आप भी कथा के माध्यम से जीवंत चित्रण करती हैं...Kya baat kahi hai aapne Shabdo se Chalchitra, shabdo ke jadugar to aap hain , bahoot bahoot dhanyvaad, aabhaar
आप भी कथा के माध्यम से जीवंत चित्रण करती हैं...Kya baat kahi hai aapne Shabdo se Chalchitra, shabdo ke jadugar to aap hain , bahoot bahoot dhanyvaad, aabhaar
यही तो आपकी खूबी है...Thanks so much aapko achaa laga.
Incest vaala ye part 7-8 episodes men chalega .
You are modest in your expression.Thanks so much, you respected my request. While writing such a popular story which is growing by leaps and bounds, helping a number of writers and regularly commenting on my two stories, you could carve out some time to read this part and share your views. I am humbled and obliged.
I do try to add conversations wherever possible .
Thanks again
ये सुहाने दिन .. ख्वाबों .. ख्यालों के...
दोनों खिलाड़ी जीत गए...कल शाम में वो आये, सुबह अभी अभी गये हैं, रात भर लड़ाई चली, कभी वो ऊपर कभी मै ऊपर...
लड़ाई कामुक थी, आलिंगन से भरी थी, चुम्बन के दाव थे, अहसासों और अनुभूतियों के पेच थे और अंत मे मै हारी और वो जीते...उनकी जीत मे हीं मेरी जीत थी
one die games
फिर और कोई क्यों छूटे...और इसलिए भी की अपनी ससुराल में तो किसी को छोड़ा नहीं, दोनों सालिया, सास यहाँ तक की साली की दो दो सहेलियां तो अब मायके का नंबर लगेगा अभी बहन फिर,
सैंडविच के दोनों तरफ नरम मुलायम ब्रेड जैसी दो किशोरियां...क्या याददाश्त है आपकी, एक एक चीज याद है, रंजी और गुड्डी की वो मस्ती, जिसमें आनंद बाबू की सैंडविच बनी
मौके और पात्रों के बीच कोमल जी कहानियों में संवादों की कमी नहीं होती बल्कि चाशनी में लपेटा वार्तालाप तो रस की खान होता है...Lajawab and hot update komal Ji. Jis chij ki kabhi kabhi kami lgti thi apki story me " conversation during sex", wo yahan poori ho gyi
इंसेस्ट कथा पर भी काफी लोगों की फरमाइश थी...कोमलजी यहाँ अपडेट कब आएगा. मेरी फेवरेट प्यारी छुटकी कब आएगी. उसके इंतजार मे अभी भी तरस रही हु. प्लीज उसका कोई किस्सा skip मत करना. कोमल और छुटकी की जुगलबंदी देखने का अब भी बहोत मन है.
और उनकी बहेनिया के साथ कोमलिया का नरी रस भी पढ़ने का बहोत मन है. प्लीज तरसाना मत. और इस कहानी के भी मेरे जैसे बहोत रसिया है. तो हमारा खयाल कीजियेगा.
और एक-एक दृश्य अपनी अमिट छाप छोड़ जाता है...कोमल मैम
ये मेरी याददाश्त नहीं आपका लेखन हैं जो मन - मस्तिष्क में कहीं गहरे तक अंकित हो जाता है।
सादर