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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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komaalrani

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na bhuli wo holi ,chanda,komal ke kisse ,shadi ke laddu etc padna hai.
Thanks so much. Meri abhi teen stories chal rahi hain kindly use jaror padhen

aur komal ke kisse ke liye in threads par jaa skate hain


 

komaalrani

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Lovely update roam
Roam khada kar Diya aapne
Bahoot bahoot dhanyvaad

bas isi tarah baaki dono kahaniyon par bhi saath nibahaiye, ek baar fir se thanks so much.
 

Sutradhar

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मेरी ननद, मेरा मरद

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बस मैं जरा सा कडुवा तेल ले आती हूँ और मेरे आने के पहले खेल शुरू मत करियेगा ,



ये कहके मैं बाहर निकल आयी।

असल में मैं ज़रा ननद का और इनका भी हाल चाल लेना चाहती थी, खेल कहाँ तक पहुंचा मेरे मर्द का, वैसे तो ये तीसरा दिन था उनका बहन पर चढ़ाई करने का, लेकिन बहनोई के रहते हुए बहन चोदने की बात ही कुछ और है

जब मैं नन्द और अपने ' दूसरे ननदोई, ननद जी क होने वाली बच्ची के बाप ' के कमरे के पास पहुंची,

तो चूड़ी की चुरमुर, पायल की झंकार सब बंद थी, साफ़ था इंटरवल हो गया है, खिड़की हल्की सी खुली थी।



मेरे मरद, मेरा मतलब दूसरे नन्दोई का मूसल थोड़ा सोया थोड़ा जागा, ( आज तीसरा दिन था मेरी ननद पे उन्हें चढ़ाई करते, तो इस रिश्ते से उन्हें ननदोई कह के चिढ़ा ही सकती हूँ )

लेकिन मुझसे ज्यादा कौन जानता था उसकी बदमाशियां। जब मैं समझती थी वो थक गया है अब नहीं उठेगा, उसी समय, बस थोड़ा सा इनकी बहन महतारी गरियाती, उसे हाथ में लेकर सुहराती थी तो ऐसा फनफना के , जबतक चीखें न निकलवा ले, थेथर न कर दे, छोड़ता नहीं था।



खुली खिड़की से इनका चेहरा तो नहीं दिख रहा था लेकिन मेरी ननद का गोरा चम्पई रूप, आँखों से ख़ुशी छलक रही थी, और उन्ही आँखों से उन्होंने मेरी एक झलक देखी, और मुस्करा दीं, अपने भैया का हाथ खींच के उन्होंने अपने पेट पर जहाँ से नौ महीने बाद उनके भैया की मेहनत निकलने वाली थी, ' उसी से ' वो बात कर रही थी,

" देख रही हो न अपने बेटीचोद बाप को, ....तोहरी महतारी को चोद चोद कर थेथर कर दिया लेकिन तब भी मन नहीं भर रहा है तेरे बाप का। और घबड़ा काहें रही हो, बस नौ महीना की बात है, निकलोगी तो सबसे पहले इस मरद की सूरत दिखाउंगी, ऐन छठी की रात,... देख लेना अपनी आँख खोल के, कइसन बदमाश है ये बेटी चोद। घबड़ा जिन, हमसे ज्यादा तोहार हालत खराब करेगा,... ये बेटी चोद, "
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मैं ननद जी की शरारत भरी बातें सुन रही थी और असर उसका उसी पर हुआ जो होना था, वही हुआ,

ये बात सुन के मेरे मरद का खूंटा फनफनाने लगा, ननद जी अब सहलाने की जगह उसे खुल के मुठिया रही थीं, सोता हुआ तो मुट्ठी में आ जाता था, जग जाए तो मुट्ठी में समाना मुश्किल,


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लेकिन ननद जी की बातें जारी थीं,


"इससे भी बदमाश है इसका मूसल, और एक हमार भौजी है वो और दुलार कर कर के उसकी आदत खराब कर दी है, ऐन बरही के दिन, देख लेना उसकी भी कारस्तानी, ...जब तोहरे सामने तोहरी महतारी को,...चोद चोद के, चोद चोद के, देखना अपने असली बाप को "


लेकिन आगे की बातें रुक गयी,


क्योंकि मेरी ननद के भैया अब गरमा गए थे, और ननद के चूतड़ के नीचे जितना तकिया था सब लगा के एक हाथ ऊपर उठा रहे थे, अगला राउंड शुरू होने वाला था,

मैं नहीं चाहती थी वो देखें मुझे देखते हुए, लेकिन मेरे हटने के पहले ननद ने इशारे से बता दिया, तीन ऊँगली दिखा के तीसरा राउंड शुरू हो रहा है,

और मैं खिड़की से हट गयी,

और इनकी एक बात से मैं खुश थी, इनको कोई बात समझ में आये न आये, लेकिन आँख बंद कर के मान लेते थे और मैंने इनसे दस बार कहा था की इस बार सिर्फ जैसे पहले दिन किया था एकदम उसी तरह उसी उसी तरीके से जिससे हर बूँद सीधे बच्चेदानी में जाए, जैसे बोआई के समय बीज नहीं बरबाद होना चाहिए एकदम उसी तरह,

मन इनका बहुत ननद जी की गांड मारने का कर रहा था, ऐसे मस्त चूतड़ और जैसे मटका के चलती हैं वो किसी भी मर्द का देख के टनटना जाए, मेरे मरद की कौन गलती। लेकिन मैंने इनको समझा दिया था,


"खबरदार, अभी पिछवाड़े की ओर मुंह भी मत करना, सब की सब बूँद चूत रानी के अंदर और वो भी ऐसे की सब बक्कदानी में जाए, " मेरे मन में बार बार होलिका माई की बात गूंजती थी, ननद को पांच दिन के अंदर गाभिन होना था लेकिन वो दिन पांच दिन के अंदर कोई भी दिन हो सकता था।



मैंने समझा भी दिया था, " घबड़ा मत एक बार बस किसी तरह से गाभिन कर दो, फिर तो लौटेंगी न मायके, अरे गाभिन होने पे चूतड़ और चौड़ा हो जाता है, गांड और मारने लायक, मारना मन भर, अपने हाथ से पकड़ के तोहार खूंटा अपनी नन्द के पिछवाड़े लगवाउंगी, खुद तोहरे गोद में बैठ के अपनी गांड में तोहार मूसल घोटेंगी, लेकिन अभी बस, " और जिस तरह से वो ननद के चूतड़ के नीचे तकिया पर तकिया लगा रहे थे गाभिन करने के लिए सबसे अच्छा था, दूबे भाभी और आशा बहू दोनों लोगो ने समझाया था, चूतड़ जितना उठा रहे उतना अच्छा, चूत का मुंह और बच्चेदानी का मुंह एक सीध में रहेगा और ढलान भी तो एक एक बूँद ढलक कर सीधे बच्चेदानी में, बाहर बीज नहीं आएगा।"
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पांच दिन में आज चौथा दिन था।

पहले दिन तो आपने सामने ही मैंने इनका बीज इनकी बहन की बिल में डलवाया, अगले दिन ननद अपनी सहेलियों के साथ और ये अपने बहनोई के चक्कर में पुलिस हस्पताल, तीसरा दिन कल की रात थी। नन्दोई जी अस्पताल में नर्सों के साथ मजे ले रहे थी और उनकी बीबी पे उनका साला चढ़ा था। आज चौथी रात थी और नन्दोई जी अपनी सास सलहज के साथ और उनके साले नन्दोई की बीबी के साथ, बस एक दिन बचा था। कल भी नन्दोई की परछाई से ननद को बचाना था और मेरे मरद का बीज मेरी ननद के बिल में, उसके बाद अगली सुबह हम दोनों वो प्रिग्नेंसी टेस्ट करेंगी और एक बार गाभीन हो गयी मेरी ननद तो ये पक्का था बेटी मेरी मरद की ही है, उन्ही के बीज की बोई,



और मैं ननद की बात के बारे में सोच रही थी मुस्का रही थी, जिस तरह से वो बतिया रही थीं,


" बरही की रात में तोहरे सामने, देख लेना कैसा मोट मूसर है, "

जैसे सुन ही रही हो। लेकिन क्या पता अभिमन्यु भी तो सुभद्रा के पेट में,.... और सुभद्रा भी तो अर्जुन क ममेरी बहन ही तो थी , और सुभद्रा सो गयीं तो अभिमन्यु आखिरी दरवाजे का किस्सा नहीं सुन पाया, ....पर हमार ननद सोने वाली नहीं, एक एक बात अरथा अरथा की समझा रही थी, सच्ची में बेटी कुल गुन आगर हो के निकलेगी, महतारी के पेट से। पहिलवे से सीखी पढ़ी।



और तभी मुझे याद आया निकली किस लिए थी, ...सरसो का तेल लेने, वहां बेचारी हमारी सास निहुरि. फैलाये,... अपने दामाद क खूंटा क इंतजार कर रही होंगी।



झट से रसोई से कडुवा तेल क डिब्बा ले के मैं वापस पहुंची,


लेकिन मेरी सास वो, वो सच में मेरी सास थीं, खूब मस्ती ले रही थीं। जो काम कभी उनकी बिटिया न करा पायी वो अपने दामाद से करा रही थीं, दरवाजे पर एक हाथ में सरसों के तेल की बोतल लेके मै मुस्कराते हुए देख रही थी,



दामाद उनके, उनका खुला पिछवाड़ा चाट रहे थे, सास ने खुद अपने हाथ से अपने दोनों बड़े बड़े नितम्बो को फैला रखा था, जीभ उनकी उस गोल छेद की कुण्डी खटका रही थी, पर इतने दिनों से बंद दरवाजा, कहाँ बिना तेल लगाए खुलने वाला था। पर मैं सास की शैतानी देख रही थी

" अरे ऐसे नहीं जाएगा, जिभिया अंदर तक डाल के नहीं तो बाहर बाहर से काम नहीं चलेगा, " उन्होंने अपने दामाद को उकसाया,
वाह कोमल मैम

हमेशा की तरह शानदार अपडेट

सादर
 

komaalrani

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komaalrani

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वाह कोमल मैम

हमेशा की तरह शानदार अपडेट

सादर
बहुत बहुत आभार, धन्यवाद
 

komaalrani

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भाग ९४

मस्ती सास और सलहज के साथ - मजा जुबना का


पिछला अपडेट, पिछले पृष्ठ पर आपके लाइक्स और कमेंट का इन्तजार करता

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motaalund

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बहुत बहुत आभार।

लेकिन अब फिर एक बार पहले की तरह, हर कहानी में हर पोस्ट के बाद आपके उत्साहित करने वाले कमेंट्स की जरूरत होगी जिससे गाडी फिर से रफ्तार पकड़ सके। :thanks: :thanks: :thanks:
अपनी तरफ से भरपूर कोशिश रहती है कि...
गाड़ी की रफ्तार धीमी ना हो...
आगे ऊपर वाले की मर्जी...
 
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