंजू भाभी ने पिछले चार साल से कबड्डी खेली थी और दो साल तो वो वाइस कैप्टेन भी थीं. रमजनिया खेलती नहीं थी क्योंकि अब तक खाली बबुआने क लड़कियां और औरतें, लेकिन रहती जरूर थी और मुझे उसकी नज़र और अकल दोनों पे भरोसा था. उसी के भरोसे मैंने चंदू का किला जीता था वरना पूरे गाँव की औरतों ने ऐसा चैलेन्ज दिया था की उसका लंगोटा खुलवाना बड़ा मश्किल है और अब ननदो की शलवार स्कर्ट खुलवानी थी, ....
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" दी, पक्का मैं आपकी छोटी बहन हूँ तो भैया की भी तो छोटकी बहिनिया हूँ , फिर क्या, अब बड़ी बहन के साथ उन्होंने बहुत मस्ती कर ली अब छोटी का नंबर है,... और जानती हैं मेरे कोई भाई भी नहीं, सगा भी नहीं चचेरा ही नहीं,... मेरा बड़ा मन करता था भाई चोद होने का बस, ... और भैया को बोल दीजियेगा , अगर उन्होंने जो भी ना नुकुर की जो मैं आपकी बहन हूँ छोटी तो भैया की भी छोटी बहन ही हुयी न बस हम दोनों बहनें मिल के उन्हें चोद देंगे अगर उस बहन चोद ने ज़रा भी नखड़ा किया। "

“”


Waaaah
 

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Update posted,

update is small as but i thought it is better to move forward the story, ... i have already told that this week i am preoccupied, now please do read it, enjoy and post the comments along with the suggestions for Kushti
Thanks komaalrani ji apne busy samay mei se kuch waqt humare liye bhi nikala , after all this is all fun and we all have bigger role and responsibility out of the xforum world
 

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कुछ मित्रों ने यह प्रश्न किया था की क्या पिछले दो प्रसंगों के बाद गितवा और अरविन्द कहानी के बाहर हो जाएंगे,

इस पोस्ट से यह स्पष्ट हो गया होगा की ऐसा नहीं है , गीता और अरविन्द दोनों रहेंगे हाँ अब कहानी के बाकी पात्र एक बार फिर प्रमुखता में आएंगे

छुटकी, छुटकी की बड़ी बहन, उनकी ननद, सास और पति,... और गाँव की अन्य लड़कियां और औरतें,...

बस एक बात और

यह कहानी मजा पहली होली का, ससुराल में का सीक्वेल है और जहाँ वह कहानी खतम होती है छुटकी की अपने दीदी जीजा के साथ जीजू के मायके की ट्रेन यात्रा, वहीँ से ये शुरू होती है और पहले २७ भाग तक उसी तरह चलती है, होली और छुटकी की दीदी के गाँव के परिवेश में

मेरे कुछ मित्रों का आग्रह था मैं कभी इन्सेस्ट में भी लिखने की कोशिश करूँ

मजा पहली होली का, ससुराल में इसी बात से शुरू हुयी थी की इसमें कुछ भी अग्राह्य या टैबू, निषिद्ध नहीं होगा,... और यह कहानी उसी का सीक्वेल है तो

और छुटकी या उसकी दी का इन्सेस्ट का रिश्ता नहीं हो सकता था क्योंकि उनके कोई सगे भैया नहीं थे, इसलिए पहले नैना और सास की बात चीत में गीता का जिक्र आया

और भाग २७ से ५४ तक कहानी एक इन्सेस्ट कथा के रूप में ही चली,


और दूसरी बात

क्या इस कहानी में क्या आगे इन्सेस्ट प्रसंग नहीं आएंगे

हो सकता है आएं, लेकिन बस वो तड़के की तरह होंगे , अरविन्द और गीता की तरह भाग २७ से भाग ५४ तक चलने वाले नहीं जो लगभग एक कहानी के बराबर है

सभी मित्रों का आभार जिन्होंने मेरे बेबी स्टेप्स का इन्सेस्ट के क्षेत्र में सपोर्ट किया, सराहा।

अब बात होगी कुछ अगली पोस्टों में सिर्फ ननद भौजाई की कबड्डी की।
Thanks aapne hum sab ki request maan ke incest ke plot ko nahi bas add ki balki itne vistar mei submerge bhi kiya , aap se yahi request rahegi ki aage bhi jab mauka mile please incest ka tadka lagate rahiyega and arvind aur uski maa ka personal time wala kissa to reh hi gaua uska bhi kuch ho jataa ..!!!!!!!!!
 

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Dear Komaal Ji

Suggestion 1 - Well I think mere one strap-on won't be enough either so every frontliner should possess one and wear it mischiefly.

2. Attack is the best defence, so initiate attack ruthlessly and mercilessly. It will surprise them most and will make them stunned and numbed, hence violated easily.

Regards
Yes attack is the best defence , ye naya india hai ghuss ke marta hai
 

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Wah Komalji ajib creativity he. Kya baki kadi se kadi jodi. Bauji kamane me. Maiyaji chu.....

Gitva ko ne bhi kya kya apne ghar ke raaz jan rakhe he. Amezing
🤣🤣🤣🤣 aapne to wo superhit kahani ki yaad dila di

गीतवा के पापा कमाने में और गीतवा की मम्मी चुदवाने में……​

 
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