कुछ मित्रों ने यह प्रश्न किया था की क्या पिछले दो प्रसंगों के बाद गितवा और अरविन्द कहानी के बाहर हो जाएंगे,
इस पोस्ट से यह स्पष्ट हो गया होगा की ऐसा नहीं है , गीता और अरविन्द दोनों रहेंगे हाँ अब कहानी के बाकी पात्र एक बार फिर प्रमुखता में आएंगे
छुटकी, छुटकी की बड़ी बहन, उनकी ननद, सास और पति,... और गाँव की अन्य लड़कियां और औरतें,...
बस एक बात और
यह कहानी मजा पहली होली का, ससुराल में का सीक्वेल है और जहाँ वह कहानी खतम होती है छुटकी की अपने दीदी जीजा के साथ जीजू के मायके की ट्रेन यात्रा, वहीँ से ये शुरू होती है और पहले २७ भाग तक उसी तरह चलती है, होली और छुटकी की दीदी के गाँव के परिवेश में
मेरे कुछ मित्रों का आग्रह था मैं कभी इन्सेस्ट में भी लिखने की कोशिश करूँ
मजा पहली होली का, ससुराल में इसी बात से शुरू हुयी थी की इसमें कुछ भी अग्राह्य या टैबू, निषिद्ध नहीं होगा,... और यह कहानी उसी का सीक्वेल है तो
और छुटकी या उसकी दी का इन्सेस्ट का रिश्ता नहीं हो सकता था क्योंकि उनके कोई सगे भैया नहीं थे, इसलिए पहले नैना और सास की बात चीत में गीता का जिक्र आया
और भाग २७ से ५४ तक कहानी एक इन्सेस्ट कथा के रूप में ही चली,
और दूसरी बात
क्या इस कहानी में क्या आगे इन्सेस्ट प्रसंग नहीं आएंगे
हो सकता है आएं, लेकिन बस वो तड़के की तरह होंगे , अरविन्द और गीता की तरह भाग २७ से भाग ५४ तक चलने वाले नहीं जो लगभग एक कहानी के बराबर है
सभी मित्रों का आभार जिन्होंने मेरे बेबी स्टेप्स का इन्सेस्ट के क्षेत्र में सपोर्ट किया, सराहा।
अब बात होगी कुछ अगली पोस्टों में सिर्फ ननद भौजाई की कबड्डी की।