इसी शादी-ब्याह.. पर्व त्योहार वाले माहौल में तो मस्ती की बहार रहती है..कहानी मे मस्ती होंगी शारारत होंगी. त्यौहार होगा शादी वाला माहोल होगा. लेकिन एक चीज कोमल रनी की कहानियो मे पक्का होंगी. खुशियाँ.
ननद भाभी की जुगलबंधी मन मोह लिया. इस ननंद भोजाई जोड़ी के लिए तो सखी शब्द इस्तमाल करना बनता है.
क्या मेले की रंगत दिखाई हे. ननंद भोजाई का टिल एक्सचेंज वाला आईडिया तो जबरदस्त था.
छिनार नांदिया को मालूम है की कहा डबवाने है. माशालवाने है. तभी तो सकडी गली. और 4 मर्दो से घिए. क्या जोबन और क्या पीछवाडा सब का स्वाद ले लिया ननद रनी ने.
और इसी मस्ती को पूरी साज सज्जा के साथ एक कहानी में पिरोते हुए पेश करने की कला है कोमल जी में...