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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

Shetan

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बहुत दिनों बाद दिखी इस सूत्र पर...
आपकी कमी खल रही थी...
अब लगता है जैसे जान आ गई है....

अपने घर को छोड़ कर जाने वाले/वाली की पीड़ा को बड़ी खूबसूरती से दर्शाया है....
Kya kare. Kuchh majburiya he. Varna kon kabakht komalji ke sabdo se dur jana chahta he. Abhi bhi time lagega.
 

Shetan

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बहुत दिनों बाद दिखी इस सूत्र पर...
आपकी कमी खल रही थी...
अब लगता है जैसे जान आ गई है....

अपने घर को छोड़ कर जाने वाले/वाली की पीड़ा को बड़ी खूबसूरती से दर्शाया है....
Kya kare. Kuchh majburiya he. Varna kon kabakht komalji ke sabdo se dur jana chahta he. Abhi bhi time lagega.
 

motaalund

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भाग ५७- कुश्ती ननद भौजाई की -

छुटकी और गितवा

9,41,000


weight lifter

अभी कहानी वापस मुड़ रही है जहाँ से मुड़ी थी या ननद भौजाई के बीच कबड्डी की तैयारी,..बस दो घंटे बचे हैं , कब से भौजाइयां लगातार हार रही हैं लेकिन अबकी पासा पलटना है , स्ट्रेटजी बनानी है , टीम का फाइनल करना है और टीम मेंबर्स के साथ बैठ के स्ट्रेटजी सेट करनी है तो बस

और घड़ाइये मत , गीता और छुटकी की आखिर में क्या कानाफूसी हुयी ,क्या बात छुटकी ने मानी और क्या शर्तें रखीं सब ,..
छुटकी अभी ननदो से होली खेल के लौटी नहीं पर मैं परेशान थी,



नहीं नहीं छुटकी के लिए नहीं, उसके तो अब खेलने खाने के दिन थे,... और ननद छिनार हों वो भी नैना ऐसी तो,...

मेरी परेशानी ननदों को लेकर ही थी लेकिन दूसरी,...

मंजू भाभी के यहाँ मैंने गाँव की अपनी जेठानियों को बोल तो दिया था की अबकी ननदों को हम लोग न सिर्फ हराएंगे बल्कि खुल के उनकी गाँड़ मारेंगे भी गाँव के बीच में खुले मैदान में और अपने देवरों से भी अगले दिन मरवाएँगे,...



weight lifter

दो चार उमर में थोड़ी बड़ी जेठानियों ने मुंह भी बिचकाया,..सोच रही थी ये नयको नयी आयी आयी है पहली होली है इस गाँव की,... कुछ दिन पहले घूंघट छूटा है बस खाली माँ ने बढ़ बढ़ के बोलना सिखाया है, पर मंजू भाभी को पूरा भरोसा था मेरे ऊपर जिस तरह से चुन्नू की में थोड़ी देर पहले नथ उतारी थी और एक बहुत बड़ा चैलेंज गाँव की भौजाइयों ननदों सब का पूरा किया था, सुबह सुबह आज, चंदू ब्रह्मचारी देवर से तीन राउंड कुश्ती खेल के आ रही थी , और अब एक बार उसका लंगोट खुल गया तो वो नाग लंगोट में बंद होने वाला नहीं था. और ये भरोसा मंजू भाभी के साथ मेरी बाकी जेठानियों का भी था,...

मैंने बोल तो दिया और इस बार की कैप्टेन मंजू भाभी थीं तो मेरे मन की बात सुन सोच के उन्होंने टीम भी एकदम से बदल दी,...

४ हमलोगों के टोले की बाहर वाली, काम करने वालियां, लेकिन देह की बहुत कड़ी खूब जांगर वाली,



weight lifter

दो तीन ऐसी भौजाइयां जो अभी लड़कोर नहीं थीं, तीन चार साल पहले गौना हुआ था,..


weight lifter

मंजू भाभी और दो उमर में थोड़ी बड़ी लेकिन जो मानती थीं की हाँ हम लोग जीत सकते हैं,... जो मैच के पहले हार मान जाए सिर्फ रस्म रिवाज के लिए मैच खेले,...वैसी एकदम नहीं फायटिंग स्प्रिट हम लोगों से भी ज्यादा और अनुभव भी

जैसे दूल्हे को दुल्हिन लाने पे दूल्हे के मायके में कोहबर में पासा खिलाया जाता है , दूध में अंगूठी डाल के ढुंढवायी जाती है और बगल में बैठी भौजाई कान में देवर को समझा देती है, अगर गलती से भी एक बार जीत गए न,... तो ये मिठाई जो बगल में बैठी है आज रात में नहीं मिलेगी खाने को सोच लो,...





weight lifter

और वो बेचारा तीनों बार हार जाता है,... फिर मौरी सेरवाने में नयी बहु, उसकी दुल्हन के सामने गांव की भौजाई सब अपनी ननदों को उसकी बहन को उसी का नाम लग लगा के खूब गरियाती है, लेकिन बगल में बैठी 'मिठाई ' के लालच में वो सब कुछ करता है,...

तो मेरी बात मान के टीम भी बदल गयी थी जो नयी नयी चार को शामिल किया गया था वो सब मान भी गयीं थी,... और थोड़ी देर में टीम की मीटिंग थी, पर बारह आने का खेल तो अभी होना था , टीम की स्ट्रेटजी तय करनी थी,... और ये तो मुझे ही करनी थी,...कैप्टेन मंजू भाभी जरूर थीं लेकिन सब जिम्मेदारी मेरे कंधो पर और अब टीम मेरे कहे अनुसार बन गयी थी पुरानी टीम के ६-७ सीनियर खिलाड़ी बदल गए थे तो,... अब तो कोई बहाना भी नहीं

और फिर इस ननद भौजाइयों की कबड्डी की हार जीत पे बहुत कुछ होना था,.... एक तो ननदों का घमंड,... वो भौजाई कौन जो ससुराल में पहुँच के ननद की नाक न रगड़वा दे,... अरे दुश्मन को दुश्मन के किले में हराना ही असली जीत है, अपनी गली में तो,...

लेकिन कैसे, ...


जो जीतता है उसकी बात न सिर्फ होली में, रंगपंचमी में बल्कि साल भर अगली होली तक चलती है अगर हम लोग जीत गए तो बस इस रंगपंचमी में नहीं साल भर,... और ये बात कौन भौजाई नहीं चाहेगी की ननद चुपचाप उसका कहा करती रहे, उसकी चुगली अपनी माँ से भाई से न करे,... और हम लोग जीत गए तो ऐसी रगड़ाई करवाउंगी उन सब की,... और अब तो ननद के भैया मोबाइल लाये हैं जो फोटो भी जबरदस्त आती है और वीडियो भी , बस सब कुछ रिकार्ड होगा,... लेकिन जीते तो सही है और उस के लिए बात थी स्ट्रेटजी की,

मैंने एक बार फिर ठन्डे दिमाग से सोचना शुरू किया,...

मुझे शुन त्जू की बात याद आयी, नो योर एनेमी ,...


और मैं नयी नयी इस गाँव में,... तो सबसे पहले ननदो की टीम की स्ट्रेंथ, ... और अलग अलग खिलाड़ियों की ताकत,....

फिर उनकी स्ट्रेटजी,... और वीकनेस,... वीकनेस का तो खैर मुझे अंदाजा था , उन सबका ओवरकॉन्फिडेंस और बड़बोलापन,... लेकिन अलग अलग खिलाड़ियों की कमजोरी इंडिविजुअल अगर पता चल जाए,...कबड्डी में जब कोई आपके पाले में आता है तो वो अकेला होता है और उस समय अगर उस की कमजोरी मालूम है तो उसे पटकना बहुत आसान है,... फिर पिछले मैचों में उनकी स्ट्रेटजी,...

वो तो खैर मंजू भाभी और बाकी दो मेरी जेठानियाँ जो प्रौढ़ा थीं और पिछले पांच छह साल से कबड्डी का ये मैच खेल रही थीं , उनसे ननदों की ट्रिक्स पता चल जायेगी,... और उनकी स्ट्रेंथ में सबसे बड़ी थी लीडरशिप, अबकी नैना वापस आ गयी थी और नैना की बात सब मानती थीं , वो थी भी बहुत शातिर दिमाग, एकदम असली ननद,...



weight lifter

लेकिन ऐसी ननद के साथ ही तो ननद भौजाई का मजा आएगा,... लेकिन नैना के बारे में मैंने तय कर लिया था , डिफेन्स इस बेस्ट आफेंस, ... उसके आते ही हम सब पीछे हट जाएंगे और बस बचने की कोशिश करेंगे,... और वो मुझे या किसी तगड़े प्लेयर पे निशाना लगाएगी तो किसी प्रौढ़ा को आगे कर देंगे , सैक्रिफाइस के तौर पे,... लेकिन देर तक छकाने के बाद,... और फिर जो बाकी आएँगी तो उन्हें तो रगड़ रगड़ के,...

और बाद में अगर वो बच भी जायेगी तो क्या,...

लेकिन मेरी सब जेठानियाँ गीता की ताकत की भी तारीफ़ कर रही थीं और काठ की हांड़ी दो बार तो चढ़ती नहीं तो गीता की तो काट तो ढूँढ़नी पड़ेगी और वो मुझे सबसे कठिन लग रहा था,... पिछले साल नैना नहीं थी तो गितवा ने ही भौजाइयों को दौड़ा दौड़ा के,...


और अगर ननदें हार गयीं तो उनसे क्या क्या करवाएंगे,....

कोई कह सकता है की इससे क्या फरक पड़ता है लेकिन ये बहुत जरूरी था प्लान करना मेरी टीम के मेंबर्स को मोटिवेट करने के लिए,...

पहले भी जीतने के बाद सिपाहियों को दो तीन दिन तक लूटने की पूरी छूट मिलती थी , सिर्फ धन सम्पत्ति ही नहीं, लड़कियां औरतें भी,... जितो वा भोक्ष्यते महीम,... और दूसरा ऑप्शन मैंने कभी न दिया न सोचा,...

मैंने अल्टीमेट सरेंडर की लेस्बियन रेसलिंग के बहुत वीडियो देखे थे और इस समय वही दिमाग में नाच रहे थे, जीतने वाली एक फुटा स्ट्रैप ऑन डिलडो बाँध के और हारने वाली की क्या दुर्गत होती थी,... बस वो सब टीम के मेंबर्स को दिखाने थे और उनसे डिस्कस भी करना था क्या होना है ननदों के साथ,.. एक से एक मस्त मस्त ऑप्शन मेरे दिमाग में आ रहे थे

लेकिन तो सब तभी होगा जब गीता की कोई काट निकल जाए ,

उफ़ आप भूल गए कबड्डी वाली बात, चलिए पन्ना पलट के आप को याद दिला ही देती हूँ मंजू भाभी के यहाँ जो बातें हुयी थी फिर ढूंढती हूँ गीता की काट
और वो बेचारा तीनों बार हार जाता है,... फिर मौरी सेरवाने में नयी बहु, उसकी दुल्हन के सामने गांव की भौजाई सब अपनी ननदों को उसकी बहन को उसी का नाम लग लगा के खूब गरियाती है, लेकिन बगल में बैठी 'मिठाई ' के लालच में वो सब कुछ करता है,...

अब तो मौरी का चलन लगभग खत्म हीं हो गया है...
लेकिन फिर भी कहीं कहीं....
 

motaalund

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Kya kare. Kuchh majburiya he. Varna kon kabakht komalji ke sabdo se dur jana chahta he. Abhi bhi time lagega.
सही कहा.. कुछ तो मजबूरियां रही होंगी... वरना कोई यूं हीं बेवफा नहीं होता...
 

komaalrani

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komaalrani

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Well begun is half done.
इसे हमारी तरफ स्थानीय बोली में...
"नाधा तो आधा.."
कहते हैं...

और जीत का इनाम लेस्बियन रेसलिंग की तरह हीं ..बल्कि उससे भी बीस.. लेकिन स्थानीय पुट भी हो....
टीम का सेलेक्शन .. जब चुन चुन कर हो तो ..
कर लो दुनिया मुट्ठी में...
एकदम सही कहा आपने

टीम का सेलेक्शन सही होने से आधी जंग जीत ली गयी और गितवा के सवाल का जवाब छुटकी ने दे दिया, बस अब चार आने की स्ट्रेटजी और प्लानिंग बाकी की असली कबड्डी में

जो आपने कहा है वैसे ही होगी कबड्डी।
और जीत का आधा इनाम तो लेस्बियन रेसलिंग में लेकिन असली अगले दिन जब कुंवारे कच्चे केले टाइप देवर भी मैदान में रहेंगे और उनकी आँखों पर पट्टी बांध के,... अगर ननदें हार गयीं तो बस सगी बहन तो सगी नहीं तो चचेरी फुफेरी जो भी हो,... न कोई कुँवारी ननद बचेगी न देवर और सब भाभियों के सामने,... हो हल्ले के साथ।
 

komaalrani

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कबड्डी तो घर के बड़े आंगन में हीं...
रात में जब घर के मर्द खाने के बाद दालान पर सोने गए तो...
औरतें सब कबड्डी की तैयारी..
और क्या कुश्ती टाइप कबड्डी होती थी...
लेकिन ये सब आधी रात के पहले तक हीं...
फिर आधी रात के बाद एक एक करके मर्द सब अपनी बीवियों के पास और सुबह होने से पहले वापस दालान पर...
क्या याद दिला दिया आपने

लेकिन असली मस्ती होती थी बारात के जाने के बाद, लड़कियां औरतें तो जाती नहीं थी,... और एकाध बड़े बुजुर्ग टाइप जो बचते थे उन्हें घर से बहुत दूर,... एक असली वाकया है , एक जेठ रुके थे घर के बाहर बरात जाने के,... जब वो सो गए तो उनकी भी भौजाइयां थीं, बस चार ने बसखटिया पकड़ी और उठा के पास के बगीचे में,...

और क्या नहीं होता था कहीं डोमकच बोलते कहीं रतजगा तो कहीं,...

और साथ साथ दर्जनों रस्में, जब लग जाता था की लड़की वाले के यहाँ शादी की रस्म हो गयी होगी तो उसके बाद आंधी तूफ़ान की घरिया खोली जाती थी,...

कोई कुछ बनता था कोई कुछ,... पुलिस वाला, वैद्य,... और सुबह होने के पहले लड़का भी होता था कपडे का बना,... और एक से एक

मेरी कुछ कहानियों में हल्का सा जिक्र आया है इस का ,
 

komaalrani

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इस होली पर कबड्डी के लिए फुलवा नहीं आई...
इसका अफसोस है...
ननदों को कुछ दांव पेंच... अपने अनुभव से...
दो बातें

पहली बात तो फुलवा गाभिन है इसलिए उसका

दूसरे इस खेल में खाली बबुआन की लड़कियां भौजाइयां भाग लेती थीं और पहली बार चार बाकी टोले वाली भौजाइयां सरप्राइज पॅकेज में वो भी ये मान के की अपोजिशन होगा उसका तो निबटेंगे
 

komaalrani

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इतनी अगाध जानकारी नहीं थी...
शब्द की उत्पत्ति तथा अपभ्रंश ...
और उस परिवेश के संदर्भ में व्याख्या...
आपसे सीखने को बहुत कुछ है...
:blush::blush:🙏🙏
 

Sutradhar

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" हे देगी "








अब तक गीता भी गरम हो गयी थी , मुस्करा के अपने चूतड़ कस के उठाती बोली,...

" चोद बहनचोद, मेरे बहनचोद भाई , चोद अपनी बहन की चूत हचक के दिखा दे तू कित्ता बहनचोद है "

बस इतना काफी था,... और उसके भाई ने बहन को दोनों चूँचियों को कस के पकड़ा, और जोर जोर से दबाते मसलते , पहले तो पूरा का पूरा ८ इंच बाहर निकाला और पूरी ताकत लगा के , एक धक्के में ही सुपाड़े ने बहन की बच्चेदानी पे वो जबरदस्त चोट मारी की गीता झड़ने लगी ,



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ऊपर से बादल झड़ रहे थे नीचे से बहन, ... काँप रही थी , हिल रही थी और भाई का मूसल जड़ तक धंसा , वो चुपचाप उसके ऊपर लेटा,... लेकिन उसके हाथ आज जैसे बदला ले रहे हों , बहन के इन उभारों ने जिसे देखे ही न जाने कितने दिनों से उसकी पैंट टाइट हो जाती थी, आज उसके हाथों में थे। खूब कस के रगड़ रहा था मसल रहा था,....



और धक्के एक बार फिर चालू हो गए जैसे बहन का झड़ना रुका और अब वो शुरू से ही चौथे गियर में और उकसा के जो बहन के मुंह से सुनना चाहता था , अब वो खुल के बोल रही थी,...



" चोद, बहनचोद चोद , चोद अपनी एकलौती सगी छोटी बहन की चूत, फाड़ दे ,... बहुत अच्छा लग रहा है , चोद, चोद ,... "

और साथ में बूंदो का संगीत, उन दोनों की देह पर सावन की बरसती रिमझिम की धुन, तेज हवा में सर हिलाते झूमते साथ में जैसे ताल देते आंगन का पुराना नीम का पेड़

, जिसके नीचे कितनी बार दोनों भाई बहन खेलते थे, गीता अपनी गुड़िया की शादी की तैयारी रच रच के करती थी और उसका भाई उसे बिगाड़ने पे तुला रहता था,...

उसके नीचे दबी आंगन के कीचड़ में लथपथ, ...दो दो बार झड़ने के बाद , एकदम चुद चुद के थेथर होने पर भी,
अपने भाई के हर धक्के की ताल पर नीचे से चूतड़ उछालती, उसे बाहों में कस कस के भींच के कभी चीखती कभी सिसकती तो कभी अपने दांतों से भाई के कंधो काटती, नाखूनों से उसके पीठ को नोचती



अगर, भाई के धक्के एक पल के लिए भी धीमे होते या जान बूझ के वो रोकता,...

अब रिश्तों में हसीन बदलाव एकदम पूरा था अब सिर्फ एक रिश्ता था , दुनिया का सबसे मीठा ,



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कभी खुद सर उठा के अपने ऊपर चढ़े भाई के होंठों को चूम लेती, चूस लेती , भाई के चेहरे को भिगो कर, भाई के देह से रस से भीगी बारिश की बूंदों को होंठो की अंजुली बना, चुल्लू चुल्लू पी लेती,

कितनी प्यासी थी वो, पर अब उसके भाई के देह की हर बूँद अब सीधे उसके भीतर उसकी देह में समाएगी, जैसे भाई के ऊपर हो रही सावन की बारिश,... की हर बूँद छलक के उसकी देह पर पड़ रही थीं,... और वो अपनी बांह पाश में बांधे भाई को और कस कस के अपनी ओर, अपने अंदर खींच रही थी, अपने अंदर घुसे भाई को अपनी योनि भींच भींच के बता रही थी अब नहीं छोड़ने वाली वो उसे,...

सावन अब तक कितनी बार बरसा था, कितनी बार माँ के मना करने पर भी भीगी थी वो,

पर आज सावन की बात ही और थी, देह पर बरसता सावन और देह के अंदर बरसता भाई का,...

गीता की देह के हर अंग भाई से हजार हजार बातें बिन बोले कर रहे थे, अब तक की तपन, प्यास, चढ़ती जवानी की चुभन, अगन


और उस की हर बात का जवाब आज उस केभाई अरविन्द के धक्के दे रहे थे , जैसे इस बरसते पानी में गीली मिट्टी और कीचड़ में बहन की चूत वो फाड़ के रख देगा।

औरअरविन्द ने साथ में कचकचा के उसके निप्स काटे और बोला, सुन आज के बाद से से अगर तूने मेरे सामने चूत, बुर लंड गाँड़ चुदाई के अलावा कुछ बोला न ,... "


नहीं बोलूंगी , भैया , बस तो ऐसे ही चोदता रह , ओह्ह भैया कित्ता अच्छा लग रहा है ,... "

उसने माना और थोड़ी देर बाद बरसते पानी में वो दोनों बरस रहे थे,...

और झड़ने के बाद भी एक दूसरे की बाँहों में गीली मिट्टी पे बहुत देर तक पड़े रहे,... और उठने के बाद दोनों ने बारिश की पानी से ही एक दूसरे को साफ़ किया ,...



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वो तो और देर तक भीगती रहती बारिश में इत्ता अच्छा लग रहा था, बिना कपड़ों के साथ साथ इस तरह भीगना,

पर भाई ने खींच के उसे बरामदे में किया, और तौलिये से उसे साफ़ किया रगड़ रगड़ के ( बदमाश, ... जो कटोरी भर मलाई उसकी ताल तलैया में छोड़ा था, और रिस रिस के उसकी गोरी मांसल जाँघों पे बूँद बूँद बह रहा था, उसे भैया ने वैसे ही छोड़ दिया ),

बारिश बंद हो गयी थी, बस छज्जों से, आँगन के नीम के पेड़ की डालियों, पत्तों से, पुनगियों से अभी भी बची हुयी बूंदे रह रह के टप टप गिर रही थीं,...





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मुंडेर के पास एक गौरइया, आंगन में झाँक रहे पीपल की के पत्ते की छतरी बना अभी भी बैठी थी,....


" हे चल भूख बहुत लगी है, खाना निकाल , अभी बारिश बंद है, थोड़ी देर जा के खेत का बाग़ बगीचे का हाल देख लूँ, अगर ग्वालिन भौजी आएँगी तो गाय गोरु का भी,... "

और वह तैयार होने अपने कमरे में, गीता भी अपने कमरे में, कपडे पहनते ही जो लाज अभी आँगन में बह कर कीचड़ माटी के साथ धुल गयी थी, थोड़ी थोड़ी वापस आ गयी,... और फिर वो रसोई में, ... सच में भैया को निकलने की जल्दी होगी,...


कल तो गीता ने गुड़ वाली बखीर बना के पूए के साथ भैया को खिलाया था, लेकन उसे मालूम था की भैया को दाल भरी पूड़ी बहुत पसंद है , तो उसने दाल भरी पूड़ी के साथ चावल की खीर, आलू की रसे की सब्जी, चटनी, सब कुछ भैया की पसंद का ही बनाया था।



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और फिर भैया की पसंद का जो खाना बनाया था , उसकी गोद में बैठ के कभी बहन ने अपने कभी होंठों से बहुत प्यार से भैया को खिलाया,... बारिश रुकी हुयी थी लेकिन बादल अभी भी घिरे थे और आज रात फिर जम के बरसने के आसार थे ...


और भाई एक बार फिर बाहर खेती किसानी की हाल चाल लेने और बहन रसोई में ,...


जल्दी जल्दी बर्तन वर्त्तन साफ़ करके रसोई समेट के रात के खाने का इंतजाम भी भैया के आने के पहले कर लेना चाहती थी, रसोइ में वो लगी थी पर मन में बस एक बार उमड़ घुमड़ रही थी,

माँ एक दो दिन और न आये,... वैसे भी मामा के यहाँ से वो देर रात को ही आती थी और अगर एक बार पानी बरसना शुरू हो गया तो,... अक्सर तो उन के गाँव की बस भी एक दो दिन बंद हो जाती थी तेज बारिश में कहीं कच्ची सड़क कट गयी, ... बस एक दो दिन और भैया के साथ , कम से कम आज रात को,... लेकिन उसके चाहने से क्या होता है , अगर कहीं माँ न आये तो,... पर तू तो अपना काम जल्दी समेट, तेरा भाई आ गया न तो उसे एक ही काम सूझता है , उसने अपने मन से बोला,

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घंटे दो घंटे बाद जब, अरविन्द उसका भाई खेत का काम धाम देख के लौटा तो लौटा तो बहन ,.

.क्या सेक्सी माल लग रही थी,...


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उसे मालूम था की उसके भैया को क्या पसंद है ,

लड़के भले ने समझे, सोचें वो चोरी चुपके अपने माल को ताड़ रहे हैं, लेकिन लड़कियाँ बिना उनकी ओर देखे , नजर का खेल समझ लेती हैं, ...और साल भर से वो देख रही थी,... उसके स्कूल के टॉप से झांकते छलकते उसके उभार,...

और अभी उसने जान बूझ के दो साल पहले की स्कूल ड्रेस की सफेद टॉप,... कब से उसने नहीं पहनी थी,... उस समय तो बस उभार आने ही ही शुरू हुए थे, ब्रा भी नहीं पहनती थी,.. बड़ी मुश्किल से उसके अंदर घुसी,...

बिना ब्रा के भी उन कबूतरों को बंद करना मुश्किल था , और उसे ऊपर की दो बटने भी खोलनी पड़ीं, गोरी गोरी गोलाइयों का उभार , गहराई सब एकदम साफ़ साफ़ दिख रही थी,...

और स्कर्ट भी उसी के साथ की,... तब से वो लम्बी भी हो गयी थी , गदरा भी गयी थी,... स्कर्ट घुटनों से बहुत ऊपर ख़तम हो जाती थी और उसकी गुलाबो से बस बित्ते भर नीचे, हाँ घेर बहुत था,...

भैया जब घर आया, बारिश तो कब की बंद हो चुकी थी , लेकिन बादल उसी तरह घिरे,...

शाम होने थी,काले काले बादलों में हों रही शाम की सिंदूरी आभा बस जब तब झलक उठती थी , जैसे खूब गहने श्यामल बालों के बीच नयी दुल्हन की मांग,...



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वो आते ही मूड में था और गीता को देख के उसका अपने आप टन्नाने लगा,...

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उसकी निगाहें बहन के छोटे छोटे जुबना पे,.. वो हिरणी मुस्करा रही थी और उसकी चिढ़ाती निगाहें , भैया के खड़े प्यासे खूंटे पे एकदम बेशर्मी से चिपकी,...


भाई बहन में क्या शरम , बचपन में डाक्टर नर्स खेलते , कित्ती बार एक दूसरे का देखा भी है , छुआ भी है , पकड़ा भी है ,...



" हे देगी " ... भाई ने छेड़ा,...



" क्या भैया,... " अपने उभारों को हलके से उभारते, निगाहों से चिढ़ाते, उकसाते , बहुत भोलेपन से उसने पूछा




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कोमल जी,

ये दाल भरी पूड़ी को अपने यहां बेड़ई बोलते हैं ये वही है ना, आलू की रसीली सब्जी के साथ वाली।

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