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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

Shetan

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मेरी ननदिया

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बनाएगी अपने सगे भैया को भतार,
बनेगी मेरे साजन की सजनिया

मिश्राइन भौजी जो पास में ही किसी कच्ची कली को पकड़ के अपनी बुर चटवा रही थीं, वहीँ से अपना फैसला सुना दिया,...

" अरे तुम दोनों काहें झगड़ रही हो , दोनों एक साथ मुट्ठी पेलो, गाँड़ फटेगी जो मोचिया के यहां सिलवा लेंगी और सिलवाई में आपन दुनो जोबन लिख देंगी, "

हाँ यह सही है, चमेलिया और गुलबिया एक साथ बोलीं तो मैंने भी साथ दिया,

" ठीक है पिछवाड़े अगवाड़े में फर्क नहीं होना चाहिए,... तो दोनों एक एक मुट्ठी ननद रानी की गंडिया में पेलो और हम आपन दुन्नो मुट्ठी उनकी बुरिया में एक साथ पेलते हैं वरना ननद कहीं बुरा मान मान गयीं की उनकी बुरिया की खातिर ठीक से नहीं हुयी। " मैं बोली

और ननद चिल्लाईं जोर से, .... नहीं नहीं एक साथ दो दो नहीं,...

" अरे हमरे दू दू तीन तीन देवर एक साथ चढ़वाती हो और भौजाई के नाम पे गाँड़ फट रही है,... " गुलबिया ने चिढ़ाया।

वो बेचारी मेरी ओर देखने लगी और मुझे मौका मिल गया,... मैंने कान में बोला , दुहरी मुट्ठी से बचना है तो मेरी दो तीन बात माननी होगी। "

उन्होंने तुरंत हाँ में सर हिला दिया। मैंने खूब धीमे से बोला, जिससे चमेलिया, गुलबिया तो आसानी से सुन लें,...और इस बात की गवाह रहें की मेरी ननद ने गाँव के खुले मैदान में इन सबके सामने का का कबूला

" मेरे सैंया और अपने भैया के साथ,.... आज रात को, और आज ही नहीं जब मैं कहूं जहाँ कहूं , जिसके सामने कहूं,... जो कहूं "
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बड़ी जोर से उन्होंने ना में सिर हिलाया और मैंने अनुवाद कर के चमेलिया गुलबिया को सुना दिया, ( ननद की ना ना को सुने तो भौजाई किस बात की )

" अपने भैया क रखैल, मान तो गयी हैं दू मुट्ठी एक साथ के लिए, लेकिन दो शर्त है, पहली गुलबिया पहले गौने उतरी तो पहले वो डाले, और उसके बिना निकाले चमेलिया वो गाँव में सबसे बाद में गौने उतरी है तो वो,...

चमेलिया तुरंत मुंह बना के बोली,... बड़ी ननद है और आप दोनों जेठान है इसलिए मान लेते हैं चल गुलबिया तू पेल और जब तोहार मुट्ठी पूरी तरह अंदर तो हमहुँ पेलब, "
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" अरे नहीं" मैंने तुरंत टोका, " अरे ननद रानी क बात तो सुन लो दुनो भौजाई क एक साथ कोहनी तक, खाली मुट्ठी तो ऊंट के मुंह में जीरा होगा ननद रानी के "

ये बात सही है कोहनी तक पेलल जाई, आज इहो याद कर लेंगी की दू दू भौजाई से पाला पड़ा था, ... चमेलिया गुलबिया दोनों बोलीं,...

बेचारी मेरी ननद उछल के बोलीं, " अरे मैंने ये तो नहीं कहा था,... "



मिश्राइन भाभी भी सुन रही थीं एक कुँवारी ननद को ऊँगली करती बोलीं,


" अरे कइसन भौजाई हो, ये ननदियन क भाई पेलने क पहले पूछते हैं का, तो जो तुम सब पूछ रही हो पेलो दू दू मुट्ठी एक साथ,... अपने ससुरारी क होली भुला जाएँ "

अब ननद समझ गयी थीं बचत नहीं है या तो मेरी बात मान जाएँ या फिर डबल फीस्टिंग,... ननद कौन जो छिनार न हो बोलीं अदला बदली,


मैं झट से मान गयी नन्दोई मेरे बड़े ही रसिया मेरे जुबना के भी दीवाने और पिछवाड़े , मायके में होली का मज़ा जीजा के साथ और ससुराल में ननदोई के साथ , दोनों खेले खाये,...

लेकिन मैंने साफ़ भी कर दिया की अगर ननदोई नहीं होगें तो भी उन्हें मेरे सैंया के साथ,... गुलबिया हाथ मोड़ के चार ऊँगली ननद के पिछवाड़े घुसा चुकी थी , चमेलिया भी मुट्ठी मोड़ खोल के तैयार हो रही थी,

मान गयीं ननद रानी ,
मैंने तीन तिरबाचा भरवाया, जोर जोर से बुलवा कर, वो खुद बोलीं


अपने सगे भैया से चुदवाएंगी, गाँड़ मरवाएँगी, मेरे सामने, और मैं जब कहूं तब, जिसके सामने कहूं उसके सामने


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एक बार नहीं बार बार बोलीं वो , गुलबिया चमेलिया तो सुन रही थीं बाकी भी एक दो, चननिया, रमजानिया उन्होंने भी सुना होगा और कल तक पूरे गाँव में बाँट आएँगी

मैंने उनको समझाया भी था ननद रानी आपके सैंया ने मेरी भी ली, मेरी छोटी बहन की भी ली और सबके सामने ली आपके मेरी सास के मेरे मरद के, ... तो फिर मेरे साजन का हक़ बनता है तोहरी बुर और गाँड़ पर,...

और उसके बदले में डबल फिस्टिंग, एक छेद में दो दो मुट्ठी एक साथ, से बच गयीं

हाँ बुर और गाँड़ दोनों में तो मुट्ठी साथ साथ होनी ही थी,
और मैंने उनके रसीले होंठों को सहला के चमेलिया को इशारा किया वो तुरंत चढ़ के अपनी बुर उनसे चटवाते बोली,... जबसे गौने उतरी थी और ननद तोहें देखी तभी से यह लाल लाल होंठ देख के मन करता था तोहसे चटवाने चुसवाने का,.. अरे तानी जोर जोर से चूसा,... बिना झड़वाये न छोड़ब,...

मैं ननद रानी के बुर में मुट्ठी डालने की कोशिश कर रही थी।

ये बात सही थी की इसके पहले मैंने ननद को मुठियाया नहीं था लेकिन देखा तो कितनी बार था, सबसे पहले और सबसे ज्यादा बार माँ को ही बुआ की बिल में और वो मुझे पास बुला के,.... देख ले बियाह के बाद अपनी ननदन को भी,... सिर्फ माँ नहीं चाची, मौसी,...
Ufff maza la diya. Vo sab kuchh kar diya jo dill me bhadas thi. Fir bhi dill nahi bhar raha. Ab to nandiya ko mina bazar hi le chalo. Jilla top baao.
Some more

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Shetan

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भाग ६६

ननदों संग मस्ती -मज़ा कच्ची कली रूपा का


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पहले जैसे मैं गयी थी ननदें खूब हल्ला कर रही थीं, यही रूपा बोली,

"मैं तो अपनी मीठी प्यारी भौजी की गाँड़ मिर्चे के अचार वाला तेल लगा के मारूंगी , भौजी,... देवर नन्दोई क गाँड़ मरवाई भूल जाएंगी नंदों के आगे ,... "
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और मैंने तय कर लिया था की जीतने के बाद इसका नेवान जरूरी करुँगी, कच्ची कली थी बिनचुदी,... छुटकी से भी तीन चार महीने छोटी,.... लेकिन जुबान और जोबन दोनों में जबरदस्त,...

रूपा बहुत बुरा सा मुंह बना रही थी, वो कुछ देर पहले ही देख रही थी की कैसे मैं अपनी ननद के ऊपर बैठी दोनों जाँघे खोल के, सावन भादो की धार ननद रानी के मुंह में, बिना धार टूटे, और वही स्वाद उसके मुंह में,... वो छटपटा रही थी, छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन छटपटाती ननदों से अच्छा नज़ारा भाभी के लिए क्या होगा, मैंने कस के अपनी जाँघों के बीच से दबोच रखा था, कस के उसका सर अपने दोनों हाथों से पकड़ के,...

आखिर बेचारी की चाटना ही पड़ा,...
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लेकिन कुछ देर बाद मुझे दया आ गयी और उसे उठा के गोद में क्या मस्त गोरे चिकने गाल थे उस चिकनी के, मुझसे बिन चुम्मा लिए रहा नहीं गया, फिर चुम्मा से कहाँ मन मानता है ऐसे कच्चे गाल देख के , तो चूसना काटना और मेरे हाथ दोनों बस आ रहे जोबन मसलने लगे, इस होली में मैंने दर्जनों ननदों की चूँचियाँ रगड़ी होंगीं, लेकिन इसकी एकदम,... मैच में बेला की जैसी थीं,... बस आ रही उसी तरह की,... और चूँचियाँ उठान के समय से अगर चूँचियों की रगड़ाई मसलाई शुरू हो जाये तो बस साल दो साल में जबरदंग,...

और ये जिम्मेदारी तो भौजाइयों की होती है , फिर फायदा मेरे देवरों के साथ मेरे भाइयों का भी होता,... भले सगा भाई कोई नहीं था लेकिन ममेरा भाई चुन्नू था न, मेरी ससुराल पहले भी आ चुका था, बस उसी को चढ़ाउंगी इस कोरी के ऊपर,... और उसके दोस्त यार भी हैं,... चचेरे मौसेरे भाई तो हैं, सब का नंबर लगेगा,...


एक हाथ से मैं बस चूँचिया उठान दबा रही थी मीज रही थी मसल रही थी और दूसरा हाथ रूपा के गोरे पान ऐसे चिकने पेट पर सहलाते हुए, जो इस उम्र की लड़कियों के लिए सहज है रूपा ने अपनी दोनों जाँघे कस के भींच ली,

लेकिन जाँघे भींचने से बुलबुल न तो भौजाइयों से बचती है, न गाँव के लौंडो से,... मेरा बायां हाथ अभी कच्ची अमिया का रस ले रहा था, बस ललछौहैं आ रहे निपल को कभी पकड़ के खींच लेती कभी अंगूठे और तर्जनी में पकड़ के मसल देती,...

दायां हाथ, रूपा के पेट से सरकते गहरी नाभी में जा कर अटक गया था और रूपा ने सिसकते हुए और कस के दोनों पैरों को सिकोड़ने की कोशिश की, वो बारी कुँवारी कोरी चिकनी मेरी गोद में बैठी थी. मैंने अपने दोनों पैरों को उसके पैरों के बीच में फंसा के फैला दिया, जांघ भी थोड़ी सी खुल गयी, बस मैंने जाँघों के ऊपरी हिस्से में कस के चिकोटी काटी और रूपा ने जोर की चीख मारी, जाँघे उसकी पल भर के लिए खुल गयीं। इतना टाइम बहुत था.

मेरी दायीं हथेली ने बाज की तरह झप्पटा मारा, और खजाना मेरे हाथ में। अब चिपका ले वो जांघ, सटा ले सेंध तो लग ही गयी थी.

एकदम मक्खन मलाई, जितनी गोरी गुलाबी उतनी चिकनी,... बस दो चार झांटे आ ही रही थीं,
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बस मैंने पक्का कर लिया भले इसका फीता कोई काटे, चढ़वाऊंगी तो मैं अपने भाइयों को जरूर,... थोड़ी देर की रगड़ाई मसलाई उसकी चिकनी चूत की रूपा ने जाँघे खुद ढीली कर दी. मेरी अनुभवी उँगलियों ने छुटकी नांदिया की फांको को पकड़ के सहलाना रगड़ना शुरू कर दिया, अंगूठा क्लिट ढूंढ रहा था वो भी मिल गयी.

कुछ देर में एक तार की चाशनी निकलने लगी, जाँघे खुद ही फैली गयी, रूपा सिसक रही थी, हाँ भौजी, हाँ भौजी बोल रही थी बस।

उधर भौजाइयों के जीत का जश्न शुरू हो गया था, मिश्राइन भौजी, मंजू भाभी, रज्जो भाभी के साथ गुलबिया, चमेलिया, चननिया,...

सब ननदें इकट्ठी की जा रही थीं,... दूबे भाभी ने सवाल किया
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कौन कौन ननद पांच भौजाई से ज्यादा की बुर आज चूसी हैं ?

दर्जन भर से ऊपर हाथ उठ गए।

छह से ज्यादा

चार पांच,

सात से ज्यादा,

सिर्फ दो थे एक तो कम्मो और दूसरे रूपा की ही सहेली सोना। और उन दोनों को बुला के मिश्राइन और दूबे भाभी ने अपनी जांघ पर बैठा दिया और बाकी को हुक्म दिया

नाच सालियों

कपड़ों का तो सवाल ही नहीं था , ऊपर से कभी चमेलिया कभी चननिया,

"अरे ऐसे नहीं तनी आपने जोबना उठाय उठा के कमर मटकाय के अरे जैसे चुदवाती समय कमर उछालती हो वैसे उछालो छिनरों"
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जहां से मैं बैठी था साफ़ नहीं दिख रहा था ऊपर से रूपा गोद में, मैं खड़ी हो गए एक महुए के पेड़ का सहारा लेकर, अपनी टाँगे फैला के. और रूपा को टांगो के बीच में उसके गुलाबी होंठ सीधे मेरी चुनमुनिया पे,

"चल चाट कस कस के और बिना झाड़े छोड़ना मत,... वरना"
हड़काया मैंने रूपा को, " तू अपना काम कर मैं अपना "

मेरी बारी कुँवारी कच्ची ननद मेरी बिल चूस रही थी कस कस के और मैं ननदों का नाच देख रही थी, इसी सब सुख के लिए तो ये जान लगा के कबड्डी का मैच जीती थी अब से इस गाँव में भौजाइयों का राज



मैं एक डाल पकड़ के खड़ी नंदों का नाच देख रही थी और रूपा मेरी बिल चाट चूस रही थी.
Uffff... sss Rupa ka to Rup hi badal diya. Amezing. Ye kachi nandiya hoti hi is lie. Inke bhaiya kya pelenge. Bhoujiyo ne hi balatkar kar diya. Amezig...
 

Shetan

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ननदों का नाच

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मिश्राइन और दूबे भाभी ने अपनी जांघ पर बैठा दिया और बाकी को हुक्म दिया

"नाच सालियों"

कपड़ों का तो सवाल ही नहीं था , ऊपर से कभी चमेलिया कभी चननिया,

"अरे ऐसे नहीं तनी आपने जोबना उठाय उठा के कमर मटकाय के अरे जैसे चुदवाती समय कमर उछालती हो वैसे उछालो छिनरों"

जहां से मैं बैठी था साफ़ नहीं दिख रहा था ऊपर से रूपा गोद में, मैं खड़ी हो गए एक महुए के पेड़ का सहारा लेकर, अपनी टाँगे फैला के. और रूपा को टांगो के बीच में उसके गुलाबी होंठ सीधे मेरी चुनमुनिया पे, चल चाट कस कस के और बिना झाड़े छोड़ना मत,... वरना

मैं एक डाल पकड़ के खड़ी नंदों का नाच देख रही थी और रूपा मेरी बिल चाट चूस रही थी.

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आज भौजाइयां पूरे जोश में थीं, जो पहले चमेलिया और गुलबिया को टीम में रखने पे हल्ला कर रही थीं वो सबसे ज्यादा उनसे मिल जुल के पक्की सहेलियों की तरह, जेठानी देवरानी की तरह, ननदो को नंगे नचाने में मगन थीं, एक से एक मस्त गाने चल रहे थे दूबे भाभी ने गुलबिया को ललकारा

" हे कजरी क भौजी एक जोगीड़ा,..."
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शुरू गुलबिया चमेलिया ने किया फिर मोहिनी भाभी, रज्जो भाभी और दो चार और उनकी उम्र की मेरी जेठानियाँ ननदों का नाम ले ले के,...




हो जोगी जी, हाँ जोगी जी

हमरे गांव की ननदिया सब पक्की हुईं छिनाल,

कौन उनकी चूँची दबावे कौन कटले हो गाल ,

हो जोगी जी , हाँ जोगी,

अरे भैया हमरे, हो भैया हमरे चूँची दबावें, उनके भैया काटे गाल,

ननदिया सब पक्की हुईं छिनाल, हो जोगी जी

तीन तीन यारन से चुदवावे तबियत हुयी निहाल,

जोगीड़ा सारा सारा

हो जोगी जी, हाँ जोगी जी

हमरे खेत में गन्ना है और खेत में घुंमची

लीला छिनारिया रोज दबवावे अपने भैया से दोनों चूँची,

हो जोगीड़ा सारा सारा हो सा रा रा

अरे देख चली जा, चारो ओर लगा पताका और लगी है झंडी

नैना ननद मशहूर हैं २२ गाँव की रंडी,



चुदवावे सारी रात, जोगीड़ा सा रा, ओह्ह सारा रा,...



और नाचती हुयी सभी ननदें ऐसे चूतड़ उछाल रही थीं जैसे चुद रही हों,...

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साथ में पीछे से भौजाइयों की टोली, कोई चूतड़ में चिकोटी काटता कोई पिछवाड़े ऊँगली करता, और अगर कोई ननद रुकने की कोशिश करती, छिपने के लिए पीछे होती तो चमेलिया पकड़ के उसे दूबे भाभी के दरबार में,...

और तुरंत हुकुम होता जो ननद रुके,... उसे निहुरा के मुर्गी बनाओ,... और पीछे से गांड में कुहनी तक,...



नंदों का ये नाच देख के सब भौजाइयां बहुत खुश मस्ती से झूम रही थीं,



और मैं भी मस्ती में लीला की छोटी बहन रूपा के मुंह में बुर कस कस के रगड़ रही थी, धक्के मार रही थी जैसे उसका मुंह चोद रही होऊं, वो भी अब मूड में आ गयी थी और कोशिश कर के मेरी दोनों फांको को फैला के जीभ अंदर डाल के चूसने के साथ जीभ भी अंदर बाहर कर रही थी, गाने की ताल पर मैं भी, वो भी,


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नाच और तेज हो गया था, गुलबिया और चमेलिया के साथ अब आठ दस मेरी जेठानियाँ तेजी से जोगीड़ा और ताल न सिर्फ भौजाई सब बल्कि सास लोग भी, ... वो भी पूरा मजा ले रही थीं,... और जोर जोर से ताल दे रही थीं गुलबिया को ललकार रही थीं,...
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ओह जोगी जी , हाँ जोगी जी अरे जोगी जी वाह जोगी जी


अरे कहाँ से देखोंपानी बहता, कहाँ हो गया लासा, अरे कहाँ हो गया लासा,...

अरे कहाँ से देखोंपानी बहता, कहाँ हो गया लासा, अरे कहाँ हो गया लासा,...

अरे नीलू ननद की, अरे नीलू ननद की बुर से पानी बहता और चंदा की बुर हुयी लासा

हो जोगीड़ा सारा सारा, हो जो




मैं झड़ने के एकदम करीब थी और कस कस के रूपा के मुंह पे धक्के मार रही थी, रगड़ रही थी, रूपा ननद भी पूरे जोश के साथ गाने की ताल के साथ चूस रही थी,... झड़ते समय मेरी आँखे बंद हो जाती थीं,

और मुझे ' कस के आ भी रही थी ',... लेकिन जब एकदम झड़ने के कगार पे हो तो कौन रुकता है,... मैंने देखा की मेरी सास मुझे देख के ख़ुशी से मुस्करा रही हैं,...



और उसी समय मेरी देह कांपने लगी, एकदम पत्ते की तरह, जाँघे ढीली पड़ने लगीं, आँखे बंद हो गयीं,... मैं झड़ रही थी तेजी से,... मान गयी मैं ननद को, ... एक बार दो बार,....


और जब झड़ना रुका तो आ तो बहुत तेज रही ही थी, मैंने रोका भी नहीं, खड़े खड़े ही ,

सीधे रूपा के मुंह में होली का परसाद,


गाना अभी भी चल रहा था, मेरी सास ने मिश्राइन भाभी से कुछ कहा और उन्होंने जो चार पांच बियाही ननदें थी ( जिनमें मेरी ननद भी थीं ) को खड़ा किया और बोलीं,

" चल अब तू सब ससुरारी में बहुत देवर ननदोई से चुदवायी होगी, चलो ज़रा बुर चालीसा सुनाओ, और अपनी बुर में ऊँगली डाल के फैला के देखाओ भौजाइयों को , और नाचो जोर से "
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Shetan

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मेरी सास



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गाना अभी भी चल रहा था मेरी सास ने मिश्राइन भाभी से कुछ कहा और उन्होंने जो चार पांच बियाही ननदें थी ( जिनमें मेरी ननद भी थीं ) को खड़ा किया और बोलीं,

" चल अब तू सब ससुरारी में बहुत देवर ननदोई से चुदवायी होगी, चलो ज़रा बुर चालीसा सुनाओ, और अपनी बुर में ऊँगली डाल के फैला के देखाओ भौजाइयों को , और नाचो जोर से "
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अब हार तो गयी थीं तो करती क्या,...

मेरी सुनहरी बारिश अभी भी जारी थी रूपा के मुंह से होते हुए,...और जो दो चार बूँद होठों से छलकता उसकी पूरी देह पर बूँद बूँद

कुछ देर बाद मैंने खुद पकड़ के रूपा को खड़ा किया, गले से लगाया और बोलीं आज से तुम मेरी पक्की ननद और अब तेरी बहिनिया लीलवा को भले कभी लंड की कमी पड़ जाए तुझे नहीं पड़ेगी,...



फिर मैं अपनी सास की ओर मुड़ी

तबतक दूबे भाभी ने ननदों को बोल दिया था चल अपने अपने भाइयों का नाम ले ले के गारी दो , अगर पांच मिनट तक लगातार गारी नहीं दिया तो,...



और मैं अपनी सास के पास पहुँच गयी थी.

काफी देर से मेरी सास मुझे देख रही थीं, उनकी आँखे दुलरा रही थीं, प्यार से सहला रही थीं, हम लोगों की जीत से जितनी मैं और मेरी जेठानियाँ खुश थीं उससे दस गुना वो, गांव की सब औरतों ने उन्हें बधाई दी, उनकी तारीफ़ की कितनी अच्छी बहू लायी हो, पहली होली में ही,... और आज ही नहीं शुरू से


मैं शहर की पली बढ़ी, ( भले कस्बाई ही रहा हो ), शहर में इंटर में पढ़ रही थी,... और गाँव में जाना होगा, रहना होगा, सुना था वहां बहुत पर्दा होता है, लंबा घूंघट,... मेरी दोनों बहनें बहुत चिढ़ाती थीं, खास तौर से छुटकी, दी अभी से घूंघट की प्रैक्टिस शुरू कर दे, ... और फिर ये भी की सास, ननद बहुत कड़क होती हैं , नई बहू के कदम कदम पर,



मैं जब उतरी ही थी, पहला कदम इनके साथ घर में रखा भी नहीं था तो सासू ने मेरा घूंघट उठा दिया


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और अपना फैसला सुना दिया,... मेरी जेठानी, चचिया सास, गाँव की और औरतें, ...

" हे चाँद सी बहू इस लिए थोड़ी लाये थी की तोप ढांक के,... " और मेरी जेठानी से बोलीं,

" अपनी देवरानी को समझा चाँद बादल के पीछे नहीं अच्छा लगता है, हमरे आँगन में पूनम की जुन्हाई उतरी है, तो ये सब,... "

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कोहबर में, कुछ आदत कुछ जो सीखा पढ़ा था था मैंने घूंघट पूरा नहीं बस हल्का सा खींच लिया,... और बस अब सासू जी ने मुझे हड़का लिया,

" ये क्या,... बोला था न, नयी जगह, गाँव का घर, कहीं चौखट कहीं उंच नीच,... भहरा गयी, कहीं मोच ही लग गयी तो दस दिन डाक्टर कम्पाउंडर करो, अरे तोहरे महतारी के पंद्रह दिन कोठे पे बैठाऊंगी तब जाके इलाज का खर्चा निकलेगा,... "

मेरी छोटी ननद, मेरी मंझली बहन से थोड़ी छोटी, चिढ़ाते हुयी बोली, " और क्या तो दस दिन बेचारे मेरे भैया क्या करेंगे "

मेरा तो पहला दिन था लेकिन जवाब मेरी ओर से मेरी जेठानी, यही मोहिनी भाभी ने दिया उसे चिकोटी काट के छेड़ते हुए बोलीं,

" अरे तू तो है न तुझी से काम चलाएंगे,... मैं तो कह रही हूँ अभी से तेल वेल लगाना शुरू कर दे, फिर मत शिकायत ले के आना की भौजी आपके देवर ने सूखे ही ठेल दिया। "

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गुलबिया, यही कजरी की भौजी, हमारी नाउन का काम कर रही थी, मेरी जेठानी भी लगती थी,... उसी ने फिर से घूंघट मेरा पूरा हटा दिया। ये बेचारे चोरी से कनखियों से मुझे देख रहे थे, पर भौजाइयों की नजर, गुलबिया ने पकड़ लिया, और छेड़ते बोली

" अरे काहे नजर लगा रहे हो हमरी देवरानी पे, कंगन खोल दो एक हाथ से बस, मिलेगी ये मिठाई, आज रात को, और हम भौजाइयों का नेग ढीला करा। "

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" अरे भौजाइयों क कौन नेग, नेग तो बहनों का होता है " मेरी मंझली ननद बोली पर मोहिनी भाभी थी न हंस के बोली,...

" अरे तुम लोगों को भी नेग मिलेगा काहें को घबड़ा रही हो , ये नयकी क भाई सब आएंगे न चौथी लेके बस, अपना टांग फैलाये देना वो सब अपनी तीसरी टांग,...इससे बढ़िया नेग का होगा "

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भौजाइयों की हंसी के बीच ननदें खिसिया के रह गयी,... रज्जो भाभी ने, मेरी दूसरी पड़ोस की जेठानी ने गुलबिया को हड़काया,

" सुन कजरी क भौजी, जबतक तोहार देवर नेग में आपन दुनो बहिनिया हम लोगन क भाई के नाम न लिखे, कंगन मत खुलवाना,... अइसन मीठ मिठाई ऐसे मिल जाई, बिना नेग के,... "

मैं मान गयी इस घर में मैं अकेले नहीं हूँ और इस घर गाँव में मेरी अच्छी निभेगी।

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अगले दिन सास ने बोल दिया,... " अरे ननद लोगन क बात का मजाक का चिढ़ाने का पलट के जवाब दो, वो एक गारी दें तुम दस सुनाओ,... अरे हमरे तोहरे में का फरक, हम भी इस गाँव की बहू, तुम भी इस गाँव की बहू, ... हम कल, कुछ दिन पहले गौने उतरे थे तुम आज,... "



और उसी दिन से मेरी सास से मेरी पक्की दोस्ती हो गयी,... गरियाती वो भी खूब थीं लेकिन मेरी माँ को , और मैं एकदम बुरा नहीं मानती, उनकी समधन थीं।
Are kaha se dhudhti ho ye Anmol sabad. Man gae. Sabdo ke to jadugar aap hi ho.

चल अब तू सब ससुरारी में बहुत देवर ननदोई से चुदवायी होगी, चलो ज़रा बुर चालीसा सुनाओ, और अपनी बुर में ऊँगली डाल के फैला के देखाओ भौजाइयों को , और नाचो जोर से "

ab koi achha sa nek do meri pyari chhinal nandiya rani ko.

 

Shetan

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मान गयीं सासू, कर दिया वादा





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और उसी दिन से मेरी सास से मेरी पक्की दोस्ती हो गयी,... गरियाती वो भी खूब थीं लेकिन मेरी माँ को , और मैं एकदम बुरा नहीं मानती, उनकी समधन थीं।

तो जैसे मैं उनके पास पहुंची, वो उठ के खड़ी होगयी और जीत की बधाई देने लगीं,

" ये कुल तोहार जादू था,... "



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मैं ख़ुशी से फूली नहीं समायी, सास के मुंह से बड़ाई सुनना,...

झुक के मैं उनके पैर छूने लगी तो उन्होंने पकड़ के उठा लिया, गले से लगा लिया, तब तक मेरी पड़ोस की और एक दो जो चचिया सास लगती थीं, मेरी सास की देवरानी, मेरी सास को बधाई देने लगीं, ...

ऐसी बहू पूरे बाइस पुरवा में नहीं आयी है, इतने दिन के बाद बहुएं जीती है तो ये नयकी के, और आप ऐसी बहू ले आयीं,...


मेरी सास खूब खुस लेकिन बाज नहीं आयीं, अपनी देवरानियों जेठानियों से बोलीं,...


" अरे इस मेरी बहू से ज्यादा इस की महतारी, पता नहीं कहाँ कहाँ से किससे चुदवा के पैदा किया,... अपनी बेटी को, ... लेकिन पैदा किया एकदम नंबर वन, रूप रंग, गाना,खाना, और आज कबड्डी में भी,... "

फिर मुझसे बोलीं, " अच्छा मांग ले आज जो मांगना है, मना नहीं करुँगी "


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सबके सामने मैंने पूछा, छेड़ते हुए, ...

"अच्छा सच में सोच के बोलिये मैं जो भी कहूंगी, करियेगा,... मांगूगा तो मिलेगा "
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एकदम, वो मुझे अँकवार में भींचे भींचे बोलीं,

तीन तिरबाचा भरवाया मैंने सबके सामने,... फिर उनके कान में बोल दिया,


वही जो कुछ देर पहले अपनी ननद से कबूलवाया था, 'आज की रात मेरे साजन के साथ, ... और सिर्फ आज की रात ही नहीं जब चाहूँ तब और वो सैंया से सैयां बदलने पे राजी हो गयीं, और खुल्ल्मखुल्ला मेरे सामने, ननदोई जी मेरे साथ और वो मेरे नन्दोई के साले के साथ,'


बस वही बात,...

सास से भी,... उनकी मातृभूमि में उनकी घर वापसी,...

एक पल के लिए तो हिचकीं, झिझकीं फिर बोलीं, खिलखिला के

"चल तू भी क्या याद करेगी एक बार हाँ बोल दिया तो,.. लेकिन आज नहीं"
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वो तो मुझे भी रस्म मालूम थी इस गाँव की,...कबड्डी के बाद सास सब कहीं बाहर, गाँव के बाहर और कल रात में ही लौटेंगी,...



" चलिए आज उपवास कर लीजिये कल मेरा साजन भोग लगाएगा, मेरी मीठी मीठी सास का " हंसती हुयी मैं बोलीं, और जोड़ा,... "सिर्फ कल ही नहीं जब भी मन करे,... मैं कहूं,...और ये भी नहीं की इसके सामने नहीं उसके सामने नहीं,"
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इरादा मेरा साफ़ था, अपने बेटी दामाद, मेरी ननद ननदोई के सामने भी अपने बेटे से,...


उनकी मुस्कान ही हामी थी, तबतक मेरी एक सास, जो बहुत ही जबरदस्त छेड़ती थीं, मजाक में अपनी सगी बेटियों को नहीं छोड़ती थीं... ब्लाउज तो मेरा कबड्डी में नंदों ने तार तार कर दिया था मैंने साड़ी के आँचल से ही अपने दोनों जोबन कस के बाँध रखे थे, ...

तो मेरी उन पड़ोस की सास ने आँचल खींच दिया और छेड़ती हुयी बोलीं,

" अरे हम सब के लड़कों को तो खूब दिखाती, ललचाती, लुटाती हो तो सास लोगों से का छिपाना "


और दो दो पूनो के चाँद की तरह मेरे दोनों दूध के कटोरे बाहर,...


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मेरी सास ने झट से एक को पकड़ के दबोच लिया और हथेली में छिपाते बोलीं,.... मैं ढंक लेती हूँ वरना नजर लग जायेगी, और मुझे अपने बगल में बैठा लिया,


उनके हाथ हलके हलके सहला रहे थे और सामने सीन भी मस्त चल रहे थे, दो ननदें अपनी बुर में ऊँगली करती,... चूँची उछालती नाच रही थीं,....


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एक कच्ची कली को निहुरा के एक भौजाई उसके पिछवाड़े दो दो ऊँगली घुसेड़ के अंदर बाहर कर रही थीं,...

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एक ब्याहता ननद, गौने के बाद पहली बार आयी, नंगी लेटी ननद चूतड़ उछाल के दिखा रही थी पहली रात उसकी कैसे चुदाई हुयी,...



और कबड्डी के पहले फिर बाद में मिश्राइन भाभी ने सबको डबल भांग की ठंडाई दो दो ग्लास पिलवायी थी, गुझिया, दहीबड़ा कोई ऐसी चीज न थीं जिसमें भांग न हो,... और कबड्डी के बाद दूबे भाभी ने इशारा किया तो रमजानिया जो नंदों को बाँट रही थीं, उनकी ठंडाई में पता नहीं कौन सी जड़ी बूटी मिला दी थी, जिससे आधे घंटे के अंदर जबरदस्त चुदवास लगती थी, लाज सरम सब पिछवाड़े अंदर,...



तो वो गर्मागर्म सीन और भांग का असर सास लोग भी मस्त हो रही थी,

मेरी सास ने प्यार से, मेरे उभारों को सहलाते पूछा,


" सुन बहू तेरी सास मान लो मान जाये, मान लो क्या अब बचन दे दिया है तो,... मानूंगी ही, पर तेरा वो मानेगा "


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मेरी सास अभी कुछ झिझक रही थी मेरे उभारों का रस लेने से, उनकी कोख से जन्मा बेटा रस लेता है तो वो क्यों नहीं,

मैंने खुद अपना हाथ उनके उस हाथ के ऊपर रख दिया जो मेरे जोबन पर था और कस के उनके हाथ से रगड़वाते मसलवाते, अपनी सास से उन्हें छेड़ती, चिढ़ाती बोली,...

" उस छिनार के पूत, रंडी के जने की हिम्मत है न माने, स्साले की माँ न चोद दूंगी, उस की और उस की माँ दोनों की गांड मार लूंगी अगर मेरी सास पर चढ़ने में जरा भी देर किया तो, ये आप मेरे ऊपर छोड़ दीजिये, उस मादरचोद की माँ बहन सब, बस कल की रात कतल की रात बस आप मत डरियेगा उस एकफुटे को देख कर,... "


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उनके लड़के के बहाने जो मैंने उन्हें जबरदस्त गालियां दी वो एकदम खुश और हंसती हुयी बोलीं, ...


" एक फुटा हुआ कैसे, बचपन से तेल लगा के, सहला के ,.. उसके बाप से नहीं डरी तो उससे क्या डरूंगी कल देख लुंगी तुझे भी और तेरी छिनार रंडी माँ के दामाद को भी,... "

भाभियाँ ननदों से एक से एक गन्दी गालियां दिलवा रही थीं, मिश्राइन भाभी अपने बगल में बैठी दो सासो को चिढ़ा रही थी, फिर एक ननद से बोलीं

चल अब तू सब अपने अपने महतारी के गरियावा दस मिनट तक, गदहा घोडा कुछ बचना नहीं चाहिए

और अब सासुओं पर गारी की बरसात शुरू हो गयी, एक से एक उनके बेटों से भी जोड़ कर,... गदहा घोडा कुत्ता कुछ भी नहीं,...
Are shas hui to kya huaa. Gau ki to vo bhi bahu hi he. Matlab dusri chhinaro ki buaa bhi to shasu maa ki chhinar nandiya hi hui na.

Aaaa
Aaa
 

Shetan

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बातें मेरी सास की, सास ज्ञान

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बस रज्जो और मोहिनी भाभी ने मेरी सास की साड़ी पेटीकोट पलट दिया और मेरे साजन की मातृभूमि दिख गयी,...

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गुलबिया बगल में ही खड़ी थी, मिश्राइन भाभी ने उसे ललकारा अरे बाहर थोड़ी पता चलता है अंदर हाथ डाल के देख,...लेकिन मैं तो बस एक ही बात सोच रही थी, बस आज की रात और,.... कल की रात मेरे साजन इसी में अंदर जायेंगे, मेरे सामने ठेलंगे , पेलेंगे अपना,... जहाँ से निकले हैं वहीँ से अंदर

कुछ देर में कोई सास नहीं बची थी, जिसको बहुएं मुठिया नहीं रही हों,


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किसी किसी पे तो दो बहुएं चढ़ी थीं, अगवाड़ा पिछवाड़ा,... दोनों,

दो तीन पे तो बहुओं ने पकड़ के ननदों से ही उनको मुठियावा,

कुछ सास के मुंह के ऊपर चढ़ी चुसवा रही थीं , गरिया भी रही थीं अरे रोज तोहार बेटवा चाटता चूसता है तो आज आप भी जरा स्वाद चख लीजिये,...


मैंने भी पहले लीला और रूपा दोनों बहनों की माँ को, लगती तो मेरी सास ही थीं,

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उसके बाद मेरी एक चचिया सास को,... आधे पौन घंटे तक एकदम फ्री फॉर आल रहा,...
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गौने की रात से ही मैं समझ गयी थी इस घर में मेरी अच्छी निभेगी, खास तौर से सास से लेकिन अगले दिन जिस तरह से मुझसे खुल के बतियाया उन्होंने,...


सुहागरात के पहले ही मेरी सास ने जिस तरह से बोला था और अगले दिन भी जब मैं सुबह इनके पास से आयी थी, और ननदें जेठानियाँ चली गयी थी खाली मैं और सासू जी थे, समझाते हुए, मुस्करा कर बोलीं,...

" अरे काहें इतना लजा रही थी, ननद को पलट के गरिया के जवाब देना चाहिए,... " फिर अपनी बात उन्होंने आगे बढ़ाई और समझाया

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" देखो हमार घर खेती किसानी का है और अब तुम्ही को सब देखना है, बड़ा वाला तो बम्बइये का हो गया है,... गाय गोरु का है,... जब जमीन में हल चलता है , तो जमींन का हल चलने से घबड़ाती है,.... "

मैं भी मुस्कराते हुए उन्ही के अंदाज में बोली,... " नहीं अपनी जाँघे फैला के हल को स्वीकार कर लेती है, .... "

वो खिलखिलाने लगीं,... बोलीं " हो तो शहर की लेकिन एक दिन में ही समझ गयी, देहात की बात,... और जो जमीन हल को नहीं चलने देती, कड़ी, पथरीली,... उसकी कोई कीमत होती है, क्या उसमें कोई बीज डालेगा,... "

" एकदम नहीं बीज की बर्बादी, ऊसर बंजर पथरीली जमीन की खेती के लिए का कीमत " समझते हुए मैं बोली,...

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"किसान के लिए हल बैल और अब भले ट्रैक्टर आ गया हो तो ओहु की पूजा होती है, .... क्यों क्योंकि , वो जमीन जोतता है,... और जब बीज पड़ता है पानी पड़ता है तो जमीन लहलहाने लगती है , किसान हो या उसके घर के सब लहलहाती फसल देख के सब हरषाते हैं, एक बीज डालो और हजारों बीज,... और ये काम करता है कौन,... "

" धरती,... " मैं बोली

" बस हम तुम उसी तरह से हैं " मुझे अँकवार में भरती बोलीं,

"धरती की तरह, ... जितना लेते हैं सौ हजार गुना लौटाते हैं। तो धरती लजाती है का , अरे जउने दिन खेत में पहली बार हल चलता है समझो त्यौहार होता है ख़ुशी का मौका, उसी तरह धान की जब रोपनी होती है खूब गा गा कर खुसी से " फिर कुछ रुक के बोलीं


" देख तोहरे तरह तो हम इंटर पास नहीं है, लेकिन इतना जानते हैं की हजारो साल से पता नहीं कौन जमाने से खेत जोता जाता है , बीज डाला जाता है और फसल होती है,... और यही फसल होना बंद हो जाए तो , अरे जो बकरा मुर्गी खाते हैं उस बकरा मुर्गी को भी तो घास दाना चाहिए। ... उसी तरह इंसान की जात कैसे चल रही है ऐसे ही तो खेत की तरह,

मरद हल चलाता है, बीज डालता है,... और फिर नौ महीने,... हम सब जो आये हैं जाएंगे लेकिन हमारी जगह दूसरे, तीसरे, चौथे, ...जैसे गेंहू तो काट पीट के चक्की में पीस के लेकिन बीज उसका किसान बचा के रखता है,... "

मैं ध्यान से उनकी बातें सुन रही थी, बात सोलहो आने सही थी।

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और गाय गोरु भी, सास मेरी अब प्यार से बतिया रही थीं जो कोई अपनी बिछड़ी सहेली से बतियाये,... वो बोलीं,

जब बछिया हुड़कती है तो कउनो ये पूछता है उसकी उमर का है कब बियाई थी, अरे ओह लायक हो गयी है तब तो हुड़क रही है फिर,... और जल्दी से सांड़ के पास न ले जाओ "

" तो खूंटा तोड़ा देती है " हँसते हुए मैंने अपनी सास की बात पूरी की. और सास भी बड़ी देर तक खिलखिलाती रहीं मेरे साथ,... और बोलीं

और सांड़ के चढ़ने के बाद जब बछिया गाभिन होती है पूरा घर खुस ,...

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" की बियायेगी तो दूध मिलेगा, खीर बनेगी " मैंने एक बार फिर उनकी बात पूरी की और सास ने बात दूसरी ओर मोड़ दी,...

" गाय गोरु, खेत खलिहान छोड़ा, फूल काहें को खिलते हैं इसी लिए न की कउनो भौंरा लुभाये,... लेकिन फूल को भौंरा क लोभ नहीं होता, असली लोभ है बीज का, ओकर पंखुड़ी के बीच में से,...


बॉटनी पढ़ी इंटर में यूपी बोर्ड से, मैंने बात पूरी की , ... " पराग, परागण "

" हाँ वही,... तो फूल तो कउनो कोठरी नहीं ढूंढते, न रात क इन्तजार करते है न बछिया ढूंढती है न खेत में हल छुपा के कोई चलाता है लेकिन मनई मेहरारू,... अइसन लाज , ... चलो लाज तो थोड़ बहुत ठीक है लेकिन मेरे समझ में यही नहीं आता की उसको बुरा जो मानते हैं, छुप के बात करते हैं, इशारे में , ... कुँवार लड़की कतो देख न ले,... काहें न देखे, देखेगी नहीं तो सीखेगी कैसे,... तो फिर औरतन में लड़कियों में कौन बात क लाज,.,... जउन इतना घुमाय फिराय के, खास तौर से जब लड़कियां औरते ही हों,... अब बताओ चुदवाने में लाज नहीं, कउनो बुराई नहीं तो चुदवाना बौलने में कौन लाज,.... अरे तोहार ननद चिढ़ावत रही न की भौजी रात भर कुठरिया में का हुआ,... तो बोल देती तोहरे भैया से चोदवावत रहे, और तोहरी बुरिया में बहुत खुजली मची हो, तो अपने मायके से अपने भैया के बोलाय देई, चौथी में तो आएंगे ही , सगे नहीं है तो चचेरे ममेरे चुदवाना मन भर के,... और अपने भैया से मन हो तो भी, ... पता चल जाएगा की रात भर भैया कुठरिया में का करते हैं "

हँसते हुए मेरी सास मेरा गाल जहाँ इनके दांतो के निशान थे उसे सहलाते बोलीं

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सास ने अब खुल के अपनी बात बतायी और मान गयी उनकी बात समझ गयी इस गाँव में कम से कम लड़कियों औरतों के बीच किसी चीज का कोई पर्दा नहीं और सास ने आगे कारण भी बताया,...

" देख लड़किया सब बचपन कातिक में कुतिया के ऊपर कुत्ता, बछिया के ऊपर सांड़ चढ़ते देखती हैं, रतजगा में बियाह में एकदम खुल्ल्म खुला गारी और भौजाइयां माँ के सामने बिटिया को , और माँ खुद नयी भौजाई को उसकाती है,... तो सहर का पता नहीं लेकिन यहाँ बचपन से ही सब सीख जाती हैं और हम लोग भी कुछ बुरा नहीं मानते, जिस चीज से हमारी जिंदगी चलती है, खेत में बीज न बोओ, बछिया पे सांड़ न चढ़े तो कहाँ से फसल आएगी कहाँ से दूध? और उसी तरह मर्द औरत,... "

मैंने बात दूसरी और मोड़ दी " लेकिन खेत में एक बीज से इतने बीज तो औरत,... के "

और बात बीच में काट के हँसते हुए बोली , " अरे गाँव गाँव में तो आशा बहू हैं लड़की के खून खच्चर हुआ नहीं की पहुंच गयी आशा बहू के पास,... गोली,... बियाहिता कुँवार नहीं देखती, ... लेकिन एक बात साफ़ है बल्कि दो बात,... तोहरे लिए तोहार महतारी बोल रहीं थीं पांच साल तक नाती पोता नहीं लेकिन हमरे जिद्द करने पर मान गयी तीन साल तक कुछ नहीं,

ये बात माँ ने भी मुझे बतायी थी

सास थोड़ी देर चुप रहीं फिर सीरियस हो के बोलीं,... लेकिन मैं कुछ और चाहती हूँ,...

मैं घबड़ायी कहीं वो नौ महीने में ही तो नहीं लेकिन जो सास ने बोला मेरा मन खुश हो गया,...

" देखो ये फैसला न तो हमार बेटवा करेगा, न तोहार सास न हमार समधन, इसका फैसला सिर्फ एक जनि के पास, ... हमार बहू,... तोहार फैसला,... जिसकी कोख उसका फैसला, नौ महीने तोहें संभालना है,... तो फैसला कोई और करे,... लेकिन खेत, बछिया और फूल की तरह चुदवाने पे कोई रोक टोक नहीं , जब जहाँ , चाहो,... लेकिन उसमें भी एक बात और ये मेरी नहीं पूरे गाँव का चलन है , जिसकी देह उसका फैसला, लड़की शायद करे तो मतलब नहीं। जबतक तोहार मन नहीं,... "

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मेरे मन की बात कह दी उन्होने हँसते हुए। मैंने मुस्करा के पूछा,... और मेरा मन आ जाये तो,



" पटक के चोद दो स्साले को,... अइसन चाँद अस बहू काहें को लायी हूँ " हंसती हुयी वो बोलीं लेकिन मेरी टोकने की आदत



मैंने पूछ लिया , पर आपने दो बात कही थी,...



हंसने लगी वो, बोलीं,... अरे तुम भी न, मेरा मन है की वो रबड़ वबड़ के चक्कर में मत पड़ना,... उंहा मन कर रहा है वहां दूसर जनि बरसाती की तरह पहन रहे हैं छाता तान रहे हैं,... अइसन उलझन होती है और फिर फेको कहाँ, मलाई का मजा नहीं,... "



मेरी सास को मालूम था की उनकी समधन ने शादी के डेढ़ महीने पहले से ही मेरी गोली शुरू करवा दी थी।



वही बोलीं वो,... " अभी गोली वोली खाती हो तो खाती रहो, लेकिन महीना भर बाद हम आशा बहू को बोलेंगे, तोहे ले जाय घंटा भर भी नहीं लगता है, तांबे क ताला लगवा लो,... रोज रोज क गोली क छुट्टी। "



और उस दिन से मैं ही सिर्फ अपनी सास को न अच्छी तरह समझ गयी थी उनसे अच्छी दोस्ती हो गयी बल्कि गाँव का भी चलन, रीत रिवाज,... जहां ये सब बुरा कोई नहीं मानता, लेकिन उस से भी अच्छी बात जोर जबरदस्ती एकदम नहीं। लड़के लड़की की चूँची आयी नहीं लाइन मारना चालू कर देते हैं हर जगह की तरह, लुभाना पटाना , लेकिन जबतक वो साफ़ साफ़ हाँ नहीं बोले , हाथ पकड़ना तो दूर छू भी नही सकते।


मेरी सास ही नहीं गाँव की हर औरत मानती थीं, बुरा वो जिसमें जोर जबरदस्ती हो, लड़की को औरत को पसंद न आये,... उसको मजा न मिले,...

और अच्छा वो जिसमें दोनों की मर्जी हो , मजा मिले अच्छा लगे,...

और बाकी सब के लिए आशा बहू थीं न उन्हें सब पता रहता था की गाँव में कौन लड़की स्कर्ट पसार रही है तो उसे खुद गोली खिलाने, … और अब तो इस्तेमाल के बाद बाली भी गोली मिलती है,... और किससे करवाना है नहीं करवाना है ये फैसला भी लड़की का, औरत का। देवर नन्दोई जीजा का तो हक़ भी होता है लेकिन उसके साथ भी मर्जी वाली बात रहती थी.

लेकिन फागुन लगते ही ऐसी फगुनाहट चढ़ती थी न,...


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जैसे आम बौराता है, जवान होती लड़कियां, भौजाइयां सब बौरा जाती थीं, न रिश्ता न नाता, सिर्फ मस्ती।





जेठ ससुर जिनसे बाकी ११ महीने थोड़ा दूरी रहती है उनके साथ भी एकदम खुल के मजाक, छेड़छाड़,... और अगर कहीं रिश्ते में, गाँव के रिश्ते से देवर मिल गया, गली गैल में, कहीं नन्दोई आ गए, और लड़कियां भी अपने न हों तो सहेली के जी जीजा, गाँव में किसी के जीजा, और भाभी के भाई भी,...

( आखिर मेरे ममेरे भाई चुन्नू ने इनकी सबसे छोटी बहन की बिल का फीता काट दिया था, जब वो होली में लेने आया था मुझे,... और मंझली ननद ने खुद चढ़ के,... उसे ).



जैसे जैसे होली नजदीक आती है चट चट कर के बंधन टूटने लगते हैं , फिर होली और रंग पंचमी के पांच दिन तो,...



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और सबसे बढ़कर औरतों और लड़कियों में रिश्तों का भी सिर्फ ननद भौजाई नहीं, सास बहू भी, सहेलियां भी आपस में,... अगर पाहुन आये, और घर में साली सलहज है, फिर तो सलहज ही साली का नाड़ा अपने नन्दोई से खुलवाती थी नहीं तो खुद तोड़ देती थी , और अगर सलहज न हुयी तो सास ही अपनी बेटी का हाथ पीछे से पकड़ के आ रहे कच्चे टिकोरे, ऑफर कर देती थी

" अरे तनी ठीक से सही जगह पे रंग लगावा,... " इसके बाद कौन जीजा चोली में हाथ डालने से अपने को रोक सकता था और एक बार चोली खुली तो नीचे का नंबर,...



पिछला हफ्ता इसी मस्ती में और कल का दिन भी, लेकिन अभी जो होना था उसके बारे में मुझे कुछ नहीं मालूम था,
Are bhai purana chaval he. Bahut utar chadhav dekhe he. Amezing. ... family tyoharo ki masti ka ehsas dila diya.
 

Shetan

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सांझ की बेला

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पिछला हफ्ता इसी मस्ती में और कल का दिन भी, लेकिन अभी जो होना था उसके बारे में मुझे कुछ नहीं मालूम था, सिवाय इसके की ..., और सबको एकदम चुप रहना है, ये मेरी सास ने भी बताया था और दूबे भाभी ने भी। जो पुरानी लड़कियां औरतें थीं उन्हें तो सब मालूम ही था,...

अचानक सारी मस्ती बंद हो गयी, सब लोग मिश्राइन भौजी से दूर,.... आम की उस बगिया में सामने जमीन पर बैठ गए, अँधेरा हो रहा था, पश्चिम की ओर सूरज डूब रहा था, हलकी सी लाली अभी भी जैसे गौने की रात के बाद, रतजगा करने के बाद नयी दुल्हन की आँखों में रहती है,... बगिया वैसे भी गझिन थी अब और गझिन लग रही थी,...



हम सब जैसे कुछ होने का इन्तजार कर रहे थे,...

और जैसे ही पश्चिम में सूरज डूबा, दूबे भाभी ने इशारा किया,...

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पांच सुहागिने, मैं और चमेलिया जो साल भर के अंदर गौने उतरी थीं, और उनकी पहली होली थी, ... मोहिनी भौजी जो अभी लड़कोर नहीं हुयी थी, गौने के तीन साल हो गए थे,... और दो ननदें बियाहता लेकिन जिनका गौना अभी नहीं हुआ था, नीलू और लीला,... सबसे आगे मैं और चमेलिया,.... और
Nai Roshni naya sawera. Bhouji world..
Aaaaa
Aaaaa


 

Shetan

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भाग ६७ - होलिका माई
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११,६१,६७५

मेरी सास ही नहीं गाँव की हर औरत मानती थीं, बुरा वो जिसमें जोर जबरदस्ती हो, लड़की को औरत को पसंद न आये,... उसको मजा न मिले,...

और अच्छा वो जिसमें दोनों की मर्जी हो , मजा मिले अच्छा लगे,... और बाकी सब के लिए आशा बहू थीं न उन्हें सब पता रहता था की गाँव में कौन लड़की स्कर्ट पसार रही है तो उसे खुद गोली खिलाने, … और अब तो इस्तेमाल के बाद बाली भी गोली मिलती है,... और किससे करवाना है नहीं करवाना है ये फैसला भी लड़की का, औरत का।

देवर नन्दोई जीजा का तो हक़ भी होता है लेकिन उसके साथ भी मर्जी वाली बात रहती थी.

लेकिन फागुन लगते ही ऐसी फगुनाहट चढ़ती थी न,... जैसे आम बौराता है, जवान होती लड़कियां, भौजाइयां सब बौरा जाती थीं, अगर देवर कोई नखड़ा कर्रे तो भौजाई उसका पाजामा खोलती नहीं फाड़ देती थीं, और जीजा अगर गलती से थोड़ा सीधा मिल गया तो बस गाँव की सब लड़कियां मिल के चढ़ जाती थीं, और साली सलहज का तो रिश्ता लगता है सास उनसे भी दो हाथ आगे,


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न रिश्ता न नाता, सिर्फ मस्ती।

जेठ ससुर जिनसे बाकी ११ महीने थोड़ा दूरी रहती है उनके साथ भी एकदम खुल के मजाक, छेड़छाड़,... और अगर कहीं रिश्ते में, गाँव के रिश्ते से देवर मिल गया, गली गैल में, कहीं नन्दोई आ गए, और लड़कियां भी अपने न हों तो सहेली के जी जीजा, गाँव में किसी के जीजा, और भाभी के भाई भी,...


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( आखिर मेरे ममेरे भाई चुन्नू ने इनकी सबसे छोटी बहन की बिल का फीता काट दिया था, जब वो होली में लेने आया था मुझे,... और मंझली ननद ने खुद चढ़ के,... उसे ). जैसे जैसे होली नजदीक आती है चट चट कर के बंधन टूटने लगते हैं , फिर होली और रंग पंचमी के पांच दिन तो,... और सबसे बढ़कर औरतों और लड़कियों में रिश्तों का भी सिर्फ ननद भौजाई नहीं, सास बहू भी, सहेलियां भी आपस में,...

अगर पाहुन आये, और घर में साली सलहज है, फिर तो सलहज ही साली का नाड़ा अपने नन्दोई से खुलवाती थी नहीं तो खुद तोड़ देती थी , और अगर सलहज न हुयी तो सास ही अपनी बेटी का हाथ पीछे से पकड़ के आ रहे कच्चे टिकोरे, ऑफर कर देती थी

" अरे तनी ठीक से सही जगह पे रंग लगावा,... "



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इसके बाद कौन जीजा चोली में हाथ डालने से अपने को रोक सकता था और एक बार चोली खुली तो नीचे का नंबर,...

पिछला हफ्ता इसी मस्ती में और कल का दिन भी, लेकिन अभी जो होना था उसके बारे में मुझे कुछ नहीं मालूम था,

सिवाय इसके की मिश्राइन भाभी पे होलिका माई आएंगी,



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और सबको एकदम चुप रहना है, ये मेरी सास ने भी बताया था और दूबे भाभी ने भी। जो पुरानी लड़कियां औरतें थीं उन्हें तो सब मालूम ही था,...



अचानक सारी मस्ती बंद हो गयी, सब लोग मिश्राइन भौजी से दूर हाथ के आम की उस बगिया में सामने जमीन पर बैठ गए, अँधेरा हो रहा था, पश्चिम की ओर सूरज डूब रहा था, हलकी सी लाली अभी भी जैसे गौने की रात के बाद, रतजगा करने के बाद नयी दुल्हन की आँखों में रहती है,... बगिया वैसे भी गझिन थी अब और गझिन लग रही थी,...



हम सब जैसे कुछ होने का इन्तजार कर रहे थे,... और जैसे ही पश्चिम में सूरज डूबा, दूबे भाभी ने इशारा किया,...

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पांच सुहागिने, मैं और चमेलिया जो साल भर के अंदर गौने उतरी थीं, और उनकी पहली होली थी, ... मोहिनी भौजी जो अभी लड़कोर नहीं हुयी थी, गौने के तीन साल हो गए थे,...
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और दो ननदें बियाहता लेकिन जिनका गौना अभी नहीं हुआ था, नीलू और लीला,...

सबसे आगे मैं और चमेलिया,.... और मिश्राइन भाभी को पकड़ के, हम पांचो,... जैसे रास्ता अपने आप खुलता जा रहा था, एक बड़ा सा पाकुड़ का पेड़ था उसके साथ पांच महुवा के,... लोग दिन में भी उधर से नहीं जाते थे,... बस उधर ही, खूब घुप अँधेरा, हो रहा था,...
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रात अभी नहीं हुयी थी लेकिन घने पेड़ कभी लगता था हमारा रास्ता रोक रहे हैं कभी लगता, डाल झुका के मिश्राइन भौजी को निहोरा कर रहे हैं. उन पेड़ों के पीछ सैकड़ों साल पुरानी बँसवाड़ी, ... जिसके बांस सिर्फ शादी में मंडप के लिए, किसी जाति की बाइस पुरवा में लड़की की शादी हो या लड़के की बांस यहीं से, लेकिन बांस काटने के पहले भी खूब पूजा विधान,... और शादी के अलावा कोई उस बँसवाड़ी की ओर मुंह भी नहीं करता था,... उसी बँसवाड़ी के घने झुरमुट में,....



मोहिनी भाभी ने इशारा किया हम सब वहीँ रुक जाएँ और फिर मुझे इशारा किया,... मैंने मिश्राइन भौजी की साड़ी खोली,... उसके बाद ब्लाउज, पेटीकोट,... एकदम निसुति,...

मिश्राइन भौजी ने वो अपनी पहनी साड़ी उठा के मुझे दे दी,... मुझे बाद में पता चला की वो कितनी बड़ी चीज है,... होलिका देवी का पहला आशीर्वाद,.... और जो औरत उस साड़ी को पहनती थीं अपने आप पूरे गाँव में उस का असर होता था,... ब्लाउज उन्होंने चमेलिया को दी और पेटीकोट मोहिनी भाभी को, महुआ के कुछ फूल थे चुवा हुआ महुवा, वो एक अंजुली में रख कर सबसे पहले उन्होंने गाँव की दोनों लड़कियों को नीलू और लीला को, फिर हम सब को,...

उसका मतलब बाद में समझ में आया, जिस जिस को मिला उसके जोबन का असर महुआ से भी तेज नशीला होगा, देख कर के लड़के, मरद सब झूमेंगे,...


हम सब मिश्राइन भाभी के पैरों की ओर देख रहे थे, उन से आँख मिलाने की ताकत किसी में नहीं थी,... और अब मोहिनी भाभी ने इशारा किया,... हम सब लोगों ने आँखे बंद कर ली,

एक अजीब सी महक, एक हलकी हलकी झिरझिराती हुयी हवा हम सब के पूरे देह में, हम सब सिहर रहे थे,... कोई कुछ बोलने को छोड़िये सोच भी नहीं रहा था बस जो हवा थी, महक थी, अजब सी मस्ती,.... पूरी देह में जैसे मदन रस,... और हलके हलके मिश्राइन भाभी के पायल के बिछुए के घुंघरू की आवाज, ... दूर होते पैरों की आहट,... हलकी और हलकी होती,... एक बहुत पतली सी पगडंडी, जिधर मैं कभी गयी नहीं थी, चारो ओर खूब घनी बँसवाड़ी,...

हां मालूम था उसके अंत में एक पोखर है लेकिन गाँव की बड़ी बूढ़ियों ने, गुलबिया की सास ने, सबने बरजा था, बल्कि कभी सपने में उसकी बात भी नहीं करनी थी,...

यह रास्ता शायद उसी ओर को जाता था,

हम पांचो की आँखे बंद, देह बस सिहर रही थी, पूरी देह में एक अजब सी तरंग उठ रही थी, जैसे चरम कामोत्तेजना के समय,... हम सब एक दूसरे के हाथ पकड़े, मैंने बाएं हाथ से लीला का हाथ पकड़ा था वो कस के मेरी मुट्ठी भींच रही थी और मेरे दाएं हाथ में चमेलिया का हाथ,... और जैसे उन उँगलियों से हमारी मस्ती दूसरे की देह में उतर रही थी,...

आँखे बंद होने पर भी लग गया था, सूरज गाँव के पिछवाड़े, एक चांदी की हँसुली सी मुड़ती लहराती नदी जो थी, बस उसमें उतर गया था, अपना काम चाँद को सम्हाल कर,... और वो अभी जम्हाई ले रहा था, आकाश के आँगन में उतरने के लिए,... तारे उसका इन्तजार कर रहे थे,

झपाक बड़ी जोर की आवाज, हुयी लगा जैसे सूरज रोज की तह नदी में उतरने की जगह आज उस पोखर में डूब गया,...


बिना आंख खोले मोहिनी भाभी ने इशारा किया मुड़ने का, और हम सब एक के पीछे एक, सब से आगे मोहिनी भाभी, उमर में भी बड़ी और ब्याहता भी और सबसे पीछे मैं और चमेलिया बीच में दोनों ननदें,... मजाक छेड़ छाड़ चाहे जितना हो, पर ननदो की जिम्मेदारी सबसे ज्यादा जिसके ऊपर रहती है वो गाँव की भौजाई लोग ही होती हैं,..

पाकुड़ के उस बड़े से पेड़ के पास पहुँच के मोहिनी भाभी ने इशारा किया, हम सब रुक गए, फिर एक बार एक दूसरे का हाथ पकडे, लीला और नीलू बीच में दोनों ओर हम तीनो उनकी भौजाई



दस मिनट, पन्दरह मिनट



एकदम चुप हम सब,... हमारी तो छोड़िये घर लौट रहे चिड़िया चंगुर भी शांत,... वो मदन समीर उसी तरह चल रही थी, झिर झिर,... झिर झिर
Khushiyo ke ye dino ko koi aap se jatana sikhe. Holi aur fagun ke dino ki mastiya. Aur shas pe bhi kahani me achhe se likhna rito aur abubhavo ko maza aa gaya.



Aaaaaaaaa
 

Shetan

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होलिका

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पाकुड़ के उस बड़े से पेड़ के पास पहुँच के मोहिनी भाभी ने इशारा किया, हम सब रुक गए, फिर एक बार एक दूसरे का हाथ पकडे, लीला और नीलू बीच में दोनों ओर हम तीनो उनकी भौजाई

दस मिनट, पन्दरह मिनट

एकदम चुप हम सब,... हमारी तो छोड़िये घर लौट रहे चिड़िया चंगुर भी शांत,... वो मदन समीर उसी तरह चल रही थी, झिर झिर,... झिर झिर

चांदनी की एकाध किरण बँसवाड़ी को पारकर के जमीन तक आ रही थी,...

और उस की देखा देखी कुछ और लुका छिपी करती हुयी एक दूसरे का हाथ पकडे धवल ज्योत्स्ना, दो चार और किरणे अबकी हम सबकी मदन तप्त देह को शीतल करने की कोशिश करती, लेकिन वो आग और भड़क रही थी,...

अचानक बँसवाड़ी के पीछे से ढेर सारे बगुले एक साथ जैसे उसी पोखर से उड़े हों , पंख फड़फड़ाते हुए उड़े, पूरा आसमान भर गया,... और उन्ही के पंखो से होती हुयी चांदनी बस सिर्फ जहाँ हम हम खड़े थे, हमारी देह को नहलाती भिगोती जमीन पर पसर गयी। पूरी देह पर लग रहा था जैसे किसी अनुभवी काम कुशल पुरुष की अंगुलियां टहल रही हों,... योनि द्वार अपने आप संकुचित होने, खुलने लगे, उरोज पथरा गए,... और हम पांचों की यही हालत थी, ...

रुन झुन रुन झुन रुन झुन रुन झुन

पायल के घुंघरुओं की आवाज, साथ में बिछुओं की ताल,...

मानहुँ मदन दुंदुभि देना,...

और फिर एक अजीब सी फूलों की मिली जुली महक,.. किंशुक, आम के बौर और चमेली के साथ जैसे पोखर के ताजे कोपल खोल रहे, सरोज और कुमुदनियाँ हों,... वो महक तेज हो रही थी, सुहाग सेज पर बिछे फूल रात भर नयी दुल्हन की देह से रगड़ रगड़ कर, उसके नीचे नीचे पिस पिस कर एक अलग ही नशीली महक देते हैं, बस वही वाली, और धीरे धीरे तेज होती,... हम सब के नथुने से पूरी देह में फैलती हुयी,...

वह चांदनी, वह संगीत, वह फूलों की गमक, ... बढ़ती ही जा रही थी,...

हम सब लोगों ने कस के आँखे बंद कर ली, मैंने अपनी दोनों ननदों लीला और नीलू का हाथ कस के दबा दिया, जैसे कह रही हूँ, मैं हूँ न तेरी भाभी तेरे साथ,...

कभी कभी बिना देखे भी दिखाई पड़ता है और हम सबकी इन्द्रियां अपनी चरम सीमा पर थीं, बस वही हो रहा था,... बस लग रहा था की चांदनी का कोई गोला बस धवल शीतल, और उसके बीच में,...

रुन झुन रुन झुन रुन झुन रुन झुन और हलकी हलकी पदचाप

हमारे कान अब देख रहे थे, पीछे पीछे हम सब

और जहाँ कुछ देर पहले होली का कबड्डी का जश्न हो रहा था, वहीँ सब लड़कियां औरतें बैठीं जमीन पर चुपचाप, आगे आगे लड़कियां, ननदें साथ में भौजाइयां भी,... और सास सब पीछे,...

हम सब वहीँ, मेरे एक ओर लीला और दूसरी और चमेलिया, मेरी देह पर अभी भी प्रसाद की तरह दी हुयी वो साड़ी,...

और थोड़ी सी ऊँची जगह पर,... वो होलिका देवी,...



अब हम लोगों ने आँखे खोल ली थीं लेकिन एकटक सामने नहीं देख सकते थे, हलके से नीचे देखते हुए और हम सभी हमारी सास लोग भी,

एकदम निसूती, नहीं लेकिन ऐसा भी नहीं हो की उन्होंने कुछ धारण नहीं कर रखा हो, जो होलिका की राख थी बस वही उनके उरोजों को ढंके, योनि प्रदेश पर भी कोख पर,... हाथों में और आस पास भी,... दो चार अधजली होलिका की लकड़ियां,... वह एक आम के पेड़ के नीचे बैठी थीं और चांदनी के साथ उसके बौर भी उनके ऊपर झर रहे थे, एक जब सी तेज महक आम्र मंजरी से आ रही थी,... और वह सिद्धासन में

चेहरा रौद्र नहीं लग रहा था,... एक हलकी स्मित,...

और उन्होंने मेरी सास की ओर देखा,... मेरी सास गाँव की सबसे बड़ी औरतों में थीं और उन्हें सब रीत रिवाज अच्छी तरह न सिर्फ मालूम थे बल्कि उनमें उन्हें विश्वास भी था, वो उठी और कुछ लड़कियों की ओर इशारा किया,... ये वह लड़कियां थीं जो पिछली होली के बाद रजस्वला हुयी थीं और उनका कामछिद्र अभी अक्षुण था,... पांच ननदें, उभार भी बस आ रहे थे, ... सिर्फ अपनी देह को धारण किये,... एक एक करके,

उन्होंने बहुत दुलार से पहली लड़की को अपनी बायीं जांघ पर बिठाया, अपनी बाएं हाथ की तर्जनी को अपनी योनि के अंदर पूरी तरह घुमाया थोड़ी देर तक,... और उसी योनि रस से डूबी ऊँगली में, चांदनी में चाशनी चमक
रही थी,...
Aaj tak muje koi esa nahi mila jo is feelings ko ese likh sake. Badi sharalta se likha he. Par sabd bade jadui he. Amezing.

1)

हमारी देह को नहलाती भिगोती जमीन पर पसर गयी। पूरी देह पर लग रहा था जैसे किसी अनुभवी काम कुशल पुरुष की अंगुलियां टहल रही हों,... योनि द्वार अपने आप संकुचित होने, खुलने लगे,

2)

देह से रगड़ रगड़ कर, उसके नीचे नीचे पिस पिस कर एक अलग ही नशीली महक देते हैं, बस वही वाली, और धीरे धीरे तेज होती,... हम सब के नथुने से पूरी देह में फैलती हुयी,...

3)

हम सबकी इन्द्रियां अपनी चरम सीमा पर थीं, बस वही हो रहा था,... बस लग रहा था की चांदनी का कोई गोला बस धवल शीतल, और उसके बीच में,...

रुन झुन रुन झुन रुन झुन रुन झुन और हलकी हलकी पदचाप

kya ek shuhagan ki sex appil peda karti ho.
yaar esa aaj tak koi mila hi nahi amezing
Aaaaaa

 

Shetan

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असीस

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और उन्होंने मेरी सास की ओर देखा,... मेरी सास गाँव की सबसे बड़ी औरतों में थीं और उन्हें सब रीत रिवाज अच्छी तरह न सिर्फ मालूम थे बल्कि उनमें उन्हें विश्वास भी था, वो उठी और कुछ लड़कियों की ओर इशारा किया,... ये वह लड़कियां थीं जो पिछली होली के बाद रजस्वला हुयी थीं और उनका कामछिद्र अभी अक्षुण था,... पांच ननदें, उभार भी बस आ रहे थे, ... सिर्फ अपनी देह को धारण किये,... एक एक करके,

उन्होंने बहुत दुलार से पहली लड़की को अपनी बायीं जांघ पर बिठाया, अपनी बाएं हाथ की तर्जनी को अपनी योनि के अंदर पूरी तरह घुमाया थोड़ी देर तक,... और उसी योनि रस से डूबी ऊँगली में, चांदनी में चाशनी चमक रही थी,...



मैं साँस बांधे देख रही थी,... उसी ऊँगली से उन्होंने उस कुँवारी कन्या के योनि के चारों ओर एक त्रिकोण की तरह बनाया,... फिर अपनी जांघ पे लगी होलिका की राख को उसकी कोख पे कुछ मसल दिया और बाकी उसके बस आ रहे उरोजों पर होली की राख लगा कर मसल दिया,,...



बिना बोले हम सब देख रहे थे और मैं धीरे धीरे होलिका देवी का आशीष समझ रही थी, योनि पर त्रिकोण, मतलब अब वो पूरी तरह सुरक्षित है कोई रोग दोष अवांछित गर्भ कुछ नहीं होगा,... और कोख पर आशीष तो सबसे बड़ा, वो उर्वरा होगी, जब चाहे तब,... और जोबन पर होली की राख लग गयी तो अब अगली होली जलने तक उसके जोबन पूरी तरह गद्दर,

एक बात मेरी समझ में तुरंत नहीं आयी लेकिन थोड़ी देर में ही आ गयी, जो योनि में चूत रस से सिक्त की थी उँगलियाँ,... होलिका हम लोग प्रह्लाद, होलिका और हिरण्यकश्यप के तौर पर मनाते हैं, होलिका, प्रहलाद की बूआ,... लेकिन एक और रूप है इस कथा का होली से जोड़ कर, होलिका दहन से जुडी, उसी दिन कामदेव शिव के तीसरी नेत्र से भस्म हुए थे, लेकिन रति के प्रलाप से महादेव ने यह आशीष जरूर दिया की कामदेव को अब शरीर तो नहीं मिल सकता क्योंकि वो भस्म हो चुके हैं,... लेकिन दो बातें जरूर होंगी, अनंग रूप में बिना अंग के और मन्मथ के रूप में सबके मन में रहेंगे, और तो होलिका देवी रति के रूप में भी देखी जाती हैं और भस्म भी काम देव के देह की,... तो जो रति रूपी हो उसके योनिकुंड का स्त्राव जिसके योनि पर लग जाए, ... उसका आकर्षण बढ़ेगा, उसके योनि के जाल में वो जिसे चाहे उसे,... और सौंदर्य की कोई कमी नहीं होगी,...



उस कुछ दिन पहले रजस्वला हुयी लड़की को उन्होंने अपने बाएं अपनी तरह सिद्धासन में बैठा दिया पर इस तरह की उसके योनि ओष्ठ पूरी तरह खुले और बस आ रहे उरोज एकदम तने,... लड़की होने का, जोबन आने का, योनि के परिपक्व होने का गर्व होना चाहिए उसमें शर्म क्या, वह धात्री है, सृष्टि की वाहिका है।

एक एक कर के सद्य रजस्वला कन्याएं तीन उनके बाएं दो दाएं, और सब को उन्होंने उसी तरह आशीषा,...



कुछ भौजाइयों में खुसफुस, कुछ इन्तजार हो रहा था बियहिता ननदों के बीच भी, मुझे बाद में समझ में आया,...

रजस्वला ननदों के बाद बियाहिता का नंबर आया,... सब लोग अब एकटक देख रहे थे, ... किसपर कृपा बरसेगी,...



और उन्होंने सबसे पहले मेरी ननद को बुलाया, सर पर हाथ फेरा फिर कोख पर,... मेरी सास खूब खुश,... और अब ननद को उन्होंने इशारा किया की वो अपनी जाँघे अच्छी तरह फैला के खड़ी हो जाएँ,... सबकी तरह मेरी निगाह भी ननद की खुली चिकनी मांसल जाँघों के बीच फूले हुए भगोष्ठों पर थी,...
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उन्होंने उसे बस छुआ था की मेरी ननद गीली हो गयीं, योनि से हल्का स्त्राव निकलने लगा,... और उन्होंने होलिका की वो अधजली लकड़ी,... सीधे ननद की खुली गीली बुर में पेल दिया, ननद ने किसी तरह सिसकी रोकी,... पूरे चार पांच अंगुल तक, ननद की जाँघे और फ़ैल गयीं, बुर सिकुड़ने फैलने लगी,...

फिर उन्होंने अपनी गोद में गिरे आम के बौरों को उठाया, थोड़ा सा मसला और मेरी ननद की कोख पर मसल दिया,... और साथ में दाएं हाथ को खोल के पांच उँगलियाँ दिखायीं,...

वैसे तो कोई बोलता नहीं था लेकिन मेरी सास के मुंह से हलके से निकल गया महीना,.. तो उन्होंने सर हिला के मना कर दिया और कुछ इशारा किया जो मेरी सास समझ गयीं और झुकी निगाह से पूछा

" दिन ? "

और अबकी मुस्करा के उन्होंने हां में सर हिलाया, थोड़ा सा होली की राख निकाल के ननद की कोख पे और कुछ उनके जोबन पर मला और फिर प्यार से उनके गाल पर हाथ फेरा,


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अब मैं समझ गयी, पूरी बात ,... मेरी ननद पांच दिन के अंदर गाभिन होंगी, उनकी कोख पर देवी की कृपा होगी देवी रक्षा करेंगी, और जोबन से दूध बहेगा,... चेहरे पर हाथ फेरने का मतलब, की होगी उनकी तरह सुन्दर गोरी मस्त लड़की,... मेरी ननद की शादी के तीन साल हो गए थे, अब मेरी सास भी नानी और ननद की सास दादी बनने का इन्तजार कर रहे थीं।


और ये मुझे मालूम था ये बातें जो अभी हो रही हैं चंद्र टरे सूरज टरे तब भी नहीं टलने वाली हैं.

अगला नंबर मोहिनी भाभी का लगा, और दो महीने का इशारा मिला, फिर एक और मेरी जेठानी थीं चार साल से ऊपर होगया लेकिन अभी भी कोख हरी नहीं हुयी दो बार गर्भपात हो गया था, डाकटर हकीम को दिखाया,... चार महीने का आशीष मिला और उनकी कोख पे बहुत देर उन्होंने आम का बौर और भभूत मला, कोई रोग दोष हो,.... कोई बुरी नजर हो किसी का साया हो तो ये उससे रक्षा करेगा,... वो बहुत खुश,..

फिर उन्होंने मेरी दो ब्याहता ननदों को भी बुलाया जिनका अभी गौना भी नहीं हुआ था, ढाई - तीन महीने में जेठ में साइत निकली थी , नीलू और लीला,... दोनों को उन्होंने आशीष दिया और इशारा किया तीन महीने,

गुलबिया मुझे देख कर मुस्करायी,... मैं समझ गयी, तीन महीने का मतलब तीन महीने नहीं तीन महीने के अंदर, ... तो गौने की रात भी गाभिन हो सकती हैं दोनों या गौने के पहले ही,...
Sach me mar dala komalji. Kachi kaliyo ki sokhin aur lady co cold feelings dene vali esi erotic bate. Me kaheti hu aaj tak peda nahi huaa koi. Amezing. Padhne vale ko pighal diya aap ne to.
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उन्होंने बहुत दुलार से पहली लड़की को अपनी बायीं जांघ पर बिठाया, अपनी बाएं हाथ की तर्जनी को अपनी योनि के अंदर पूरी तरह घुमाया थोड़ी देर तक,... और उसी योनि रस से डूबी ऊँगली में, चांदनी में चाशनी चमक रही थी,...
2)
मैं साँस बांधे देख रही थी,... उसी ऊँगली से उन्होंने उस कुँवारी कन्या के योनि के चारों ओर एक त्रिकोण की तरह बनाया,... फिर अपनी जांघ पे लगी होलिका की राख को उसकी कोख पे कुछ मसल दिया और बाकी उसके बस आ रहे उरोजों पर होली की राख लगा कर मसल दिया,,...
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बिना बोले हम सब देख रहे थे और मैं धीरे धीरे होलिका देवी का आशीष समझ रही थी, योनि पर त्रिकोण, मतलब अब वो पूरी तरह सुरक्षित है
iske bare me muje thoda bahot gyan he. Kabhi ispar charcha kare to maza aaega.
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