सात शतक की हार्दिक बधाइयाँ...The story has reached 700 pages,
Thanks, Friends
Thanks so much.
सात शतक की हार्दिक बधाइयाँ...The story has reached 700 pages,
Thanks, Friends
Thanks so much.
अनुपम....बहुत ही कामुक..........
best erotica......
अभी तो कई खुलासे बाकी हैं...1000 se pehle nhi rukne wali yeh story
उफ्फ.. ससुर बहु भी...एकदम भाई बहिनिया का किस्स्सा पूरे डिटेल में आएगा, बस आपका साथ बना रहे, कमेंट आते रहें
और गाँव के घर घर की कहानी,
चाहे भाई बहिन हों, सगे, चचेरे या ससुर बहू का किस्सा हो सब आएगा
अब कमल अपना प्रतिघात लेगा या फिर ललिया को इग्नोर कर उसे दंड देगा...Ekdam, use kamal ka kamaal ka lagaa, aur fir dar ye tha Renu to ekdm koti thi, behan thi ghar men rhati thi,...to agar vo kamal ke saath masti ke liye razi ho jaati to vo Laliya ko nahi poochata
doosre baaki ladkiyon men bhi usne isliye rumours failayi ki jab kamal ko koyi aur nahi dega sirf vo degi to Kamal uska ahsaan maanega aur koyi laliya ki sacchayi baataayega to bhi kamal nahi maanega islye Kamal uski mutthi men
renu se vo jalti bhi thi isliye usne asi chaal chali ki use koyi na mile aur inter tak vo kunvaari bani rhi, lekin gaaon men kisii ko iski kaano kaan khabar bhi naa thi ki ye sab chaal uski hai koynki vo gaanv chhod ke chali gayi thi sb renu aur kamal ko hi jimedaar maante the jaydatar kamal ko
अटूट जोड़ी....haan lekin ab saamya aa agya hai Renu aur kamal ki jodi banande ka
ये दर्द हीं दवा है...तो असली मज़ा तो इसी दर्द में है और दर्द देने वाले मर्द मिलते कहाँ है,... बुर जितना छिलती है उतनी ही मलाई से ठंडी होती है. "
Wah komal ji. Kya khoob kahi hai aapne. Aurat ke man ki bhavnaye aap bhali bhanti samajti hai
चार चाँद मेरी तरफ से भी...
aapki upisthiti hi kahani men char chaand laga deti hai mera hasuala buland kar deti hai thanks for nice words and your valuable comments
लपक के लेवेगी लंड...निकल पड़ी है भौजी कर मन वे विचार
अब करनी होगी ननंदिया देवर पे सवार
ननद के मन के डर को दूर भगाना होगा
देवर के खूंटे पे ननद को बिठाना होगा
बहन और भाई का करवायेगी वो मेल
दोनों मिलके खेलेंगे जवानी वाला खेल
बित्ते भर का लौड़ा जब बहन लेगी घोंट
रोज़ रात खोलेगी फ़िर नीचे वाले होठ
एक बार जो चाख लेगी भैया की मलाई
लपक लपक करेगी फिर लौड़े की चुसाई
एक बार जो खुल गया डर और शर्म का धागा
भैया से फिर चूदेगी रोज बिना किये कोई नागा
अपनी प्यारी रेनू कमल से सील खुलवाएगी
घर के हर कोने में फिर भैया से चूत मरवायेगी
बहन और भाई में फिर होगा इतना प्यार
उछल-उछल के घोंटेगी भैया का हथियार
समानांतर .. कोई किसी से कम नहीं...वाह
लगता है कि कहानी और काव्य में मादकता की होड़ सी लग रही है ।
स्वागत और धन्यवाद आरूषि मैम
सादर