• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

Well-Known Member
23,591
63,596
259
भाग १०७

बुच्ची और चुनिया
Girls-two-e6362a7f334a9fdf08617124f20d368b.jpg

२७,१०,२१४

--


लेकिन तभी नीचे से बुच्ची की सहेलियों की आवाज आयी और वो छुड़ाकर, हँसते खिलखिलाते कमरे से बाहर।


और इमरतिया भी साथ साथ लेकिन निकलने के पहले सूरजु को हिदायत देना नहीं भूली

" स्साले, का लौंडिया की तरह शर्मा रहे थे, सांझ होते ही मैं आउंगी बुकवा लगाने, आज खाना भी जल्दी हो जाएगा।
यहीं छत पे नौ बजे से गाना बजाना होगा, तोहरी बहिन महतारी गरियाई जाएंगी। तो खाना आठ बजे और दो बात, पहली अब कउनो कपडा वपडा पहनने की जरूरत नहीं है, इसको तनी हवा लगने दो और ये नहीं की हम आये तो शर्मा के तोप ढांक के,
और दूसरे बुच्ची जब खाना खिलाती है तो अपने गोद में बैठाओ, ओकर हाथ तो थाली पकडे में खिलाने रहेगा , बस फ्राक उठा के दोनों कच्चे टिकोरों का स्वाद लो,"

Teej-03099ab0a21b48386b79c8d41ca56896.jpg


पर बात काट के सूरजु ने मन की बात कह दी,

" पर भौजी, हमार मन तो तोहार, लेवे का,….. "

" आज सांझ को, आउंगी न बुकवा लगाने, …चला तब तक सोय जा। "

मुस्कराकर जोर जोर से बड़े बड़े चूतड़ मटकाकर, मुड़ कर इमरतिया भौजी ने सूरजु देवर से वादा कर दिया .

इमरतिया का मन हर्षाय गया, कितने दिन से ये बड़का नाग लेने के चक्कर में थी और आज ये खुद,...
Teej-Gao-06a0631fb0aa05005635989345051874.jpg


बुच्ची सीढ़ी पर इमरतिया का इन्तजार कर रही थी.

सीढ़ी पर से नीचे उतरते हुए, इमरतिया ने बुच्ची की छोटी छोटी चूँची फ्राक के ऊपर से दबाते हुए बोली, " हमार देवर दबाय दबाय के इसको बड़ा कर देगा " और नीचे से फ्राक को उठा के चिकनी बिल के छेद पे ऊँगली रगड़ते हुए चिढ़ाया “ और इसको चोद चोद के "

अपने को छुड़ा के नीचे आंगन में दौड़ के पहुँचती हुयी सहेलियों के बीच से बुच्ची ने मुंह चिढ़ाते हुए कहा

" अरे भौजी, तोहरे मुंह में घी गुड़, भौजी क बात जल्द सही हो "

लेकिन एक भौजाई के चंगुल से छूटी थी तो यहाँ तो दर्जनों भौजाई मौजूद थीं, कच्ची उमर की ननद का रस लेने, एक बोली,

"आय गयी, हमरे देवर से चुदवा के. फ्राक उठा के देखो, बिल बजबजा रही होगी,… सफ़ेद मलाई से "

" अरे एक देवर से कहाँ काम चलेगा, देखना, देवरन से पेलवायेगी, उहो एक साथ, क्यों बुच्ची, बबुनी ,…एक बुरिया में एक गंडिया में, "

एक गाँव की कहारिन हँसते हुए बोली।


Teej-Gao-62a0e694d308999aa350acbe7e79335c.jpg


सब को मालूम था की बुच्ची ऐसे मजाक से बहुत छनछनाती थी इसलिए और रगड़ाई होती थी उसकी।

" अरे खाली अपने भाई को दोगी की,... हमरे भाइयों को भी दोगी, "
चुनिया, रामपुर वाली भाभी की छोटी बहन बोली,

वो लोग अभी थोड़ी देर पहले आये थे, वो भी नौवें में पढ़ती थी और बुच्ची की पक्की सहेली।
Girl-school-0b2ff7cb3c4ca8e3f9a5f0544b9ca2bd.jpg


उसका भाई गप्पू बारहवें में था और बहुत दिन से बुच्ची के चक्कर में था।

रामपुर वाली भौजी का नाम रामपुर वाली कैसे पड़ गया?

असल में गाँव में भौजियों की कमी तो होती नहीं, तो कोई बड़की भौजी, कोई नयकी, कोई छोटकी, लेकिन फिर आगे लगाने वाले विशेषण कम पड़ जाते हैं, तो भौजी के मायके का नाम का जोड़ के, और रामपुर कोई ऐसी वैसी जगह भी नहीं थी, क़स्बा था, बड़ा कस्बा, समझिये छोटे मोटे शहर की टक्कर लेता, लड़कियों, लड़को का इंटर तक स्कूल, हॉस्पिटल, और सबसे बढ़कर सिनेमा हाल, और उससे भी बड़ी बात की वहां से बस चलती थी, जो सूरजु के ननिहाल, रामपुर वाली के ससुराल से दो मील पहले एक बजार थी, वहां तक, और गाँव के सब लोग कोई बड़ी खरीददारी करने हो, घूमने जाना हो तो रामपुर ही, तो बस भौजी रामपुर वाली हो गयी।
Teej-a78d22344a57eb91c3199434240052fa.jpg


रामपुर वाली से सूरजु की माई की बहुत दोस्ती थी, और भौजी के गौने उतरने से ही, असल में,

बताया तो था, सूरजु के बाबू को नवासा मिला था, सूरजु के माई के न कोई भाई न बहन, तो सूरजु के नाना ने सब कुछ, सूरज बली सिंह, अपने नाती के नाम लिख दिया था, १०० एकड़ जमीन पे तो खाली गन्ना होता था, ओहि गाँव में, बाकी धान, गेंहू, आम क दो बाग़ और अगल बगल के गाँव में भी कई जगह जमीन, सब सूरजु के नाम। तो सूरजु की माई और सूरजु दोनों, बोवाई, जुताई, कटाई और बीच बीच में जाते रहते, और रामपुर वाली भाभी का घर एकदम बगल में, तो कभी उन्ही के यहाँ टिक जाते,


मिजाज भी सूरजु की माई का और रामपुर वाली का बहुत मिलता था, खूब खुल के हंसी मजाक, छेड़छाड़ वाला, और सूरजु कभी अकेले जाते तो पक्का रामपुर वाली भौजी के यहाँ, अब एक आदमी के लिए क्या घर खोले।

एक बार पहुंचे वो तो भौजी उदास, असल में उनके पति शहर में कारोबार करते थे तो हफ्ते में पांच दिन तो शहर में, कभी कभी भौजी भी, लेकिन जुताई, बुआई, खेती के काम के टाइम वही रामपुर वाली मोर्चा सम्हालती, और जब सूरजु ने बहुत पूछा तो मुस्करा के चिढ़ा के बोलीं

" जब मरद घर नहीं होता तो उसकी सब जिम्मेदारी देवर की होती है, सब काम करना होता है मरद का, "

" एकदम मंजूर आप परेशानी बताइये न भौजी " बिना कुछ सोचे सूरजु बोले। आज तक उन्होंने भौजी को उदास नहीं देखा था

" अरे जुताई हुयी नहीं है, बड़का खेत में भी और पोखरा के बगल वाले में भी, और हफ्ता दस दिन में बुवाई का टाइम हो जाएगा हरवाह बीमार हैं दोनों और तोहार भैया कउनो कारोबार के चक्कर में बम्बई गए हैं,... दस दिन बाद आएंगे, "
Teej-0814aab0a7c31af5fee8f7caa460af10.jpg


अपनी परेशानी भौजी ने देवर को बतायी,

" अरे देवर के रहते जुताई क कौन परेशानी, बात आपकी सही है, मरद न होने पे देवर क जिम्मेदारी, भैय्या नहीं है, आपका देवर तो है न "

बस अगले दो दिन में रामपुर वाली का सब खेत जुत गया, लेकिन रात में रामपुर वाली ने खुल के छेड़ा, सूरजु को,

" हे देवर, खाली बाहर के खेत क जुताई करते हो की घर के अंदर भी, "


सूरजु शर्मा गए, चेहरा लाल, " धत्त भौजी," धीमे से बोले, और भौजी ने सीधे देवर के लोवर की ओर हाथ बढ़ाया, बेचारा घबड़ा के पीछे हटा तो रामपुर वाली खिलखिला उठी,

"अरे तू तो इतना लजा रहे हो, इतना तो लौंडिया नहीं लजातीं, हम तो बस ये देख रहे हैं की कही देवर की जगह ननद तो नहीं है"
Teej-IMG-20230606-045527.jpg


और उस दिन से देवर भाभी की जोड़ी जम गयी,

लजाधुर, झिझक शर्म में कमी नहीं आयी लेकिन अपने मन की बात जो माई से नहीं कह पाते थे वो रामपुर वाली से, और रामपुर वाली की एक रट, हमें देवरानी चाहिए, उन्होंने समझाया भी कुश्ती छोड़ना पड़ेगा तो वो चिढ़ा के बोलतीं,

"अरे नहीं, हमरे देवरानी से लड़ना न कुश्ती, तोहें पटक देगी हमार गारंटी, और फिर साली, सलहज, कुश्ती लड़ने वालों की कमी नहीं होगी, कब तक बेचारे नीचे वाले पहलवान को बाँध छान के रखोगे "

और सूरजु रामपुर वाली से ही क़बूले,

"भौजी बस यह नागपंचमी को आखिरी कुश्ती, एक पहलवान पंजाब से आया है, हर जगह चैलेंज दिया है एक बार उसे पटक दें तो फिर जउन भौजी कहें वो कबूल "

और ये ख़ुशख़बरी जब रामपुर वाली ने सूरजु की माई को दी तो बस उन्होंने गले लगा लिया और बोलीं,

खाली बरात बिदा करे, देवरानी उतराने मत आना,जिस दिन से लग्न लगेगी, उस दिन से, तोहार देवर तोहार देवरानी तू जाना, मैं तो खाली चौके चढ़ के बैठी रहूंगी। और हाँ कुल जनी.

तो उन्ही रामपुर वाली भौजी क छोट बहिन चुनिया, बुच्ची क ख़ास सहेली और उन का छोटा भाई गप्पू, अभी बारहवें में गया, रेख क्या हल्की हलकी मूंछ भी आ रही थी, और सूरजु सिंह जैसा लजाधुर नहीं, लेकिन बहिन क ससुराल तो थोड़ा बहुत झिझक


लेकिन जितना रामपुर वाली भौजी सूरजु की माई के करीब उतना ही ये दोनों, और गरमी की छुटियों में, जाड़े में, कई बार सावन में राखी में वो आता चुनिया के साथ तो हफ़्तों,

और कई बार बुच्ची भी उसी समय सूरजु की माई के साथ पहुँच जाती तो बस, कभी आम के बाग़ में तीनो छुपा छिपाई खेलते तो कभी पेड़ पर चढ़कर कच्चे टिकोरे तोड़ते, और दोनों लड़किया मिल के अकेले लड़के को, गप्पू को छेड़ती भीं,

एक दिन चुनिया और बुच्ची दोनों एक आम के पेड़ की मोटी डाल पर बैठीं थी और नीचे गप्पू, वो दोनों टिकोरे तोड़ के फेंक रही थी, गप्पू बटोर रहा था, साल डेढ़ साल पहले की बात है।

" हे भैया एकदम खट्टी मीठी कच्ची अमिया चाहिए " मुस्कराते हुए बुच्ची के कंधे पर हाथ रख के चुनिया ने गप्पू को छेड़ा,
Girl-2abbbe61fd91d94eaed1c32054d9ffcf.jpg


गप्पू को पेड़ पर चढ़ने में डर लगता था पर ये दोनों, बुच्ची और चुनिया, दोनों सहेलियां, बंदरिया की तरह, एक डाल से दूसरी डाल पर चढ़ कर पूरा बाग़ नाप देतीं।

गप्पू कुछ बोलता उसके पहले बुच्ची के कंधे पर रखा चुनिया का हाथ नीचे सरका और अपनी सहेली की कच्ची अमिया दबाते बोली

" अरे पेड़ के टिकोरे नहीं, ....मेरी सहेली के बुच्ची के "

अब वो बेचारा झेंप गया और जो लड़के लजाते हैं लड़कियां और उनकी खिंचाई करती है और सहेली के भाई पर तो लड़कियां अपना पहला हक समझती हैं तो बुच्ची बोली,

" टिकोरे के लिए तो ऊपर चढ़ना पड़ता है,.... नीचे से तो खाली ललचाते रहो "


Girl-IMG-20231111-195923.jpg


लेकिन उस दिन से गप्पू और बुच्ची में जबरदस्त नैन मटक्का चालू हो गया, वो लाइन मारता था और ये न ना न हाँ, लेकिन कभी मुस्करा के कभी अदा से गाल पे आयी लट झटक के,
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
23,591
63,596
259
गप्पू

Girl-Shalwar-afbe18c32174e6783a23b2fe497fe26e.jpg


"अरे तुम सब लड़कियां खाली खी खी करती रहोगी की,.... बेचारे लड़के भूखे हैं उन्हें खाना भी परसोगी " बूआ जोर से गरजीं ,



सिस्टम यही था की घर के सब लड़के पंगत में सब काम ख़त्म होने के बाद पंगत में बैठते थे और घर की लड़कियां ही उन्हें खाना परोसती थीं और उसके बाद लड़कियां खाने बैठती थी तो लड़के पत्तल लगाने से लेकर खाना परसने तक, और इसी बीच हंसी मजाक, नैन मटक्का, इशारेबाजी सब चलता था।

बुच्ची पानी दे रही थी, एक बड़े से जग में सब लड़को के कुल्हड़ में, और चुनिया चिढ़ा रही थी,

' प्यास बुझाने का काम आज से बुच्ची के जिम्मे है, …यार मेरा भाई बहुत प्यासा है उसका जरा ख्याल रखना "
Girl-68e4f16e7f9ac820abc6da8b8376b957.jpg


" तू ही काहें नहीं पिला देती, इतना भाई भाई कर रही है "

बुच्ची ने हंस के चुनिया के पीछे चूतड़ में चिकोटी काटते कहा।

तब तक गप्पू चिल्लाया, " पानी , पानी, कोई प्यासे को पानी दे "

असली खेल ये थे की जब बुच्ची झुक के पानी देती थी तो उसके दोनों कड़े कड़े उभार उस छोटी सी टाइट फ्राक से साफ़ दिखते थे, बस लड़को का मन करता पकड़ के दबोच लें , और बाकी लड़कियां भी लड़को की शरारत समझ रही थीं।

समझ तो बुच्ची भी रही थी, लेकिन उसे भी मजा आ रहा था, जुबना दिखाने में,… ललचाने में।

जब दो चार बार ये बदमाशी हो गयी गप्पू की,…. तो दूर से बुकवा पिसती इमरतिया ने बुच्ची को आँख मार के इशारा किया।

और अबकी पानी देती बुच्ची ने थोड़ा सा पानी का जग तिरछा किया और सीधे गप्पू के पैंटपे, ठीक वहीँ सेंटर पे

Girl-images-2023-11-27-T063919-736.jpg


और अब लड़कियां हो हो हो, एक बुच्ची की सहेली बोली,

"हे चुनिया तेरे भाई को इतनी जोर से आ रही थी कर के आजाता, खाना भागा थोड़ा ही जा रहा था।“

चुनिया ने उसी का दुप्पटा खींच के अपने भाई को पकड़ा दिया, " लो भैया सुखवा लो, वैसे प्यास बुझी की नहीं "

पर चारो ओर नाइन कहाईन, शादी का घर, घचमच मची थी, काम बहुत था और नाउन, कहाईन, काम करने वाली हों तो मजाक का लेवल भी बढ़ जाता है, उसी में से किसी ने चुनिया का साथ देते बुच्ची को छेड़ा,

" अरे ये वो वाला पानी नहीं, असली वाला पानी है, बुच्ची अंदर ले लेबू तो गाभिन हो जाबू " और फिर तो चुनिया की सहेलियों की हंसी

लेकिन एक कहाईन थी वो गप्पू के पीछे पड़ गयी


" अरे इतना जल्दी पानी निकल गया, खाली हमरे बुच्ची बबुनी का जुबना देख के, जब बिलिया देखबा तो कौन हाल होई "
Teej-Gao-5087383c17c8eebca41d45dbc2808138.jpg


उसके बाद लड़कियों की पंगत बैठी, साथ में भौजाइयां भी, पर बुआ एकदम काम की लिस्ट लिए पड़ी थी,

" जल्दी जल्दी खाय के उठो, खाली तुम सब खी खी खी करती रहती हो , सांझ होने के पहले सब काम ख़तम होना है "
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
23,591
63,596
259

अरे अरे संझा गोसाई,
eve-4.jpg

सांझ हो रही थी,

इमरतिया भी अपनी टोली वालों के साथ,

सच में शादी बियाह के घर में बहुत काम होता है। एक तो बुलावा देने का ही बाईसपुरवा में कउनो टोला छूटना नहीं चाहिए और हर रसम का अलग अलग, आज रात को नौ बजे से गाना है तो बड़की ठकुराइन ने बोला है की नौ बजे के पहले ही सब हाजिर हों।


इमरतिया ने अपनी एक देवरानी और एक लड़की को ये काम सौंपा, और मुन्ना बहु को,… उसकी टोली की सबसे जबरदस्त जो गाने वालियां सबको बोल देगी।

कउनो टोला में लड़की क बिदाई हो, चाहे दुल्हिन उतराने का काम, बड़की ठकुराइन, सूरजु क माई सबसे आगे, चाहे कोइराना, भरौटी हो चाहे पठानटोला, उनके बिना कोई काम नहीं होता था। फिर कल की बहुरिया, जिसकी अपने सास जेठानी के आगे बोल नहीं फूटता था, वो भी बड़की ठकुराइन के आगे, सब दुःख सुख की पोटली खोल देती थीं, लगता नहीं था मायके में नहीं हैं,

तो ऐसी बड़की ठकुराइन के यहाँ काज पड़ा है , उहो एकलौते लड़के का बियाह, तो पूरा गाँव तो जुटना ही था।


Teej-105990033-1136898880012981-553131645261690709-n.jpg


और फिर सबका इंतजाम, और ऊपर से सूरजु का, इमरतिया से सूरजु क माई बोल दी थीं,

"देह से बड़ा है लेकिन मन से बच्चा है, असली भौजाई का काम तोहार ही है अपने देवर को तैयार करने का, नहीं तो तोहार देवरानी कुछ शिकायत करेंगी तो हम तोहिं को आगे कर देंगे "

और खाली सुरुजू का नहीं, उनकी माई का खुद कोई काम इमरतिया के बिना नहीं होता था और सबसे बढ़ के गोड़ दबाना, उसके बिना उन्हें नींद नहीं आती थी , और गोड़ दबाना तो बहाना था, क्या कोई सहेली होगी, और उन्होंने इमरतिया को हाँक लगाई,

" अरे इमरतिया, तनी हमार गोड़ दबाय दो, सबेरे से एक टांग पे, "

" बस बुकवा पीस के आ रही हूँ " इमरतिया ने वहीँ से जवाब दिया।

आज बुकवा भी इमरतिया दो तरह का वो पीस रही थी।

बैदानी से कुछ जड़ी बूटी लायी थी तो खास जगह के लिए एक छोटी कटोरी में वो मिला के अलग से, वैसे तो खुदे सांड ऐसा था लेकिन जब शेर का सवा शेर हो सकता तो सांड का डेढ़ सांड क्यों नहीं, और जो आ रही हो उसको भी मालूम हो की कौन गाँव महतारी बाप भेजे हैं टांग उठवाने, …

जब तक पहली रात में रगड़ के पिसान न बना दे, ….बड़ा पढ़ाई पढाई कर रहे हैं सब लोग,… असली काम तो चुदाई है, ….वो, ओकर महतारी ओकरे गाँव क नाउन ,भौजाई सिखाई हैं की नहीं, अगर पहले दिन दुलहिनिया कस के नहीं रगड़ी गयी, बिना ननदों के सहारा दिए बिस्तर से उठ गयी, चादर पे खून खच्चर नहीं हुआ, तो उसके देवर और उसकी दोनों की नाक कटेगी।

" अरे इमरतिया, तनी हमार गोड़ दबाय दो, सबेरे से एक टांग पे, "

सूरजु क माई फिर बोलीं,
Teej-MIL-7395a1c788c3595141537da94a75c9a8.jpg


लेकिन आज सूरजु की माई का जवाब देने के लिए सूरजु की बुआ भी आ गयी थी और गाँव की और ननदें भी , बुआ वहीँ से टेरती बोलीं

" अरे दूल्हा क माई, दूल्हा क मामा नहीं आये का. उन्ही से टांग उठवा लाय, कुल दर्द दूर हो जायेगा और मामा न आये हो तो दूल्हे से ही गपागप करवा ला। जैसे हमार भैया भुरकुस छुड़ा दिए थे पहली रात,... वैसे ही भतीजा भी है :"

Teej-MIL-a1f04de2da4d1efe8b7d67c5076c95f8.jpg


और सब रीत रिवाज, रस्म की जिम्मेदारी भी नाउन के ऊपर, चूल्हा पूजना यही , सील पुजायी बची है , ये तो अच्छी बात है बुआ आ गयी है और सब रस्म का गाना भी उनको मालूम है।

सांझ होते ही, आंगन में इमरतिया, बुआ और मंजू भाभी सांझ जगाने का गीत गा रही थीं,

के मोरे संझा मनईहे रे मोरी माई

बोलेली सूरजु क माई हमरा घरे आयी

बोलेली सूरजु क भौजी हमरा घरे आयी

हम रउरे संझा मनैयिबे मोरी माई

साँझा बोलेली माई केकरा घरे जाईं

के मोरे संझा मनईहे रे मोरी माई

काथी के रे दियना, काथी के रे बाती

कथुवा क तेल जलेला सारे राती

सोनवा के दियना, कपूरन क बाती

सरसों क तेल जले सारी राती।

बुच्ची और चुनिया की जबरदस्त दोस्ती, दोनों हाथ पकडे पकडे, और वो दोनों भी आके बैठ गयीं और साथ साथ गाने लगीं, कांति बुआ ने दूसरा गाना शुरू किया,


झहर फहर संझा आवेली डगर पूछत आवेली


किसी ने पुछा कितने गाने तो बूआ ने हड़का लिया, आज कल क लड़की कउनो गुन शहुर नहीं। पांच गाना से कम नहीं।

तबतक रामपुर वाली भौजी आ गयी थीं और साथ में छोटी मामी और रामपुर वाली की आवाज बड़ी सुरीली, चुनिया एकदम उन्ही पे गयी थी

तो भौजी ने अगला संझा जगाने का गीत टेरा,

अरे अरे संझा गोसाई,



सांझ धीरे धीरे आंगन में उतर रही थी और मंडप में ये गाने चल रहे थे, अँधेरा गहरा रहा था।
eve.jpg


उसके पहले इमरतिया महाजिन को बोल के आयी थी, कोहबर का खाना साढ़े सात बजे के पहले, पांचो को और दूल्हे के लिए अलग से खीर

और अंचरा में से एक पुड़िया निकाल के दी और कान में समझायी, " इसमें शिलाजीत, अश्वगंधा, शतावर और पांच जड़ी बूटी पड़ी है ये दूल्हा के खाने में खाली। दूल्हा क थाली निकाल के बुच्ची आएगी उनको साढ़े सात बजे दे दीजियेगा, दूल्हा खा लेगा उसके बाद कोहबर वालियों का
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
23,591
63,596
259

इमरतिया की पाठशाला


Teej-Gao-desktop-wallpaper-amarapalli-dubey-amrapalli-dubey-bhojpuri-actress.jpg


इमरतिया, अच्छा खासा कद, भरा भरा बदन, जो देखे देखता रह जाये, गोरा चम्पई रंग, बड़ी बड़ी आँखे, पान के रंग से रंगे लाल लाल भरे भरे होंठ,

और जब से गौने उतरी थी तब से और गदरा गयी थी।

कड़े कड़े ३६ के जोबन, ३४ की टाइट, खूब लो कट चोली में जबरदस्ती बाँध के चलती थी, जवानी छलकती रहती थी, लाल लाल ब्लाउज में गोरी गोरी गदरायी उभरी कड़ी गोलाइयाँ, और उनके बीच में मंगलसूत्र सीधे गहराई में धंसा, ३२ की कटीली पतली कमर पर ३६ के जोबन और ग़दर मचाते थे, और उस से कातिल थे उसके चौड़े कूल्हे, और पैरों में छनछन करती पायल, हरदम महावर लगे पाँव, दूर से आवाज सुन के कोई समझ जाए इमरतिया है।
teej-2-desktop-wallpaper-shriya-saran-navel-shriya-saran-saree-navel-shriya-saran-hot-navel-shriya-s.jpg


जब गौने उतरी थी तो बस जवानी चढ़ ही रही थी, कुछ ही दिन पहले जाँघों के बीच केसर क्यारी उगना शुरू हुयी थी, जोबन बस ऐसे की मुट्ठी में ले लो, लेकिन मरद ने महीने भर में कचर के रख दिया, न दिन देखता था न रात, और ससुरार में न टोकने वाली सास थी न ताने देने वाली ननद। ससुर था वो बाहर, पर जब महीने भर बाद मरद को पंजाब जाना पड़ा, कटनी का टाइम आ गया था फिर कही होजरी में नौकरी मिल गयी,


सास नहीं थीं लेकिन दुल्हिन उतारने पूरा नाऊ टोला और उससे भी आगे बड़की ठकुराइन खुद, उन्ही की जजमानी थी।

और बोलीं भी सास समझो, जेठान समझो, कउनो बात हो तो बिना बुलाये आना,

और इमरतिया को जब अकेलापन काटने लगा तो उन्ही के पास और उन्होंने अच्छी तरह समझाया, फिर तो बेर सबेर कभी भी,

और ये भी बोला की जवानी और जोबन जा के नहीं लौटते तो मरद को तो कमाने जाना ही पड़ता है इसका ये मतलब थोड़े ही है,....


Teej-MIL-IMG-20230412-133454.jpg


आगे का मतलब वो समझ गयी, लेकिन और भी बात उन्होंने ही सिखा दिया, मर्जी तेरी पसंद तेरी।

तो जब कुछ दिन बाद ससुर भी नहीं रहे और मरद को फिर पंजाब जाना पड़ा, इधर उधर के बाबू साहेब लोग रात बिरात चक्कर काटने लगे, तो इमरतिया ने साफ़ कह दिया बिन बोले और ऊपर से बड़की ठकुराइन,.... बेर सबेर सूरजु सिंह को भेज देतीं बुलाने


छह हाथ के सूरजु सिंह, आठ हाथ की लाठी, और बीस गाँव में मशहूर उनकी लाठी का जोर, कसरती देह, एक दंगल नहीं हारे, और कब वो पहुँच जाएँ ठिकाना नहीं, बस वो डर भय भी खत्म, किसी की हिम्मत नहीं की कभी जबरदस्ती हाथ भी पकड़ ले, रात बिरात कहीं आये जाए नाउन का काम, अकेले पूरी जजमानी सम्हाल ली।

लेकिन वही सूरज सिंह, इमरतिया के आगे एकदम मक्खन, भौजी के अलावा कुछ मुंह से नहीं निकलता, हाँ ललचाते भी थे।

वैसा रूप और जोबन देख के किसका मन नहीं हिलेगा, फिर भौजी का रिश्ता और भौजी भी इमरतिया जैसे, बिना मजाक के वो भी एकदम खुल के कभी छू भी देती, कभी चिकोटी काट लेती, कभी गिर पड़ती और उठाने के बहाने जोबन का बोझ, और सूरज सिंह की हालत देख के उसे बहुत मजा आता

Teej-IMG-20221215-212451.jpg

ये नहीं था की इमरतिया ने कभी अपने मर्द के अलावा किसी के सामने आपन लहंगा न पसारा हो, नाड़ा न खोला हो, बहुतों के सामने,

लेकिन दो बातें थी पहली बात मन मिले, मर्जी उसकी



और दूसरी बात मर्द देह का तगड़ा हो रगड़ के कुचल के रख दे, और फिर तो इमरतिया खुद,

और एक बात और अपनी जजमानी में एकदम नहीं, गाँव में भी बहुत कम, लेकिन बड़की ठकुराइन साल में तीन चार चक्कर महीने भर के लिए सूरजु सिंह के ननिहाल, इतना बड़ा नवासा, १०० बीघा का तो गन्ने का ही खेत थे, तो बुआई कटाई, तो सूरजु भी अक्सर जाते और इमरतिया तो पक्का बड़की ठकुराइन की छाया, और फिर इमरतिया का मायका भी बड़की ठकुराइन के मायके से बस पांच दस कोस, तो वहां भी कभी आना जाना, और जब तक नवासे में खेत की कटाई, बुआई होती, रोपनी होती, इमरतिया के खेत की भी जुताई होती, बिना नागा।



और इमरतिया को देह सुख की सारी कलाएं मालुम थीं, चाहे एकदम कच्चा नौसिखीया, बस जिसकी रेख आ रही हो ऐसा लौंडा हो या कड़ियल जवान, औरत को तीन बार झाड़ के झड़ने वाला, चाहे लम्बा मोटा हो चाहे एकदम,,… इमरतिया सब मजे लेना भी जानती थी और देना भी।



जैसे चाशनी से निकली ताज़ी ताज़ी छनी, रस से डूबी इमरती हो, वैसे ही टप टप रस टपकता रहता इमरतिया से, और वो तैयार हो रही थी सूरजु बाबू को बुकवा लगाने और सोच रही थी नयकी दुलहिनिया के बारे में।

और मुस्किया रही थी, लड़की से ज्यादा लड़की क महतारी के बारे में सोच के,

दो चीज के बारे में केतना घमंड,लड़की वाले तो हरदम थोड़ा झुक के ही रहते हैं लेकिन वो और खाली दो बात पर,

इमरतिया थी उस समय, बड़की ठकुराइन के साथ। उनकी भौजाई, सुरजू की मामी, ऐसी हंसमुख ,

सुरजू की माई को तो छोड़िये, इमरतिया से जबकि वो तो बिटिया -बहू की तरह लगी, बिना चिढ़ाए, छेड़े, गरियाये बात नहीं करती, की उनकी ननद के ससुरार की थी, तो वो और एक दो सुरजू की माई के मायके की। ये लोग उनके नवासे में ही थी, सुरजू के ननिहाल में


वैसे तो बियाह शादी की बात, अगुआ, नहीं तो नाऊ या घर के बड़े मरद,

लेकिन एक तो बात सारी तय हो गयी थी दूसरे सुरजू के घर में मरद कहो , मेहरारू कहो, बस सुरजू क माई, बहुत दिन से बाप माई दोनों क जिमेदारी निभा रही थीं। और समधन बोलीं की हम पास के गाँव में आये थे तो मिलना चाहते हैं तो सुरजू क माई हाँ बोल दी।



लेकिन थोड़ी देर में दुल्हिन क माई आपन गठरी खोल दीं, दो ही बात शहर और पढ़ाई।
" हमार बिटिया शहर में रही बढ़ी है तो गाँव क रंग ढंग और फिर पढ़ी है, हाईस्कूल क इम्तिहान दिया है, तो पढ़ी लिखी लड़की तो आप जानती हैं,"

' ये तो बहुत अच्छी बात है, हम लोग ठहरे गाँव वाले कोई शहर क आएगा तो और अच्छा है, फिर हमरे घर क लछमी है पढ़ी लिखी है तो लछमी सरस्वती दोनों, आप बहुत अच्छे से बिटिया को पाली पढ़ाई हैं, अब आप क बिटिया हमार बिटिया, आप कोई चिंता न करिये "

सुरजू की माई ने अपनी समधन को पान थमाते हुए कहा।

लेकिन लड़की की माई अब एकदम खुल के बोलीं,

" नहीं मेरा मतलब है, उसे एक काम धाम ज्यादा पता नहीं है, आप तो जानती हैं पढ़ने वाली लड़की तो हरदम किताब, पढ़ाई, तो घर का काम और गाँव में तो और भी ढेर सारा काम.,...
Teej-174c6a6cda9171308e7aa6d0dae52255.jpg


अबकी सुरजू की माई के गाँव की पंडिताइन बैठी थीं, उन्होंने बात सम्हाली,

" अरे हमरे बिटिया के घरे में पचासो काम करने वाले है , वो राज करेगी, बस खटिया पे बैठे बैठे, इन लोगो के पास वहां इतनी बड़ी खेती बाड़ी, बाग़ और उतना ही बड़ा नवासा, अकेला बेटा है हमार सुरजू।"



लेकिन करीब पांच छह बातों पे उन्होंने हामी भरवाई की उनकी बेटी ये नहीं करेगी, वो नहीं करेगी,

लेकिन सुरजू की मामी से नहीं रहा गया और वैसे भी सामने समधन हो और मजाक न हो छेड़ा न जाए तो वो हँसते हुए बोली,


" अब ये मत कहियेगा की,... टांग भी नहीं फैलाएगी आपकी बिटिया, "
59f36a4715ad705a1be2d574dd26a5ea.jpg


और सब हंसने लगे, लेकिन लड़की की माँ को शायद ऐसा मजाक बुरा लगा

थोड़ा चिढ गयीं,

" अब ये शायद बात, ऐसे देखिये वो भी, अब ऐसे मजाक किसी पढ़ी लिखी लड़की के साथ, हमर बिटिया हाईस्कूल तक तो थोड़ा उस का भी ख़याल रखियेगा, "



सुरजू क माई ने बात सम्हाला, " अरे हमार भौजाई हैं, ….आप की भी समधन हैं तो समधन के साथ हंसी मजाक तो चलता है, आप एकदम चिंता न करिये "



लेकिन दुल्हिन क माई के जाने के बाद माहौल एकदम बदल गया, फिर वही एकदम खुले हंसी मजाक और वही

सुरजू क मामी, " हमार बेटवा असली अपने मामा क जना, इनकी बिटिया के टांग फ़ैलाने का इंतजार थोड़े करेगा, अपने असली बाप की तरह, अपने मामा की तरह पकड़ के चीर देगा, "

हँसते हुए अपनी ननद को, सुरजू की माई को छेड़ा।

" अरे हमार बेटवा पहलवान है कचर के रख देगा, " सुरजू क माई बोली और बात इमरतिया के पाले में डाल दी,

" इमरतिया, सुन तुहि असल भौजाई हो सुरजू क तो तोहार जिम्मेदारी। अब ये तो बोल के गयीं है की वो टांग नहीं फैलाएगी, तो ओकर गोड़ अगले दिन जमीन पर न पड़ने पाए और उनकी महतारी को भी मालूम हो जाए की कौन गाँव बिटिया भेजी हैं "



तब से ये मजाक चल पड़ा था की सुरजू की दुल्हन पढ़ी लिखी है, टांग पता नहीं फैलाएंगी की नहीं।
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
23,591
63,596
259
सुरजू इमरतिया के हवाले
d1305033c5ae02e037322a0c06e8944a.jpg


और अब सुरजू इमरतिया के हवाले,

जो तेल आज वो कडुवा तेल में डाल के, और जड़ी बूटी जोड़ के ख़ास तेल बनायी थी मालिश के लिए, लोग कहते हैं की पांच दिन में केंचुआ क सांड बना दे,

और जो पहले से सांड़ हो,

कल जब खोल के ' वहां' मालिश की तो इमरतिया की ऊपर की सांस ऊपर नीचे की नीचे, और ऐसा नहीं की वो इससे पहले पकड़ी न हो घोंटी न हो, ...बीसो पच्चीसो,... और अब तो वो गिनती करब छोड़ दी थी, उसके मरद का भी कम जबरदस्त बांस नहीं था, लेकिन सुरजू के आगे कुल झूठ,

जो सबसे लम्बा मोटा देखी थी, उससे भी दो अंगुल आगे, और कड़ा कितना,

लेकिन ये भी बात साफ़ थी की एक तो एकदम नौसिखिया, दूसरे उनसे केहू क दरद नहीं देखा जा सकता और बिना जोर जबरदस्ती के कुँवारी लड़की चुदती नहीं, और चुदवाने का मन भी करे तो छिनरपन में टांग सिकोड़े रहेगी।
Teej-SA-image-1259611634575205.jpg



जांगर की कोई कमी नहीं, लेकिन मन,

और खीर में जो जड़ी बूटी डालने को महराजिन को दी है उसका असर तो यही है, बाल ब्रम्हचारी भी नम्बरी चोदू हो जाए, सामने बहिन महतारी भी हो खाली चूत नजर आये,

Kheer-55752513.webp


और दो चार दिन में जबरदस्त असर शरू हो जाता है, ऊपर से इमरतिया की ट्रेनिंग, दो कटोरी बुकवा ( उबटन ) एक छोटी शीशी में 'वो वाला तेल' और कडुवा तेल,

रस्ते में मंजू भाभी और मुन्ना बहू कहारिन से मिटटी के कुल्हड़ सकोरा ले के गिनवा के रख रही थीं तो इमरतिया उन से मिटटी के दो सकोरे भी ले ली, देवर का शीरा बच्ची के लिए।

इमरतिया आज देवर की कोठरी में सोलहो सिंगार कर के,

लेकिन उसके मालूम हो था की उसका देवर कौन दूनो हवा मिठाई देख ललचाता है तो आज गौने क रात चो चोली पहनी थी, अब तो एकदम ही टाइट और वो भी बस चुटपुटिया बटन, हाथ लगाओ तो चुटपुट चुटपुट खुल जाए, हलके से सांकल खटखटाया और दरवाजा झटके से खोल दिया।

boobs-jethani-20479696-335948380192950-1047069464606437264-n.jpg


अइसन लजाधुर,

इमरतिया जोर से मुस्करायी,। वो जैसे बोल के गयी थी, की थोड़ा देह को हवा पानी देखाओ तो वो एकदम निसुते चद्दर ओढ़े, लेकिन इमरतिया को देखते मारे लाज के और झट से तौलिया लपेट के खड़ा हो गया।

इमरतिया ने आराम से पहले सुरजू को दिखाते हुए अंदर से सांकल बंद किया, अपनी साड़ी उतारी, खूंटी पे टांगी, बुकवा का कटोरा जमीन पे रख के, चटाई बिछाई के चिढ़ा के बोली,

" अरे अब कपड़ा उतारने वाला दिन आ गया है, ....और खाली आपन नहीं दुलहिनिया का भी खोलना पड़ेगा, चलो लेटो "
Teej-107452801-3357168027649222-860697700779816949-o.jpg


और हल्का सा धक्का देके सुरजू को लिटा के दोनों हाथ में तेल लगा के सुरजू के देह पे, कुछ इमरतिया की हाथ का असर, कुछ जिस तरह से चोली फाड़ रहे दोनों जोबन एकदम सुरजू के मुंह के पास, जैसे ही इमरतिया झुकती, और थोड़ी देर में तौलिये का तम्बू खड़ा हो गया, पूरे एक बित्ते,


bulge-tumblr-p6gpoo-Bax-N1u0dz46o4-1280.jpg


लेकिन इमरतिया के ऊपर असर नहीं था। वो दोनों पैरों के बाद हाथ और कंधे पे तेल लगा रही थी और अब उसकी चोली की गहराई, उभार सब दिख रहे थे और वो जान के सुरजू के चेहरे पे रगड़ दे रही थी।


" खोलो, अब बहुत चोर सिपाही हो गया " मुस्करा के वो बोली, और एक झटके में इमरतिया ने तौलिया जो उठा के खींचा और फेंका सीधे उसकी साड़ी के ऊपर, खूंटी पे।
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
23,591
63,596
259
कमेंट जरूर करें
 
Last edited:
  • Like
Reactions: Sutradhar

komaalrani

Well-Known Member
23,591
63,596
259
चार बूँद कडुवा तेल
Mustard-Oil-600x600.png


लेकिन इमरतिया, इमरतिया थी। चाशनी में डूबी, रस में पगी।

और देवर को तड़पाना जानती भी थी और चाहती भी थी, स्साला खुद अपने मुंह से मांगे, बुर बुर करे, तो बस अंगूठे और तर्जनी को तेल में चुपड़ के खूंटे के बेस पे, और सोच के मुस्कराने लगी, अभी थोड़ी देर पहले बुच्ची के हाथ में जो पकड़ाया था दोनों कैसे घबड़ा रहे थे,

यही शरम लाज झिझक तो खतम करवा के पक्का चोदू बना देना है इसे बरात जाने के पहले,

मरद की देह के एक एक नस का, एक एक बटन का पता था इमरतिया को।

कहाँ दबाने से झट्ट खड़ा होता है, कहाँ तेल लगाने से लोहे का खम्भा हो जाता है, और बस वहीँ वो तेल लगा रही थी, दबा रही थी और खूंटा एकदम कुतुबमीनार हो रहा था। लेकिन देवर था एकदम आज्ञाकारी, कल उसने सुपाड़ा खोल के जो हुकुम दिया था, 'एकदम खुला रखना उसको' तो एकदम खुला ही था, चोदने के लिए तैयार। बस गप्प से इमरतिया ने मोटे लाल सुपाड़ा को दबाया, उसने मुंह चियार दिया, और

टप्प, टप्प, टप्प, टप्प, चार बूँद कडुवा तेल की सीधे उसी खुले छेद में, और लुढ़कते पुढ़कते अंदर तक।
holding-cock-jkg-3.jpg


लंड फड़फड़ाने लगा।

और फिर दोनों हथेलियों में तेल लगा के जैसे कोई ग्वालिन मथानी चलाये, उसी तरह और सीधे इमरतिया की मुस्कराती उकसाती आँखे सीधे सूरजु की आँखों में, उसे छेड रही थीं, चिढ़ा रही थी।

सूरजु की आँखें इमरतिया के भारी भारी ३६ साइज के जोबन से चिपकी थीं जो आधे से ज्यादा चोली से छलके पड़ रहे थे

" चाही का, अरे तोहरी महतारी का और बड़ा है, बहुते जोरदार, आज ललचा रहे थे न देख देख के, अरे मांग लो, पिलाय देंगी दूध "

इमरतिया ने सूरजु की माई का नाम लगा के चिढ़ाया लेकिन बातें दोनों सही थीं। सूरजु की माई का ३८ था, लेकिन था एकदम टनक कितनी बार इमरतिया और सूरजु की माई के बीच में दंगल होता था लेकिन जोबन की लड़ाई में सूरजु की माई हरदम बीस पड़ती थीं , अपनी बड़ी बड़ी चूँची से इमरतिया को कुचल देती थीं।

" बल्कि मांगने की बात भी नहीं, ले लेना चाहिए " इमरतिया ने और आग लगायी और सूरजु के दोनों हाथ पकड़ के अपनी चोली पे

और पहलवान के हाथ के बाद चुटपुटिया बटन कहाँ टिकती, चुटपुट चुटपुट चटक के खुल गयी।

ब्लाउज उसी खूंटी पे जहां सुरुजू का तौलिया और इमरतिया की साडी टंगी थीं, और दोनों बड़े बड़े कड़े जोबना सूरजु के हाथ में
nipple-milki-0-522.jpg


कुंवारे जवान मरद का हाथ पड़ते ही इमरतिया पिघलने लगी , लेकिन ये चाहती भी थी। अब सूरजु का दोनों हाथ लड्डू में फंसा था इमरतिया कोई बदमाशी करती, वो हाथ लगा के रोक नहीं पाता। लेकिन वो साथ साथ सूरजु को सिखा भी रही थीं की नयकी दुलहिनिया को कैसे कचरे।कैसे उसके चोली के अनार को पहली रात में ही मिस मिस के पिसान (आटा ) कर दे,

" अरे ऐसे हलके हलके नहीं , ये कउनो बुच्ची क टिकोरा नहीं है और उस की भी कस के रगड़ना। मेहरारू के मरद के हाथ में सख्ती पसंद है कैसे पहलवान हो ? कहीं तोहार महतारी तो कुल ताकत नहीं निचोड़ ली ?
Teej-101702357-145250503777988-1846394182713737216-n.jpg


और अब सूरजु ने थोड़ा जोर लगा के चूँची मसलना शुरू किया और इमरतिया ने लंड को मुठियाना शुरू किया, लेकिन थोड़ी देर में ही सूरजु बाबू उचकने लगे,

" नहीं भौजी, मोर भौजी, छोड़ दा, छोड़ दा "

खूंटे पे हथेली का दबाव बढ़ाते इमरतिया ने चिढ़ाया, " क्या छोड़ दूँ ? स्साले मादरचोद, नाम लेने में तो तोहार गाँड़ फट रही है का दुलहिनिया को चोदोगे? बोल, का छोडूं, "

Holding-cock-Wet-handjob-929754.gif


अब सूरजु भी समझ गए थे और सुबह से तो गाँव की औरतें तो खुल के बोल रही थीं और सबसे बढ़ के उनकी माँ और बुआ और उन्ही का नाम ले के और माँ कभी बूआ की गारी का जवाब नहीं देती तो बूआ छेड़तीं,

" का सूरजु क माई,... मुंह में दुलहा क लंड भरा है का जो बोल नहीं निकल रहा है "

तो झिझकते हुए बोल दिया, " भौजी, लंड, हमार लंड, "

" तोहार न हो, हमार हो, तोहरी भौजी के कब्जे में है जहाँ जहाँ भौजी कहिये, वहां वहां घुसी, जेकरे जेकरे बिलिया में जैसे भौजी कहिये, बोलै मंजूर "


" एकदम भौजी " कस कस के चूँची मसलते सुरुजू बाबू बोले और अब वो भी मूड में आ रहे थे और जोड़ा, " लेकिन पहले, ...."

इमरतिया खुश नहीं महा खुस, सूरजु तैयार हैं लेकिन ऐसा इमरतिया के जोबन का जादू पहले यही मिठाई चाहिए देवर को, तो मिलेगी आज ही मिलेगी, दो इंच की चीज के लिए देवर को मना नहीं करेगी, बल्कि वो नहीं कहते खुद ऊपर चढ़ के पेल देती वो

बिन बोले इमरतिया के चेहरे की ओर देख के अपने मन की बात कह दी उन्होंने, और इमरतिया ने मुस्करा के हामी भर दी और खूंटा छोड़ भी दिया, वो डर समझ रही थीं, जो हर कुंवारे लड़के के मन में होता है, ' कहीं जल्दी न झड़ जाऊं " और वो जानती थीं की ये लम्बी रेस का घोडा है लेकिन उसे अभी खुद अपनी ताकत का अहसास नहीं है, किस स्पीड से दौड़ेगा, कितनी देर तक दौड़ेगा, दो चार पर इसे चढ़ाना जरूरी है ,

फिर भी खूंटा उसने छोड़ दिया लेकिन इमरतिया के तरकश में बहुत तीर थे।

Teej-abeca8a7c1908ae846816f6795478bcb.jpg


खूंटा छोड़ के उसने रसगुल्लों में तेल लगाना शुरू किया, मलाई का कारखाना यही तो थे, यही तो दुलहिनिया को पहली रात को गाभिन करेंगे और सबेरे चादर पर खून के साथ इसी की मलाई बहती मिलेगी, जब छोटी कुँवारी ननदें जाएंगी उठाने। और फिर हथेली से सुपाड़ी पे


असली खेल था सुपाड़े को एकदम तगड़ा, पत्थर ऐसा करना, भाला कितना लम्बा हो लेकिन अगर उसका फल भोथरा हो तो शिकार कैसे करेगा। और सूरजु देवर का सुपाड़ा तो एकदम ही मोटा, एकदम मुट्ठी ऐसा, बुच्चीया यही तो सोच के घबड़ा रही थीं, भैया क इतना मोत कैसे घुसी, और एक बार सुपाड़ा घुस जाए तो फिर लंड तो घुस ही जाता है।

holding-cock-IMG-9850.jpg


सूरजु सिसक रहे थे और इमरतिया ने बुच्ची की बात चलाई, " हे तोर बहिनिया, बुच्ची पकडे थीं तो कैसा लग रहा था ?

" अरे भौजी, आप जबरे उसकी मुट्ठी में पकड़ा दी थीं " हँसते हुए सूरजु बोले।

और एक बार फिर से हथेली में तेल चुपड़ के कस के खूंटा दबोच लिया, इमरतिया ने।

वास्तव में बहुत मोटा था, जब इमरतिया की मुट्ठी में नहीं समा रहा था तो नयकी दुलहिनिया की कोरी कच्ची बिलिया में कैसे धँसेगा ? इमरतिया मुस्करायी। चाहे जितनी रोई रोहट हो, चिल्ल पों करे, घोंटना तो पड़ेगा ही और वो भी जड़ तक। और ओकरे पहले बुच्ची ननदिया को।
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
23,591
63,596
259
गुरुआइन,

Teej-Cleavage-a9103babe2a5870193aa0875071d2db4.jpg

" बोल स्साले, अपनी माई के भतार, पेलेगा न बुच्ची को आज तो वो खुदे हाँ कर के गयी है "

हलके हलके मुठियाते इमरतिया बोली। अब सूरजु की झिझक थोड़ी कम हो रही थीं, कस कस के इमरतिया की चूँची मसलते बोला,

" लेकिन भौजी बुच्चिया बोली थीं की पहले, ////और आप भी हाँ की थीं "

" तो चलो तुंही दोनों लोगों की बात रहेगी , उसके बाद तो नंबर लगाओगे न अपनी छुटकी बहिनिया पे, तो चलो सोचो बुच्चिया की बुरिया में पेल रहे हो, अरे जैसे उसकी कसी, टाइट है, वैसे तोहरे दुलहिनिया की भी कसी होगी और दरवजा बंद होने के घंटे भर के अंदर, फाड़ फूड़ के चिथड़ा करनी होगी, नहीं तो तोहार तो नाक कटी ही हमार और तोहरी माई की भी नाक कटेगी। तो समझो बुच्ची की बुरिया में पेलना है, लगाओ नीचे से धक्का कस के "


Joru-K-holding-cock-11.gif


और सच में सूरजु ने नीचे से कस के धक्का मारा।

इमरतिया ने पकड़ बढ़ा दी, और कसी कर दी, सूरजु ने और जोर लगाया / कभी इमरतिया कस के मुठियाती और कभी मुठियाना बंद कर के सूरजु को बोलती,

" पेल स्साले बुचिया की बुर में "

और सुरजू आँखे बंद कर के पूरी ताकत से चूतड़ के जोर से धक्का मारता लेकिन इमरतिया की पकड़, एकदम रगड़ते, घिसते



पांच दस मिनट में वो बोलने लगा,

" अरे भौजी छोड़ दो, गिर जाएगा, भौजी, मोर भौजी,.... रुकेगा नहीं "



इमरतिया सोच रही थीं स्साला और कितनी देर रुकेगा। हाथ कल्ला रहा था , दस पंद्रह मिनट से ऊपर हो गए थे पूरी ताकत से मुट्ठ मारते एक से एक कड़ियल जवान भी चुदाई में सात आठ मिनट के ऊपर नहीं रुकता और ये,

" तो झड़ जाने दे न, अरे हमरे देवर क लंड है। झड़ जाएगा तो फिर पानी भर उठेगा। आँख बंद कर के सोच बुच्ची क बुर में आपन पानी छोड़ रहा है " वो बोली और अपनी एक चूँची उसने सीधे सुरजू के मुंह में डाल दी और दूसरे को उसकी हाथ में पकड़ा के जोर जोर से बोलने लगी

" पेल न, और कस के चोद दे, झाड़ दे, झड़ जा बुच्ची की बुरिया में हाँ हाँ "



लग रहा था अब निकला तब निकला, इमरतिया तैयार थीं लेकिन तब भी चार पांच मिनट और मुठियाने के बाद, जैसे कोई फव्वारा छूटा हो,



jerk-cum-IMG-20230629-192956.gif


लेकिन इमरतिया पहले से तैयार थीं, मिटटी के सकोरे को लेकर और एक एक बूँद उसमे रोप लिया।

पर वो जानती थीं अभी बहुत मलाई बची है अंदर, तो सुपाड़े को हलके से दबा दबा के, फिर से जो बूँद बूँद निकला वो भी उसी में और फिर सुपाड़े और आसपास जो लगा था उसे हाथ से काँछ के उसी सकोरे में, और वो गाढ़ी सफ़ेद बूंदे लुढ़क के सकोरे के अंदर,




यही समय होता है सम्हालने का, और एक अनुभवी खिलाड़ी की तरह बिना कुछ बोले, बस हलके हलके सहलाते पुचकारते शेर को छोड़ दिया।

यह समय मरद का होता है चार पांच मिनट सुस्ताने के, उन पलों का मजा लेना का और उस समय वो सिर्फ हल्का स्पर्श सुख चाहता है तो बस इमरतिया सुरजू को पकडे रही और फिर पांच मिनट बाद, बिन बोले, बुकवा का कटोरा उठाया और पैर के पंजे के पास बस हलके हलके पंजो में पहले बुकवा लगाना शुरू किया फिर पैरों में और बात शुरू की, पहले अखाड़े के बारे में, सुरजू के दंगल जीतने के बारे में, सेक्स के बारे में एकदम नहीं, जिससे वो सहज हो जाए, और फिर बात धीरे धीरे मोड़ दी।


' देवर कभी किसी का पेटीकोट का नाडा खोले हो "?

सुरुजू अभी भी शरमाते झिझकते थे लेकिन इमरतिया से धीरे धीरे खुल रहे थे, बोले,

" का भौजी, आप भी न। गुरु जी लंगोटे की, अखाड़े की कसम धराये थे, माई के अलावा कउनो औरत की परछाई से भी दूर रहना, मतलब छूना भी नहीं, तो जब बियाह तय हुआ तो माई बोलीं की पहले अपने गुरु जी से बोल के आवा तो वो हंस के बोले,

' माई का हुकुम, गुरु से भी ऊपर। मेरे लिए भी माई ही हैं तोहार माई। तो चलो आज से अपने कसम से तोहें आजाद किये और तिलक के एक दिन पहले आना, माई से बता देना वो समझ जाएंगी।"

तो तिलक के एक दिन पहले जो हम गए तो आखिर बार अखाड़े में उतरे, ओहि मिटटी से हमारा तिलक किये और एक लुंगी दिए, बोले

"अब लंगोट खोल के ये लुंगी पहन लो। आज से लंगोट से आजाद हो, लंगोट की शर्त से आजाद हो। लेकिन अब अखाड़े की ये मिटटी में उतर के दंगल नहीं लड़ सकते हो, हाँ तोहार घर है, आओ कुश्ती देखो, नए नए लौंडो को दांव पेंच समझाओ, पर लंगोट की कसम से आजाद हो। लेकिन हमारा आशीर्वाद है की जिस तरह इस अखाड़े में हर दंगल जीते हो, तुम्हारी माई की कृपा से जिंदगी के अखाड़े में भी हर दंगल जीतो, हाँ वहां के लिए तुन्हे अलग गुरु चाहिए होगा। "

" तो मिली कउनो गुरुआइन " आँखों से चिढ़ाते, उकसाते इमरतिया ने पुछा और अब बुकवा लगाते हाथ जाँघों तक पहुँच गए थे ,

"भौजाई से बड़ी कौन गुरुआइन, ऊपर से माई क हुकुम, भौजी क कुल बात मानना "


Teej-6cc2c2d758e728c882946b2954dd3477.jpg


हँसते हुए सूरजु ने मजाक किया। और इमरतिया फिर बात पेटीकोट के नाड़े पे ले आयी और बोली

" अइसन नौसिखिया अनाड़ी देवर, अब सिखाना तो पड़ेगा ही, तो ये समझ लो की कोहबर में सलहज कुल पहले यही जांचेगी की नन्दोई उन्हें पेटीकोट का नाड़ा खोल पाते हैं की नहीं। तो पहला काम तोहें ये देंगे की आँख बंद करके बाएं हाथ से एक गाँठ खोलो, नहीं खोलोगे तो बहिन महतारी कुल गरियाई जाएंगी "

लेकिन ये बाएं हाथ से काहें भौजी " सूरजु को भी अब मजा आ रहा था, थे वो क्विक लर्नर लेकिन इस सब बातों से अभी पाला नहीं पड़ा था वरना समझाने की जरूररत नहीं पड़ती।

" अरे हमार बुद्धू देवर कभी लौंडिया चोदे होते तो पूछते नहीं, अच्छा ये बताओ, हमार चोली कौन हाथे से खोले थे दाएं की बाएं "

" दाएं हाथ से भौजी " सूरजु बोले।

" बस तो पहली रात में तो दायें हाथ से तो दूल्हा दुल्हिन की चोली खोलने के चक्कर में रहता है और दुल्हन उसे खोलने नहीं देती। अपने दोनों हाथों से उसका दाए हाथ पकड़ के हटाती है। तो बस सोचो दूल्हा का करेगा ? "


Bhabhi-2d1909aec0222f30396ef3624f976dc2.jpg


" बाएं हाथ से पेटीकोट क नाड़ा " हँसते हुए सुरजू देवर भौजी से बोले, और अब भौजी का हाथ क बुकवा हलके हलके खूंटा पे

" एकदम, चलो कुछ तो समझे, और दुल्हन का महतारी, भौजाई, तोहार सलहज कुल उसको सीखा के भेजेंगी की सात गाँठ लगा के पेटीकोट का नाड़ा बांधना, और वो भी न खाली बाएं हाथ से खोलना होगा बल्कि अँधेरे में। रौशनी में तोहार दुलहिनिया पास नहीं आने देगी। पहले बोलेगी की रौशनी एकदम बंद करो। इसलिए अँधेरे में बाएं हाथ से तो वही जांचने के लिए सलहज सब गाँठ बाँध के देंगी आँख बंद कर के बाये हाथ से खोलने के लिए "

इमरतिया एक एक दांव पेंच सूरजु देवर को समझा रही थी, पहले थ्योरी फिर प्रैक्टिकल, तभी तो देवर पक्का होगा, बिआइह के पहले नंबरी चोदू बनाना है इसको

" तो कैसे हो पायेगा " सुरजू के समझ में नहीं आया।

" अरे कैसी नहीं हो पायेगा, हमर देवर हो, मजाक है। चोद चोद के पहली रात को रख देगा उनकी ननद को। देखो एक तरीका तो यही है दाएं से चोली और बाएं से पेटीकोट लेकिन जब वो पेटीकोट का हाथ रोकने लगे तो बस पेटीकोट छोड़ के दोनों हाथ से चोली खोल दो।

फिर दस पन्दरह मिनट पे दोनों जुबना का रस लो, छू के सहला के चूम के , जब थोड़ी गरमा जाए तो एक साथ ही दोनों हाथ एक हाथ से पकड़ लो और कुछ देर तक और कुछ नहीं , वो छुड़ाने की कोशिश कर के थक जायेगी , फिर दूसरे हाथ से , बाएं हाथ पेटीकोट क नाड़ा, और नाड़ा खोलना नहीं सीधे निकाल के दूर फेंक दो। जिससे दुबारा पकड़ के चढ़ा के बाँध न ले।"

सुरजू बहुत ध्यान से बिस्तर के अखाड़े के दांव पेंच समझ रहा था, और इस खेल की जबरदस्त खिलाड़न इमरतिया उसको सब गुर सिखा रही थी।


" लेकिन ये मत समझो की भरतपुर इतनी आसानी से लूट लोगे। उसको भी उसकी भौजाई, घर की नाउन, माई मौसी सिखा रही होंगी। दोनों गोड़ में गोड़ फंसा के बाँध लेगी जिससे भले नाड़ा खुल जाए, लेकिन पेटीकोट उतर न पाए। फिर शहर वाली है तो पेटीकोट के नीचे भी का पता चड्ढी पहनती हो, या उस दिन जानबूझ के पहने। दूसरी बात, पेटीकोट की गाँठ, एक गाँठ नहीं भौजाई सब सिखा के भेजेंगी, सात सात गाँठ, और न खोल पाए, तो अगले दिन जब तोहार बहिनिया सब हाल चाल पूछेंगी न तो न हंस के वही चिढ़ाएगी,

' तोहार भाई तो पूरी रात लगा दिए, मुर्गा बोलने लगा, गाँठ खोलने में तो का कर पाते बेचारे। तुम सब कुछ सिखाये पढ़ाये नहीं थीं का।"

और उससे ज्यादा तोहार सास अपनी समधन का, तोहरी माई क चिढ़ाएँगी,

' बेटवा जिन्नगी भर पहलवानी करता रह गया और हमार बिटिया जाए के,... रात भर,.... नाड़ा क गाँठ ढूंढे में लग गयी, "


Teej-a5bccc3e9c5ef1f0711dcfa6ab1b9ca4.jpg


अब भौजी सीने पे हाथ पे बुकवा लगी रही थीं फिर ढेर सारा बुकवा लेके जो थोड़ा सोया थोड़ा जाएगा मूसल था उसके ऊपर, और बस हलके हलके लें भौजाई की उँगलियों की छुअन लेकिन इतना काफी था, वो फिर से फुफकारने लगा।



सुरजू भौजी के गदराये जोबना को निहार रहा था, लालटेन की हलकी हलकी पीली रौशनी, जमीन पर छितरायी थी। गोरा चम्पई मुखा, छोटी सी नथ, बड़ी सी बिंदी, लाल लाल खूब भरे रसीले होंठ,



" क्यों खोलना है नाड़ा " भौजी एकदम उसके सीने पे चढ़ी, अपने पेटीकोट का नाड़ा दिखा रही थीं,
 
Last edited:

Rajizexy

❣️and let ❣️
Supreme
51,644
53,693
354
भाग १०७

बुच्ची और चुनिया
Girls-two-e6362a7f334a9fdf08617124f20d368b.jpg

२७,१०,२१४

--



लेकिन तभी नीचे से बुच्ची की सहेलियों की आवाज आयी और वो छुड़ाकर, हँसते खिलखिलाते कमरे से बाहर।


और इमरतिया भी साथ साथ लेकिन निकलने के पहले सूरजु को हिदायत देना नहीं भूली

" स्साले, का लौंडिया की तरह शर्मा रहे थे, सांझ होते ही मैं आउंगी बुकवा लगाने, आज खाना भी जल्दी हो जाएगा।
यहीं छत पे नौ बजे से गाना बजाना होगा, तोहरी बहिन महतारी गरियाई जाएंगी। तो खाना आठ बजे और दो बात, पहली अब कउनो कपडा वपडा पहनने की जरूरत नहीं है, इसको तनी हवा लगने दो और ये नहीं की हम आये तो शर्मा के तोप ढांक के,
और दूसरे बुच्ची जब खाना खिलाती है तो अपने गोद में बैठाओ, ओकर हाथ तो थाली पकडे में खिलाने रहेगा , बस फ्राक उठा के दोनों कच्चे टिकोरों का स्वाद लो,"

Teej-03099ab0a21b48386b79c8d41ca56896.jpg


पर बात काट के सूरजु ने मन की बात कह दी,

" पर भौजी, हमार मन तो तोहार, लेवे का,….. "

" आज सांझ को, आउंगी न बुकवा लगाने, …चला तब तक सोय जा। "

मुस्कराकर जोर जोर से बड़े बड़े चूतड़ मटकाकर, मुड़ कर इमरतिया भौजी ने सूरजु देवर से वादा कर दिया .

इमरतिया का मन हर्षाय गया, कितने दिन से ये बड़का नाग लेने के चक्कर में थी और आज ये खुद,...
Teej-Gao-06a0631fb0aa05005635989345051874.jpg


बुच्ची सीढ़ी पर इमरतिया का इन्तजार कर रही थी.

सीढ़ी पर से नीचे उतरते हुए, इमरतिया ने बुच्ची की छोटी छोटी चूँची फ्राक के ऊपर से दबाते हुए बोली, " हमार देवर दबाय दबाय के इसको बड़ा कर देगा " और नीचे से फ्राक को उठा के चिकनी बिल के छेद पे ऊँगली रगड़ते हुए चिढ़ाया “ और इसको चोद चोद के "

अपने को छुड़ा के नीचे आंगन में दौड़ के पहुँचती हुयी सहेलियों के बीच से बुच्ची ने मुंह चिढ़ाते हुए कहा

" अरे भौजी, तोहरे मुंह में घी गुड़, भौजी क बात जल्द सही हो "

लेकिन एक भौजाई के चंगुल से छूटी थी तो यहाँ तो दर्जनों भौजाई मौजूद थीं, कच्ची उमर की ननद का रस लेने, एक बोली,

"आय गयी, हमरे देवर से चुदवा के. फ्राक उठा के देखो, बिल बजबजा रही होगी,… सफ़ेद मलाई से "

" अरे एक देवर से कहाँ काम चलेगा, देखना, देवरन से पेलवायेगी, उहो एक साथ, क्यों बुच्ची, बबुनी ,…एक बुरिया में एक गंडिया में, "

एक गाँव की कहारिन हँसते हुए बोली।


Teej-Gao-62a0e694d308999aa350acbe7e79335c.jpg


सब को मालूम था की बुच्ची ऐसे मजाक से बहुत छनछनाती थी इसलिए और रगड़ाई होती थी उसकी।

" अरे खाली अपने भाई को दोगी की,... हमरे भाइयों को भी दोगी, "
चुनिया, रामपुर वाली भाभी की छोटी बहन बोली,

वो लोग अभी थोड़ी देर पहले आये थे, वो भी नौवें में पढ़ती थी और बुच्ची की पक्की सहेली।
Girl-school-0b2ff7cb3c4ca8e3f9a5f0544b9ca2bd.jpg


उसका भाई गप्पू बारहवें में था और बहुत दिन से बुच्ची के चक्कर में था।

रामपुर वाली भौजी का नाम रामपुर वाली कैसे पड़ गया?

असल में गाँव में भौजियों की कमी तो होती नहीं, तो कोई बड़की भौजी, कोई नयकी, कोई छोटकी, लेकिन फिर आगे लगाने वाले विशेषण कम पड़ जाते हैं, तो भौजी के मायके का नाम का जोड़ के, और रामपुर कोई ऐसी वैसी जगह भी नहीं थी, क़स्बा था, बड़ा कस्बा, समझिये छोटे मोटे शहर की टक्कर लेता, लड़कियों, लड़को का इंटर तक स्कूल, हॉस्पिटल, और सबसे बढ़कर सिनेमा हाल, और उससे भी बड़ी बात की वहां से बस चलती थी, जो सूरजु के ननिहाल, रामपुर वाली के ससुराल से दो मील पहले एक बजार थी, वहां तक, और गाँव के सब लोग कोई बड़ी खरीददारी करने हो, घूमने जाना हो तो रामपुर ही, तो बस भौजी रामपुर वाली हो गयी।
Teej-a78d22344a57eb91c3199434240052fa.jpg


रामपुर वाली से सूरजु की माई की बहुत दोस्ती थी, और भौजी के गौने उतरने से ही, असल में,


बताया तो था, सूरजु के बाबू को नवासा मिला था, सूरजु के माई के न कोई भाई न बहन, तो सूरजु के नाना ने सब कुछ, सूरज बली सिंह, अपने नाती के नाम लिख दिया था, १०० एकड़ जमीन पे तो खाली गन्ना होता था, ओहि गाँव में, बाकी धान, गेंहू, आम क दो बाग़ और अगल बगल के गाँव में भी कई जगह जमीन, सब सूरजु के नाम। तो सूरजु की माई और सूरजु दोनों, बोवाई, जुताई, कटाई और बीच बीच में जाते रहते, और रामपुर वाली भाभी का घर एकदम बगल में, तो कभी उन्ही के यहाँ टिक जाते,


मिजाज भी सूरजु की माई का और रामपुर वाली का बहुत मिलता था, खूब खुल के हंसी मजाक, छेड़छाड़ वाला, और सूरजु कभी अकेले जाते तो पक्का रामपुर वाली भौजी के यहाँ, अब एक आदमी के लिए क्या घर खोले।

एक बार पहुंचे वो तो भौजी उदास, असल में उनके पति शहर में कारोबार करते थे तो हफ्ते में पांच दिन तो शहर में, कभी कभी भौजी भी, लेकिन जुताई, बुआई, खेती के काम के टाइम वही रामपुर वाली मोर्चा सम्हालती, और जब सूरजु ने बहुत पूछा तो मुस्करा के चिढ़ा के बोलीं

" जब मरद घर नहीं होता तो उसकी सब जिम्मेदारी देवर की होती है, सब काम करना होता है मरद का, "

" एकदम मंजूर आप परेशानी बताइये न भौजी " बिना कुछ सोचे सूरजु बोले। आज तक उन्होंने भौजी को उदास नहीं देखा था

" अरे जुताई हुयी नहीं है, बड़का खेत में भी और पोखरा के बगल वाले में भी, और हफ्ता दस दिन में बुवाई का टाइम हो जाएगा हरवाह बीमार हैं दोनों और तोहार भैया कउनो कारोबार के चक्कर में बम्बई गए हैं,... दस दिन बाद आएंगे, "
Teej-0814aab0a7c31af5fee8f7caa460af10.jpg


अपनी परेशानी भौजी ने देवर को बतायी,

" अरे देवर के रहते जुताई क कौन परेशानी, बात आपकी सही है, मरद न होने पे देवर क जिम्मेदारी, भैय्या नहीं है, आपका देवर तो है न "

बस अगले दो दिन में रामपुर वाली का सब खेत जुत गया, लेकिन रात में रामपुर वाली ने खुल के छेड़ा, सूरजु को,

" हे देवर, खाली बाहर के खेत क जुताई करते हो की घर के अंदर भी, "


सूरजु शर्मा गए, चेहरा लाल, " धत्त भौजी," धीमे से बोले, और भौजी ने सीधे देवर के लोवर की ओर हाथ बढ़ाया, बेचारा घबड़ा के पीछे हटा तो रामपुर वाली खिलखिला उठी,

"अरे तू तो इतना लजा रहे हो, इतना तो लौंडिया नहीं लजातीं, हम तो बस ये देख रहे हैं की कही देवर की जगह ननद तो नहीं है"
Teej-IMG-20230606-045527.jpg


और उस दिन से देवर भाभी की जोड़ी जम गयी,

लजाधुर, झिझक शर्म में कमी नहीं आयी लेकिन अपने मन की बात जो माई से नहीं कह पाते थे वो रामपुर वाली से, और रामपुर वाली की एक रट, हमें देवरानी चाहिए, उन्होंने समझाया भी कुश्ती छोड़ना पड़ेगा तो वो चिढ़ा के बोलतीं,

"अरे नहीं, हमरे देवरानी से लड़ना न कुश्ती, तोहें पटक देगी हमार गारंटी, और फिर साली, सलहज, कुश्ती लड़ने वालों की कमी नहीं होगी, कब तक बेचारे नीचे वाले पहलवान को बाँध छान के रखोगे "

और सूरजु रामपुर वाली से ही क़बूले,


"भौजी बस यह नागपंचमी को आखिरी कुश्ती, एक पहलवान पंजाब से आया है, हर जगह चैलेंज दिया है एक बार उसे पटक दें तो फिर जउन भौजी कहें वो कबूल "

और ये ख़ुशख़बरी जब रामपुर वाली ने सूरजु की माई को दी तो बस उन्होंने गले लगा लिया और बोलीं,

खाली बरात बिदा करे, देवरानी उतराने मत आना,जिस दिन से लग्न लगेगी, उस दिन से, तोहार देवर तोहार देवरानी तू जाना, मैं तो खाली चौके चढ़ के बैठी रहूंगी। और हाँ कुल जनी.

तो उन्ही रामपुर वाली भौजी क छोट बहिन चुनिया, बुच्ची क ख़ास सहेली और उन का छोटा भाई गप्पू, अभी बारहवें में गया, रेख क्या हल्की हलकी मूंछ भी आ रही थी, और सूरजु सिंह जैसा लजाधुर नहीं, लेकिन बहिन क ससुराल तो थोड़ा बहुत झिझक


लेकिन जितना रामपुर वाली भौजी सूरजु की माई के करीब उतना ही ये दोनों, और गरमी की छुटियों में, जाड़े में, कई बार सावन में राखी में वो आता चुनिया के साथ तो हफ़्तों,

और कई बार बुच्ची भी उसी समय सूरजु की माई के साथ पहुँच जाती तो बस, कभी आम के बाग़ में तीनो छुपा छिपाई खेलते तो कभी पेड़ पर चढ़कर कच्चे टिकोरे तोड़ते, और दोनों लड़किया मिल के अकेले लड़के को, गप्पू को छेड़ती भीं,

एक दिन चुनिया और बुच्ची दोनों एक आम के पेड़ की मोटी डाल पर बैठीं थी और नीचे गप्पू, वो दोनों टिकोरे तोड़ के फेंक रही थी, गप्पू बटोर रहा था, साल डेढ़ साल पहले की बात है।

" हे भैया एकदम खट्टी मीठी कच्ची अमिया चाहिए " मुस्कराते हुए बुच्ची के कंधे पर हाथ रख के चुनिया ने गप्पू को छेड़ा,
Girl-2abbbe61fd91d94eaed1c32054d9ffcf.jpg


गप्पू को पेड़ पर चढ़ने में डर लगता था पर ये दोनों, बुच्ची और चुनिया, दोनों सहेलियां, बंदरिया की तरह, एक डाल से दूसरी डाल पर चढ़ कर पूरा बाग़ नाप देतीं।

गप्पू कुछ बोलता उसके पहले बुच्ची के कंधे पर रखा चुनिया का हाथ नीचे सरका और अपनी सहेली की कच्ची अमिया दबाते बोली

" अरे पेड़ के टिकोरे नहीं, ....मेरी सहेली के बुच्ची के "

अब वो बेचारा झेंप गया और जो लड़के लजाते हैं लड़कियां और उनकी खिंचाई करती है और सहेली के भाई पर तो लड़कियां अपना पहला हक समझती हैं तो बुच्ची बोली,

" टिकोरे के लिए तो ऊपर चढ़ना पड़ता है,.... नीचे से तो खाली ललचाते रहो "


Girl-IMG-20231111-195923.jpg


लेकिन उस दिन से गप्पू और बुच्ची में जबरदस्त नैन मटक्का चालू हो गया, वो लाइन मारता था और ये न ना न हाँ, लेकिन कभी मुस्करा के कभी अदा से गाल पे आयी लट झटक के,
Gappu ko tikore chahiye toh hain lekin batane mein sharm aati hai 🔥🔥🔥
 

Rajizexy

❣️and let ❣️
Supreme
51,644
53,693
354
Ab
सुरजू इमरतिया के हवाले
d1305033c5ae02e037322a0c06e8944a.jpg


और अब सुरजू इमरतिया के हवाले,

जो तेल आज वो कडुवा तेल में डाल के, और जड़ी बूटी जोड़ के ख़ास तेल बनायी थी मालिश के लिए, लोग कहते हैं की पांच दिन में केंचुआ क सांड बना दे,

और जो पहले से सांड़ हो,

कल जब खोल के ' वहां' मालिश की तो इमरतिया की ऊपर की सांस ऊपर नीचे की नीचे, और ऐसा नहीं की वो इससे पहले पकड़ी न हो घोंटी न हो, ...बीसो पच्चीसो,... और अब तो वो गिनती करब छोड़ दी थी, उसके मरद का भी कम जबरदस्त बांस नहीं था, लेकिन सुरजू के आगे कुल झूठ,

जो सबसे लम्बा मोटा देखी थी, उससे भी दो अंगुल आगे, और कड़ा कितना,

लेकिन ये भी बात साफ़ थी की एक तो एकदम नौसिखिया, दूसरे उनसे केहू क दरद नहीं देखा जा सकता और बिना जोर जबरदस्ती के कुँवारी लड़की चुदती नहीं, और चुदवाने का मन भी करे तो छिनरपन में टांग सिकोड़े रहेगी।
Teej-SA-image-1259611634575205.jpg



जांगर की कोई कमी नहीं, लेकिन मन,

और खीर में जो जड़ी बूटी डालने को महराजिन को दी है उसका असर तो यही है, बाल ब्रम्हचारी भी नम्बरी चोदू हो जाए, सामने बहिन महतारी भी हो खाली चूत नजर आये,

Kheer-55752513.webp


और दो चार दिन में जबरदस्त असर शरू हो जाता है, ऊपर से इमरतिया की ट्रेनिंग, दो कटोरी बुकवा ( उबटन ) एक छोटी शीशी में 'वो वाला तेल' और कडुवा तेल,

रस्ते में मंजू भाभी और मुन्ना बहू कहारिन से मिटटी के कुल्हड़ सकोरा ले के गिनवा के रख रही थीं तो इमरतिया उन से मिटटी के दो सकोरे भी ले ली, देवर का शीरा बच्ची के लिए।

इमरतिया आज देवर की कोठरी में सोलहो सिंगार कर के,


लेकिन उसके मालूम हो था की उसका देवर कौन दूनो हवा मिठाई देख ललचाता है तो आज गौने क रात चो चोली पहनी थी, अब तो एकदम ही टाइट और वो भी बस चुटपुटिया बटन, हाथ लगाओ तो चुटपुट चुटपुट खुल जाए, हलके से सांकल खटखटाया और दरवाजा झटके से खोल दिया।

boobs-jethani-20479696-335948380192950-1047069464606437264-n.jpg


अइसन लजाधुर,

इमरतिया जोर से मुस्करायी,। वो जैसे बोल के गयी थी, की थोड़ा देह को हवा पानी देखाओ तो वो एकदम निसुते चद्दर ओढ़े, लेकिन इमरतिया को देखते मारे लाज के और झट से तौलिया लपेट के खड़ा हो गया।

इमरतिया ने आराम से पहले सुरजू को दिखाते हुए अंदर से सांकल बंद किया, अपनी साड़ी उतारी, खूंटी पे टांगी, बुकवा का कटोरा जमीन पे रख के, चटाई बिछाई के चिढ़ा के बोली,

" अरे अब कपड़ा उतारने वाला दिन आ गया है, ....और खाली आपन नहीं दुलहिनिया का भी खोलना पड़ेगा, चलो लेटो "
Teej-107452801-3357168027649222-860697700779816949-o.jpg


और हल्का सा धक्का देके सुरजू को लिटा के दोनों हाथ में तेल लगा के सुरजू के देह पे, कुछ इमरतिया की हाथ का असर, कुछ जिस तरह से चोली फाड़ रहे दोनों जोबन एकदम सुरजू के मुंह के पास, जैसे ही इमरतिया झुकती, और थोड़ी देर में तौलिये का तम्बू खड़ा हो गया, पूरे एक बित्ते,


bulge-tumblr-p6gpoo-Bax-N1u0dz46o4-1280.jpg


लेकिन इमरतिया के ऊपर असर नहीं था। वो दोनों पैरों के बाद हाथ और कंधे पे तेल लगा रही थी और अब उसकी चोली की गहराई, उभार सब दिख रहे थे और वो जान के सुरजू के चेहरे पे रगड़ दे रही थी।


" खोलो, अब बहुत चोर सिपाही हो गया " मुस्करा के वो बोली, और एक झटके में इमरतिया ने तौलिया जो उठा के खींचा और फेंका सीधे उसकी साड़ी के ऊपर, खूंटी पे।
Ab Imratia se kushti teh ho gyi lagti hai Suraj ki 👍👍👍✅✅💯
 
Top