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अगलगी सुबह मैं ५ बजे उठ के फटाफट रेडी हुआ और समय से स्टेशन पहुंच गया, चन्द्रमा थोड़ी लेट थी, मैंने कॉल किया तो बोली मेट्रो में है, खैर वो ट्रैन छूटने से १० मिनट पहले पहुंच गयी और हम जाकर अपनी सीट पर बैठ गए। ट्रैन में भीड़ ज़्यदा नहीं थी तो कुछ खास दिक्कत नहीं आयी, पूरी ट्रैन चेयर कार थी सब अपनी अपनी सीट पर आराम से बैठे थे, सही समय पर ट्रैन स्टार्ट हुई और अपनी मज़िल की ओर चल पड़ी
चन्द्रमा को मैंने विंडो सीट पर बैठाया था और खुद साथ वाली सीट पर बैठ गया, मैंने चन्द्रमा को पहले ही बता दिया था की ज़ायदा कपडे या सामान लेकर ना चले नहीं तो सामान सँभालने में ही सारा समय बर्बाद हो जाता है, उसने भी समझदारी दिखते हुए एक जिम बैग में अपना सामान ले कर आयी थी, मेरा भी बैग हल्का ही था सो किसी प्रकार की समस्या नहीं होने वाली थी रास्ते में।
आराम से बैठने के बाद मैंने चद्र्मा पर धयान केंद्रित किया आखिर ये सब तो उसकी के लिए हो रहा था, चन्द्रमा ने एक हल्का सा ऑफ वाइट कलर का टॉप डाला हुआ था और लेग्गिंग पहनी हुई थी ब्लैक कलर की , सुबह सुबह उठ कर आये थी तो एक अलग ही ग्लो नज़र आरहा था उसके हसीं चेहरे पर। शायद जल्दबाज़ी में उसने फेस पर कोई क्रीम भी नहीं लगायी थी, देख का बहुत अच्छा लगा वैसे भी मुझे मेकअप से भरा चेहरा कुछ खस पसंद नहीं है , जैसे जैसे ट्रैन आगे बढ़ रही थी चन्द्रमा का चेहरा खिलता जा रहा था, चेहरे से साथ पता चल रहा था की वो इस ट्रिप से कितनी खुश है।
शताब्दी एक्सप्रेस में नाश्ता खाना टिकट प्राइस में ही इन्क्लुड होता है, थोड़ी ही देर में सब के लिए टी एंड बिस्किट्स आगये। चन्द्रमा को अंदाज़ा नहीं था लेकिन नाश्ता देख के वो एक दम बच्चे जैसे खुश हो गयी और मेरे कान में फुसफूसा के बोली, ये इसके अलग से पैसे लेंगे क्या ?
मैं : हाहाहा नहीं पागल ये फ्री है , टिकट में ले लेते है इसके पैसे
चन्द्रमा : वो तो राजधानी ट्रैन में होता है ना ?
मैं : हाँ और शताब्दी में भी,
चन्द्रमा : (खुश होते हुए ) और क्या क्या मिलगा ?
मैं : अब हो सकता है कटलेट्स या ब्रेड अंडा मिलेगा, फिर जूस या टोमेटो सुप, या कोई फ्रूट भी
चन्द्रमा : वाह ये तो एक दम मस्त है ना
मैं : हां एक दम तुम्हारी तरह
चन्द्रमा : खिलखिला के हस्ते हुए (मेरे बाज़ू पर चिकोटी काट कर ) बस बातें करा लो आपसे
मैं : (मौके का पूरा फ़ायदा उठाते हुए ) अरे मैं तो और भी बहुत कुछ करना चाहता हूँ लेकिन तुम मौका तो दो
चन्द्रमा : झट से नज़र घुमा कर (कुछ मौका वोका नहीं मिलगा )
मैं : (नाटक करता हुआ ) तुम मेरी जान ही लेके रहोगी
चन्द्रमा : ( खिल खिला के है पड़ी ) बस बस बहुत हुआ, और भी लोग है ट्रैन में
मैं : अरे सब ऊँघने में बिजी है और हम कौन सा सेक्स वाली बातें कर रहे है।
चन्द्रमा : होऊँ बस भी करो।
मैं : अच्छा ठीक है बाबा ये बताओ घर में क्या बोलके आयी हो ?
चन्द्रमा : बाद में बताउंगी ( ये उसका बात टालने का तरीका था )
खैर मुझे क्या टेंशन होने लगी , अब तो बस बात बनने वाली ही है , बाद की बात बाद में देखेंगे।
लड़की सुबह की जगी हुई थी , थोड़ी देर में एग ब्रेड खाके उसने सीट से टेक लगा के आँखे बंद कर ली, हलकी नींद मुझे भी आरही थी लेकिन मैं कण्ट्रोल कर रहा था, आखिर थोड़ी देर में चन्द्रमा की आँख लग गयी, पहले तो थोड़ी देर उसने सर विंडो से टिकाया हुआ था लेकिन थोड़ी देर बाद उसने कसमसा के गर्दन एडजस्ट के तो अब उसका सर धीरे धीरे मेरी और झुकने लगा, मैं इसी पल के लिए अपनी नींद को कण्ट्रोल करा रहा था और फिर धीरे से उसके ढुलकते सर के नीचे अपना कन्धा टिका दिया, सर कंधे पर आते ही मानो चन्द्रमा को आराम लग गया और वो और रिलैक्स हो कर सो गयी , सोने के कारन उसके कुछ बाल जो पोनी में बंधे हुए थे उसके माथे पर बिखर आये थे जो उसके चेहरे पर चार चाँद लगा रहे थे, लगभग आधा घंटा हो चूका था इसी पोज़ में चन्द्रमा को सोते हुए, मुझे खिड़की से स्टेशन आता नज़र आया और मैं समझ गया की कुछ मिनट में ट्रैन अलवर पहुंचने वाली है, जैसे ही ट्रैन स्टेशन पर पहुंची एक हल्का सा झटका लिया उसी पल मैंने चन्द्रमा के माथे से हलके हाथो से बालो को अलग किया और एक छोटी सी प्यार भरी किस माथे पर कर डाली, ब्रेक का हल्का झटका, माथे पर मेरे हाथो का स्पर्श और होटों का उसके माथे को छूना उसकी नींद चुरा ले गया और एक दम से उसने अपनी बड़ी बड़ी आंखे खोल के मेरी ओर देखा और मेरे चेहरे को अपने चेहरे पर झुका हुआ पाकर एक दम से शर्मा गयी और नज़रें नीची करती हुई बोली :
चन्द्रमा : हुनुओं, क्या कर रहे हो?
मैं : तुम्हारे माथे पर कुछ बाल आगये थे उसको हटा रहा था और ,,,,,,,
चन्द्रमा : और क्या,,,,,,,?
मैं : बाल हटाते टाइम तुम्हारा चेहरा इतना क्यूट लगा की मैंने ,,,,,,,,
चन्द्रमा : हाँ आपने,,,,,,?
मैं : मैंने उसपर किस कर लिया।।।
चन्द्रमा : बड़े गंदे हो आप
मैं : अरे तुमसे मैंने कल ही परमिशन ली थी ना , और देखो मैं अपनी बात का पक्का हूँ माथे पर किस की, अगर चाहता तो लिप्स पर भी कर सकता था।
चन्द्रमा : (शर्म से गाल लाल करती हुई ) ठीक है ठीक है और खिड़की बाहर देखने लगी
ट्रैन फिर से चल पड़ी और इस बार चन्द्रमा ने सर मेरे कंधो पर रख लिया और मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, अब तक जो कुछ भी हो रहा था वो उसके इस तरह से सर रखने से क्लियर हो गया था की उसे भी इन सब में मज़ा आने लगा था , मैंने भी धीरे से हाथ सीट के ऊपर से उसके कंधे पर रख लिया और हलके हलके हाथ से उसकी आधी खुली बाज़ू को प्यार से सहलाने लगा, चन्द्रमा ने एक बार अपनी नज़रे उठा कर एक बार मेरी ओर मुस्कुराकर देखा और फिर से अपनी आखे बंद कर ली।
चन्द्रमा को मैंने विंडो सीट पर बैठाया था और खुद साथ वाली सीट पर बैठ गया, मैंने चन्द्रमा को पहले ही बता दिया था की ज़ायदा कपडे या सामान लेकर ना चले नहीं तो सामान सँभालने में ही सारा समय बर्बाद हो जाता है, उसने भी समझदारी दिखते हुए एक जिम बैग में अपना सामान ले कर आयी थी, मेरा भी बैग हल्का ही था सो किसी प्रकार की समस्या नहीं होने वाली थी रास्ते में।
आराम से बैठने के बाद मैंने चद्र्मा पर धयान केंद्रित किया आखिर ये सब तो उसकी के लिए हो रहा था, चन्द्रमा ने एक हल्का सा ऑफ वाइट कलर का टॉप डाला हुआ था और लेग्गिंग पहनी हुई थी ब्लैक कलर की , सुबह सुबह उठ कर आये थी तो एक अलग ही ग्लो नज़र आरहा था उसके हसीं चेहरे पर। शायद जल्दबाज़ी में उसने फेस पर कोई क्रीम भी नहीं लगायी थी, देख का बहुत अच्छा लगा वैसे भी मुझे मेकअप से भरा चेहरा कुछ खस पसंद नहीं है , जैसे जैसे ट्रैन आगे बढ़ रही थी चन्द्रमा का चेहरा खिलता जा रहा था, चेहरे से साथ पता चल रहा था की वो इस ट्रिप से कितनी खुश है।
शताब्दी एक्सप्रेस में नाश्ता खाना टिकट प्राइस में ही इन्क्लुड होता है, थोड़ी ही देर में सब के लिए टी एंड बिस्किट्स आगये। चन्द्रमा को अंदाज़ा नहीं था लेकिन नाश्ता देख के वो एक दम बच्चे जैसे खुश हो गयी और मेरे कान में फुसफूसा के बोली, ये इसके अलग से पैसे लेंगे क्या ?
मैं : हाहाहा नहीं पागल ये फ्री है , टिकट में ले लेते है इसके पैसे
चन्द्रमा : वो तो राजधानी ट्रैन में होता है ना ?
मैं : हाँ और शताब्दी में भी,
चन्द्रमा : (खुश होते हुए ) और क्या क्या मिलगा ?
मैं : अब हो सकता है कटलेट्स या ब्रेड अंडा मिलेगा, फिर जूस या टोमेटो सुप, या कोई फ्रूट भी
चन्द्रमा : वाह ये तो एक दम मस्त है ना
मैं : हां एक दम तुम्हारी तरह
चन्द्रमा : खिलखिला के हस्ते हुए (मेरे बाज़ू पर चिकोटी काट कर ) बस बातें करा लो आपसे
मैं : (मौके का पूरा फ़ायदा उठाते हुए ) अरे मैं तो और भी बहुत कुछ करना चाहता हूँ लेकिन तुम मौका तो दो
चन्द्रमा : झट से नज़र घुमा कर (कुछ मौका वोका नहीं मिलगा )
मैं : (नाटक करता हुआ ) तुम मेरी जान ही लेके रहोगी
चन्द्रमा : ( खिल खिला के है पड़ी ) बस बस बहुत हुआ, और भी लोग है ट्रैन में
मैं : अरे सब ऊँघने में बिजी है और हम कौन सा सेक्स वाली बातें कर रहे है।
चन्द्रमा : होऊँ बस भी करो।
मैं : अच्छा ठीक है बाबा ये बताओ घर में क्या बोलके आयी हो ?
चन्द्रमा : बाद में बताउंगी ( ये उसका बात टालने का तरीका था )
खैर मुझे क्या टेंशन होने लगी , अब तो बस बात बनने वाली ही है , बाद की बात बाद में देखेंगे।
लड़की सुबह की जगी हुई थी , थोड़ी देर में एग ब्रेड खाके उसने सीट से टेक लगा के आँखे बंद कर ली, हलकी नींद मुझे भी आरही थी लेकिन मैं कण्ट्रोल कर रहा था, आखिर थोड़ी देर में चन्द्रमा की आँख लग गयी, पहले तो थोड़ी देर उसने सर विंडो से टिकाया हुआ था लेकिन थोड़ी देर बाद उसने कसमसा के गर्दन एडजस्ट के तो अब उसका सर धीरे धीरे मेरी और झुकने लगा, मैं इसी पल के लिए अपनी नींद को कण्ट्रोल करा रहा था और फिर धीरे से उसके ढुलकते सर के नीचे अपना कन्धा टिका दिया, सर कंधे पर आते ही मानो चन्द्रमा को आराम लग गया और वो और रिलैक्स हो कर सो गयी , सोने के कारन उसके कुछ बाल जो पोनी में बंधे हुए थे उसके माथे पर बिखर आये थे जो उसके चेहरे पर चार चाँद लगा रहे थे, लगभग आधा घंटा हो चूका था इसी पोज़ में चन्द्रमा को सोते हुए, मुझे खिड़की से स्टेशन आता नज़र आया और मैं समझ गया की कुछ मिनट में ट्रैन अलवर पहुंचने वाली है, जैसे ही ट्रैन स्टेशन पर पहुंची एक हल्का सा झटका लिया उसी पल मैंने चन्द्रमा के माथे से हलके हाथो से बालो को अलग किया और एक छोटी सी प्यार भरी किस माथे पर कर डाली, ब्रेक का हल्का झटका, माथे पर मेरे हाथो का स्पर्श और होटों का उसके माथे को छूना उसकी नींद चुरा ले गया और एक दम से उसने अपनी बड़ी बड़ी आंखे खोल के मेरी ओर देखा और मेरे चेहरे को अपने चेहरे पर झुका हुआ पाकर एक दम से शर्मा गयी और नज़रें नीची करती हुई बोली :
चन्द्रमा : हुनुओं, क्या कर रहे हो?
मैं : तुम्हारे माथे पर कुछ बाल आगये थे उसको हटा रहा था और ,,,,,,,
चन्द्रमा : और क्या,,,,,,,?
मैं : बाल हटाते टाइम तुम्हारा चेहरा इतना क्यूट लगा की मैंने ,,,,,,,,
चन्द्रमा : हाँ आपने,,,,,,?
मैं : मैंने उसपर किस कर लिया।।।
चन्द्रमा : बड़े गंदे हो आप
मैं : अरे तुमसे मैंने कल ही परमिशन ली थी ना , और देखो मैं अपनी बात का पक्का हूँ माथे पर किस की, अगर चाहता तो लिप्स पर भी कर सकता था।
चन्द्रमा : (शर्म से गाल लाल करती हुई ) ठीक है ठीक है और खिड़की बाहर देखने लगी
ट्रैन फिर से चल पड़ी और इस बार चन्द्रमा ने सर मेरे कंधो पर रख लिया और मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, अब तक जो कुछ भी हो रहा था वो उसके इस तरह से सर रखने से क्लियर हो गया था की उसे भी इन सब में मज़ा आने लगा था , मैंने भी धीरे से हाथ सीट के ऊपर से उसके कंधे पर रख लिया और हलके हलके हाथ से उसकी आधी खुली बाज़ू को प्यार से सहलाने लगा, चन्द्रमा ने एक बार अपनी नज़रे उठा कर एक बार मेरी ओर मुस्कुराकर देखा और फिर से अपनी आखे बंद कर ली।
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