जो बात शायद मैं नहीं कह सकती थी या जितने अच्छे ढंग से नहीं कह सकती थी, उतने अच्छे ढंग से आपने कह दिया।
बहुत बहुत आभार धन्यवाद।
आपकी एक एक बात सही है, इस या कोई भी इरोटिक कहानी का मतलब ही यही है जो आप ने कहा और उसमें एक अदद हीरो ढूंढ़ना, एक प्लाट की अपेक्षा करना और फिर रस का केंद्र स्त्री है, लड़की है तो वो तो कहानी के केंद्र में रहेगी ही। और दूसरी बात भी एकदम सही है की जैसे बात बात से बात निकलती है। छुटकी की बात चीत से ही गीता की बात निकली, छुटकी से होली के दौरान वो गीता से मिली और गीता ने उसे अपना अपने भाई का किस्सा सुनाया, अरविन्द और गीता का किस्सा, फिर बात ननद और भौजाई की कबड्डी की ओर मुड़ी जो होली के बाद हरदम होती थी, फिर भाभियाँ जीती तो उनकी शर्तें ,... लेकिन कहानी के मूल में हर पोस्ट ,में रस है।
एक बार फिर मैं और मेरा थ्रेड आभारी है की आप ऐसे रससिद्ध पाठक मित्र हैं जो अपने कमेंट भी शेयर करते हैं।
धन्यवाद