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भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
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ननद की सास, और सास का प्लान
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कैसी विडंबना है कि किसी ने नहीं देखा..हदस गयी रेनू
किसी को नहीं मालूम था की रेनू भी घर में है,...
वो तब ही आयी थी जब कमल ने ललिया के पिछवाड़े अपना मोटा खूंटा घोंटने की कोशिश की थी,... ललिया की ह्रदय विदारक चीख, आधे गाँव ने सुना होगा,... तो रेनू क्यों नहीं सुनती,... बस एक छेद, छेद क्या बिलुक्का था बड़ा सा,.. जो रेनू के भाई ने अपने कमरे से अपनी बहन के कमरे में तांक झाँक करने के लिए बनाया था, और रेनू को पता चल गया था. बस वो कपडे बदलती तो ठीक उसी छेद के सामने, उसे भी अपने भैया को तड़पाने में ललचाने में मजा आता था,... उसी छेद के सामने खड़ी होकर हर टीनेज लड़की की तरह अपने जोबन मुट्ठी में दबा के देखती कित्ते बड़े हो रहे है ,...
और वो भी तब जब उसे मालूम होता की कमल बगल के कमरे में है और तांक झाँक कर रहा है, .... हाँ बाद में कमरा खोलने के पहले एक कलेण्डर टांग देती ठीक उसी छेद के ऊपर, जिससे माँ या चाची को उस छेद का भेद न पता चले।
तो सहेली की चीख सुनते ही उसने कैलेंडर उतार फेंका, और आँखे जो देख रही थीं, रेनू का चेहरा गुस्से से लाल,... उसकी सहेली उसके भाई के बारे में बहुत कुछ बोलती थी लेकिन वो इस हद तक होगा, सोच नहीं सकती थी।
बेचारी ललिया, आंसू की धार रुक नहीं रही थी, भैया ने उसका झोंटा पकड़ रखा था, अपने दोनों हाथों से कस के दबोच रखा था और अंदर,... सहेली उसकी चिल्ला रही थी मना कर रही थी, फिर भी वो,... अपने नाख़ून उन्होंने कस के रेनू की सहेली की चूँची में गड़ा दिए, .... ललिया की चीख रुक नहीं रही थी,... फिर चांटो की आवाज,... एक एक पल वो देख रही थी,... लेकिन सबसे ज्यादा उसे गुस्सा आया जब भैया ने अपना वो,... क्या क्या लगा था, ललिया के मुंह में, बस एक पल की देर हुयी और क्या तगड़ा चांटा भैया ने उसे मारा,... मुंह घूम गया बेचारी का ,
रेनू ने जो देखा था, शायद कुछ दिन में भूल जाती लेकिन ललिया थी न, और उसने छेद से झांकती रेनू की आँखें देख ली थी,
इसलिए और जोर से चोकर रही थी, टेसुए बहा रही थी और जब दर्द ख़तम भी हो गया था, मजे से धक्के ले रही थी , खुद ही चूत और गांड सिकोड़ रही थी, तब भी रेनू की आंखे देख कर जोर जोर से सुबकने लगती।
और ललिया, जान बुझ के बजाय घर जाने के, कमल की रगड़ाई के बाद जब बड़ी मुश्किल से सीधी हुयी तो नाटक करती, बड़ी मुश्किल से दीवार पकड़ के रेनू के कमरे में,... देखा रेनू की माँ ने भी था , उसे रेनू के कमरे में ,... लेकिन उनको, रेनू की चाची सबको अंदाजा यही था की रेनू घर में नहीं है। पर ललिया को तो मालूम ही था उसे ही तो दिखा दिखा के वो बिलख रही थी.
और कमरे में घुसते ही कटे पेड़ ऐसी वो गिर पड़ी, बड़ी मुश्किल से रेनू उसकी सहेली ने उठाया, और फिर ललिया जोर जोर से सुबकने लगी, दर्द तो कब का ख़तम हो गया था लेकिन नाटक सिर्फ नाटक,...
लेकिन उसके बाद साली ने जो नाटक फैलाया, हमार बिटिया जिंदगी भर के लिए हदस गयी, रेनू की चाची बस रोयीं नहीं,
मैं भी चुप रही, फिर हिम्मत कर बोली, क्या हुआ,...
' सलवार, ललिया क सलवार,... " मुश्किल से रेनू की चाची बोलीं,... और फिर फफक कर,..
मैंने कुछ नहीं कहा, कुछ देर रुक के रेनू की चाची ही बोलीं,...
' ललिया की सलवार में खून था,... जैसे रेनुआ उसको खड़ा की, सलवार ललिया की सरक के नीचे आ गयी,... "
" अरे पहली बार गाँड़ मरवाई थी, तो थोड़ बहुत गांड कहीं छिली होगी, दो चार बूँद खून निकलना,... " मैंने रेनू की चाची को समझाने की कोशिश की पर वो नहीं मानी बोलीं,
" नहीं ज्यादा था, गांड से निकल कर,... शलवार में नीचे तक बहा था, और यह देख के हमारा बिटिया, रेनुआ डर के सफ़ेद हो गयी, उसके मुंह से बोली नहीं निकली। दो दिन खाना नहीं खाया, मैंने, मेरी जेठानी उसकी माँ, कलावती ने बहुत समझाया,... ये खून वाली बात तो हफ्ते भर बाद पता चली। दो ढाई हफ्ते रेनू अपने भाई से बोली नहीं,... "
रेनू की चाची धीरे धीरे बोल रही थीं, पहली बार ये अपने दिल की बात किसी से बाँट रही थीं। मैं सोच रही थी, फिर समझ गयी, मुस्कारते हुए मैंने समझाया,
" गलती स्साली ललिया की थी, गाँड़ मरवाते समय गाँड़ ढीली करनी चाहिए थी,... फिर जब देवर मेरा बाहर खींच रहा था, गाँड़ क छल्ला में ही तो असली मजा असली दर्द है,... उसी टाइम वो भींच ली होगी,... तो बेचारा मेरा देवर का करता, लंड अपना काट के उस स्साली की गाँड़ में छोड़ देता, चमड़ी छिल गयी होगी। गाँड़ मारते समय कौन मर्द स्साला दरद का छिलने का ध्यान रखता है, ये सब सोचे न तो न कउनो लौंडिया की गाँड़ मारी जाए न लौंडे की। देवर के हमरे कउनो गलती नहीं। फिर दो चार बूँद भी होगी खून की तो खड़ी होने पे नीचे ही गिरेगी, सलवार में लग के कपडे के सहारे, थोड़ी देर में चोट अपने आप ठीक हो जाती है, जब ललिया रेनू के पास गयी तो ललिया स्साली की गाँड़ में खून बह थोड़े ही रह होगा, हाँ एकाध थक्का लगा होगा स्साली की गाँड़ में, मतलब चोट सूख गयी होगी। उसका तो एक ही इलाज था दुबारा पहली बार से भी कस के गांड मारी जाती, हाँ एकाध दिन दिसा मैदान में थोड़ी दिक्कत होती, जब जोर लगाती तो हमरे देवर की याद आती। "
रेनू की चाची खुल के हंसी, मुझे एक बार फिर से अँकवार में भर के बोलीं, बहुरिया हो तो तोहरे जस और भौजाई हो तोहरे जस,... देवर क साथ हरदम देने वाली।
फिर उन्होंने खून का राज खोला,
नहीं वो गाँड़ से नहीं निकला था, गांड से तो दो चार बूँद खून वो शलवार में चिपक जाता और इतनी देर में तो सूख जाता,... बहुते चालाक थी, पता नहीं कउनो चूड़ी तोड़ के या किसी चीज से रेनुआ के कोठरी में घुसने के पहले, शलवार सरकाय के पिछवाड़े चूतड़ में या जांघ में जहाँ दिखे नहीं, फाड़ ली थी, और जानबूझ के शलवार रेनुवा के सामने खोल के गिरायी जिससे ताजा खून और भरभरा के बहता देखेगी तो जिन्नगी भर के लिए हदस जायेगी।
फिर उन्होंने ललिया की और चाल बतायी,...
ललिया ने रेनू को समझा दिया था की रेनू का भाई तो असल में रेनू की गाँड़ मारने के चक्कर में था, बोल रहा था आपन बुर बचा के रखी हैं न स्साली तो आज उस की गाँड़ फाड़ के चीथड़े चीथड़े कर दूंगा, पूरे गाँव में मशहूर हो जाएगी, स्साली,... लेकिन ललिया बोली की नहीं भैया रेनू तो फूल अस कोमल है, तू हमार मार ला, हमरे सहेली को छोड़ दा।
खतरनाक चाल चली ललिया ने...ललिया की चाल
रेनू की चाची खुल के हंसी, मुझे एक बार फिर से अँकवार में भर के बोलीं, बहुरिया हो तो तोहरे जस और भौजाई हो तोहरे जस,... देवर क साथ हरदम देने वाली।
फिर उन्होंने ललिया की और चाल बतायी,...
ललिया ने रेनू को समझा दिया था की रेनू का भाई तो असल में रेनू की गाँड़ मारने के चक्कर में था, बोल रहा था आपन बुर बचा के रखी हैं न स्साली तो आज उस की गाँड़ फाड़ के चीथड़े चीथड़े कर दूंगा, पूरे गाँव में मशहूर हो जाएगी, स्साली,... लेकिन ललिया बोली की नहीं भैया रेनू तो फूल अस कोमल है, तू हमार मार ला, हमरे सहेली को छोड़ दा।
और रेनू ने दो दिन तक मारे गुस्से के खाना नहीं खाया, ... महीनों अपने भाई से बोली नहीं,...
रेनू की चाची थोड़ी देर चुप रहीं, फिर आगे का हाल उन्होंने सुनाया, लेकिन ललिया ने खाली रेनू के दिल में आग नहीं लगाई, पूरे गाँव की लड़कियों ख़ास तौर से नयी नयी जवान होती लड़कियों को उसने ऐसा भड़काया, सबसे बोलती
" अरे रेनुआ के भाई के चक्कर में मत पड़ना,... वो स्साला नोचता ज्यादा है चोदता कम है। देख मेरे गाल पे, पूरी देह पे कैसा काट के,... अरे वो तो मेरी सहेली का भाई है इसलिए में कभी कभी,... अगर मैं न दूँ तो वो मेरी सहेली की पिटाई करेगा,..."
किसी से कहती,
"अरे यार सोच न घर में उसके माल है मस्त, इत्ती बुरी भी नहीं है अभी कुँवारी है, तब भी वो उसे नहीं चोदता, क्यों ? अरे स्साले का या तो खड़ा नहीं होता होगा या कुछ बात होगी की घर में माल रहते हुए, ... वो भी कोरी कुँवारी,..."
और सब लड़कियां औरते तेरे देवर को चिढ़ाती,
"अरे कोरी कुँवारी चाहिए तो पहले रेनुआ की सील तोड़ के आओ, फिर हम सब अपने हाथ से नाड़ा खोल देंगे,... "
और तोहार देवर रेनुआ के पीछे पड़ गया,.... घर का माल घर में
रेनू की चाची की बात बीच में काट के मैं बोली,...
सही तो कहता है मेरा देवर, ... न उसका छोट न पतला, ऐसा तगड़ा औजार और घर का माल बाहर किसी से,... हाँ इ बार फड़वा ले, गाँड़ मरवा ले,... उसके बाद,..
अब बात काटने की जिम्मेदारी रेनू की चाची पर थी, ... वो बोलीं
तोहार सोच और तोहरे देवर की और हम देवरान जेठान की,... लेकिन रेनुआ के मन में वो ललिया अस बिष बेल बो के गयी है,... हमरे बिटिया और बेटवा दोनों क जिन्नगी, यही खेलने खाने की उम्र और इसी में,... गाँव क कुल लड़कियां लड़के मजे लेते हैं और ये दोनों,... जब रेनुआ नहीं मानी की सबसे पहले तोहार देवर तो वो बोल दिया की ठीक है जउन कूंवा से हम पानी नहीं पी सकते वहां पे और किसी को झाँकने भी नहीं देंगे और रेनुआ क माई क पाला पोसा, देह का तगड़ा है, कउनो क हिम्मत नहीं पड़ती है,
" देवर हमार एकदम ठीक कहते हैं और ओह कूंवा क पानी पिएंगे वो मन भर कर,... सबसे पहले उहे "
मैंने अपना फैसला सुना दिया लेकिन एक बात और मुझे पूछनी थी, जो नैना ने बताया था की चार चार बच्चों की माँ, भोंसड़ी वाली भी चिल्लाती हैं रेनू के भाई के नीचे आने के बाद, दो दिन तक टांग फैला के चलती है "
और रेनू की चाची थोड़ी हंसी, मुस्करायीं। कौन माँ अपने बेटे की बड़ाई सुन के नहीं खुश होगी। बोलीं,
" बात तो सही है काफी हद तक। तोहार देवर है तो जब्बर, और हमसे ज्यादा हमरी जेठानी, रेनू क माई क हाथ है कउनो खास बुकवा, मालिश, ... थोड़ा बड़ा हो गया था, टनटनाने लगा था तब भी,... बड़ा भी है तगड़ा भी लेकिन तू खुद सोचो, कउनो क लौंड़ा हो , का बच्चे से बड़ा होगा या मोटा होगा? नहीं न। तो जौनो भोंसडे से बच्चे निकल चुके हों, ... वो अगर चिल्लाय,... तो साली नौटंकी है न। हाँ दर्द होगा बात सही है, लेकिन वही दर्द में तो मजा है। पर वो सब कुछ ज्यादा इसलिए चिल्लाती हैं, जिससे तोहार देवर और गाँव क बाकी लौंडे समझे की चार बच्चे निकालने के बाद भी उनकी टाइट है,... और कोई बात नहीं लेकिन नुक्सान ये होता की नयी उमर वाली वो सब जो न जाने कितनी बार गन्ने के खेत में नाड़ा खोल चुकी हैं, स्कर्ट फैला चुकी हैं, और लीलवा पहले जहर बो गयी है की कमल मारता है पीटता है वो हदस जाती है,..."
लेकिन मेरे दिमाग में कुछ और चल रहा था। मेरे सवाल का जवाब मिल चुका था।
वो ललिया गयी कहाँ ,...
और रेनू की चाची ने बोला की महीने दो महीने के अंदर परधानी का इलेक्शन हुआ, पुरनके परधान से मिलके पटवारी खूब चांदी काट रहा था, लेकिन नयके ने शिकायत लगा दी और रातोरात पटवारी का पास के गाँव में तबादला हो गया।
" अरे वो ललिया स्साली मिलती न कभी, तो अबकी ओकर गांड मैं मारती कोहनी तक हाथ डार के अबकी सच में खून खच्चर होता और ओहि से सच उगलवातीं अपने देवर के सामने " मैंने अपने मन की बात बोल दी।
रेनू की चाची हंसने लगीं, बोलीं
का पता तोहरे मन की हो जाए, ओकरे बाप क केस वेस खतम हो गया है, वो परधान भी हट गया है , तहसीलदार भी ललिया की बिरादरी का , तो हो सकता है पटवारी क लौंडिया दो तीन महीने में,... आये जाए अगर ओकर किस्मत,...
लेकिन एक बार फिर वो उदास हो गयी थीं, बहुत धीमी आवाज में बोली
लेकिन तोहरे देवर की किस्मत तो बिगड़ी गयी न, अइसन सोना अस देह सांड़ अस ताकत,.. और महीना दो महीना में कउनो काम वाली, घास वाली , कभी वो भी नहीं, .... हरदम उदास रहता या गुस्से में,.... बहुत चिंता है।
और वो चुप हो गयीं।
ये क्या.. खाका खींच के रंग भरना छोड़ दिया..रेनू -कमल --
किस्सा भाई बहन का
लेकिन एक बार फिर वो उदास हो गयी थीं, बहुत धीमी आवाज में बोली
लेकिन तोहरे देवर की किस्मत तो बिगड़ी गयी न, अइसन सोना अस देह सांड़ अस ताकत,.. और महीना दो महीना में कउनो काम वाली, घास वाली , कभी वो भी नहीं, .... हरदम उदास रहता या गुस्से में,.... बहुत चिंता है।
और वो चुप हो गयीं।
मैंने रेनू की चाची से पूछा, " और ये सब किस्सा ललिया का पता कैसे चला और फिर ललिया दुबारा हमरे देवर से मिली, का "
वो हलके से मुस्करायीं और चिढ़ाती हुयी बोली,
" यह गांव क खूंटा क मज़ा जो एक बार ले लिया वो कहाँ जाएगा, अरे कुछ तो आपन छोट बहिन भी ले आती हैं,... ललिया थी रंडी पक्की छिनार, तो जान बूझ के घर आना बंद कर दिया, रेनुआ के साथ एक दो बार आयी भी तो ऐसे चलती थी की गांड में अभी भी खपच्ची घूसी हो. लेकिन कमल के साथ एक दिन भी जो नागा किया हो, गाँव में लड़का लड़की के मिले के जगह क कौन कमी,... कभी गन्ने के खेत में, तो कभी बँसवाड़ी के पीछे, और गाँड़ खुद कह के मरवाती थी,... "
मैं ध्यान से सुन रही थी और रेनू की चाची कमल की बात बता रही थीं ललिया के साथ कैसे कैसे, उन्होंने आगे बात बढ़ाई,
" और ललिया जो चारो ओर सब लड़कियों में कमल के बारे में फैलाई थी तो कउनो लड़की उस से बात करे को न तैयार, चुदवावे को तो छोड़ दो,... और ललिया जब जहाँ कमल कहे वहां आने को तैयार, दिन दहाड़ें, आधी रात,... तो कमल को लगता की पूरी दुनिया में उसकी हितवा वही है, और चुदवाती भी खूब मजे से थी,... गाँड़ भी बिना नागा,... उधर रेनू भी लीलवा को पक्की सहेली और कमल को दुश्मन माने बैठी थी, दोनों लीलवा के खिलाफ एक बात सुनने को तैयार नहीं,...
तो पता कैसे चला, मेरी समझ में नहीं आया, मैंने पूछ ही लिया,...
" अरे बताया तो उसका बाप, पटवरिया गाँव से दुरदुरा के निकाला गया, परधान के बदलने पर,... तो ओहि दिन जिस दिन बाप बेटी गाँव छोड़े,... लीलवा को उसका ग्वाला भी, पहले गाय दूहता था फिर लीलवा को,.. तो लीलवा ने उसी ग्वाले के आगे सब उगल दिया, बाद में जब लगा की गड़बड़ हो गया तो उसे सब कसम धरायी, लेकिन हम सबको सक तो था ही, तो वही कलवतिया, ... बाप बेटी के जाने के दस पन्दरह दिन बाद उसी ग्वाले से,... और उसने सब किस्सा बताया तो उसकी चाल समझ में आयी लेकिन जो बिस बेल बो के गयी थी वो पनप ही गयी। "
रेनू की चाची ने बताया फिर एकदम चुप, चेहरा झांवा,... बस रो नहीं रही थीं।फिर बहुत धीरे धीरे बोलीं, रेनुआ वो अब एकदम चुप्प, कतो गाना रतजगा होता है तो वहां भी नहीं जाती, मैं सोचती हूँ सादी बियाह होगा गौना होगा तो वहां भी कैसे, ऐसी हदसी डरी घबड़ायी रहेगी तो कैसे और कमल की भी हालात, अइसन सोना अस देह, जांगर ताकत लेकिन हम लोगन तो तो पूरे घर पे जैसे गरहन ,
लेकिन में बोली थोड़ा हड़का के और मुस्करा के
" देवर किसका है "
" तुम्हारा " वो बोली,
" देवर मेरा, भौजी मैं,... उसकी तो चिंता मैं करुँगी आप क्यों चिंता कर रही है " मैं हंस के बोली।
और वो भी खिलखिला के बोलीं, " बात तेरी एकदम सही है तेरा देवर तेरे हवाले "
" तो मेरा एक काम कर दीजियेगा, मेरे देवर को बोल दीजियेगा,...कल ठीक साढ़े दस बजे आम वाली बगिया में पोखर के बगल में पहुँच जाए, न एक मिनट पहले न एक मिनट बाद, हाँ और आपकी बिटिया रेनू को इसकी कानो कान खबर न हो की मेरा देवर वहां आएगा। लेकिन ये बताइये,... की बाकी सास लोग तो गाँव छोड़ के छावनी गयी हैं मजे करने के लिए , आप ने कोई यार बुलाये हैं का,... जो आप नहीं गयी। "
मारे ख़ुशी के उन्होंने मुझे गले से लगा लिया और मेरी माँ को गरियाते बोलीं " एकदम पक्की छिनार क बेटी हो,... पैदायसी रंडी होगी तोहार महतारी अरे हम मायके जाएंगे , कल भिसारे के पहले ही,... फिर एक दो दिन बाद,... "
उनकी बात काट के मैं बोली, ...
" अरे तो हमरे देवर के मामा क पिचकारी अकेले अकेले काहें पकड़ियेगा, अपनी जेठानी को रेनुवा क माई को भी साथ ले जाइये,... और खबरदार जो हफ्ता भर से पहले लौंटी, ... और लौटिएगा, तो हमार देवर और तोहार बिटिया रेनुआ एक बिस्तर में मिलेंगे,... चिपका चिपकी करते, जो कातिक में कुत्ता कुतिया की हाल होती है न वो नंबर भी डंका देंगे दोनों,... बस हमार देवर कल पहुँच जाये। "
एक बार फिर उन्होंने अँकवार भरा , असीसा की तोहरे मन की कुल बात पूरी हो, .. ननद देवर तोहरे मर्द सब पर तोहार हुकुम चले,...
और अभी तो पहले मेरी मन की ये इच्छा पूरी होनी थी मेरे साजन मेरी ननद के ऊपर,... लेकिन मैं कुछ और सोच रही थी,
रेनू और कमल के बारे में कैसे कहानी बदलती है,
सबसे पहले मैं सोच रही थी स्साली रेनुआ हाईस्कूल पास कर गयी साल भर पहले और अभी तक फटी नहीं, यहाँ तो लड़कियां हाईस्कूल के पहले ही सब पढाई पढ़ लेती हैं, गन्ने के खेत का सब पाठ लौंडे पढ़ा देते हैं, ...झांटे बाद में आती हैं लौंड़ा पहले ढूंढती है,... पता चला की उसका भाई कमल, एकदम कटखना कुत्ता, कोई उसकी बहन की ओर नजर उठा के भी देख ले तो उसकी आँख फोड़ने को तैयार, एक ने खाली छेड़ दिया था तो उसका हाथ तोड़ दिया,
मेरी समझ में नहीं आ रहा था की लंका में ये विभीषण कैसे , यहाँ तो सब भाई पहले घर के माल पे, ... और ये लट्ठ लेकर रखवाली कर रहा है,... बाल ब्रह्मचारी,
और नैना ने बात साफ़ की
कोई ब्रह्चारी नहीं है स्साला नंबरी चोदू है, गदहे ऐसा लंड है इसलिए रेनुआ भड़कती है, और उसने बोल रखा है की कुछ भी हो रेनुआ चढ़ेगी तो सबसे पहले उसके खूंटे पे। कितनी काम वाली घास वाली चोद चुका है, सब बताती है की चोदने में पूरा सांड़ है , खाली औजार ही नहीं बित्ते भर का ताकत भी कमर में जबरदस्त है,... लेकिन आराम आराम से नहीं, गाली दे दे के , रगड़ के पेलता है।
लेकिन पूरी कहानी रेनू के चाची ने साफ़ की
और बस कल सुबह रेनू और कमल की गाँठ जुड़वानी है , देवर को ननद पर चढाने से बड़ा पुण्य काम भौजाई के लिए क्या होगा।
और अब बात अगले दिन की, मेरी सारी गाँव भर की नंदों ने मनाया,
मेरा भाई मेरी जान,...
जिसके जिसके सगे भाई थे, छोटे बड़े, सब चढ़े अपनी बहनों पर कच्ची कलियाँ हो, बिन ब्याही चुदी ननदें हो या ब्याही और गौना न हुआ, साजन के पहले भाइयों ने नंबर लगाया, कुछ ने सीधे, कुछ ने धोखे से कुछ ने जबरदस्ती, लेकिन सबका पानी बच्चेदानी तक गया,... और जिसके सगे नहीं थी, तो चचेरे, नहीं तो उसी पट्टी के जिसको वो राखी बांधती थी, सबके सामने भैया भैया बोलती थीं, उन सब के संग जम के चुदेया हुयी और वो भी बीच गाँव में सब भौजाइयों के सामने,...
न कोई ननद बची न बिन ब्याहा देवर,
सब ने होली के संग राखी मनाई,
हर बार वो अपने अपडेट से चकित कर देती हैं...कोमल जी
एकदम जादूगरनी हो आप ।
इस कहानी के अपडेट के बाद मुझ जैसे पाठक JKG पर अपडेट की उम्मीद कर तो रहे थे पर मन में ईच्छा थी लीलवा पर अपडेट की, पता नहीं आपको ये बात कैसे पता लग गई और........
बेहद सुखद आश्चर्य।
शानदार और मादक अपडेट, पढ़ कर आनंद आ गया।
अब आपको कुछ नहीं कहना क्योंकि आप तो बिना कहे सब जान लेती हैं।
पुनः आपकी लेखनी और सृजनशक्ति को प्रणाम।
सादर
वो छिनार यही तो चाहती थी..
अरे शब्दों के मामले में कोमल जी जादूगरनी हैं...Convention to pura jabardast he. Par ye pine amezing fantasy create ki he. Kya ward use kiye he.
रेनू की चाची की बात बीच में काट के मैं बोली,...
सही तो कहता है मेरा देवर, ... न उसका छोट न पतला, ऐसा तगड़ा औजार और घर का माल बाहर किसी से,... हाँ इ बार फड़वा ले, गाँड़ मरवा ले,... उसके बाद,..
Aur chal vala kissa to superb amezing he