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भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
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ननद की सास, और सास का प्लान
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जोरू के गुलाम में कव्वाली और यहाँ मुजरा....आप भी ऐसी खतरनाक आइडिया देते हैं अब तो ये भी होगा बेचारी के साथ लेकिन गलती मेरी एकदम नहीं होगी
दया... इस मामले में तो एकदम बेरहम...अरे डाक्टर साहिबा को तो ये मालूम ही है बस उन्हें मेरी ननद पर थोड़ी दया आ रही था या सोच रही होंगी की कहीं डबल फीस्टिंग के बाद वो हालात न हो जाए की ननद के भैया को लगे की एक्सप्रेस वे पर सायकिल चला रहे हैं इसलिए उन्होंने चेता दिया
और डबल फिस्टिग वैसे भी डराने के लिए थी परपज सर्व हो गया वो मान गयी अपने भैया के संग,... वो भी चमेलिया गुलबिया के सामने
ननद मेरी जुबान की पक्की हैं अब तो भैया बहिन की मस्ती हो के रहेगी रिश्तों में हसींन बदलाव
श्रीमान ..कोमल मैम
वस्तुतः यह कमेंट नहीं वास्तविकता थीं।
सादर
रूपा और सोना..भाग ६६
ननदों संग मस्ती -मज़ा कच्ची कली रूपा का
11,34,182
पहले जैसे मैं गयी थी ननदें खूब हल्ला कर रही थीं, यही रूपा बोली,
"मैं तो अपनी मीठी प्यारी भौजी की गाँड़ मिर्चे के अचार वाला तेल लगा के मारूंगी , भौजी,... देवर नन्दोई क गाँड़ मरवाई भूल जाएंगी नंदों के आगे ,... "
और मैंने तय कर लिया था की जीतने के बाद इसका नेवान जरूरी करुँगी, कच्ची कली थी बिनचुदी,... छुटकी से भी तीन चार महीने छोटी,.... लेकिन जुबान और जोबन दोनों में जबरदस्त,...
रूपा बहुत बुरा सा मुंह बना रही थी, वो कुछ देर पहले ही देख रही थी की कैसे मैं अपनी ननद के ऊपर बैठी दोनों जाँघे खोल के, सावन भादो की धार ननद रानी के मुंह में, बिना धार टूटे, और वही स्वाद उसके मुंह में,... वो छटपटा रही थी, छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन छटपटाती ननदों से अच्छा नज़ारा भाभी के लिए क्या होगा, मैंने कस के अपनी जाँघों के बीच से दबोच रखा था, कस के उसका सर अपने दोनों हाथों से पकड़ के,...
आखिर बेचारी की चाटना ही पड़ा,...
लेकिन कुछ देर बाद मुझे दया आ गयी और उसे उठा के गोद में क्या मस्त गोरे चिकने गाल थे उस चिकनी के, मुझसे बिन चुम्मा लिए रहा नहीं गया, फिर चुम्मा से कहाँ मन मानता है ऐसे कच्चे गाल देख के , तो चूसना काटना और मेरे हाथ दोनों बस आ रहे जोबन मसलने लगे, इस होली में मैंने दर्जनों ननदों की चूँचियाँ रगड़ी होंगीं, लेकिन इसकी एकदम,... मैच में बेला की जैसी थीं,... बस आ रही उसी तरह की,... और चूँचियाँ उठान के समय से अगर चूँचियों की रगड़ाई मसलाई शुरू हो जाये तो बस साल दो साल में जबरदंग,...
और ये जिम्मेदारी तो भौजाइयों की होती है , फिर फायदा मेरे देवरों के साथ मेरे भाइयों का भी होता,... भले सगा भाई कोई नहीं था लेकिन ममेरा भाई चुन्नू था न, मेरी ससुराल पहले भी आ चुका था, बस उसी को चढ़ाउंगी इस कोरी के ऊपर,... और उसके दोस्त यार भी हैं,... चचेरे मौसेरे भाई तो हैं, सब का नंबर लगेगा,...
एक हाथ से मैं बस चूँचिया उठान दबा रही थी मीज रही थी मसल रही थी और दूसरा हाथ रूपा के गोरे पान ऐसे चिकने पेट पर सहलाते हुए, जो इस उम्र की लड़कियों के लिए सहज है रूपा ने अपनी दोनों जाँघे कस के भींच ली,
लेकिन जाँघे भींचने से बुलबुल न तो भौजाइयों से बचती है, न गाँव के लौंडो से,... मेरा बायां हाथ अभी कच्ची अमिया का रस ले रहा था, बस ललछौहैं आ रहे निपल को कभी पकड़ के खींच लेती कभी अंगूठे और तर्जनी में पकड़ के मसल देती,...
दायां हाथ, रूपा के पेट से सरकते गहरी नाभी में जा कर अटक गया था और रूपा ने सिसकते हुए और कस के दोनों पैरों को सिकोड़ने की कोशिश की, वो बारी कुँवारी कोरी चिकनी मेरी गोद में बैठी थी. मैंने अपने दोनों पैरों को उसके पैरों के बीच में फंसा के फैला दिया, जांघ भी थोड़ी सी खुल गयी, बस मैंने जाँघों के ऊपरी हिस्से में कस के चिकोटी काटी और रूपा ने जोर की चीख मारी, जाँघे उसकी पल भर के लिए खुल गयीं। इतना टाइम बहुत था.
मेरी दायीं हथेली ने बाज की तरह झप्पटा मारा, और खजाना मेरे हाथ में। अब चिपका ले वो जांघ, सटा ले सेंध तो लग ही गयी थी.
एकदम मक्खन मलाई, जितनी गोरी गुलाबी उतनी चिकनी,... बस दो चार झांटे आ ही रही थीं,
बस मैंने पक्का कर लिया भले इसका फीता कोई काटे, चढ़वाऊंगी तो मैं अपने भाइयों को जरूर,... थोड़ी देर की रगड़ाई मसलाई उसकी चिकनी चूत की रूपा ने जाँघे खुद ढीली कर दी. मेरी अनुभवी उँगलियों ने छुटकी नांदिया की फांको को पकड़ के सहलाना रगड़ना शुरू कर दिया, अंगूठा क्लिट ढूंढ रहा था वो भी मिल गयी.
कुछ देर में एक तार की चाशनी निकलने लगी, जाँघे खुद ही फैली गयी, रूपा सिसक रही थी, हाँ भौजी, हाँ भौजी बोल रही थी बस।
उधर भौजाइयों के जीत का जश्न शुरू हो गया था, मिश्राइन भौजी, मंजू भाभी, रज्जो भाभी के साथ गुलबिया, चमेलिया, चननिया,...
सब ननदें इकट्ठी की जा रही थीं,... दूबे भाभी ने सवाल किया
कौन कौन ननद पांच भौजाई से ज्यादा की बुर आज चूसी हैं ?
दर्जन भर से ऊपर हाथ उठ गए।
छह से ज्यादा
चार पांच,
सात से ज्यादा,
सिर्फ दो थे एक तो कम्मो और दूसरे रूपा की ही सहेली सोना। और उन दोनों को बुला के मिश्राइन और दूबे भाभी ने अपनी जांघ पर बैठा दिया और बाकी को हुक्म दिया
नाच सालियों
कपड़ों का तो सवाल ही नहीं था , ऊपर से कभी चमेलिया कभी चननिया,
"अरे ऐसे नहीं तनी आपने जोबना उठाय उठा के कमर मटकाय के अरे जैसे चुदवाती समय कमर उछालती हो वैसे उछालो छिनरों"
जहां से मैं बैठी था साफ़ नहीं दिख रहा था ऊपर से रूपा गोद में, मैं खड़ी हो गए एक महुए के पेड़ का सहारा लेकर, अपनी टाँगे फैला के. और रूपा को टांगो के बीच में उसके गुलाबी होंठ सीधे मेरी चुनमुनिया पे,
"चल चाट कस कस के और बिना झाड़े छोड़ना मत,... वरना"
हड़काया मैंने रूपा को, " तू अपना काम कर मैं अपना "
मेरी बारी कुँवारी कच्ची ननद मेरी बिल चूस रही थी कस कस के और मैं ननदों का नाच देख रही थी, इसी सब सुख के लिए तो ये जान लगा के कबड्डी का मैच जीती थी अब से इस गाँव में भौजाइयों का राज
मैं एक डाल पकड़ के खड़ी नंदों का नाच देख रही थी और रूपा मेरी बिल चाट चूस रही थी.
नैना ननदिया की है भूरी चिकनी गांड़...ननदों का नाच
मिश्राइन और दूबे भाभी ने अपनी जांघ पर बैठा दिया और बाकी को हुक्म दिया
"नाच सालियों"
कपड़ों का तो सवाल ही नहीं था , ऊपर से कभी चमेलिया कभी चननिया,
"अरे ऐसे नहीं तनी आपने जोबना उठाय उठा के कमर मटकाय के अरे जैसे चुदवाती समय कमर उछालती हो वैसे उछालो छिनरों"
जहां से मैं बैठी था साफ़ नहीं दिख रहा था ऊपर से रूपा गोद में, मैं खड़ी हो गए एक महुए के पेड़ का सहारा लेकर, अपनी टाँगे फैला के. और रूपा को टांगो के बीच में उसके गुलाबी होंठ सीधे मेरी चुनमुनिया पे, चल चाट कस कस के और बिना झाड़े छोड़ना मत,... वरना
मैं एक डाल पकड़ के खड़ी नंदों का नाच देख रही थी और रूपा मेरी बिल चाट चूस रही थी.
आज भौजाइयां पूरे जोश में थीं, जो पहले चमेलिया और गुलबिया को टीम में रखने पे हल्ला कर रही थीं वो सबसे ज्यादा उनसे मिल जुल के पक्की सहेलियों की तरह, जेठानी देवरानी की तरह, ननदो को नंगे नचाने में मगन थीं, एक से एक मस्त गाने चल रहे थे दूबे भाभी ने गुलबिया को ललकारा
" हे कजरी क भौजी एक जोगीड़ा,..."
शुरू गुलबिया चमेलिया ने किया फिर मोहिनी भाभी, रज्जो भाभी और दो चार और उनकी उम्र की मेरी जेठानियाँ ननदों का नाम ले ले के,...
हो जोगी जी, हाँ जोगी जी
हमरे गांव की ननदिया सब पक्की हुईं छिनाल,
कौन उनकी चूँची दबावे कौन कटले हो गाल ,
हो जोगी जी , हाँ जोगी,
अरे भैया हमरे, हो भैया हमरे चूँची दबावें, उनके भैया काटे गाल,
ननदिया सब पक्की हुईं छिनाल, हो जोगी जी
तीन तीन यारन से चुदवावे तबियत हुयी निहाल,
जोगीड़ा सारा सारा
हो जोगी जी, हाँ जोगी जी
हमरे खेत में गन्ना है और खेत में घुंमची
लीला छिनारिया रोज दबवावे अपने भैया से दोनों चूँची,
हो जोगीड़ा सारा सारा हो सा रा रा
अरे देख चली जा, चारो ओर लगा पताका और लगी है झंडी
नैना ननद मशहूर हैं २२ गाँव की रंडी,
चुदवावे सारी रात, जोगीड़ा सा रा, ओह्ह सारा रा,...
और नाचती हुयी सभी ननदें ऐसे चूतड़ उछाल रही थीं जैसे चुद रही हों,...
साथ में पीछे से भौजाइयों की टोली, कोई चूतड़ में चिकोटी काटता कोई पिछवाड़े ऊँगली करता, और अगर कोई ननद रुकने की कोशिश करती, छिपने के लिए पीछे होती तो चमेलिया पकड़ के उसे दूबे भाभी के दरबार में,...
और तुरंत हुकुम होता जो ननद रुके,... उसे निहुरा के मुर्गी बनाओ,... और पीछे से गांड में कुहनी तक,...
नंदों का ये नाच देख के सब भौजाइयां बहुत खुश मस्ती से झूम रही थीं,
और मैं भी मस्ती में लीला की छोटी बहन रूपा के मुंह में बुर कस कस के रगड़ रही थी, धक्के मार रही थी जैसे उसका मुंह चोद रही होऊं, वो भी अब मूड में आ गयी थी और कोशिश कर के मेरी दोनों फांको को फैला के जीभ अंदर डाल के चूसने के साथ जीभ भी अंदर बाहर कर रही थी, गाने की ताल पर मैं भी, वो भी,
नाच और तेज हो गया था, गुलबिया और चमेलिया के साथ अब आठ दस मेरी जेठानियाँ तेजी से जोगीड़ा और ताल न सिर्फ भौजाई सब बल्कि सास लोग भी, ... वो भी पूरा मजा ले रही थीं,... और जोर जोर से ताल दे रही थीं गुलबिया को ललकार रही थीं,...
ओह जोगी जी , हाँ जोगी जी अरे जोगी जी वाह जोगी जी
अरे कहाँ से देखोंपानी बहता, कहाँ हो गया लासा, अरे कहाँ हो गया लासा,...
अरे कहाँ से देखोंपानी बहता, कहाँ हो गया लासा, अरे कहाँ हो गया लासा,...
अरे नीलू ननद की, अरे नीलू ननद की बुर से पानी बहता और चंदा की बुर हुयी लासा
हो जोगीड़ा सारा सारा, हो जो
मैं झड़ने के एकदम करीब थी और कस कस के रूपा के मुंह पे धक्के मार रही थी, रगड़ रही थी, रूपा ननद भी पूरे जोश के साथ गाने की ताल के साथ चूस रही थी,... झड़ते समय मेरी आँखे बंद हो जाती थीं,
और मुझे ' कस के आ भी रही थी ',... लेकिन जब एकदम झड़ने के कगार पे हो तो कौन रुकता है,... मैंने देखा की मेरी सास मुझे देख के ख़ुशी से मुस्करा रही हैं,...
और उसी समय मेरी देह कांपने लगी, एकदम पत्ते की तरह, जाँघे ढीली पड़ने लगीं, आँखे बंद हो गयीं,... मैं झड़ रही थी तेजी से,... मान गयी मैं ननद को, ... एक बार दो बार,....
और जब झड़ना रुका तो आ तो बहुत तेज रही ही थी, मैंने रोका भी नहीं, खड़े खड़े ही ,
सीधे रूपा के मुंह में होली का परसाद,
गाना अभी भी चल रहा था, मेरी सास ने मिश्राइन भाभी से कुछ कहा और उन्होंने जो चार पांच बियाही ननदें थी ( जिनमें मेरी ननद भी थीं ) को खड़ा किया और बोलीं,
" चल अब तू सब ससुरारी में बहुत देवर ननदोई से चुदवायी होगी, चलो ज़रा बुर चालीसा सुनाओ, और अपनी बुर में ऊँगली डाल के फैला के देखाओ भौजाइयों को , और नाचो जोर से "
ये ननद भौजाई की हाजिरजवाबी....मेरी सास
गाना अभी भी चल रहा था मेरी सास ने मिश्राइन भाभी से कुछ कहा और उन्होंने जो चार पांच बियाही ननदें थी ( जिनमें मेरी ननद भी थीं ) को खड़ा किया और बोलीं,
" चल अब तू सब ससुरारी में बहुत देवर ननदोई से चुदवायी होगी, चलो ज़रा बुर चालीसा सुनाओ, और अपनी बुर में ऊँगली डाल के फैला के देखाओ भौजाइयों को , और नाचो जोर से "
अब हार तो गयी थीं तो करती क्या,...
मेरी सुनहरी बारिश अभी भी जारी थी रूपा के मुंह से होते हुए,...और जो दो चार बूँद होठों से छलकता उसकी पूरी देह पर बूँद बूँद
कुछ देर बाद मैंने खुद पकड़ के रूपा को खड़ा किया, गले से लगाया और बोलीं आज से तुम मेरी पक्की ननद और अब तेरी बहिनिया लीलवा को भले कभी लंड की कमी पड़ जाए तुझे नहीं पड़ेगी,...
फिर मैं अपनी सास की ओर मुड़ी
तबतक दूबे भाभी ने ननदों को बोल दिया था चल अपने अपने भाइयों का नाम ले ले के गारी दो , अगर पांच मिनट तक लगातार गारी नहीं दिया तो,...
और मैं अपनी सास के पास पहुँच गयी थी.
काफी देर से मेरी सास मुझे देख रही थीं, उनकी आँखे दुलरा रही थीं, प्यार से सहला रही थीं, हम लोगों की जीत से जितनी मैं और मेरी जेठानियाँ खुश थीं उससे दस गुना वो, गांव की सब औरतों ने उन्हें बधाई दी, उनकी तारीफ़ की कितनी अच्छी बहू लायी हो, पहली होली में ही,... और आज ही नहीं शुरू से
मैं शहर की पली बढ़ी, ( भले कस्बाई ही रहा हो ), शहर में इंटर में पढ़ रही थी,... और गाँव में जाना होगा, रहना होगा, सुना था वहां बहुत पर्दा होता है, लंबा घूंघट,... मेरी दोनों बहनें बहुत चिढ़ाती थीं, खास तौर से छुटकी, दी अभी से घूंघट की प्रैक्टिस शुरू कर दे, ... और फिर ये भी की सास, ननद बहुत कड़क होती हैं , नई बहू के कदम कदम पर,
मैं जब उतरी ही थी, पहला कदम इनके साथ घर में रखा भी नहीं था तो सासू ने मेरा घूंघट उठा दिया
और अपना फैसला सुना दिया,... मेरी जेठानी, चचिया सास, गाँव की और औरतें, ...
" हे चाँद सी बहू इस लिए थोड़ी लाये थी की तोप ढांक के,... " और मेरी जेठानी से बोलीं,
" अपनी देवरानी को समझा चाँद बादल के पीछे नहीं अच्छा लगता है, हमरे आँगन में पूनम की जुन्हाई उतरी है, तो ये सब,... "
कोहबर में, कुछ आदत कुछ जो सीखा पढ़ा था था मैंने घूंघट पूरा नहीं बस हल्का सा खींच लिया,... और बस अब सासू जी ने मुझे हड़का लिया,
" ये क्या,... बोला था न, नयी जगह, गाँव का घर, कहीं चौखट कहीं उंच नीच,... भहरा गयी, कहीं मोच ही लग गयी तो दस दिन डाक्टर कम्पाउंडर करो, अरे तोहरे महतारी के पंद्रह दिन कोठे पे बैठाऊंगी तब जाके इलाज का खर्चा निकलेगा,... "
मेरी छोटी ननद, मेरी मंझली बहन से थोड़ी छोटी, चिढ़ाते हुयी बोली, " और क्या तो दस दिन बेचारे मेरे भैया क्या करेंगे "
मेरा तो पहला दिन था लेकिन जवाब मेरी ओर से मेरी जेठानी, यही मोहिनी भाभी ने दिया उसे चिकोटी काट के छेड़ते हुए बोलीं,
" अरे तू तो है न तुझी से काम चलाएंगे,... मैं तो कह रही हूँ अभी से तेल वेल लगाना शुरू कर दे, फिर मत शिकायत ले के आना की भौजी आपके देवर ने सूखे ही ठेल दिया। "
गुलबिया, यही कजरी की भौजी, हमारी नाउन का काम कर रही थी, मेरी जेठानी भी लगती थी,... उसी ने फिर से घूंघट मेरा पूरा हटा दिया। ये बेचारे चोरी से कनखियों से मुझे देख रहे थे, पर भौजाइयों की नजर, गुलबिया ने पकड़ लिया, और छेड़ते बोली
" अरे काहे नजर लगा रहे हो हमरी देवरानी पे, कंगन खोल दो एक हाथ से बस, मिलेगी ये मिठाई, आज रात को, और हम भौजाइयों का नेग ढीला करा। "
" अरे भौजाइयों क कौन नेग, नेग तो बहनों का होता है " मेरी मंझली ननद बोली पर मोहिनी भाभी थी न हंस के बोली,...
" अरे तुम लोगों को भी नेग मिलेगा काहें को घबड़ा रही हो , ये नयकी क भाई सब आएंगे न चौथी लेके बस, अपना टांग फैलाये देना वो सब अपनी तीसरी टांग,...इससे बढ़िया नेग का होगा "
भौजाइयों की हंसी के बीच ननदें खिसिया के रह गयी,... रज्जो भाभी ने, मेरी दूसरी पड़ोस की जेठानी ने गुलबिया को हड़काया,
" सुन कजरी क भौजी, जबतक तोहार देवर नेग में आपन दुनो बहिनिया हम लोगन क भाई के नाम न लिखे, कंगन मत खुलवाना,... अइसन मीठ मिठाई ऐसे मिल जाई, बिना नेग के,... "
मैं मान गयी इस घर में मैं अकेले नहीं हूँ और इस घर गाँव में मेरी अच्छी निभेगी।
अगले दिन सास ने बोल दिया,... " अरे ननद लोगन क बात का मजाक का चिढ़ाने का पलट के जवाब दो, वो एक गारी दें तुम दस सुनाओ,... अरे हमरे तोहरे में का फरक, हम भी इस गाँव की बहू, तुम भी इस गाँव की बहू, ... हम कल, कुछ दिन पहले गौने उतरे थे तुम आज,... "
और उसी दिन से मेरी सास से मेरी पक्की दोस्ती हो गयी,... गरियाती वो भी खूब थीं लेकिन मेरी माँ को , और मैं एकदम बुरा नहीं मानती, उनकी समधन थीं।
होम ग्राउंड पर चौकों छक्कों की बरसात होगी....मान गयीं सासू, कर दिया वादा
और उसी दिन से मेरी सास से मेरी पक्की दोस्ती हो गयी,... गरियाती वो भी खूब थीं लेकिन मेरी माँ को , और मैं एकदम बुरा नहीं मानती, उनकी समधन थीं।
तो जैसे मैं उनके पास पहुंची, वो उठ के खड़ी होगयी और जीत की बधाई देने लगीं,
" ये कुल तोहार जादू था,... "
मैं ख़ुशी से फूली नहीं समायी, सास के मुंह से बड़ाई सुनना,...
झुक के मैं उनके पैर छूने लगी तो उन्होंने पकड़ के उठा लिया, गले से लगा लिया, तब तक मेरी पड़ोस की और एक दो जो चचिया सास लगती थीं, मेरी सास की देवरानी, मेरी सास को बधाई देने लगीं, ...
ऐसी बहू पूरे बाइस पुरवा में नहीं आयी है, इतने दिन के बाद बहुएं जीती है तो ये नयकी के, और आप ऐसी बहू ले आयीं,...
मेरी सास खूब खुस लेकिन बाज नहीं आयीं, अपनी देवरानियों जेठानियों से बोलीं,...
" अरे इस मेरी बहू से ज्यादा इस की महतारी, पता नहीं कहाँ कहाँ से किससे चुदवा के पैदा किया,... अपनी बेटी को, ... लेकिन पैदा किया एकदम नंबर वन, रूप रंग, गाना,खाना, और आज कबड्डी में भी,... "
फिर मुझसे बोलीं, " अच्छा मांग ले आज जो मांगना है, मना नहीं करुँगी "
सबके सामने मैंने पूछा, छेड़ते हुए, ...
"अच्छा सच में सोच के बोलिये मैं जो भी कहूंगी, करियेगा,... मांगूगा तो मिलेगा "
एकदम, वो मुझे अँकवार में भींचे भींचे बोलीं,
तीन तिरबाचा भरवाया मैंने सबके सामने,... फिर उनके कान में बोल दिया,
वही जो कुछ देर पहले अपनी ननद से कबूलवाया था, 'आज की रात मेरे साजन के साथ, ... और सिर्फ आज की रात ही नहीं जब चाहूँ तब और वो सैंया से सैयां बदलने पे राजी हो गयीं, और खुल्ल्मखुल्ला मेरे सामने, ननदोई जी मेरे साथ और वो मेरे नन्दोई के साले के साथ,'
बस वही बात,...
सास से भी,... उनकी मातृभूमि में उनकी घर वापसी,...
एक पल के लिए तो हिचकीं, झिझकीं फिर बोलीं, खिलखिला के
"चल तू भी क्या याद करेगी एक बार हाँ बोल दिया तो,.. लेकिन आज नहीं"
वो तो मुझे भी रस्म मालूम थी इस गाँव की,...कबड्डी के बाद सास सब कहीं बाहर, गाँव के बाहर और कल रात में ही लौटेंगी,...
" चलिए आज उपवास कर लीजिये कल मेरा साजन भोग लगाएगा, मेरी मीठी मीठी सास का " हंसती हुयी मैं बोलीं, और जोड़ा,... "सिर्फ कल ही नहीं जब भी मन करे,... मैं कहूं,...और ये भी नहीं की इसके सामने नहीं उसके सामने नहीं,"
इरादा मेरा साफ़ था, अपने बेटी दामाद, मेरी ननद ननदोई के सामने भी अपने बेटे से,...
उनकी मुस्कान ही हामी थी, तबतक मेरी एक सास, जो बहुत ही जबरदस्त छेड़ती थीं, मजाक में अपनी सगी बेटियों को नहीं छोड़ती थीं... ब्लाउज तो मेरा कबड्डी में नंदों ने तार तार कर दिया था मैंने साड़ी के आँचल से ही अपने दोनों जोबन कस के बाँध रखे थे, ...
तो मेरी उन पड़ोस की सास ने आँचल खींच दिया और छेड़ती हुयी बोलीं,
" अरे हम सब के लड़कों को तो खूब दिखाती, ललचाती, लुटाती हो तो सास लोगों से का छिपाना "
और दो दो पूनो के चाँद की तरह मेरे दोनों दूध के कटोरे बाहर,...
मेरी सास ने झट से एक को पकड़ के दबोच लिया और हथेली में छिपाते बोलीं,.... मैं ढंक लेती हूँ वरना नजर लग जायेगी, और मुझे अपने बगल में बैठा लिया,
उनके हाथ हलके हलके सहला रहे थे और सामने सीन भी मस्त चल रहे थे, दो ननदें अपनी बुर में ऊँगली करती,... चूँची उछालती नाच रही थीं,....
एक कच्ची कली को निहुरा के एक भौजाई उसके पिछवाड़े दो दो ऊँगली घुसेड़ के अंदर बाहर कर रही थीं,...
एक ब्याहता ननद, गौने के बाद पहली बार आयी, नंगी लेटी ननद चूतड़ उछाल के दिखा रही थी पहली रात उसकी कैसे चुदाई हुयी,...
और कबड्डी के पहले फिर बाद में मिश्राइन भाभी ने सबको डबल भांग की ठंडाई दो दो ग्लास पिलवायी थी, गुझिया, दहीबड़ा कोई ऐसी चीज न थीं जिसमें भांग न हो,... और कबड्डी के बाद दूबे भाभी ने इशारा किया तो रमजानिया जो नंदों को बाँट रही थीं, उनकी ठंडाई में पता नहीं कौन सी जड़ी बूटी मिला दी थी, जिससे आधे घंटे के अंदर जबरदस्त चुदवास लगती थी, लाज सरम सब पिछवाड़े अंदर,...
तो वो गर्मागर्म सीन और भांग का असर सास लोग भी मस्त हो रही थी,
मेरी सास ने प्यार से, मेरे उभारों को सहलाते पूछा,
" सुन बहू तेरी सास मान लो मान जाये, मान लो क्या अब बचन दे दिया है तो,... मानूंगी ही, पर तेरा वो मानेगा "
मेरी सास अभी कुछ झिझक रही थी मेरे उभारों का रस लेने से, उनकी कोख से जन्मा बेटा रस लेता है तो वो क्यों नहीं,
मैंने खुद अपना हाथ उनके उस हाथ के ऊपर रख दिया जो मेरे जोबन पर था और कस के उनके हाथ से रगड़वाते मसलवाते, अपनी सास से उन्हें छेड़ती, चिढ़ाती बोली,...
" उस छिनार के पूत, रंडी के जने की हिम्मत है न माने, स्साले की माँ न चोद दूंगी, उस की और उस की माँ दोनों की गांड मार लूंगी अगर मेरी सास पर चढ़ने में जरा भी देर किया तो, ये आप मेरे ऊपर छोड़ दीजिये, उस मादरचोद की माँ बहन सब, बस कल की रात कतल की रात बस आप मत डरियेगा उस एकफुटे को देख कर,... "
उनके लड़के के बहाने जो मैंने उन्हें जबरदस्त गालियां दी वो एकदम खुश और हंसती हुयी बोलीं, ...
" एक फुटा हुआ कैसे, बचपन से तेल लगा के, सहला के ,.. उसके बाप से नहीं डरी तो उससे क्या डरूंगी कल देख लुंगी तुझे भी और तेरी छिनार रंडी माँ के दामाद को भी,... "
भाभियाँ ननदों से एक से एक गन्दी गालियां दिलवा रही थीं, मिश्राइन भाभी अपने बगल में बैठी दो सासो को चिढ़ा रही थी, फिर एक ननद से बोलीं
चल अब तू सब अपने अपने महतारी के गरियावा दस मिनट तक, गदहा घोडा कुछ बचना नहीं चाहिए
और अब सासुओं पर गारी की बरसात शुरू हो गयी, एक से एक उनके बेटों से भी जोड़ कर,... गदहा घोडा कुत्ता कुछ भी नहीं,...
प्रतिद्वंदी भी मुकाबले को तैयार....सास संग मस्ती
मेरी सास ने प्यार से, मेरे उभारों को सहलाते पूछा,
" सुन बहू तेरी सास मान लो मान जाये, मान लो क्या अब बचन दे दिया है तो,... मानूंगी ही, पर तेरा वो मानेगा "
मेरी सास अभी कुछ झिझक रही थी मेरे उभारों का रस लेने से, उनकी कोख से जन्मा बेटा रस लेता है तो वो क्यों नहीं, मैंने खुद अपना हाथ उनके उस हाथ के ऊपर रख दिया जो मेरे जोबन पर था और कस के उनके हाथ से रगड़वाते मसलवाते, अपनी सास से उन्हें छेड़ती, चिढ़ाती बोली,...
" उस छिनार के पूत, रंडी के जने की हिम्मत है न माने, स्साले की माँ न चोद दूंगी, उस की और उस की माँ दोनों की गांड मार लूंगी अगर मेरी सास पर चढ़ने में जरा भी देर किया तो, ये आप मेरे ऊपर छोड़ दीजिये, उस मादरचोद की माँ बहन सब, बस कल की रात कतल की रात बस आप मत डरियेगा उस एकफुटे को देख कर,... "
उनके लड़के के बहाने जो मैंने उन्हें जबरदस्त गालियां दी वो एकदम खुश और हंसती हुयी बोलीं, ...
" एक फुटा हुआ कैसे, बचपन से तेल लगा के, सहला के ,.. उसके बाप से नहीं डरी तो उससे क्या डरूंगी कल देख लुंगी तुझे भी और तेरी छिनार रंडी माँ के दामाद को भी,... "
भाभियाँ ननदों से एक से एक गन्दी गालियां दिलवा रही थीं, मिश्राइन भाभी अपने बगल में बैठी दो सासो को चिढ़ा रही थी, फिर एक ननद से बोलीं
चल अब तू सब अपने अपने महतारी के गरियावा दस मिनट तक, गदहा घोडा कुछ बचना नहीं चाहिए
और अब सासुओं पर गारी की बरसात शुरू हो गयी, एक से एक उनके बेटों से भी जोड़ कर,... गदहा घोडा कुत्ता कुछ भी नहीं,...
मेरी सास भी मजे ले रही थीं और अब सास का जो हाथ मेरे उभार पे बस सहला के रह जा रहा था, खुल के कभी दबाता कभी मीजता, मसलता रगड़ता,
गुलबिया एक बार फिर ठंडाई का ग्लास कर पिला रही थी,... मैंने उसको आँख मार के इशारा किया, उसने भांग की दो गोलिया और उसमें, बस उसके हाथ से लेकर
आखिर सास ने मेरी इतनी बड़ी बात मान ली थी,... मैंने अपने हाथ से डबल भांग वाली ठंडाई अपनी सास को पिलाया, उनका एक हाथ तो मेरे उभार पे खेल रहा था, ... मेरी सास ने चमेलिया को इशारा किया और एक ग्लास ठंडाई मेरे पेट में भी,...
मैं कौन पीछे रहती मेरा एक हाथ मेरी सास के पीठ पर, और चोली के बंध खोलने में कितना टाइम लगता है, मेरे हाथ ने भी सेंध लगा दी, और सास के गद्दर जोबन मेरी मुट्ठी में,... कस कस के मैं मसल रही थी,
आखिर यही दूध पी पी के ये इतने तगड़े हुए, मेरी तो कच्ची गुल्लक तोड़ी ही मेरी दोनों छोटी बहनों की भी फाड़ी, खून खच्चर किया, यहाँ तक की मेरी माँ, अपनी सास को भी, कुछ तो बात है इस जोबन में,
मजा तो उन्हें भी बहुत आ रहा था और मुझे भी आँचल के अंदर दबाने में भी दबवाने में भी,... अब भी सास के जोबन एकदम कड़क थे भले ही साइज ३८ के ऊपर की हो लेकिन बिना ब्रा के भी चोली पहनने पर नोक साफ साफ़ झलकती थी, ढलकने का तो सवाल ही नहीं,...
तबतक मिश्राइन भौजी ने मेरी ननद को पकड़ा .. उन्हें लुहकाया,...
अरे ये बैठी हैं तानी इनको भी अपनी महतारी को , ....
मैं भी चिढ़ा रही थी,..सोच रही थी किस का नाम ले के, गरियायेंगी मेरी ननद मेरी सास को मेरे सास का नाम लेंगी, उनका नाम तो ले नहीं सकती अपने भाई का, मेरे साजन की महतारी कह के गरियायेंगी,.. और बिना गारियाये भौजी छोड़ने नहीं देंगी,...
पर ननद मेरी पक्की छिनार, वो मेरी ओर देख के मुस्करायीं और चालू हो गयीं
'अरे हमरे नयकी भौजी के सास की बुरिया में गदहा समाय, घोडा समाय, ऊंट बिचारा गोता खाय
हमरे नयकी भौजी की सास के भोंसडे में मोटका मूसल जाए,"
अब बात मेरी सास की आ गयी थी और वो भी मेरा नाम ले के तो मैं उनकी सास को क्यों छोड़ती बस मैं भी चालू हो गयी,अपनी सास की ओर से ननद की सास को गरियाने में
'मेरी ननद की सास के भोसड़े में, हमरे ननदोई की महतारी के भोंसडे में हमरे नन्दोई समायें उनके साले समायें
मेरी ननद के सास के भोंसडे में मेरी सास,...'
और सब भौजी जोर जोर से हल्ला करने लगी लेकिन सबसे खुश मेरी सास थीं, जोर से अब खुल के जैसे उनका लड़का दबाता है वैसे ही मेरे उभार मसल रही थीं पूरे ताकत से, और मेरी ननद को मेरी ओर से चिढ़ा रही थी,...
" मेरी बहू से नहीं जीत पाओगी, आज आपन सास, ननद कुल हार जाओगी "
दूबे भाभी ने लेकिन मामला और आगे बढ़ाया उन्होने रज्जो भाभी को चढ़ाया ,
देखो तोहार ननद कह रही की तोहरी सास के बुर में गदहा, घोडा,... तनी खोल के देखो न वो धोबी क गदहा नहीं मिल रहा था कही
बस रज्जो और मोहिनी भाभी ने मेरी सास की साड़ी पेटीकोट पलट दिया और मेरे साजन की मातृभूमि दिख गयी,... गुलबिया बगल में ही खड़ी थी, मिश्राइन भाभी ने उसे ललकारा अरे बाहर थोड़ी पता चलता है अंदर हाथ डाल के देख,...
कुछ देर में कोई सास नहीं बची थी, जिसको बहुएं मुठिया नहीं रही हों, किसी किसी पे तो दो बहुएं चढ़ी थीं, अगवाड़ा पिछवाड़ा,... दोनों दो तीन पे तो बहुओं ने पकड़ के ननदों से ही उनको मुठियावा, कुछ सास के मुंह के ऊपर चढ़ी चुसवा रही थीं , गरिया भी रही थीं अरे रोज तोहार बेटवा चाटता चूसता है तो आज आप भी जरा स्वाद चख लीजिये,... मैंने भी पहले लीला और रूपा दोनों बहनों की माँ को, लगती तो मेरी सास ही थीं उसके बाद मेरी एक चचिया सास को,... आधे पौन घंटे तक एकदम फ्री फॉर आल रहा,...
सास का ये ज्ञान तो जीवनपर्यंत काम देने वाला है... सब बहुओं के लिए....बातें मेरी सास की, सास ज्ञान
बस रज्जो और मोहिनी भाभी ने मेरी सास की साड़ी पेटीकोट पलट दिया और मेरे साजन की मातृभूमि दिख गयी,...
गुलबिया बगल में ही खड़ी थी, मिश्राइन भाभी ने उसे ललकारा अरे बाहर थोड़ी पता चलता है अंदर हाथ डाल के देख,...लेकिन मैं तो बस एक ही बात सोच रही थी, बस आज की रात और,.... कल की रात मेरे साजन इसी में अंदर जायेंगे, मेरे सामने ठेलंगे , पेलेंगे अपना,... जहाँ से निकले हैं वहीँ से अंदर
कुछ देर में कोई सास नहीं बची थी, जिसको बहुएं मुठिया नहीं रही हों,
किसी किसी पे तो दो बहुएं चढ़ी थीं, अगवाड़ा पिछवाड़ा,... दोनों,
दो तीन पे तो बहुओं ने पकड़ के ननदों से ही उनको मुठियावा,
कुछ सास के मुंह के ऊपर चढ़ी चुसवा रही थीं , गरिया भी रही थीं अरे रोज तोहार बेटवा चाटता चूसता है तो आज आप भी जरा स्वाद चख लीजिये,...
मैंने भी पहले लीला और रूपा दोनों बहनों की माँ को, लगती तो मेरी सास ही थीं,
उसके बाद मेरी एक चचिया सास को,... आधे पौन घंटे तक एकदम फ्री फॉर आल रहा,...
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गौने की रात से ही मैं समझ गयी थी इस घर में मेरी अच्छी निभेगी, खास तौर से सास से लेकिन अगले दिन जिस तरह से मुझसे खुल के बतियाया उन्होंने,...
सुहागरात के पहले ही मेरी सास ने जिस तरह से बोला था और अगले दिन भी जब मैं सुबह इनके पास से आयी थी, और ननदें जेठानियाँ चली गयी थी खाली मैं और सासू जी थे, समझाते हुए, मुस्करा कर बोलीं,...
" अरे काहें इतना लजा रही थी, ननद को पलट के गरिया के जवाब देना चाहिए,... " फिर अपनी बात उन्होंने आगे बढ़ाई और समझाया
" देखो हमार घर खेती किसानी का है और अब तुम्ही को सब देखना है, बड़ा वाला तो बम्बइये का हो गया है,... गाय गोरु का है,... जब जमीन में हल चलता है , तो जमींन का हल चलने से घबड़ाती है,.... "
मैं भी मुस्कराते हुए उन्ही के अंदाज में बोली,... " नहीं अपनी जाँघे फैला के हल को स्वीकार कर लेती है, .... "
वो खिलखिलाने लगीं,... बोलीं " हो तो शहर की लेकिन एक दिन में ही समझ गयी, देहात की बात,... और जो जमीन हल को नहीं चलने देती, कड़ी, पथरीली,... उसकी कोई कीमत होती है, क्या उसमें कोई बीज डालेगा,... "
" एकदम नहीं बीज की बर्बादी, ऊसर बंजर पथरीली जमीन की खेती के लिए का कीमत " समझते हुए मैं बोली,...
"किसान के लिए हल बैल और अब भले ट्रैक्टर आ गया हो तो ओहु की पूजा होती है, .... क्यों क्योंकि , वो जमीन जोतता है,... और जब बीज पड़ता है पानी पड़ता है तो जमीन लहलहाने लगती है , किसान हो या उसके घर के सब लहलहाती फसल देख के सब हरषाते हैं, एक बीज डालो और हजारों बीज,... और ये काम करता है कौन,... "
" धरती,... " मैं बोली
" बस हम तुम उसी तरह से हैं " मुझे अँकवार में भरती बोलीं,
"धरती की तरह, ... जितना लेते हैं सौ हजार गुना लौटाते हैं। तो धरती लजाती है का , अरे जउने दिन खेत में पहली बार हल चलता है समझो त्यौहार होता है ख़ुशी का मौका, उसी तरह धान की जब रोपनी होती है खूब गा गा कर खुसी से " फिर कुछ रुक के बोलीं
" देख तोहरे तरह तो हम इंटर पास नहीं है, लेकिन इतना जानते हैं की हजारो साल से पता नहीं कौन जमाने से खेत जोता जाता है , बीज डाला जाता है और फसल होती है,... और यही फसल होना बंद हो जाए तो , अरे जो बकरा मुर्गी खाते हैं उस बकरा मुर्गी को भी तो घास दाना चाहिए। ... उसी तरह इंसान की जात कैसे चल रही है ऐसे ही तो खेत की तरह,
मरद हल चलाता है, बीज डालता है,... और फिर नौ महीने,... हम सब जो आये हैं जाएंगे लेकिन हमारी जगह दूसरे, तीसरे, चौथे, ...जैसे गेंहू तो काट पीट के चक्की में पीस के लेकिन बीज उसका किसान बचा के रखता है,... "
मैं ध्यान से उनकी बातें सुन रही थी, बात सोलहो आने सही थी।
और गाय गोरु भी, सास मेरी अब प्यार से बतिया रही थीं जो कोई अपनी बिछड़ी सहेली से बतियाये,... वो बोलीं,
जब बछिया हुड़कती है तो कउनो ये पूछता है उसकी उमर का है कब बियाई थी, अरे ओह लायक हो गयी है तब तो हुड़क रही है फिर,... और जल्दी से सांड़ के पास न ले जाओ "
" तो खूंटा तोड़ा देती है " हँसते हुए मैंने अपनी सास की बात पूरी की. और सास भी बड़ी देर तक खिलखिलाती रहीं मेरे साथ,... और बोलीं
और सांड़ के चढ़ने के बाद जब बछिया गाभिन होती है पूरा घर खुस ,...
" की बियायेगी तो दूध मिलेगा, खीर बनेगी " मैंने एक बार फिर उनकी बात पूरी की और सास ने बात दूसरी ओर मोड़ दी,...
" गाय गोरु, खेत खलिहान छोड़ा, फूल काहें को खिलते हैं इसी लिए न की कउनो भौंरा लुभाये,... लेकिन फूल को भौंरा क लोभ नहीं होता, असली लोभ है बीज का, ओकर पंखुड़ी के बीच में से,...
बॉटनी पढ़ी इंटर में यूपी बोर्ड से, मैंने बात पूरी की , ... " पराग, परागण "
" हाँ वही,... तो फूल तो कउनो कोठरी नहीं ढूंढते, न रात क इन्तजार करते है न बछिया ढूंढती है न खेत में हल छुपा के कोई चलाता है लेकिन मनई मेहरारू,... अइसन लाज , ... चलो लाज तो थोड़ बहुत ठीक है लेकिन मेरे समझ में यही नहीं आता की उसको बुरा जो मानते हैं, छुप के बात करते हैं, इशारे में , ... कुँवार लड़की कतो देख न ले,... काहें न देखे, देखेगी नहीं तो सीखेगी कैसे,... तो फिर औरतन में लड़कियों में कौन बात क लाज,.,... जउन इतना घुमाय फिराय के, खास तौर से जब लड़कियां औरते ही हों,... अब बताओ चुदवाने में लाज नहीं, कउनो बुराई नहीं तो चुदवाना बौलने में कौन लाज,.... अरे तोहार ननद चिढ़ावत रही न की भौजी रात भर कुठरिया में का हुआ,... तो बोल देती तोहरे भैया से चोदवावत रहे, और तोहरी बुरिया में बहुत खुजली मची हो, तो अपने मायके से अपने भैया के बोलाय देई, चौथी में तो आएंगे ही , सगे नहीं है तो चचेरे ममेरे चुदवाना मन भर के,... और अपने भैया से मन हो तो भी, ... पता चल जाएगा की रात भर भैया कुठरिया में का करते हैं "
हँसते हुए मेरी सास मेरा गाल जहाँ इनके दांतो के निशान थे उसे सहलाते बोलीं
सास ने अब खुल के अपनी बात बतायी और मान गयी उनकी बात समझ गयी इस गाँव में कम से कम लड़कियों औरतों के बीच किसी चीज का कोई पर्दा नहीं और सास ने आगे कारण भी बताया,...
" देख लड़किया सब बचपन कातिक में कुतिया के ऊपर कुत्ता, बछिया के ऊपर सांड़ चढ़ते देखती हैं, रतजगा में बियाह में एकदम खुल्ल्म खुला गारी और भौजाइयां माँ के सामने बिटिया को , और माँ खुद नयी भौजाई को उसकाती है,... तो सहर का पता नहीं लेकिन यहाँ बचपन से ही सब सीख जाती हैं और हम लोग भी कुछ बुरा नहीं मानते, जिस चीज से हमारी जिंदगी चलती है, खेत में बीज न बोओ, बछिया पे सांड़ न चढ़े तो कहाँ से फसल आएगी कहाँ से दूध? और उसी तरह मर्द औरत,... "
मैंने बात दूसरी और मोड़ दी " लेकिन खेत में एक बीज से इतने बीज तो औरत,... के "
और बात बीच में काट के हँसते हुए बोली , " अरे गाँव गाँव में तो आशा बहू हैं लड़की के खून खच्चर हुआ नहीं की पहुंच गयी आशा बहू के पास,... गोली,... बियाहिता कुँवार नहीं देखती, ... लेकिन एक बात साफ़ है बल्कि दो बात,... तोहरे लिए तोहार महतारी बोल रहीं थीं पांच साल तक नाती पोता नहीं लेकिन हमरे जिद्द करने पर मान गयी तीन साल तक कुछ नहीं,
ये बात माँ ने भी मुझे बतायी थी
सास थोड़ी देर चुप रहीं फिर सीरियस हो के बोलीं,... लेकिन मैं कुछ और चाहती हूँ,...
मैं घबड़ायी कहीं वो नौ महीने में ही तो नहीं लेकिन जो सास ने बोला मेरा मन खुश हो गया,...
" देखो ये फैसला न तो हमार बेटवा करेगा, न तोहार सास न हमार समधन, इसका फैसला सिर्फ एक जनि के पास, ... हमार बहू,... तोहार फैसला,... जिसकी कोख उसका फैसला, नौ महीने तोहें संभालना है,... तो फैसला कोई और करे,... लेकिन खेत, बछिया और फूल की तरह चुदवाने पे कोई रोक टोक नहीं , जब जहाँ , चाहो,... लेकिन उसमें भी एक बात और ये मेरी नहीं पूरे गाँव का चलन है , जिसकी देह उसका फैसला, लड़की शायद करे तो मतलब नहीं। जबतक तोहार मन नहीं,... "
मेरे मन की बात कह दी उन्होने हँसते हुए। मैंने मुस्करा के पूछा,... और मेरा मन आ जाये तो,
" पटक के चोद दो स्साले को,... अइसन चाँद अस बहू काहें को लायी हूँ " हंसती हुयी वो बोलीं लेकिन मेरी टोकने की आदत
मैंने पूछ लिया , पर आपने दो बात कही थी,...
हंसने लगी वो, बोलीं,... अरे तुम भी न, मेरा मन है की वो रबड़ वबड़ के चक्कर में मत पड़ना,... उंहा मन कर रहा है वहां दूसर जनि बरसाती की तरह पहन रहे हैं छाता तान रहे हैं,... अइसन उलझन होती है और फिर फेको कहाँ, मलाई का मजा नहीं,... "
मेरी सास को मालूम था की उनकी समधन ने शादी के डेढ़ महीने पहले से ही मेरी गोली शुरू करवा दी थी।
वही बोलीं वो,... " अभी गोली वोली खाती हो तो खाती रहो, लेकिन महीना भर बाद हम आशा बहू को बोलेंगे, तोहे ले जाय घंटा भर भी नहीं लगता है, तांबे क ताला लगवा लो,... रोज रोज क गोली क छुट्टी। "
और उस दिन से मैं ही सिर्फ अपनी सास को न अच्छी तरह समझ गयी थी उनसे अच्छी दोस्ती हो गयी बल्कि गाँव का भी चलन, रीत रिवाज,... जहां ये सब बुरा कोई नहीं मानता, लेकिन उस से भी अच्छी बात जोर जबरदस्ती एकदम नहीं। लड़के लड़की की चूँची आयी नहीं लाइन मारना चालू कर देते हैं हर जगह की तरह, लुभाना पटाना , लेकिन जबतक वो साफ़ साफ़ हाँ नहीं बोले , हाथ पकड़ना तो दूर छू भी नही सकते।
मेरी सास ही नहीं गाँव की हर औरत मानती थीं, बुरा वो जिसमें जोर जबरदस्ती हो, लड़की को औरत को पसंद न आये,... उसको मजा न मिले,...
और अच्छा वो जिसमें दोनों की मर्जी हो , मजा मिले अच्छा लगे,...
और बाकी सब के लिए आशा बहू थीं न उन्हें सब पता रहता था की गाँव में कौन लड़की स्कर्ट पसार रही है तो उसे खुद गोली खिलाने, … और अब तो इस्तेमाल के बाद बाली भी गोली मिलती है,... और किससे करवाना है नहीं करवाना है ये फैसला भी लड़की का, औरत का। देवर नन्दोई जीजा का तो हक़ भी होता है लेकिन उसके साथ भी मर्जी वाली बात रहती थी.
लेकिन फागुन लगते ही ऐसी फगुनाहट चढ़ती थी न,...
जैसे आम बौराता है, जवान होती लड़कियां, भौजाइयां सब बौरा जाती थीं, न रिश्ता न नाता, सिर्फ मस्ती।
जेठ ससुर जिनसे बाकी ११ महीने थोड़ा दूरी रहती है उनके साथ भी एकदम खुल के मजाक, छेड़छाड़,... और अगर कहीं रिश्ते में, गाँव के रिश्ते से देवर मिल गया, गली गैल में, कहीं नन्दोई आ गए, और लड़कियां भी अपने न हों तो सहेली के जी जीजा, गाँव में किसी के जीजा, और भाभी के भाई भी,...
( आखिर मेरे ममेरे भाई चुन्नू ने इनकी सबसे छोटी बहन की बिल का फीता काट दिया था, जब वो होली में लेने आया था मुझे,... और मंझली ननद ने खुद चढ़ के,... उसे ).
जैसे जैसे होली नजदीक आती है चट चट कर के बंधन टूटने लगते हैं , फिर होली और रंग पंचमी के पांच दिन तो,...
और सबसे बढ़कर औरतों और लड़कियों में रिश्तों का भी सिर्फ ननद भौजाई नहीं, सास बहू भी, सहेलियां भी आपस में,... अगर पाहुन आये, और घर में साली सलहज है, फिर तो सलहज ही साली का नाड़ा अपने नन्दोई से खुलवाती थी नहीं तो खुद तोड़ देती थी , और अगर सलहज न हुयी तो सास ही अपनी बेटी का हाथ पीछे से पकड़ के आ रहे कच्चे टिकोरे, ऑफर कर देती थी
" अरे तनी ठीक से सही जगह पे रंग लगावा,... " इसके बाद कौन जीजा चोली में हाथ डालने से अपने को रोक सकता था और एक बार चोली खुली तो नीचे का नंबर,...
पिछला हफ्ता इसी मस्ती में और कल का दिन भी, लेकिन अभी जो होना था उसके बारे में मुझे कुछ नहीं मालूम था,