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भाग ६३
जीत गयीं भौजाइयां
10,71,987
मिश्राइन भाभी अब बाहर बैठी भौजाइयों को ललकार रही थीं,... कउनो स्साली छुप के बच के जानी नहीं चाहिए,... आपन आपन माल छांट लो,... अरे वो देखो मितवा कहाँ छिप रही है, अरे आज तोहरी महतारी के भोंसड़ी में से निकाल ले आएंगे , कहाँ जाओगी तोहार भैया भी नहीं है जिनसे चुदवाने जा रही है
बड़ी जोर से आवाज आयी मेरी एक जेठानी की,... " अरे हमरे देवर से तो रोज चुदवाती हो आज भौजाई से चोदवाय के मजा लो,... आज बिन चोदे गाँड़ मारे छोड़ना नहीं,...
वो वही थीं जिन्होंने मंजू भाभी के यहाँ मेरी बात मना की थी कि हम लोग ननदों को हरा देंगे बस थोड़ी सी स्ट्रेटजी, बोली फालतू अरे नयको तोहार पहली होली है, चुपचाप हार मानने में ही अरे पिछले चार साल से मैं टीम में हूँ , पर साल तो खाली गीता थी अबकी नैना भी आगयी,... अब तो किसी सूरत में भौजाई नहीं जीत सकतीं,... "
जब टीम बनी तो हम लोगों ने उन्हें मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया था और आज हम जीत की ओर थे तो सबसे जोश में वही,..
मैं बार बार कभी नैना कभी पायल , लेकिन कभी किसी के इतना पास नहीं जाती थी की दोनों ओर से घिर जाऊं,...
तभी एनाउंस हुआ बस एक मिनट और,...
और चमेलिया, गुलबिया पायल को चिढ़ा रही थीं,...
रात पायल कहाँ बजी,... हमरे भैया के संग बजी, हमरे भैया से चोदावत बजी, गाँड़ मरावत बजी,
मैंने एक बार फिर पायल की ओर हमला किया, तेज वो भी थी कम्मो इतना तो नहीं फिर भी, कन्नी काटने में बहुत तेज, अचानक से मुड़ कर वो मेरे पीछे पहुँच गयी और नैना भी दूसरी ओर से बढ़ी,... मैं उस समय बाएं और थी ,
चमेलिया गुलबिया बोल रही थीं वापस, वापस
पर मैंने नैना को पास आने दिया,... और फिर तीर की तेजी से दाएं छोर पे मैदान के अब उन दोनों को मैं ललचा रही थी,
जो मुझे पकड़ लेगा उसकी की गाँड़ में मैं मुट्ठी नहीं करूंगी, ... ( मैंने ये नहीं कहा था की उसकी गाँड़ में मुट्ठी नहीं होंगी, चमेलिया और गुलबिया दोनों बौरायीं थी पायल की गाँड़ मारने के लिए , लेकिन कल पहले अपने सगे भैया के खूंटे के ऊपर चढ़ेगी उसके बाद,... )
हे पायल, तय कर लो मेरे किस किस देवर से कल चुदवाओगी,...
मैं खड़े खड़े चिढ़ा रही थी पर साथ साथ कनखियों से देख रही थी नैना चुपके से पीछे की ओर ,.... और मैं भाग कर लाइन के पास वहां से एक बार फिर उन दोनों को ललचा रही थी,...
तबतक अनाउंस हुआ टाइम ओवर मैं लाइन के पास ही थी, मैंने लाइन अपनी ओर पार कर ली,...
एक बार मंजू भाभी, दूबे भाभी,... मोहिनी और रज्जो ने जोर का हल्ला किया, चमेलिया और गुलबिया ने साथ साथ लाइन पार की और पायल को दबोच के आराम से पहले उसका टॉप फाड़ा और कुछ बोला,... लेगिंग उसने खुद उतार के चमेलिया को पकड़ा दी,
जीत के हल्ले में कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा था, भौजाइयां जैसे पागल हो गयीं थी।
खूब जोर जोर से हो हो की आवाजें, एक से एक गालियां सब ननदों का नाम ले ले के और बाहर बैठी भौजाइयों ने नंदों को छाप लिया, अबतक जो ननदें चुन चुन कर गालियां दे रही थीं, ललकार रही थीं, किसी की आवाज सुनाई नहीं पड़ रही थी, एक एक ननद पर दो दो तीन तीन भौजाई,... दो चार बाहर निकलने के रस्ते पे कोयो ननद पेड़ पे चढ़ के न छिप जाए, कोई बाग़ में भागने की कोशिश न कर पाए
चारों ओर चररर चर्रर्र की आवाज ही सुनाई पड़ रही थी, कोई ननद अगर खुद ही शलवार खोलने को मान भी जाए तो भौजाइयां बस फाड़ने में लगी हुयी थीं, कुछ ही देर में सब ओर फटे हुए टॉप, कुर्ती, लेगिंग, शलवार, न कोई भौजाई उमर देख रही थी न नंदों की चीख पुकार सुन रही थी,... इत्ते साल बाद मौका मिला था,...
और एक बार मैं फिर लाइन के पार थी दौड़ती हुयी, नैना कबड्डी के मैदान के दूसरी ओर अकेले थी, ...
अपने घुटनों के बल बैठी, मुझे देख कर खड़ी हुयी पर मैंने उसे कस के अँकवार में में भेंट लिया जैसे दो बहनें सालों बाद मिली हों, .... नैना ननद से बढ़ कर मेरी सहेली भी थी, गाँव के बारे में", गाँव के लड़के लड़कियों के बारे में जितना उसे मालूम था जितना उसने मुझे एक ही मुलाक़ात में बताया, बिना बोले हम दोनों कस के एक दूसरे को भींचे खड़ी रहीं फिर बैठ गयीं।
मिश्राइन भौजी कुछ बोल रही थीं,...
दूसरे कोने पे चंदा , जिसके पैर में मोच लगी थी जिसे गुलबिया चमेलिया और छुटकी लंगड़ी घोड़ी कह के चिढ़ा रहे थे , और दूबे भाभी ने आउट होने के पहले अपना पूरा वजन उसके एक पैर पे डाल दिया था,.. बैठी थी और उसे घेर के गुलबिया दूबे भाभी और चननिया बैठी थीं, चननिया कोई तेल उसके पैर पे मल रही थीं,... और दूबे भाभी समझा रही थीं गुलबिया को। गुलबिया ने फिर पान के पत्ते कोई मलहम जो दूबे भाभी ने दिया था उसे लगा के बांध दिया। दूबे भाभी समझा रही थीं यही चुप्पे बैठी रहो तुम्हे कोई तंग नहीं करेगा मैं हूँ न बस घण्टे दो घंटे में ठीक हो जाएगा,
गुलबिया पान के पत्ते बांधते हुए उसे छेड़ रही थी,... अरे हमरे फायदे में है की जल्दी से जल्दी ठीक हो जाए, वरना रात में हमरे देवर लोगन के सामने टांग कैसे उठाओगी ,...
मेरा हाथ नैना के कंधे पर था और नैना का मेरे कंधे पर
मिश्राइन भाभी कुछ अनाउंस कर रही थीं।
-----------------------
मिश्राइन भौजी अनाउंस कर रही थीं और सब ननदें भौजाइयां कान फाड़ के सुन रही थीं, सासें भी अब होनेवाले मस्ती को देखने के लिए बेताब थीं , आज हर कोई यहाँ औरत थी और सबकी देह की आग धधक के जल रही थी.
मिश्राइन भौजी की आंखे मुंझे ढूंढ रही थी और मैं और नैना ननदिया एक दूसरे को भींचे, दुबकाये, कब की बिछड़ी सहेलियों की तरह चिपकी एक कोने में, ... मिश्राइन भाभी की आँखे जब मेरी ओर पहुंची तो मैंने नैना की ओर दिखा के कुछ इशारा किया, और उनकी मुस्कराहट ने बता दिया तार पहुँच गया इशारे का उन के पास।
सब मैच देख रही भाभियों ने ननदों को छाप लिया था, कहीं कहीं एक एक नन्द को दो दो भौजाई दबोचे थीं,...
पहला अनाउंसमेंट हारने वाली टीम के लिए था,...
जीत गयीं भौजाइयां
10,71,987
मिश्राइन भाभी अब बाहर बैठी भौजाइयों को ललकार रही थीं,... कउनो स्साली छुप के बच के जानी नहीं चाहिए,... आपन आपन माल छांट लो,... अरे वो देखो मितवा कहाँ छिप रही है, अरे आज तोहरी महतारी के भोंसड़ी में से निकाल ले आएंगे , कहाँ जाओगी तोहार भैया भी नहीं है जिनसे चुदवाने जा रही है
बड़ी जोर से आवाज आयी मेरी एक जेठानी की,... " अरे हमरे देवर से तो रोज चुदवाती हो आज भौजाई से चोदवाय के मजा लो,... आज बिन चोदे गाँड़ मारे छोड़ना नहीं,...
वो वही थीं जिन्होंने मंजू भाभी के यहाँ मेरी बात मना की थी कि हम लोग ननदों को हरा देंगे बस थोड़ी सी स्ट्रेटजी, बोली फालतू अरे नयको तोहार पहली होली है, चुपचाप हार मानने में ही अरे पिछले चार साल से मैं टीम में हूँ , पर साल तो खाली गीता थी अबकी नैना भी आगयी,... अब तो किसी सूरत में भौजाई नहीं जीत सकतीं,... "
जब टीम बनी तो हम लोगों ने उन्हें मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया था और आज हम जीत की ओर थे तो सबसे जोश में वही,..
मैं बार बार कभी नैना कभी पायल , लेकिन कभी किसी के इतना पास नहीं जाती थी की दोनों ओर से घिर जाऊं,...
तभी एनाउंस हुआ बस एक मिनट और,...
और चमेलिया, गुलबिया पायल को चिढ़ा रही थीं,...
रात पायल कहाँ बजी,... हमरे भैया के संग बजी, हमरे भैया से चोदावत बजी, गाँड़ मरावत बजी,
मैंने एक बार फिर पायल की ओर हमला किया, तेज वो भी थी कम्मो इतना तो नहीं फिर भी, कन्नी काटने में बहुत तेज, अचानक से मुड़ कर वो मेरे पीछे पहुँच गयी और नैना भी दूसरी ओर से बढ़ी,... मैं उस समय बाएं और थी ,
चमेलिया गुलबिया बोल रही थीं वापस, वापस
पर मैंने नैना को पास आने दिया,... और फिर तीर की तेजी से दाएं छोर पे मैदान के अब उन दोनों को मैं ललचा रही थी,
जो मुझे पकड़ लेगा उसकी की गाँड़ में मैं मुट्ठी नहीं करूंगी, ... ( मैंने ये नहीं कहा था की उसकी गाँड़ में मुट्ठी नहीं होंगी, चमेलिया और गुलबिया दोनों बौरायीं थी पायल की गाँड़ मारने के लिए , लेकिन कल पहले अपने सगे भैया के खूंटे के ऊपर चढ़ेगी उसके बाद,... )
हे पायल, तय कर लो मेरे किस किस देवर से कल चुदवाओगी,...
मैं खड़े खड़े चिढ़ा रही थी पर साथ साथ कनखियों से देख रही थी नैना चुपके से पीछे की ओर ,.... और मैं भाग कर लाइन के पास वहां से एक बार फिर उन दोनों को ललचा रही थी,...
तबतक अनाउंस हुआ टाइम ओवर मैं लाइन के पास ही थी, मैंने लाइन अपनी ओर पार कर ली,...
एक बार मंजू भाभी, दूबे भाभी,... मोहिनी और रज्जो ने जोर का हल्ला किया, चमेलिया और गुलबिया ने साथ साथ लाइन पार की और पायल को दबोच के आराम से पहले उसका टॉप फाड़ा और कुछ बोला,... लेगिंग उसने खुद उतार के चमेलिया को पकड़ा दी,
जीत के हल्ले में कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा था, भौजाइयां जैसे पागल हो गयीं थी।
खूब जोर जोर से हो हो की आवाजें, एक से एक गालियां सब ननदों का नाम ले ले के और बाहर बैठी भौजाइयों ने नंदों को छाप लिया, अबतक जो ननदें चुन चुन कर गालियां दे रही थीं, ललकार रही थीं, किसी की आवाज सुनाई नहीं पड़ रही थी, एक एक ननद पर दो दो तीन तीन भौजाई,... दो चार बाहर निकलने के रस्ते पे कोयो ननद पेड़ पे चढ़ के न छिप जाए, कोई बाग़ में भागने की कोशिश न कर पाए
चारों ओर चररर चर्रर्र की आवाज ही सुनाई पड़ रही थी, कोई ननद अगर खुद ही शलवार खोलने को मान भी जाए तो भौजाइयां बस फाड़ने में लगी हुयी थीं, कुछ ही देर में सब ओर फटे हुए टॉप, कुर्ती, लेगिंग, शलवार, न कोई भौजाई उमर देख रही थी न नंदों की चीख पुकार सुन रही थी,... इत्ते साल बाद मौका मिला था,...
और एक बार मैं फिर लाइन के पार थी दौड़ती हुयी, नैना कबड्डी के मैदान के दूसरी ओर अकेले थी, ...
अपने घुटनों के बल बैठी, मुझे देख कर खड़ी हुयी पर मैंने उसे कस के अँकवार में में भेंट लिया जैसे दो बहनें सालों बाद मिली हों, .... नैना ननद से बढ़ कर मेरी सहेली भी थी, गाँव के बारे में", गाँव के लड़के लड़कियों के बारे में जितना उसे मालूम था जितना उसने मुझे एक ही मुलाक़ात में बताया, बिना बोले हम दोनों कस के एक दूसरे को भींचे खड़ी रहीं फिर बैठ गयीं।
मिश्राइन भौजी कुछ बोल रही थीं,...
दूसरे कोने पे चंदा , जिसके पैर में मोच लगी थी जिसे गुलबिया चमेलिया और छुटकी लंगड़ी घोड़ी कह के चिढ़ा रहे थे , और दूबे भाभी ने आउट होने के पहले अपना पूरा वजन उसके एक पैर पे डाल दिया था,.. बैठी थी और उसे घेर के गुलबिया दूबे भाभी और चननिया बैठी थीं, चननिया कोई तेल उसके पैर पे मल रही थीं,... और दूबे भाभी समझा रही थीं गुलबिया को। गुलबिया ने फिर पान के पत्ते कोई मलहम जो दूबे भाभी ने दिया था उसे लगा के बांध दिया। दूबे भाभी समझा रही थीं यही चुप्पे बैठी रहो तुम्हे कोई तंग नहीं करेगा मैं हूँ न बस घण्टे दो घंटे में ठीक हो जाएगा,
गुलबिया पान के पत्ते बांधते हुए उसे छेड़ रही थी,... अरे हमरे फायदे में है की जल्दी से जल्दी ठीक हो जाए, वरना रात में हमरे देवर लोगन के सामने टांग कैसे उठाओगी ,...
मेरा हाथ नैना के कंधे पर था और नैना का मेरे कंधे पर
मिश्राइन भाभी कुछ अनाउंस कर रही थीं।
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मिश्राइन भौजी अनाउंस कर रही थीं और सब ननदें भौजाइयां कान फाड़ के सुन रही थीं, सासें भी अब होनेवाले मस्ती को देखने के लिए बेताब थीं , आज हर कोई यहाँ औरत थी और सबकी देह की आग धधक के जल रही थी.
मिश्राइन भौजी की आंखे मुंझे ढूंढ रही थी और मैं और नैना ननदिया एक दूसरे को भींचे, दुबकाये, कब की बिछड़ी सहेलियों की तरह चिपकी एक कोने में, ... मिश्राइन भाभी की आँखे जब मेरी ओर पहुंची तो मैंने नैना की ओर दिखा के कुछ इशारा किया, और उनकी मुस्कराहट ने बता दिया तार पहुँच गया इशारे का उन के पास।
सब मैच देख रही भाभियों ने ननदों को छाप लिया था, कहीं कहीं एक एक नन्द को दो दो भौजाई दबोचे थीं,...
पहला अनाउंसमेंट हारने वाली टीम के लिए था,...
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