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Yeh kamal bhi kamal jiju ki tarah hi saand hai pooraलौंडिया पटवारी की -बड़ी नमकीन
ललिया
फिर अचानक वो चुप हो गयीं एकदम उदास,... और मैं समझ गयी उनका दर्द, बच्चा एक खिलौने के लिए जिद्द कर रहा हो, वो उसे मिल भी जाये, लेकिन उससे खेल न पाए,... फिर थोड़ा सा गुस्सा और उन्होंने सब कुछ उगल दिया,...
" वही पटवारी की बिटिया, ललिया,... मुँहझौंसी, कुल बोरन कुल आग लगाई,... रेनुआ के साथ पढ़ती थी, समौरिया,... पक्की सहेली,,... जोबन उसके भी गदरा रहे थे, चूत में आग लगी रहती थी,... और आती भी तब जब रेनुआ नहीं होती, और कमल होता,... मैं समझती नहीं थी का, की असल में रेनू से दोस्ती ही उसने कमलवा के चक्कर में की है,... लेकिन मुझे क्या,... जानबूझ के जब वो आती थी तो मैं कभी बाहर,... तो कभी अपनी जेठानी के पास,... और चीख पुकार मचती तो हम दोनों मुस्कराते की बेटवा हम लोगों का सच में सांड़ है, बछिया कुल खुद ही,...
पर कुछ ज्यादा ही चीखती थी. एक दिन कमल नहीं था लेकिन आने वाला था, तो ललिया से बात बात में मैंने पूछ लिया, पहली बार तो लड़कियों के दर्द होता है, लेकिन तुम रोज इतना,... कोई परेशानी है का,... तेल वेल लगा लिया करो,
तो वो ललिया हंसने लगी, हंसती तो गाल में गड्ढे पड़ते, ... बोली,
" अरे चाची,... पहली बार,... अरे एकरे पहले चार खूंटा घोंट चुकी हूँ,... जहाँ बाबू जी क पहले पोस्टिंग थी, तीन तो वहां, एक हमरे स्कूल के मास्टर थे सुधीर माट्साब, बेचारे उनकी मेहरारू छोड़ के चली गयी थी की उनका मनई का नहीं गदहा घोडा क है, उन्ही पे दया आ गयी तो झिल्ली उन्ही से फड़वा लिए. फिर एक हमारे फुफेरे भाई आये थे उनसे,... और ननिहाल गयी गरमी की छुट्टी में तो वहां तो महीने भर बिना नागा अपने मामा के लड़के के साथ,... और यहाँ अहिरौटी क, जो हमरे घर गाय दुहने आता है, वो हमको भी दुह दिया,... यहाँ आने के दूसरे ही दिन। अब हम रेनुआ की तरह थोड़े हैं की मारे डर के हरदम जांघ चिपका के रहे,... "
मुझे तो ललिया की बात अच्छी लगी, मैंने रेनू की चाची को बोला भी
" ये तो अच्छी बात है न ऐसी लड़की रेनुआ की सहेली थी तो कुछ तो आपन गुन ढंग सिखाई होगी। "
" यही तो हम भी सोच रहे थे " रेनू की चाची मुस्करा के बोलीं फिर ललिया की बात आगे बढ़ाई।
"ललिया से हम बोले की तू चार चार मर्दों से चुदवाने के बाद भी इतना काहें चोकरती हो,... हाथ गोड़ पटकती हो, इतना नखड़ा तो गौने की रात दुल्हिन भी नहीं करती।
" अरे चाची, आपके बेटवा, अपने भैया के लिए. जो पिया मन भावे। "
ललिया हँसते खिलखिलाते बोली, फिर बड़ी देर तक हम दोनों खिलखिलाते रहे। मान गयी साली कच्ची उमर में ही पक्की चुदककड़ बन गयी थी, मरद की एक एक पेंच मालूम थी। ललिया ने फिर असल बात बताई। सब बात समझायी बोली,
" चाची, बेटवा तोहार पक्का सांड़ है,... अइसन मोटा मूसल,... चार चार से चुदवाने के अलावा और कितनों का पकड़ मसल मुठिया चुकी हूँ. फिर गाँव के भौजाइ, सहेली सब बताती है , लेकिन वइसन न देखा न सुना, ... लेकिन ओह से भी खतरनाक है उसका सुपाड़ा, जाता है तो लगता है कउनो बुर में मुट्ठी पेल रहा है। इतना मोटा और इतनी ताकत है उसके कमर में, कुतिया बनाय के जब पेलता है न तो जान निकल जाती है , लेकिन मैं उस समय नहीं चीखती,... बाद में। "
रेनू की चाची ने लीलवा की जो ये बात बतायी, मेरी समझ में नहीं आयी। मैंने पूछ लिया,
" सुपाड़ा घुसने में तो चीख पुकार समझ में आती है, और अगर हमरे देवर क मोट है, तो रोई रोहट, लेकिन ससुरी जब सुपाड़ा घोंट लेती थी तब काहें चिल्लाती थी,... "
रेनू की चाची जोर से हंसी, बोलीं
"अभी तुम छह महीने पहले आयी हो न , ये सब यह गाँव की लड़कियों क छिनरपन है, गाँव क पानी क असर,... चाहे तोहार ननद होयँ चाहे हमार,... ललिया तो जबरदस्त छिनार, वो खुदे बोली,... "
और फिर रेनू की चाची ने ललिया और कमल की चुदाई के किस्से का हाल खुलासा किया।
और क्या मस्त हाल बताया उन्होने बताया सुन के मेरी गीली हो गयी,
"कमल दरवाजा भी ठीक से नहीं बंद करता था, और ललिया खुद ही कपडे उतार के निहुर जाती थी, कभी पलंग पकड़ के, कभी मेज, कभी दीवाल के सहारे तो कभी बिस्तर पर ही,... टाँगे अपनी फैला लेती थी,...
चूँचियाँ गदरा रही थी, लेकिन थीं अभी अमिया ही,... अभी जैसी छुटकी की हैं,... और कमलवा, बिना थूक लगाए सूखे ही पेलता था,... लेकिन ललिया की तो हरदम पनियाई रहती थी,... और वो खुद चूत चियार के, कमर में कमल की जबरदस्त की ताकत थी, और कमर को पकड़ जब पेलता था, बिना छेद के छेद हो जाये।
चुदी चूत में भी दो चार धक्के के बाद ही पूरा सुपाड़ा घुस पाता था। जैसे सांड़ अगले दो पैरों से बछिया को दबोच के रखता है, उसी तरह कमल भी अपने दोनों हाथों ललिया को पकड़ के दबोच लेता था, एक बार सुपाड़ा घुस जाए फिर लाख चूतड़ पटके , सूत भर भी लंड बाहर नहीं सरक सकता था और तभी ललिया क छिनरपन शुरू होता था.
मैं रेनू की चाची की बात मुंह बंद कर के सुन रही थी, सोच सोच के गीली हो रही थी की रेनू की चाची जो सिर्फ ललिया का कहा नहीं , जरूर अपनी बेटवा क चुदाई खुद देखती होंगी,...
लेकिन ये पूछने से नहीं रुक पायी क्या छिनरपन करती थी,...
" अरे उसकी मामी ने सिखाया था, महीने भर अपनी ननिहाल थी रोज उसका ममेरा भाई चोदता था ललिया को दिन रात। वहीँ उसकी मामी ने सिखाया, प्रैक्टिस कराई चूत को सिकोड़ने की, लंड को निचोड़ने की। थोड़ा सा लंड घुस जाए उसके बाद चूत को टाइट कर लेती थी वो, फिर कमलवा को पूरी ताकत से पेलना पड़ता था, चूत में घुसाने के बाद भी. बहुत ताकत है तोहरे देवर में,... तो वो केतनो चूत सिकोड़े, तोहार देवर, दोनों छोट छोट चूँची पकड़ के पूरी ताकत से ठेलता था, फिर दरेरते,... छीलते रगड़ते घसीटते लंड अंदर घुसता था ललिया की बुर में,... अभिन जो उम्र कम्मो, पायल की है वही उम्र रेनू की, उसकी सहेली ललिया की थी. और वो चिल्लाती थी, चीखती थी। लेकिन फिर भी ढीली नहीं करती थी"
" क्यों लेकिन ये तो उसके हाथ में था की बुर आपन ढीली कर देती तो दर्द नहीं होता न " मैने रेनू की चाची से पूछा,...
" एकदम यही सवाल मैंने ललिया से भी पूछा " चाची बोलीं। फिर उन्होंने ललिया के शब्दों में ही जवाब दिया,...
ललिया बोली,...
" अरे चाची, तोहरे बेटवा को चीख पुकार सुनने में मजा आता है , उसका जोश दूना हो जाता है, फिर एकदम पागल होके चोदता है, गाली देता है , दांत काटता है, गाल पे चूँची पे कंधे पे नाख़ून से नोचता है,... और ऐसे रगड़ते हुए अंदर जाता है की लगता की बुर की चमड़ी छिल गयी। अब आप पूछेंगी की तुझे दर्द इतना होता है तो,... तो असली मज़ा तो इसी दर्द में है और दर्द देने वाले मर्द मिलते कहाँ है,... बुर जितना छिलती है उतनी ही मलाई से ठंडी होती है. "
तो ललिया बहुत मजा ले रही थी चीख चीख के हमरे देवर के साथ,... हँसते हुए मैंने कहा,... लेकिन चाची अब सीरियस थी, उन्होंने उसका दूसरा पहलू समझाया,