Wow anu ki garmi......अगले दिन सुधीर सर की मौज होने वाली थी
सुबह अनु की नींद खुली तो अपनी मॉम के निप्पल को अपने मुँह में पाया….
शायद रात को उनसे चिपक कर सोते वक़्त बचपन की याद ताज़ा हो आई थी उसको
इसलिए उनके बूब्स को चूसते -2 वो सो गयी थी
भले ही दूध नही निकल रहा था इनमे से, पर मिठास वैसी ही कायम थी
स्किन ही ऐसी चिकनी थी की ऐसा लग रगता था जैसे कोई फूलों का रस चूस रहा हो,
उन्ही से विरासत मे उसे भी वैसी ही स्किन मिली थी
मन तो कर रहा था की एक बार मॉम को रात की तरह उपर से नीचे तक चूस डाले पर घड़ी में टाइम देखा तो उसे उठना ही पड़ा
आज का स्कूल वो मिस्स नही कर सकती थी, आज से उसे सुधीर सर के साथ एक्सट्रा टाइम जो बिताना था
इसलिए वो जल्दी से उठी, नहा धोकर तैयार हुई और स्कूल के लिए निकल गयी
उसकी मॉम को ऑफीस जाने में अभी एक घंटे का टाइम था, इसलिए वो लेटी रही.
स्कूल पहुँचकर उसे गेट पर ही सुधीर सर मिल गये, उन्हें देखते ही वो खिल उठी
सुधीर सर भी उसके चेहरे की चमक देखकर समझ गये की वो कितनी बेचैन है उनके साथ समय बिताने के लिए
यानी जो तड़प उनमें थी वही अनु में भी थी
कल उसकी माँ से अपना लॅंड चुसवाकर वो इस खानदान की ख़ासियत पहचान चुके थे की बिस्तर में ये साली रंडिया कितना मज़ा देंगी
उसकी माँ तो उसके वश में आ ही चुकी थी
बस इस कमसिन कली को भी अपने लॅंड का पानी पीला कर अपना गुलाम बना लू तो लाइफ सेट हो जाएगी
और वो दिन भी दूर नही जब दोनो माँ बेटियों को एक साथ अपने लॅंड से चोदूँगा
ये सोचते-2 सुधीर सर अपने खड़े हो चुके लॅंड को पेंट के उपर से ही सहलाने लगे
पर अभी तो काफ़ी समय था उसे लॅंड के दर्शन करवाने में , इसलिए किसी दूसरी बात को सोचकर उन्होने किसी तरह से अनु को अपने दिमाग़ से भगाया ताकि खड़ा लॅंड लेकर वो क्लास में ना पहुँच जाए और उनका मज़ाक बना दे ये बच्चे
अनु की क्लास में जाकर भी सुधीर उसपर ज़्यादा ध्यान नही दे रहे थे, क्योंकि जैसे ही अनु से वो नज़रें मिलाते, उसकी आँखो उमड़ रही में हवस देखकर वो बेचारे सकपका से जाते
सुधीर मन ही मन सोच रहा था की ये आजकल के बच्चों में स्कूल टाइम से ही इतना सैक्स कैसे भरा होता है
देख तो ऐसे रही है जैसे मुझे खा ही जाएगी
वैसे इतनी भी बच्ची नहीं रह गयी थी अनु, 18 की तो हो ही चुकी थी , यानी पहली चुदाई के लिए एकदम कड़क माल तैयार था उसके लिए
खैर, किसी तरह स्कूल का टाइम ख़त्म हुआ और धीरे-2 करके सभी टीचर और बच्चे अपने घरों में चले गये
सुधीर धड़कते दिल से अपने स्टाफ रूम बैठा अनु का वेट करने लगामें और कुछ देर में वो आ भी गयी
अनु ने भी जब सुधीर सिर को देखा तो उसका मन किया की आगे बढ़कर वो उनसे गले मिल ले, क्योंकि अब सिर्फ़ गेट पर गार्ड्स और स्कूल में 1-2 पीयून को छोड़कर कोई रह नही गया था
वो सामने वाली चेयर पर जाकर बैठ गयी और सुधीर सर उसे ओपचारिक तौर पर मैथ ओलम्पियाड के बारे में सभी जानकारी देने लगे
उसे अगले 2-3 दिन के लिए ये काम भी दे दिया की जो भी फॉर्म्स आ रहे है उन्हे अरेंज करके वो कंप्यूटर में एक्स्सेल फाइल बना दे ताकि उनका रेकॉर्ड आगे भेजने में आसानी रहे
तभी पीयून आया और सर से पूछा की कुछ चाहिए तो बता दीजिए, उन्होने आधे घंटे बाद चाय लाने के लिए कहा, और उसे जाने के लिए कह दिया और ये भी बोल दिया की डिस्टर्ब मत करना, यहाँ ज़रूरी काम चल रहा है
सुधीर ने जिस अंदाज से पीयून को ये बात कही थी अनु वो सुनकर अंदर से पुलकित हो गयी
यानी अब कुछ देर तक कोई नही आने वाला
इस वक़्त अनु सर के सामने चेयर पर बैठी थी और वो अपने लैपटॉप पर देखकर उसे सब समझा रहे थे
अनु ने जब पूछा की किस फॉर्मॅट में वो स्टूडेंट्स का डाटा अरेंज करे तो सर ने उसे अपनी तरफ आने को कहा
वो उनके पीछे जाकर खड़ी हो गयी और फिर झुककर एक हाथ उनकी चेयर पर और दूसरा टेबल पर रखकर वो फॉर्मेट समझने लगी
ऐसा करते हुए वो जान बूझकर अपनी गर्म साँसे सर के कानों पर छोड़ रही थी, सुधीर को भी पता था की दोनो ही कुछ करने के लिए तड़प रहे है, पर स्कूल का मोहोल और दोनो के बीच का वो अध्यापक छात्रा का रिश्ता ही ऐसा था की उन्हे कुछ भी ज़्यादा करने से डर लग रहा था वहां
उनके टूशन सेंटर की बात अलग थी, वो उनका खुद का घर था, जहाँ वो बाहर का दरवाजा बंद करके कुछ भी कर सकते थे, पर अब वो ऑप्शन तो बचा नही था, और जो था वो इस वक़्त उनके सामने था
हालाँकि ये प्लान बनाते हुए उन्होने सोचा था की ज़्यादा नही तो थोड़ा ही सही पर आसानी से हो जाएगा
पर इस वक़्त कुछ भी करते हुए उनकी गांड फट रही थी
अनु उनकी उलझन समझ गयी
और खुद पहला कदम लेने की सोची
वो थोड़ा और झुकी और अपना दाँया बूब उसने सर के कंधे से टच करा दिया
सुधीर सर का शरीर सिहर कर रह गया
फिर वो धीरे-2 अपने बूब से उनके कंधे पर गोल सर्कल बनाकर उसे घूमने लगी
सर ने अपनी गर्दन उसके मुममे की तरफ गिरा दी ताकि थोड़ी बहुत गर्मी अपने गालों पर भी महसूस कर सके
ये सब करते हुए अनु की नज़रें सामने के दरवाजे और साइड वाली खिड़की पर थी
क्योंकि वही दो रास्ते थे जहाँ से कोई उस कमरे की तरफ आता हुआ दिख सकता था
वो पीयून सामने से आता तो दूर कॉरिडोर से दिख सकता था और बगल वाले कॉरिडर से आता तो साइड वाली खड़की से उसका अक्स पहले दिख जाता
यानी दोनो ही केस में उसे संभलने के लिए काफ़ी समय मिल सकता था
और अभी तो दूर -2 तक कोई हलचल नही थी, शायद वो लंच करने बैठ गया होगा
और ये समय उसके लिए प्रयाप्त था
वो सब करने और कहने के लिए जो पिछले कुछ दिनों से उसके दिलो दिमाग़ में चल रहा था
उसने अपनी शर्ट के 2 बटन खोल दिए जिसकी वजह से उसके बूब्स आधे से ज़्यादा बाहर झाँकने लगे
और अंदर उसने हमेशा की तरह ब्रा नही पहनी थी आज
ख़ासकर अभी के लिए वो बाथरूम में जाकर उसे उतार कर आई थी
उसके नंगे बूब्स की स्किन जैसे ही सुधीर सर को अपने गालो पर महसूस हुई वो उत्तेजना के सागर में और ज़ोर से हिचकोले खाने लगे.
अब अनु से भी सब्र नही हो रहा था, उसके निप्पल्स में एक अजीब सी कसमसाहट होने लगी थी
जिसे अब सुधीर सर के होंठ ही शांत कर सकते थे
इसलिए उसने उनका पूरा चेहरा अपनी तरफ घुमाया और उसे अपनी छाती के बीच बनी गहरी खाई में धकेल दिया
और इतना ज़ोर से उन्हे दबाया की उनकी साँसे ही उखड़ने लगी
और जब कुछ देर में उन्होने अपना चेहरा अंदर अड्जस्ट किया तो उन्हे वहां के रेशमीपन का एहसास हुआ
ऐसा लग रहा था जैसे उन्हे उठाकर गुलाब की पंखुड़ियो से भरी कोठरी में फेंक दिया है
वो अनु के शरीर से आ रही गंध मे डूब कर रह गये
सर की कुर्सी अब घूम कर उसकी तरफ हो चुकी थी
अनु ने अपना एक पैर सिर की टॅंगो के बीच करके करके जगह बना ली
और अपनी जवानी के पट उसने सुधीर सर के लिए खोल दिए
अपनी शर्ट को दोनो तरफ से फेला कर उसने अपने दोनो बूब्स नंगे करके सुधीर सिर के सामने परोस दिए
ये वो पल था जिसका सुधीर ने काफ़ी इंतजार किया था
ऐसा लग रहा था जैसे दो कोहिनूर के हीरे सामने आ गये हो
उनकी खूबसूरती से उसकी आँखे चुँधिया रही थी
सुधीर सर से रहा नही गया और उन्होने अपने गर्म होंठ उसके आइस्क्रीम कोन जैसे बूब पर रख कर उन्हे चाटना शुरू कर दिया
अनु ने और हिम्मत दिखाई और सारे बटन खोलते हुए उसने वो शर्ट उतार दी, वो उसकी स्कर्ट में फंसी थी, इसलिए कमर से लटकी रह गयी
और नीचे होकर उसने अपनी गांड उनकी टाँग पर टिका दी
अब वो टॉपलेस होकर सुधीर सर की गोद में बैठी थी
अब सर आराम से उसके बूब्स चूस और चाट सकते थे
उनकी गर्म हथेलिया उसके नर्म कुल्हों और चिकनी पीठ पर फिसल रहे थे
अनु के लिए ये एकदम नया अनुभव था
जिसे अब वो थोड़ा और बढ़ाना चाहती थी
उसने सर के होंठो से अपनी बूबियाँ बड़ी मुश्किल से छुड़वाई और उनका मुँह उपर करके उनके होंठो पर टूट पड़ी
ये वो काम था जिसे वो ना जाने कब से करना चाहती थी
लीप टू लीप किस्स वो भी एक जानदार शानदार मर्द के साथ
उफ्फ , इन मैच्योर मर्दों के होंठ चूसने में कितना मज़ा आता है
और कितनी कुशलता से ये होंठ चूसते हैं , जीभ का रस किसी कुत्ते की तरह चाटते हैं
हर किस्स के साथ अपने अनुभव की छाप वो उसके होंठो पर छोड़ रहे थे
उसके बूब्स तो पहले से ही उनके अनुभव की गवाह बन चुके थे
यही एक्सपीरियन्स तो वो तलाश रही थी
जो उसे गौरव में नही मिल पाया था
वो तो सच में इनके सामने बच्चा था
गौरव ने भी जब उसे किस्स किया था तो उसे सेंसेशन हुआ था
पर सर के किस्स करने से सेंसेशन के साथ-2 उसकी चूत भी रिस रही थी
यहां तक की बूब्स को जब उन्होने सक्क किया तो ऐसा लग रहा था जैसे आज से ही वो दूध देने लग जाएगी
ऐसी सकिंग थी उनके होंठो की
अब उसे अपनी चॉइस पर कोई शक नही हो रहा था
अपनी सील तुड़वाने के लिए सर से अच्छा कोई विकल्प हो ही नही सकता
वो प्यार से, अनुभव से, मर्दनापन से उसका कौमार्य भंग करेंगे
उफफफफफ्फ़….
इस ख़याल से ही उसके बदन में चींटियां सी रेंगने लगी
Sahi hai mind game khel rahe h anu k sath.... jitna tadpao utni tadap se chodegi.....उसने हाथ नीचे करके उनके खड़े हुए लॅंड को सहलाया, जो इस वक़्त पेंट को फाड़कर बाहर आने के लिए आतुर था
मन तो उसका कर रहा था की उनके लॅंड के दर्शन कर ले
पर सर ने उसके हाथ को वहीं रोक दिया
शायद उन्हे पता था की एक बार वो साँप बाहर आ गया तो उसे संभालना मुश्किल हो जाएगा
वो उसकी चूत मारे बिना अंदर नही जाएगा फिर
और चूत मारने के लिए ये स्थान बिल्कुल भी सही नही था
अनु उनके लॅंड को बाहर तो नही निकाल पाई पर उपर से हाथ लगाकर उसे उसकी लंबाई और मोटाई का अंदाज़ा ज़रूर मिल गया
ये मोटे खीरे जैसा लॅंड कैसे घुसेगा उसकी नन्ही सी चूत में
रोमांच के साथ डर भी लग रहा था उसे
पर इतना तो पता था उसे भी
बाद में मज़ा बहुत आता है
इसलिए उस बार-2 के मज़े के लिए इस एक बार के दर्द से तो निपटना ही पड़ेगा
पर अभी तो वो पल शायद काफ़ी दूर था
अभी के लिए तो इस मौके मे मिल रहे मज़े को ही एंजाय करना चाहती थी वो
पर उसकी एंजाय्मेंट पर ब्रेक लग गया जब उसे दूर कॉरिडर से पीयून चाय की ट्रे लेकर आता हुआ दिख गया
वो छिटककर सुधीर सर की गोद से उतर गयी और जल्दी से उसने अपनी शर्ट पहन ली और जाकर सामने वाली सीट पर पहले की तरह बैठ गयी
सर भी अपनी हालत दरुस्त करके चश्मा लगाकर लॅपटॉप स्क्रीन पर देखकर कुछ बोलने लगे जैसे अनु को कुछ समझा रहे हो
पर अनु का ध्यान तो अपनी शर्ट पर था
बटन लगाते हुए उसके हाथ काँप रहे थे
मुश्किल से 4 बटन लगा पाई थी की पीयून अंदर आ गया और दोनो के सामने चाय रख दी
अनु के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था, उसके उपर के 4 बटन खुले थे अभी तक, वो तो आख़िरी मौके पर उसने अपने हाथों से सामने वाले हिस्से को कस कर पकड़ लिया ताकि वो पीयून उसका खुला गला ना देख पाए
पीयून ने जाते-2 उसके चेहरे को देखा भी ,शायद उसे कुछ शक सा हो रहा था
पर तभी सर ने उससे पूछा : “क्या हुआ बिनोद, खड़े क्यों हो अभी तक…जाओ अपना काम करो..”
वो बेचारा सर की हल्की डांट सुनकर उल्टे पैर चलता बना
उसके जाते ही दोनो के चेहरे पर गहरी मुस्कान आ गयी
इस रोमांच भरे पलों में उन्होने जिस बेबाकी से वो सब किया था शायद उसे सोचकर हंस रहे थे
सर कुछ और कर पाते इससे पहले ही उनके मोबाइल की घंटी बज उठी
ये शेफाली का कॉल था
अनु की मॉम का
और अनु के सामने तो वो उससे बात कर नहीं सकते थे
इसलिए उसे एक्सक्यूज़ मी बोलकर वो कमरे से बाहर निकल आए
सुधीर : “हेलो…हाय , कैसी हो…”
शेफाली : “मैं तो ठीक हूँ पर आप शायद मुझे भूल गए एक ही दिन में ..”
सुधीर ने अंदर बैठी अनु को देखा जो उन्हे ही देखकर उनके अंदर आने का वेट कर रही थी
सुधीर : “मैं भी बस आपके बारे में ही सोच रहा था अभी…”
शेफाली : “अच्छा …वो कैसे”
सुधीर : “वो मैं अभी स्कूल में ही था और सोच रहा था की काश तुम अभी यहाँ आ जाती, मेरी गोद में बैठ कर अपना टॉप उतारती और मैं तुम्हारे रसीले बूब्स को चूसता , तुम्हारे होंठों को चबा जाता”
वो ठीक वैसा ही बोल रहे थे जैसा उन्होने अभी कुछ देर पहले शेफाली की बेटी अनु के साथ किया था
सुधीर सर की गर्म बाते सुनकर शेफाली तड़प उठी : “उम्म्म्मम…..क्यों ऐसी बातें करके मुझे तडपा रहे हो…पता है कल शाम से मुझे हर पल वही सब याद आ रहा है जो पार्किंग लॉट में जो हुआ था….काश मैं इस वक़्त तुम्हारे सामने होती तो वही सब करती जो तुमने कहा, इन्फेक्ट वहीं टेबल के नीचे घुसकर तुम्हे एक बार फिर से सक्क करती…”
अपने लॅंड की सकिंग के नाम से ही सुधीर का लॅंड फिर से तन्ना उठा.
शेफाली : “अब मुझसे रहा नही जा रहा, तुम एक काम करो, किसी तरह भी मिलने का प्रोग्राम बनाओ, एंड फक्क मी प्लीज़…..फ़क्क मी….”
आग इतनी भड़क रही थी उसके अंदर की वो चुदाई की भीख माँगने लगी सुधीर से
वो बोले : “तुम फ़िक्र ना करो मेरी जान, इसका भी जल्दी ही इंतज़ाम करता हूँ …बस तुम मेरे हिसाब से वो सब करते जाओ…”
और फिर सिर उसे कुछ समझाने लगे
और फिर फोन रखने के बाद वो अंदर आ गये
अंदर अनु अलग से परेशान हो रही थी, की इस वक़्त कौनसी सौतन का फ़ोन आ गया जो उन्हें कमरे से बहार जाकर बात करनी पड़ रही है
उन्होंने ये बेशक़ीमती समय फोन पर नष्ट कर दिया था
स्कूल बंद करने का समय हो चला था अब
इसलिए पीयून एक बार फिर से आता हुआ दिखाई दिया
अभी के लिए कुछ और हो नही सकता था
पर पीयून की नज़रों में आए बिना , आज से ज़्यादा मज़ा कल कैसे मिल सकता है, ये जान चुके थे दोनों
पर अभी तो सर को शेफाली की चूत के उद्घाटन का प्लान बनाना था
उसे और देर तक तड़पाकर वो हाथ आई हुई इस हीरोइन को खोना नही चाहते थे
अगला दिन काफी मजेदार होने वाला था
देख रहा है विनोदउसने हाथ नीचे करके उनके खड़े हुए लॅंड को सहलाया, जो इस वक़्त पेंट को फाड़कर बाहर आने के लिए आतुर था
मन तो उसका कर रहा था की उनके लॅंड के दर्शन कर ले
पर सर ने उसके हाथ को वहीं रोक दिया
शायद उन्हे पता था की एक बार वो साँप बाहर आ गया तो उसे संभालना मुश्किल हो जाएगा
वो उसकी चूत मारे बिना अंदर नही जाएगा फिर
और चूत मारने के लिए ये स्थान बिल्कुल भी सही नही था
अनु उनके लॅंड को बाहर तो नही निकाल पाई पर उपर से हाथ लगाकर उसे उसकी लंबाई और मोटाई का अंदाज़ा ज़रूर मिल गया
ये मोटे खीरे जैसा लॅंड कैसे घुसेगा उसकी नन्ही सी चूत में
रोमांच के साथ डर भी लग रहा था उसे
पर इतना तो पता था उसे भी
बाद में मज़ा बहुत आता है
इसलिए उस बार-2 के मज़े के लिए इस एक बार के दर्द से तो निपटना ही पड़ेगा
पर अभी तो वो पल शायद काफ़ी दूर था
अभी के लिए तो इस मौके मे मिल रहे मज़े को ही एंजाय करना चाहती थी वो
पर उसकी एंजाय्मेंट पर ब्रेक लग गया जब उसे दूर कॉरिडर से पीयून चाय की ट्रे लेकर आता हुआ दिख गया
वो छिटककर सुधीर सर की गोद से उतर गयी और जल्दी से उसने अपनी शर्ट पहन ली और जाकर सामने वाली सीट पर पहले की तरह बैठ गयी
सर भी अपनी हालत दरुस्त करके चश्मा लगाकर लॅपटॉप स्क्रीन पर देखकर कुछ बोलने लगे जैसे अनु को कुछ समझा रहे हो
पर अनु का ध्यान तो अपनी शर्ट पर था
बटन लगाते हुए उसके हाथ काँप रहे थे
मुश्किल से 4 बटन लगा पाई थी की पीयून अंदर आ गया और दोनो के सामने चाय रख दी
अनु के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था, उसके उपर के 4 बटन खुले थे अभी तक, वो तो आख़िरी मौके पर उसने अपने हाथों से सामने वाले हिस्से को कस कर पकड़ लिया ताकि वो पीयून उसका खुला गला ना देख पाए
पीयून ने जाते-2 उसके चेहरे को देखा भी ,शायद उसे कुछ शक सा हो रहा था
पर तभी सर ने उससे पूछा : “क्या हुआ बिनोद, खड़े क्यों हो अभी तक…जाओ अपना काम करो..”
वो बेचारा सर की हल्की डांट सुनकर उल्टे पैर चलता बना
उसके जाते ही दोनो के चेहरे पर गहरी मुस्कान आ गयी
इस रोमांच भरे पलों में उन्होने जिस बेबाकी से वो सब किया था शायद उसे सोचकर हंस रहे थे
सर कुछ और कर पाते इससे पहले ही उनके मोबाइल की घंटी बज उठी
ये शेफाली का कॉल था
अनु की मॉम का
और अनु के सामने तो वो उससे बात कर नहीं सकते थे
इसलिए उसे एक्सक्यूज़ मी बोलकर वो कमरे से बाहर निकल आए
सुधीर : “हेलो…हाय , कैसी हो…”
शेफाली : “मैं तो ठीक हूँ पर आप शायद मुझे भूल गए एक ही दिन में ..”
सुधीर ने अंदर बैठी अनु को देखा जो उन्हे ही देखकर उनके अंदर आने का वेट कर रही थी
सुधीर : “मैं भी बस आपके बारे में ही सोच रहा था अभी…”
शेफाली : “अच्छा …वो कैसे”
सुधीर : “वो मैं अभी स्कूल में ही था और सोच रहा था की काश तुम अभी यहाँ आ जाती, मेरी गोद में बैठ कर अपना टॉप उतारती और मैं तुम्हारे रसीले बूब्स को चूसता , तुम्हारे होंठों को चबा जाता”
वो ठीक वैसा ही बोल रहे थे जैसा उन्होने अभी कुछ देर पहले शेफाली की बेटी अनु के साथ किया था
सुधीर सर की गर्म बाते सुनकर शेफाली तड़प उठी : “उम्म्म्मम…..क्यों ऐसी बातें करके मुझे तडपा रहे हो…पता है कल शाम से मुझे हर पल वही सब याद आ रहा है जो पार्किंग लॉट में जो हुआ था….काश मैं इस वक़्त तुम्हारे सामने होती तो वही सब करती जो तुमने कहा, इन्फेक्ट वहीं टेबल के नीचे घुसकर तुम्हे एक बार फिर से सक्क करती…”
अपने लॅंड की सकिंग के नाम से ही सुधीर का लॅंड फिर से तन्ना उठा.
शेफाली : “अब मुझसे रहा नही जा रहा, तुम एक काम करो, किसी तरह भी मिलने का प्रोग्राम बनाओ, एंड फक्क मी प्लीज़…..फ़क्क मी….”
आग इतनी भड़क रही थी उसके अंदर की वो चुदाई की भीख माँगने लगी सुधीर से
वो बोले : “तुम फ़िक्र ना करो मेरी जान, इसका भी जल्दी ही इंतज़ाम करता हूँ …बस तुम मेरे हिसाब से वो सब करते जाओ…”
और फिर सिर उसे कुछ समझाने लगे
और फिर फोन रखने के बाद वो अंदर आ गये
अंदर अनु अलग से परेशान हो रही थी, की इस वक़्त कौनसी सौतन का फ़ोन आ गया जो उन्हें कमरे से बहार जाकर बात करनी पड़ रही है
उन्होंने ये बेशक़ीमती समय फोन पर नष्ट कर दिया था
स्कूल बंद करने का समय हो चला था अब
इसलिए पीयून एक बार फिर से आता हुआ दिखाई दिया
अभी के लिए कुछ और हो नही सकता था
पर पीयून की नज़रों में आए बिना , आज से ज़्यादा मज़ा कल कैसे मिल सकता है, ये जान चुके थे दोनों
पर अभी तो सर को शेफाली की चूत के उद्घाटन का प्लान बनाना था
उसे और देर तक तड़पाकर वो हाथ आई हुई इस हीरोइन को खोना नही चाहते थे
अगला दिन काफी मजेदार होने वाला था
थॅंक्सW
Wow anu ki garmi......
Bahanchod sudhir ise chode ya na chode ....
Par ye saali pakka sudhir ki Gand faad degi chudayi me.........
Bhut shandaar n hot update......
School m hi shuru ho gyi saali......
देख रहा है विनोद
खुद तो सुधीर सर बच्ची के साथ मजा कर रहा है
और हमको देख लेने पर भी डाटॅ रहा है।।।