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भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
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ननद की सास, और सास का प्लान
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उफ्फ कोमल मैमरूपा संग मस्ती
उधर चमेलिया की बारिश रुकी , ननद रानी का झड़ना रुका और मैंने चमेलिया की जगह ले ली और चमेलिया ने मेरी ,उसकी मुट्ठी ननद की बुर में थी और मेरे निचले होंठों से सुनहली बारिश शुरू हो गयी थी,...
चार पांच मिनट , लेकिन ननद ने एक बूँद भी बर्बाद नहीं किया,...सब की सब सुड़क गयीं
वो फिर से झड़ने लगीं , चमेलिया गुलबिया ने मुट्ठियां बदल ली, चमेलिया मेरी ननद की गाँड़ में मुठिया रही थी और गुलबिया बुर में
लेकिन मैं ननद को छोड़ के उठ गयी मुझे एक छुटकी दिख गयी, उमर में तो कच्ची कली
लीला की छोटी बहन उस से तीन चार साल छोटी कबड्डी में ननदो की ओर से वो तीखी मिर्च सबसे तेज गरिया रही थी , खास तौर पर मुझको,...
ऐसी ननदें कहाँ पकड़ में आती हैं
बस मैंने पकड़ लिया, कपडे तो भौजाइयों ने पहले ही फाड़ दिए थे मैंने अभी ननद को जो नमकीन शर्बत पिलाया था मेरी बिल अभी तक गीली थी, बस वही पटक के उसके होंठों पर रगड़ना शुरू कर दिया और बोल दिया चल स्साली चाट चाट के झाड़,...
लीलवा की सगी छोटी बहन, रूपा, उसको तो मैं कभी नहीं भूल सकती थी, देखने में खूब सुन्दर, गोरी गोरी चाँद चकोरी,... लगता था अभी दूध के दांत भी न टूटे होंगे, लेकिन कबड्डी में सबसे ज्यादा बोल रही थी,
जब हम भौजाइयों के प्वाइंट आगे हो गए, ननदों की हिम्मत डाउन होने लगी, चंदा की जम कर रगड़ाई हो रही थी, बाहर बैठी भौजाइयां खूब जोश में
बाइस्कोप देखो, अगवाड़ा देखो पिछवाड़ा देखो, ननदो का खुला किवाड़ा देखो,.... सब चिल्ला रही थीं और चमेलिया बोली,
अपने मायके में बोल दो यह गाँव की लड़कियां कुछ आज चुदेगी, कुछ काल्ह चुदेगी, सब की सब पूरे साल चुदेगी, अब हमरे भाइयों से चुदेगी,...
ननदें सब एकदम चुप
भौजाइयों ने खूब हल्ला किया। " अरे ननद छिनार कुल ऐसी चुदवासी है खुदे पेटीकोट खोल के बुर खोल के चुदवाने खड़ी हैं " गुलबिया हमारी ओर से बोली।
" अरे ये क्या कुल ननदें सब की सब छिनार लेकिन आज आयी असली मजा जब भौजाई से चोदवायेंगी,... अपने भाइयों से तो रोज चुदवाती है भौजाइयों के भाइयों से चुदवाएंगी,... "
बाहर से एक भाभी की आवाज आयी , भाभियाँ खूब हल्ला कर रही थीं।
तभी ये रूपा,लीलवा की छोटी बहिनिया बोली,...
" अरे भौजाई का भाई कुल तो स्साले बहिनबेचवा खुदे गांडू है हमरे भाई से गाँड़ मरवा के जाएंगे , बोल सब जब तक लीलवा गितवा नैना है हमन क जीत पक्की बोल सब कस के "
तभी मैंने उसे ताड़ लिया था, उसके पहले जैसे मैं गयी थी ननदें खूब हल्ला कर रही थीं, यही रूपा बोली,
"मैं तो अपनी मीठी प्यारी भौजी की गाँड़ मिर्चे के अचार वाला तेल लगा के मारूंगी , भौजी,... देवर नन्दोई क गाँड़ मरवाई भूल जाएंगी नंदों के आगे ,... "
और मैंने तय कर लिया था की जीतने के बाद इसका नेवान जरूरी करुँगी, कच्ची कली थी बिनचुदी,... छुटकी से भी तीन चार महीने छोटी,.... लेकिन जुबान और जोबन दोनों में जबरदस्त,...
रूपा बहुत बुरा सा मुंह बना रही थी, वो कुछ देर पहले ही देख रही थी की कैसे मैं अपनी ननद के ऊपर बैठी दोनों जाँघे खोल के, सावन भादो की धार ननद रानी के मुंह में, बिना धार टूटे, और वही स्वाद उसके मुंह में,... वो छटपटा रही थी, छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन छटपटाती ननदों से अच्छा नज़ारा भाभी के लिए क्या होगा, मैंने कस के अपनी जाँघों के बीच से दबोच रखा था, कस के उसका सर अपने दोनों हाथों से पकड़ के,...
आखिर बेचारी की चाटना ही पड़ा,...
लेकिन कुछ देर बाद मुझे दया आ गयी और उसे उठा के गोद में क्या मस्त गोरे चिकने गाल थे उस चिकनी के, मुझसे बिन चुम्मा लिए रहा नहीं गया, फिर चुम्मा से कहाँ मन मानता है ऐसे कच्चे गाल देख के , तो चूसना काटना और मेरे हाथ दोनों बस आ रहे जोबन मसलने लगे,
इस होली में मैंने दर्जनों ननदों की चूँचियाँ रगड़ी होंगीं, लेकिन इसकी एकदम,... मैच में बेला की जैसी थीं,... बस आ रही उसी तरह की,... और चूँचियाँ उठान के समय से अगर चूँचियों की रगड़ाई मसलाई शुरू हो जाये तो बस साल दो साल में जबरदंग,...
और ये जिम्मेदारी तो भौजाइयों की होती है , फिर फायदा मेरे देवरों के साथ मेरे भाइयों का भी होता,... भले सगा भाई कोई नहीं था लेकिन ममेरा भाई चुन्नू था न, मेरी ससुराल पहले भी आ चुका था, बस उसी को चढ़ाउंगी इस कोरी के ऊपर,... और उसके दोस्त यार भी हैं,... चचेरे मौसेरे भाई तो हैं, सब का नंबर लगेगा,...
एक हाथ से मैं बस चूँचिया उठान दबा रही थी मीज रही थी मसल रही थी और दूसरा हाथ रूपा के गोरे पान ऐसे चिकने पेट पर सहलाते हुए, जो इस उम्र की लड़कियों के लिए सहज है रूपा ने अपनी दोनों जाँघे कस के भींच ली, लेकिन जाँघे भींचने से बुलबुल न तो भौजाइयों से बचती है, न गाँव के लौंडो से,... मेरा बायां हाथ अभी कच्ची अमिया का रस ले रहा था, बस ललछौहैं आ रहे निपल को कभी पकड़ के खींच लेती कभी अंगूठे और तर्जनी में पकड़ के मसल देती,...
दायां हाथ, रूपा के पेट से सरकते गहरी नाभी में जा कर अटक गया था और रूपा ने सिसकते हुए और कस के दोनों पैरों को सिकोड़ने की कोशिश की, वो बारी कुँवारी कोरी चिकनी मेरी गोद में बैठी थी. मैंने अपने दोनों पैरों को उसके पैरों के बीच में फंसा के फैला दिया, जांघ भी थोड़ी सी खुल गयी, बस मैंने जाँघों के ऊपरी हिस्से में कस के चिकोटी काटी और रूपा ने जोर की चीख मारी, जाँघे उसकी पल भर के लिए खुल गयीं। इतना टाइम बहुत था.
मेरी दायीं हथेली ने बाज की तरह झप्पटा मारा, और खजाना मेरे हाथ में। अब चिपका ले वो जांघ, सटा ले सेंध तो लग ही गयी थी.
एकदम मक्खन मलाई, जितनी गोरी गुलाबी उतनी चिकनी,... बस दो चार झांटे आ ही रही थीं, बस मैंने पक्का कर लिया भले इसका फीता कोई काटे, चढ़वाऊंगी तो मैं अपने भाइयों को जरूर,... थोड़ी देर की रगड़ाई मसलाई उसकी चिकनी चूत की रूपा ने जाँघे खुद ढीली कर दी. मेरी अनुभवी उँगलियों ने छुटकी नांदिया की फांको को पकड़ के सहलाना रगड़ना शुरू कर दिया, अंगूठा क्लिट ढूंढ रहा था वो भी मिल गयी.
कुछ देर में एक तार की चाशनी निकलने लगी, जाँघे खुद ही फैली गयी, रूपा सिसक रही थी, हाँ भौजी, हाँ भौजी बोल रही थी बस।
उधर भौजाइयों के जीत का जश्न शुरू हो गया था, मिश्राइन भौजी, मंजू भाभी, रज्जो भाभी के साथ गुलबिया, चमेलिया, चननिया,...
सब ननदें इकट्ठी की जा रही थीं,... दूबे भाभी ने सवाल किया
कौन कौन ननद पांच भौजाई से ज्यादा की बुर आज चूसी हैं ?
Superhit updateरूपा संग मस्ती
उधर चमेलिया की बारिश रुकी , ननद रानी का झड़ना रुका और मैंने चमेलिया की जगह ले ली और चमेलिया ने मेरी ,उसकी मुट्ठी ननद की बुर में थी और मेरे निचले होंठों से सुनहली बारिश शुरू हो गयी थी,...
चार पांच मिनट , लेकिन ननद ने एक बूँद भी बर्बाद नहीं किया,...सब की सब सुड़क गयीं
वो फिर से झड़ने लगीं , चमेलिया गुलबिया ने मुट्ठियां बदल ली, चमेलिया मेरी ननद की गाँड़ में मुठिया रही थी और गुलबिया बुर में
लेकिन मैं ननद को छोड़ के उठ गयी मुझे एक छुटकी दिख गयी, उमर में तो कच्ची कली
लीला की छोटी बहन उस से तीन चार साल छोटी कबड्डी में ननदो की ओर से वो तीखी मिर्च सबसे तेज गरिया रही थी , खास तौर पर मुझको,...
ऐसी ननदें कहाँ पकड़ में आती हैं
बस मैंने पकड़ लिया, कपडे तो भौजाइयों ने पहले ही फाड़ दिए थे मैंने अभी ननद को जो नमकीन शर्बत पिलाया था मेरी बिल अभी तक गीली थी, बस वही पटक के उसके होंठों पर रगड़ना शुरू कर दिया और बोल दिया चल स्साली चाट चाट के झाड़,...
लीलवा की सगी छोटी बहन, रूपा, उसको तो मैं कभी नहीं भूल सकती थी, देखने में खूब सुन्दर, गोरी गोरी चाँद चकोरी,... लगता था अभी दूध के दांत भी न टूटे होंगे, लेकिन कबड्डी में सबसे ज्यादा बोल रही थी,
जब हम भौजाइयों के प्वाइंट आगे हो गए, ननदों की हिम्मत डाउन होने लगी, चंदा की जम कर रगड़ाई हो रही थी, बाहर बैठी भौजाइयां खूब जोश में
बाइस्कोप देखो, अगवाड़ा देखो पिछवाड़ा देखो, ननदो का खुला किवाड़ा देखो,.... सब चिल्ला रही थीं और चमेलिया बोली,
अपने मायके में बोल दो यह गाँव की लड़कियां कुछ आज चुदेगी, कुछ काल्ह चुदेगी, सब की सब पूरे साल चुदेगी, अब हमरे भाइयों से चुदेगी,...
ननदें सब एकदम चुप
भौजाइयों ने खूब हल्ला किया। " अरे ननद छिनार कुल ऐसी चुदवासी है खुदे पेटीकोट खोल के बुर खोल के चुदवाने खड़ी हैं " गुलबिया हमारी ओर से बोली।
" अरे ये क्या कुल ननदें सब की सब छिनार लेकिन आज आयी असली मजा जब भौजाई से चोदवायेंगी,... अपने भाइयों से तो रोज चुदवाती है भौजाइयों के भाइयों से चुदवाएंगी,... "
बाहर से एक भाभी की आवाज आयी , भाभियाँ खूब हल्ला कर रही थीं।
तभी ये रूपा,लीलवा की छोटी बहिनिया बोली,...
" अरे भौजाई का भाई कुल तो स्साले बहिनबेचवा खुदे गांडू है हमरे भाई से गाँड़ मरवा के जाएंगे , बोल सब जब तक लीलवा गितवा नैना है हमन क जीत पक्की बोल सब कस के "
तभी मैंने उसे ताड़ लिया था, उसके पहले जैसे मैं गयी थी ननदें खूब हल्ला कर रही थीं, यही रूपा बोली,
"मैं तो अपनी मीठी प्यारी भौजी की गाँड़ मिर्चे के अचार वाला तेल लगा के मारूंगी , भौजी,... देवर नन्दोई क गाँड़ मरवाई भूल जाएंगी नंदों के आगे ,... "
और मैंने तय कर लिया था की जीतने के बाद इसका नेवान जरूरी करुँगी, कच्ची कली थी बिनचुदी,... छुटकी से भी तीन चार महीने छोटी,.... लेकिन जुबान और जोबन दोनों में जबरदस्त,...
रूपा बहुत बुरा सा मुंह बना रही थी, वो कुछ देर पहले ही देख रही थी की कैसे मैं अपनी ननद के ऊपर बैठी दोनों जाँघे खोल के, सावन भादो की धार ननद रानी के मुंह में, बिना धार टूटे, और वही स्वाद उसके मुंह में,... वो छटपटा रही थी, छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन छटपटाती ननदों से अच्छा नज़ारा भाभी के लिए क्या होगा, मैंने कस के अपनी जाँघों के बीच से दबोच रखा था, कस के उसका सर अपने दोनों हाथों से पकड़ के,...
आखिर बेचारी की चाटना ही पड़ा,...
लेकिन कुछ देर बाद मुझे दया आ गयी और उसे उठा के गोद में क्या मस्त गोरे चिकने गाल थे उस चिकनी के, मुझसे बिन चुम्मा लिए रहा नहीं गया, फिर चुम्मा से कहाँ मन मानता है ऐसे कच्चे गाल देख के , तो चूसना काटना और मेरे हाथ दोनों बस आ रहे जोबन मसलने लगे,
इस होली में मैंने दर्जनों ननदों की चूँचियाँ रगड़ी होंगीं, लेकिन इसकी एकदम,... मैच में बेला की जैसी थीं,... बस आ रही उसी तरह की,... और चूँचियाँ उठान के समय से अगर चूँचियों की रगड़ाई मसलाई शुरू हो जाये तो बस साल दो साल में जबरदंग,...
और ये जिम्मेदारी तो भौजाइयों की होती है , फिर फायदा मेरे देवरों के साथ मेरे भाइयों का भी होता,... भले सगा भाई कोई नहीं था लेकिन ममेरा भाई चुन्नू था न, मेरी ससुराल पहले भी आ चुका था, बस उसी को चढ़ाउंगी इस कोरी के ऊपर,... और उसके दोस्त यार भी हैं,... चचेरे मौसेरे भाई तो हैं, सब का नंबर लगेगा,...
एक हाथ से मैं बस चूँचिया उठान दबा रही थी मीज रही थी मसल रही थी और दूसरा हाथ रूपा के गोरे पान ऐसे चिकने पेट पर सहलाते हुए, जो इस उम्र की लड़कियों के लिए सहज है रूपा ने अपनी दोनों जाँघे कस के भींच ली, लेकिन जाँघे भींचने से बुलबुल न तो भौजाइयों से बचती है, न गाँव के लौंडो से,... मेरा बायां हाथ अभी कच्ची अमिया का रस ले रहा था, बस ललछौहैं आ रहे निपल को कभी पकड़ के खींच लेती कभी अंगूठे और तर्जनी में पकड़ के मसल देती,...
दायां हाथ, रूपा के पेट से सरकते गहरी नाभी में जा कर अटक गया था और रूपा ने सिसकते हुए और कस के दोनों पैरों को सिकोड़ने की कोशिश की, वो बारी कुँवारी कोरी चिकनी मेरी गोद में बैठी थी. मैंने अपने दोनों पैरों को उसके पैरों के बीच में फंसा के फैला दिया, जांघ भी थोड़ी सी खुल गयी, बस मैंने जाँघों के ऊपरी हिस्से में कस के चिकोटी काटी और रूपा ने जोर की चीख मारी, जाँघे उसकी पल भर के लिए खुल गयीं। इतना टाइम बहुत था.
मेरी दायीं हथेली ने बाज की तरह झप्पटा मारा, और खजाना मेरे हाथ में। अब चिपका ले वो जांघ, सटा ले सेंध तो लग ही गयी थी.
एकदम मक्खन मलाई, जितनी गोरी गुलाबी उतनी चिकनी,... बस दो चार झांटे आ ही रही थीं, बस मैंने पक्का कर लिया भले इसका फीता कोई काटे, चढ़वाऊंगी तो मैं अपने भाइयों को जरूर,... थोड़ी देर की रगड़ाई मसलाई उसकी चिकनी चूत की रूपा ने जाँघे खुद ढीली कर दी. मेरी अनुभवी उँगलियों ने छुटकी नांदिया की फांको को पकड़ के सहलाना रगड़ना शुरू कर दिया, अंगूठा क्लिट ढूंढ रहा था वो भी मिल गयी.
कुछ देर में एक तार की चाशनी निकलने लगी, जाँघे खुद ही फैली गयी, रूपा सिसक रही थी, हाँ भौजी, हाँ भौजी बोल रही थी बस।
उधर भौजाइयों के जीत का जश्न शुरू हो गया था, मिश्राइन भौजी, मंजू भाभी, रज्जो भाभी के साथ गुलबिया, चमेलिया, चननिया,...
सब ननदें इकट्ठी की जा रही थीं,... दूबे भाभी ने सवाल किया
कौन कौन ननद पांच भौजाई से ज्यादा की बुर आज चूसी हैं ?
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सादर
कई बार कहानी नायिका प्रधान अथवा किसी कहानी में एक से ज्यादा हीरो होते हैं...Mere kahane ka matlab tha Komal ji pahle Hero uske bad koi aur nahin to is kahani mein Hero rakhna hi nahin chahie tha samuhi sex ki tarah likhati aapka बहुत-बहुत dhanyvad Uttar dene ke liye