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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

motaalund

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११ लाख व्यूज

बहुत बहुत धन्यवाद मित्रों साथ देने के लिए,...

यह कथा यात्रा ऐसे ही आगे बढे, बस आपका स्नेह और आशीष साथ रहे,...
निरंतर नई ऊँचाइयों को छुए .. यही कामना है...
 

motaalund

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Waah... Komal ji maza aa gaya.... is kavita ne to hamare bhi niche ki or halchal macha di aur ek sakht tambu ban gaya
और ये तंबू .. जिस बंबू पर खड़ा है..
उसे कहीं गाड़ना पड़ेगा...
 

motaalund

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गालियों में क्रिएटिविटी वहीँ देखने में आती है जहाँ वह बजाय गुस्से के मज़ाक में चिढ़ाने छेड़ने के लिए दी जाती हैं

मोरनी वाला आइडिया अच्छा है न झाड़ू की कमी न ननदों की,... 😂 😂
गालियों वाली क्रिएटिविटी तो रैगिंग के टाइम भी देखे को मिलती है..
लेकिन रॉ टच तो गाँव में हीं...
 

motaalund

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एकदम ननदों के रहते हुए देवर बेचारे हैंडपंप क्यों चलाएं,

और देवरों के रहते भी ननदों को, ऊँगली का इस्तेमाल सिलाई कढ़ाई में करे,... हाँ भाभियाँ यहीं आती है,, देवरों और ननदों की गाँठ जोड़ने के लिए
भाभियां सबका उद्धार करती हैं..
देवरों का भी ननदों का भी..
 

motaalund

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सब कुछ साथ चलने वालों पर तय करता है, वैसे तो ये सीक्वेल मात्र था,... लेकिन अब उससे आगे बढ़ चूका है
हाँ.. ये तो सही कहा कि दोनों प्रीक्वेल जोड़ भी .. ये पार्ट उन दोनों से बड़ा है...
लेकिन क्या करें... दिल है कि मानता नहीं...
 

motaalund

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आप ऐसे मित्रों का साथ रहे तो कहानी बढ़ती रहेगी,... बिना हुंकारी भरने वालों के कहानी सुनाने का क्या मज़ा
अपनी तरफ से जोर की हुंकारी भरते हैं...
बाकी आप सबकी सुनती हैं...
 

motaalund

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असली लालच तो रस कूप का ही है और रेनू भी समझ जायेगी, मान जायेगी, मेरा भाई मेरी जान।
ये तो दो तरफा मजा है..
दोनों एक दूसरे के लिए तैयार..
घुड़सवार घोड़ी को साधने को बेकरार...
 

motaalund

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अरे मिश्राइन भौजी की सोच

इसीलिए तो कच्ची कलियों को पहलवानों से भिड़वाया, बेला, पायल, नीता, कजरी कच्ची उमर वाली, लेस्बियन कुश्ती में हारना ही था,

और हारने के बाद भौजाइयों की जांघो के बीच, जो काम लेस्बियन कुश्ती में नहीं कर पायीं अब भौजी के साथ, बिना किनारे पे पहुंचाए छुटकारा नहीं,

और मिश्राइन भौजी, मंजू भाभी सब को एक से एक कच्ची कलियाँ मिली
मिश्राइन भौजी बहुत दूर की सूझ-बूझ रखती हैं....
 

motaalund

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यही तो

हम कबड्डी में आमने सामने जरूर थे, लेकिन हमारे बीच कोई आमना सामना नहीं था,

मैच के बाद फिर दोस्ती,... और नैना से बढ़कर मर्दो का स्पेशलिस्ट पूरे गाँव में नहीं है और उसने हेल्प भी की, रेनू कमल का किस्सा बताया और मीना की भी पोल खोली,... नैना के साथ से ही कल हर ननद के लिए जोड़ीदार मिल पायेगा
मैच के बाद हारने और जीतने वाले .. दोनों एक दूसरे से हाथ मिलाते हैं... और कई बार तो गले भी मिलते हैं....
और आगे की प्लानिंग पूरी करने के लिए नैना का सहयोग भी जरुरी है...
 
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