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भाग ७४ -मस्ती रेनू और कमल की,
13,48,221
और घंटे भर बाद बेला और चुन्नू की गाँठ जुड़वाने के बाद जब मैं पहुंची तो, मान गयी मैं चमेलिया को, एक बार कमल के मोटे लंड की हदस निकल जाने के बाद, रेनुवा कुतिया अस निहुर के चूतड़ उठाये के खुद अपने भैया का लंड गपागप घोंट रही थी और कमल भी उसकी दोनों मोटी मोटी चूँची पकड़ के कस कस के चोद रहा था.
रेनुआ अभी भी चोकर रही थी, तड़प रही थी। कमल का बांस था ही बड़ा लम्बा और मोटा ऊपर से चोदता भी वो बड़े बेरहमी से। लेकिन जिस तरह से रेनू की चूँचियाँ पथरायीं थीं, निपल टनटना रहे थे साफ़ था उसे मजा भी बहुत आ रहा था दर्द भले चाहे जितना हो रहा हो .
इसी दर्द में तो मजा है, लेकिन असली दर्द तो अभी बाकी था और इसीलिए मैं आयी थी।
और ननद को सिखाने की मजे लेने के लिए मजा देना भी पड़ता है और भाई बहिनिया का रिश्ता खुल के मज़ा लेने का है,...
थोड़ी देर मैं अपने देवर रेनू के भाई के पीछे खड़ी मुस्कराती देखती रही, उसकी बहन रेनू को मस्त मजा आ रहा था लेकिन मारे झिझक के बोल नहीं रही थी, चार साल से तो छिनरपन कर रही थी, भैया से नहीं चुदवाउंगी, नहीं घोटूँगी,... तो इतनी जल्दी कैसे मन की बात कह दे, फिर भौजाई सब थीं, चिढ़ाएँगी नहीं का।
उसकी देह से मस्ती टपक रही थी , सच में किस्मत वाली थी स्साली रेनुआ की घोड़े ऐसे लंड वाला भाई मिला था वो भी जब से झांटे आयीं तब से उसे पेलने के लिए दीवाना,...
रेनू एकदम झड़ने के कगार पर थी,
मैंने कमल से कुछ कहा, एक दो मिनट तो वो झिझका फिर मान गया।
वो समझ गया था, भौजी की बात मानने में ही समझदारी है, और उसने न सिर्फ चुदाई रोक दी बल्कि अपना मोटा मूसल भी करीब करीब बाहर निकाल लिया, यहाँ तक की उसी चूँची भी उसने छोड़ दिया,
रेनू को पता नहीं था की इस सीख के पीछे मेरा हाथ है। कुछ देर में ही रेनू कुलबुलाने लगी, चूत की आग बड़ी से बड़ी सती साध्वी की पिघला देती है और ये तो मेर्री ससुराल की ननद थी, पैदायशी छिनार, भाईचोद। अंत में बोल ही पड़ी, धीमे से
" भैया गुस्सा हो गए,... "
" नहीं तो" गुस्से वाली आवाज में उसका भाई कमल बोला।
" नहीं,... मतलब,... फिर, मेरा मतलब झिझकते हुए रेनू बोली, फिर रुक क्यों गए "
" क्या रुक गया, क्या कर रहा था,... " कमल उसी अंदाज में बोला।
" वही जो कर रहे थे, कर न, मैं तो मना भी नहीं कर रही थी " रेनू शिकायत भरे अंदाज में बोली,
" अरे साफ साफ़ बोल न क्या कर रहा था, ... नहीं बोलेगी तो मैं जा रहा हूँ,... " कमल ने आलमोस्ट खूंटा निकालते हुए बोला।
चारो और से लड़कियों के सिसकने की अपने भाइयों को उकसाने की खुल के गरियाने की आवाजें आ रही थीं, .अरे चोद न भैया , जोर से पेल .. बड़ी मुश्किल से रेनू के बोल फूटे,...
" वही जो कर रहे थे, चोद रहे थे " ... धीमे से झिझकती बोली।
" इसलिए रुक गया की तुझे मजा नहीं आ रहा था, तो मैं जबरदस्ती तो करता नहीं सिर्फ अपने मजे के लिए,... तुझे नहीं मजा आ रहा है तो मैं नहीं करूँगा "
कमल अभी भी उसे रगड़ रहा था। अब उसको भी बहन से उगलवाने में मजा आ था की छुटकी बहिनिया अपने भैया के लंड की दीवानी है। उसने उदास आवाज में कहा,
" नहीं नहीं भैया मुझे बहुत मज़ा आ रहा था , चोदो न भैया, मेरे अच्छे भइया, मेरे प्यारे भैया,"
रेनू समझ गयी अब उसने छिनरपन किया तो मोटा बांस हाथ से निकल जाएगा।
और अब कमल से नहीं रहा जारहा था, कहाँ महीने दो महीने में दो चार बच्चे वालों की माँ मिलती ही भोंसडे वाली और यहाँ घर का माल, कच्ची कली आज तक बिनचुदी। खुद चुदने के लिए, ... अब वो प्यार से उसकी गदरायी गोल गोल चूँची सहलाने लगा, और छेड़ते हुए बोल,
" बोल न किसको चोदू, क्या चोदू "
" अरे और किसको चोदेगा होनी एकलौती बहिनिया को चोद उसकी कच्ची चूत चोद, चोद न भैया,.... "
और यह कह के रेनू ने कस के चूतर का धक्का दिया और साथ में कमल ने भी आधा से ज्यादा खूंटा बहन की बिल गप्प से घोंट गयी।
" और फिर तूने मना कर दिया तो फिर,.... " कस के चूँची मसलते गाल काटते कमल ने अपनी छोटी बहन से पूछा।
चूतड़ मटका के सिसकते हुए रेनू बोली,
" भैया एक बार मजा लेने के बाद पहली बात तो मैं मना नहीं करुँगी, इतनी भी बुद्धू नहीं हूँ मैं और दूसरी बात, अगर मना भी करूँ तो कोई जरूरी है तू मान,... कर लेना जबरदस्ती " बड़ी अदा से बहन बोली,
अब उसके बाद तो कमल को कौन रोक सकता था, थोड़ी देर में जब मोटा सुपाड़ा बहन की बच्चेदानी से जोर से टकराया तो वो झड़ने लगी. लय तूफ़ान में पत्ता कांपेगा, क्या बाढ़ में नदी हिलोरे लेगी, जिस तरह रेनू काँप रही थी, झड़ना रुकता फिर शुरू हो जाता,
और जब कमल ने दुबारा हलके हलके धक्के मारने शुरू किये तो उसी तरह से रेनू जवाब देते बोली,
" भैया, चार साल पहले अगर तू ऐसे ही जबरदस्ती कर देता न, ... सच में मैं बहुत रोती चिल्लाती, लेकिन कब तक और घर में तो सब तेरा ही साथ देती,... "
टिपिकल लड़की अपना दोष कभी नहीं मानेगी लेकिन मान गयी मैं अपने देवर को
" अरे तब नयकी भौजी नहीं थीं न, और वो नहीं होती तो तू आज भी नीचे नहीं आती " देवर बोला और फिर तूफानी चुदाई
थोड़ी देर में देवर ननद साथ साथ झड़े , कटोरी भर मलाई भाई ने बहिनिया की बिल में छोड़ी.
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और घंटे भर बाद बेला और चुन्नू की गाँठ जुड़वाने के बाद जब मैं पहुंची तो, मान गयी मैं चमेलिया को, एक बार कमल के मोटे लंड की हदस निकल जाने के बाद, रेनुवा कुतिया अस निहुर के चूतड़ उठाये के खुद अपने भैया का लंड गपागप घोंट रही थी और कमल भी उसकी दोनों मोटी मोटी चूँची पकड़ के कस कस के चोद रहा था.
रेनुआ अभी भी चोकर रही थी, तड़प रही थी। कमल का बांस था ही बड़ा लम्बा और मोटा ऊपर से चोदता भी वो बड़े बेरहमी से। लेकिन जिस तरह से रेनू की चूँचियाँ पथरायीं थीं, निपल टनटना रहे थे साफ़ था उसे मजा भी बहुत आ रहा था दर्द भले चाहे जितना हो रहा हो .
इसी दर्द में तो मजा है, लेकिन असली दर्द तो अभी बाकी था और इसीलिए मैं आयी थी।
और ननद को सिखाने की मजे लेने के लिए मजा देना भी पड़ता है और भाई बहिनिया का रिश्ता खुल के मज़ा लेने का है,...
थोड़ी देर मैं अपने देवर रेनू के भाई के पीछे खड़ी मुस्कराती देखती रही, उसकी बहन रेनू को मस्त मजा आ रहा था लेकिन मारे झिझक के बोल नहीं रही थी, चार साल से तो छिनरपन कर रही थी, भैया से नहीं चुदवाउंगी, नहीं घोटूँगी,... तो इतनी जल्दी कैसे मन की बात कह दे, फिर भौजाई सब थीं, चिढ़ाएँगी नहीं का।
उसकी देह से मस्ती टपक रही थी , सच में किस्मत वाली थी स्साली रेनुआ की घोड़े ऐसे लंड वाला भाई मिला था वो भी जब से झांटे आयीं तब से उसे पेलने के लिए दीवाना,...
रेनू एकदम झड़ने के कगार पर थी,
मैंने कमल से कुछ कहा, एक दो मिनट तो वो झिझका फिर मान गया।
वो समझ गया था, भौजी की बात मानने में ही समझदारी है, और उसने न सिर्फ चुदाई रोक दी बल्कि अपना मोटा मूसल भी करीब करीब बाहर निकाल लिया, यहाँ तक की उसी चूँची भी उसने छोड़ दिया,
रेनू को पता नहीं था की इस सीख के पीछे मेरा हाथ है। कुछ देर में ही रेनू कुलबुलाने लगी, चूत की आग बड़ी से बड़ी सती साध्वी की पिघला देती है और ये तो मेर्री ससुराल की ननद थी, पैदायशी छिनार, भाईचोद। अंत में बोल ही पड़ी, धीमे से
" भैया गुस्सा हो गए,... "
" नहीं तो" गुस्से वाली आवाज में उसका भाई कमल बोला।
" नहीं,... मतलब,... फिर, मेरा मतलब झिझकते हुए रेनू बोली, फिर रुक क्यों गए "
" क्या रुक गया, क्या कर रहा था,... " कमल उसी अंदाज में बोला।
" वही जो कर रहे थे, कर न, मैं तो मना भी नहीं कर रही थी " रेनू शिकायत भरे अंदाज में बोली,
" अरे साफ साफ़ बोल न क्या कर रहा था, ... नहीं बोलेगी तो मैं जा रहा हूँ,... " कमल ने आलमोस्ट खूंटा निकालते हुए बोला।
चारो और से लड़कियों के सिसकने की अपने भाइयों को उकसाने की खुल के गरियाने की आवाजें आ रही थीं, .अरे चोद न भैया , जोर से पेल .. बड़ी मुश्किल से रेनू के बोल फूटे,...
" वही जो कर रहे थे, चोद रहे थे " ... धीमे से झिझकती बोली।
" इसलिए रुक गया की तुझे मजा नहीं आ रहा था, तो मैं जबरदस्ती तो करता नहीं सिर्फ अपने मजे के लिए,... तुझे नहीं मजा आ रहा है तो मैं नहीं करूँगा "
कमल अभी भी उसे रगड़ रहा था। अब उसको भी बहन से उगलवाने में मजा आ था की छुटकी बहिनिया अपने भैया के लंड की दीवानी है। उसने उदास आवाज में कहा,
" नहीं नहीं भैया मुझे बहुत मज़ा आ रहा था , चोदो न भैया, मेरे अच्छे भइया, मेरे प्यारे भैया,"
रेनू समझ गयी अब उसने छिनरपन किया तो मोटा बांस हाथ से निकल जाएगा।
और अब कमल से नहीं रहा जारहा था, कहाँ महीने दो महीने में दो चार बच्चे वालों की माँ मिलती ही भोंसडे वाली और यहाँ घर का माल, कच्ची कली आज तक बिनचुदी। खुद चुदने के लिए, ... अब वो प्यार से उसकी गदरायी गोल गोल चूँची सहलाने लगा, और छेड़ते हुए बोल,
" बोल न किसको चोदू, क्या चोदू "
" अरे और किसको चोदेगा होनी एकलौती बहिनिया को चोद उसकी कच्ची चूत चोद, चोद न भैया,.... "
और यह कह के रेनू ने कस के चूतर का धक्का दिया और साथ में कमल ने भी आधा से ज्यादा खूंटा बहन की बिल गप्प से घोंट गयी।
" और फिर तूने मना कर दिया तो फिर,.... " कस के चूँची मसलते गाल काटते कमल ने अपनी छोटी बहन से पूछा।
चूतड़ मटका के सिसकते हुए रेनू बोली,
" भैया एक बार मजा लेने के बाद पहली बात तो मैं मना नहीं करुँगी, इतनी भी बुद्धू नहीं हूँ मैं और दूसरी बात, अगर मना भी करूँ तो कोई जरूरी है तू मान,... कर लेना जबरदस्ती " बड़ी अदा से बहन बोली,
अब उसके बाद तो कमल को कौन रोक सकता था, थोड़ी देर में जब मोटा सुपाड़ा बहन की बच्चेदानी से जोर से टकराया तो वो झड़ने लगी. लय तूफ़ान में पत्ता कांपेगा, क्या बाढ़ में नदी हिलोरे लेगी, जिस तरह रेनू काँप रही थी, झड़ना रुकता फिर शुरू हो जाता,
और जब कमल ने दुबारा हलके हलके धक्के मारने शुरू किये तो उसी तरह से रेनू जवाब देते बोली,
" भैया, चार साल पहले अगर तू ऐसे ही जबरदस्ती कर देता न, ... सच में मैं बहुत रोती चिल्लाती, लेकिन कब तक और घर में तो सब तेरा ही साथ देती,... "
टिपिकल लड़की अपना दोष कभी नहीं मानेगी लेकिन मान गयी मैं अपने देवर को
" अरे तब नयकी भौजी नहीं थीं न, और वो नहीं होती तो तू आज भी नीचे नहीं आती " देवर बोला और फिर तूफानी चुदाई
थोड़ी देर में देवर ननद साथ साथ झड़े , कटोरी भर मलाई भाई ने बहिनिया की बिल में छोड़ी.
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