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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

motaalund

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कई कहानियों में ज्ञान वर्धन के लिए मैंने लिखा है,

अगर ननद का पर्यायवाची इम्तहान में पूछा जाय और दस पर्यायवाची बताने को कहा जाय

तो बस इसी को दस बार लिख देने पे पूरे नंबर मिल जाते हैं,

ऐसा छिनरपन की बगल में बैठे भइया, जो पेट में पल रही बेटी के बापू भी हैं, वो भी एक मिनट के लिए कन्फ्यूज हो गए, पति से बचने की टाइम टेस्टेड टेक्निक, तेज सरदर्द,, और अगर माइग्रेन की हिस्ट्री भी हो तो फिर कौन शक कर सकता है ,
और ये ननद तो उससे भी बीस हाथ आगे...
इसलिए सारे गुण महतारी से सीख के अमल में ला रही है...
 

motaalund

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बेटी के बदले बेटी की माँ और भाभी

ससुराल में तो मल्टीपल च्वॉइस वाला मामला होता है और कई बार कुछ सवालों में दो जवाब भी सही होते हैं तो

सास भी सलहज भी और बीबी तो वैसे भी माइग्रेन के चक्कर में ' आउट ऑफ़ ऑर्डर ' का बोर्ड लगा के कमरे में बाहर से ताला लगवा के लेटी है
मल्टीप्ल च्वायस क्वेश्चन में...
सारे के सारे करेक्ट भी हो सकते हैं...
इसलिए आउट ऑफ ऑर्डर के बाद .. सारे उपलब्ध च्वायस करेक्ट...
 

motaalund

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एकदम सही कहा आपने बस अगले भाग में सास की ये मस्ती जारी रहेगी और उम्मीद रहेगी की आप इसी तरह कमेंट से साथ देती रहेंगी।
जल्द ही अगला अपडेट
और इस मस्ती में हम सब भी मस्त होते रहेंगे...
 

ilaa

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कोमल जी,
अद्भुत अविरल काम रस से परिपूर्ण मनमोहक
एक एक शब्द मन मोह गया| सास बहू की जुगलबंदी
का कोई पर्याय ही नहीं है, दमाद जी की तो आज क्या पूछना|

आप के लेखन कला अद्भुत है, सारे के सारे शब्दों मे जान भर देती हैं आप, फ़िल्म की तरह सारा दृश्य सामने आ जाता हैं, जैसे की कोई चलचित्र चल रही हो सामने ये खास है आप की लेखन कला में |

आप को और आप की लेखन कला को कोटि कोटि नमन,
अगले धमाकेदार अपडेट का इंतजार

बहुत बहुत धन्यबाद
 

ilaa

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कोमल जी,
अद्भुत अविरल काम रस से परिपूर्ण मनमोहक
एक एक शब्द मन मोह गया| सास बहू की जुगलबंदी
का कोई पर्याय ही नहीं है, दमाद जी की तो आज क्या पूछना|

आप के लेखन कला अद्भुत है, सारे के सारे शब्दों मे जान भर देती हैं आप, फ़िल्म की तरह सारा दृश्य सामने आ जाता हैं, जैसे की कोई चलचित्र चल रही हो सामने ये खास है आप की लेखन कला में |

आप को और आप की लेखन कला को कोटि कोटि नमन,
अगले धमाकेदार अपडेट का इंतजार

बहुत बहुत धन्यबाद
 
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motaalund

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भाग ९४

मस्ती सास और सलहज के साथ - मजा जुबना का

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बेचारे नन्दोई जी, आँखे बंद, हाथ बंधे और मुंह उनके सास के जोबन के नीचे दबा, कुछ कर भी नहीं सकते और जवान सलहज उनके पिछवाड़े के पीछे,

चुम्मा तो शुरआत थी, मैंने लम्बी सी जीभ निकाली और सीधे पिछवाड़े की दरार पे, आगे पीछे, ऊपर नीचे, जैसे इनके उस स्साले के साथ करती थी जो अभी ननदोई जी की बीबी चोद रहा था।

नन्दोई जी बोल तो नहीं सकते थे लेकिन तड़पते हुए चूतड़ उछाल रहे थे,

थोड़ी देर तक रिम्मिंग करने के बाद मेरे जोबन मैदान में आ गए,

और अब वो दोनों कभी नन्दोई जी की चूतड़ पे रगड़ते कभी उस दरार और मैंने जब अपने खड़े निपल उनकी दरार में रगड़ना शरू कर दिया तो अब लगा की मारे जोश के वो दोनों हाथों में बंधे सास और सलहज के पेटीकोट के नाड़े को तोड़ देंगे,

सास ने मुझे इशारा किया, बहुत हो गया अब मजा देने का टाइम आ गया और मैंने बदमाशी बंद कर दी,

और जैसे ही सासू जी ने निपल उनके मुंह से बाहर निकाला


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वो बोले,


" सासु माँ कुछ करिये, न "

सासु ने उनके मुंह पे एक जबरदस्त चुम्मा लिया और बोलीं मादरचोद,

और उन्होंने मेरी जगह ले ली नीचे खूंटे के पास, मैं नन्दोई जी के सर के पास, और क्या जबरदस्त चुदाई की सास ने मेरी अपनी चूँचियों से नन्दोई जी की।

इसका मतलब ये नहीं मैंने कभी चूँची से चोदा नहीं था या देखा नहीं था, इनके मोबाइल में कितनी फ़िल्में थी, और मैं भी हफ्ते में एक दो दिन तो इन्हे ललचाने तड़पाने के लिए,



लेकिन जिस तरह से मेरी सास मेरे नन्दोई की रगड़ाई अपनी बड़ी बड़ी चूँचियों से कर रही थीं, वैसा मैंने कभी सोचा भी नहीं था,

बेचारे नन्दोई तड़प रहे थे, हाथ बंधे आँख बंद और सासु माँ, सिर्फ अपनी भारी भारी ३८ + साइज के जोबन से उनके ऊपर से नन्दोई जी के सीने से सहलाते हुए, फिर पेट और पूरा जोबन भी नहीं बस खड़े गरमाये निपल,
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और जब मामला खूंटे का आया, वो एकदम खड़ा फनफनाया, उनकी बड़ी बड़ी चूँचियों से दबा कुचला रहा जा, और जब वो उठीं तो दोनों हाथों से अपनी चूँची पकड़ के मेरे नन्दोई का मोटा बांस अपनी चूँची के बीच कस कस के रगड़ने लगी।

" उफ़, ओह्ह्ह, सासू माँ, क्या कर रही हैं, " नन्दोई मेरे तड़प रहे थे, चूतड़ उठा रहे थे लेकिन मैंने और मेरी सास ने हाथ दोनों उनके कस के बांधे थे,

" जो बहुत पहले करना चाहिए, बोल अपनी माँ के भंडुए, मेरे जोबन देख के ललचाता था की नहीं, "

सास ने दोनों उभारों के बीच में कस के नन्दोई जी के मोटे बांस को रगड़ते बोला,'
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" हाँ हाँ, कोहबर से ही "


नन्दोई जी ने सच उगल ही दिया, और मेरी सास के जोबन सच में ऐसे ही थी की कोई मचल जाए, फिर एकदम टाइट लो कट चोली और आँचल उनका गिरता ज्यादा था सम्भलता कम था।

" तो आज से पहले बोले क्यों नहीं, तीन साल से बेचारा मेरा दामाद तड़प रहा था "


सास ने प्यार से उनके उभारों से झांकते हुए सुपाड़े को कस के चूमते हुए प्यार से पूछा,

उनकी सहलहज थी न जवाब देने के लिए उनकी ओर से, मैं अब नन्दोई की के सर की ओर बैठी थी, प्यार से उनके गाल को सहलाते मैं बोली

" अरे तब उनकी ये वाली छोटी सलहज नहीं आयी थीं न "

और नन्दोई जी के मेल टिट्स को कस के नाख़ून से नोंचते नन्दोई जी से बोली

" अरे ननद रानी से तो कबड्डी अपने मायके में रोज बिना नगा खेलते हैं, आगे से सुसराल आइयेगा न तो बस सास और सलहज, हाँ की ना "


" हाँ, हाँ दस बार हाँ "

मस्ती में नन्दोई जी बोले, यही तो मैं चाहती थी की जब मेरी ननद मायके आये तो उनके मैदान में मेरे मरद का झंडा गड़े जैसे अभी वो गाड़ रहे होंगे और वो बिना नन्दोई जी को पटाये हो नहीं सकता था।

और सास ने भी अपनी दोनों चूँचियों से कस कस के नन्दोई को चोदना शुरू कर दिया,


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सास की कड़ी कड़ी चूँचियों की रगड़, नन्दोई जी की हालत खराब हो रही थी, बीच बीच में सास कभी कभी उनका खुला मोटा सुपाड़ा चूसना शुरू कर देती थीं तो कभी अपनी समधन को गरियाना शुरू कर देतीं,

"अब कभी सास, सलहज से लजाये न तो तोहार गांड तो बाद में मारूंगी तोहरे महतारी क गांड पहले मारूंगी,"

मैं क्यों पीछे रहती मैं नन्द की ननद के पीछे,

" एकदम सासू माँ आप इनकी महतारी क मारिएगा, मैं इनकी बहन की मारूंगी, क्यों ननदोई जी कैसा है माल, है न लेने के लायक "
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बेचारे क्या बोलते लेकिन बिना उनकी मुंह से उनके बहन के बारे में अच्छी अच्छी बात सुने जो छोड़ दे वैसी सलहज मैं नहीं थी,

" इसका मतलब, आपको सास, सलहज की नहीं चाहिए " मुंह फुलाकर मैं बोली,

" नहीं नहीं एकदम नहीं, " जल्दी से वो बोले, तो मैंने तुरंत रगड़ा

"तो फिर बोलिये न की बहन आपकी पेलने लायक है की न हाँ की ना"


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" हाँ "

किसी तरह कबूला उन्होंने और सास ने विजयी भाव से मेरी ओर देखा यही तो वो भी सुनना चाहती थी और अब ननदोई जी ने सास की चिरौरी शुरू कर दी,

" सासू जी करिये न बहुत मन कर रहा है "

" का मन कर रहा है, अपनी माई के भतार, बोलने में तो गांड फट रही है करोगे का "


सास ने और उकसाया और मैंने नन्दोई के कान में बोल दिया,

" अरे साफ़ साफ़ बोलिये, सास को ऐसे ही सुनना अच्छा लगता है "

" चोदने का मन कर रहा है , "

नन्दोई जी ने बोल दिया, और अब मैं एकदम सलहज, मैंने सास की ओर से शर्त रख दिया,

" नन्दोई जी तुंही कह रहे हो की बहन तोहार पेलने लायक हो गयी है, ....तो अब तोहरी ससुराल में पेली जायेगी, ....हां की ना "
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मस्ती में नन्दोई जी बोले, यही तो मैं चाहती थी की जब मेरी ननद मायके आये तो उनके मैदान में मेरे मरद का झंडा गड़े जैसे अभी वो गाड़ रहे होंगे और वो बिना नन्दोई जी को पटाये हो नहीं सकता था।
अब तो नंदोई के ससुराल में उनकी बीवी का मरद उनका साला...
" नन्दोई जी तुंही कह रहे हो की बहन तोहार पेलने लायक हो गयी है, ....तो अब तोहरी ससुराल में पेली जायेगी, ....हां की ना "
और नंदोई की बहिनी की तो ... रगड़ रगड़ के..
आखिर पेलवाने लायक माल जो है...
 
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