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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

Sister_Lover

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" अरे बुद्धू दोनों गेंद काहें के लिए हैं तेरे खेलने के लिए ही न, " कह के नीलू ने चुन्नू के दोनों हाथ पकड़ के अपने जोबन पर रख लिए, और चुन्नू भी समझ गया, चुदाई पूरी देह से की जाती है खाली बुर में लंड डाल के आगे पीछे करना नहीं,... कभी वो नीलू के उभार चूसता, कभी मसलता,...




सच चुदाई पूरी देह की जाती है.... ये नहीं कि लहंगा उठाया, चड्ढी सरकाई और चढ़ गये सांड की तरह..... आजकल लौंडो को बड़ी जल्दी रहती है.... एक नया शब्द अंग्रेजी का निकाला है, "चल बहना टाइम कम है तो एक quicky कर लेते हैं"
का मजा ई quicky में जब भाई और बहन, दो नंगे बदन आपस में रगड़कर कामुकता की चिंगारी ना भड़कायें..... 5-10 मिनट चढ़कर हिलने को चुदाई नहीं कहते
 

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मज़ा बहिनिया के पिछवाड़े का

चढ़ाई गोलकुंडा की
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" तेरी बहन की गाँड़ भी बड़ी मस्त है, एकदम कोरी, मारोगे,... " मैंने कमल के कान में जीभ से सुरसुरी करते पूछा।

" अरे भौजी ससुरी मारने नहीं देगी, मन तो बहुत कर रहा है, कब से कर रहा है,... बुरिया पेलने में ही इतना चोकर रही है " कमल में उसी तरह से हलके हलके अपनी परेशानी बताई।


" तो ये भौजी काहें है ? " मैंने उसे प्यार से हड़काया।



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और अपनी एक ऊँगली मुंह में डाल के थूक से अच्छी तरह गीली कर ली,... और रेनू की कसी सटी एकदम चिपकी गाँड़ की दरार पर जोर से दबा के रगड़ने लगी. थोड़ी ही देर में रेनू की गाँड़ का छेद दुबदुबाने लगा, मैं समझ गयी रोये गाये ये चाहे जितनी जबरदस्ती चाहे जितनी करनी पड़े, लेकिन घोंटेंगी तो ये है ही। और मैंने कलाई की पूरी ताकत लगा के अपनी तर्जनी रेनू की गाँड़ में पेल दी. एक पोर भी ठीक से नहीं घुसा होगा की बहुत जोर से चोकरी वो, पर मुझे कौन फरक पड़ने वाला था.
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ननदें तो जितना चोकरे उतना भौजाई को अच्छा लगता है, जब भौजाई की गौने की रात फटती है तब तो ननदें अगली सुबह खूब चिढ़ाती हैं तो भौजाई ये मौका क्यों छोड़ दें,

मैंने दुबारा जोर लगाया, ... गाँड़ में सिर्फ घुसाने की देर है आगे तो अंदर की चिकनाई काम दे देती है,... और सरक कर करीब करीब पूरी ऊँगली अंदर थी, बस मैंने गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया, कभी घुमाती तो कभी आगे पीछे तो कभी गाँड़ की अंदर की दीवारों पर करोचती, थोड़ी देर में ही ऊँगली सटासट जा रही थी, और कमल पूरी ताकत से चोद रहा था, लंड के धक्को के आगे रेनू की हालत खराब थी, कभी दर्द से कभी मजे से,

" बोलो मारोगे गाँड़ इसकी, बस दो बातें माननी होंगी मेरी, " एक बार फिर अपने उभार उसके पीठ पर दबाती मैंने कमल को उकसाया,...

मारे जोश के कमल ने ऑलमोस्ट पूरा लंड निकाल के धक्का मारा और सुपाड़ा सीधे उसकी बहन रेनू की बच्चेदानी में टकराया,...
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और रेनू जोर जोर से झड़ने लगी,... मैं बस इसी मौके का इन्तजार कर रही थी,... तेजी से मैंने अपनी ननद की गाँड़ में घुसी ऊँगली बाहर निकली और उस तर्जनी पर अपनी मंझली ऊँगली चिपका के दुबारा पूरी ताकत से पेल दिया। गाँड़ की अंदर की चिकनाई अब एकदम फैली थी ऊँगली के जोर से दूसरे ननद मेरी बार बार झड़ रही थी, देश दुनिया से बेखबर, और एक बार एक पोर दोनों ऊँगली का घुस गया, फिर तो गोल गोल घुमाते अंदर तक,

उसका भाई कमल भी थोड़ा समझदार हो गया था, अब वो समझ गया था की लौंडिया जब झड़ रही हो खूंटा अंदर तक धंसा हो, बच्चेदानी तक तो थोड़ी देर रुक जाना चाहिए। कन्या को मजे के वो पल इंज्वाय करने देना चाहिए। और मुझे भी मौका मिल गया, अब दोनों उँगलियाँ भौजाई की ननद की गाँड़ में गोल गोल घूम रही थीं, तेजी से अंदर की दीवारों को रगड़ रही थीं, करोच रही थीं.

ननद मेरी रेनू आज पहली बार चुद रही थी, अपने भैया के मोटे लंड का मज़ा ले रही थी, खुले बाग़ में निहुरि हुयी झड़ रही थी, चूत उसकी जोर से सिकुड़ रही थी, फ़ैल रही थी, उसे नहीं अंदाज था की पिछवाड़े सेंध लग गयी थी. लेकिन मैंने जब दोनों उँगलियों को कैंची की फाल की तरह फैलाना शुरू कर दिया, एकदम कसी टाइट गाँड़ को फैलाना शुरू कर दिया तो दर्द तो हुआ उसे लेकिन वो झड़ने का मज़ा लेने में मगन थी. फैली हुयी उँगलियों से एक बार फिर मैंने करोचना शुरू किया और जबतक वो कुछ समझे, दूसरे हाथ से रेनू के गाल को दबा दिया, चिड़िया की तरह उसने मुंह खोल दिया, और गांड से निकली मेरी दोनों उँगलियाँ सीधे उसके मुंह में,

जबतक उसको स्वाद पता चले मैंने हलक तक ऊँगली पेल दी थी, वो लाख कोशिश करे, ... और चिढ़ा ऊपर से रही,


' अरे काहें उचक रही हो तोहरे पिछवाड़े का ही तो है, तोहरी देह के अंदर का ही, और ये तो चटनी चटा रही हूँ, अभी थोड़ी देर में तेरा भाई पिछवाड़े से निकाल के मुंह में डालेगा न,... "
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मेरी हरकतों और बातों से कमल बस पागल हो गया, अपनी बहन की कमर पकड़ के हचक हचक के चोदने लगा, रेनू दूसरी बार अपने भाई से आज चुद रही थी अब उसे भी लंड का मजा आने लगा था. लेकिन इरादा मेरा कुछ और था,

मैंने कस के रेनुवा की गांड फैलाई और कमल का खूंटा उसकी बहन की चूत से निकाल के पिछवाड़े सटाते हुए हलके से खुली दरार पर सटा के उसे चढ़ाया,


" अरे उस छेद का मजा बहुत ले लिए हो अब इसका मजा लो, नाक मत कटाना मेरी, पेल कस के पूरी ताकत लगा के,



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सुपाड़ा बस हलका सा फंसा था लेकिन मैंने भी कमल के साथ कुतिया बनी, निहुरी अपनी ननद को कस के दबोच लिया, सूत भर भी हिल नहीं सकती थी.

कमल की कमर में बहुत ताकत थी, फिर शहर हो गाँव हो ज्यादातर तो लौंडे किसी लौंडे के साथ ही, पिछवाड़े से शुरुआत करते हैं, स्कूल में,... कमल तो वैसे ही नम्बरी चोदू

लेकिन रेनू के पिछवाड़े भी अभी जो मैंने ऊँगली घुसेड़ी थी उसके पहले ऊँगली भी नहीं गयी थी, मुकाबला जबरदस्त था। मैं अपने देवर की हेल्प के लिए आ गयी, बिना उसके रेनू के पिछवाड़े का उद्घाटन मुश्किल थी और मैंने कमल की माँ को प्रॉमिस किया था,...


आगे जाकर मैंने रेनू के कान में कहा,

"स्साली गाँड़ तो तेरी फटेगी ही इतने दिन से किसके लिए बचा रखा है एक ही तो भाई है,... छिनार ढीली कर, नहीं तो मार मार के,... "

और साथ में मैंने अपने नाखूनों से उसके दोनों निप्स को कस के नोंच लिया, रेनू दर्द से चीख उठी. पल भर के लिए पिछवाड़े के दर्द को भूल गयी, बस मौका देख के उसके भाई ने चौक्का मार दिया , पूरी ताकत से उसने पेला पूरा का पूरा पहाड़ी आलू ऐसा मोटा सुपाड़ा गाँड़ के अंदर।

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अब तो रेनू ऐसे चीख रही थी तड़प रही चूतड़ पटक रही थी की पूरे बाग़ में उसी की आवाज सुनाई पड़ रही थी,..
ओह्ह्ह उह्ह्ह जान गयी नहीं अरे भैया निकाल लो,
दर्द भरी उसकी चीखें कान नहीं धरा जा रहा था, पर अगर लड़के इन चीखों पर ध्यान दें न तो न तो किसी चिकने की गाँड़ मारी जाए न किसी लौंडिया की।
Bechari renu, dono side ka udghatan ek hi din ho gya
 

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पिछवाड़ा रेनू का खूंटा कमल का

मस्ती भैया बहिनिया की
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अब तो रेनू ऐसे चीख रही थी तड़प रही चूतड़ पटक रही थी की पूरे बाग़ में उसी की आवाज सुनाई पड़ रही थी,..

ओह्ह्ह उह्ह्ह जान गयी नहीं अरे भैया निकाल लो,

दर्द भरी उसकी चीखें कान नहीं धरा जा रहा था, पर अगर लड़के इन चीखों पर ध्यान दें न तो न तो किसी चिकने की गाँड़ मारी जाए न किसी लौंडिया की।

हाँ मैंने कमल को इशारा किया एक मिनट रुक,... थोड़ी देर में रेनू के पिछवाड़े को उस मोटे सुपाड़े की आदत पड़नी शुरू हो गयी, भाले की तरह चुभने वाला दर्द एक टीस में बदलना शुरू हो गया,... और धीरे धीरे उसके भाई ने अपनी बहन के पिछवाड़े मूसल ठेलना शुरू किया,
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वो अभी भी चीख रही थी

भौजी बहुत दरद हो रहा है, भैया बुरिया ले लो अब कभी सपने में भी बुर को मना नहीं करुँगी लेकिन पिछवाड़े से निकाल ले।

मैं एक बार फिर कमल के पीछे खड़ी मुस्करा रही थी,

ननद रानी असली दर्द तो अभी बाकी है जब मूसल गांड का छल्ला पार करेगा,... तब पता चलेगा,... लेकिन वहां तक पहुँचते ही रेनू ने एक बार फिर गाँड़ का छल्ला भींच ले, जैसे कोई घर में बुला के बैडरूम का दरवाजा बंद कर ले, घुसने न दे, मैं जान रही थी कमल जबरदस्ती करेगा तो अपने आप वो छल्ला और टाइट होगा,... और फट फटा गयी तो, मैंने कमल से एक मिनट रुकने का इशारा किया

फिर एक बार पिछवाड़े को उसके मूसल का अहसास हुआ, गांड आपने आप फैलने लगी,... लेकिन बात तो उस छल्ले की थी जिसे वो कस के दबोचे थी, जैसे कोई लड़की, पर्स स्नैचर से बचने के लिए कस के अपने पर्स को दोनों हाथों से पकड़ ले पूरी ताकत से,...

और मैंने रेनू की खुली फैली जांघों के बीच हाथ डालकर उसकी गीली मस्ती से भीगी बुर को सहलाना रगड़ना शुरू किया। मस्ती से मेरी ननद की आँखे बंद होने लगीं, दर्द की जगह वो सिसकने लगी, .... अंगूठे और तर्जनी से मैं उसकी फूली हुयी क्लिट को रगड़ रही थी, उसे झड़ने के करीब ले जा रही थी,... और अचानक नाख़ून से कस के उसकी मस्तायी क्लिट को नोच लिया पूरी ताकत से और उसमें अपने नाख़ून धंसाए रही,
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वो दर्द से चीखने लगी, पागल हो गयी और पिछवाड़े का खतरा भूल गयी,

बस पल भर के लिए उसने छल्ला ढीला किया होगा और कमल ने पूरी ताकत से पेल दिया, पूरा तो नहीं घुसा लेकिन एक बार सुपाड़ा अटक भी गया, जैसे दरवाजे में कोई पैर भी घुसा दे तो उसे बंद करना मुश्किल हो जाता है, फिर क्या पेलने में ठेलने में रेनू के भाई का २२ पुरवे में कोई मुकाबला नहीं था और जिस बहन के लिए वो चार साल से तड़प रहा था आज वो उसके नीचे थी,...दो चार मिनट लगा होगा , लेकिन अब सुपाड़ा रेनू के भाई का रेनू की गाँड़ के छल्ले को पार कर चुका था।


क्लिट का दर्द कम हो चूका था, छल्ला एक बार फिर से भींच रहा था, ... लेकिन सुपाड़ा अब पूरा का पूरा पार कर चुका था, और कमल का सुपाड़ा गजब का मोटा था , लंड भी कम नहीं था रेनू की कलाई इतना तो रहा ही होगा, चूड़ी पहनाओ तो २.६ वाली चूड़ी आएगी लेकिन सुपाड़ा ३. ०० वाला,...

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पर कमल भी कम बदमाश नहीं था, अब उस छल्ले के आरपार उसने सुपाड़ा हलके हलके अंदर बाहर करना शुरू किया जैसे ही वहां से रगड़ के निकलता रेनू दर्द से चीख उठती, पर दस बारह बार के बाद छल्ले को भी आदत पड़ गयी और कमल में पूरी ताकत से लेकिन धीरे धीरे रुक कर के अपना बांस अपनी बहन की गाँड़ में


रेनू अभी भी रो रही थी, चीख रही,


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जिस तरह दरेरते रगड़ते घिसटते मोटा बांस घुस रहा था कोई भी लड़की चिल्लाती,... पर थोड़ी देर में पूरा बांस अंदर था, कमल एक बार अपनी बहन की चूत में झड़ चुका था तो दुबारा झड़ने में टाइम लगना ही था,...



अब मार कस कस के,... मैंने पीछे से चढ़ाया अपने देवर को और कमल ने कभी धीरे तो कभी हचक के अपनी बहन की गाँड़ मारनी शुरू कर दी,...

" हफ्ते में दो दिन कम से कम सिर्फ इसकी गाँड़ मारना, चार पांच बार से कम क्या मारोगे, और रोज बिना नागा एक दो बार , और सुबह के टाइम तो जरूर,... देखना तेरी भौजाई की गारंटी, अगर दस दिन में ये खुद अपनी गाँड़ चियार के तोहरे लंड के ऊपर न बैठे और खुदे धक्का मार मार के घोंट के न ले तो कहना,... लेकिन मेरा नेग, मेरी दोनों शर्तें याद रखना, "
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मैंने कान में उसके बोला लेकिन रेनू भी सुन रही रही थी। चीखे उसकी कम हो गयी थी पर बिसूर अभी भी रही थी, ...

मेरी बात सुन के मेरा देवर जोश में आ गया और फिर आलमोस्ट पूरा निकाल के ऐसा धक्का मारा,... की पूरा बांस अंदर,...



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और मुझसे बोला,

" अरे भौजी ये ससुरी इतना छिनरपन कर रही थी, ... मैं तो जिनगी भर नहीं भूलूंगा,.. और दो बात का जो कहिये वो जब कहिये तब "

पूरे आधे घंटे गाँड़ मारने के बाद ही कमल अपनी बहन रेनू की गाँड़ में झड़ा। रेनू दो बार झड़ चुकी थी और मैंने फिर अपने हाथ से कमल का खूंटा निकाल के रेनू के मुंह में



" बिना चाटे गाँड़ मरौवल पूरा नहीं होता, और चाट के साफ़ सूफ ही नहीं करना है खड़ा भी करना है लेकिन घबड़ा मत अभी तेरा नंबर नहीं लगेगा तू आराम कर थोड़ी देर "

मैं बोली
Bahut achhe se piche kaa baja bajaya hai kamal ne. No doubt bahut hot update hai, but direct speech ki kami rahi bhai behan me. Kuchh baaten to honi chahiye thi dono ke bich or jo laliya ke raaj bhi btane chahiye rhe. Pls bura mt manna komal ji. Or ek advice yeh bhi ki thoda bahut nkhre bhi dikhane do ldki ko baton se jese " bus karo ab nhi" mood nhi hai "or bhi bahut kuchh
 

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लीना
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एक और मैं दूसरी ओर कमल बीच में रेनू और दूसरी ओर उसका भाई कमल. गाँड़ फटने की चिलख अभी भी बार बार रेनू के पिछवाड़े हो रहा था, लगता था चमड़ी अंदर की कई जगह छील गया था और फिर कमल का मुट्ठी ऐसा मोटा सुपाड़ा उसी छिली हुयी जगह को रगड़ता दरेरता बार बार अंदर बाहर हुआ था, जरा सा भी वो कमर हिलाती थी तो तेज चुभन फिर से शुरू हो जाती थी. लेकिन पिछवाड़े का तो मजा ही दर्द का मजा है। मैंने और कमल ने मिल के हम दोनों के बीच उसे सम्हाल के बैठाया था, एक ओर से मैं पकडे थी दूसरी ओर से कमल ने।

तबतक चारों ओर से नंदों की सिसकियाँ चीखे सुनाई दे रही थीं और भौजाइयों की खिलखिलाती हंसी, खनकती, छलकती। पहले तो जब कमल रेनू पर चढ़ा था तो बाग़ के उस कोने में हम लोग ही थे, पर अब जैसे जैसे ननदों की भीड़ बढ़ी,...


हम लोगों के आस पास भी दो चार ननदें और उनके भाई चढ़े हुए,
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तभी मुझे लीना दिखी,...



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आज मौजूद नंदों में सबसे बारी उमर वाली, कल ही की तो बात है, होलिका माई ने अपने हाथ से जिन जिन लड़कियों की माहवारी पिछली होली के बाद से शुरू हुयी थी उन सबको आशीर्वाद भी दिया था और योनि में ऊँगली लगा के रस लगा के फिर अपनी देह का भभूत, उन्ही में लीना भी थी। और सबसे सुकुवार। लीना का खून खच्चर तो बस होली के महीने दो महीने पहले शुरू हुआ था, चूँचियाँ भी बस छोटी छोटी आनी ही शुरू हुयी थीं,... कल शाम को वो मेरे साथ ही बैठी थी, और जब लौटते हुए बवंडर उठा, तो वो एकदम हदस गयी, मुझसे चिपक गयी थी। मैं भी अपने अँकवार में उसे बाँध के,...

लीना का एक ही सगा भाई था, बिट्टू। उससे पांच छह साल ज्यादा ही बड़ा रहा होगा, बीए में था। कमल का समौरिया होगा या एकाध साल बड़ा। खूब लहीम शहीम। ६ फुटा, देह भी कसरती। और उसे सुगना भौजी ले आयीं थी साथ में। जैसा बाकी देवरों के साथ हो रहा था, सुगना ने बिट्टू के आँखों पर पट्टी बांध रखी थी,... और उसे लिटा के लीना के भाई के खड़े खूंटे को पकड़ के, हलके हलके मुठिया के लीना को चढ़ने का इशारा किया, पर लीना ने मना कर दिया और मीठे मीठे मुस्करा के बोली,


" भौजी, बियाह नहीं हुआ तो का बरात भी नहीं गए,... " और खुद अपनी किशोर मुट्ठी में पकड़ के भाई का लंड , फिर झुक के जीभ निकाल के खुले सुपाड़े को चाट लिया।
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बिट्टू ने लीना की आवाज तो पहचान ही ली। लेकिन एक कच्ची कोरी के मुंह का असर लंड फनफना रहा था, पागल हो रहा था. लेकिन लीना ने एक और शरारत की, झुक के बिट्टू के कान में बोली, ...

" हे भैया बहिनिया क मजा लेना है न तो खुद मेहनत करनी पड़ेगी, ...बोल हाँ की ना। वरना मेरी कच्ची गुल्लक तो आज फूटेगी ही, तुम नहीं तो,... " और ये कह के अपने भाई बिट्टू के आँख की पट्टी खोल दी।

बिट्टू ने सीधे लीना को पकड़ के नीचे लिटा दिया,... और वो उसके ऊपर चढ़ता ही की सुगना भौजी ने टोक दिया।

" मेरी कोरी ननदिया ऐसे नहीं मिलेगी, सुगना भौजी क नेग होता है, पहले नेग कबुलो,... वो भी तीन बार,... और उसके बाद तनी शहद का छत्ता चाटो। "

ननद तो ननद लीना सुगना को चिढ़ाते अपने भाई से बोली, " भैया चलो पहले भौजी क नंबर लगाओ "
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" अरे तो का तू सोच रही है छोडूंगी इसको, अपनी ननद दिलवा रही हूँ। लेकिन पहले ननद क नंबर, लेकिन उसके पहले चलो चाटो चूसो। "

सुगना खिलखिलाते बोली, ...

सुगना ऐसी रसीली भौजाई पूरे गाँव बल्कि पूरे बाइस पुरवा में नहीं थीं। मिलवाया तो था ,

सुगना एकदम रस की जलेबी, वो भी चोटहिया, गुड़ की जलेबी, हरदम रस छलकता रहता, डेढ़ दो साल पहले ही गौने उतरी थी, जोबन कसमसाता रहता, चोली के भीतर जैसे अंगारे दहकते रहते, जैसी टाइट लो कट चोली पहनती सुगना भौजी, सीना उभार के चलतीं, जवान बूढ़ सब का फनफना जाता था, ... गौना उतरने के कुछ दिन बाद ही मरद कमाने चला गया, क़तर, दुबई कहीं, सास थीं नहीं। ननद बियाहिता। घर में खाली सुगना और उसके ससुर।
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अभी बेला और चुन्नू की भी गाँठ उसी ने जुड़वायी थी।

बिट्टू कुछ सोचता, लीला ने खुद अपनी टाँगे फैला दी, और बिट्टू का सर पकड़ के अपने बिल पे.... और भाई को हड़काते हुए बोली

" इतना भी नहीं सीखा की बड़ों की बाते मानते हैं, सुगना भौजी कुछ कह रही हैं। "

सपड़ सपड़, चपड़ चपड़



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रेनू की निगाहें लीना और बिट्टू पर चिपकी थी और वो ध्यान से लीना की बातें सुन रही थी, एक एक हरकतें देख रही थी।

कमल की निगाह तो बस रेनू के चेहरे पर,...ललचाती
Yeh hui naa baat. Leena nhi sharmati renu ki trh or khul ke baat krti hai. Bahut badhiya
 

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बदल गयी रेनू

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रेनू की निगाहें लीना और बिट्टू पर चिपकी थी और वो ध्यान से लीना की बातें सुन रही थी, एक एक हरकतें देख रही थी।

कमल की निगाह तो बस रेनू के चेहरे पर,...ललचाती

लीना के चेहरे से ख़ुशी झलक रही थी, पहली बार उसकी चुनमुनिया पे मरद की जीभ लगी थी वो भी एकलौते सगे बड़े भाई की। वो चूतड़ उठा उठा के चटवा रह थी, चिढ़ा रही थी अपने भाई को उकसा रही थी, और साथ में सुगना भाभी भी अपनी ननद के साथ मिल के



" बहुत रसमलाई खाये होंगे ऐसी रसमलाई न खाये होंगे बाबू, सगी बहिनिया से मीठी कोई रसमलाई नहीं होती। "
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" अरे सुगना भौजी, ये बेचारा कब से ललचा रहा था आपका देवर,... " लीना भी चिढ़ा रही थी और कस कस के अपने भाई के सर को पकड़ के अपनी कच्ची बिना झांटो वाली चूत पे रगड़ रही थी।


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रेनू सोच रही थी एक ये लीना है कल की बच्ची और एक मैं थी।

इस से भी बड़ी, ... नौवें में, कमल भैया ने खाली चुम्मी लेने की कोशिश की थी और मैंने कैसे झिड़क दिया था माँ ने भी समझाया, कलावती तो जिस दिन से मेरी माहवारी शुरू हुयी थी उस दिन से ही लेकिन मैं ही पागल,...

थोड़ी देर में लीना ने खुद ही अपने भाई को हटा दिया और अपनी दोनों टाँगे फैला के, आँखों के इशारे से अपने भाई बिट्टू को, सुगना ने लीना के जितने कपडे उतरे थे सब के सब लीना के छोटे छोटे चूतड़ के नीचे लगा के,... और लीना ने खुद ही अपने भाई के कंधो पर टाँगे उठा के रख दी,...

" आओ न भैया,... "

जिस सेक्सी आवाज में लीना ने बिट्टू से कहा कोई भी मर्द मना नहीं कर सकता था, ये नहीं था लीना को डर नहीं लग रहा था, लेकिन वो अपना डर अपने भैया पर जरा भी जाहिर न होने देना चाहती थी। कोई भी भाई बहन को दर्द नहीं देना चाहता, लेकिन बिना दर्द दिए बहन चुद भी नहीं सकती। और ये बात भाई से ज्यादा बहने जानती हैं। बिट्टू का कमल ऐसा मोटा तो नहीं था लेकिन कम भी नहीं था और इस उम्र वाली के लिए तो ऊँगली में भी जान निकल जाती है और वो भी बिना तेल या वैसलीन के,...

रीनू लीना की एक एक हरकत देख रही थी, कैसे लीना ने बाग़ में लगी घास को कस के पकड़ रखा था, पर जाँघे पूरी तरह खोल रखी थीं, देह को ढीला कर दिया था।

क्या धक्का मारा बिट्टू ने लीना की पतली कमर पकड़ के, गप्प दो धक्के में ही सुपाड़ा अंदर। लीना की चूत फटी जा रही थी, दर्द पूरी देह में था लेकिन वो अपने भाई को देख के मुस्करा रही थी,...

उस के भाई को कुछ तो अंदाज था लीना के दर्द का लेकिन लीना ने चिढ़ाया,... " क्यों भैया, अरे अभी तो पूरा मूसल बाकी है। किस के लिए बचा रखा है ? मैं तो तेरी एकलौती बहन हूँ, कोई चचेरी ममेरी भी नहीं है। "
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और उस के बाद धक्के पर धक्के,...

लीना के चूतड़ के नीचे के खेत के ढेले चूर चूर हो गए, एकदम पतली धूल। जो घास उसने पकड़ रखी थी उखड़ के उसके हाथ में आ गयी थी. जहाँ भाई का खूंटा घुसा था, वहां से रिस रिस कर खून की बूंदे गिर रही थी, मिट्टी का रंग भूरा हो रहा था। लीना के मुंह से चीख निकल गयी,


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और भाई का धक्का रुक गया, औजार अभी भी आधा बाहर था. लेकिन लीना ने तुरंत अपनी टांगों से भाई की कमर को कस के अपनी ओर खींचा, और दर्द के बावजूद हलके से मुस्करा दी.

रेनू की निगाह, लीना की फटी चूत से निकलती खून की बूंदे,... लीना की मुस्कराहट, किस तरह उसने अपने भाई को अपने अंदर खींचा,... अपने भाई के मजे के लिए लिए कुछ भी दर्द सहने को तैयार थी वो

रेनू कमल के सीने पर सर रख के उसी के सहारे बैठी थी, अपनी बड़ी बड़ी आँखे अपने भाई की ओर उठा के देखते हुए उसका चेहरा अचानक उदास हो गया, एकदम झांवा, आँखे जैसे बुझ गयीं,... हलके से बोली,...

" भैया मैं बहुत बुरी हूँ, ... आपको इत्ते दिन, क्या क्या न बोला,... "

कमल प्यार से अपनी बहन के लम्बे बाल सहला रहा था, और रेनू के मुंह से शब्द बस निकलते जा रहे थे जैसे नदी ने बाँध तोड़ दिया हो,...

" पूरे चार साल, ... आप ने, माँ ने सब ने कितना समझाया,... लेकिन मैं एकदम पागल,... न जाने क्या हो गया था मुझको,... बहुत दुःख दिया आपको मैंने,... कैसे ट्रीट किया,... सच में मैं बहुत बुरी हूँ "
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अब मुझे लग गया की मुझे बीच में पड़ना चाहिए, मैंने बात को हलकी करते हुए रेनू को चिढ़ाया,...

" अरे ननद रानी, तू बुर वाली है बुरी नहीं, चार साल का सूद के साथ अब आज से हिसाब चुकता कर दे. मत छोड़ इसे "

" हिम्मत है इनकी अब ये नहीं चढ़ेगा मेरे ऊपर तो मैं चढूँगी इसके ऊपर, नयकी भौजी ऐसी गुरु मिल गयी है ' एकदम से रेनू का मूड बदल गया कस के अपने भाई को चूमते बोली,



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और एक हाथ से खूंटे को पकड़ के दबोच लिया।

" और अगर ये मेरा देवर किसी और माल पे चढ़े तो मुंह फुला के तो न बैठ जायेगी मेरी बिन्नो " मैंने रेनू से बात साफ़ कर ली।

" एकदम नहीं, ... मेरा भाई पक्का सांड़ है,... और का कहते हैं हाथी घूमे गाँव गाँव, जिसका हाथी उसका नांव,... तो लौट के आएगा रात को,... "

" अपनी मेहरिया के पास ही " रेनू की बात हँसते हुए मैंने पूरी की।

" एकदम मरद मेहरिया झूठ, भौजी रोज आप का नंबर ड़काऊंगी। " रेनू ने मेरे मन की बात कह दी।
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" हर रात गौने की रात " मैंने बात आगे बढ़ाई। फिर कमल से वही सवाल पूछ लिया,...

" अगर मेरी ननद किसी और के आगे टांग फैलाये "

लेकिन जवाब अबकी फिर रेनू ने ही दिया,...


" अरे नहीं भौजी , इतना मस्त मूसल छोड़ के मैं काहें जाउंगी किसी और के पास,... मैं तो बस अपने कमल भैया से बार बार, वो जब चाहे जहाँ चाहे जैसे चाहे,... लेकिन भौजी मेरी एक बात आप भी रखिये,... मैंने देखिये आप के सामने तो एक बार,... आप भी अपने देवर से "

" हे स्साली बचपन की छिनार, तेरा मन भरता होगा एक बार में, तेरी भौजी का एक बार में कुछ नहीं होगा ,... सिर्फ एक बार क्यों,... और तुझसे लजाती हूँ क्या "
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तबतक एक बार हम सबका ध्यान लीना और बिट्टू की ओर चला गया दोनों झड़ रहे थे साथ साथ।

कोई मुझे बुला रहा था,

महुआ के पेड़ों के एक झुण्ड के पीछे से गुलबिया और उसकी ननद कजरी, मुझे इशारा कर रहे थे,... मुझे याद आ गया, मैं उठी और साथ में रेनू और कमल भी, दोनों ने कपड़े पहन लिए थे.

मैंने दो शर्ते कमल को बोली थीं रेनू की दिलवाने के लिए, बस पहली शर्त मैंने याद दिलाई

एक कच्ची कली है, बेलवा के साथ पढ़ती है, बहुत नखड़ा करती है स्साली , अपने गाँव की नहीं है, उसकी झिल्ली फाड़नी है वो भी बेरहमी से, जहां जाए दूर से पता चल जाए किसी तगड़े मरद के नीचे से रगड़वा के आ रही है, स्साली बहुत नखड़ा पेलती है, पूरे गाँव की इज्जत का सवाल है, एकदम कच्ची कोरी है।



बिना बोले उसके आंख का अचरज मैं देख रही थी, आज के पहले वो सोच नहीं सकता था, की किसी कुँवारी लड़की के साथ, चुदी चुदाई भी,... चंदा ऐसी जो सदाबर्त चलाती थीं, जिनकी टाँगे फैली ज्यादा रहती थीं,... वो भी उसके नाम से टांग सिकोड़ लेती थी,

एक तो इतना मोटा मूसल दूसरे उसकी बेरहमी भी मशहूर हो गयी थी जो रेनू की सहेली का किया धरा था,... कुछ तो ताने भी मार देतीं,...

अरे तेरे घर में खुद एक कोरा माल पड़ा है, वो तो तेरे से,...

बेचारे कमल का काम कभी महीने दो महीने दो चार बच्चे की माँ,... कोई कामवाली कभी मान जाती, उसका मन रख लेती,...


और आज उसकी बहन के ऊपर न सिर्फ चढ़ने का मौका मिल गया बल्कि पिछवाड़ा भी, स्साली रेनुवा जब चूतड़ कसमसा के टाइट शलवार में चलती थी तो दूर से देखने वालों की पैंट भी टाइट हो जाती थी, वो तो भाई था, हर पल घर में रहता था। लेकिन मरवाने को कौन कहे छूने भी नहीं देती थी. और ऊपर से मैं बोल रही थी, चल तुझे एक कच्ची कली और दिलवाऊं,... वो भी एकदम कमसिन। रेनुवा की फटी नहीं थी लेकिन वो इंटर में पहुँच गयी थी जबकि गाँव में हाईस्कूल का रिजल्ट निकलने के पहले कोई न कोई निवान कर ही देता था.

और मैं जिसके बारे में बात कर रही थी वो एकदम ही सुकुवार,...



हाँ इस पुरवा की नहीं थी,... लेकिन
थी तो बाइस पुरवा की ही.
Is baar aya na maja, jo khul kar renu ne baat ki. Bus isi tarah ki baten sex ke doran bhi hona chahiye
 

komaalrani

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Is baar aya na maja, jo khul kar renu ne baat ki. Bus isi tarah ki baten sex ke doran bhi hona chahiye
The purpose of the story is to document the change. Change comes differently to different persons under different situations. Now for Renu, it was a hard battle and inner conflict. She was not only afraid of sex with his brother because of what Lalia had talked about his brutal behavior but also because she had seen Lallia getting spanked, blood tricking down.

Thus although she did enjoy the physical sensation of sex, the touch of her brother, and the deep penetration, she must have had. a conflict in her mind. She showed everybody that she loathed her brother, so how could she suddenly change? Secondly, enjoyment was more at the physical level, and she was enjoying every bit without being vocal about it. After two or three rounds of coitus, she was all for it, but what created a sense of guilt and changed her external behavior was watching, Leena a much younger girl enjoying her brother.

I can understand how readers relate to the erotic scenes. when both partners enjoy, make sounds, and talk.

But I was also visualizing the behavior of a girl who was in a sort of trauma, and trying to document the process of change.

If you compare the sex scene of Bela and Lena you can appreciate how differently it was crafted. Maybe I was wrong but that is how i perceived it.

Thanks for sticking with the story and clearly expressing your views.

To me ' Why' in a story is equally important and secondly I enjoy the exchange of Ideas as much as writing Thanks again.
 

komaalrani

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komaalrani

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Bahut achhe se piche kaa baja bajaya hai kamal ne. No doubt bahut hot update hai, but direct speech ki kami rahi bhai behan me. Kuchh baaten to honi chahiye thi dono ke bich or jo laliya ke raaj bhi btane chahiye rhe. Pls bura mt manna komal ji. Or ek advice yeh bhi ki thoda bahut nkhre bhi dikhane do ldki ko baton se jese " bus karo ab nhi" mood nhi hai "or bhi bahut kuchh
Please read my detailed response, why Renu is behaving the way, she is behaving.
 

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The purpose of the story is to document the change. Change comes differently to different persons under different situations. Now for Renu, it was a hard battle and inner conflict. She was not only afraid of sex with his brother because of what Lalia had talked about his brutal behavior but also because she had seen Lallia getting spanked, blood tricking down.

Thus although she did enjoy the physical sensation of sex, the touch of her brother, and the deep penetration, she must have had. a conflict in her mind. She showed everybody that she loathed her brother, so how could she suddenly change? Secondly, enjoyment was more at the physical level, and she was enjoying every bit without being vocal about it. After two or three rounds of coitus, she was all for it, but what created a sense of guilt and changed her external behavior was watching, Leena a much younger girl enjoying her brother.

I can understand how readers relate to the erotic scenes. when both partners enjoy, make sounds, and talk.

But I was also visualizing the behavior of a girl who was in a sort of trauma, and trying to document the process of change.

If you compare the sex scene of Bela and Lena you can appreciate how differently it was crafted. Maybe I was wrong but that is how i perceived it.

Thanks for sticking with the story and clearly expressing your views.

To me ' Why' in a story is equally important and secondly I enjoy the exchange of Ideas as much as writing Thanks again.
I agree with you komal Ji. Me to bus yeh chahta the ki renu apna dard or sharm baaton se express hare thoda. Jab story ka character bolta hai to uska impact jyada hota hai. Baaki aap bhi sahi ho
 
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