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Erotica जवानी जानेमन (Completed)

blinkit

I don't step aside. I step up.
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Mast update Bhai
:vhappy1:
आपका कहानी लिखने का तरीका बिलकुल वास्तविकता का आभास कराता है.......... लगता है जैसे कोई समाचार पढ़ रहे हों........

ऐसे ही लिखते रहें.......... यहाँ सिर्फ सेक्स नहीं साहित्य-कहानी को समझने वाले शौकीन भी हैं........ बहुत
 
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blinkit

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आपका कहानी लिखने का तरीका बिलकुल वास्तविकता का आभास कराता है.......... लगता है जैसे कोई समाचार पढ़ रहे हों........

ऐसे ही लिखते रहें.......... यहाँ सिर्फ सेक्स नहीं साहित्य-कहानी को समझने वाले शौकीन भी हैं........ बहुत
aap ka aneko danyawad meri kahani ka maan badhane ka, aap jaise pathako ke pyar aur sahyog ke karan hi ye kahani likh pa raha hoon, saath bane rahiyega. dhero shukriya aur samman.
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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बढ़िया, चंद्रमा पूर्ण कलाएं दिखाने वाली है।

इसके लिए उंगली टेढ़ी करनी ही पड़ेगी।
 
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blinkit

I don't step aside. I step up.
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अभी जो हुआ उस से दिल तो टूटा लेकिन दर्द इतना भी नहीं था, क्यूंकि थोड़ा आभास पहले से था, ये खेल कोई ताकत तो था नहीं की चार लौंडो के साथ गए और लड़की छीन लाये, ना कोई ज़बरदस्ती चुदाई का प्लान था, वैसे भी मेरा मांनना है की जो मज़ा प्यार में गिर कर चुदाई में है वो मज़ा ज़बरदस्ती या बिना प्रेम वाली चुदाई में नहीं, इसलिए ताकत का इस्तेमाल बेकार था, बात केवल दिमाग से ही बन सकती थी, और दिमाग भी तब काम करे जब लड़की के मन का क्लियर पता चले, लड़की खुद कंफ्यूज थी, कभी मुझसे प्रेम जाता रही थी और कभी पूर्वप्रेमी की पीठ पर चुच्चे रगड़ रही थी,

मैं सारे रस्ते बाइक चलाते चलाते प्लान बनता रहा लेकिन कोई भी ढंग का प्लान नहीं बन पाया, थंका हारा घर पंहुचा और बिस्तर में गिर के सो गया।

अगले दिन काम से फ्री हो कर मैंने फ़ोन चेक किया देखा चन्द्रमा का मैसेज आया हुआ था
चन्द्रमा : फ्री हो जाओ तब कॉल करना
मैं : हाँ बोलो अभी फ्री हुआ हूँ,
चन्द्रमा : कॉल करो (जैसे मेरे ही मैसेज का वेट कर रही थी )

मैंने कॉल की तो उसने मेरा हाँ पूछा फिर बोला की उसे एक शादी में जाना है अपने होम टाउन और उसकोकुछ शॉपिंग करनी है, सरोजनी नगर की मार्किट से और अगर पॉसिबल हो तो मैं उसको ले चलूँ, मैंने धीरे से दीपक के साथ जाने का बोला तो उसका वही जवाब की आपको बताया तो है की उस से मैंने ब्रेकअप कर लिया है, मैं कहा ठीक है मैं चलूँगा और इधर उधर के बात करके फ़ोन रख दिया।

अब ये अच्छा मौका था आगे के लिए प्लान करने का, उसने बोला था की वो अकेली आएगी और यही मौका होगा उसके मन की बात समझने का और उसी के अनुसार प्लान करने का।

नेक्स्ट डे वो अपने बताये टाइम से थोड़ा लेट पहुंची मैं मेट्रो के नीचे उसका वेट करता रहा, आज उसने पर्पल कलर का फ्रॉक टाइप सूट पहना हुआ था जिसका स्लिट इस प्रकार का था के उसकी नाभि साफ़ दिखा रही थी, कपडे का रंग डार्क था तो उसका रंग एकदम खिल के बहार आ रहा था, शायद उसने फेस क्लीन कराया था या थ्रेडिंग कराई थी जिसके कारन एक गजब का ग्लो था उस दिन उसके मुखड़े पर, अब तक हम जितनी बार मिले थे ये अब तक की सबसे अच्छी ड्रेसिंग की हुई थी चन्द्रमा ने, लगता था आज मन से सज संवर कर आयी थी। मैंने उसे बाइक बिठाया और मार्किट जा पहुंचे, आज बैठते टाइम वही हलकी सी डिस्टेंस मेन्टेन कर रखी थी उसने, सब कुछ ठीक था लेकिन आज की मुलाक़ात में कुछ खास गरम जोशी नहीं थी पहले जैसी।

हम मार्किट जा पहुंचे, कोरोना का डर धीरे धीरे कम हो रहा था और लोग खुलके शॉपिंग करने आरहे थे, भयंकर भीड़ थी फिर हम भी उस भीड़ में घुस गए और शॉपिंग करने लगे, आज होने वाली ऑलमोस्ट साड़ी शॉपिंग के पैसे मैंने खर्च किये, उसने भी ज़यादा इंसिस्ट नहीं किया बस इतना बोला की बाद में दे दूंगी, बस एक बात जो खास थी की मार्किट में जाकर उसने पिछली बार की तरह फिर से मेरा हाथ पकड़ लिया और ठीक ऐसे चलने लगी जैसे दो प्रेमी जोड़े चलते है, पूरी शॉपिंग हमने ऐसे ही की एक दो बार मेरा हाथ उसके नाज़ुक मखमली चूतङो से रगड़ा और टकराया लेकिन उसने ज़यादा रिएक्शन नहीं दिया तो मैंने भी मौका देख देख के उसके चूतड़ों पर हाथ सहला सहला कर मज़े लेता रहा, समय जैसे जैसे गुज़रा वैसे वैसे पुरानी वाली गर्मजोशी लौट रही थी, मेरे जोक पर मुस्करा देती या कोई दूकानदार अगर हमे कपल समझके भैय्या भाभी जी बुलाता तो खिलखिला कर हंस देती।

शॉपिंग के बाद मैंने पूछा कहा चलना है तो उसने बोला की अगर आप बिजी हो तो घर चली जाउंगी,
मैं : मैंने कब कहा मैं बिजी हूँ
चन्द्रमा : मुझे लगा
मैं : नहीं ऐसा नहीं है, बताओ कहा चलना है
चन्द्रमा : कभी भी
मैं : कुछ खाओगी ?
चद्र्मा : हाँ , मैंने सुबह से कुछ नहीं खाया
मैं : ओके फिर पहले कुछ खाते है

फिर मै चन्द्रमा को लेकर अपनी पसंद के एक महंगे रेस्टुरेंट में ले कर गया जो बहुत फेमस था
मैंने फील किया यहाँ जा कर चन्द्रमा बहुत खुश है, मैंने उस से पूछा की क्या वो पहले कभी आयी है इस जगह, तो उसने ना में सर सर हिला दिया, लेकिन ना कहते समय एक दम भाप गया की एक दुःख की लहार जो उसके चहरे पर एक पल के लिए दुखी थी, बस यही मेरे दिमाग में आगया की आखिर मिस्ट्री क्या है।

मैंने वेटर को बुला कर वहा की सबसे महंगी और फेमस खाने का आर्डर दिया और खाना खाने बैठ गए , खाना कहते टाइम वो बहुत खुश थी उसे बहुत साड़ी सेल्फी ली खाने की भी और खाना खाते हुए भी, मैंने भी 5-७ उसकी फोटोज ले दी ऐसे एंगल से जिसमे खाने के साथ साथ रेस्टुरेंट की अमीरी भी नज़र आरही थी।

खाना खा कर जब हम दुबारा बाहर निकले तो इसबार चन्द्रमा पीछे से हुग करके बैठी, इतना टाइट भी नहीं की उसकी चूचिया मेरी पीठ से चिपक जाये और इतनी दूर भी नहीं की हम अजनबी जैसे लगे। मैंने उसको स्टेशन पर छोड़ा और अपने ऑफिस आगया, घर पहुंच कर उनसे बहुत थैंक यू के मैसेज किये लेकिन मेरा धयान तो अब अपनी दिमागी कैलकुलेशन में व्यस्त था।

आज की डेट के बाद ये मुझे क्लियर समझ आगया की चन्द्रमा इक सपनो की दुनिया में रहने वाली लड़की है, उसको लाइफ में लुग्जरी पसंद है जो उसके माता पिता के सीमित कमाई के कारन पॉसिबिल नहीं है,उसका बॉयफ्रैंड भी उसी लेवल से आता है तो वो भी उसको वो लाइफ नहीं दे सकता जो चन्द्रमा की इच्छा है , तीसरी बात की चन्द्रमा अब इतनी भी गिरी हुई नहीं है की वो अपने अरमान अपना जिस्म बेच के पूरा करे, उसे मैं मिला तो शायद उसे लगा की सब ना सही वो कुछ इच्छाएं तो पूरी कर सकती है लेकिन उसके इस प्लान पर पानी फिर गया क्यूंकि दीपक ऑब्सेसिव टाइप का निकला जो उसकी हर इच्छा पर रेस्ट्रिक्शन लगाता था। कुल मिला कर अब मेरे पास में सिंपल फार्मूला था चन्द्रमा को अपने लण्ड के नीचे लाने का, अमीर मैं भी नहीं था लेकिन जितनी मेरी कमाई थी उस हिसाब से मैं ऐसे खर्चे बिना किसी दिक्कत के उठा सकता था,

2-३ सप्ताह गुज़र गया और चन्द्रमा अपने रिलेटिव्स के यहाँ से वापिस आगयी, वही से उसने अपनी पिक्स खास कर उस ड्रेस में जो मैने दिलवाई थी भेजी और मैंने बढ़ चढ़ कर तारीफ की। एक ड्रेस में क्लीवेज कुछ ज़यादा डीप था तो मैंने उसपर भी कमेंट मार तो उसने एक गुस्से वाली इमोजी भेजी, लेकिन मैं जानता था की उसे अच्छा लगा था ये सुन कर।

खैर 2-४ दिन बाद मैंने अपने प्लान पर काम चालु कर दिया, और बातों बातों में उसको बताया की मैं काम से बहार जा रहा हूँ,अधिकतर मैंने टूरिस्ट प्लेस का नाम लिए जो अधिकतर दूर थी और मेरी देखि हुई थी ताकि झूट पकड़ा ना जाये, अपने लास्ट टूर पर मैं एक क्लाइंट के साथ गुजरात गया था और एक फाइव स्टार होटल में रुका था वहा की एक दो पिक्स मैंने उसे भेज दी, पिक्स देख के चन्द्रमा की आँखे चुंधिया गयी,
मैंने हर थोड़े दिन के गैप पर किसी अच्छे रेस्टुरेंट या बाहर घूमने की की फोटोज चन्द्रमा को भेज देता और उसके जले कटे कमैंट्स पढ़ कर मज़े लेता।

फिर एक दिन आखिर चन्द्रमा ने कह ही दिया की " हमेशा अकेले अकेले घूमते रहते हो, एक बार मुझे भी घुमाने ले चलो ना प्लीज " ।
बस यही तो सुनना था चन्द्रमा के मुँह से , यही तो सारा प्लान था, मैंने भी बोला "हाँ चलो लेकिन तुम चल पाओगी अकेले ? वो भी 2-३ दिन के लिए, क्या तुम्हारे परिवार वाले जाने देंगे तुमको किसी अनजान व्यक्ति के साथ "?
 
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sunoanuj

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Bahut barhiya kahani hai…
 
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Riky007

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malikarman

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इस आक्रामक घटनाक्रम के बाद ये सवाभाविक था की कुछ दिन बात नहीं होगी, इसलिए मैंने ज़ायदा धयान नहीं दिया और अपने दिनचर्या के अनुसार व्यस्त रहा, इस घटना ने ये तो कर दिया था की मुझे अब चन्द्रमा और उसकी कहानी पर शक होने लगा था, अच्छा भी था अभी तो नयी नयी दिल्लगी शरू हुई थी इसलिए चूतिया कटा भी तो ज़ायदा मलाल नहीं होगा, पहले के दोनों रेलशियनशिप कई कई साल पुराने थे इसलिए जब टूटे तो साथ में मुझे भी तोड़ गए, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ था बात आगे बढ़ती उस से पहले ही सिचुएशन बदल चुकी थी और मैं संभलगया था, मुझे कौन सा शौक चढ़ा था बार बार दिल तुड़वाने का।

लगभग पूरा महीना बीत जाने के बाद एक दिन चन्द्रमा का कॉल आ ही गया, इधर उधर के बात की, फिर दीपक का पूछा, उसने संछेप में बताया की उस से फाइनल ब्रेकअप हो गया है अब वो उसको या और किसी को परेशान नहीं करेगा, सुन के अच्छा लगा की ऐककांता तो काम से काम ख़तम हुआ, लेकिन उस दिन जो भी बात हो रही थी बहुत फॉर्मल हो रही थी, रूखी रूखी बातें, मैंने भी ज़ायदा दबाव नहीं डाला।

समय गुज़रता रहा हूँ लेकिन बात में वो पहले वाली न फीलनिंग्स थी न इमोशंस थे जस्ट रेगुलर वाली बात चीत, इसी बीच में मेरे एक जानने वाले के यहाँ फरीदाबाद में ही जॉब ओपनिंग निकली, कुछ खास जॉब नहीं थी, ओनली कॉल या ईमेल से सैंपल की डिमांड देखनी थी और और वो स्टॉकरूम में बोल कर कोरियर करना था, मैंने बता दिया लेकिन ये नहीं बताया की मैं इस कंपनी को अच्छे से जनता हूँ, इतना बताया की इस कम्पनी में जॉब खली है किसनी ने बताया है, अगर यू वांट यू कैन अप्लाई। एक दोदिन बाद चन्द्रमा ने बताय की वह जॉब हो गयी एंड खुश है।

जॉब पर चन्द्रमा को जाते जाते लगभग महीना हो गया था, एक दिन संयोग से मैं किसी काम से फरीदाबाद में ही था जब फ्री हुआ तो शाम का टाइम हो चूका था, टाइम देखा तो लगभग ५ बज रहे थे, चन्द्रमा की छुट्टिका टाइम ६ बजे था क्यूंकि जॉब मैंने लगवाई थी तो मुझे उसके वर्किंग हावर्स पता थे, मैंने बाइक उसकी कंपनी की और घुमा दी, मैं चाहता तो सीधा उस से उसके ऑफिस में भी मिलसकता था, लेकिन मैं देखना चाहता था, आखिर इतनी खींची खींची होने की वजह, जहाँ घटना से पहले तक वो सीधा बाँहों में आने को तत्पर थी अब वो बिलकुल अनजान के जैसे बात करती थी खैर मैं बाइक उसके ऑफिस के पास एक चाय की टापरी पर रोकी, पानी की बोटल लेके हाथ मुँह धोया और ठीक ठाक बन के चन्द्रमा की छुट्टी होने का इन्तिज़ार करने लगा, मेरा इरादा केवल इतना था की अगर कुछ खास नहीं दिखा तो मैं उसे कॉल करता और बताता की मैं उसके ऑफिस के पास ही हूँ और अगर वो चाहे तो हम कहीं आसपास टाइम पास करेंगे कुछ खाएंगे और फिर अपने अपने घर। खैर जैसा सोंचा हो अगर हर बार ऐसा होने लगे तो हर आदमी खुद को भगवन मानने लगेगा।

आखिर थोड़ी देर में उसके ऑफिस से 2-४ स्टाफ निकलता दिखाई दिया और उनके पीछे पीछे चन्द्रमा, दूर से ही पहचान में आगयी, पिंक सूट, पटियाला शलवार में गजब की सुन्दर लग रही थी, कई महीने के बाद देख रहा था शायद इसीलिए, चल के रोड की और बढ़ी तो और क्लियर देख पाया, पहले से बहुत निखार गयी थी, रंग निखर के गोरा भक हो गया था और जिस्म पर भी थोड़ा मॉस चढ़ गया था, चूचियां और उभरी और कठोर दिख रही थी, पटियाला होने के बाद भी गाड़ के उभार अपने और भर जाने का एलान कर रहे थे, मन में एक कुहुक सी उठी, अगर उस दिन बेकार की बकचोदी न हुई होती तो शायद अब तक काम से काम इसका नंगा जिस्म तो देख लिया होता, खैर कोई बात नहीं मैं भी हार नहीं मानूंगा, चाहे जो हो इसे पाने की कोशिश में जी जान लगा दूंग।

मैंने चन्द्रमा को देख के वापिस अपनी बाइक पर पहुंचा और स्टार्ट करके धीरे धीरे उसके पीछे चल दिया, मेरे और चद्र्मा के बीच में लगभग २०० मीटर की दुरी रही होगी, मैं उसके रोड पर बने स्टैंड तक जाने का वेट कर रहा था क्योँकि मुझे चन्द्रमा ने बताया था की वो ऑफिस से घर का आना जाना ऑटो से करती है।

जैसे ही रोड पास आया मैंने देखा चन्द्रमा ने अपन फ़ोन अपने कान पर लगाया और किसी से बात करने लगी, वो बात करते करते रोड पर पहुंची और इधर उधर देखने लगी तभी अचानक एक स्प्लेंडर बाइक बराबर में आके रुकी और उसपर सवार लड़के ने उसे कुछ कहा, लड़का कोई 24-२५ साल का रहा होगा, लड़के ने हेलमेट नहीं लगाया हुआ था इसलिए मैं उसकी शकल आराम से देख सकता था, सांवला या कह लो काला रंग, पतला दुबला शरीर, ओके टाइप लड़का, लेकिन कपडे एक दम टिकटोकर छपरी वाले, बालो में भी कुछ लगाया हुआ।
उसने चन्द्रमा को इशारा किया और चन्द्रमा चुपचाप लड़के के पीछे बैठ गयी, बैठते टाइम उसने अपने और उस लड़के में एक डिस्टेंस बना रखी थी, चद्र्मा के बैठे ही लड़के ने गाडी झटके से आगे बढ़ा दी, मैं भी चुपके से उनके पीछे पीछे चल दिया,

लड़का गाडी पूरी रफ़्तार से चला रहा था मैंने भी अपनी गाडी की स्पीड बढ़ा के उनके नज़दीक पंहुचा तो देखा की जो डिस्टेंस चन्द्रमा ने बैठते टाइम मेन्टेन की थी वो अब गायब है, चन्द्रमा ने लड़के की कमर में दोनों हाथ डाल के कस के पकड़ रखा था इतना कस के पकड़ा था की उसकी चूचियां लड़के के पीठ में घुसी पड़ी थी, ये सीन देख के मेरी झांटे सुलग गयी, बहनचोद जो कोई भी है मज़े ये लौंडा ले रहा है, लग रहा है साले ने मेरे माल पर हाथ साफ़ कर दिया है, मन कर रहा था की चलती बाइक में पीछे से लात मार दू दोनों वही गिर जाये और साले लौंडे को धर के पेलू लेकिन केवल सोंच सकता था और फिर इसमें लौंडे की क्या गलती, यही दो महीने पहले मेरे साथ कर रही थी मुझे मज़ा आरहा था आज इसको मज़ा दे रही है तो इसको मज़ा आरहा है, कुछ १५ मिनट के बाद वो एक ऐसे मोहल्ले टाइप एरिया में पहुंचे जो था लोअर क्लास के लोगो का था, वह जा के लड़के ने बाइक साइड में लगायी और फिर वो दोनों कुछ बात करने लगे, लगभग १० मं की बातचीत के बाद दोनों ने एक दूसरे को बाई बोला और दोनों अपनी अपनी दिशा की ओर बढ़ गए, मैं भी चन्द्रमा के पीछे पीछे चल दिया, कुछ 4-५ गालिया छोर कर वो एक गली में जा घुसी, गली देख के अंदाज़ा हो गया किआ यही उसका घर और वो लड़का उसको ड्राप करने आया थ।

मैं अभी वापस अपने घर की और चल दिया मेरे पास अब प्लानिंग करने की अलावा और कुछ बचा नहीं था करने को, रस्ते भर सोचते सोचते मैंने ये आईडिया तो लगा लिया था की हो न हो ये लड़का दीपक ही है और चन्द्रमा ने झूट बोला की उसका फाइनल ब्रेकअप होचुका है, लेकिन समझ नहीं आरहा था की मुझसे झूट क्यों बोला, सीधा बोल देती की मेरा पैच उप हो गया है मेरे एक्स बॉयफ्रेंड के साथ इसलिए वे कैन ओनली बे फ्रैंड्स, इस बात तो बात ही ख़तम हो जानी थी, लेकिन फिर भी उसने झूट बोला और मज़े की बात की अब उसकी बातों लग रहा है की वो फ्रिंडशिप्से आगे कुछ चाहती भी नहीं है।

खैर इस मिस्ट्री ने मेरा दिमाग ख़राब कर दिया था और मैंने डिसाइड कर लिया की कुछ कंक्रीट करना है ऐसे चूतिया बन के नहीं रह सकता, पहले प्यार का बीज बोया फिर सेक्स वाली फीलिंग्स जगा दी और जब मैं रेडी हूँ तो खड़े लण्ड पर धोखा वाली बात कर दी, अब बस बहुत हुआ, प्यार वायर गया तेल लेने अब चाहे जो हो चन्द्रमा की चूत मारनी है, साली को अगर अपने लण्ड का दीवाना ना बनाया तो मेरा नाम भी समीर नहीं
Lovely update
 

malikarman

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आज जो हुआ उस से दिल तो टूटा लेकिन दर्द इतना भी नहीं था, क्यूंकि थोड़ा आभास पहले से था, ये खेल कोई ताकत तो था नहीं की चार लौंडो के साथ गए और लड़की छीन लाये, न कोई ज़बरदस्ती चुदाई का प्लान था, वैसे भी मेरा मांनना है की जो मज़ा प्यार में गिर कर चुदाई में है वोमाज़ा किसी और चुदाई में नहीं, तो ताकत का इस्तेमाल बेकार था , बात केवल दिमाग से ही बन सकती थी, और दिमाग भी तब काम करे जब लड़की के मन का क्लियर पता चले, लड़की खुद कंफ्यूज थी, कभी मुझसे प्रेम जाता रही थी और कभी पूर्वप्रेमी की पीठ पर चुच्चे रगड़ रही थी,
मैं सारे रस्ते बाइक चलाते चलाते प्लान बनता रहा लेकिन कोई भी ढंग का प्लान नहीं बन पाया, थंका हारा घर पंहुचा और बिस्तर में गिर के सो गया।
अगले दिन काम से फ्री हो कर मैंने फ़ोन चेक किया देखा चन्द्रमा का मैसेज आया हुआ था
चन्द्रमा : फ्री हो जाओ तब कॉल करना
मैं : हाँ बोलो अभी फ्री हुआ हूँ,
चन्द्रमा : कॉल करो (जैसे मेरे ही मैसेज का वेट कर रही थी )

मैंने कॉल की तो उसने मेरा हाँ पूछा फिर बोला की उसे एक शादी में जाना है अपने होम टाउन और उसकोकुछ शॉपिंग करनी है, सरोजनी नगर की मार्किट से और अगर पॉसिबल हो तो मैं उसको ले चलूँ, मैंने धीरे से दीपक के साथ जाने का बोला तो उसका वही जवाब की आपको बताया तो है की उस से मैंने ब्रेकअप कर लिया है, मैं कहा ठीक है मैं चलूँगा और इधर उधर के बात करके फ़ोन रख दिया
अब ये अच्छा मौका था आगे के लिए प्लान करने का, उसने बोला था की वो अकेली आएगी और यही मौका होगा उसको ढंग से समझने का और उसी के अनुसार प्लान करने का।
नेक्स्ट डे वो अपने बताये टाइम से थोड़ा लेट पहुंची मैं मेट्रो के नीचे उसका वेट करता रहा, आज उसने पर्पल कलर का फ्रॉक टाइप सूट पहना हुआ था जिसका स्लिट इस प्रकार का था के उसकी नाभि साफ़ दिखा रही थी, कपडे का रंग डार्क था तो उसका रंग एकदम खिल के बहार आरहा था, शायद उसने फेस क्लीन कराया था या थ्रेडिंग ेट्स कराई थी जिसके कारन एक गजब का ग्लो था उस दिन उसके मुखड़े पर, अब तक हम जितनी बार मिले थे ये अब तक का मोस्ट ब्यूटीफुल और एक्सपेंसिव ड्रेसिंग की हुई थी उसने, मैंने उसे बाइक बिठाया और मार्किट जा पहुंचे, आज बैठते टाइम वही हलकी सी डिस्टेंस मेन्टेन कर रखी थी उसने, सब कुछ ठीक था लेकिन आज की मुलाक़ात में कुछ खास गरम जोशी नहीं थी।
हम मार्किट जा पहुंचे, कोरोना का दार धीरे धीरे काम हो रहा था और लोग खुलके शॉपिंग करने आरहे थे, भयंकर भीड़ थी फिर हम भी उस भीड़ में घुस गए और शॉपिंग करने लगे, आज होने वाली ऑलमोस्ट साड़ी शॉपिंग के पैसे मैंने पाय किये, उसने भी ज़यादा इंसिस्ट नहीं किया बस इतना बोला की बाद में दे दूंगी, बस एक बात जो खास थी की मार्किट में जाके सुने लास्ट टाइम की तरह फिर से वही मेरा हाथ पकड़ लिया और ठीक ऐसे चलने लगी जैसे कपल चलते है, पूरी शॉपिंग हमने ऐसे ही की एक दो बार मेरा हाथ उसके नाज़ुक मखमली चूतङो से रगड़ा और टकराया लेकिन उसने ज़यादा रिएक्शन नहीं दिया तो मैंने भी मौका देख देख के उसके चूतड़ों पर हाथ सहला सहला कर मज़े लेता रहा, समय जैसे जैसे गुज़रा वैसे वैसे पुरानी वाली गर्मजोशी लौट रही थी, मेरे जोक पर मुस्करा देती या कोई दूकानदार अगर हमे कपल समझके भैय्या भाभी जी बुलाता तो खिलखिला कर हंस देती।

शॉपिंग के बाद मैंने पूछा कहा चलना है तो उसने बोला की अगर आप बिजी हो तो घर चली जाउंगी,
मैं : मैंने कब कहा मैं बिजी हूँ
चन्द्रमा : मुझे लगा
मैं : नहीं ऐसा नहीं है, बताओ कहा चलना है
चन्द्रमा : कभी भी
मैं : कुछ कहोगी
चद्र्मा : हाँ , मैंने सुबह से कुछ नहीं खाया।
मैं : ओके फिर पहले कुछ खाते है
फिर मै चन्द्रमा को लेकर अपनी पान्ड के एक महंगे रेस्टुरेंट में ले कर गया जो बहुत फेमस था
मैंने फील किया यहाँ जा कर चन्द्रमा बहुत खुश है, मैंने उस से पूछा की क्या वो पहले कभी आयी है इसी जगह, तो उसने ना में सर सर हिला दिया, लेकिन न कहते समय एक दम भाप गया की एक दुःख की लहार जो उसके चहरे पर एक पल के लिए दुखी थी, बस यही मेरे दिमाग में आगया की आखिर मिस्ट्री क्या है।
मैंने वेटर को बुला कर वह का सबसे एक्सपेंसिव और फेमस डिशेस आर्डर का आर्डर दिया और खाना खाने बैठ गए , खाना कहते टाइम वो बहुत खुश थी उसे बहुत साड़ी सेल्फी ली खाने की भी और खाने का साथ भी, मैंने भी 5-७ उसकी फोटोज ले दी ऐसे एंगल से जिसमे रेस्टुरेंट की क्लास्सिनेस्स दिखाई दे।
खाना खा कर जब हम दुबारा बाहर निकले तो इसबार चन्द्रमा पीछे से हुग करके बैठी, इतना टाइट भी नहीं की उसकी चूचिया मेरी पीठ से चिपक जाये और इतनी दूर भी नहीं की हम अजनबी जैसे लगे। मैंने उसको स्टेशन छोरा और अपने ऑफिस आगया, घर पहुंच कर उनसे बहुत थैंक यू के मैसेज किये लेकिन मेरा मन तो अब अपनी दिमागी कैलकुलेशन में व्यस्त था।

आज की डेट के बाद ये मुझे क्लियर समझ आगया की चन्द्रमा इक सपनो की दुनिया में रहने वाली लड़की है, उसको लाइफ में लुग्जरी पसंद है जो उसके माता पिता के सीमित कमाई के कारन पॉसिबिल नहीं है,उसका बॉयफ्रैंड भी उसी लेवल से आता है तो वो भी उसको वो लाइफ नहीं दे सकता जो चन्द्रमा की इच्छा है , तीसरी बात की चन्द्रमा अब इतनी भी गिरी हुई नहीं है की वो अपने अरमान अपना जिस्म बेच के पूरा करे, उसे मैं मिला तोह शायद उसे लगा की सब न सही वो कुछ इच्छाएं तो पूरी कर सकती है लेकिन उसके इस प्लान पर पानी फिर गया क्यूंकि दीपक ऑब्सेसिव टाइप का निकला जो उसकी हर इच्छा पर रेस्ट्रिक्शन लगाता था। कुल मिला कर अब मेरे पास में सिंपल और पलाइन फार्मूला था चन्द्रमा को अपने लण्ड के नीचे लाने का, अमीर मैं भी नहीं था लेकिन जितनी मेरी एअर्निंग्स थी उस हिसाब से मैं महज एक्सपेंसेस ओफ्फोर्ड करने में सक्षम था।

2-३ वीक गुज़र गया और चन्द्रमा अपने रिलेटिव्स के यहाँ से वापिस आगयी, वही से उसने अपनी पिक्स खास कर उस ड्रेस में जोमैने दिलवाई थी भेजी और मैंने बढ़ चढ़ कर तारीफ की। एक ड्रेस में क्लीवेज कुछ ज़यादा डीप था तो मैंने उसपर भी कमेंट मार तो उसने एक गुस्से वाली इमोजी भेजी, लेकिन मैं जानता था की उसे अच्छा लगा था ये सुन कर।

खैर 2-४ दिन बाद मैंने अपने प्लान पर काम चालु कर दिया, और बातों बातों में उसको बताया की मैं काम से बहार जा रहा हूँ,अधिकतर मैंने टूरिस्ट प्लेस का नाम लिए जो अधिकतर दूर थी और मेरी देखि हुई थी ताकि झूट पकड़ा न जाये, अपने लास्ट टूर पर मैं एक क्लाइंट के साथ गुजरात गया था ुर एक फाइव स्टार होटल में रुका था वह की एक दो पिक्स मैंने उसे भेज दी, पिक्स देख के चन्द्रमा की आँखे चुंधिया गयी, फिर ऐसे ही एक आध मंथ से मैंने आखिर उस से कहलवा ही दिया की हमेशा अकेले अकेले घूमते हो कभी मुझे भी ले चलो अपने साथ।
बस यही तो सुनना था यही तो सारा प्लान था, मैंने भी बोला हाँ चलो लेकिन तुम चल पाओगी अकेले 2-३ डेज के लिए,परमिशन मिल पायेगी तुमको अपनी फॅमिली से?
Achha plan hai
 
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