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छुटकी - होली दीदी की ससुराल में भाग १०३ इमरतिया पृष्ठ १०७६
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Sandarrपिछवाड़ा रेनू का खूंटा कमल का
मस्ती भैया बहिनिया की
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अब तो रेनू ऐसे चीख रही थी तड़प रही चूतड़ पटक रही थी की पूरे बाग़ में उसी की आवाज सुनाई पड़ रही थी,..
ओह्ह्ह उह्ह्ह जान गयी नहीं अरे भैया निकाल लो,
दर्द भरी उसकी चीखें कान नहीं धरा जा रहा था, पर अगर लड़के इन चीखों पर ध्यान दें न तो न तो किसी चिकने की गाँड़ मारी जाए न किसी लौंडिया की।
हाँ मैंने कमल को इशारा किया एक मिनट रुक,... थोड़ी देर में रेनू के पिछवाड़े को उस मोटे सुपाड़े की आदत पड़नी शुरू हो गयी, भाले की तरह चुभने वाला दर्द एक टीस में बदलना शुरू हो गया,... और धीरे धीरे उसके भाई ने अपनी बहन के पिछवाड़े मूसल ठेलना शुरू किया,
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वो अभी भी चीख रही थी
भौजी बहुत दरद हो रहा है, भैया बुरिया ले लो अब कभी सपने में भी बुर को मना नहीं करुँगी लेकिन पिछवाड़े से निकाल ले।
मैं एक बार फिर कमल के पीछे खड़ी मुस्करा रही थी,
ननद रानी असली दर्द तो अभी बाकी है जब मूसल गांड का छल्ला पार करेगा,... तब पता चलेगा,... लेकिन वहां तक पहुँचते ही रेनू ने एक बार फिर गाँड़ का छल्ला भींच ले, जैसे कोई घर में बुला के बैडरूम का दरवाजा बंद कर ले, घुसने न दे, मैं जान रही थी कमल जबरदस्ती करेगा तो अपने आप वो छल्ला और टाइट होगा,... और फट फटा गयी तो, मैंने कमल से एक मिनट रुकने का इशारा किया
फिर एक बार पिछवाड़े को उसके मूसल का अहसास हुआ, गांड आपने आप फैलने लगी,... लेकिन बात तो उस छल्ले की थी जिसे वो कस के दबोचे थी, जैसे कोई लड़की, पर्स स्नैचर से बचने के लिए कस के अपने पर्स को दोनों हाथों से पकड़ ले पूरी ताकत से,...
और मैंने रेनू की खुली फैली जांघों के बीच हाथ डालकर उसकी गीली मस्ती से भीगी बुर को सहलाना रगड़ना शुरू किया। मस्ती से मेरी ननद की आँखे बंद होने लगीं, दर्द की जगह वो सिसकने लगी, .... अंगूठे और तर्जनी से मैं उसकी फूली हुयी क्लिट को रगड़ रही थी, उसे झड़ने के करीब ले जा रही थी,... और अचानक नाख़ून से कस के उसकी मस्तायी क्लिट को नोच लिया पूरी ताकत से और उसमें अपने नाख़ून धंसाए रही,
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वो दर्द से चीखने लगी, पागल हो गयी और पिछवाड़े का खतरा भूल गयी,
बस पल भर के लिए उसने छल्ला ढीला किया होगा और कमल ने पूरी ताकत से पेल दिया, पूरा तो नहीं घुसा लेकिन एक बार सुपाड़ा अटक भी गया, जैसे दरवाजे में कोई पैर भी घुसा दे तो उसे बंद करना मुश्किल हो जाता है, फिर क्या पेलने में ठेलने में रेनू के भाई का २२ पुरवे में कोई मुकाबला नहीं था और जिस बहन के लिए वो चार साल से तड़प रहा था आज वो उसके नीचे थी,...दो चार मिनट लगा होगा , लेकिन अब सुपाड़ा रेनू के भाई का रेनू की गाँड़ के छल्ले को पार कर चुका था।
क्लिट का दर्द कम हो चूका था, छल्ला एक बार फिर से भींच रहा था, ... लेकिन सुपाड़ा अब पूरा का पूरा पार कर चुका था, और कमल का सुपाड़ा गजब का मोटा था , लंड भी कम नहीं था रेनू की कलाई इतना तो रहा ही होगा, चूड़ी पहनाओ तो २.६ वाली चूड़ी आएगी लेकिन सुपाड़ा ३. ०० वाला,...
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पर कमल भी कम बदमाश नहीं था, अब उस छल्ले के आरपार उसने सुपाड़ा हलके हलके अंदर बाहर करना शुरू किया जैसे ही वहां से रगड़ के निकलता रेनू दर्द से चीख उठती, पर दस बारह बार के बाद छल्ले को भी आदत पड़ गयी और कमल में पूरी ताकत से लेकिन धीरे धीरे रुक कर के अपना बांस अपनी बहन की गाँड़ में
रेनू अभी भी रो रही थी, चीख रही,
जिस तरह दरेरते रगड़ते घिसटते मोटा बांस घुस रहा था कोई भी लड़की चिल्लाती,... पर थोड़ी देर में पूरा बांस अंदर था, कमल एक बार अपनी बहन की चूत में झड़ चुका था तो दुबारा झड़ने में टाइम लगना ही था,...
अब मार कस कस के,... मैंने पीछे से चढ़ाया अपने देवर को और कमल ने कभी धीरे तो कभी हचक के अपनी बहन की गाँड़ मारनी शुरू कर दी,...
" हफ्ते में दो दिन कम से कम सिर्फ इसकी गाँड़ मारना, चार पांच बार से कम क्या मारोगे, और रोज बिना नागा एक दो बार , और सुबह के टाइम तो जरूर,... देखना तेरी भौजाई की गारंटी, अगर दस दिन में ये खुद अपनी गाँड़ चियार के तोहरे लंड के ऊपर न बैठे और खुदे धक्का मार मार के घोंट के न ले तो कहना,... लेकिन मेरा नेग मेरी दोनों शर्तें याद रखना, "
मैंने कान में उसके बोला लेकिन रेनू भी सुन रही रही थी। चीखे उसकी कम हो गयी थी पर बिसूर अभी भी रही थी, ...
मेरी बात सुन के मेरा देवर जोश में आ गया और फिर आलमोस्ट पूरा निकाल के ऐसा धक्का मारा,... की पूरा बांस अंदर,... और मुझसे बोला,
" अरे भौजी ये ससुरी इतना छिनरपन कर रही थी, ... मैं तो जिनगी भर नहीं भूलूंगा,.. और दो बात का जो कहिये वो जब कहिये तब "
पूरे आधे घंटे गाँड़ मारने के बाद ही कमल अपनी बहन रेनू की गाँड़ में झड़ा। रेनू दो बार झड़ चुकी थी और मैंने फिर अपने हाथ से कमल का खूंटा निकाल के रेनू के मुंह में
" बिना चाटे गाँड़ मरौवल पूरा नहीं होता, और चाट के साफ़ सूफ ही नहीं करना है खड़ा भी करना है लेकिन घबड़ा मत अभी तेरा नंबर नहीं लगेगा तू आराम आकर थोड़ी देर " मैं बोली