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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

motaalund

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Thanks Komal ji..it was indeed a great tribute to my poem on Sasur and Bahu. The way you have written this episode is very erotic. While reading your story i just remember another story where Sugna and her sasur were physically involved...:aah...tane dhire Dukhta hai. That was another master piece from the writer. Thanks again for your remembrance
लेकिन वो राइटर कहीं नेपथ्य में चले गए..
वैसे कहानी उनकी भी अच्छी चल रही थी...
 

motaalund

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गौने वाली रात से नई बयाही सुगना थी अधूरी
ससुर ने अपने नीचे लिटा कर दी हर कमी पूरी

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जब से पति गया था बाहर तड़प रही थी सुगना
एक बार जो आयी नीचे प्यार किया फिर दुगना

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ससुरजी भी तो तड़प रहे थे अपने नीचे लाने को
बहू की कड़क जवानी का खूब भोग लगाने को

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बातों-बातों में एक दूजे को करते थे खूब इशारे
बहू ससुर फिर एक हो गए तोड़ के बंधन सारे

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एक रात जब ससुर ने बहू बिस्तर पर लिटा दी
चोद के पूरी रात बहू को उसकी भूख मिटा दी

रिश्ते सब पीछे छूट गए और प्यास हो गई भारी
सुगना तो अब रोज ससुर के लंड की करे सवारी

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वाह... वाह...
क्या खूब दर्शाया है...
चंद शब्दों में सबकुछ पिरो दिया...
 

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २२१ -

स्साली का गोलकुंडा



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जो मजा स्साली की गाँड़ मारने में है, चाहे कोरी हो या फटी, चाहे जबरदस्ती चाहे मर्जी से, चाहे कुँवारी हो चाहे शादी शुदा, उतना मजा किसी चीज में नहीं,

और अगर शादी शुदा साली है तब उसके मर्द के सामने, उसको दिखा के, ललचा के, कभी थोड़ा निकाल के थोड़ा घुसा के, कभी दिखा के कभी छुपा के, कभी निहुरा के कभी गोद में बिठा के स्साली की गाँड़ मारने में है उस मजे केआगे सब मजा फीका,

और मारने वाले जीजू से कम मजा मरवाने वाली साली को नहीं आता, अपने मरद के सामने, अपने मरद को दिखा के, ललचा के, उकसा के, चिढ़ा के चिढ़ा के अपने जीजू से मरवाने में

update posted, please read, enjoy, like and share your comments.

 

komaalrani

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komaalrani

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वाह री सुगना. तूने कब कोमरिया के बाउजी का खुटा देख लिया. चस्लो रिश्ते मै देवर लगे तो फागुन भी लगा ही होगा.

पर पति गइल प्रदेश. तो खाना तो ससुर को तू ही परोसेगी. देख लो सुगना के ससुर. तुम लेते थक जाओगे. वो देते ना थकेगी.

जबरदस्त कोमलजी. मान गए. पहेली बार आप की कलम से. ससुर बहु. वाह.

इस पोस्ट मे बहोत सारे जबरदस्त डायलॉग है. जो पढ़ने मे माझा दे रहे है. शारारत का लेवल अप


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यह ससुर बहू आयुषी जी को एक ट्रिब्यूट सरीखा है , लेकिन अब आपको अच्छा लगा तो इस प्रंसग को विस्तार देकर ५-६ भागों में पोस्ट करना ही होगा। बस मैं यह देख रही थी की आप और बाकी मित्रों की क्या राय है। असल में अभी यह सुगना के परिचय सरीखा ही है और गाँव में जहां पेट की आग के चलते मेहँदी सुखने के पहले पति को बिदेश जाना पड़ता है, भोजपुरी क्षेत्रों में बिदेसिया के गीत, रेलिया न बैरी, जहजिया न बैरी, इहे पइसवा बैरी हो, और सुगना और उसके ससुर का संबध सिर्फ देह का ही नहीं केयर का भी है, घर में सिर्फ दो लोग हो तो इस प्रकार के संबंध सहज है लेकिन इस भाग का जो आखिरी भाग है जहाँ सुगना के ससुर को फालिज मार गया है, वो देह से आगे बढ़ के रिश्तों को दिखाता है।

बहुत धन्यवाद।
 

komaalrani

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Awesome update
Thanks so much, for your continuous support in all my stories, How I wish there were more readers like you. Thanks again
 

komaalrani

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बहोत जबरदस्त. भले ही बात आगे बढ़ाने काम ही लिखा. पार जबरदस्त. आखिर सुगना ने अपने ससुर को दावत करवा ही दी. पर वो वक्त भी बीत गया. अब नई नवेली दुल्हन भी गदरा ही गई होंगी. अब गांव की प्यासी भाभी फागुन और देवर बंटी.

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सुगना और उनके ससुर का प्रसंग फिर आएगा और विस्तार से, अभी तो मैंने रात की दावत कह के बस इशारा सा कर दिया, लेकिन सुगना ने क्या परोसा दावत में और खाने वाले ने कैसे खाया सब डिटेल के साथ
 
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