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भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
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ननद की सास, और सास का प्लान
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अगले राउंड के पहले एक ब्रेक बनता था इन ननदियों का...अगला राउंड
अचानक हम दोनों की आँखे एक साथ कुश्ती पर पड़ी, दोनों जोड़ों की कुश्ती चल रही थी
लीला के साथ रेनू और नीलू के साथ कम्मो,...
पलड़ा भारी तो लीला और नीलू का ही था, लेकिन रेनू और कम्मो दोनों टक्कर दे रही थीं, बार बार छटक कर निकल जा रही थीं, ...
लीला और रेनू की तो उमर भी एक थी, रेनू कबड्डी की जबरदस्त खिलाड़ी भी और रेनू को एक अडवांटेज था, लीला उसकी चूत में ऊँगली नहीं कर सकती थी,
नीलू भी तगड़ी थी, वजन ज्यादा था, शादी शुदा थी तीन महीने में गौने जाने वाली थी, ... लेकिन कम्मो फुर्तीली बहुत थी, और कम्मो चुदी भले ही न हो लेकिन बेला और नीता की तरह नौसिखिया नहीं थी, कन्या रस का मजा वो ले चुकी थी, ...
मोहिनी भाभी ने चार मिनट का टाइम अनाउंस किया,...
और फर्क अब पहली बार से ये पड़ रहा था की ये पहला राउंड तगड़ा था और चारों थक रही थीं,
लेकिन नीलू ने पहले राउंड में बेला को बहुत आसानी से हरा दिया था इसलिए वो कम थकी थी और कजरी और कम्मो का मुकाबला ज्यादा चला था, कबड्डी में भी कम्मो आखिरी खिलाड़ी थी आउट होने वाली,... इसलिए कम्मो अब थोड़ा थक रही थी और नीलू नम्बरी चुदक्क्ड़ थी,... तो कभी ऊपर चढ़ के कभी साइड से वो मौका निकाल के कम्मो की चुनमुनिया तक हथेली पहुंचा दे रही थी,
अगर कम्मो को ऊँगली करनी होती तो कब की वो झाड़ देती,...
मैंने जिधर मेरी टीम की खिलाड़ियां बैठी थीं, मिश्राइन भाभी, मंजू भाभी और रज्जो भाभी उधर एक नजर दौड़ाई और ख़ुशी से भर गयी ,
मान गयी मैं अपनी जेठानी को मिश्राइन भौजी को,... बेला ऐसी नयी बछेड़ी को उन्होंने चूत चूसना सिखा दिया, वो कस के भौजी की चूस चाट रही थी और भौजी को देख के लग रहा था वो अब झड़ रही हैं, उन्होंने कस के बेला के सर को जकड़ रखा था, और जैसे कोई मर्द मुंह चोद रहा हो, ... बार अपनी बुर उस कच्ची कली के होंठों पर रगड़ रही थीं, एक बार नहीं बार बार, झड़ रही थीं और उन्होंने जाँघों को थोड़ा ढीला किया और पल भर के लिए बेला को सांस लेने के लिए फुर्सत मिली,...
पर मिश्राइन भौजी इत्ती आसानी से उस कच्ची कली को नहीं छोड़ने वाली थीं,... उन्होने बेला को मंजू भाभी के हवाले कर दिया, जिनको थोड़ी देर पहले ही पायल ने चूस के झाड़ा था, ... और मंजू भाभी की पूरी जाँघे चाशनी से लथपथ थी और अब बेला को मंजू भाभी पहले वही चाशनी अपनी बुर की चटवा रही थीं,...
पायल भी खाली नहीं थी, ... बाहर बैठी भौजाइयों में जो पिछली बार कैप्टन थीं वो उनकी बुर सेवा कर रही थी, ...
नीता रज्जो भाभी की बुर कस कस के चाट रही थी और वो भी झड़ने के कगार पर थीं,
लेकिन सबसे मस्त मामला गुलबिया का था, कजरी बेचारी अपनी भौजाई को सबके सामने चूस चूस के झाड़ चुकी एक बार दो तीन बार,... लेकिन अब गुलबिया ने अपना पिछवाड़ा खोल के उसके मुंह पे सटा दिया और दोनों छोटी छोटी चूँची दबा के बोली,
" हे गांडचट्टो तानी गाँड़ ठीक से चाटा, अगवाड़ा तो फट गया है न तोहार, लेकिन पिछवाड़ा तो कोरा है, परसों हम अपने भाई को मयके से बुलाऊंगी तोहार गाँड़ मारने के लिए,... तीनो भाई, तोहार भाई स्साला तो पंजाब में मरवा रहा है नहीं तो ओहि से तोहार गांड,... "
और कस कस के अपने चूतड़ वो रगड़ रही थी अपनी ननद के मुंह में और साथ में एक दो नहीं पूरी तीन ऊँगली उसने एक साथ कजरी की कसी चूत में घप्प से घोंप दिया,
होली में मैं खुद उसको ऊँगली कर चुकी थी और मुझे मालूम था की कितनी कसी थी कजरी की बिल, एक ऊँगली भी मुश्किल से मेरी घुसी थी हाँ ये पता चल गया था की ननद रानी ने झिल्ली फड़वा लिया है
और अब चननिया भी कजरी की रगड़ाई करने में गुलबिया के साथ जुड़ गयी थी, गुलबिया अपनी ऊँगली पेल रही थी तो चननिया कजरी की क्लिट पे ऊँगली रगड़ रही थी, मिनट भर में कजरी झड़ने लगी तो कजरी को चननिया के हवाले कर के गुलबिया अब जहाँ कुश्ती चल रही थी और चमेलिया मोहिनी भाभी के साथ थी वहां आ गयी मोहिनी भाभी के साथ,...
दूबे भाभी और रमजानिया अभी भी चंपा के पास बैठी थीं उसका मोच का दर्द अब ठीक हो रहा था.
मिश्राइन भाभी अब एक बार फिर अपनी सब देवरानियों को ललकार रही थी की इतने साल के बाद जो जीत मिली है तो कोई ननद बच न पाए रगड़ाई से ,...
" हे जमुनवा बो, अरे पप्पुवा की बहिनीया देखो कहाँ बँसवाड़ी की ओर,... अरे हे घेरराय लाओ मितवा के, कउनो ससुरी बच के न जाए पाए,... "
कुछ नंदों पे तो दो भौजाइयां चढ़ी थीं, एक चुसवा रही थी ऊपर चढ़ के दूरी कस कस के ऊँगली कर रही थी, और जैसे ही वो ननद झड़ने के कगार पे आती भौजाई रुक जाती, कुछ भौजाइयां ननदों से उनके भाइयों का नाम ले ले के ऊँगली करवा रही थीं, निहुरा के उनके ऊपर चढ़ी हुयी थीं,... मेरी ननद पर तो तीन तीन मेरी जेठानिया ,...
मोहिनी भाभी ने साढ़े चार मिनट का अनाउंसमेंट कर दिया था,... पर दोनों ही कुश्ती अब लग रहा था ख़तम होने वाली हैं, रेनू और कम्मो थक रही थीं।
लीला के साथ रेनू और नीलू के साथ कम्मो,...
ऐसा लग रहा ही कि रेनू की फुद्दी साँसें ले लेकर अपनी हाँ को दिखा रही है...लीला -रेनू, नीलू -कम्मो,..
लीला के साथ रेनू और नीलू के साथ कम्मो,...
लीला ने रेनू के थकने का पूरा फायदा उठाया, कबड्डी में भले दांव पेंच में रेनू आगे हो लेकिन गन्ने और अरहर के खेत में लीला उससे मीलों आगे थी. बस किसी तरह उसने रेनू को धर दबोचा और अपना पूरा वजन, और दोनों हाथों का जोर लगा के रेनू की गोरी गोरी रेशमी जाँघे खोल दी, सबकी आँखे उन खुली जांघो के बीच टिक गयी, चूत की फांके एकदम चिपकी,... खूंटा क्या ऊँगली भी नहीं गयी थी ढंग से,... खूब गोरी मखमली,
लीला ने पूरी जाँघे खोल के चारो पर घेरे भाभियों को रेनू ननदिया की चूत का दर्शन करा दिया, लेकिन अब ज्यादा समय चोर सिपाही का नहीं था, रेनू पूरी तरह से उछल रही थी, दूसरी कोई होती तो रेनू उसे उलट देती पर ये लीला थी,...
और लीला ने अपने दोनों होठ रेनू की अनचुदी चूत की फांको पर, हलके से होंठों से से उस की चूत को सहलाया,
चूस ले चूस ले , झाड़ दे, अब सब भौजाइयां लीला को ललकार रही थीं, और लीला ने कस कस के रेनू की गोरी चिकनी मक्खन मलाई ऐसी चूत को चूसना शुरू कर दिया, सच में लीला चूसने में एक्सपर्ट थी, रेनू पिघल रही थी अपने चूतड़ पटक रही थी,
चूत में ऊँगली करना मना था लेकिन जीभ पेलना थोड़े ही और अब दोनों उँगलियों से लीला ने रेनू की कसी टाइट फांको को पूरी ताकत से फैला दिया, बहुत से भौजाइयों की देख के सिसकी निकल गयी, एकदम गुलाबी गली, और लीला ने जीभ ठेल दी अंदर और गोल गोल घुमाने लगी,
दूबे भाभी, चम्पा और रामजनिया भी खड़े हो गए थे और रेनू लीला की कुश्ती देख रहे थे, लेकिन जहाँ बाकी भौजियां लीला को चढ़ा रही थीं दूबे भाभी रेनू को सपोर्ट कर रह थीं साथ में चंपा और रमजनिया भी,
रेनू नीचे थी और लीला ऊपर एकदम ६९ की तरह, दूबे भाभी उकसा रही थीं
" अरे रेनू पेल दे ऊँगली लीलवा की बुरिया में, पेल दे कस के ससुरी का गौने के पहले भोंसड़ा हो गया है पेल, चूस ले,... "
सच्च में लीला की बुर में ऊँगली करने में रेनू को कोई मनाही तो नहीं थी लेकिन न कभी किसी ने उसके ऊँगली की न रेनू ने किसी की बिल में ऊँगली ठेली पर दूबे भाभी और चंपा उसकी सहेली थी, दोनों के उकसाने पे उसने दो ऊँगली लीला के बुर में ठेल दी,... और रमजनिया के साथ एक दो भौजाइयां भी लीलवा को गरियाने लगी
" अरे लीलवा लील, आज ऊँगली लीला कल मोट मोट लंड लीला, ... आपने मायके क तो बहुत लीला है अब हमरे मायके क हमरे भाइयों क लंड लीला,..."
उधर से मिश्राइन भौजी सारी भौजाइयों को चढ़ा रही थी,
"अरे ठकुराइन, अरे मुन्ने की अम्मा, अरे रज्जो, कुल अभी आज ही अपने मायके खबर करवा दो, हमरे गाँव में कुल ननदियाँ कातिक क कुतीया अस गरमाय रही हैं आय जाओ चोद जाओ,... अपने अपने भाई लोगन के एक एक पे जब तक तीन चार चढ़ेंगे नहीं तो भौजाई लोगों के जीतने का क्या फायदा,..."
पर लीलवा ने एक से एक मोटे लंड घोंट रखे थे,... रेनू एक तो नौसिखिया फिर पूरी ताकत से ऊँगली कर भी नहीं पा रही थी और जिस तरह लीला की जीभ उस्की चूत के अंदर बाहर हो रही थी, रेनू की हालत खराब हो रही थी ,
" अरे साथ में चूस भी कस के चूस, खाली ऊँगली से कउनो लौंडिया नहीं झड़ती,... कस के चूस "
दुबे भाभी ने रेनू को उकसाया,...
रेनू ने चूसना शुरू किया और लीला भी समझ रही थी बस अभी उसने खेल नहीं ख़तम किया तो,... तो अब क्लिट को कुछ देर लीला ने रगड़ा और फिर दोनों होंठों के बीच ले ले के कस के चूसना शुरू कर दिया साथ में ऊँगली से दोनों फांको को मसलना,,
रेनू की आँखे बंद हो हो गयी, देह ढीली पड़ने लगी , पर लीला का चूसना कम नहीं हुआ ... रेनू ने झड़ना शुरू कर दिया, तूफान में पीपल के पत्ते की तरह रेनू की देह काँप रही थी चाशनी का जैसे झरना फूट पड़ा और अब लीला खुद अपनी बुर रेनू के मुंह पर रगड़ रही थी,... लेकिन रेनू की देह ढीली पड़ी थी,... लीला कभी जीभ की टिप से रेनू की क्लिट छू लेती तो कस के अगले पल दुबारा चूसना शुरू कर देती, फैसला हो गया था पर लीला अभी भी रेनू को रगड़ रही थी,
रेनू दुबारा झड़ रही थी, बड़ी मुश्किल से चमेलिया और गुलबिया ने पकड़ के जबरदस्ती लीला को रेनू के ऊपर से उठाया, और मोहिनी भाभी ने उसका हाथ पकड़ के उसे जीता घोषित कर दिया,..
रेनू की आँखे बंद थी, जिंदगी में शायद पहली बार झड़ी होगी, वो भी सबके सामने,...
रमजनिया ने पकड़ के रेनू को उठाया और दूबे भाभी के हवाले कर दिया, दूबे भाभी का पेटीकोट पहले ही उठ गया था, रमजानिया ने रेनू का सर पकड़ के दूबे भाभी की जाँघों के बीच, ...
और दूबे भाभी प्यार दुलार से रेनू को पुचकार रही थीं
" अरे इतना दिन से कह रही थी अब तक तोहें चूसने चाटने में पक्की कर दिए होतीं, चलो कोई बात नहीं हाँ बस हलके जीभ निकाल के बस छुआ छुआ के और जोर लगाओ, चल चाटो, ... "
रमजनिया कस के रेनू का सर पकडे थी और जब रेनू ने अपने से चाटना शुरू कर दिया तभी रामजनिया ने छोड़ा, दूबे भाभी ने कितनी कच्ची कलियों को अपने भोसड़े का रस चखाया चुसाया होगा, रेनू अब तक बची थी इसलिए वो रेनू के आउट होने का इन्तजार कर रही थीं,
और जब भौजी ननद को जब चुसवाती है तो उसके बाकी अंगो का भी तो रस लेगी, और फिर रेनू तो बारह में पढ़ती थी, जोबन जबरदंग थे, दुबे भाभी उसे भी कस कस के दबा रही थीं, मसल रही थीं
उधर अब कम्मो और नीलू की कुश्ती कगार पर थी, मोहिनी भाभी, चमेलिया और गुलबिया तीनो लोग वहीँ खड़े थे
कम्मो और नीलू का मामला उल्टा था, कम्मो नीलू के ऊपर चढ़ी थी और नीलू की दोनों टांगों के बीच टाँगे डाल के उसने टाँगे खुलवा रखी थीं और एक हाथ से नीलू के दोनों हाथों को दबोच रखा था, दूसरा हाथ रेंगते हुए दोनों जाँघों के बीच,... नीलू लाख कोशिश कर रही थी की जांघों को चिपका ले पर कम्मो ने इस तरह जाँघों के बीच अपनी टाँगे घुसेड़ रखी थी, उसे कैंची की फाल की तरह धीरे धीरे फैला रही थी, ... कम्मो का हाथ नीलू की चूत पर पहुँच गया,
नीलू की चूत में इतने लंड गौने के पहिले ही घुस चुके थे,... गप्प से कम्मो ने दो ऊँगली पेल दी, ... और आगे पीछे आगे पीछे,...
सब भौजाइयां कम्मो का साथ दे रही थीं, पेल साल्ली के, पेल कस के अरे अभी तो हम लोग मुट्ठी डालेंगे, ... पूरा ठेल दे,
गाँव के मरद एक से एक चुदक्क्ड़ सब एक से एक मोटे लंड निलुवा घोंट चुकी थी,... और कभी दस बारह मिनट के पहले झड़ती नहीं थी, लेकिन कम्मो की ऊँगली से गीली तो हो ही रही थी चूत उसकी पनिया रही थी, -और कुछ नीलू की पट्टी वाली नीलू को भी ललकार रही थी,
"अरे स्साली कल की लौंडिया से हार जाओगी , जिस की झांटे भी ठीक से नहीं आयी हैं, पलट, पलट निलुआ, ... पलट कम्मो छिनार को,... "
नीलू लाख कोशिश कर रही थी लेकिन कम्मो की हाथ की पकड़ बहुत तगड़ी थी,... दोनों हाथों को नीलू के कम्मो ने अपने दाएं हाथ से जकड़ रखा था,... नीलू कितना भी कसर मसर करे,
मोहिनी भाभी ने टाइम बोलै सिर्फ डेढ़ मिनट बचा है,...
नीलू ने अपनी देह ढीली कर दी, और कम्मो का ध्यान भी पूरी तरह से बुर में ऊँगली करने में था, कम्मो चुदी नहीं थी, झिल्ली नहीं फटी थी लेकिन बाकी अपनी समौरियों की तरह अनजान नहीं थी, ... ऊँगली करने के साथ अब वो अंगूठे से नीलू की क्लिट भी रगड़ने लगी लेकिन उसका ध्यान जरा सा हटा, और नीलू ने पूरी ताकत से और, कम्मो अलग हो गयी,... पर नीलू कम्मो के ऊपर नहीं चढ़ी,.. वो सरक कर दूर कम्मो के पैरों के पास हट गयी,... और जैसे कोई मरद गौने की रात अपनी दुलहन की दोनों टांगों को फैला के अपने दोनों कंधो पे चढ़ा के चोदने तैयारी करता है,
बिलकुल उसी तरह, फरक इतना था की लंड की जगह नीलू के होंठ थे कम्मो की चिकनी चूत पे , कुछ देर तक तो उसने जीभ से पहले पनियाया, थूक कर के गीला किया , फिर सीधे दोनों फांकों को पकड़ के चूसना शुरू किया और शुरू से ही पूरी रफ़्तार से, बाएं हाथ का अंगूठा कम्मो की क्लिट पे,
और दाएं हाथ से कम्मो की चूँची पकड़ के,... क्या कोई मर्द मसलेगा, बीच में निप्स को पकड़ के खींच लेती कम्मो सिसक पड़ती,...
कम्मो थक भी गयी थी और ये तिहरा मजा उसे कभी एक साथ नहीं मिला था, थोड़ी देर में तन मन से उसने सरेंडर कर दिया,
मोहिनी भाभी ने ३० सेकेण्ड का टाइम बोला,... और नीलू ने हलके से क्लिट काट ली,
फिर तो जैसे ज्वालामुखी फूट पड़ा हो, कम्मोउछल रही थी चूतड़ बित्ते भर उछाल रही थी, झड़ रही थी, चाशनी निकल कर गोरी गोरी जाँघों पर बह रही थी,... थोड़ी देर पहले कबड्डी में भी आखिरी राउंड में उसको भौजी लोगों ने जबरदस्त झाड़ा था और अब दुबारा,... वो उठने की हालत में नहीं थी,
नीलू ही उठी, मोहिनी भाभी ने नीलू को जीता हुआ घोषित किया लेकिन अब उनका मन भी ललचा रहा था बस कम्मो को पकड़ के उठा के जहाँ पास में दूबे भाभी रेनू को अपनी बुर चटा रही थीं वहीँ बगल में पेटीकोट उठा के सीधे कम्मो के मुंह पे बैठ गयीं,... बिना कहे कम्मो जानती थी वो हारी हुयी टीम की है उसे क्या करना है , हलके हलके अपनी जीभ से मोहिनी भाभी की बुर चाटने लगी।
कच्ची कलियों से ननदों से बुर चटाने का मजा ही अलग है,... और आज तो शुरुआत थी अब ननद सब भी जानती थीं, साल भर तक,...
रात भर भौजाइयां ननदों के भाई से चुदवाएंगी तीन बार चार बार उनकी मलायी बुर में घोंटेंगी , और सुबह सुबह वही उनके भाई की रबड़ी मलाई से बजबजाती बुर अपनी ननदों से चटवाएंगी ,
तोहरे भाई क है बोल कैसा स्वाद है,
मिश्राइन भाभी सब भौजियों को ललकार रही थी अरे कोई ननद कम से कम आधा दर्जन भौजाई क बूर चूस के झाड़े, .. अरे आँख बंद कर के एक बार के चाट के बताय दें कौन भौजाई की बुर है तब बात है, ... छोड़ना मत कउनो को, ... आज मौका आया है
लीला और नीलू दोनों थक के चूर पड़ी थीं , हिलने की भी ताकत नहीं थी , इत्ती लम्बी कबड्डी के बाद दो राउंड कुश्ती में उनका दम निकल गया था, बस यही लग रहा था अब कोई उठने को न कहे,
उनके पास ही चमेलिया और गुलबिया खड़ी थीं,... थोड़ी दूर पे कजरी चननीया को एक बार चूस के झाड़ चुकी थी.
मिश्राइन भाभी ने हड़काया, अरे चमेलिया, गुलबिया चननिया, दो दो ननद छिनार निसूती टांग फैलाये बुर चियारे पड़ी हैं देख का रही हो चढ़ जाओ,...
अभी तो हारने वाली को इनाम में भौजाई का प्रसाद...Nice lesbian kushti
कोमल का दिमाग चाचा चौधरी से भी तेज चलता है....Komal ji aapki nanad ne Sahi kaha hai Komal ji aap darshakon ka man ki baat nahin Jaan paati aapki nanad Jaan jaati hai darshak log sunna kya chahte Hain seal pack Nadiya hai inko hi chadhaya jaaye Lamba hai Mota bhi hai aadha ek ghanta se pahle hatne bhi wala nahin hai ekadam standard mushkil rahega kunwari nandiyon ke liye Komal ji Hero ke bare mein jitna likha jaaye utna Hi Kam lagne lagta hai Komal ji Hero ke bare mein jyada se jyada likhane ki prayas karo
हीरो को सुपरमैन बनाने से.. कहानी बाकी कहानियों की तरह हो जाएगी..Komal ji yahi sab sunane ke liye Kan Taras gaye the aage piche pahle Hero chadhe uske bad koi aur aap jitni kahaniyan likh rahi ho sabhi kahaniyon mein Hero ko aage badhao Ghar billian ek Mari Hero char maarna chahie Hero aake baki sab piche kahani padhne mein interest aur badh jaati hai padhne ka dil karne lagne lagta hai Hero ke bare mein jitna likho sabko utna hi Kam lagne lagta hai kahani bahut badhiya likhati Ho Hero se badhkar koi aur prashansa Hoti hai to darshakon ka Dil tutane lagta hai jitna prayas kar Sako Komal ji na Hero ke bare mein likhane ki prayas kariye aapka बहुत-बहुत dhanyvad Jo do line Hero ke prashansa karne ke liye
दो - दो शानदार अपडेट पढ़कर थेथर हुए पाठक कैसे कमेंट कर पायेंगे कोमल मैमupdates posted, please, read enjoy, like and comment
Mere kahane ka matlab tha Komal ji pahle Hero uske bad koi aur nahin to is kahani mein Hero rakhna hi nahin chahie tha samuhi sex ki tarah likhati aapka बहुत-बहुत dhanyvad Uttar dene ke liyeहीरो को सुपरमैन बनाने से.. कहानी बाकी कहानियों की तरह हो जाएगी..
जहाँ हीरो एक के बाद कितनी सारी कन्याओं पर चढ़ता चला जाता है.. बिना थके...
Yahi chij Komal ji ulta karke likhna chahie tha aur Rahi baat Manoranjan ki Manoranjan ki man bahan Ho jaati hai Manoranjan to nahin aata lekin gussa jarur a jata hai aap jitna update bheji Ho main kabhi pura nahin padh paunga isliye ke bich bich mein itna gussa aata hai padhna chhodo gali Dene ka man bhi karne lagta hai Bura mat manana aapki aisi kahani mein Hero rakhna hi nahin chahie tha isko samajh sex banaa deti achcha rahata aapka बहुत-बहुत dhanyvad Bura mat mananaमल्टी स्टारर मूवी का मजा हीं कुछ और है...
डायरेक्टर(यहाँ राईटर) सबको खूबसूरती से मैनेज करता है...
और एक मास्टरपीस बन कर तैयार हो जाता है...
हर मेल कैरेक्टर एक अलग हीरो और फीमेल कैरेक्टर एक हिरोइन ...
नतीजा सेक्स के अलग-अलग विधाओं में मास्टर/मास्टराइन अपनी कलाबाजी से कुछ अलग छाप छोड़ जाते हैं...
और नतीजतन मनोरंजन और मौज की एक बहार छा जाती है...
Aapke pass itna hi dimag hota Komal ji mere Jaise darshakon ka Dil nahin todti hamare log Ke liye bhi ek kahani dikhti ham log kabhi dil khush rahata jitni kahaniyan likh rahi hain aap sab ek jaisa hi likh rahi ho usmein se ham log ke Jaise bhi ek kahani likh deti kahani alag rakhne ke chakkar mein yahan per dimag ki man bahan Ho jaati hai Komal ji ham log bhi Dhyan do aapka बहुत-बहुत dhanyvad baat koi buri Lage to Bura mat manana use baat per Gaur karna aur darshak kya chahte Hain unka bhi Dhyan rakho Komal jiकोमल का दिमाग चाचा चौधरी से भी तेज चलता है....
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Yahi chij Komal ji ulta karke likhna chahie tha aur Rahi baat Manoranjan ki Manoranjan ki man bahan Ho jaati hai Manoranjan to nahin aata lekin gussa jarur a jata hai aap jitna update bheji Ho main kabhi pura nahin padh paunga isliye ke bich bich mein itna gussa aata hai padhna chhodo gali Dene ka man bhi karne lagta hai Bura mat manana aapki aisi kahani mein Hero rakhna hi nahin chahie tha isko samajh sex banaa deti achcha rahata aapka बहुत-बहुत dhanyvad Bura mat manana
आपने गलत समझ लिया .. मैं कोमल नहीं हूँ...Aapke pass itna hi dimag hota Komal ji mere Jaise darshakon ka Dil nahin todti hamare log Ke liye bhi ek kahani dikhti ham log kabhi dil khush rahata jitni kahaniyan likh rahi hain aap sab ek jaisa hi likh rahi ho usmein se ham log ke Jaise bhi ek kahani likh deti kahani alag rakhne ke chakkar mein yahan per dimag ki man bahan Ho jaati hai Komal ji ham log bhi Dhyan do aapka बहुत-बहुत dhanyvad baat koi buri Lage to Bura mat manana use baat per Gaur karna aur darshak kya chahte Hain unka bhi Dhyan rakho Komal ji