इस ललिया ने रेनुआ के प्राइम टाइम का कबाड़ा कर दिया...Renu bahoot bach gayi jo kaam chaar saal pahle ho jana chahaiye tha ab hoga, der se hi sahi lekin jabrdst hoga, Renu aur Kamal ki masti.
लेकिन अभी भी कुछ बिगड़ा नहीं....
इस ललिया ने रेनुआ के प्राइम टाइम का कबाड़ा कर दिया...Renu bahoot bach gayi jo kaam chaar saal pahle ho jana chahaiye tha ab hoga, der se hi sahi lekin jabrdst hoga, Renu aur Kamal ki masti.
और उसके बाद खेली-खाई ननदों की बारी...The next 10 episodes will be featuring, young sisters and brothers, the story of many relations, changes in relations so please just wait, read, and do share your comments
उफ्फ .. दोनों एक दूसरे से अंजान...भाग ७३ - किस्से भैया बहिनिया के
कमल चढ़ा रेनू पर
१३,१९, ५५०
बाग बनी है सेज और सारे दूल्हे है तैयार , आज भाई होंगे अपनी बहनो पे सवार
कच्ची कलिया आज अच्छे से तोड़ी जाएगी भाईयों के लौड़े से जब चूते फोडी जाएगी
सारे भाई मिलकर आज राखी का कर्ज चुकाएंगे अपनी कुंवारी बहनों को कली से फूल बनायेंगे
आरुषि जी
मैं कमल को पकड़ के जिधर बाग़ गझिन था मैं उधर वैसे तो तय था की सब देवरों की आंख पे पट्टी बाँधी जायेगी, उनकी बहनों पे उन्हें चढाने के पहले,... जिससे वो ऐन मौके पे खूंटा तुड़ा के न भागें, और जब एक बार वो झिल्ली फाड़ लेंगे, हचक हचक के चोदने लगेगें, तो झड़ने के पहले उनकी आँख से भौजाइयां पट्टी खोलेंगी,... और गरियायेंगी,
" कयों बहनचोद मजा आ रहा है बहिन चोदने में, अरे छिप छिप के तो बहुत चोदा होगा, आज भौजाई लोगन के सामने, अब तो बन गए पक्के बहिनचोद,... "
और झड़ते समय कौन लौंडा बाहर निकालेगा,... और ननद के गाभिन होने का भी डर नहीं था, और एक बार जब सबके सामने बहिन चोद दिया तो फिर ननद कौन मुंह से नखड़ा करती, और फिर भौजाइयां भी पीछे पड़तीं,...
अरे बुर तो फड़वायी ही ली हो गाँड़ भी फड़वा लो,... भाई चोद,...
लेकिन कमल और रेनू के साथ ये नहीं चलने वाला था,
एक तो कमल छुट्टा सांड़, इत्ती बेरहमी से चोदता था की चार चार बच्चों की माँ भी पानी मांग जाती, वो मानेगा भी नहीं पट्टी बंधवाने के लिए,...
दूसरे वो तो खुद जबसे उसकी बहन रेनू नीचे से खून फेंकने लगी तब से उसको चोदने के चक्कर में था,... लेकिन रेनू उसकी बहन ऐसी हदस गयी थी उसका मोटा लम्बा खूंटा देखकर, और चुदने वालियों की चीख रोना धोना सुन के,... और कमल ने रेनू को बोल दिया था वो नहीं तो कोई नहीं, ... इस चक्कर में रेनू बारहवें में पहुचं गयी फिर भी कोरी थी,... जबकि गाँव में शायद ही कोई लड़की हाईस्कूल पार कर पाती हो, टांग उठाने के पहले।
लेकिन डर रेनू का था, की वो कमल को देखते ही भाग निकलेगी,... लेकिन मैं जानती थी एक बार किसी तरह से उसकी कसी अब तक बिन चुदी चूत में कमल का लंड घुस जाए, मोटा सुपाड़ा अटक जाए, फिर तो मेरी ननद साली लाख चूतड़ पटके देवर बिना उसकी झिल्ली फाड़े छोड़ेगा नहीं,... और मैं उसकी भौजी उसे छोड़ने भी नहीं दूंगी बिना बहन की झिल्ली मेरे सामने फाडे, बिना खून खच्चर किये
और कमल ये बात मान गया की रीत रिवाज के नाम पर खूंटा तो मैं खुद घुसवाऊँगी, और उस समय पट्टी बंधवा लेगा लेकिन उसके बाद वो अपनी तरह ही चोदेगा और पहली बात तो उसे ये यकीन नहीं था की कोई कच्ची कोरी मिलेगी, इसलिए उसने बोल दिया की झिल्ली फाड़ते समय मैं उसकी पट्टी खोल दूँ, और अगर कुँवारी मिली तो फिर तो जिंदगी भर वो मेरी हर बात मानेगा,...
तो कमल के आँख पे मैंने पट्टी बाँध दी थी, और बोल भी दिया था की जब तक मैं पट्टी न खोलूं वो आवाज भी एकदम न करें और बहुत हलके से सम्हाल के पेले, ... हाँ सुपाड़ा घुसने के बाद, पट्टी खुलने के बाद,.. लौंडिया लाख चूतड़ पटके रोये चिल्लाये, अपनी तरह से,..
चमेलिया रेनू को पहले से ही लाकर,... उसे निहुरा के,...
एक तो देवी के भभूत का असर, दूसरी रमजनिया की जड़ी बूटी भांग वाली ठंडाई में फिर भौजाई की ऊँगली, रेनुआ खूब गरमाई थी,... चमेलिया ने उसे बोल दिया था बस थोड़ी देर आँख बंद रखे,... आज उसकी फट के रहेगी, ... मन तो रेनू का बहुत कर रहा था उससे तीन चार साल छोटी लड़कियां बिना नागा पेलवाती थीं, सब उसे चिढ़ाती भी थीं, लेकिन उसे अपने भाई कमल का डर रहता था और उसने चमेलिया से बोला भी,
" भौजी कमलवा को न पता चले, मोर भौजी,... "
' एकदम नहीं पता चलेगा, बस तू दो काम करना कितनो दर्द हो चीख मत निकलने देना," चमेलिया ने समझाया।
" एकदम भौजी, कहीं कमलवा स्साला सुन लिया तो पगला जाएगा, मैं होंठ भींच के रखूंगी " रेनुवा मान गयी,
" और हमरे अंचरा से तानी आँख चेहरा ढंक लो, जैसे अगर देखे भी तो पता नहीं चले,... " चमेलिया ने समझाया और रेनू बात मान गयी।
और भैया बहिनी की कुश्ती चालू हो गयी, मैंने अपने मुंह से थूक निकाल के रेनुआ की चूत थोड़ी गीली की थोड़ा उसके भाई के सुपाड़ा पे और ऊँगली का एक पोर रेनुआ की बुर में पेल दिया,... पहिले से ही गीली हो रही थी अब दो चार बार उंगलियाने पे एकदम से पनिया गयी. चमेलिया मेरी मदद को आ गयी, उसने पूरी ताकत से रेनुआ की कसी कच्ची चूत के दोनों फांको को फैला दिया मुश्किल से दो ऊँगली का पोर, मैंने कलाई की पूरी ताकत लगा दी, बड़ी मुश्किल से पूरे जोर के बाद, लग रहा था कमल की बहिनिया रेनू ने कभी ऊँगली भी नहीं की ठीक से, एकदम ही कसी कच्ची कोरी,
लेकिन उसके भाई का सुपाड़ा पहाड़ी आलू ऐसा मोटा, मैंने अपने हाथ से पकड़ के बस फंसा सा दिया, चमेलिया ने फिर जोर लगाया, रेनू की चूत फ़ैलाने के लिए, मैंने भी अपने हाथ से पकड़ के हल्का सा और पुश किया, घुसा तो अभी भी नहीं था लेकिन फंस गया था,... मैंने चमेलिया को इशारा किया, वो रेनू की सर की ओर, अब रेनू के भाई कमल को रोकना मुश्किल था, उसके मोटे कड़े सुपाड़े को कच्ची बिन चुदी चूत की महक मिल गयी थी, वो कसमसा रहा था पूरी ताकत से ढकेलने के लिए और बिना पूरी ताकत से पेले उसकी बहन रेनू की कच्ची चूत में सुपाड़ा घुसना मुश्किल भी था,
मैंने कस के रेनू की कमर पकड़ ली, जिससे वो हिल भी न सके,... और उसके दोनों चूतड़ पकड़ के उसके भैया ने धक्का मार दिया, पूरी ताकत से,...
कमल की तो खुशी का ठिकाना न होगा...घुस गया, धंस गया, अंड़स गया,
भैया का बहिनिया में
सारे भाई मिलकर आज राखी का कर्ज चुकाएंगे, अपनी कुंवारी बहनों को कली से फूल बनायेंगे
आँखों पर बांध के पट्टी आज अपनी बहन को भोगेंगे, एक बार जो फट गई झिल्ली हचक हचक के चोदेंगे
जिन हाथों पर बांधी राखी वो अपना फ़र्ज़ निभाएंगे, थाम के कमरिया बहना की जड़ तक लौड़ा घुसाएँगे
आरुषि जी
अब रेनू के भाई कमल को रोकना मुश्किल था, उसके मोटे कड़े सुपाड़े को कच्ची बिन चुदी चूत की महक मिल गयी थी,
वो कसमसा रहा था पूरी ताकत से ढकेलने के लिए और बिना पूरी ताकत से पेले उसकी बहन रेनू की कच्ची चूत में सुपाड़ा घुसना मुश्किल भी था,
मैंने कस के रेनू की कमर पकड़ ली, जिससे वो हिल भी न सके,... और उसके दोनों चूतड़ पकड़ के उसके भैया कमल ने धक्का मार दिया, पूरी ताकत से,...
चमेलिया पहले से तैयार थी, पूरी ताकत से उसने एक हाथ से कमल की बहन रेनू का मुंह पूरी ताकत से भींच दिया और दूसरे हाथ से उसके कंधे को कस के दबोच लिया। न रेनू की चीख बाहर आ सकी न वो पूरी ताकत से छुड़ाने की कोशिश के बावजूद हिल सकी. मैंने भी कस के रेनू की कमर दबोच रखी थी।
वो तड़प रही थी, छटपटा रही थी, चूतड़ हिला हिला के सुपाड़े को बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी, पर मैंने और चमेलिया ने कस के रेनू को दबौच रखा था और उसके भाई का मोटा सुपाड़ा अब अच्छी तरह बहन की कसी चूत में सेट हो रहा था,
तड़प तो उसका भाई कमल भी रहा था पूरा पेलने के लिए लेकिन मैंने उसको भी रोक रखा था, जब तक मैं इशारा न करूँ,...
न बहिनिया को पता चला की उसकी बुर में सबसे पहले घुसने वाला लंड उसके भाई कमल का है, जिसके लिए उसने कसम खा रखी थी की वो किसी से भी चुद जायेगी पहली बार,... लेकिन पहला लंड उसकी बुर में उसके भाई का नहीं घुसेगा,
और न भाई को पता चला की जिसकी चूत वो मार रहा है उसकी बहिनिया की है जिसके लिए लिबरा रहा था।
दो तीन मिनट में भाई के सुपाड़ा ने बहन की चूत में जगह बना ली, चूत जो अब अब तक दर्द के मारे फटी जा रही थी, अब एक बस तीखी टीस हो रही रही थी और पहली बार मोटे लंड का स्वाद का अब धीरे धीरे मजा मिलना शुरू हो गया था.
रेनू अभी भी चीखने की कोशिश कर रही थी पर चमेलिया ने कस के उसका मुंह भींच रखा था, दर्द से वो तड़प रही थी पर चमेलिया ने उसके कंधे को और मैंने दोनों हाथों से मजबूती से उसकी कमर पकड़ रखी थी। सच में कच्ची कोरी निहुरी ननद को उसके भाई से चुदवाने का मज़ा ही अलग है। गौने की रात वो सब जो चिढ़ाती हैं, सूद सहित वापस।
मैंने कमल को हल्का सा इशारा किया अपनी पकड़ उसके खूंटे पर ढीली की,..सच्च में नैना जो कहती थी एकदम सही, जबरदस्त ताकत थी रेनू के भाई कमल के कमर में, पूरी ताकत से उसने धक्का मारा, आँख में तो उसके मैंने कस के पट्टी बाँधी थी, हाँ दोनों हाथ पकड़ के मैंने अब उसकी बहना निहुरी रेनुवा के जोबन पर , और कस कस के चूँची पकड़ के धक्के मार रहा था था, जैसे सांड़ बछिया पर चढ़ता है कस के दबोच के, एकदम उसी तरह,...
सुपाड़े के बाद भी एकाध इंच तो घुसी गया होगा, बस अब झिल्ली फटने का टाइम आ गया था, ... बहन की झिल्ली भाई का खूंटा,...
मैं अपने देवर के पीछे खड़ी हो गयी, मेरे जोबन बरछी की नोक की तरह उसकी पीठ में छेद कर रहे थे, उसके गाल को सहलाते हुए मैंने छेड़ कर कहा,
अब मार दो तीर, दिखा दो आज भौजी की अपनी ताकत, पट्टी आँख की खोल रही हूँ लेकिन आँख बंद ही रखना,... एकदम मस्त कच्ची कली है ये,...
और मैंने कमल के आँख की पट्टी खोल दी,... और चमेलिया को भी इशारा किया की अब कमल की बहिनिया रेनू के मुंह पर से हाथ हटा ले हाँ न पट्टी खोले और दोनों कंधे कस के दबोच ले,...
उह्ह्ह्ह नहीं ओफ़्फ़्फ़्फ़ उह्ह्ह्हह्ह जान गईइइइइइइइ नाहीइइइइइइइ
रेनू की चीखें बाग़ से निकल के पूरे गाँव में गूँज रही थीं उसके घर तक पहुंच रही थीं,...
मैंने और चमेलिया ने अपनी ननद को कस के दबोच रखा था,...
नैना की बात एकदम सही थी , कमल को जोश लड़की के दर्द से चीखें सुन के दस गुना बढ़ जाता था, उसके चेहरे से खुशी झलक रही थी और चीखों से उसको एकदम अंदाजा नहीं लग पाया की वो अपनी बहन की फाड़ रहा है, ... उसने पक्के चुदककड़ की तरह लंड थोड़ा बाहर खींचा, बस थोड़ा सा सुपाड़ा फंसा था और फिर एकदम जबरदस्त ताकत से ठोंक दिया, कस के दोनों चूँचियाँ दबा रखी थीं, रेनू जरा भी हिल नहीं सकती थी,...
ओह्ह्ह नही नहीं उफ्फ्फ्फ़ रेनू की चीखें कान फाड़ रही थीं
ओह्ह्ह... एक हीं दिन में दोनों छेद...हो गया खून खच्चर
फाड़ दी भाई ने बहिनिया की झिल्ली
अपनी कुंवारी बहनों को कली से फूल बनायेंगे,आँखों पर बांध के पट्टी आज अपनी बहन को भोगेंगे
एक बार जो फट गई झिल्ली हचक हचक के चोदेंगे,जिन हाथों पर बांधी राखी वो अपना फ़र्ज़ निभाएंगे
आरुषि जी
मैं अपने देवर के पीछे खड़ी हो गयी, मेरे जोबन बरछी की नोक की तरह उसकी पीठ में छेद कर रहे थे, उसके गाल को सहलाते हुए मैंने छेड़ कर कहा,
"अब मार दो तीर दिखा दो आज भौजी की अपनी ताकत, पट्टी आँख की खोल रही हूँ लेकिन आँख बंद ही रखना,... एकदम मस्त कच्ची कली है ये,... "
और मैंने कमल के आँख की पट्टी खोल दी,... और चमेलिया को भी इशारा किया की अब कमल की बहिनिया रेनू के मुंह पर से हाथ हटा ले हाँ पट्टी न खोले और दोनों कंधे कस के दबोच ले,...
उह्ह्ह्ह नहीं ओफ़्फ़्फ़्फ़ उह्ह्ह्हह्ह जान गईइइइइइइइ नाहीइइइइइइइ
रेनू की चीखें बाग़ से निकल के पूरे गाँव में गूँज रही थीं उसके घर तक पहुंच रही थीं,...
मैंने और चमेलिया ने अपनी ननद को कस के दबोच रखा था,...
नैना की बात एकदम सही थी , कमल को जोश लड़की के दर्द से चीखें सुन के दस गुना बढ़ जाता था, उसके चेहरे से खुशी झलक रही थी और चीखों से उसको एकदम अंदाजा नहीं लग पाया की वो अपनी बहन की फाड़ रहा है, ... उसने पक्के चुदककड़ की तरह लंड थोड़ा बाहर खींचा, बस थोड़ा सा सुपाड़ा फंसा था और फिर एकदम जबरदस्त ताकत से ठोंक दिया, कस के दोनों चूँचियाँ दबा रखी थीं, रेनू जरा भी हिल नहीं सकती थी,...
ओह्ह्ह नही नहीं उफ्फ्फ्फ़ रेनू की चीखें कान फाड़ रही थीं
झिल्ली फट गयी थी, निहुरि हुयी रेनू के बिल से बूँद बूँद खून रिस रहा था, कमल के खूंटे में भी हल्का सा लगा,...
और इसका अहसास दोनों को हो रहा था बिना देखे,... लेकिन मान गयी कमल को मैं, ... वो जरा भी धीमा नहीं हुआ बल्कि एक बार फिर उसने सुपाड़ा थोड़ा सा पीछे खींचा और रेनू की जस्ट फटी चूत में जहाँ झिल्ली फटी थी वही बार बार रगड़ते दरेरते,... जहाँ अभी अभी चोट लगी हो, वहीँ कोई रगड़े, ... लेकिन मैं सोच रही थी कर तो सही रहा है जिस दिन लड़की दर्द में मजा लेने लगती हैं उस दिन असली चुदवासी बनती है, ... और कुछ देर में ही चीखे धीमी हो गयीं, बस कमल ने एक बार फिर से लंड जरा सा पीछे खींच के पूरी ताकत से,... अबकी आधा से ज्यादा घुस गया,... ४-५ इंच, और अब वो ह्च्चक ह्च्चक के चोद रहा था,...
चमेलिया ने मेरी ओर देखा मैंने इशारा किया और पर्दा हट गया, रेनू के आँख की पट्टी भी खुल गयी,... और रेनू ने मुड़ के देखा और जोर से चिल्लाई,
"कमल, भैया, तू,..."
और कमल ने भी आँखे खोल दी, उसको भी विशवास नहीं हुआ की उसकी बहन, जिसके लिए सालों से वो तड़प रहा था आज उसके नीचे खुद निहुरी हुयी उसका लंड घोंट रही थी,...
बस उसने थोड़ा सा लंड पीछे खींच के, क्या ताकत थी दो चार धक्को में पूरा खूंटा अंदर और सुपाड़ा उसकी बच्चेदानी पे पूरी ताकत से ठोकर मार रहा था, और उसका असर उसकी बहन रेनू पे हुआ,...
दर्द भरी चीखें मस्त सिसकियों में बदलीं रेनू की चूत उसके भाई के लंड को पकड़ के सिकोड़ निचोड़ रही थी,... और रेनू झड़ने लगी, रूकती फिर झड़ती,
कौन लड़की अपना पहली बार झड़ना भूल सकती है, उसके चेहरे का सुख मजा देखते ही बनता था, मैंने और चमेलिया दोनों ने अब उसे छोड़ दिया था,...
जब उसका झड़ना रुका तो मैंने चिढ़ाया,
काहें भाइचोद ननद, मज़ा आया मेरे देवर से फड़वा के
लेकिन ननद कौन जो भौजाई की बात क जवाब न दे, और दर्द के बावजूद रेनुवा खिस्स से मुस्करा दी और पट्ट से पक्की छिनार ननद की तरह बोली,...
" अरे भौजी देवर तो आपका उस दिन हुआ जिस दिन आप गौने उतरीं, लेकिन भइया तो मेरा उस दिन हो गया जिस मैं इस जमीन पे माँ के पेट से उतरी। "
कमल भी हलके हलके मुस्करा रहा था, एक बार मैं फिर अपने देवर के पीछे खड़ी अपने जोबन उसके पीठ पे गड़ाती रगड़ाती कान में फुसफुसाती बोली,
" देवर जी तुझे अपनी कुँवारी बारी ननद दिलवाई है, मेरा नेग होता है,... "
" एकदम भौजी जो कहिये, " वो भी हलके से बोला,...
" इस माल की कसी गाँड़ भी फाड़ी जानी चाहिए वो भी आज ही, मेरे सामने और दूसरी बात आज से अपनी रखैल बना के रखना एकदम खुल्लम खुल्ला,... जितनी गौने में उतरी दुल्हन रोज रात पेली जाती है उससे भी ज्यादा,... "
अब एक बार फिर फिर से रेनू के बिल में धक्का मारते हुए वो बोला, " अरे भौजी ये तो आपने आसिष दे दिया, हुकुम थोड़ी,... एकदम ऐसे ही होगा और आगे से जो आप कहेंगी सब कुछ,... "
एक बार धक्के फिर से चालू हो गए लइकन अब साथ में प्यार दुलार भी, कभी झुक के वो अपनी बहन के गाल चूम लेता तो कभी देर तक उसके दोनों उभार मसलता सहलाता,... निप पकड़ के पुल करता, बड़ी उमर की औरतों को चोद चोद कर सारे गुन ढंग वो सीख गया था, औजार तो जबरदस्त था ही।
दस पन्दरह मिनट बाद जब रेनू तीसरी बार झड़ी तो साथ में उसका भाई कमल भी अपनी बहन की चूत में देर तक मलाई छोड़ता रहा,
एक बार दोनों को चूम के मैं उन दोनों को चमेलिया के हवाले कर दूसरी ओर चली गयी।
भौजाई और निलुआ से ट्रेंड देवर...कच्ची कोरी बेला
एक और कसी कली फटने के लिए इन्तजार कर रही थी बेला, जिसपे उसका कजिन मेरा देवर चुन्नू चढ़ने वाला था।
बेला कच्ची कलियों में भी सबसे कच्ची, खूब गोरी जैसे दूध में दो बूँद सिन्दूर किसी ने मिला दिया हो, चेहरा देखो तो लगता था की अभी दूध के दांत भी न टूटे होंगे, लेकिन बस आते हुए जोबन जवानी की गवाही दे रहे थे, और जो पिछली होली के बाद रजस्वला हुयी थी जिन्हे होलिका माई ने सबसे पहले आशीष दिया था उनमें तो थी नहीं तो इसका मतलब नीचे खून खच्चर हर महीने वाला शुरू हुए दो साल हो ही चुके थे हाँ एक खून खच्चर होना था, झिल्ली फटने वाला वो आज होना था वो भी मेरे सामने।
और लड़कों से ज्यादा भाभियाँ उस का रस लेने के लिए बेताब थीं,
मैंने दो भौजाइयों के हवाले उसको कर दिया था चूसने चाटने के लिए हाँ बस गरम करना था झाड़ना नहीं था, बस एकदम हालत खराब करनी थी जिसे वो खुद जाँघे फैला दे, और जिसके आगे उसे जाँघे फैलानी थी वो था चुन्नू।
दो भौजाइयां, कविता और सुगना, दोनों रसीली, दोनों जबरदस्त चुदक्क्ड़, और कच्ची कोरी ननदियों को रंडी, छिनार बनाने में एक्सपर्ट,
कविता भाभी ने बेला की खुली टाँगे फैला रखी थीं, और ऊँगली से बस कसी फांको को सहला रही थी, लेकिन उनकी उँगलियों का जादू, थोड़ी देर में ही बेला पनियाने लगी. बिना ऊँगली घुसाए, अंगूठे और तर्जनी के बिच दोनों रसीली नयी नयी फांको को पकड़ के दबा के वो सहला रही थीं, तो कभी दबा भी देतीं।
बेला तड़प उठती,
और उधर सुगना भौजी की उँगलियाँ बेला के नए नए आ रहे जुबना पर, कभी सहलाती तो कभी कस के मरदों की तर्ज रगड़ मसल देती और बेला चीख पड़ती, बेला के निप्स बस आ ही रहे थे, जैसे अभी पूरी तरह तरह नहीं आयी मटर की फलियों के अंदर दूधभरे दाने होते है, एकदम उसी तरह,... और सुगना जब झुक के जीभ की टिप बस उस निपल पर लगा देती तो बेला उछल पड़ती,
थोड़ी देर में सुगना भौजी और कविता भाभी ने जगह बदल ली, अब सुगना, चूसने चाटने में नंबरी,... बेला की चूत कभी सपड़ सपड़ चाटती तो कभी दोनों होठों से बेला के निचले दोनों होंठों को पकड़ के चूसती, और बेला चूतड़
सुगना एकदम रस की जलेबी, वो भी चोटहिया, गुड़ की जलेबी, हरदम रस छलकता रहता, डेढ़ दो साल पहले ही गौने उतरी थी, जोबन कसमसाता रहता, चोली के भीतर जैसे अंगारे दहकते रहते, जैसी टाइट लो कट चोली पहनती सुगना भौजी, सीना उभार के चलतीं, जवान बूढ़ सब का फनफना जाता था, ...
बेला के गोरे गोरे दूध ऐसे चूतड़ सहलाते हुए सुगना भौजी ने चिढ़ाया अपनी कच्ची कोरी ननद को,...
" अइसन मस्त चूतड़, गाँड़ मारने वाले की तो चांदी हो जायेगी,... "
और अपनी जीभ की टिप, बेला की बिल की दोनों फांको में डाल के सुगना ने ऐसे आगे पीछे किया की बेला की बुर एक तार की चासनी फेंकने लगी,
" नाक मत कटाना ननदिया, स्साले चुन्नू की इसी में दबोच के निचोड़ लेना,... "
कविता भाभी कस के नन्द की चूँची चूसते हुए, बेला को चढ़ाया,... " चुन्नू तोहरे ऊपर चढ़ेगा और पीछे से हम उसकी गाँड़ मार लेंगे, जरा भी हमरे ननद को ज्यादा परेशान किया,... "
बेला मस्ती से चूतड़ उचकाते बोली, ... एकदम भौजी, भौजी कस कस के चूसो, लेकिन सुगना और कविता भाभी की जोड़ी, बेला को गर्माती सुलगाती, लेकिन झड़ने नहीं देती, दो बार चार बार बेला को एकदम झड़ने के पास ले जाके दोनों ने रोक दिया, सुगना ने चिढ़ाया
" अरे अभी तोहरे भाई आ रहे हैं न झाड़ देंगे तुझको इतना दिन से राखी बांध रही हो काहें के लिए, "
चुन्नू , उसका एकलौता कजिन, सगे से बढ़कर और उस चुन्नू की नथ भी मैंने कल ही उतारी थी, आज उस की जिम्मेदारी नीलू को सौप दी थी,
नीलू ने पहले तो उसे खूब चिढ़ाया, फिर चूस के खड़ा किया फिर उसके ऊपर चढ़ के और थोड़ी देर में चुन्नू ऊपर चढ़ा था,
" सीख गए बुद्धू, अब धक्के लगा लेकिन जल्दी जल्दी नहीं आराम आराम से " नीलू उसे सिखा रही थी।
नीलू कितने भौजाईयों से ज्यादा मूसल घोंट चुकी थी, और सारे दांव पेंच, गुन ढंग उसे मालूम थे, चुन्नू को सिखाना उसके बाएं हाथ का खेल
" अरे बुद्धू दोनों गेंद काहें के लिए हैं तेरे खेलने के लिए ही न, " कह के नीलू ने चुन्नू के दोनों हाथ पकड़ के अपने जोबन पर रख लिए, और चुन्नू भी समझ गया, चुदाई पूरी देह से की जाती है खाली बुर में लंड डाल के आगे पीछे करना नहीं,... कभी वो नीलू के उभार चूसता, कभी मसलता,...
मैं जानती थी इस गाँव का कच्ची उमर का लौंडा, ठीक से रेख भी नहीं आयी हो, लेकिन उसे चोदना सिखाना नहीं पड़ता, और औजार भी उसका भी बाकी जगह के तगड़े मरदो से भी कम नहीं होता,... नीलू नीचे से गरिया रही थी उसे चढ़ा रही थी,
" स्साले अरे अगर दूसरे तीसरे धक्के में बेला की झिल्ली नहीं फटी तेरे इस लौंड़े में उसका खून नहीं लगा तो सोच मैं तेरी गाँड़ मार लूंगी और वो भी तुझे राखी बांधना बंद कर देगी "
जब तक मैं रेनू और कमल के पास से लौटी उसी के थोड़ा पहले चुन्नू एक बार झड़ चूका था लेकिन नीलू के होंठ और उँगलियाँ, दुबारा तन्ना गया था।
नीलू की जीभ और होंठ, सिर्फ जीभ की टिप से चुन्नू के सुपाडे को बड़ी देर तक चाटती रही,
फिर होंठों के जोर से सपड़ सिर्फ सुपाड़े को चूसती, साथ में चुन्नू की बॉल्स को सहलाती, कभी बदमाशी में मेरे देवर के पिछवाड़े के छेद को भी सहला देती और देवर का एकदम तन्ना जाता,
कुछ नीलू की जीभ का असर कुछ दूबे भाभी के असली शिलाजीत वाले लड्डू का असर, मेरा हाईस्कूल वाला देवर जिसकी कल ही मैंने नथ उतारी थी वो भी जबरदस्ती, ऑलमोस्ट रेप कर के, वो पूरा सांड़ हो रहा था बेताब बहन चोदने के लिए
इधर बेला भी गीली थी, मुझसे नहीं रहा गया, मेरे होंठ बेला के निचले होंठों के साथ और दो तीन मिनट में ही तो तड़पने लगी, भाभी झाड़ दो न , प्लीज भाभी बहुत मन कर रहा है '
" अरे तेरे भाई है न इत्ते दिन से राखी बाँध रही है आज राखी की फ़ीस वसूल कर,... " मैंने चिढ़ाया,..
और थोड़ी देर में बेला की टाँगे उठी हुयी थीं, चुन्नू के कन्धों पर और चुन्नू उसके अदंर, और एक भौजाई चिढ़ा रही थी,
" हे देवर जी जल्दी से अपनी बहिनिया की झिल्ली फाड़ो वरना हम सब तेरी गाँड़ यहीं मार लेंगीं। "
कबड्डी की तरह यहाँ भी भाभियाँ....फट गयी कच्ची कोरी बहिनिया की
चुन्नू ने फाड़ी बेला की
कुछ नीलू की जीभ का असर कुछ दूबे भाभी के असली शिलाजीत वाले लड्डू का असर, मेरा हाईस्कूल वाला देवर जिसकी कल ही मैंने नथ उतारी थी वो भी जबरदस्ती, ऑलमोस्ट रेप कर के, वो पूरा सांड़ हो रहा था बेताब बहन चोदने के लिए
इधर बेला भी गीली थी, मुझसे नहीं रहा गया, मेरे होंठ बेला के निचले होंठों के साथ और दो तीन मिनट में ही तो तड़पने लगी, भाभी झाड़ दो न , प्लीज भाभी बहुत मन कर रहा है '
" अरे तेरे भाई है न इत्ते दिन से राखी बाँध रही है आज राखी की फ़ीस वसूल कर,... " मैंने चिढ़ाया,..
और थोड़ी देर में बेला की टाँगे उठी हुयी थीं, चुन्नू के कन्धों पर और चुन्नू उसके अदंर,
और सुगना भौजाई चिढ़ा रही थी,
" हे देवर जी जल्दी से अपनी बहिनिया की झिल्ली फाड़ो वरना हम सब तेरी गाँड़ यहीं मार लेंगीं। "
परेशानी उस स्साले मेरे देवर में बस यही थी जो ऐसे सीधे साधे भोले लड़कों में होती है, ...." कहीं लड़की को दर्द न हो, "
मैंने बेला को देख के हलके से आँख मारी, दर्द से बिचारी की हालत खराब थी लेकिन थी वो समझदार, समझ गयी मेरी बात की अब बात आगे बढ़ाने के लिए उसे भी कुछ करना पडेगा। आग तो उसकी कच्ची चूत में भी कस के लगी थी, पहले तो होलिका माई के भभूत का असर, दूसरे भांग वाली ठंडाई और उसमें रमजनिया की जड़ी बूटी, फिर दो दो भाभियों ने मिल के जो उसे गरम किया था चार बार झाड़ने के कगार पर ले जा कर छोड़ दिया
और सबसे बढ़ कर वो देख रही थी जो लड़कियां उमर में उससे बारी, जिनका महीने वाला खून खच्चर उसके बहुत बाद शुरू हुआ था, वो भी रो गा कर घोंट चुकी थीं, और अब सेकेण्ड राउंड की तैयारी कर रही थीं,...
और उसे भी मालूम था की चुन्नू का मन तो तो करता है चुपके चुपके उसकी कच्ची अमिया देख के ललचाता था पर जब वो कुछ बोलती तो बात बदल देता,...
बेला मुस्करायी, हलके से उसने खुद अपना चूतड़ उचकाया और आने वाले धक्के का इन्तजार करते हुए बगीचे के जमीन की घास कस के दोनों हाथों से पकड़ लिया,...
मैंने अपने देवर चुन्नू के पिछवाड़े की दरार पर अपनी दो उँगलियाँ रख के सहलाते हुए साफ़ साफ उसे बोल दिया,
" हे देवर जी. मेरा नाम न डुबाओ। हमार देवर हो हमार कसम, अगले धक्के में फाड़ दो बेलवा की, मारो पूरे ताकत से धक्का, वरना तोहार गाँड़ मार लेंगे। "
कुछ मेरी बात का असर, कुछ बेला की मुस्कान और नीचे से चूतड़ उचकाने का, और कुछ थोड़ी देर पहले नीलू ने जो उसे चुदाई का पाठ पढ़ाया था,... चुन्नू ने थोड़ा बाहर निकाला, अपनी आंख बंद की और मार दिया धक्का,...
बेला ने आँखे बंद कर ली, होंठ भींच लिए वो बूँद बूँद कर दर्द पी रही थी,
एक धक्का और, ... मैं उकसा रही थी, ...
पेल कस के जोर से पेल स्साले, ... बाकी भौजाइयां भी चिल्ला रही थीं,...सबसे तेज सुगना भौजी
बेला एकदम दुहरी, टाँगे उसकी अपने भाई के कंधे पर, जिन हाथों में वो हर साल राखी बांधती थी वो पूरी ताकत से उसकी कमर को पकड़े धक्के पर धक्का , बिना रुके,...
और घास उखड़ कर बेला के हाथ में आ गयी, दर्द से माथे पर पसीना चुहचुड़ा आया, दो चार बूंदे खून की टपक कर धीरे धीरे बाहर,...
बेला अब हम सबकी बिरादरी में आगयी थी और चुन्नू भी असल मरद बन गया था एक कच्ची कली की झिल्ली उसने फाड् दी थी,...
बेला के मुंह से हलकी सी चीख निकल पड़ी और चुन्नू रुक गया, लेकिन बेला उसे देख कर मुस्करा पड़ी,... इसी दर्द का तो हर लड़की को इन्तजार रहता है
कुछ मैंने कुछ नीलू ने उसे खेल तमाशा तो सीखा दी दिया और कुछ सिखाने की जरूरत नहीं पड़ती, बहन के जिन कच्चे टिकोरों को देखकर उसका तन्नाता था आज उसके सामने थे एकदम खुले, थाली में रखे लड्डू, बस उस नदीदे ने अपने दोनों हाथ लगा दिए, ... फिर एक हाथ से अपनी बहन की कलाई पकड़ी एक कच्ची अमिया का भोग चुन्नू के होंठ लगा रहे थे दूसरे पर चुन्नू का हाथ,...
मस्ती से बेला ने आँखे बंद कर ली,... और चुन्नू ने झुक के बहन को चूम लिया,... रिश्तों में बदलाव पूरा हो गया था,...
लेकिन घुसा अभी भी आधा ही था,...
मैंने चुन्नू की पीठ सहलाते हुए उसे उकसाया, ... अबे बाकी का किसके लिए बचा रखा है, तेरी तो और कोई बहन भी नहीं है, पेल पूरा कस के बहनचोद,...
बस इतना कहना था की चुन्नू ने एक बार फिर से बेला की टाँगे अपने कंधे पर सेट की एक हाथ से उसका छोटा छोटा जोबन पकड़ा और दूसरे से कमर फिर पूरी ताकत से पेल दिया, थोड़ी देर में ही पेल गाड़ी चालू हो गयी थी, भाई बहन की,...
बेला के चूतड़ के नीचे जो मिट्टी के ढेले थे,... एकदम चूर चूर होकर धूल बन गए,...बीस चालीस धक्कों के बाद
और बेला की आँखे बंद हो गयीं, उसकी देह काँप रही थी, खूंटा उसके भाई का पूरा घुसा था, ... मैंने चुन्नू के पीठ पर हाथ रख कर इशारा किया थोड़ा रुक जाए , पहली बार बेला झड़ रही थी अपने भाई का लंड घोंट के उसे इन पलों का मजा लेने दे,
कुछ देर में बेला की जब साँसे लौंटी तो उसने चुन्नू को एक पल के लिए देखा, फिर जैसे शर्मा के आँखे बंद कर ली,... लाज से चेहरा उसका लाल हो रहा था,... चुन्नू ने झुक के उसे चूम लिया,... पहले दो चार चुम्मी झुक के गालों पे फिर होंठों को, चुम्मी धीरे धीरे चूसने में बदल गयी और अब बेला भी हलके हलके जवाब दे रही थी, होंठ सरक कर उन कच्चे टिकोरों पर पहुँच गए जिसे कुतरने के लिए वो बेताब थे, कचकचा के चुन्नू ने राखी का बदला बहन की चूँची काट के दिया,...
बेला चीख पड़ी, और चीख सिसकियों में बदल गयी,... मस्ती भरी और चुन्नू के धक्के फिर चालू हो गए, पहले से भी तेज,...
और अबकी जो बेला झड़ी तो साथ में चुन्नू भी और बिना घबड़ाये सब की सब मलाई बहन की बिल में, दोनों एक दूसरे से चिपके पड़े रहे,
एकदम खुले में चारों ओर भौजाइयां, गाँव की और लड़कियां भी,... हाँ जब दोनों अलग हुए तो एक बार फिर से बेला चुन्नू को देख कर जोर से शर्मायी और फिर उसके सीने में दुबक गयी, और भौजाइयों ने चिढ़ाना शुरू कर दिया,
" क्यों मजा आया भैया से चुदवा के, अब तो तुंहु आ गयी हो हम लोगन क बिरादरी में "
बेला की हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी..मस्ती भाई बहिनियों की
बेला -चुन्नू
बेला चीख पड़ी, और चीख सिसकियों में बदल गयी,... मस्ती भरी और चुन्नू के धक्के फिर चालू हो गए, पहले से भी तेज,... और अबकी जो बेला झड़ी तो साथ में चुन्नू भी और बिना घबड़ाये सब की सब मलाई बहन की बिल में,
दोनों एक दूसरे से चिपके पड़े रहे, एकदम खुले में चारों ओर भौजाइयां, गाँव की और लड़कियां भी,...
हाँ जब दोनों अलग हुए तो एक बार फिर से बेला चुन्नू को देख कर जोर से शर्मायी और फिर उसके सीने में दुबक गयी, और भौजाइयों ने चिढ़ाना शुरू कर दिया,
" क्यों मजा आया भैया से चुदवा के, अब तो तुंहु आ गयी हो हम लोगन क बिरादरी में "
लेकिन मैं अपनी ननद की ओर से आगयी, अपनी जेठानियों के सामने,
" अरे काहें पीछे पड़ी हो, बेचारी के मजा आया तभी तो चूतड उठा उठा के घोंट रही थी,.... और एक बार में थोड़े अभी तो देखना निहुर के, कुतिया बन के,... और जब इस का भाई ही बहनचोद है तो इस बेचारी की क्या गलती,... और खाली अपने भाई से थोड़े ही, देखना अगले हफ्ते यही दिन, हम लोगों के भाई लोगन से भी ऐसे ही टांग उठा के,... चूतड़ उछाल उछाल के,... "
चुन्नू ने तबतक फुसफुसा के अपनी बहन से पूछा ,
" हे बहुत दर्द तो नहीं हुआ, "
चुन्नू का चेहरा एक बार फिर थोड़ा घबड़ाया लग रहा था लेकिन लड़कियां न, उन्हें तो दर्द घोंटना घुट्टी में पिलाया जाता है, उसे चिढ़ाते हुए बोली,
" उस समय नहीं सोचना था, ... अब तो जो होना था सो हो गया,... "
बेला के चेहरे की ख़ुशी देख के चुन्नू भी मुतमइन हो गया. और वो भी अब छेड़ने के मूड में आ गया,
" तो एक बार और हो जाए,... "
बेला भी छेड़ने के मूड में थीं, चैलेन्ज करते बोली,...
" इत्ती हिम्मत कर के तो एक बार किये हो, वो तो नयकी भौजी न होतीं तो आज भी, घबड़ाते रहते,... और ये भी तो अभी सो रहा है, "
और बिना झिझक हम सबके सामने बेला ने चुन्नु का थोड़ा सोया थोड़ा जागा खूंटा पकड़ लिया,
" अरे उसके जगाने का मंतर तो तोहरे पास है ननद रानी हमरे देवर को चुनौती मत दो "सुगना भौजी बोलीं।
लेकिन मैं अपनी ननद की ओर से आ गयी, और चुन्नू से बोली,
" हे देवर जी, दुबारा मिठाई चाहिए तो जो कीचड़ किये हो न हमारी ननद की कुंइया में जो कीचड़ डाले हो न उसको साफ़ करो '
चूत चटोरा तो इस गाँव का हर लौंडा, मरद पैदायशी होता है, बस इशारे की देर है और मेरा देवर अपनी बहन की जाँघों के बीच चुसूर चुसूर
असली खेल दूसरा था, दोनों बेलवा की रगड़ाई के लिए जरूरी था, पहली बात अंदर रबड़ी मलाई भरी रहती तो अगली बार कैसे दरेरते रगड़ते फाड़ते घुसता
कैसे मेरी ननद रानी को दर्द का असली अहसास होता, पहली बार तो चुन्नू सम्हल सम्हल के डाल रहा था अबकी तो हचक के पेलेगा,...
दूसरी बात इस चुसम चुसाई से बेलवा भी गरमा जाती और असली बात तो ये की किसी गौने की रात वाली दुल्हन से अगले दिन पूछो तो साफ़ साफ़ यही बताएगी , असली मजा तो दूसरी बार ही आया। पहली बात तो शरमा शरमी घबड़ाने में ही चला गया,...
और थोड़ी देर में ही दोनों भाई बहन 69 की मुद्रा में बेला ऊपर चढ़ के अपने भाई का लंड चूस रही थी और चुन्नू नीचे से चूत की चटाई
कुछ उमर का असर, कुछ इस गाँव के कुंए के पानी का और कुछ दूबे भाभी के असली शिलाजीत के लड्डू का, आठ दस मिनट में चुन्नू का फिर मोटा कड़ा लोहे का रॉड हो गया मजमे वाले जो बोलते हैं न खम्भे से मारो बोलेगा टनाटन, लड़का लोग समझेगा स्कूल की छुट्टी हो गयी,... बस्ता लेकर बाहर
और अब गाँव की भौजाई लोगों ने सुगना भौजी, गुलबिया, हमरे नाउन क बहुरिया,... दोनों ने पकड़ के आम का चौड़ा पेड़ पकड़ा के बेलवा को निहुरा दिया,
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उठाव चूतड़ कस के टांग फैला दो,... सुगना भाभी अपनी ननद से बोलीं,
और सुगना ने गच्चाक से एक ऊँगली में साड़ी का आंचल लपेटा और बेला की अभी अभी चुदी चूत में हचाक से पेल दिया और गोल गोल घुमा के बची खुची मलाई भी पोंछ दी,... अब एकदम सूखी,...
जैसे सांड के चढ़ने के लिए बछिया इन्तजार करती है वही हालत बेला की हो रही थी,...
और सांड़ की तरह ही उसका भाई चढ़ गया, सांड़ जैसे अगले दोनो पैरों से बछिया को दबोच लेता है उसी तरह चुन्नू ने ने दबोच लिया और एक झटके में हचक के पेल दिया अपना तन्नाया लंड अपनी बहन की कसी चूत में,...
थोड़ी देर में ही चुदाई कस के चालू हो गयी थी,भाई अपनी अबतक कच्ची कोरी उमरिया की बारी बहिनिया को चोद रहा था, हचक के, जैसे आज इस आम की भइया में भौजाइयों के सामने सब भाई अपनी अपनी बहनों को पेलेंगे
और में एक बार फिर रेनू और कमल की ओर चली आयी।मुड़ कर मैंने देखा, और मुश्किल से हंसी रोकी मैंने,
गुलबिया के साथ भरौटी की भी दो तीन भौजाइयां गयीं थी और जम कर चुन्नू को लुहकार रही थीं, चिढ़ा रही थीं, चुन्नू को गरिया रही थीं,...
और वो भी मजे लेता हुआ आम के बाग़ में कस कस के सब भौजाइयों के सामने अपनी बहन को पूरी ताकत से पेल रहा था,
बेला कभी चीखती कभी सिसकती, कभी मजे ले ले के चूतड़ पीछे कर धक्के का जवाब धक्के से देती,...
सही है, मैंने सोचा,.. कल सुबह जबरदस्ती इस चुन्नू की मैंने होली खेलने के साथ नथ उतारी,... और आज एकदम पक्का चुदक्कड़,
थोड़ी देर में मैं बाग़ के उस कोने में थी जहाँ घंटे भर पहले मैं रेनू और कमल, को छोड़ के गयी थी।
कोमल के सजन भी आएंगे ..कोमल मैं यह पोस्ट पढ़ने के बाद उतना मजा नहीं आया इस कहानी का कोमल का जो सजना का किरदार निभा रहा है जब आता है कहानी का इंटरेस्ट बढ़ जाता है बहुत मजा आता है पढ़ने में जब उसे किरदार की परी आती है बस मन करता है पड़ता ही जाऊं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
फायर ब्रिगेड के हौज पाइप वालों का इंतजाम तो कोमल और अन्य भौजाइयों ने तो पहले हीं कर दिया है....Koi Fire brigade ko bulao. Komal ji yahan aag lagane wali h