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भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
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ननद की सास, और सास का प्लान
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और ये मिट्टी की सोंधी-सोंधी खुश्बू .. तन बदन को झकझोर देती है...बस थोड़ी सी कोशिस करती हूँ वरना कई बार एरोटिक कहानियां या तो दुहराव भरी हो जाती है कहानी की नकल जहाँ पात्र के नाम बस हिंदुस्तानी हो जाते हैं, सावन और फागुन आ जाने दे गाने और रीत रिवाज आने से सब कुछ अपना सा लगता है, मट्टी से जुड़ा गाँव की महक
of-course....Size matters
धन्यवाद.. इस जानकारी के लिए....पितायुर मतलब पिता के पक्ष से, जैस किसी के बाबा दो भाई हों या पर बाबा दो भाई हों तो उनके खानदान का लड़का सगा, चचेरा तो नहीं होगा कह सकते हैं सेकंड या थर्ड कजिन, और गाँव में एक परिवार की शाखा प्रशाखा फैली रहती है तो वही पितायुर भाई, चूल्हा घर खेत अलग होने पर भी उसी पट्टी या पुरवा के
आपके होते हुए प्लानिंग पक्की ना हो.. ये हो हीं नहीं सकता....aayega aayega kal bhi aayega lekin us ki planning pakki honi chaahiye
and enjoyment with double perfection...Planning makes execution perfect.
जितना ज्यादा.. उतना आनंदप्रद....Jald aayegi aur badi lambi rata hogi ho skata hai ek do posto men chale
ऊपर का नहीं नीचे का मुँह बिचकाएंगी तो सजा मजा में बदल जाएगा...भौजाइयां तो हरदम अपनी ननदों के फायदे के चक्कर में रहती हैं कभी उन्हें अपना सैंया पेश करती हैं , कभी भैया वही सब मुंह बिचकाती रहती हैं.
और नीचे वाले मुँह में मलाई..एकदम
आपके मुंह में गुड़ शक्कर
वो भी भौजाइयों के सामने...भैया का भी नंबर आएगा, नथ तो व्ही सब उतारेंगे
मिस होते हीं एक अध्याय छूट जाएगा...Bilkul komal ji
Aapki post kaise miss kar sakte hai