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जोरू का गुलाम भाग २२१ -
स्साली का गोलकुंडा
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जो मजा स्साली की गाँड़ मारने में है, चाहे कोरी हो या फटी, चाहे जबरदस्ती चाहे मर्जी से, चाहे कुँवारी हो चाहे शादी शुदा, उतना मजा किसी चीज में नहीं,
और अगर शादी शुदा साली है तब उसके मर्द के सामने, उसको दिखा के, ललचा के, कभी थोड़ा निकाल के थोड़ा घुसा के, कभी दिखा के कभी छुपा के, कभी निहुरा के कभी गोद में बिठा के स्साली की गाँड़ मारने में है उस मजे केआगे सब मजा फीका,
और मारने वाले जीजू से कम मजा मरवाने वाली साली को नहीं आता, अपने मरद के सामने, अपने मरद को दिखा के, ललचा के, उकसा के, चिढ़ा के चिढ़ा के अपने जीजू से मरवाने में
पिछवाड़े के मामले में ये थोड़ा अभी, ....
आज से पहले अभी तक इन्होने सिर्फ अपनी भौजाई की गाँड़ मारी थी, और इनकी भौजाई मेरी एकलौती जेठानी की गाँड़ है भी बड़े मस्त, ये बड़े बड़े मटकते हुए चूतड़, तरबूज ऐसे,
इनके हरेक धक्के पर चीखती थीं। जितना चीख पुकार जब मैंने ८ इंच के डिलडो से इनकी भौजी की गाँड़ मारी थी उससे ज्यादा इनके मोटे खूंटे से पेलवाने के बाद नौ नौ टसुए बहा रही थीं, और अपनी औकात समझ गयी थीं।
मैं तो सिर्फ देख देख के मजे ले रही थी,
गुड्डी थी न मेरी ननद इनके बचपन का माल, आग में घी डालने के लिए, अपनी मीठी भौजी को चिढ़ाने के लिए,
रीनू को कुछ अंदाज तो लग गया था जब उसने इन्हे गुड्डी की गाँड़ मारते देखा था, और वही ले गयी थी इन्हे समझा बजा के उकसा के इनको अपनी बहन की गाँड़ मारने के लिए,
लेकिन धक्के देख के रीनू बोली, यार पी एच डी के आगे कोई डिग्री होती है क्या ( गाँड़ के मामले में हम सब बहने कमल जीजू को पी एच डी बोलते थे ), डी लिट्ट मैं बोली। बस तेरा वाला वही है, रीनू गुड्डी के पिछवाड़े आगे पीछे होते इनके खूंटे को देख के बोली।
और अब रीनू के चितौड़गढ़ पर मेरे बाबू का झंडा फहरने वाला था,
इनकी एक ऊँगली इनकी साली के पिछवाड़े धंसी हुयी थी, इन्होने अपनी दोनों टांगो के बीच निहुरी हुयी रीनू को दबोच रखा था इसलिए इनकी साली के दोनों छेद भी एकदम टाइट हो गए थे, और मारे बदमाशी के रीनू ने सिकोड़ भी लिया था पूरी ताकत से
और गुड्डी और छेड़ रही थी, उकसा रही थी अपने भैया को,
" अरे भैया ये क्या कर रहे हैं , मेरी मीठी भाभी का एक ऊँगली से क्या होगा ,... मालूम नहीं मायके में अपने , पूरे कातिक में एक दिन भी नागा नहीं जाता था इनका कोई भी कुत्ता , देसी , बिदेसी ,... कोई भी भेदभाव नहीं करती थी मेरी ये मायके की छिनार मीठी भाभी ,... मुक्के ऐसी मोटी गांठ , घंटे घंटे भर ,... तो ऊँगली क्या ,.... ऊंट के मुंह में जीरा ,... "
गुड्डी ने चिढ़ाया।
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" साली तीन तीन से गांड मरवाकर मन नहीं भरा तेरा। जब फट रही थी कैसे चीख रही थी , भाभी बचा लीजिये आप , पैर छूती हूँ आपका , ... प्लीज मेरी अच्छी भाभी , प्रॉमिस ,... बस आज बचा लीजिये फटने से ,... जान निकल जायेगी ,... पक्का प्रॉमिस ,... आज के बाद कभी भी चूतड़ मटका मटका के नहीं चलूंगी , कभी टाइट जीन्स पहन के लौंडो के आगे अपने लौंडा छाप चूतड़ दिखा के नहीं ललचाऊँगी ,... "
रीनू एकदम पक्की मिमिक ,... एकदम गुड्डी की आवाज की नक़ल बना के बोल रही थी।
गुड्डी बजाय बुरा मानने के और जोर जोर से खिलखिला रही थी ,
" भाभी , सच , सोलहे आना सच ,... लेकिन आपने बचाया तो नहीं न। फड़वा तो दी न मेरी , फिर ,... अब तो मैं और चूतड़ मटका मटका के चलूंगी , एक बार फट गयी , अब क्या डरना ,... लेकिन न आपने मेरी बचाई न मैं आप की बचाऊंगी , पट्टा पट्टी। भइआ अरे जरा हचक के , मेरी भाभी के जब तक हर छेद में मूसल न चले न ,... "
और रीनू की चीख अबकी कस के निकल गयी , इस बार दो दो उँगलियाँ गांड में हचक कर ,... एकदम जड़ तक ,
अभी भी उन्होंने कस के अपनी साली की दोनों टाँगे अपनी टांगो के बीच में दबोच रखी थीं , हर धक्का सीधे साली की बच्चेदानी पर पड़ रहा था ,
पर अब छेद बदलने वाला था , ... इसलिए उन्होंने एक बार फिर अपनी टाँगे खोल दिन , साली की टांगों के बीच में डालकर , साली की टाँगे अच्छी तरह फैला दिन , और साथ में गोलकुंडा का छेद भी ,
अब उँगलियाँ निकल आयी थीं , दोनों अंगूठों को साली के पिछवाड़े डाल कर उसकी कसी गांड उन्होंने पूरी तरह फैलायी , अपना सुपाड़ा सेट किया , ....
बुर चोद चोद कर , बुर के पानी से सुपाड़ा अच्छी तरह गीला हो गया था , बार बार थूक लगा कर जो उन्होंने दोनों उँगलियाँ अपनी साली के पिछवाड़े पेली थीं , तो वो भी थोड़ी ही सही चिकनी गीली हो गयी थी , ....
सट्टाक ,
गप्पाक ,
घच्च से सुपाड़ा आलमोस्ट पूरा अंदर ,.... एक तो उन्होंने दोनों हाथ से अपनी साली के चूतड़ पूरी ताकत से पकड़ कर , कस के , कमर का पूरा जोर लगा के धक्का मारा , दूसरे रीनू कोई नयी बछेड़ी तो थी नहीं जो , सुपाड़ा गांड के छेद पर लगते ही , गांड सिकोड़ लेती , वो तो खुद इन्तजार कर रही थी , जीजू के धक्के का , ...
और दूसरे धक्के में सुपाड़ा अंदर और अबकी साली जी की हलकी सी चीख निकल गयी , रोकते रोकते
उईईई , ओह्ह्ह उफ्फ्फ ,...
स्साली का गोलकुंडा
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जो मजा स्साली की गाँड़ मारने में है, चाहे कोरी हो या फटी, चाहे जबरदस्ती चाहे मर्जी से, चाहे कुँवारी हो चाहे शादी शुदा, उतना मजा किसी चीज में नहीं,
और अगर शादी शुदा साली है तब उसके मर्द के सामने, उसको दिखा के, ललचा के, कभी थोड़ा निकाल के थोड़ा घुसा के, कभी दिखा के कभी छुपा के, कभी निहुरा के कभी गोद में बिठा के स्साली की गाँड़ मारने में है उस मजे केआगे सब मजा फीका,
और मारने वाले जीजू से कम मजा मरवाने वाली साली को नहीं आता, अपने मरद के सामने, अपने मरद को दिखा के, ललचा के, उकसा के, चिढ़ा के चिढ़ा के अपने जीजू से मरवाने में
पिछवाड़े के मामले में ये थोड़ा अभी, ....
आज से पहले अभी तक इन्होने सिर्फ अपनी भौजाई की गाँड़ मारी थी, और इनकी भौजाई मेरी एकलौती जेठानी की गाँड़ है भी बड़े मस्त, ये बड़े बड़े मटकते हुए चूतड़, तरबूज ऐसे,
इनके हरेक धक्के पर चीखती थीं। जितना चीख पुकार जब मैंने ८ इंच के डिलडो से इनकी भौजी की गाँड़ मारी थी उससे ज्यादा इनके मोटे खूंटे से पेलवाने के बाद नौ नौ टसुए बहा रही थीं, और अपनी औकात समझ गयी थीं।
मैं तो सिर्फ देख देख के मजे ले रही थी,
गुड्डी थी न मेरी ननद इनके बचपन का माल, आग में घी डालने के लिए, अपनी मीठी भौजी को चिढ़ाने के लिए,
रीनू को कुछ अंदाज तो लग गया था जब उसने इन्हे गुड्डी की गाँड़ मारते देखा था, और वही ले गयी थी इन्हे समझा बजा के उकसा के इनको अपनी बहन की गाँड़ मारने के लिए,
लेकिन धक्के देख के रीनू बोली, यार पी एच डी के आगे कोई डिग्री होती है क्या ( गाँड़ के मामले में हम सब बहने कमल जीजू को पी एच डी बोलते थे ), डी लिट्ट मैं बोली। बस तेरा वाला वही है, रीनू गुड्डी के पिछवाड़े आगे पीछे होते इनके खूंटे को देख के बोली।
और अब रीनू के चितौड़गढ़ पर मेरे बाबू का झंडा फहरने वाला था,
इनकी एक ऊँगली इनकी साली के पिछवाड़े धंसी हुयी थी, इन्होने अपनी दोनों टांगो के बीच निहुरी हुयी रीनू को दबोच रखा था इसलिए इनकी साली के दोनों छेद भी एकदम टाइट हो गए थे, और मारे बदमाशी के रीनू ने सिकोड़ भी लिया था पूरी ताकत से
और गुड्डी और छेड़ रही थी, उकसा रही थी अपने भैया को,
" अरे भैया ये क्या कर रहे हैं , मेरी मीठी भाभी का एक ऊँगली से क्या होगा ,... मालूम नहीं मायके में अपने , पूरे कातिक में एक दिन भी नागा नहीं जाता था इनका कोई भी कुत्ता , देसी , बिदेसी ,... कोई भी भेदभाव नहीं करती थी मेरी ये मायके की छिनार मीठी भाभी ,... मुक्के ऐसी मोटी गांठ , घंटे घंटे भर ,... तो ऊँगली क्या ,.... ऊंट के मुंह में जीरा ,... "
गुड्डी ने चिढ़ाया।
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" साली तीन तीन से गांड मरवाकर मन नहीं भरा तेरा। जब फट रही थी कैसे चीख रही थी , भाभी बचा लीजिये आप , पैर छूती हूँ आपका , ... प्लीज मेरी अच्छी भाभी , प्रॉमिस ,... बस आज बचा लीजिये फटने से ,... जान निकल जायेगी ,... पक्का प्रॉमिस ,... आज के बाद कभी भी चूतड़ मटका मटका के नहीं चलूंगी , कभी टाइट जीन्स पहन के लौंडो के आगे अपने लौंडा छाप चूतड़ दिखा के नहीं ललचाऊँगी ,... "
रीनू एकदम पक्की मिमिक ,... एकदम गुड्डी की आवाज की नक़ल बना के बोल रही थी।
गुड्डी बजाय बुरा मानने के और जोर जोर से खिलखिला रही थी ,
" भाभी , सच , सोलहे आना सच ,... लेकिन आपने बचाया तो नहीं न। फड़वा तो दी न मेरी , फिर ,... अब तो मैं और चूतड़ मटका मटका के चलूंगी , एक बार फट गयी , अब क्या डरना ,... लेकिन न आपने मेरी बचाई न मैं आप की बचाऊंगी , पट्टा पट्टी। भइआ अरे जरा हचक के , मेरी भाभी के जब तक हर छेद में मूसल न चले न ,... "
और रीनू की चीख अबकी कस के निकल गयी , इस बार दो दो उँगलियाँ गांड में हचक कर ,... एकदम जड़ तक ,
अभी भी उन्होंने कस के अपनी साली की दोनों टाँगे अपनी टांगो के बीच में दबोच रखी थीं , हर धक्का सीधे साली की बच्चेदानी पर पड़ रहा था ,
पर अब छेद बदलने वाला था , ... इसलिए उन्होंने एक बार फिर अपनी टाँगे खोल दिन , साली की टांगों के बीच में डालकर , साली की टाँगे अच्छी तरह फैला दिन , और साथ में गोलकुंडा का छेद भी ,
अब उँगलियाँ निकल आयी थीं , दोनों अंगूठों को साली के पिछवाड़े डाल कर उसकी कसी गांड उन्होंने पूरी तरह फैलायी , अपना सुपाड़ा सेट किया , ....
बुर चोद चोद कर , बुर के पानी से सुपाड़ा अच्छी तरह गीला हो गया था , बार बार थूक लगा कर जो उन्होंने दोनों उँगलियाँ अपनी साली के पिछवाड़े पेली थीं , तो वो भी थोड़ी ही सही चिकनी गीली हो गयी थी , ....
सट्टाक ,
गप्पाक ,
घच्च से सुपाड़ा आलमोस्ट पूरा अंदर ,.... एक तो उन्होंने दोनों हाथ से अपनी साली के चूतड़ पूरी ताकत से पकड़ कर , कस के , कमर का पूरा जोर लगा के धक्का मारा , दूसरे रीनू कोई नयी बछेड़ी तो थी नहीं जो , सुपाड़ा गांड के छेद पर लगते ही , गांड सिकोड़ लेती , वो तो खुद इन्तजार कर रही थी , जीजू के धक्के का , ...
और दूसरे धक्के में सुपाड़ा अंदर और अबकी साली जी की हलकी सी चीख निकल गयी , रोकते रोकते
उईईई , ओह्ह्ह उफ्फ्फ ,...
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