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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

motaalund

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aapki teeno story me yeh meri fav h. well, jaisa maine socha tha waisa hua ni. Hero drink karke aayega aur komal use nashe me hi apni saas par chadha degi but story changed . lets see dekhte hai age. kya hota hai. Nandoi Ek week tak nahi ayege tab tak bhaiya hi bane rahenge saiya. but is baar saas bhi hai. Ab Nanad ki bhaiya se chudai ki agya uski maa se hi dilwai jaye kyuki saas ko bhi pata hai. abhi ni to kabhi ni. jaisa ashirwad hai. it will be romanchkari. ki uski saas khidki se dekh rahi hai uske dono bachcho ki jabardast chudai. apka kya vichar hai.
सास को नानी बनने की अभिलाषा है....
लेकिन तैयारी तो नानी के साथ साथ दादी बनाने की है...
 

motaalund

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आपने तो आरुषि जी की याद दिला दी।
मुझे दो-चार लाइनें लिखने में पसीने छूटने लगते है...
आरुषि जी. पूरे भाव के साथ कविता का मर्म उकेर देती हैं....
 

motaalund

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कहानी अगर मुड़े नहीं, एक सीधे सीधे रस्ते पर चलती जाए तो क्या मजा। कहानी में वैसे ही कर्व होने चाहिए जैसे कहानी की नायिकाओ में होते हैं
यही ट्विस्ट तो दिल की धड़कने बढ़ा देती हैं और उत्सुकता भी...
 

motaalund

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बहुत बहुत धन्यवाद

इन्सेस्ट के किस्सों में कहीं न कहीं मोटिवेशन भी जरूरी होता है, आखिर क्यों

और थोड़ी सी पृष्ठभूमि भी, जो गीता और अरविन्द के किस्से में भी था और रेनू और कमल के किस्से में और सबसे बढ़कर उन संबंधो की माँ के द्वारा स्वीकारा जाना जिससे स्वभावगत अपराध बोध न हो, यहाँ तो कमल की माँ और रेनू की चाची ने खुद ही पूरा किस्सा भी बताया और सब जिम्मेदारी कमल की नयकी भौजाई को सौंप दी जिन्होंने न सिर्फ भाई बहन की गनाथ बंधवाई बल्कि घर तक छोड़ के भी आयीं

रेनू -कमल, चंदू, चुन्नू ये सब पात्र फिर फिर आएंगे कहानी में
सचमुच भाव प्रवण....
इंतजार रहेगा न केवल रेनू-कमल बल्कि गीता-अरविंद और साथ में फुलवा भी...
 

motaalund

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chaliye agale bhaag men vo sab mamala saaf ho gaya
रोमांचक मोड़ पर ला कर छोड़ना शायद बाबू देवकीनंदन खत्री जी से प्रेरणा लेकर आपने अपनी कहानियों में उसका पुट दिया है..
वो भी बनारस की तरफ से हीं थे...
 
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