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दो तीन दिन ऐसे ही निकल गए, चन्द्रमा का यूँ 2-३ दिन के लिए गायब हो जाना कोई नयी बात नहीं थी, पहले भी वो कई बार ऐसा कर चुकी थी, वैसे भी उस दिन की घटना के बाद से मुझे पक्का यक़ीन हो चला था की अब बात बन चुकी है बस अब सामने से आई लव यू बोलना बचा है, 2-३ दिन बीतने के बाद थोड़ी चिंता हुआ, माल अपना है ये यक़ीन तो है लेकिन दुनिया बड़ी मादरचोद है कहीं कोई मेरे माल पर हाथ ना साफ़ करले, ऐसे विचार आने पर मन थोड़ा अशांत हुआ फिर एक दो दिन में ये अशांति चिंता में बदल गयी, अब लगभग एक सप्ताह होने वाला था लेकिन चन्द्रमा का कुछ पता नहीं, ना कोई कॉल ना कोई मैसेज, आखिरकार शनिवार के दिन मैंने हिम्मत करके एक मैसेज कर दिया चन्द्रमा के व्हाट्सप्प पर " हेलो कहा गायब" करके। लेकिन मैसेज डिलीवर नहीं हुआ केवल एक टिक बानी थी व्हाट्सप्प पर, सुबह से शाम हो गयी लेकिन वही सिंगल टिक, पुरे दिन में ना जाने कितनी बार चेक किया लेकिन हर बार सिंगल टिक देख के मन उदास होने लगा।
रात में जब खाना खा के सोने के लिए लेटा और फ़ोन चेक किया तो देखा मैसेज डिलीवर हो गया था, ब्लू टिक नहीं बना था रीड वाला लेकिन डबल टिक मतलब मैसेज डिलीवर हो गया। ये देख के इतनी ख़ुशी हुई की मानो व्हाट्सप्प का आविष्कार मैंने ही किया हो केवल चन्द्रमा का मैसेज करने के लिए और पहला मैसेज उसके मोबाइल पर जाने के ख़ुशी में नाच उठा हू। रात और रात के बाद संडे का आधा दिन ऐसे निकला, ना मैसेज रीड हुआ ना कोई जवाब आया ना कोई खबर। संडे था तो घर पर ही पड़ा रहा, एक दो कॉल आयी लेकिन मैंने नोटिस नहीं किया वैसे भी मैं संडे को कॉल बहुत कम पिक करता हू। शाम के टाइम मैं घर के लिए कुछ सामान लेने मार्किट निकला रास्ते में फ़ोन बजने लगा लेकिन मैंने पिक नहीं किआ लेकिन फिर बार बार बजने लगा तो मैंने झल्ला के फ़ोन उठा लिया और डांटते हुए
मैं : डोंट डिस्टर्ब मी आज ऑफ है
कॉलर : आप कौन बोल रहे हो ?
मैं : (और ज़यादा गुस्से से), बोला ना कल ऑफिस टाइम में कॉल करना, आज ऑफ डे है
कॉलर : मुझे तुमसे बात करनी है अभी
मैं : भाई बोला ना आज ऑफ है मैं घर पर हूँ काम की बात ऑफिस में जा कर ही हो सकती है
कॉलर : ये ऑफिस की बात नहीं है पर्सनल है मुझे अभी करनी है (उसकी आवाज़ में अजीब सा गंवारपन था)
मैं : अच्छा ठीक है बोलो कौनसी बात करनी है पर्सनल वाली
कॉलर : आप नाम बताओ पहले अपना ?
मैं : तुमने किसको मिलाया है तुम्हे नहीं पता क्या ?
कॉलर : आप समीर बोल रहे हो ?
मैं : हाँ मैं समीर ही हूँ , तुम कौन हो ?
कॉलर : मैं दीपक बोल रहा हूँ
मैं : कौन दीपक ?
दीपक : दीपक, फरीदाबाद से
मैं : भाई जो भी हो मैं किसी दीपक को नहीं जानता, (फरीदाबाद के नाम से थोड़ा चौंका, ये सरला दीपक कौन है )
दीपक : चन्द्रमा को तो जानते हो आप ?
मैं : (अब एक दम से बत्ती जली, लगता है ये चन्द्रमा का एक्स bf है उसका नाम भी दीपक ही था ) हाँ जानता हूँ चन्द्रमा को
दीपक : कैसे जानते हो उसको ?
मैं : ये मैं तुमको क्यों बताओ, और तुम हो कौन ये पूछे वाले की मैं किसको जानता हूँ किसको नहीं
दीपक : क्योँकि चन्द्रमा मेरी होने वाली पत्नी है
मैं : (ये सुनके मेरा मूड सड़ गया) कंग्रॅजुलेशन तुम दोनों को, फिर कब है शादी ?
दीपक : शादी वादी तो तब होगी ना जब तुम उसका पीछा छोड़ोगे
मैं : (बहनचोद, ये तो डायरेक्ट मेरे पर जिम्मेदारी दाल रहा है) मैंने कौन सा उसे घर में बंद करके रखा है या रस्सी से बंध रखा है, जिस से उसका मन उससे सँग करेगी शादी,
दीपक : मैं उस से प्यार करता हूँ वो भी मेरे से प्यार करती है पर जब से तुमसे मिली है हर दिन लड़ती है ढंग से बात भी करती और फ़ोन करो तो फ़ोन काट देती है।
मैं : भाई तेरे करम ही ऐसे होंगे जिसके कारण ऐसा कर रही है, इसमें मेरी क्या गलती है, मैंने थोड़ी ना बोला है की तेरे से बात करे या मत करे, ये तुम दोनों के बीच की बात है तुम देखो
दीपक : मैंने सब चेक कर लिया, वो आजकल केवल तुमसे बात करती है और मैसेज करती है और किसी से नहीं करती, तुमने ही उसे अपने चक्कर में फास रखा है
मैं : (ये सुन के गुस्सा आगया) वो क्या पंछी है की मैंने उसे पिंजड़े में बंद कर लिया, उसकी मर्ज़ी है चाहे तेरे पास रहे या और किसी के संग और हमारे बीच ऐसी कोई बात नहीं है, सिंपल दोस्त है बस।
दीपक : झूट, दोस्ती में कोई इतनी बात नहीं करता जितनी वो तुमसे करती है,
फिर एक दम से टोन चेंज करते हुए बोला
दीपक : बहनचोद तूने चन्द्रमा चोद दी है क्या ?
मैं : एक मिनट रुक (फ़ोन में रिकॉर्डिंग स्टार्ट करने के लिए ), हाँ अब बोलक्या बोल रहा था?
दीपक : तू ये बता की तूने चन्द्रमा चोद दी है क्या ?
मैं : क्योँ तुझे क्या लगता है वो ऐसे चैरेक्टर की लड़की है क्या ?
दीपक : अरे उसे तो मैंरोक के रखता हूँ, नहीं तो साली कब का चुद जाती, तुझे पता नहीं हमारे यहाँ का माहौल, मैं उसे स्लीवलेस्स पहने नहीं देता, ना छोटे कपडे, ना लड़को से बात करने देता हूँ, नहीं तो आजकल के लड़के मौका देख के कब चोद दे पता नहीं लगता
मैं : फिर तो तू उसे सांस भी गिन के दिलवाता होगा ?
दीपक : मतलब?
मैं : बहनचोद, तू आदमी है या चूतिया, किसी अनजान आदमी से जिससे आज तक तू मिला नहीं, तेरे को पता नहीं की मेरा उसका क्या रिलेशन है, जिसे तू अभी ५ मिनट पहले अपनी होने वाली पत्नी बता रहा था अब उसकी चुदाई और चूत मारने की बात बता रहा है। शर्म कर ले थोड़ी और रही बात मेरी और चन्द्रमा की तो मुझे नहीं पता की उसने क्या बोला मेरे बारे में लेकिन हम केवल दोस्त है और जो कुछ तू सोच रहा है वो तेरी गन्दी सोंच है केवल,
और रही बात कपड़ो की, तो अगर चन्द्रमा मेरी गर्लफ्रैंड होती तो मैं उसे पूरी आज़ादी देता जो मन चाहे पहने, जो मन चाहे खाये पिए और दोस्तों के साथ घूमे, कपडे से कुछ नहीं होता जिसको करना होगा सात ताले में बंद करके रखोगे ना तब भी कुछ ना कुछ तरीका निकल लेगी और जिसको नहीं करना होगा वो सब सामने हो के भी नहीं करेगी समझा।
दीपक : अच्छा फिर तुम उसको पैसे क्यों देते हो, सब चूत के चक्कर में ही पैसे खरच करते है ?
मैं : मैंने कौन से पैसे दिए उसे ?
दीपक : वो तीन हज़ार जो तुमसे लेके वो मेरे पीछे पीछे पटना आयी थी ?
मैं : उन पैसो का क्या ? वो उसने उधार लिए और चूका दिए ? क्यों उधार केवल उनको ही देते है जिसकी चूत मारनी हो ? फिर तो तू जिनसे उधार लेता होगा उनको बदले में अपनी गांड देता होगा।
दीपक : (भड़कते हुए) कोई पैसे नहीं लौटाए इस रंडी ने
मैं : पहली बात मेरे सामने उसको गाली मत दो, दूसरी बात मैं ये कॉल रिकॉर्ड कर रहा हूँ, इस कॉल को काट के मैं इसकी रिकॉर्डिंग चन्द्रमा का भेजूंगा, तीसरी बात आज के बाद मुझे फिर कभी कॉल मत करना मुझे चूतियों से बात करना पसंद नहीं है, चौथी और लास्ट बात , तुझे शायद पता नहीं है लेकिन मैं बता दू की मैं तेरे जैसा 20-२५ साल का लौंडा नहीं हूँ , ३५ साल का खेला खाया मर्द हूँ , जो तू दो चार चूतिये दोस्तों पर अकड़ रहा होगा इनसे दुगने है मेरे यार दोस्त, रहनेवाला बागपत का हूँ, अर जो अपनी पे आगया तो वही फरीदाबाद में गाड़ मार लूंगा और कोई बचाने वाला भी नहीं मिलेगा । इतना कहकर बिना उसकी सुने मैंने कॉल कट कर दी।
फ़ोन कटा तो पता लगा की पीछे से चन्द्रमा की 2-३ कॉल मिस्ड कॉल में पड़ी थी, लड़ाई के जोश में पता नहीं लगा की कॉल वाइटिंग में है, मैंने जल्दी से कॉल लगाया
मैं : हाँ बोलो
चन्द्रमा : आपके पास किसी का कॉल आया था क्या ?
मैं : क्यों क्या हुआ ?
चन्द्रमा : लम्बी बात है बाद में बताउंगी, बस पता नहीं दीपक को कैसे मेरा आप का पता लग गया है और वो ड्रामे कर रहा है, आपका कल वाला मैसेज देख लिया उसने और बस तब लड़े जा रहा है, अगर उसका कॉल आये तो बोल देना की मेरा आपका कुछ नहीं है जस्ट फ्रेंड है हम
मैं : उसका कॉल आ चुका है, मेरी उस से लड़ाई हो गयी है, और मैंने कुछ पार्ट रिकॉर्ड कर ली है तुमको भेजने के लिए,
चन्द्रमा : प्लीज मुझे भेज दो, अब वो फिर लड़ेगा तो मुझे पता रहेगा क्या बोला है उसने आपको
मैं : हाँ वो भेज दूंगा, लेकिन तुम ये बताओ उसने तुमको मारा पीटा तो नहीं,
चन्द्रमा : ना अब उसकीतनी भी मजाल नहीं, बस धमकी देता रहता है, आप वो रिकॉर्डिंग भेजो
मैं : ठीक है भेज रहा हूँ, अब फिर कब बात होगी ?
चन्द्रमा : आप कोई कॉल मैसेज मत करना, मैं खुद करुँगी , अभी ये पता नहीं क्या क्या ड्रामे करेगा पहले उसे झेल लू।
मैंने उसको रिकॉर्डिंग भेज दी, मैंने जान बुझ के एक दो बात दीपक से ऐसी कही थी जिस से वो झल्ला के चन्द्रमा के लिए बुरा भला कहे, मैं घर आगया, अब मुझे इन्तिज़ार था अगले कदम का, देखते है क्या होता है और कौन उठता है अगला कदम।
रात में जब खाना खा के सोने के लिए लेटा और फ़ोन चेक किया तो देखा मैसेज डिलीवर हो गया था, ब्लू टिक नहीं बना था रीड वाला लेकिन डबल टिक मतलब मैसेज डिलीवर हो गया। ये देख के इतनी ख़ुशी हुई की मानो व्हाट्सप्प का आविष्कार मैंने ही किया हो केवल चन्द्रमा का मैसेज करने के लिए और पहला मैसेज उसके मोबाइल पर जाने के ख़ुशी में नाच उठा हू। रात और रात के बाद संडे का आधा दिन ऐसे निकला, ना मैसेज रीड हुआ ना कोई जवाब आया ना कोई खबर। संडे था तो घर पर ही पड़ा रहा, एक दो कॉल आयी लेकिन मैंने नोटिस नहीं किया वैसे भी मैं संडे को कॉल बहुत कम पिक करता हू। शाम के टाइम मैं घर के लिए कुछ सामान लेने मार्किट निकला रास्ते में फ़ोन बजने लगा लेकिन मैंने पिक नहीं किआ लेकिन फिर बार बार बजने लगा तो मैंने झल्ला के फ़ोन उठा लिया और डांटते हुए
मैं : डोंट डिस्टर्ब मी आज ऑफ है
कॉलर : आप कौन बोल रहे हो ?
मैं : (और ज़यादा गुस्से से), बोला ना कल ऑफिस टाइम में कॉल करना, आज ऑफ डे है
कॉलर : मुझे तुमसे बात करनी है अभी
मैं : भाई बोला ना आज ऑफ है मैं घर पर हूँ काम की बात ऑफिस में जा कर ही हो सकती है
कॉलर : ये ऑफिस की बात नहीं है पर्सनल है मुझे अभी करनी है (उसकी आवाज़ में अजीब सा गंवारपन था)
मैं : अच्छा ठीक है बोलो कौनसी बात करनी है पर्सनल वाली
कॉलर : आप नाम बताओ पहले अपना ?
मैं : तुमने किसको मिलाया है तुम्हे नहीं पता क्या ?
कॉलर : आप समीर बोल रहे हो ?
मैं : हाँ मैं समीर ही हूँ , तुम कौन हो ?
कॉलर : मैं दीपक बोल रहा हूँ
मैं : कौन दीपक ?
दीपक : दीपक, फरीदाबाद से
मैं : भाई जो भी हो मैं किसी दीपक को नहीं जानता, (फरीदाबाद के नाम से थोड़ा चौंका, ये सरला दीपक कौन है )
दीपक : चन्द्रमा को तो जानते हो आप ?
मैं : (अब एक दम से बत्ती जली, लगता है ये चन्द्रमा का एक्स bf है उसका नाम भी दीपक ही था ) हाँ जानता हूँ चन्द्रमा को
दीपक : कैसे जानते हो उसको ?
मैं : ये मैं तुमको क्यों बताओ, और तुम हो कौन ये पूछे वाले की मैं किसको जानता हूँ किसको नहीं
दीपक : क्योँकि चन्द्रमा मेरी होने वाली पत्नी है
मैं : (ये सुनके मेरा मूड सड़ गया) कंग्रॅजुलेशन तुम दोनों को, फिर कब है शादी ?
दीपक : शादी वादी तो तब होगी ना जब तुम उसका पीछा छोड़ोगे
मैं : (बहनचोद, ये तो डायरेक्ट मेरे पर जिम्मेदारी दाल रहा है) मैंने कौन सा उसे घर में बंद करके रखा है या रस्सी से बंध रखा है, जिस से उसका मन उससे सँग करेगी शादी,
दीपक : मैं उस से प्यार करता हूँ वो भी मेरे से प्यार करती है पर जब से तुमसे मिली है हर दिन लड़ती है ढंग से बात भी करती और फ़ोन करो तो फ़ोन काट देती है।
मैं : भाई तेरे करम ही ऐसे होंगे जिसके कारण ऐसा कर रही है, इसमें मेरी क्या गलती है, मैंने थोड़ी ना बोला है की तेरे से बात करे या मत करे, ये तुम दोनों के बीच की बात है तुम देखो
दीपक : मैंने सब चेक कर लिया, वो आजकल केवल तुमसे बात करती है और मैसेज करती है और किसी से नहीं करती, तुमने ही उसे अपने चक्कर में फास रखा है
मैं : (ये सुन के गुस्सा आगया) वो क्या पंछी है की मैंने उसे पिंजड़े में बंद कर लिया, उसकी मर्ज़ी है चाहे तेरे पास रहे या और किसी के संग और हमारे बीच ऐसी कोई बात नहीं है, सिंपल दोस्त है बस।
दीपक : झूट, दोस्ती में कोई इतनी बात नहीं करता जितनी वो तुमसे करती है,
फिर एक दम से टोन चेंज करते हुए बोला
दीपक : बहनचोद तूने चन्द्रमा चोद दी है क्या ?
मैं : एक मिनट रुक (फ़ोन में रिकॉर्डिंग स्टार्ट करने के लिए ), हाँ अब बोलक्या बोल रहा था?
दीपक : तू ये बता की तूने चन्द्रमा चोद दी है क्या ?
मैं : क्योँ तुझे क्या लगता है वो ऐसे चैरेक्टर की लड़की है क्या ?
दीपक : अरे उसे तो मैंरोक के रखता हूँ, नहीं तो साली कब का चुद जाती, तुझे पता नहीं हमारे यहाँ का माहौल, मैं उसे स्लीवलेस्स पहने नहीं देता, ना छोटे कपडे, ना लड़को से बात करने देता हूँ, नहीं तो आजकल के लड़के मौका देख के कब चोद दे पता नहीं लगता
मैं : फिर तो तू उसे सांस भी गिन के दिलवाता होगा ?
दीपक : मतलब?
मैं : बहनचोद, तू आदमी है या चूतिया, किसी अनजान आदमी से जिससे आज तक तू मिला नहीं, तेरे को पता नहीं की मेरा उसका क्या रिलेशन है, जिसे तू अभी ५ मिनट पहले अपनी होने वाली पत्नी बता रहा था अब उसकी चुदाई और चूत मारने की बात बता रहा है। शर्म कर ले थोड़ी और रही बात मेरी और चन्द्रमा की तो मुझे नहीं पता की उसने क्या बोला मेरे बारे में लेकिन हम केवल दोस्त है और जो कुछ तू सोच रहा है वो तेरी गन्दी सोंच है केवल,
और रही बात कपड़ो की, तो अगर चन्द्रमा मेरी गर्लफ्रैंड होती तो मैं उसे पूरी आज़ादी देता जो मन चाहे पहने, जो मन चाहे खाये पिए और दोस्तों के साथ घूमे, कपडे से कुछ नहीं होता जिसको करना होगा सात ताले में बंद करके रखोगे ना तब भी कुछ ना कुछ तरीका निकल लेगी और जिसको नहीं करना होगा वो सब सामने हो के भी नहीं करेगी समझा।
दीपक : अच्छा फिर तुम उसको पैसे क्यों देते हो, सब चूत के चक्कर में ही पैसे खरच करते है ?
मैं : मैंने कौन से पैसे दिए उसे ?
दीपक : वो तीन हज़ार जो तुमसे लेके वो मेरे पीछे पीछे पटना आयी थी ?
मैं : उन पैसो का क्या ? वो उसने उधार लिए और चूका दिए ? क्यों उधार केवल उनको ही देते है जिसकी चूत मारनी हो ? फिर तो तू जिनसे उधार लेता होगा उनको बदले में अपनी गांड देता होगा।
दीपक : (भड़कते हुए) कोई पैसे नहीं लौटाए इस रंडी ने
मैं : पहली बात मेरे सामने उसको गाली मत दो, दूसरी बात मैं ये कॉल रिकॉर्ड कर रहा हूँ, इस कॉल को काट के मैं इसकी रिकॉर्डिंग चन्द्रमा का भेजूंगा, तीसरी बात आज के बाद मुझे फिर कभी कॉल मत करना मुझे चूतियों से बात करना पसंद नहीं है, चौथी और लास्ट बात , तुझे शायद पता नहीं है लेकिन मैं बता दू की मैं तेरे जैसा 20-२५ साल का लौंडा नहीं हूँ , ३५ साल का खेला खाया मर्द हूँ , जो तू दो चार चूतिये दोस्तों पर अकड़ रहा होगा इनसे दुगने है मेरे यार दोस्त, रहनेवाला बागपत का हूँ, अर जो अपनी पे आगया तो वही फरीदाबाद में गाड़ मार लूंगा और कोई बचाने वाला भी नहीं मिलेगा । इतना कहकर बिना उसकी सुने मैंने कॉल कट कर दी।
फ़ोन कटा तो पता लगा की पीछे से चन्द्रमा की 2-३ कॉल मिस्ड कॉल में पड़ी थी, लड़ाई के जोश में पता नहीं लगा की कॉल वाइटिंग में है, मैंने जल्दी से कॉल लगाया
मैं : हाँ बोलो
चन्द्रमा : आपके पास किसी का कॉल आया था क्या ?
मैं : क्यों क्या हुआ ?
चन्द्रमा : लम्बी बात है बाद में बताउंगी, बस पता नहीं दीपक को कैसे मेरा आप का पता लग गया है और वो ड्रामे कर रहा है, आपका कल वाला मैसेज देख लिया उसने और बस तब लड़े जा रहा है, अगर उसका कॉल आये तो बोल देना की मेरा आपका कुछ नहीं है जस्ट फ्रेंड है हम
मैं : उसका कॉल आ चुका है, मेरी उस से लड़ाई हो गयी है, और मैंने कुछ पार्ट रिकॉर्ड कर ली है तुमको भेजने के लिए,
चन्द्रमा : प्लीज मुझे भेज दो, अब वो फिर लड़ेगा तो मुझे पता रहेगा क्या बोला है उसने आपको
मैं : हाँ वो भेज दूंगा, लेकिन तुम ये बताओ उसने तुमको मारा पीटा तो नहीं,
चन्द्रमा : ना अब उसकीतनी भी मजाल नहीं, बस धमकी देता रहता है, आप वो रिकॉर्डिंग भेजो
मैं : ठीक है भेज रहा हूँ, अब फिर कब बात होगी ?
चन्द्रमा : आप कोई कॉल मैसेज मत करना, मैं खुद करुँगी , अभी ये पता नहीं क्या क्या ड्रामे करेगा पहले उसे झेल लू।
मैंने उसको रिकॉर्डिंग भेज दी, मैंने जान बुझ के एक दो बात दीपक से ऐसी कही थी जिस से वो झल्ला के चन्द्रमा के लिए बुरा भला कहे, मैं घर आगया, अब मुझे इन्तिज़ार था अगले कदम का, देखते है क्या होता है और कौन उठता है अगला कदम।
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