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Lovely sexy kamuk updatesUpdates have been Posted, Kindly read, enjoy like and comment.
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Thanks so muchLovely sexy kamuk updates
usme koyi sahk thode hi hai aur meri har kahani men Doctor aa hi jaati hainAwesome super duper update
aap se toh doctors bhi darti hain isliye khud physically examine kiya, qki sab ko pta hai Dr Raji ki didi hai. Ha ha
उसके भईया के सामने नांदिया का मुँह तो खुलवाओ. उन्हें भी तो पता चले की उनकी बहेनिया ने कहा कहा मुँह मारा है. स्कूल के टीचर से चपरासी से भैया के दोस्त से. भाभी के भैया से.Last Update Part 87 is on page 897
भाग ८७ - इन्सेस्ट कथा -इंटरवल और थोड़ा सा फ्लैश बैक
भाई बहन दोनों थक के बिस्तर पर पड़े थे सुध बुध खोये, और साथ में मैं भी,... बाहर चांदनी झर रही थी , आम के बौर की, महुए की मादक महक हवा के साथ आ रही थी।
रात आधी से ज्यादा गुजर गयी थी, मेरी ननद दो बार अपने सगे भाई की सेज चढ़ चुकी थी, और जिस तरह से चूतड़ उठा उठा के उसने मलाई घोटी थी अपने भैया की मुझे पक्का अंदाज था की वो अपने भैया से गाभिन हो गयी होगी।
Very hot update. Esi nanad or bhabhi mil jaye kisi ko to zindagi ka maja aa jayeमस्ती ननद भौजाई की
" अब रोज खिलाना मेरी ननद को बिना नागा, तीनो मुंह में "
मैं भी उन्हें चिढ़ाती बोली और ननद की चुनमुनिया पर हमला बोल दिया, पहले दोनों फांको को चूसती रही, फिर अंदर जीभ डाल के मलाई लपेटी और पलट के वही जीभ मेरी ननद के मुंह में, अभी थोड़ी देर और जहाँ थोड़ी देर पहले मेरे मरद का मोटा लंड धक्के मारा रहा था, वहीँ,
मेरे मरद की बहन की चूत पर मेरी चूत घिस्से मार रही थी,
" मेरे मरद से तो बहुत मज़ा ले लिया अब थोड़ी देर हमहुँ से मज़ा ले लो, ननदी "
-मेरे होंठ इनकी बहन के होंठ को चूस रहे थे, हाथ मेरे कस के दोनों चूँचियों को निचोड़ रहे थे और नीचे धक्के पर धक्का,...
बस थोड़ी देर में ननदिया गरमा गयी और वो भी नीचे से चूतड़ उठा उठा के जवाब दे रही थी. और जब पल भर के मैंने होंठ इनकी बहन के होंठों से हटाए तो उसका मुंह चलने लगा,
" अरे भौजी रोज तो हमरे भैया से मजा लेती हो, तो एक दिन हम भी मजा ले लिए अपने भैया से तो का हुआ,... "
" अरे एक दिन काहें ननदी, रोज मजा लो अपने भैया से, ओकरे बाद हमरे भैया से,... एक आगे एक पीछे से "
कस के धक्के मारते मैं बोली।
वो देख रहे थे ललचा रहे,थे और खूंटा धीरे धीरे फिर फनफनाने लगा था,
मर्दों को लेस्बियन देखने में बहुत मजा आता है और वो दोनों औरतें जो मजा ले रही हो एक बहन हो एक बीबी फिर तो और,... और मैं चाहती भी यही थी की इनका फिर से टनटनाये और फिर अपनी बहिनिया पे चढ़ के कुटाई करें।
" ननद रानी तोहार चूत महरानी तो अच्छे से आज झड़ गयीं, खूब पेट भर के मलाई भी खायी, और तोहार भौजाई की बुरिया अभी भी पियासी, एक बार तनी,... "
मेरी बात पूरी भी नहीं हुयी थी की मेरी ननद, सच में पक्की छिनार थी, एकदम अपनी महतारी पे, बुआ पे गयी थी.
जिस तरह से मैंने उसे चुदवाया था अपने मरद से एकदम उसी तरह से मेरी दोनों टांगों को ऊपर किया, चूतड़ को खूब उठाया, और जो तकिया पूरे घर की मैंने उस स्साली के चूतड़ के नीचे लगाया था की बीज सीधे बच्चेदानी में जाये, वो सब तकिया मेरे चूतड़ के नीचे,
वो टुकुर टुकुर अपनी बहन की शैतानी देख रहे थे,... मुस्करा रहे थे। गरमा रहे थे।
वो नीचे बैठ गयी और मुझे लगा की इनकी बहन की जीभ अब मेरी बिल पे,... लेकिन नहीं, ...
उसने मेरे पिछवाड़े के छेद पे हमला किया। जीभ से बस गोलकुंडा के चारो ओर हलके हलके चक्कर काटा , चार, पांच, और जब मैं चूतड़ उचकाने लगी, तो बस मेरी ननद ने जीभ की टिप से मेरी पिछवाड़े की दरार पर हलके हलके रगड़ना शुरू किया, जैसे जीभ से ही गाँड़ मार लेगी मेरी,...
मेरी जो हालत खराब हो रही थी वो तो हो ही रही थी, मुझसे ज्यादा इनकी,
ये तो बचपन से पिछवाड़े के छेद के दीवाने, पहले सेंध वहीँ लगाई, ट्रेनिंग वहीँ की,... अब खूंटा एकदम जग गया था,...
और अब मेरी ननद की उँगलियाँ भी मैदान में आ गयीं थीं सांप की तरह सरसराती, बिच्छी की तरह डंक मारती,
मेरी उठी फैली मांसल जाँघों पर हलके हलके सरकती, और एक झटके में इनकी बहन ने अपनी हथेली में मेरी दोनों फांको को दबोच लिया और लगी रगड़ने,
साथ ही में उसके होंठ अब मेरे पिछवाड़े,... चुम्मे पर चुम्मा,
जहाँ मेरा पिछवाड़ा था खुली हुयी जाँघे उसी तरफ उसके भाई का सर, दो ढाई बित्ते दूर बस,
सब साफ़ साफ़ दिख रहा था, बहन की बदमाशी मेरी ख़राब हो रही हालत,... और मेरी खराब हालत देख के उनकी भी हालत खराब हो रही थी,.. और जितनी उनकी हालत खराब हो रही थी, जितना उनका खूंटा बौरा रहा था, उतनी ही उनकी बहन की बुर की भी बुरी हालत होने वाली थी,
बस थोड़े ही देर में,...
कुछ देर तड़पाने के बाद मेरी ननद ने अपने दोनों होंठ मेरी बुर पे लगा दी,
पहले तो बस जीभ से सपड़ सपड़ ऊपर से नीचे पांच बार और पांच बार नीचे से ऊपर तक, मैं अच्छी तरह पनिया गयी, बुर मेरी पानी फेंक रही थी, दोनों फांके फड़क रही थीं, बस मेरी ननदिया ने अपनी जीभ की टिप से दोनों फांको को अलग किया, अच्छी तरह और पेल दी अपनी जीभ मेरी बुर में जैसे रोज रात में उसका भाई अपना मोटा मूसल पेलता है, उसी जोश से।
और जीभ मेरे मरद की बहन की कभी अंदर से बुर की दीवालों को रगड़ती तो कभी गोल गोल घूमती, कभी आग लगाती कभी पानी निकालती,...
उँगलियाँ उस शैतान की भी खाली नहीं थीं, दाएं हाथ से वो मेरी क्लिट रगड़ रही थी, और बाएं हाथ से जोबन मसल रही थी,
एकदम अपने भैया की ताकत से,...
आग लगी हुयी थी मेरे नीचे,
मैं तड़प रही थी सिसक रही थी चूतड़ पटक रही थी,...
' अरे मेरे मरद क बहिनी, मेरी मीठी ननद जरा झाड़ दो काहें तड़पा रही हो " मैं चीख रही थी।
लेकिन ननद कौन जो भाभी को कलेस न दे, अपने महतारी की बुर से निकलते ही पहली चीज यही सोचती हैं,...
बजाय झाड़ने के मेरी ननद ने मेरी बिल से अपनी जीभ बाहर कर दी, और चिढ़ाते हुए बोली,
" एकदम भौजी तोहार महतारी दान दहेज़ देके इसी लिए तो आपन बिटिया हमरे गांव भेजी है की रोज चोदी जाए, बिना नागा, खूब झड़े,... तो झाड़ूंगी तो है ही , अपन बहिन महतारी सब को बुला लो सब झाड़ी जाएंगी, यहाँ "
इतनी बुरी भी नहीं थी मेरी ननद,
जहाँ से जीभ निकली थी वहां मेरी मेरी ननद की दोनों उँगलियाँ घुसी, क्या कोई मथानी चलाएगा, जिस तरह से मेरी बुर मथी जा रही थी और फिर उसके होठ
क्या मस्त चूसना शुरू किया मेरी ननद ने। थोड़ी देर में ही मैं चूतड़ पटक रही थी, काँप रही थी,...
और बस उसी समय उसने मेरी क्लिट मसलनी शुरू कर दी,...
मेरी आँखे जैसे उलट गयी हों, कुछ समझ में नहीं आ रहा था, जैसे मैं हवा में उड़ रही हूँ। सामने नीले पीले रंग के फूल,
मेरी ननद जब झड़ रही थी तो उसके भैया ने धक्के धीमे कर दिए थे पर उनकी बहन, वो और कस कस के चूस रही थी, मेरे निपल और क्लिट मसल रही, दुबारा, तिबारा, चौबारा,
जब मैं एकदम थेथर हो गयी तब उसने मुझे छोड़ा, न मैं बोलने की हालत में थी न हिलने की,...
हाँ मेरी ख़ुश खुश आँखे उसे प्यार से देख रही रही थी, दुलार रही थी, मुस्करा रही थीं,... थोड़ी देर तक हम दोनों उसी तरह से पड़े रहे,...
पर ननद भौजाई की मस्ती देख के ननद के बीरन की हालत एकदम खराब थी
पर यही तो हम दोनों भौजाई ननद चाहते थे, खूंटा जितना भूखा रहेगा, उतना ही दावत कस के उड़ाएगा,...
कुछ देर बाद जब मेरी हालत ठीक हुयी तो उन्हें दिखाते हुए मैंने ननद की बुर की फांको को फैला के उन्हें ललचाया,
" हे कैसी है मेरी ननद की रसमलाई चाहिए,... "
बड़ी जोर से ललचाते हुए उन्होंने हाँ भरी पर उनकी बहन ने खिलखिलाते हुए उन्हें अंगूठा दिखलाया, ... जैसे कह रही हो तड़प अभी मैं तो झांटे आने के पहले से तुझे देने को तैयार थी, थोड़ी जबरदस्ती करते, मैं रोती चिल्लाती फिर एक दो बार के बाद मान जाती,...
" बहुत मीठी है तोहरे बहनिया की रसमलाई "
Abhi nanad or bhabhi jab tk ghar me rahenge, kisa ka naga nhi jayega,ननद की रसमलाई, खाएंगे उसके भाई
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" हे कैसी है मेरी ननद की रसमलाई चाहिए,... "
बड़ी जोर से ललचाते हुए उन्होंने हाँ भरी पर उनकी बहन ने खिलखिलाते हुए उन्हें अंगूठा दिखलाया, ... जैसे कह रही हो, तड़प अभी.
मैं तो झांटे आने के पहले से तुझे देने को तैयार थी, थोड़ी जबरदस्ती करते, मैं रोती चिल्लाती फिर एक दो बार के बाद मान जाती,...
" बहुत मीठी है तोहरे बहनिया की रसमलाई "
और अब मैंने उनकी बहन की जाँघों को फैला के उन्हें दिखा के ललचाते मुंह लगा दिया,...
मुंह में उनके पानी आ रहा अपनी बहन की रसीली बुर की फांके देख के, कौन भाई होगा जिसका न फनफना जाएगा अपनी बहिनिया की बुर देख के, उनके खूंटे की भी हालत खराब हो रही थी,...
और मैंने चाटना शुरू कर दिया,
बस अपनी जीभ की टिप से उनकी बहन के रस कूप के चारों ओर, कभी उसी जीभ की टिप से फूलती पचकती क्लिट को छेड़ देती, तो कभी दोनों होंठों से क्लिट चूसने लगती
तो मेरे मरद की बहिन गिनगीना जाती, देह कांपने लगती।
और मैं इस तरह से चाट रही थी की ननद की चूत, की उनके भाई को पूरा नजारा दिखे की उनकी बहन के साथ क्या हो रहा है,...
कुछ देर में ही चूत पनिया गयी, लेकिन न मैंने अपनी जीभ अंदर डाली न ऊँगली .बस दोनों फांको को उन्हें दिखा दिखा के चूसती रही,...
" भौजी झाड़ दो, अरे भौजी का कर रही हो , बहुत मजा आ रहा है, ओह्ह उफ्फ्फ नहीं हां "
भैया की बहिनिया अपने सगे भैया के सामने चूतड़ पटक रही थी, देह कसमसा रही थी. यही तो मैं चाहती थी, मैंने अब एक बार उन्हें चिढ़ाया,
" है ने मेरी ननद की मस्त चूत खूब चोदने लायक, कसी कसी रसीली देख कैसे मस्त पनिया रही है, गपाक से घोंटेंगी,... बोल चाहिए मेरी ननद "
मैंने ननद की बुर पर से जीभ हटा ली और उनकी ओर देखते, ननद की खूब गीली चासनी से भीगी रसीली बुर कोखूब जोर से, पूरी ताकत से . फैला के उन्हें ललचाते दिखाते हुए पूछा।
उनके चेहरे की गर्मी देखते बनती थी, बहन चोदने को पागल हो रहे थे,
" हाँ दो न, प्लीज,... बस एक बार,... "
लेकिन बजाय उन्हें देने के मैंने कस के बड़े मनोयोग से अपनी ननद की बुर चूसना शुरू कर दिया, कभी जीभ से ऊपर नीचे सपड़ सपड़ तो कभी मुंह लगा के पूरे जोश से चूसती,..
और साथ में दोनों हाथ ननद के जोबन पे, रगड़ते मसलते,...
मैंने उनकी ओर देख के एक पल के लिए ननद की जाँघों पर से मुंह हटा के बड़ी सख्ती से उन्हें देखते हुए बोला,
" बस एक बार चाहिए, ...नहीं मिलेगी, कभी नहीं मिलेगी मेरी ननद "
और मैं कस के फिर से चूसने लगी, न भाई को समझ में आयी न बहन को मेरी चाल.
वो बेचारे दस बार बोले चिरौरी मिनती, तब मैंने पत्ते खोले,
मुंह तो मेरा उनकी बहन की बिल से दूर हो गया लेकिन मेरी हथेली ने उसकी जगह ले ली. कस के हथेली रगड़ मसल रही थी और मैंने उनकी ओर देख के सख्ती से बोला,
" सिर्फ एक बार क्यों बोला, ... मेरी ननद फालतू है क्या,... एक बार तुम चोद दोगे और अगली बार का चमरौटी, भरौटी में भटकेगी,... जैसे पेट में रोज भूख लगती है पेट के दो बित्ते नीचे भी रोज भूख लगती है,... अगर रोज लेना है तो बोलो,... और साफ़ साफ बोल,... "
उनकी निगाह अभी भी अपनी बहन की एकदम गुलाबी मक्खन ऐसी चिक्क्न, चिकनी चमेली पे चिपकी थे, जरा सा रास्ता मिला तो वो तुरंत मान गए ,
" हाँ, नहीं, मेरा मतलब हाँ रोज लूंगा, मेरा मतलब है रोज चोदूगा, बिना नागा " दस बार बोले होंगे।
अब ननद को मेरी बदमाशी समझ में आ गयी थी, वो मुस्करा रही थी.
' किसको ' मैंने अपनी आवाज में बिना नरमी लाये बोला और वो समझ गए की हाल खुलासा बयान करना होगा।
" तेरी ननद, मेरा मतलब अपनी बहन को रोज पेलूँगा, ... बिना नागा,"
" और अगर बहाना बनाया तो की घर में आज महतारी हैं, आज जीजा जी है, आज एकादशी है आज फलाने आये हैं तो "
मेरी आवाज में नरमी अभी भी नहीं आयी।
" कोई होगा, किसी के सामने भी "
रसीली पनियाई बहन की बुर के लिए कोई भी भाई कुछ भी मान लेगा, ये कौन दुनिया से अलग थे.
" अपनी महतारी अपनी जीजू के सामने चोदना होगा, अपनी बहिनिया को, घर में भी बाहर भी, खेत खेताडी में भी,... "
मैंने मामला एकदम साफ़ कर दिया, फिर न बिचक जाएँ बहन पे चढ़ने के नाम पे
अब ननद भी मैदान में आ गयी और उनसे चिढ़ाते हँसते हुए बोली,... " और भैया किसी दिन नागा हुआ तो "
" अरे तो हम दोनों मिल के इनकी गांड मारे लेंगे, एक बार ननद भौजाई मिल जाएँ तो दुनिया हिला दें, तोहरे भैया बहुत चिकने लौंडो क मारे होंगे अब हम दोनों मिल के मार लेंगे,... अगर अब आगे से कउनो बहाना किये तो "
मैंने हंस के इनकी ओर से जवाब दिया और फिर कस के ननद की बिल एक बार फिर से कस के चूसने लगी,... जीभ होंठ ऊँगली सब ने एक साथ मेरी ननद की बुर पे धावा बोल दिया, बस दो चार मिनट में वो झड़ने के कगार पर पहुँच गयी,...
" भौजी झाड़ दो न , बहुत मन कर रहा है, ... " ननद चूतड़ उछाल के बोल रही थी।
और मैंने होंठ हटा लिया, शरारत से बोली, " अभी तो तेरे भैया ने बोला है, बेचारा बहन चोदने के लिए पागल हो रहा हो, दे दो न बेचारे को झाड़ देगा, देखो कैसे मस्त खूंटा खड़ा किया है '
Thanks so much for such detailed comments.वाह माझा आ गया. आपने तो मोहे रंग दे की शारारत याद दिला दी. शादी के माहोल वाली.
दोनों छुटकी और मंजलि की शारारत मस्त लगी. कोमलिया को चिढ़ाने का मौका नहीं छोड़ रही.
लो एक्टिंग करते करते रियल ड्रामा शुरु. आ पहोचे कोमलिया के दरवाजे पार.. जेठानी तो सयानी निकली. उनकी महतारी भी बड़ी प्यारी है. लेकिन तेरी नांदिया तो बड़ी ही मस्त निकली. शादी से पहले ही दुलार दिखा चुकी है. पसंद कर चुकी है. इसी लिए उसके भैया के खुटे पर चढ़ा दिया.
समाधान तो दोनों तरफा मज़ाक पूरा चलता ही है. रिस्ता पक्का हुआ ही की कोमलिया की महतारी पार गधे घोड़े नाउआ चढ़वा दिये. बातो मै ही..
मगर मिश्राइन भउजी ने मज़ाक मै डराया वो गलत तो नहीं था. हुआ भी. मैया ने सारे डर को दूर किया. अशली गुरु तो महतारी है. माझा आ गया. स्वीट अपडेट