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भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
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ननद की सास, और सास का प्लान
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आपकी ननद भी बचनी नहीं चाहिए...आगे आगे देखिये, भाभियों का जश्न
और अब सिर्फ कबड्डी की टीम वाली ननदें थोड़ी बाहर बैठी भी, सब की सब,... सब की हालचाल ली जायेगी, तस्सलीबख्श ढंग से
उसका तो हमेशा इंतजार रहता है...आगे क्या होगा ये तो अगली पोस्ट में ही पता चलेगा
To the point reply.apake sugestions ka swagt hai lekin har writer apne dhang se story likhata hai thanks for suggestions
लेकिन जश्न तो पूरे साल चलेगा..भाग ६५ कल
जीत का जश्न भाभियों का
सब खेली खाई हीं अगले राउंड में पहुंची...भाग ६५
भाभियों की जीत का जश्न
1,111,922
सब भौजाइयां कम्मो का साथ दे रही थीं,
"पेल साल्ली के, पेल कस के अरे अभी तो हम लोग मुट्ठी डालेंगे, ... पूरा ठेल दे,"
गाँव के मरद एक से एक चुदक्क्ड़ सब एक से एक,... मोटे लंड निलुवा घोंट चुकी थी,... और कभी दस बारह मिनट के पहले झड़ती नहीं थी, लेकिन कम्मो की ऊँगली से गीली तो हो ही रही थी चूत उसकी पनिया रही थी, -और कुछ नीलू की पट्टी वाली नीलू को भी ललकार रही थी,
"अरे स्साली कल की लौंडिया से हार जाओगी , जिस की झांटे भी ठीक से नहीं आयी हैं, पलट, पलट निलुआ, ... पलट कम्मो छिनार को,... "
नीलू लाख कोशिश कर रही थी लेकिन कम्मो की हाथ की पकड़ बहुत तगड़ी थी,... दोनों हाथों को नीलू के कम्मो ने अपने दाएं हाथ से जकड़ रखा था,... नीलू कितना भी कसर मसर करे,
मोहिनी भाभी ने बोला सिर्फ डेढ़ मिनट बचा है,...
नीलू ने अपनी देह ढीली कर दी, और कम्मो का ध्यान भी पूरी तरह से बुर में ऊँगली करने में था, कम्मो चुदी नहीं थी, झिल्ली नहीं फटी थी लेकिन बाकी अपनी समौरियों की तरह अनजान नहीं थी, ... ऊँगली करने के साथ अब वो अंगूठे से नीलू की क्लिट भी रगड़ने लगी लेकिन उसका ध्यान जरा सा हटा, और नीलू ने पूरी ताकत से और, कम्मो अलग हो गयी,...
पर नीलू कम्मो के ऊपर नहीं चढ़ी,.. वो सरक कर दूर कम्मो के पैरों के पास हट गयी,... और जैसे कोई मरद गौने की रात अपनी दुलहन की दोनों टांगों को फैला के अपने दोनों कंधो पे चढ़ा के चोदने तैयारी करता है,
बिलकुल उसी तरह, फरक इतना था की लंड की जगह नीलू के होंठ थे कम्मो की चिकनी चूत पे , कुछ देर तक तो उसने जीभ से पहले पनियाया, थूक कर के गीला किया , फिर सीधे दोनों फांकों को पकड़ के चूसना शुरू किया और शुरू से ही पूरी रफ़्तार से,
बाएं हाथ का अंगूठा कम्मो की क्लिट पे, और दाएं हाथ से कम्मो की चूँची पकड़ के,... क्या कोई मर्द मसलेगा, बीच में निप्स को पकड़ के खींच लेती कम्मो सिसक पड़ती,...
कम्मो थक भी गयी थी और ये तिहरा मजा उसे कभी एक साथ नहीं मिला था, थोड़ी देर में तन मन से उसने सरेंडर कर दिया,
मोहिनी भाभी ने ३० सेकेण्ड का टाइम बोला,... और नीलू ने हलके से क्लिट काट ली,
फिर तो जैसे ज्वालामुखी फूट पड़ा हो, कम्मोउछल रही थी चूतड़ बित्ते भर उछाल रही थी, झड़ रही थी, चाशनी निकल कर गोरी गोरी जाँघों पर बह रही थी,... थोड़ी देर पहले कबड्डी में भी आखिरी राउंड में उसको भौजी लोगों ने जबरदस्त झाड़ा था और अब दुबारा,... वो उठने की हालत में नहीं थी,
नीलू ही उठी, मोहिनी भाभी ने नीलू को जीता हुआ घोषित किया,
लेकिन अब उनका मन भी ललचा रहा था बस कम्मो को पकड़ के उठा के जहाँ पास में दूबे भाभी रेनू को अपनी बुर चटा रही थीं वहीँ बगल में पेटीकोट उठा के सीधे कम्मो के मुंह पे बैठ गयीं,...
बिना कहे कम्मो जानती थी वो हारी हुयी टीम की है उसे क्या करना है , हलके हलके अपनी जीभ से मोहिनी भाभी की बुर चाटने लगी।
कच्ची कलियों से ननदों से बुर चटाने का मजा ही अलग है,... और आज तो शुरुआत थी अब ननद सब भी जानती थीं, साल भर तक,... रात भर भौजाइयां ननदों के भाई से चुदवाएंगी तीन बार चार बार उनकी मलायी बुर में घोंटेंगी , और सुबह सुबह वही उनके भाई की रबड़ी मलाई से बजबजाती बुर अपनी ननदों से चटवाएंगी , तोहरे भाई क है बोल कैसा स्वाद है,
मिश्राइन भाभी सब भौजियों को ललकार रही थी अरे कोई ननद कम से कम आधा दर्जन भौजाई क बूर चूस के झाड़े, .. अरे आँख बंद कर के एक बार के चाट के बताय दें कौन भौजाई की बुर है तब बात है, ... छोड़ना मत कउनो को, ... आज मौका आया है
लीला और नीलू दोनों थक के चूर पड़ी थीं , हिलने की भी ताकत नहीं थी , इत्ती लम्बी कबड्डी के बाद दो राउंड कुश्ती में उनका दम निकल गया था, बस यही लग रहा था अब कोई उठने को न कहे,
उनके पास ही चमेलिया और गुलबिया खड़ी थीं,... थोड़ी दूर पे कजरी चननीया को एक बार चूस के झाड़ चुकी थी.
मिश्राइन भाभी ने हड़काया,
अरे चमेलिया, गुलबिया चननिया, दो दो ननद छिनार निसूती टांग फैलाये बुर चियारे पड़ी हैं देख का रही हो चढ़ जाओ,...
बस उन तीनों ने चमेलिया, गुलबिया चननिया, ने नीलू और लीला को छाप लिया और फ्री फॉर ऑल शुरू हो गया।
मिश्राइन भौजी के साथ मंजू भाभी, रज्जो भाभी और बाहर बैठीं भौजाइयां भी चमेलिया गुलबिया को ललकार रही थी,
फाड़ दे लीलवा क,... पेल दे पूरा , अबकी क होली याद रखे निलुवा,...
अब आया है ऊंट पहाड़ के नीचे,...
और सच में ऊंट पहाड़ के नीचे आ गया था,... अब तक लीलवा और निलुवा कच्ची कलियों से लड़ रही थीं और अब जबरदंग भौजाइयां सामने थीं देह की करेर, खूब तगड़ी और और रगड़ने में भी कोई कोर कसर नहीं रखने वाली,... और लीला और नीलू इत्ती देर की कबड्डी और फिर दो राउंड की कुश्ती के बाद थक गयी थीं,... और सबसे बड़ी बात अब तो ननदें हार गयी थीं, तो सिर्फ आज नहीं साल भर तक उन्हें रगड़वाना था, मरवाना था, किसी भी भौजाई की किसी बात को ना नहीं कह सकती थीं,...
चमेलिया, गुलबिया दोनों लीला पे चढ़ीं,..
चमेलिया ने अपनी बुर खोल के अपनी ननद के मुंह पे रगड़ना शुरू किया और दोनों हाथों से ननद की दोनों गेंदों से खेलने लगी,
और गुलबिया ने पहले तो कुछ देर तक अपनी बुर से लीला की चूत रगड़ी, फिर हथेली पे थूक लगा के जोर जोर से, लीला की बुर मसली और चिढ़ाने लगी,
" अरे ननद रानी, तीन महीना भौजाई क मयके क मजा ले लो फिर जेठ में तो ससुरे में रोज कबड्डी खेलोगी चलो तोहें सिखाय दूँ कैसे पिया पेलेंगे,... " और गच्चाक से एक साथ तीन ऊँगली अंदर,...
कुछ दर्द से कुछ मजे से लीला उछली, पर अभी तो ये शुरुआत थी, गुलबिया ने पहले तो कैंची की फाल की तरह उँगलियों को फैलाया, और फैलाती गयी, फिर गोल गोल, लीला की बुर में घुमाने लगी, और साथ में खेल तमाशा देख रही ननदों को ललकारने लगी,...
"देखो देखो देखो तमाशा देखो,... अरे अभी तुम सब की गाँड़ भी मारी जाएगी मुट्ठी से और बुर भी,... और फिर हमरे भाई लोगन से भी, सब छिनार ननद अपने भाई से रोज बिना नागा चुदवाती हैं तो भाभी के भैया से भी,...."
और थोड़ी देर में चौथी ऊँगली भी घुस गयी, लीला बहुतों से चुदी थी लेकिन तब भी चार उँगलियाँ बहुत होती हैं और गुलबिया की कलाई की ताकत भी बहुत थी,... और अब चार ऊँगली से ,... क्या कोई मर्द लंड पेलेगा जिस तरह गुलबिया उँगलियाँ ठेल रही थी,... और फिर चम्मच की तरह मोड़ के करोच भी रही थी अंदर,...
उसके मुंह पे बुर रगड़ती चमेलिया हलके हलके लीला की चूँची पे मार रही थी,...
" हे छिनरो और जोर से चूस तोहार महतारी क भोंसड़ा न हो,नयी नयी भौजी क चूत हो झाड़ जल्दी, ... नहीं तो दोनों मुट्ठी एक साथ गाँड़ में पेल दूंगी,..."
लेकिन चमेलिया को झाड़ने के बाद भी लीलवा को छुट्टी नहीं मिली,... और चमेलिया अपने बड़े बड़े चूतड़ फैला के सीधे गाँड़ का छेद फैला के लीला के मुंह पे
" अरे जीभ अंदर डाल के अरे और अंदर तक "
और गालियां अलग, तोहार भाई गांडू, ... गंडचट्टो, अरे अभी सब खिलाऊंगी पिलाऊंगी सबके सामने,...
उधर चननिया ने नीलू को निहुरा दिया,...
चमेलिया और मिश्राइन भौजी ने तो..चननिया -नीलू
और गाँव का स्टैप ऑन
लेकिन चमेलिया को झाड़ने के बाद भी लीलवा को छुट्टी नहीं मिली,... और चमेलिया अपने बड़े बड़े चूतड़ फैला के सीधे गाँड़ का छेद फैला के लीला के मुंह पे
" अरे जीभ अंदर डाल के अरे और अंदर तक "
और गालियां अलग, तोहार भाई गांडू, ... गंडचट्टो, अरे अभी सब खिलाऊंगी पिलाऊंगी सबके सामने,...
उधर चननिया ने नीलू को निहुरा दिया,...
"चल बन कुतीया, कातिक क कुतिया अस हरदम गर्मायी रहती है न अब परसों से हमार सब के भाई आयके रोज चढियें तो कुल गरमी निकर जाई,, ... बन"
और नीलू निहुरी हुयी, चननिया ने किसी ननद के फटे टॉप की रस्सी सी बनायी और नीलू के गले में बाँध दी, कुतिया के चेन की तरह,... और उसको ले कर जिधर सब भौजाइयाँ बैठीं थी उधर,...
कोई भौजाई नीलू के चूतड़ पे एक हाथ हलके से मारती तो किसी को चननिया बोलती,
" अरे यह कुतिया क दोनों छेद खुला है,... खोल के देख ला "
और खुद नीलू की गाँड़ फैला के सबको दिखाती
गांड उसकी मारी गयी थी ये सबको पता था लेकिन आज सबके सामने एक ननद की,...
सब भाभियाँ मंजू भाभी को मिश्राइन भौजी को बधाई दे रही थीं और कुछ लोग मेरी सास को, क्या चुन के बढ़िया नयकी बहुरिया लायी हैं रूप में पूनो का चाँद और काम काज में भी फिर आज तो जादू हो गया, ... कोई सोच नहीं सकता था बहुरियों की टीम कभी जीतेगी,...
लेकिन थोड़ी देर में चननिया ने नीलू को रज्जो भौजी और रमजनिया के हवाले कर दिया,
और वो लौटी तो उसके हाथ दो दर्जन से ज्यादा डिल्डो और फंसा के स्ट्रैप ऑन बनाने वाले कपडे भी लगे थे।
जब मैंने अल्टीमेट सरेंडर वाली पिक्स दिखाई थीं तभी मोहिनी भाभी ने कहा " है तो बड़ा मजेदार, लेकिन ये कहाँ से मिलेगा " उनका इशारा स्ट्रैप ऑन डिलडो की ओर था
लेकिन चमेलिया गुलबिया और चननिया के पास सब सवाल का जवाब था ,
चमेलिया बोली, चाकी क खूंटा उखाड़ के ले आएंगे,...
तो चननिया बोली, अरे गोरु बरधा क खूंटा उखाड़ लाऊंगी नहीं तो बढई से कह के गढवाई लूँगी,...
मिश्राइन भाभी ने फैसला सुना दिया कम से कम एक फूटा, हो और दो ढाई दर्जन
दूबे भाभी ने एक और जोड़ जोड़ा, और मैं कंडोम का जुगाड़ कर दूंगी बस खूंटा पे कंडोम चढ़ाय के, और बाँधने का हो ही जाएगा,... दूबे भाभी के एक देवर गाँव की सरकारी डिस्पेंसरी में कम्पाउंडर थे बस दो चार बड़ा पैकेट निरोध,... डीलक्स वाला,...
और चननिया वही सब ले के आयी थी।---
मोहिनी और रज्जो भौजी ने बैठ के सब डिलडो ऐसे खूंटो पर कंडोम चढ़ा दिया, मोहिनी भाभी आयीं और नैना को मेरे पास से खींच के ले गयीं बीच मैदान में
" अरे जब तक नैना ननदिया क गाँड़ न मारल जाई तब तक कबड्डी क मैच क मजा क्या आयी "
पर नैना हंस के बोली,
" एकदम भौजी,... अरे हमरे भैया लोगन से रोज मरवाती हैं भौजी लोग उनकी महतारी एही लिए विदा कर के भेजी है तो साल में एकाध दिन, ननद भी,..."
उधर मिश्राइन भौजी ने चमेलिया को इशारा किया मेरे पास जाने के लिए और मैं भी एक फुटा डिलडो लगा के तैयार,...
इसी ले लिए तो सब खेल हुआ था और आज टीम के बाहर भी दर्जनो भौजाइयों ने,... मिश्राइन भाभी , मंजू भाभी और दूबे भाभी ने भी हाँ कच्ची कलियों, बिन चुदी के डिलडो नहीं होना था, पर यह बात सिर्फ मुझे मिश्राइन भौजी और एक दो को मालूम थी की ये कच्ची कलियाँ कल जब अपने सगे चचेरे भाइयों से फड़वा लेंगी, इसके बाद कल इनकी रगड़ाई सूद समेत होगी, ... हाँ कल बजाय डिलडो के मुट्ठी,...
सबसे ज्यादा रगड़ाई निलुआ की हो रही थी,
चननिया और गुलबिया दोनों ने उसे दबोच रखा था और चमेलिया ने निहुरा के उसके पिछवाड़े अपना खूंटा पेल दिया,
क्या जोर जोर से चोकर रही थी, बगल में मैं भी थी। मैंने चननिया को इशारा किया और उसने अपना खूंटा नीलू के मुंह में ठेल दिया।
मैंने कजरी को पकड़ लिए , हमारे नाउन की बिटिया, गुलबिया की ननद, छुटकी की समौरिया,... होली के दिन भी मैंने उसकी रगड़ाई की, थी, ... पहले तो उसके मुंह में डाल के खूंटा चुसवाया,... फिर जैसे कोई मर्द गौने की रात दुल्हन पे चढ़ता है, दोनों टांग उठा के , जाँघे फैला के मैंने पेल दिया,...
और उसकी छोटी छोटी चूँचियाँ खूब मस्त थीं मैं वो भी रगड़ मसल रही थी,...
मोहिनी भाभी और रज्जो भाभी नैना के पीछे पड़ी थीं।
मंजू भाभी और दूबे भाभी ने लीला को दबोच रखा था।
लेकिन हारी हुयी टीम से ज्यादा रगड़ाई बाहर बैठी नंदों की हो रही थी,... चाहे ब्याही हो या बिन ब्याही,... मिश्राइन भाभी एक हमारी बड़ी ननद थीं , दो बच्चे भी थे, होली में आयी थीं उन्हें पकड़ लिया और साथ में रमजानिया और एक दो और भौजाई, आराम से उन्होंने पहले तीन , फिर चार ऊँगली, फिर पूरी मुट्ठी
मैं जिसको ढूंढ रही थी , वो नहीं दिख रही थीं , मेरी मंझली ननद,... इनकी सगी बहन, इनसे थोड़ी ही छोटी,... कजरी को चोद के मैं उठी तो गुलबिया ने मुझे इशारा किया, ... दो भौजाइयां उनको रगड़ रही थीं,... लेकिन खाली ऊँगली से,
पर मुझे आते देख के उन दोनों ने मेरी मंझली ननद को उन दोनों ने छोड़ दिया और एक कच्ची उमर वाली दिख गयी, दौड़ा के उसे पकड़ लिया।
गरियाना गुलबिया ने शुरू किया,... गुलबिया हमारे नाउन की बहू , तो भौजी ही हुयी और चमेलिया मेरी अकेली देवरानी गाँव में , ...
" अरे हमरे नंनद क बुर में गदहा घोडा क पता नहीं चलता ये ऊँगली से का होगा इनका। "
अभी कुछ देर पहले हीं फरमाइश किया था...ननदिया मेरी, मेरे साजन की बहिनिया
मैं जिसको ढूंढ रही थी , वो नहीं दिख रही थीं , मेरी मंझली ननद,... इनकी सगी बहन, इनसे थोड़ी ही छोटी,... कजरी को चोद के मैं उठी तो गुलबिया ने मुझे इशारा किया, ... दो भौजाइयां उनको रगड़ रही थीं,... लेकिन खाली ऊँगली से,
पर मुझे आते देख के उन दोनों ने मेरी मंझली ननद को उन दोनों ने छोड़ दिया और एक कच्ची उमर वाली दिख गयी, दौड़ा के उसे पकड़ लिया।
गरियाना गुलबिया ने शुरू किया,... गुलबिया हमारे नाउन की बहू , तो भौजी ही हुयी और चमेलिया मेरी अकेली देवरानी गाँव में , ...
" अरे हमरे नंनद क बुर में गदहा घोडा क पता नहीं चलता ये ऊँगली से का होगा इनका। "
होली के दिन मेरी ननद ने मेरी खूब रगड़ाई की थी, जबरदस्ती दो चार पाउच पिला के, और नशे में मैं खुद अपने ममेरे भाई ( जो सगे भाई से भी बढ़कर था , सगा भाई तो कोई था नहीं उमर में भी मुझसे दो ढाई साल छोटा, मंझली के से थोड़ा बड़ा अभी ११ वे में गया था ) के ऊपर मुझे चढ़ा दिया, ये बोल के की मेरा देवर है, ... वो इतना रंगा पुता मैं इतने नशे में, जबरस्ती उसे पटक के चूस के पहले खड़ा किया, फिर चढ़ के चोद दिया,
अपने भाई को,
सबके सामने मेरी ननद, नन्दोई जेठानी सब के सामने इन्ही ननद के चक्कर में मैं अपने भैया को जबरदस्ती ऊपर चढ़ के खुद चोद रही थी और वो लोग हो हो कर रहे थे।
थोड़ी देर में वो ऊपर,... और मेरी ननद मुझे और कस कस के चढ़ा रही थीं , भाभी कच्चा कुंवारा देवर है ले लीजिये इसकी कस के और मैं उसे माँ बहिन की गारी दे दे कर,... नीचे से धक्का मार मार के कस के दबोच के चुदवा रही थी, तबतक मेरे ननदोई जी आ गए, खूंटा उनका भी खड़ा एकदम तन्नाया,... उन्होंने मुझे इशारा किया की मैं बोलूं नहीं, उस लौंडे को पता न चले,...
मैं क्यों बोलती मैं तो उसे देवर समझ रही थी, सोच रही थी उनका भी साला लगेगा,... और वो पीछे से चढ़ गए, दोनों ओर से उसके साथ,.... जब वो और नन्दोई जी दोनों झड़ने लगे,...
तो ननद ने हम लोगों के ऊपर चार बाल्टी पानी डाल दिया, मेरा नशा और उसका रंग दोनों उतर गए।
अब यही मंझली ननद चिढ़ाने लगी,
"क्यों भौजी हमरे भैया के संग तो रोज मजा लेती हो आज अपने भैया के साथ मज़ा लेकर कैसा लग रहा है, कुल राखी क बंधाई तोहरी बिल में मलाई उगल के दे देगा ये स्साला।"
मैं एकदम झड़ने के के कगार पे थी और ननदोई जी भी ऐसे में वो स्साला चाहता भी तो कौन छोड़ता, पहले मैं झड़ी,... फिर वो मेरे अंदर और फिर नन्दोई जी,... उसके अंदर,
तभी मैंने तय कर लिया था की इस होली का बदला रंगपंचमी ख़त्म होने के पहले,... मेरा तो ममेरा था, उनका सगा भैया, मेरा सैंया, ... न चढ़ाया तो इस स्साली की भौजी नहीं, वो भी अपने सामने,... और कबड्डी के मामले में हरदम वो बोलती रहती थी जीतेंगी तो ननद ही,...
और अब जब ननद सब हार गयी थी, सब ननदों की ऐसी की तैसी हो रही थी, तो मेरे सामने मौका था और गुलबिया चमेलिया मेरी दोनों सहेलियां साथ में जोश में माती,
हम तीनो ने उन्हें जब घेरा तो ननद रानी ने अपनी साड़ी जो भौजाइयों ने हम लोगों के मैच जीतते ही चार टुकड़े में कर दिया था उसके टुकड़े उठा के अपने ऊपर रख लिया, पर गुलबिया, कजरी की भौजी, हमारे नाउन की बहु तो पक्की भौजी ही हुयी मेरी ननद की, उसने पहले तो चिढ़ाया
" काहो ननद रानी, हमरे देवरन से तो खूब मिसवावत हो, दबवावत हो, और आज भौजाई लोगन से छिपा रही हो,... "
" कोई खास चीज है का " हमारे यहाँ कुंए से पानी भरने वाले कहार कल्लू की मेहरारू, मेरी अकेली देवरानी, जो घर में सबको तेल लगाती थी काम करती थी, चमेलिया उस ने छेड़ा और कपडे के टुकड़े हटा दिए,
जोबन जबरदस्त,... एकदम खड़े और बड़े कड़े, निपल भी टनाटन, अभी जो भौजाइयां उनकी रगड़ाई कर रही थीं उसका नतीजा,...
एक घुंडी मैं पकड़ के रगड़ने लगी दूसरी चमेलिया,...
"अरे अब ननद को भौजाई बनाउंगी तो मजा आएगा, "
चमेलिया घुंडी रगड़ती बोली,
ननद मेरी कम मस्त नहीं थी उलटे छेड़ते बोलीं उसे,
"हे भौजी तू लोग आयी हो अपने अपने मायके से चुदवाने, हमरे गाँव क लंड क तारीफ़ सुन सुन के तो हम तो ननद ही रहेंगे और हमार भाई सब गपागप पेलेंगे, चाहे तू हारा चाहे जीता,... रोज रात में तोहरे सैंया चढ़िये और दिन में देवर,... और लंड घोंट के मजा ले के हमरे नयकी भौजी की तरह पहले आपन छोट बहिन, फिर महतारी सब को बुलवाओगे चुदवाने,... देखा ये ले आयी हैं न आपन छोट बहिन, अब गपागप घोंटेंगी हमरे भाई लोगन क औजार,... "
गुलबिया जो मेरी ननद के पिछवाड़े पड़ी थी, बोली,...
"अब हार गयी हो न तो हम सबके मायके से हमरे भाई आय के चढ़ेंगे, अरे यह गाँव क कउनो लौंडा तो कउनो ननद से बचा नहीं है अपने भाईयो से तो बहुत चुदवाय ली हो अब हम लोगन क भाई लोग नंबर लगाएंगे, तो हो जाओगी न भौजी,... हमरे भाई क चोदी,..."
मैं और चमेलिया अब कस के उनकी चूँचिया दबा रहे थे और चमेलिया बोली,
" हे गुलबिया हट आज यह छिनार का गाँड़ हम मारब पहले,... "
गुलबिया अब तक एक ऊँगली घुसा चुकी थी बोली, " अरे तू देवरानी हउ तोहार नंबर बाद में " और दूसरी ऊँगली भी पेल दी,...
" नहीं नहीं तू मुट्ठी कर के ढीली कर दोगी तो का मजा आएगा, ... " चमेलिया मानने के तैयार नहीं थी,...
मिश्राइन भौजी जो पास में ही किसी कच्ची कली को पकड़ के अपनी बुर चटवा रही थीं, वहीँ से अपना फैसला सुना दिया,...
" अरे तुम दोनों काहें झगड़ रही हो , दोनों एक साथ मुट्ठी पेलो, गाँड़ फटेगी जो मोचिया के यहां सिलवा लेंगी और सिलवाई में आपन दुनो जोबन लिख देंगी, "
हाँ यह सही है, चमेलिया और गुलबिया एक साथ बोलीं तो मैंने भी साथ दिया,
" ठीक है पिछवाड़े अगवाड़े में फर्क नहीं होना चाहिए,... तो दोनों एक एक मुट्ठी ननद रानी की गंडिया में पेलो और हम आपन दुन्नो मुट्ठी उनकी बुरिया में एक साथ पेलते हैं वरना ननद कहीं बुरा मान मान गयीं की उनकी बुरिया की खातिर ठीक से नहीं हुयी। " मैं बोली
और ननद चिल्लाईं जोर से, .... नहीं नहीं एक साथ दो दो नहीं,...
" अरे हमरे दू दू तीन तीन देवर एक साथ चढ़वाती हो और भौजाई के नाम पे गाँड़ फट रही है,... " गुलबिया ने चिढ़ाया।
वो बेचारी मेरी ओर देखने लगी और मुझे मौका मिल गया,... मैंने कान में बोला , दुहरी मुट्ठी से बचना है तो मेरी दो तीन बात माननी होगी। "
Awesome superb updateभाग ६५
भाभियों की जीत का जश्न
1,111,922
सब भौजाइयां कम्मो का साथ दे रही थीं,
"पेल साल्ली के, पेल कस के अरे अभी तो हम लोग मुट्ठी डालेंगे, ... पूरा ठेल दे,"
गाँव के मरद एक से एक चुदक्क्ड़ सब एक से एक,... मोटे लंड निलुवा घोंट चुकी थी,... और कभी दस बारह मिनट के पहले झड़ती नहीं थी, लेकिन कम्मो की ऊँगली से गीली तो हो ही रही थी चूत उसकी पनिया रही थी, -और कुछ नीलू की पट्टी वाली नीलू को भी ललकार रही थी,
"अरे स्साली कल की लौंडिया से हार जाओगी , जिस की झांटे भी ठीक से नहीं आयी हैं, पलट, पलट निलुआ, ... पलट कम्मो छिनार को,... "
नीलू लाख कोशिश कर रही थी लेकिन कम्मो की हाथ की पकड़ बहुत तगड़ी थी,... दोनों हाथों को नीलू के कम्मो ने अपने दाएं हाथ से जकड़ रखा था,... नीलू कितना भी कसर मसर करे,
मोहिनी भाभी ने बोला सिर्फ डेढ़ मिनट बचा है,...
नीलू ने अपनी देह ढीली कर दी, और कम्मो का ध्यान भी पूरी तरह से बुर में ऊँगली करने में था, कम्मो चुदी नहीं थी, झिल्ली नहीं फटी थी लेकिन बाकी अपनी समौरियों की तरह अनजान नहीं थी, ... ऊँगली करने के साथ अब वो अंगूठे से नीलू की क्लिट भी रगड़ने लगी लेकिन उसका ध्यान जरा सा हटा, और नीलू ने पूरी ताकत से और, कम्मो अलग हो गयी,...
पर नीलू कम्मो के ऊपर नहीं चढ़ी,.. वो सरक कर दूर कम्मो के पैरों के पास हट गयी,... और जैसे कोई मरद गौने की रात अपनी दुलहन की दोनों टांगों को फैला के अपने दोनों कंधो पे चढ़ा के चोदने तैयारी करता है,
बिलकुल उसी तरह, फरक इतना था की लंड की जगह नीलू के होंठ थे कम्मो की चिकनी चूत पे , कुछ देर तक तो उसने जीभ से पहले पनियाया, थूक कर के गीला किया , फिर सीधे दोनों फांकों को पकड़ के चूसना शुरू किया और शुरू से ही पूरी रफ़्तार से,
बाएं हाथ का अंगूठा कम्मो की क्लिट पे, और दाएं हाथ से कम्मो की चूँची पकड़ के,... क्या कोई मर्द मसलेगा, बीच में निप्स को पकड़ के खींच लेती कम्मो सिसक पड़ती,...
कम्मो थक भी गयी थी और ये तिहरा मजा उसे कभी एक साथ नहीं मिला था, थोड़ी देर में तन मन से उसने सरेंडर कर दिया,
मोहिनी भाभी ने ३० सेकेण्ड का टाइम बोला,... और नीलू ने हलके से क्लिट काट ली,
फिर तो जैसे ज्वालामुखी फूट पड़ा हो, कम्मोउछल रही थी चूतड़ बित्ते भर उछाल रही थी, झड़ रही थी, चाशनी निकल कर गोरी गोरी जाँघों पर बह रही थी,... थोड़ी देर पहले कबड्डी में भी आखिरी राउंड में उसको भौजी लोगों ने जबरदस्त झाड़ा था और अब दुबारा,... वो उठने की हालत में नहीं थी,
नीलू ही उठी, मोहिनी भाभी ने नीलू को जीता हुआ घोषित किया,
लेकिन अब उनका मन भी ललचा रहा था बस कम्मो को पकड़ के उठा के जहाँ पास में दूबे भाभी रेनू को अपनी बुर चटा रही थीं वहीँ बगल में पेटीकोट उठा के सीधे कम्मो के मुंह पे बैठ गयीं,...
बिना कहे कम्मो जानती थी वो हारी हुयी टीम की है उसे क्या करना है , हलके हलके अपनी जीभ से मोहिनी भाभी की बुर चाटने लगी।
कच्ची कलियों से ननदों से बुर चटाने का मजा ही अलग है,... और आज तो शुरुआत थी अब ननद सब भी जानती थीं, साल भर तक,... रात भर भौजाइयां ननदों के भाई से चुदवाएंगी तीन बार चार बार उनकी मलायी बुर में घोंटेंगी , और सुबह सुबह वही उनके भाई की रबड़ी मलाई से बजबजाती बुर अपनी ननदों से चटवाएंगी , तोहरे भाई क है बोल कैसा स्वाद है,
मिश्राइन भाभी सब भौजियों को ललकार रही थी अरे कोई ननद कम से कम आधा दर्जन भौजाई क बूर चूस के झाड़े, .. अरे आँख बंद कर के एक बार के चाट के बताय दें कौन भौजाई की बुर है तब बात है, ... छोड़ना मत कउनो को, ... आज मौका आया है
लीला और नीलू दोनों थक के चूर पड़ी थीं , हिलने की भी ताकत नहीं थी , इत्ती लम्बी कबड्डी के बाद दो राउंड कुश्ती में उनका दम निकल गया था, बस यही लग रहा था अब कोई उठने को न कहे,
उनके पास ही चमेलिया और गुलबिया खड़ी थीं,... थोड़ी दूर पे कजरी चननीया को एक बार चूस के झाड़ चुकी थी.
मिश्राइन भाभी ने हड़काया,
अरे चमेलिया, गुलबिया चननिया, दो दो ननद छिनार निसूती टांग फैलाये बुर चियारे पड़ी हैं देख का रही हो चढ़ जाओ,...
बस उन तीनों ने चमेलिया, गुलबिया चननिया, ने नीलू और लीला को छाप लिया और फ्री फॉर ऑल शुरू हो गया।
मिश्राइन भौजी के साथ मंजू भाभी, रज्जो भाभी और बाहर बैठीं भौजाइयां भी चमेलिया गुलबिया को ललकार रही थी,
फाड़ दे लीलवा क,... पेल दे पूरा , अबकी क होली याद रखे निलुवा,...
अब आया है ऊंट पहाड़ के नीचे,...
और सच में ऊंट पहाड़ के नीचे आ गया था,... अब तक लीलवा और निलुवा कच्ची कलियों से लड़ रही थीं और अब जबरदंग भौजाइयां सामने थीं देह की करेर, खूब तगड़ी और और रगड़ने में भी कोई कोर कसर नहीं रखने वाली,... और लीला और नीलू इत्ती देर की कबड्डी और फिर दो राउंड की कुश्ती के बाद थक गयी थीं,... और सबसे बड़ी बात अब तो ननदें हार गयी थीं, तो सिर्फ आज नहीं साल भर तक उन्हें रगड़वाना था, मरवाना था, किसी भी भौजाई की किसी बात को ना नहीं कह सकती थीं,...
चमेलिया, गुलबिया दोनों लीला पे चढ़ीं,..
चमेलिया ने अपनी बुर खोल के अपनी ननद के मुंह पे रगड़ना शुरू किया और दोनों हाथों से ननद की दोनों गेंदों से खेलने लगी,
और गुलबिया ने पहले तो कुछ देर तक अपनी बुर से लीला की चूत रगड़ी, फिर हथेली पे थूक लगा के जोर जोर से, लीला की बुर मसली और चिढ़ाने लगी,
" अरे ननद रानी, तीन महीना भौजाई क मयके क मजा ले लो फिर जेठ में तो ससुरे में रोज कबड्डी खेलोगी चलो तोहें सिखाय दूँ कैसे पिया पेलेंगे,... " और गच्चाक से एक साथ तीन ऊँगली अंदर,...
कुछ दर्द से कुछ मजे से लीला उछली, पर अभी तो ये शुरुआत थी, गुलबिया ने पहले तो कैंची की फाल की तरह उँगलियों को फैलाया, और फैलाती गयी, फिर गोल गोल, लीला की बुर में घुमाने लगी, और साथ में खेल तमाशा देख रही ननदों को ललकारने लगी,...
"देखो देखो देखो तमाशा देखो,... अरे अभी तुम सब की गाँड़ भी मारी जाएगी मुट्ठी से और बुर भी,... और फिर हमरे भाई लोगन से भी, सब छिनार ननद अपने भाई से रोज बिना नागा चुदवाती हैं तो भाभी के भैया से भी,...."
और थोड़ी देर में चौथी ऊँगली भी घुस गयी, लीला बहुतों से चुदी थी लेकिन तब भी चार उँगलियाँ बहुत होती हैं और गुलबिया की कलाई की ताकत भी बहुत थी,... और अब चार ऊँगली से ,... क्या कोई मर्द लंड पेलेगा जिस तरह गुलबिया उँगलियाँ ठेल रही थी,... और फिर चम्मच की तरह मोड़ के करोच भी रही थी अंदर,...
उसके मुंह पे बुर रगड़ती चमेलिया हलके हलके लीला की चूँची पे मार रही थी,...
" हे छिनरो और जोर से चूस तोहार महतारी क भोंसड़ा न हो,नयी नयी भौजी क चूत हो झाड़ जल्दी, ... नहीं तो दोनों मुट्ठी एक साथ गाँड़ में पेल दूंगी,..."
लेकिन चमेलिया को झाड़ने के बाद भी लीलवा को छुट्टी नहीं मिली,... और चमेलिया अपने बड़े बड़े चूतड़ फैला के सीधे गाँड़ का छेद फैला के लीला के मुंह पे
" अरे जीभ अंदर डाल के अरे और अंदर तक "
और गालियां अलग, तोहार भाई गांडू, ... गंडचट्टो, अरे अभी सब खिलाऊंगी पिलाऊंगी सबके सामने,...
उधर चननिया ने नीलू को निहुरा दिया,...
माँ मौसी की ट्रेनिंग आज काम आई...मेरी ननदिया
बनाएगी अपने सगे भैया को भतार,
बनेगी मेरे साजन की सजनिया
मिश्राइन भौजी जो पास में ही किसी कच्ची कली को पकड़ के अपनी बुर चटवा रही थीं, वहीँ से अपना फैसला सुना दिया,...
" अरे तुम दोनों काहें झगड़ रही हो , दोनों एक साथ मुट्ठी पेलो, गाँड़ फटेगी जो मोचिया के यहां सिलवा लेंगी और सिलवाई में आपन दुनो जोबन लिख देंगी, "
हाँ यह सही है, चमेलिया और गुलबिया एक साथ बोलीं तो मैंने भी साथ दिया,
" ठीक है पिछवाड़े अगवाड़े में फर्क नहीं होना चाहिए,... तो दोनों एक एक मुट्ठी ननद रानी की गंडिया में पेलो और हम आपन दुन्नो मुट्ठी उनकी बुरिया में एक साथ पेलते हैं वरना ननद कहीं बुरा मान मान गयीं की उनकी बुरिया की खातिर ठीक से नहीं हुयी। " मैं बोली
और ननद चिल्लाईं जोर से, .... नहीं नहीं एक साथ दो दो नहीं,...
" अरे हमरे दू दू तीन तीन देवर एक साथ चढ़वाती हो और भौजाई के नाम पे गाँड़ फट रही है,... " गुलबिया ने चिढ़ाया।
वो बेचारी मेरी ओर देखने लगी और मुझे मौका मिल गया,... मैंने कान में बोला , दुहरी मुट्ठी से बचना है तो मेरी दो तीन बात माननी होगी। "
उन्होंने तुरंत हाँ में सर हिला दिया। मैंने खूब धीमे से बोला, जिससे चमेलिया, गुलबिया तो आसानी से सुन लें,...और इस बात की गवाह रहें की मेरी ननद ने गाँव के खुले मैदान में इन सबके सामने का का कबूला
" मेरे सैंया और अपने भैया के साथ,.... आज रात को, और आज ही नहीं जब मैं कहूं जहाँ कहूं , जिसके सामने कहूं,... जो कहूं "
बड़ी जोर से उन्होंने ना में सिर हिलाया और मैंने अनुवाद कर के चमेलिया गुलबिया को सुना दिया, ( ननद की ना ना को सुने तो भौजाई किस बात की )
" अपने भैया क रखैल, मान तो गयी हैं दू मुट्ठी एक साथ के लिए, लेकिन दो शर्त है, पहली गुलबिया पहले गौने उतरी तो पहले वो डाले, और उसके बिना निकाले चमेलिया वो गाँव में सबसे बाद में गौने उतरी है तो वो,...
चमेलिया तुरंत मुंह बना के बोली,... बड़ी ननद है और आप दोनों जेठान है इसलिए मान लेते हैं चल गुलबिया तू पेल और जब तोहार मुट्ठी पूरी तरह अंदर तो हमहुँ पेलब, "
" अरे नहीं" मैंने तुरंत टोका, " अरे ननद रानी क बात तो सुन लो दुनो भौजाई क एक साथ कोहनी तक, खाली मुट्ठी तो ऊंट के मुंह में जीरा होगा ननद रानी के "
ये बात सही है कोहनी तक पेलल जाई, आज इहो याद कर लेंगी की दू दू भौजाई से पाला पड़ा था, ... चमेलिया गुलबिया दोनों बोलीं,...
बेचारी मेरी ननद उछल के बोलीं, " अरे मैंने ये तो नहीं कहा था,... "
मिश्राइन भाभी भी सुन रही थीं एक कुँवारी ननद को ऊँगली करती बोलीं,
" अरे कइसन भौजाई हो, ये ननदियन क भाई पेलने क पहले पूछते हैं का, तो जो तुम सब पूछ रही हो पेलो दू दू मुट्ठी एक साथ,... अपने ससुरारी क होली भुला जाएँ "
अब ननद समझ गयी थीं बचत नहीं है या तो मेरी बात मान जाएँ या फिर डबल फीस्टिंग,... ननद कौन जो छिनार न हो बोलीं अदला बदली,
मैं झट से मान गयी नन्दोई मेरे बड़े ही रसिया मेरे जुबना के भी दीवाने और पिछवाड़े , मायके में होली का मज़ा जीजा के साथ और ससुराल में ननदोई के साथ , दोनों खेले खाये,...
लेकिन मैंने साफ़ भी कर दिया की अगर ननदोई नहीं होगें तो भी उन्हें मेरे सैंया के साथ,... गुलबिया हाथ मोड़ के चार ऊँगली ननद के पिछवाड़े घुसा चुकी थी , चमेलिया भी मुट्ठी मोड़ खोल के तैयार हो रही थी,
मान गयीं ननद रानी ,
मैंने तीन तिरबाचा भरवाया, जोर जोर से बुलवा कर, वो खुद बोलीं
अपने सगे भैया से चुदवाएंगी, गाँड़ मरवाएँगी, मेरे सामने, और मैं जब कहूं तब, जिसके सामने कहूं उसके सामने
एक बार नहीं बार बार बोलीं वो , गुलबिया चमेलिया तो सुन रही थीं बाकी भी एक दो, चननिया, रमजानिया उन्होंने भी सुना होगा और कल तक पूरे गाँव में बाँट आएँगी
मैंने उनको समझाया भी था ननद रानी आपके सैंया ने मेरी भी ली, मेरी छोटी बहन की भी ली और सबके सामने ली आपके मेरी सास के मेरे मरद के, ... तो फिर मेरे साजन का हक़ बनता है तोहरी बुर और गाँड़ पर,...
और उसके बदले में डबल फिस्टिंग, एक छेद में दो दो मुट्ठी एक साथ, से बच गयीं
हाँ बुर और गाँड़ दोनों में तो मुट्ठी साथ साथ होनी ही थी,
और मैंने उनके रसीले होंठों को सहला के चमेलिया को इशारा किया वो तुरंत चढ़ के अपनी बुर उनसे चटवाते बोली,... जबसे गौने उतरी थी और ननद तोहें देखी तभी से यह लाल लाल होंठ देख के मन करता था तोहसे चटवाने चुसवाने का,.. अरे तानी जोर जोर से चूसा,... बिना झड़वाये न छोड़ब,...
मैं ननद रानी के बुर में मुट्ठी डालने की कोशिश कर रही थी।
ये बात सही थी की इसके पहले मैंने ननद को मुठियाया नहीं था लेकिन देखा तो कितनी बार था, सबसे पहले और सबसे ज्यादा बार माँ को ही बुआ की बिल में और वो मुझे पास बुला के,.... देख ले बियाह के बाद अपनी ननदन को भी,... सिर्फ माँ नहीं चाची, मौसी,...
लेकिन छिनरपन पैदायश से सीख के आयी थी,... मेरे भतार की रखैल,... कस के अपना होंठ भींच लियामुठियाई गयीं मेरी ननदी
मान गयीं ननद रानी ,
और मैंने उनके रसीले होंठों को सहला के चमेलिया को इशारा किया वो तुरंत चढ़ के अपनी बुर उनसे चटवाते बोली,...
जबसे गौने उतरी थी और ननद तोहें देखी तभी से यह लाल लाल होंठ देख के मन करता था तोहसे चटवाने चुसवाने का,.. अरे तानी जोर जोर से चूसा,... बिना झड़वाये न छोड़ब,...
मैं ननद रानी के बुर में मुट्ठी डालने की कोशिश कर रही थी। ये बात सही थी की इसके पहले मैंने ननद को मुठियाया नहीं था लेकिन देखा तो कितनी बार था,
सबसे पहले और सबसे ज्यादा बार माँ को ही बुआ की बिल में और वो मुझे पास बुला के,.... देख ले बियाह के बाद अपनी ननदन को भी,...
सिर्फ माँ नहीं चाची, मौसी,...सब बुआ की बुर में होली में
और मेरी शादी के बाद मेरी पहली होली थी, और मैं खुले आसमान में अमराई में अपनी सास के सबके सामने ननद को,....
और कुछ कुछ मैं गुलबिया को भी देख रही थी,... मुझसे साल दो साल पहले ही तो गौने आयी थी, उमर में समौरिया ही होगी, ... जैसे चूड़ी पहनाने वाली उँगलियों को मोडती हैं, अंगूठे को जोड़ के छोटा सा, वैसे ही वो कर रही थी और वो तो ननद रानी की कसी गाँड़ में मुट्ठी करने की कोशिश कर रही थी
मैंने भी दो ऊँगली पहले,... दो ऊँगली तो ननद की बिल में आसानी से चली जाती थी कितनी बार की थी मैंने लेकिन उसके बाद तीसरी ऊँगली भी उसी पर चढ़ा के,... लेकिन मामला अटक गया मेरा भी, गुलबिया का भी,....
नकल. मुट्ठी का वो हिस्सा जहाँ उंगलिया ख़त्म होती हैं
और इसलिए भी की असली छिनरपना मेरी ननद ही कर रही थी , और मैंने देखा था की स्साली सब ननदें अपने यार के आगे तो झट से टाँगे खोल देती हैं, जाँघे फैला देती हैं, लेकिन जहाँ भौजाई मजा लेती है तो स्साली नौटंकी,... और मेरी ननदिया तो छिनारो की छिनार थी,... वो बुर और गांड दोनों कस के भींच रही थी कभी पलटने की कोशिश करती, कभी टाँगे सिकोड़ लेती,.... मैंने क्लिट को दूसरे हाथ से रगड़ा, निपल खींचा पर बस एक पल के लिए असर हुआ और फिर वही
मुट्ठी नहीं पेलने दे रही थी न बुर में न गाँड़ में जैसे हम दोनों को चिढ़ा रही हो चैलेंज कर रही हो, का हो भौजी बहुत जोर हो तो कर के दिखाओ, खाली कबड्डी जीतने से नहीं होगा,...
गुलबिया ने मुझे इशारा किया चमेलिया की ओर,...
चमेलिया, हमारे कहार कल्लू क मेहरारू, मेरी देवरानी,... ननद के मुंह पर बैठी उन्हें पिछवाड़ा चटा रही थी और गरिया रही थी
" का हो गांडचट्टो, मजा आ रहा है चाटने में , अरे जिभिया अंदर डाल के गोल गोल घुमावा तब स्वाद मिली,... हाँ ऐसे ही थोड़ा और अंदर, वरना कहोगी की छोट भौजाई कंजूसी कर दी. "
चमेलिया की निगाह मेरे ऊपर पड़ी और वो बिन बोले समझ गयी,.... और उसने ननद के जोबन कस के मसलते हुए छेड़ा,...
" चला पहले तोहें नमकीन शर्बत पिया देई, ... नहीं तो कहोगी की भौजी साल भर के त्यौहार में भी,... नमकीन तो वैसे हो और नमकीन हो जायेगी "
नन्द समझ तो रही ही थी की ये होना है , ठीक होली के दिन उन्होंने अपने साजन और नन्दोई के सामने मेरे ऊपर चढ़ के ,... और वही क्यों सबसे पहले तो सास ने ही सास का परसाद कह के , और आज तो कोई ननद नहीं बचने वाली थी, तो वो तो,...
लेकिन छिनरपन पैदायश से सीख के आयी थी,... मेरे भतार की रखैल,... कस के अपना होंठ भींच लिया लेकिन आज उनका पाला चमेलिया से पड़ा था, मेरे गोल की, और उसने दोनों नथुने एक हाथ से बंद कर दिए और दूसरे हाथ से कस के उनके निप को चिकोटने लगी और चिढ़ाने भी लगी,...
" स्साली, मेरे पूरे मायके, ससुराल की चोदी,... बंद किये रह मुंह, मत खोल देखती हूँ सांस कैसे लेती है, ...
और थोड़ी देर में मेरी ननद ने चिड़िया की चोंच की तरह मुंह खोल दिया ,
" अगर मुंह बंद हुआ , एक बूँद भी बाहर गिरी तो बहुत मारूंगी , सच में कोहनी तक पेलुँगी भले बुर गांड दोनों फट जाए,... "
ननद मुंह खोले रहीं
पहली सुनहली बूँद उनके होंठों पर और सरकती हुयी अंदर,... वो गिनगीना गयीं,.... बस यही मौका मैं और गुलबिया देख रहे थे हम दोनों ने पूरी ताकत से पेला जैसे मरद जब जान जाता है गौने की रात में की अब झिल्ली फाड़ने का टाइम आ गया है तो कमर का पूरा जोर ,... उसी तरह से हम दोनों ने ,..आधी से ज्यादा मुट्ठी अंदर ,... मेरी भी गुलबिया की भी।
और उसके बाद तो बहुत आसान था, बस एक बार नकल घुस गया तो जैसे चूड़ी वाले ढक्क्न को गोल गोल घुमा के या चूड़ी वाली २ नंबर की चूड़ी तीन नंबर की कलाई में पहना देती है बात में भुलवा के, गोल गोल घुमाते हुए,... और धीरे धीरे मेरी पूरी मुट्ठी मेरी ननद की बुर में, जहां आज रात मेरे साजन का, उनके भैया का लंड धूम मचाने वाला था,...
और गुलबिया ने भी पूरी मुट्ठी ननद की गाँड़ में पेल दी थी, बहुत ताकत थी उसकी कलाई में,...
" कहो ननद रानी जो मजा भौजाई की मुट्ठी में है वो मजा प्लास्टिक और लकड़ी के डिलडो में कहाँ " मैंने ननद को चिढ़ाया,...
और सच में मेरी उँगलियाँ बुर के अंदर का भूगोल, केमिस्ट्री सब जानती थीं, कहाँ दबाना है कहाँ रगड़ना है , कहाँ बस सहला देना है, कहाँ जोर से पेलना है,... और थोड़ी देर तो मैं खूब कस के रगड़ रगड़ के और जब उँगलियाँ फैलाती थीं तो ननद की हालत खराब, लेकिन फिर बस मैंने बुर के अंदर की दीवालों पर उँगलियों के किनारों से रगड़ना, सहलाना छूना शुरू किया, कभी टैप करती कभी खुरच देती और मस्ती से ननद उछल पड़ती,...
लेकिन गुलबिया पूरी ताकत से क्या कोई बड़े से बड़ा लौण्डेबाज गाँड़ मारेगा, उस तरह से ननद की गाँड़ मार रही थी, कोहनी तक नहीं लेकिन कलाई अब अंदर थी,
मेरी मुट्ठी वो मस्ती दे रही थी क्या ननद को ससुराल में किसी देवर ने या मायके में मेरे देवर ने दिया होगा, लेकिन जब वो झड़ने के कगार पर आती तो मैं कभी पूरी ताकत से मुट्ठी करने लगती तो कभी मुट्ठी खोल देती और मारे दर्द के,... दो चार बार तड़पाने के बाद,...
उधर चमेलिया के निचले होंठों से बारिश अभी भी जारी थी, तीन तीन भौजाइयों का मजा मेरी ननद एक साथ ले रही थीं,....
दूसरे हाथ से मैं ननद की क्लिट रगड़ने लगी,... और अब वो झडी तो मैं रुकी नहीं बस मुट्ठी पेलने की रफ़्तार बढ़ा दी,... और वो दुबारा तिबारा,...
मुझे भी ' बहुत जोर से आ रही थी ' .... चमेलिया को देख के
उधर चमेलिया की बारिश रुकी , ननद रानी का झड़ना रुका और मैंने चमेलिया की जगह ले ली और चमेलिया ने मेरी,
उसकी मुट्ठी ननद की बुर में थी और मेरे निचले होंठों से सुनहली बारिश शुरू हो गयी थी,...
चार पांच मिनट , लेकिन ननद ने एक बूँद भी बर्बाद नहीं किया,... वो फिर से झड़ने लगीं , चमेलिया गुलबिया ने मुट्ठियां बदल ली, लेकिन मैं ननद को छोड़ के उठ गयी मुझे एक छुटकी दिख गयी, उमर में तो कच्ची कली