" पूरे पांच पोती पोते होंगे, कम से कम, समझ लीजिये,बहू
" तुम बहू नहीं मेरी बेटी हो " उनकी आँखे डबडबा आयी थीं,
अब उन्हें कौन समझाए, की बेटियां भी, एक बार ससुरार गयीं, तो मायके आती भी हैं तो ढेर सारा ससुरार साथ में ले आती हैं,... वही बातें, वही यादें और एक दो बच्चे हो गए, तो फिर,... उस का टेस्ट छूट जाएगा, बेटी की म्यूजिक की क्लास है. आने के पहले लौटने का रिजर्वेशन हो जाता है।
लेकिन मेरे मुंह में जो आया मैंने बोल दिया,
" बना दिया न मेरे मरद को बहनचोद, मुझे बेटी बना के "
" अरे वो इस गाँव के सब मरद हैं " वो मुस्करा के बोलीं
अब उनके चेहरे पर शरारत आयी, जैसे कमरे के किसी अँधेरे कोने में ढूंढती ढाढ़ती धूप पहुँच जाए, आखिर वो भी तो इस गाँव की बहू थीं, मेरी तरह, उनकी भी ससुराल थी तो मेरी तरह वो भी गाँव के सब मरदों और लड़कियों से मजाक करने का हक लिखवा के लायी थीं।
और उनके चेहरे पे खुशी आयी तो मेरा चेहरा और दमक उठा, और मैं चुहुल करते हुए बोली,
" अभी तो मैंने तंग करना शुरू किया है आपको साल भर हुआ, बस दो तीन साल और, फिर देखिये सांस लेना मुश्किल कर दूंगी, इत्ता परेशान करुँगी, आप खुद कहियेगा, ....कहाँ से ले आयी ऐसी बहू, लेकिन आ गयी हूँ तो हिलूंगी नहीं। "
" का करोगी तुम "थोड़ा समझते, थोड़ा बिना समझे उन्होंने पूछ लिया,
और मैंने बिना बोले पहले एक हाथ का पूरा पंजा खोल दिया, पांच ऊँगली दिखाई और बोलना शुरू कर दिया,
" पूरे पांच पोती पोते होंगे, कम से कम, समझ लीजिये, ज्यादा भी हो सकते हैं अगर आप पांच के बाद मना नहीं करियेगा तो, ...बस दो तीन साल आराम कर लीजिये। सब दिन भर दादी दादी कर के, अपने चार बच्चे पाल लिए न मेरे भी पालने का काम आप ही के जिम्मे,
बहू को सास से एक हाथ आगे निकलना चाहिए, इसलिए आप के चार तो मेरे कम से कम पांच, और सोयेंगे सब आप ही के पास, एक खूब चौड़ी सी पलंग बनवा लीजिये, और मै उन को आप के पास लिटा के, आप के बेटे के पास।
मुझे क्या करना है बस टाँगे उठा लूँगी, फैला दूंगी,.... आप के बेटे को जो करना होगा करेगा,... और ठीक नौ महीने बाद निकाल दूंगी बाहर। हाँ एक बात और न अस्पताल न मायका, सब के सब यही होंगे, ....सौरी भी आपको रखाना होगा, पिपरी और सोंठ के लड्डू भी बनाना होगा, और जहाँ बरही हुयी , आप का पोता आप के पास और मैं आप के बेटे के पास.
जबतक आप नहीं कहियेगा, बहू बस,... तब तक न आपरेशन करवाउंगी, न गोली खाउंगी। दो तीन साल थोड़ा आराम कर लीजिये बड़े कठिन दिन आने वाले हैं आपके। और हाँ दो चार साल की मुसीबत नहीं है, वो सब के सब, उन को पहले आप को बड़ा करना फिर, अपने बेटा बेटी क बियाह की तो मेरे वाले क कौन करवाएगा ..., सब आप के जिम्मे, दामाद क परछन , बहू उतारना,...
और कम से कम जब तक आप मुझको दादी नहीं बनवा लेतीं, ... सब जिम्मेदारी आपकी,... और मैं ये चौखट डाँक के कहीं नहीं जानेवाली ।
सास एकदम खुश और जब ज्यादा खुश होती तो बस वो एक काम जानती हैं, उन्होंने मुझे अँकवार में भर लिया और बहुत देर तक बोल नहीं पायीं फिर बोला तो बस यही निकला उनके मुंह से,
" तुम पागल हो, एकदम पागल "
थोड़ी देर तक हम दोनों खूब खुश होके चिपक के बैठे रहे, वो बार बार मुझे देखतीं, लेकिन कुछ था जो मुझे नहीं मालूम था, वो फिर उदास होने लगीं, फिर उन्होंने एक सवाल पूछा बल्कि दो सवाल और दोनों के जवाब मेरे पास नहीं थे।
थोड़ी देर तक वो चुप बैठी रहीं, सूनी आँखों से मुझे देखती रहीं, फिर धीमी आवाज में बोली,
ये तो ऑफिसियल होंगे....
और जो बहन निकालेगी उसका क्या...
उन्हें तो नानी-दादी दोनों का प्यार देना पड़ेगा....