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Erotica जवानी जानेमन (Completed)

blinkit

I don't step aside. I step up.
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दो तीन दिन ऐसे ही निकल गए, चन्द्रमा का यूँ 2-३ दिन के लिए गायब हो जाना कोई नयी बात नहीं थी, पहले भी वो कई बार ऐसा कर चुकी थी, वैसे भी उस दिन की घटना के बाद से मुझे पक्का यक़ीन हो चला था की अब बात बन चुकी है बस अब सामने से आई लव यू बोलना बचा है, 2-३ दिन बीतने के बाद थोड़ी चिंता हुआ, माल अपना है ये यक़ीन तो है लेकिन दुनिया बड़ी मादरचोद है कहीं कोई मेरे माल पर हाथ ना साफ़ करले, ऐसे विचार आने पर मन थोड़ा अशांत हुआ फिर एक दो दिन में ये अशांति चिंता में बदल गयी, अब लगभग एक सप्ताह होने वाला था लेकिन चन्द्रमा का कुछ पता नहीं, ना कोई कॉल ना कोई मैसेज, आखिरकार शनिवार के दिन मैंने हिम्मत करके एक मैसेज कर दिया चन्द्रमा के व्हाट्सप्प पर " हेलो कहा गायब" करके। लेकिन मैसेज डिलीवर नहीं हुआ केवल एक टिक बानी थी व्हाट्सप्प पर, सुबह से शाम हो गयी लेकिन वही सिंगल टिक, पुरे दिन में ना जाने कितनी बार चेक किया लेकिन हर बार सिंगल टिक देख के मन उदास होने लगा।

रात में जब खाना खा के सोने के लिए लेटा और फ़ोन चेक किया तो देखा मैसेज डिलीवर हो गया था, ब्लू टिक नहीं बना था रीड वाला लेकिन डबल टिक मतलब मैसेज डिलीवर हो गया। ये देख के इतनी ख़ुशी हुई की मानो व्हाट्सप्प का आविष्कार मैंने ही किया हो केवल चन्द्रमा का मैसेज करने के लिए और पहला मैसेज उसके मोबाइल पर जाने के ख़ुशी में नाच उठा हू। रात और रात के बाद संडे का आधा दिन ऐसे निकला, ना मैसेज रीड हुआ ना कोई जवाब आया ना कोई खबर। संडे था तो घर पर ही पड़ा रहा, एक दो कॉल आयी लेकिन मैंने नोटिस नहीं किया वैसे भी मैं संडे को कॉल बहुत कम पिक करता हू। शाम के टाइम मैं घर के लिए कुछ सामान लेने मार्किट निकला रास्ते में फ़ोन बजने लगा लेकिन मैंने पिक नहीं किआ लेकिन फिर बार बार बजने लगा तो मैंने झल्ला के फ़ोन उठा लिया और डांटते हुए
मैं : डोंट डिस्टर्ब मी आज ऑफ है
कॉलर : आप कौन बोल रहे हो ?
मैं : (और ज़यादा गुस्से से), बोला ना कल ऑफिस टाइम में कॉल करना, आज ऑफ डे है
कॉलर : मुझे तुमसे बात करनी है अभी
मैं : भाई बोला ना आज ऑफ है मैं घर पर हूँ काम की बात ऑफिस में जा कर ही हो सकती है
कॉलर : ये ऑफिस की बात नहीं है पर्सनल है मुझे अभी करनी है (उसकी आवाज़ में अजीब सा गंवारपन था)
मैं : अच्छा ठीक है बोलो कौनसी बात करनी है पर्सनल वाली
कॉलर : आप नाम बताओ पहले अपना ?
मैं : तुमने किसको मिलाया है तुम्हे नहीं पता क्या ?
कॉलर : आप समीर बोल रहे हो ?
मैं : हाँ मैं समीर ही हूँ , तुम कौन हो ?
कॉलर : मैं दीपक बोल रहा हूँ
मैं : कौन दीपक ?
दीपक : दीपक, फरीदाबाद से
मैं : भाई जो भी हो मैं किसी दीपक को नहीं जानता, (फरीदाबाद के नाम से थोड़ा चौंका, ये सरला दीपक कौन है )
दीपक : चन्द्रमा को तो जानते हो आप ?
मैं : (अब एक दम से बत्ती जली, लगता है ये चन्द्रमा का एक्स bf है उसका नाम भी दीपक ही था ) हाँ जानता हूँ चन्द्रमा को
दीपक : कैसे जानते हो उसको ?
मैं : ये मैं तुमको क्यों बताओ, और तुम हो कौन ये पूछे वाले की मैं किसको जानता हूँ किसको नहीं
दीपक : क्योँकि चन्द्रमा मेरी होने वाली पत्नी है
मैं : (ये सुनके मेरा मूड सड़ गया) कंग्रॅजुलेशन तुम दोनों को, फिर कब है शादी ?
दीपक : शादी वादी तो तब होगी ना जब तुम उसका पीछा छोड़ोगे
मैं : (बहनचोद, ये तो डायरेक्ट मेरे पर जिम्मेदारी दाल रहा है) मैंने कौन सा उसे घर में बंद करके रखा है या रस्सी से बंध रखा है, जिस से उसका मन उससे सँग करेगी शादी,
दीपक : मैं उस से प्यार करता हूँ वो भी मेरे से प्यार करती है पर जब से तुमसे मिली है हर दिन लड़ती है ढंग से बात भी करती और फ़ोन करो तो फ़ोन काट देती है।
मैं : भाई तेरे करम ही ऐसे होंगे जिसके कारण ऐसा कर रही है, इसमें मेरी क्या गलती है, मैंने थोड़ी ना बोला है की तेरे से बात करे या मत करे, ये तुम दोनों के बीच की बात है तुम देखो
दीपक : मैंने सब चेक कर लिया, वो आजकल केवल तुमसे बात करती है और मैसेज करती है और किसी से नहीं करती, तुमने ही उसे अपने चक्कर में फास रखा है
मैं : (ये सुन के गुस्सा आगया) वो क्या पंछी है की मैंने उसे पिंजड़े में बंद कर लिया, उसकी मर्ज़ी है चाहे तेरे पास रहे या और किसी के संग और हमारे बीच ऐसी कोई बात नहीं है, सिंपल दोस्त है बस।
दीपक : झूट, दोस्ती में कोई इतनी बात नहीं करता जितनी वो तुमसे करती है,

फिर एक दम से टोन चेंज करते हुए बोला

दीपक : बहनचोद तूने चन्द्रमा चोद दी है क्या ?

मैं : एक मिनट रुक (फ़ोन में रिकॉर्डिंग स्टार्ट करने के लिए ), हाँ अब बोलक्या बोल रहा था?
दीपक : तू ये बता की तूने चन्द्रमा चोद दी है क्या ?
मैं : क्योँ तुझे क्या लगता है वो ऐसे चैरेक्टर की लड़की है क्या ?
दीपक : अरे उसे तो मैंरोक के रखता हूँ, नहीं तो साली कब का चुद जाती, तुझे पता नहीं हमारे यहाँ का माहौल, मैं उसे स्लीवलेस्स पहने नहीं देता, ना छोटे कपडे, ना लड़को से बात करने देता हूँ, नहीं तो आजकल के लड़के मौका देख के कब चोद दे पता नहीं लगता
मैं : फिर तो तू उसे सांस भी गिन के दिलवाता होगा ?
दीपक : मतलब?
मैं : बहनचोद, तू आदमी है या चूतिया, किसी अनजान आदमी से जिससे आज तक तू मिला नहीं, तेरे को पता नहीं की मेरा उसका क्या रिलेशन है, जिसे तू अभी ५ मिनट पहले अपनी होने वाली पत्नी बता रहा था अब उसकी चुदाई और चूत मारने की बात बता रहा है। शर्म कर ले थोड़ी और रही बात मेरी और चन्द्रमा की तो मुझे नहीं पता की उसने क्या बोला मेरे बारे में लेकिन हम केवल दोस्त है और जो कुछ तू सोच रहा है वो तेरी गन्दी सोंच है केवल,

और रही बात कपड़ो की, तो अगर चन्द्रमा मेरी गर्लफ्रैंड होती तो मैं उसे पूरी आज़ादी देता जो मन चाहे पहने, जो मन चाहे खाये पिए और दोस्तों के साथ घूमे, कपडे से कुछ नहीं होता जिसको करना होगा सात ताले में बंद करके रखोगे ना तब भी कुछ ना कुछ तरीका निकल लेगी और जिसको नहीं करना होगा वो सब सामने हो के भी नहीं करेगी समझा।

दीपक : अच्छा फिर तुम उसको पैसे क्यों देते हो, सब चूत के चक्कर में ही पैसे खरच करते है ?
मैं : मैंने कौन से पैसे दिए उसे ?
दीपक : वो तीन हज़ार जो तुमसे लेके वो मेरे पीछे पीछे पटना आयी थी ?
मैं : उन पैसो का क्या ? वो उसने उधार लिए और चूका दिए ? क्यों उधार केवल उनको ही देते है जिसकी चूत मारनी हो ? फिर तो तू जिनसे उधार लेता होगा उनको बदले में अपनी गांड देता होगा।
दीपक : (भड़कते हुए) कोई पैसे नहीं लौटाए इस रंडी ने

मैं : पहली बात मेरे सामने उसको गाली मत दो, दूसरी बात मैं ये कॉल रिकॉर्ड कर रहा हूँ, इस कॉल को काट के मैं इसकी रिकॉर्डिंग चन्द्रमा का भेजूंगा, तीसरी बात आज के बाद मुझे फिर कभी कॉल मत करना मुझे चूतियों से बात करना पसंद नहीं है, चौथी और लास्ट बात , तुझे शायद पता नहीं है लेकिन मैं बता दू की मैं तेरे जैसा 20-२५ साल का लौंडा नहीं हूँ , ३५ साल का खेला खाया मर्द हूँ , जो तू दो चार चूतिये दोस्तों पर अकड़ रहा होगा इनसे दुगने है मेरे यार दोस्त, रहनेवाला बागपत का हूँ, अर जो अपनी पे आगया तो वही फरीदाबाद में गाड़ मार लूंगा और कोई बचाने वाला भी नहीं मिलेगा । इतना कहकर बिना उसकी सुने मैंने कॉल कट कर दी।

फ़ोन कटा तो पता लगा की पीछे से चन्द्रमा की 2-३ कॉल मिस्ड कॉल में पड़ी थी, लड़ाई के जोश में पता नहीं लगा की कॉल वाइटिंग में है, मैंने जल्दी से कॉल लगाया

मैं : हाँ बोलो
चन्द्रमा : आपके पास किसी का कॉल आया था क्या ?
मैं : क्यों क्या हुआ ?
चन्द्रमा : लम्बी बात है बाद में बताउंगी, बस पता नहीं दीपक को कैसे मेरा आप का पता लग गया है और वो ड्रामे कर रहा है, आपका कल वाला मैसेज देख लिया उसने और बस तब लड़े जा रहा है, अगर उसका कॉल आये तो बोल देना की मेरा आपका कुछ नहीं है जस्ट फ्रेंड है हम
मैं : उसका कॉल आ चुका है, मेरी उस से लड़ाई हो गयी है, और मैंने कुछ पार्ट रिकॉर्ड कर ली है तुमको भेजने के लिए,
चन्द्रमा : प्लीज मुझे भेज दो, अब वो फिर लड़ेगा तो मुझे पता रहेगा क्या बोला है उसने आपको
मैं : हाँ वो भेज दूंगा, लेकिन तुम ये बताओ उसने तुमको मारा पीटा तो नहीं,
चन्द्रमा : ना अब उसकीतनी भी मजाल नहीं, बस धमकी देता रहता है, आप वो रिकॉर्डिंग भेजो
मैं : ठीक है भेज रहा हूँ, अब फिर कब बात होगी ?
चन्द्रमा : आप कोई कॉल मैसेज मत करना, मैं खुद करुँगी , अभी ये पता नहीं क्या क्या ड्रामे करेगा पहले उसे झेल लू।

मैंने उसको रिकॉर्डिंग भेज दी, मैंने जान बुझ के एक दो बात दीपक से ऐसी कही थी जिस से वो झल्ला के चन्द्रमा के लिए बुरा भला कहे, मैं घर आगया, अब मुझे इन्तिज़ार था अगले कदम का, देखते है क्या होता है और कौन उठता है अगला कदम।
 
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malikarman

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दो तीन दिन ऐसे ही निकल गए, क्योँकि उसका यौन 2-३ दिन के लिए कांटेक्ट से बहार जाना कोई नयी बात नहीं थी, पहले भी वो कई बार ऐसा कर चुकी थी, वैसे भी उस दिन की घटना के बाद से मुझे पक्का यक़ीन हो चला था की अब बात बन चुकी है बस अब सामने से आई लव यू बोलना बचा है केवल,काहिर 2-३ दिन गुर्जरने के बाद थोड़ी चिंता हुआ, माल अपना है ये यक़ीन तो है लेकिन दुनिया बड़ी मादरचोद है कहीं कोई मेरे माल पर हाथ न साफ़ करले अब ऐसा सोंच के मन थोड़ा अशांत हुआ फिर एक दो दिन में ये अशांति चिंता में बदल गयी, अब लगभग एक सप्ताह होने वाला था लेकिन चन्द्रमा का कुछ पता नहीं, न कोई कॉल न कोई मैसेज, आखिरकार शनिवार के दिन मैंने हिम्मत करके एक मश्ग दाल्हि दिया उसके व्हाट्सप्प पर " हेलो कहा गायब" करके। लेकिन मैसेज डिलीवर नहीं हुआ ओनली एक टिक बानी रही व्हाट्सप्प पर, सुबह से शाम हो गयी लेकिन वही सिंगल टिक, पुरे दिन में न जाने कितनी बार चेक किया लेकिन हर बार सिंगल तिवक देख के मन उदास रहा,

रात में जब खाना खा के सोने के लिए लेटा और फ़ोन चेक किया तो देखा मैसेज डिलीवर हो गया था, ब्लू टिक नहीं बना था रीड वाला लेकिन डबल टिक मतलब मैसेज डिलीवर हो गया। ये देख के इतनी ख़ुशी हुई की मानो व्हाट्सप्प का आविष्कार मैंने ही किया हो केवल चन्द्रमा का मैसेज करने के लिए और पहला मैसेज उसके मोबाइल पर जाने के ख़ुशी में नाच उठा हू। रात और रात के बाद संडे का आधा दिन ऐसे निकला, न मैसेज रीड हुआ ना कोई जवाब आया ना कोई खबर। संडे था तो घर पर ही पड़ा रहा, एक दो कॉल आयी लेकिन मैंने नोटिस नहीं किया वैसे भी मैं संडे को कॉल बहुत कम पिक करता हू। शाम के टाइम मैं घर के लिए कुछ सामान लेने मार्किट निकला के फ़ोन बजने लगा लेकिन मैंने पिक नहीं किआ लेकिन फिर बार बार बजने लगा तो मैंने झल्ला के फ़ोन उठा लिया और लगभग डांटते हुए बोला
मैं : डोंट डिस्टर्ब में आज ऑफ है
कॉलर : आप कोण बोल रहे हो
मैं : (और ज़यादा गुस्से से), बोला न कल ऑफिस टाइम में कॉल करना, आज ऑफ डे है
कॉलर : मुझे तुमसे बात करनी है अभी
मैं : भाई बोला न आज ऑफ है ऑफिस की बात ऑफिस में
कॉलर : ये ऑफिस की बात नहीं है पर्सनल है मुझे अभी करनी है (उसकी आवाज़ में अजीब सा गवरपान था)
मैं : अच्छा ठीक है बोलो कोनसी बात करनी है पर्सनल वाली
कॉलर : आप नाम बताओ पहले अपना
मैं : तुमने किसको मिलाया है तुम्हे नहीं पता क्या ?
कॉलर : आप समीर बोल रहे हो ?
मैं : हाँ मैं समीर ही हूँ , तुम कौन हो ?
कॉलर : मैं दीपक बोल रहा हूँ
मैं : कौन दीपक ?
दीपक : दीपक सैनी फरीदाबाद से
मैं : भाई जो भी हो मैं किसी दीपक को नहीं जानता, (फरीदाबाद के नाम से थोड़ा चौंका, ये दीपक कौन है साला )
दीपक : चन्द्रमा को तो जानते हो आप ?
मैं : (अब एक दम से बत्ती जली, लगता है ये चन्द्रमा का एक्स bf है उसका नाम भी दीपक ही था ) हाँ जानता हूँ चन्द्रमा को
दीपक : कैसे जानते हो उसको ?
मैं : ये मैं तुमको क्यों बताओ, और तुम हो कौन ये पूछे वाले की मैं किसको जानता हूँ किसको नहीं
दीपक : क्योँकि चन्द्रमा मेरी होने वाली पत्नी है
मैं : (ये सुनके मेरा मूड सड़ गया) कंग्रॅजुलेशन तुम दोनों को, फिर कब है शादी ?
दीपक : शादी वादी तो तब होगी ना जब तुम उसका पीछा छोड़ोगे
मैं : (बहनचोद, ये तो डायरेक्ट मेरे पर ब्लामे डाल रहा है) मैंने कौन सा उसे घर में बंद करके रखा है या रस्सी से बंध राखी है, जिस से उसका मन उसते सँग करेगी शादी,
दीपक : मैं उस से प्यार करता हूँ वो भी मेरे से प्यार करती है पर जब से तुमसे मिली है हर दिन लड़ती है ढंग से बात भी करती और फ़ोन करो तो फ़ोन काट देती है।
मैं : भाई तेरे करम ही ऐसे होंगे जिसके कारन ऐसा कर रही है, इसमें मेरी क्या गलती है, मैंने थोड़ा न बोला है की तेरे से बात करे या मत करे, ये तुम दोनों के बीच की बात है तुम देखो
दीपक : मैंने सब चेक कर लिया, वो आजकल केवल तुमसे बात करती या मैसेज करती है और किसी से नहीं करती, तुमने ही उसे अपने चक्कर में फास रखा है
मैं (ये सुन के गुस्सा आगया) वो क्या पंछी है की मैंने उसे पिंजड़े में बंद कर लिया, उसकी मर्ज़ी है चाहे तेरे पास रहे या और किसी के संग और हमारे बीच ऐसी कोई बात नहीं है, सिंपल दोस्त है ओनली।
दीपक : झूट, दोस्ती में कोई इतनी बात नहीं करता जितनी वो तुमसे करती है, बहनचोद तूने चन्द्रमा चोद दी है क्या ?
मैं : एक मिनट रुक (फ़ोन में रिकॉर्डिंग स्टार्ट करने के लिए ), हाँ अब बोलक्या बोल रहा था?
दीपक : दीपक ये बता की तूने चन्द्रमा चोद दी है क्या ?
मैं : क्योँ तुझे क्या लगता है वो ऐसे चैरेक्टर की लड़की है क्या ?
दीपक : अरे उसे तो मैं रोक के रखता हूँ , उसे स्लीवलेस्स पहने नहीं देता, न छोटे कपडे, न लड़को से बात करने देता हूँ, नहीं तो आजकल के लड़के मौका देख के कब चोद दे पता नहीं लगत।
मैं : फिर तो तू उसे सांस भी गिन के दिलवाता होगा ?
दीपक : मतलब?
मैं : बहनचोद, तू आदमी है या चुटिया है, किसी अनजान आदमी से जिससे आज तक तू मिला नहीं, तेरे को पता नहीं की मेरा उसका क्या रिलेशन है, जिसे तू अभी ५ मिनट पहले होने वाली पत्नी बता रहा था उसकी चुदाई और चूत मारने की बात बता रहा है। शर्म कर ले थोड़ी
और रही बात मेरी और चन्द्रमा की तो मुझे नहीं पता की उसने क्या बोला मेरे बारे में लेकिन हम केवल दोस्त है और जो कुछ तू सोच रहा है वो तेरी गन्दी सोंच है केवल, और रही बात कपड़ो की, तो अगर चन्द्रमा मेरी गिर्ल्फ्रैंड होती तो मैं उसे पूरी आज़ादी देता जो मन चाहे पहने, जो मन चाहे खाये पिए और दोस्तों के साथ घूमे, कपडे से कुछ नहीं होता जिसको करना होगा सात ताले में बंद करके रखोगे ना तब भी कुछ न कुछ तरीका निकल लेगी और जिसको नहीं करना होगा वो सब सामने हो के भी नहीं करेगी समझा।
दीपक : अच्छा फिर तुम उसको पैसे क्यों देते हो, सब चूत के चक्कर में ही पैसे खरच करते है ?
मैं : मैंने कौन से पैसे दिए उसे ?
दीपक : वो तीन हज़ार जो तुमसे लेके वो मेरे पीछे पीछे पटना आयी थी ?
मैं : उन पैसो का क्या ? वो उसने उधार लिए और चूका दिए ? क्यों उधार केवल उनको ही देते है जिसकी चूत मारनी हो ? फिर तो तू जिनसे उधार लेता होगा उनको बदले में अपनी गांड देता होगा।
दीपक : (भड़कते हुए) कोई पैसे नहीं लौटाए इस रंडी ने
मैं : पहली बात मेरे सामने उसको गाली मत दो, दूसरी बात मैं ये साल रिकॉर्ड कर रहा हूँ, इस कॉल को काट के मैं इसकी रिकॉर्डिंग चन्द्रमा का भेजूंगा, तीसरी बात आज के बाद मुझे फिर कभी कॉल मत करना मुझे चूतियों से बात करना पसंद नहीं है, चौथी और लास्ट बात , तुझे शायद पता नहीं है लेकिन मैं बता दू की मैं तेरे जैसा 20-२५ साल का लौंडा नहीं हूँ , ३५ साल का खेला खाया मर्द हूँ , जो तू दो चार चूतिये दोस्तों पर अकड़ रहा होगा इनसे दुगने है मेरे यार दोस्त, रहनेवाला बागपत का हूँ, अर जो अपनी पे आगया तो वही फरीदाबाद में गाड़ मार लूंगा और कोई बचाने वाला भी नहीं मिलेगा । इतना कह बिना उसकी सुने मैंने कॉल कट कर दी।

फ़ोन कटा तो पता लगा की पीछे से चन्द्रमा की 2-३ कॉल मिस्ड कॉल में पड़ी थी, लड़ाई के जोश में पता नहीं लगा की कॉल वाइटिंग में है, मैंने जल्दी से कॉल लगाया
मैं : हाँ बोलो
चन्द्रमा : आपके पास किसी का कॉल आया था क्या ?
मैं : क्यों क्या हुआ ?
चन्द्रमा : लम्बी बात है बाद में बताउंगी, बस पता नहीं दीपक को कैसे मेरा आप का पता लग गया है और वो ड्रामे कर रहा है, आपका कल वाला मैसेज देख लिया उसने और बस तब लाडे जा रहा है, अगर उसका कॉल आये तो बोल्डेन की मेरा आपका कुछ नहीं है जस्ट फ्रेंड है हम
मैं : उसका कॉल आ चुका है, मेरी उस से लड़ाई हो गयी है, और मैंने कुछ पार्ट कॉल की रिकॉर्ड कर ली है तुमको भेजने के लिए,
चन्द्रमा : प्लेस मुझे भेज दो, अब वो फिर लड़ेगा तोह मुझे पता रहेगा क्या बोला है उसने आपको
मैं : हाँ वो भेज दूंगा, लेकिन तुम ये बताओ उसने तुमको मारा पीटा तोह नहीं,
चन्द्रमा : न अब उसकीतनी भी मजाल नहीं, बस वर्बल फाइट, आपवो रिकॉर्डिंग भेजो
मैं : ठीक है भेज रहा हूँ, अब फिर कब बात होगी ?
चन्द्रमा : आप कोई कॉल मैसेज मत करना, मैं खुद करुँगी , अभी ये पता नहीं क्या क्या ड्रामे करेगा पहले उसे झेल लू।

मैंने उसको रिकॉर्डिंग भेजदि, मैंने जान बुझ के एक दो बात दीपक से ऐसी कही थी जिस से वो झल्ला के चन्द्रमा के अगेंस्ट कहे और मैंने कुछ भी ऐसे नहीं कहा जो मुझे चन्द्रमा की नज़रों में बुरा बनत। मैं घर आगया, अब मुझे इन्तिज़ार था अगले कदम का, देखते है क्या होता है और कौन उठता है अगला कदम।
Bahut achha laga update
 

Rekha rani

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दो तीन दिन ऐसे ही निकल गए, क्योँकि उसका यौन 2-३ दिन के लिए कांटेक्ट से बहार जाना कोई नयी बात नहीं थी, पहले भी वो कई बार ऐसा कर चुकी थी, वैसे भी उस दिन की घटना के बाद से मुझे पक्का यक़ीन हो चला था की अब बात बन चुकी है बस अब सामने से आई लव यू बोलना बचा है केवल,काहिर 2-३ दिन गुर्जरने के बाद थोड़ी चिंता हुआ, माल अपना है ये यक़ीन तो है लेकिन दुनिया बड़ी मादरचोद है कहीं कोई मेरे माल पर हाथ न साफ़ करले अब ऐसा सोंच के मन थोड़ा अशांत हुआ फिर एक दो दिन में ये अशांति चिंता में बदल गयी, अब लगभग एक सप्ताह होने वाला था लेकिन चन्द्रमा का कुछ पता नहीं, न कोई कॉल न कोई मैसेज, आखिरकार शनिवार के दिन मैंने हिम्मत करके एक मश्ग दाल्हि दिया उसके व्हाट्सप्प पर " हेलो कहा गायब" करके। लेकिन मैसेज डिलीवर नहीं हुआ ओनली एक टिक बानी रही व्हाट्सप्प पर, सुबह से शाम हो गयी लेकिन वही सिंगल टिक, पुरे दिन में न जाने कितनी बार चेक किया लेकिन हर बार सिंगल तिवक देख के मन उदास रहा,

रात में जब खाना खा के सोने के लिए लेटा और फ़ोन चेक किया तो देखा मैसेज डिलीवर हो गया था, ब्लू टिक नहीं बना था रीड वाला लेकिन डबल टिक मतलब मैसेज डिलीवर हो गया। ये देख के इतनी ख़ुशी हुई की मानो व्हाट्सप्प का आविष्कार मैंने ही किया हो केवल चन्द्रमा का मैसेज करने के लिए और पहला मैसेज उसके मोबाइल पर जाने के ख़ुशी में नाच उठा हू। रात और रात के बाद संडे का आधा दिन ऐसे निकला, न मैसेज रीड हुआ ना कोई जवाब आया ना कोई खबर। संडे था तो घर पर ही पड़ा रहा, एक दो कॉल आयी लेकिन मैंने नोटिस नहीं किया वैसे भी मैं संडे को कॉल बहुत कम पिक करता हू। शाम के टाइम मैं घर के लिए कुछ सामान लेने मार्किट निकला के फ़ोन बजने लगा लेकिन मैंने पिक नहीं किआ लेकिन फिर बार बार बजने लगा तो मैंने झल्ला के फ़ोन उठा लिया और लगभग डांटते हुए बोला
मैं : डोंट डिस्टर्ब में आज ऑफ है
कॉलर : आप कोण बोल रहे हो
मैं : (और ज़यादा गुस्से से), बोला न कल ऑफिस टाइम में कॉल करना, आज ऑफ डे है
कॉलर : मुझे तुमसे बात करनी है अभी
मैं : भाई बोला न आज ऑफ है ऑफिस की बात ऑफिस में
कॉलर : ये ऑफिस की बात नहीं है पर्सनल है मुझे अभी करनी है (उसकी आवाज़ में अजीब सा गवरपान था)
मैं : अच्छा ठीक है बोलो कोनसी बात करनी है पर्सनल वाली
कॉलर : आप नाम बताओ पहले अपना
मैं : तुमने किसको मिलाया है तुम्हे नहीं पता क्या ?
कॉलर : आप समीर बोल रहे हो ?
मैं : हाँ मैं समीर ही हूँ , तुम कौन हो ?
कॉलर : मैं दीपक बोल रहा हूँ
मैं : कौन दीपक ?
दीपक : दीपक सैनी फरीदाबाद से
मैं : भाई जो भी हो मैं किसी दीपक को नहीं जानता, (फरीदाबाद के नाम से थोड़ा चौंका, ये दीपक कौन है साला )
दीपक : चन्द्रमा को तो जानते हो आप ?
मैं : (अब एक दम से बत्ती जली, लगता है ये चन्द्रमा का एक्स bf है उसका नाम भी दीपक ही था ) हाँ जानता हूँ चन्द्रमा को
दीपक : कैसे जानते हो उसको ?
मैं : ये मैं तुमको क्यों बताओ, और तुम हो कौन ये पूछे वाले की मैं किसको जानता हूँ किसको नहीं
दीपक : क्योँकि चन्द्रमा मेरी होने वाली पत्नी है
मैं : (ये सुनके मेरा मूड सड़ गया) कंग्रॅजुलेशन तुम दोनों को, फिर कब है शादी ?
दीपक : शादी वादी तो तब होगी ना जब तुम उसका पीछा छोड़ोगे
मैं : (बहनचोद, ये तो डायरेक्ट मेरे पर ब्लामे डाल रहा है) मैंने कौन सा उसे घर में बंद करके रखा है या रस्सी से बंध राखी है, जिस से उसका मन उसते सँग करेगी शादी,
दीपक : मैं उस से प्यार करता हूँ वो भी मेरे से प्यार करती है पर जब से तुमसे मिली है हर दिन लड़ती है ढंग से बात भी करती और फ़ोन करो तो फ़ोन काट देती है।
मैं : भाई तेरे करम ही ऐसे होंगे जिसके कारन ऐसा कर रही है, इसमें मेरी क्या गलती है, मैंने थोड़ा न बोला है की तेरे से बात करे या मत करे, ये तुम दोनों के बीच की बात है तुम देखो
दीपक : मैंने सब चेक कर लिया, वो आजकल केवल तुमसे बात करती या मैसेज करती है और किसी से नहीं करती, तुमने ही उसे अपने चक्कर में फास रखा है
मैं (ये सुन के गुस्सा आगया) वो क्या पंछी है की मैंने उसे पिंजड़े में बंद कर लिया, उसकी मर्ज़ी है चाहे तेरे पास रहे या और किसी के संग और हमारे बीच ऐसी कोई बात नहीं है, सिंपल दोस्त है ओनली।
दीपक : झूट, दोस्ती में कोई इतनी बात नहीं करता जितनी वो तुमसे करती है, बहनचोद तूने चन्द्रमा चोद दी है क्या ?
मैं : एक मिनट रुक (फ़ोन में रिकॉर्डिंग स्टार्ट करने के लिए ), हाँ अब बोलक्या बोल रहा था?
दीपक : दीपक ये बता की तूने चन्द्रमा चोद दी है क्या ?
मैं : क्योँ तुझे क्या लगता है वो ऐसे चैरेक्टर की लड़की है क्या ?
दीपक : अरे उसे तो मैं रोक के रखता हूँ , उसे स्लीवलेस्स पहने नहीं देता, न छोटे कपडे, न लड़को से बात करने देता हूँ, नहीं तो आजकल के लड़के मौका देख के कब चोद दे पता नहीं लगत।
मैं : फिर तो तू उसे सांस भी गिन के दिलवाता होगा ?
दीपक : मतलब?
मैं : बहनचोद, तू आदमी है या चुटिया है, किसी अनजान आदमी से जिससे आज तक तू मिला नहीं, तेरे को पता नहीं की मेरा उसका क्या रिलेशन है, जिसे तू अभी ५ मिनट पहले होने वाली पत्नी बता रहा था उसकी चुदाई और चूत मारने की बात बता रहा है। शर्म कर ले थोड़ी
और रही बात मेरी और चन्द्रमा की तो मुझे नहीं पता की उसने क्या बोला मेरे बारे में लेकिन हम केवल दोस्त है और जो कुछ तू सोच रहा है वो तेरी गन्दी सोंच है केवल, और रही बात कपड़ो की, तो अगर चन्द्रमा मेरी गिर्ल्फ्रैंड होती तो मैं उसे पूरी आज़ादी देता जो मन चाहे पहने, जो मन चाहे खाये पिए और दोस्तों के साथ घूमे, कपडे से कुछ नहीं होता जिसको करना होगा सात ताले में बंद करके रखोगे ना तब भी कुछ न कुछ तरीका निकल लेगी और जिसको नहीं करना होगा वो सब सामने हो के भी नहीं करेगी समझा।
दीपक : अच्छा फिर तुम उसको पैसे क्यों देते हो, सब चूत के चक्कर में ही पैसे खरच करते है ?
मैं : मैंने कौन से पैसे दिए उसे ?
दीपक : वो तीन हज़ार जो तुमसे लेके वो मेरे पीछे पीछे पटना आयी थी ?
मैं : उन पैसो का क्या ? वो उसने उधार लिए और चूका दिए ? क्यों उधार केवल उनको ही देते है जिसकी चूत मारनी हो ? फिर तो तू जिनसे उधार लेता होगा उनको बदले में अपनी गांड देता होगा।
दीपक : (भड़कते हुए) कोई पैसे नहीं लौटाए इस रंडी ने
मैं : पहली बात मेरे सामने उसको गाली मत दो, दूसरी बात मैं ये साल रिकॉर्ड कर रहा हूँ, इस कॉल को काट के मैं इसकी रिकॉर्डिंग चन्द्रमा का भेजूंगा, तीसरी बात आज के बाद मुझे फिर कभी कॉल मत करना मुझे चूतियों से बात करना पसंद नहीं है, चौथी और लास्ट बात , तुझे शायद पता नहीं है लेकिन मैं बता दू की मैं तेरे जैसा 20-२५ साल का लौंडा नहीं हूँ , ३५ साल का खेला खाया मर्द हूँ , जो तू दो चार चूतिये दोस्तों पर अकड़ रहा होगा इनसे दुगने है मेरे यार दोस्त, रहनेवाला बागपत का हूँ, अर जो अपनी पे आगया तो वही फरीदाबाद में गाड़ मार लूंगा और कोई बचाने वाला भी नहीं मिलेगा । इतना कह बिना उसकी सुने मैंने कॉल कट कर दी।

फ़ोन कटा तो पता लगा की पीछे से चन्द्रमा की 2-३ कॉल मिस्ड कॉल में पड़ी थी, लड़ाई के जोश में पता नहीं लगा की कॉल वाइटिंग में है, मैंने जल्दी से कॉल लगाया
मैं : हाँ बोलो
चन्द्रमा : आपके पास किसी का कॉल आया था क्या ?
मैं : क्यों क्या हुआ ?
चन्द्रमा : लम्बी बात है बाद में बताउंगी, बस पता नहीं दीपक को कैसे मेरा आप का पता लग गया है और वो ड्रामे कर रहा है, आपका कल वाला मैसेज देख लिया उसने और बस तब लाडे जा रहा है, अगर उसका कॉल आये तो बोल्डेन की मेरा आपका कुछ नहीं है जस्ट फ्रेंड है हम
मैं : उसका कॉल आ चुका है, मेरी उस से लड़ाई हो गयी है, और मैंने कुछ पार्ट कॉल की रिकॉर्ड कर ली है तुमको भेजने के लिए,
चन्द्रमा : प्लेस मुझे भेज दो, अब वो फिर लड़ेगा तोह मुझे पता रहेगा क्या बोला है उसने आपको
मैं : हाँ वो भेज दूंगा, लेकिन तुम ये बताओ उसने तुमको मारा पीटा तोह नहीं,
चन्द्रमा : न अब उसकीतनी भी मजाल नहीं, बस वर्बल फाइट, आपवो रिकॉर्डिंग भेजो
मैं : ठीक है भेज रहा हूँ, अब फिर कब बात होगी ?
चन्द्रमा : आप कोई कॉल मैसेज मत करना, मैं खुद करुँगी , अभी ये पता नहीं क्या क्या ड्रामे करेगा पहले उसे झेल लू।

मैंने उसको रिकॉर्डिंग भेजदि, मैंने जान बुझ के एक दो बात दीपक से ऐसी कही थी जिस से वो झल्ला के चन्द्रमा के अगेंस्ट कहे और मैंने कुछ भी ऐसे नहीं कहा जो मुझे चन्द्रमा की नज़रों में बुरा बनत। मैं घर आगया, अब मुझे इन्तिज़ार था अगले कदम का, देखते है क्या होता है और कौन उठता है अगला कदम।
Full on filmy drama chal rha hai, yha to , jokar ki entry ho gayi lagta hai, ye deepak maha chutiya lag raha hai, kya soch kar chandrma iske sath relation me aayi aur jab jan gayi ki wo kisi dusri lakdi ke sath bhi hai tab bhi uske sath involved hai
Ab kya rhta hai ye recording sunne ke bad intersting rhega
 

rkv66

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मैं सब भूल भाल कर काम में व्यस्त हो गया फिर लगभग एक सप्ताह बाद चन्द्रमा का कॉल आया, मैंने कॉल पिक नहीं किया, एक बार चुटिया बनना काफी था दोबारा शामे चुतियापा नहीं करना चाहता था, उसका कॉल 2-३ बार आया लईकिन मैंने नहीं पिक किया, रात में उसका व्हाट्सप्प मैसेज आया की प्लीज मेरी कॉल पिक करो आपसे बात करनी और आपके पैसे लौटने है. मैंने फिर भी कॉल नहीं की और ज़यादा धयान भी नहीं दिया.
2-४ दिन बाद एक अननोन नोज कॉल आयी फ़ोन पिक किया तो पता चला काजल नाम की लड़की है
मैं : हाँ काजल बोलो
काजल : भैय्या, मैं चन्द्रमा की छोटी सिस्टर हूँ , भैय्या दीदी की तबियत ठीकनही है और उन्होंने आपका अकाउंट नंबर माँगा है
मैं : मैं थोड़ा बिजी था इसलिए बात नहीं कर पाया मेरा इसी नंबर पर UPI है यू कैन पेटम अगर चाहो तो .
काजल : जी भैया, मैं दीदी को बोलती हूँ

कुछ देर में ही मेरे पास पैसे आगये, मुझे हैरत हुई , कहा तोह मैं सोंच रहा था चुटिया कट गया, कहा तोह लड़की ने पैसे वापिस दे दिए . मुझे खुद की सोंच का बुरा लगा .
मैंने एक दो दिन बाद हिम्मत करके उसको व्हाट्सप्प पर टेक्स्ट किया, हेल्थ का पूछा, फिर पूछा की कहा गयी थी इतनी जल्दी में. उसने कहा कॉल करो फ़ोन में बताउंगी, मैंने कॉल किया उसने जो बताया सुन के मेरा दिल फिर से टूट गया.

उसकी कहानी ये थी की उसके एक बॉयफ्रैंड है दीपक, दीपक से इसका रिलेशन 1-२ ईयर से है, दीपक की सिस्टर सोनी चन्द्रमा की बेस्ट फ्रैंड है, दीपक ने एक दिन चन्द्रमा को बोला की वो किसी काम से लखनऊ जा रहा है और एक दिन में आजायेगा, लेकिन नेक्स्ट डे चन्द्रमा को सोनी से पता चला की उसका भाई पटना गया है, ये सुन के चन्द्रमा का माथा ठनका, उसने पता एक दो दोस्तों से तोह बात कन्फर्म हो गयी की दीपक का चक्कर किसी और लड़की से भी hi, ये सुन के चन्द्रमा का दिल टूट गया, लेकिन फिर उसने फैसला किया दीपक को रंगे हाथ पकड़ने का और जा पहुंची पटना (इसीलिए उसने मुझे पैसे उधार लिए थे)

दीपक पटना में मिल गया लेकिन वो भी पक्का खिलाडी था किसीतरह से चन्द्रमा को समझा बुझा के शांत किया की वो बस ऐसे आया था, चन्द्रमा मन से जानती थी की वो झूट बोल रहा है लेकिन उसके होटल में लड़की नहीं मिली थी तोह चन्द्रमा के पास कोई पक्का सबूत नहीं था .

मैं चुपचाप पूरी कहानी सुनता रहा, मेरे पास कुछ था नहीं बोलने के लिए, फिर भी मैंने हिम्मत करके पूछा

मैं : तुम्हारा जब बॉयफ्रेंड था तोतुमने मुझे बतया क्यों नहीं?
चन्द्रमा : बस ऐसे ही .
मैं : उसके साथ खुश हो
चन्द्रमा : हाँ

अब क्या बोलता फिर, इधर उधर के बात करके फ़ोन रख दिया.

पाठको को याद दिला दू की इतनी सब बात होने के बाद भी अब तक हमदोनो ने एक दुसरे को नहीं देखा था.
खैर, समय बीता और नया साल आगया. हमने अनमने मन से एक दूसरे को विश किया. मुझे अब कुछ खास ुईद तोह थी नहीं इसलिए मैं अपने काम पर हीफोकस कर रहा था

नई ईयर के कुछ दिन बाद अचानक मुझे किसी काम से फरीदाबाद जाना पड़ा, मैंने जब वहा था तो मुझे चन्द्रमा की याद आयी मैंने उसके मैसेज करने के लिए सोचा और जैसे ही फ़ोन जेब से निकाला तो देखा कुछ घंटे पहले चन्द्रमा का मैसेज आया हुआ था, (हेलो, कहा हो ? फ्री हो तो कॉल करना करके ) मैंने झट से कॉल किया

मैं : हेलो
चन्द्रमा : hello! मिल गयी फुर्सत मुझसे बात करने की
मैं : क्यों क्या हुआ ?
चन्द्रमा : कब से मैसेज किया हुआ है कोईजवाब ही नहीं आता आपका
मैं : क्यंकि मैं रस्ते में था अभी देखा तुम्हारा मैसेज
चन्द्रमा : कहा हो आप ?
मैं : सोंचो कहा हो सकता हूँ ?
चन्द्रमा : दिल्ली ?
मैं : नहीं
चन्द्रमा : आप फरीदाबाद में हो क्या ?
मैं : यस
चन्द्रमा : आपने बताया क्यों नहीं ?
मैं : क्यों, तुममिलने आती क्या ?
चन्द्रमा : हाँ जी, और मैं आरही हूँ आप बताओ कहा हो फरीदाबाद में
मैं : नीलम चौक के पास हूँ
चन्द्रमा : वहाँ से निकलो और मॉल में मिलो मैं आधे घंटे में पहुंच रही हूँ
मैं : ठीक है

मैं जनता था की उसका एक बॉयफ्रैंड है लेकिन फिर भी मैं एक बार उसको देखना चाहता था , व्हाट्सप्प पर बहुत बात हुई मैंने एक दो बार उसकी पिक्चर मांगी थी उसने भी मांगी थी लेकिन हम दोनों ने ही अनहि दी एक दूसरे को
खैर मैं एक पास के मॉल में पहुंच के उसका वेट करने लगा, वो टाइम की पक्की निकली और ठीक आधे घंटे में वो माल में आ गयी . मैं ऐसी जगह खड़ा था जहा मैं उसको दूर से आते देख सकता था.

मुश्किल से १८ साल की लड़की, पतली कोमल शरीर, साफ़ रंगत, पतले नयन नख्श, चूचिया ३० की होंगी कमर मुश्किल से २६ की और गांड ३२ की, बिलकुल ताज़ा कमसिन काली जैसी, ऊपर उसके होंठ बिलकुल जानवी कपूर जैसे, मोठे, रसीले और गुलाबी. माल ऐसा जैसे अब तक किसी ने टच भी न किया हो, लाखो का न सही सैकड़ो के लुंड खड़े कर सकती थी वो लड़की.

लेकिन मेरा लुंड खड़ा नहीं हुआ, अब पाठक बोलेंगे की भला क्यों, इतनी सुन्दर कन्या को देख के भी नहीं हुआ तो क्या अब गे को देख कहोगे क्या ?
तो पाठको बात ये है की माल तोह अच्छा है लेकिन क्या करे मैं ३५ वर्ष का व्यक्ति हूँ, यहाँ ये नवयौवना मेरे से उम्र आधी लग रही है, माना की लुंड छूट उम्र नहीं देखती लेकिन अब मैं इतना भी हरामी टाइप आदमी नहीं हूँ
Mast
 

rkv66

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जैसा की आप पाठको ने पढ़ा की उस सुन्दर सुकुमारी को देखके भी मेरे लन्ड में हलचल नहीं मची क्यूंकि वो मुझसे आधी उम्र की रही होगी . वह मुझसे फ़ोन पर बात करती हुई इधर उधर ढूंढ रही थी मैंने हाथ हिला कर अपनी और आकर्षित किया, मुझे लगा था की वह एक बाद मुझे देख के चौंकेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ, वो चेहरे पर हलकी मुस्कान लिए मेरे बिलकुल क़रीब आगयी, एक पल के हम दोनो कंफ्यूज हुए ही हाथ मिलाये या गले मिले फिर उसने हलके से हाथ आगे बढ़ाया मैंने अपना हाथ आगे बढ़ा के हैंडशेक किया, उसक चेहरे पर हलकी शर्म की लाली और एक कोमल सी मुस्कान थी, मैंने उसका थमा नरम मुलायम हाथ मेरी बड़ी हथेलियों में पूरा समां गया

मैंने पूछ कहा चले ?
चन्द्रमा : कही भी ?
मैं : पिज़्ज़ा पसंद है ?
चन्द्रमा : हाँ (नीची नज़रे किये हुए )

मैंने उसको लेके पास में बने पिज़्ज़ा हट में लेके गया, मैंने पिज़्ज़ा एंड कुछ ड्रिंक्स आर्डर की, फिर इधर उधर की बातें करते हुए पिज़्ज़ा ख़तम किया, बातों ही बातों में उसने बताया की आजकल उसका अपने bf से झगड़ा चल रहा है क्यूंकि वो इसके साथ और किसीको भी घुमा रहा है सुई के टेंशन ले ले के ये बीमार रहने लगी है. मैंने उसको समझया की अगर वो नहीं सुधर रहा तो वो ब्रेकअप करके अपनी जॉब एंड करियर पर ध्यान दे. कुछ और देर इधर उधर के बातें करके हम मॉल के बहार निकले, मैं अपने घर आगया वो भी अपने घर चली गयी.

मुझे लगा की अब वो शायद मुझसे नहीं मिलेगी आखिर हम दोनों की ऐज में इतना डिफरेंस जो था ऊपर से वो सुंदर है एक इशारे में उसे हज़ारो लड़के लण्ड पकडे खड़े मिल जायेंगे. लेकिन मेरा सोचना गलत निकला, नाईट महि उसका मैसेज आया की आज उसका दिन अच्छा गया और काफी दिनों बाद घर से बहार निकली और पिज़्ज़ा भी खाया. इसके बाद मैं थोड़ा कंफ्यूज था आखिर ये लड़की मुझसे क्या चाहती है?

इसका एक सीरियस बॉयफ्रेंड है फिर भी मुझसे बात करती है
मैंने ऐज में बड़ा हूँ और अब तोह मुझे देख भी चुकी फिर भी बात करने की इच्छुक है.

इसी उधेरबुन में कुछ समय और निकल गया, कभी कभी बात होती थी पर ज़्यदा नहीं क्यूंकि उसकी जॉब लग गयी एक इंस्टिट्यूट में, मैं भी काम में व्यस्त हो गया. लेकिन नियति अपने हिसाब से चलती है फिर यूँ हुआ की देश में कोरोना आगया और LOCKDOWN लग गया, एक दो दिन मस्त निकले, लगा एक दो दिन का है लेकिन रोज़ रोज़ सरकार के नियम बदलने से पता चल गया की सरकार को खुद नहीं पता क्या करना है, अब बोरियत होने लगी, मुझे घर में रहने की आदत नहीं, तोह अमिन अब इवनिंग में मोहल्ले के पार्क में योग करने जाने लगा, एक दिन योग के टाइम चन्द्रमा का कॉल आगया की बोर हो रही हूँ वीडियो कॉल करो, मैंने झट से फोन मिलाया देखा वो बीएड में लेती हुई है, हरे सूट में एकदम फ्रेश मनो अभी अभी नाहा के आयी हो, अधलेटी होने के कारन उसके चूचियों के उबार ने एक सुन्दर गहराई बना दी थी मेरा मन उस गहराई को देख के डोल गया, लेकिन जल्दी से मैंने अपने मन पर काबू किया.

बहुत देर इधर उधर के बातें हुई, उसने बताया की कुछ काम नहीं बस घर में पड़ी बोर होती रहती है ऊपर से BF से झगड़ा है इसलिए कोई बातचीत नहीं होती, मैंने पूछा मैं भी फ्री हूँ बोर होता रहता हूँ, मुझसे बात करोगी ?
उसने कहा हाँ क्यों नहीं ?

फिर क्या था दोस्तों मैंने लगभग २ महीने जबतक LOCKDOWN है उस से रेगुलर बात की, धीरे धीरे उसको अपनी एक्स GF और लव लाइव के बारे में बताया, मैंने नोटिस किया की जब मैंने उसको बताया की अमीने अपनी GF के साथ सेक्स किया है तोह उसकोकुछ खास फरक नहीं पड़ा, मुझे अंदाज़ा हो गया की इसके मन भी कुछ न कुछ है, खैर भगवन का करना LOCKDOWN थोड़ा थोड़ा खुला और मैं अपने काम पर जाने लगा लेकिन उसकी जॉब छूट गयी क्यूंकि इंस्टिट्यूट अभी भी बंद थे.

कोरोना के कारन ऑफिस में भी कुछ खास काम नहीं रहता तो मैं वह से भी उसको कॉल कर लिया करता था या वो बात कर लिया करती थी, एकदिन उसने मुझसे सरोजनी नगर मार्किट का पूछा, मैंने बताया की थोड़ा ओपन हुआ है तो उसने बोला की वो शॉपिंग करने आएगी, उसको एक रिलेटिव के यहाँ जाना है और कुछ कपडे खरीदने है, मैंने उसको रास्ता समझा दिया सरोजनी का लेकिन जिस दिन वो वह आने वाली थी उसने कॉल किया की वो अकेली आयी है मेरे साथ ही शॉपिंग करेगी, मैंने उसको रस्ते से पिक किया और हम पहुंच गए सरोनी नगर मार्किट.

थोड़ीदेर इधर उधर घूमने के बाद अचानक मैंने फील किया की उसने मेरा हाथ पकड़ा हुआ है जैसे एक लड़की अपने बॉयफ्रैंड का पकड़ती है, मार्किट कई मंथ के बाद खुली तो भीड़ खूब थी कोई भी कोरोना नियम का पालन नहीं कर रहा था, हम दोनों भी हाथ पकडे पकडे भीड़ में घुस गए कुछ देर बाद एक जगह हम कुछ कपडे देखने के लिए रुके तो मैंने अचानक अपने हाथ जो चन्द्रमा ने पकड़ा हुआ था पर एक गर्मी फील की, धायणा दिया तो मेरे होश उड़ गए मेरा हाथ उसके हाथ में फसा हुआ ठीक उसकी चूत के ऊपर था, ये फील करते है अचानक मेरा लण्ड गंगना गया.
न जाने कितने महीनो बाद ये गर्मी ये लण्ड की फुफकार महसूस की थी, मेरा लण्ड जीन्स में तन का खड़ा हो गया था,
हमने कुछ T-SHIRTS एंड टॉप ETC खरीदे लेकिन इन सब के बीच उसने मेरा हाथ नहीं छोड़ा, कुछ लेते टाइम वो ज़रूर हाथ चुदती लेकिन फिर मुका मिलते ही पकड़ लेती.

धीरे धीरे मेरी भी झिझक ख़तम होने लगी, अगर खुद लड़की अपने से बड़े ऐज के व्यक्ति के साथ कम्फर्टेबले है तोह फिर मुझे क्यों न मौके का फ़ायदा उठाना के थोड़ा मजा लेना चाहिए?
Erotic
 

rkv66

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खैर हम शॉपिंग पूरी करके मार्किट से थोड़ा बहार निकले, मेरी बाइक थोड़ा दूर पार्क थी, मैंने उस से आगे का प्लान पूछा, उसने कहा वो फ्री है और आराम से घर जाएगी, मेरे पास भी कुछ खास काम था नहीं तोह मैं उसको बाइक पर बिठा कर पास में ही बने दिल्ली हाट में ले गया, दिल्ली हाट थोड़ी पॉश मार्किट है वह अधिकतर सभ्य लोग ही आते है और ऊपर से कोरोना तोह लगभग पूरा खाली था, हमने सामान एक साइड रख के कुछ खाने का आर्डर किया और इधर उधर की बाते करने लगे, खाना ख़तम करके जब उठने लगे तोह उसने वेटर को बोलै की "भैय्या ये बैग यही रख लो हम थोड़ी देर में मार्किट का राउंड मार के आते है फिर ले लेंगे। भला वेटर को क्या ही समस्या हो सकती थी, पूरी मार्किट सूनसान थी इक्का दुक्का लोग ही या वह बैठे थे, उनके लिए तोह हर एक कस्टमर भगवन के समान थ।

हमने सामान वही छोड़ मार्किट में बनी कंकरीट की साफ़ सुथरी पगडंडियों पर चलना शुरू कर दिया, मैं चल थो चन्द्रमा के साथ रहा था लेकिन मेरा दिल बार बार मार्किट में घटित पलों की और जा रहा था, बार बार मन ये जानना चाहता था की क्या चन्द्रमा ने जान भूझ के मेरा हाथ अपनी कच्ची भट्टी जैसी गरम चूत पर रगड़ा था या ये सब संयोग मात्र था ? लेकिन दिमाग कह रहा था की ये संयोग नहीं हो सकता, दुनिया की कोई भी लड़की हो उसे अपने शरीर में होने वाले हर एक स्पर्श का एहसास होता है और ये स्पर्श तो उसके शरीर के सबसे कोमल अंग पर हुआ था तो भला उसको कैसे महसूस नहीं हुआ होगा? क्या चन्द्रमा मेरी परीक्षा ले रही है या वास्तव में ये मुझसे चौदवाना चाह रही है? मैं और चन्द्रमा किसी प्रेमी जोड़े की तरह एकदूसरे का हाथ थामे हलकी चाल से टहलते हुए मार्किट से थोड़ा दूर बने हुए पार्क के किनारे तक आगये और फिर पार्क की ठंडी नरम घास पर चहलकदमी करते हुए पार्क के दूसरे छोड़ के और आगे बढ रहे थे की तभी फिर से मेरे दिमाग ने झटका खाया और मेरे सोंच की तन्द्रा भांग हुई, इस बार जो तन्द्रा भांग हुई उसका कारन मेरे बाजु पर होने वाला वो अनोखा नरम गुदाज़ एहसास था जो मैंने अभी मासूस किया था, मैंने मह्सूस किया था चद्र्मा की नरम नाज़ुक चुचिओ का अपने बाज़ू पर, हुआ ये था की चन्द्रमा ने चलते चलते न जाने कब अपने दूसरे हाथ से मेरे बाज़ू कोठाम लिया था, जिसके कारन उसका आधा शरीर मेरे शरीर के साथ चिपक गया था और मेरे बाज़ू और कोहनी सीधा उसकी उभरी मस्त नरम नाज़ुक गोलाइयों को रगड़ रहे थे, इस एहसास ने मुझे जैसे नींद से जगा दिया था और अब मेरा पूरा धयान चन्द्रमा की चूचियों और और उसके रगड़ को अपने बाज़ुओ पर फील करने पर था, लण्ड महाराज फिर से टनटना आगये थे और फिर उसमे जवानी का जोश हलकारे मरने लगा था, लण्ड है ही ऐसी चीज़ जहा उसे हलकी सी भी चूत मिलने की सम्भावना दिखी नहीं की मारे ख़ुशी के लार टपकने लग जाता है, वो तोह शुक्र अंडरवियर था नहीं तोह अब तक जीन्स लण्ड के हरामीपन की निशानी दिखाए फिरता।
Excellent
 

rkv66

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मैकडोनाल्ड पहुंच मैंने आर्डर किया बर्गर एंड कोल्ड ड्रिंक्स और एक शांत सी टेबल ढूंढ के हम तीनो बैठ गए। एक ओर मैं अकेला और मेरे सामने चन्द्रमा और मुस्कान,सामने बैठ कर मुस्कान पर सबसे पहलेएक गहरी नज़र डाली, मुस्कान चन्द्रमा से उम्र और हाइट में छोटी नज़र आरही थी। हाइट ५ फुट से भी काम रही होगी, सावला सलोना रंग,एकहरा बदन,छोटी छोटी अमरुद जैसी चूचिया पतले शिफॉन के टॉप में तीर की भांति उभरी हुई, लगता था अभी ब्रा भी पहनना स्टार्ट नहीं किया था, उसके कंधे के जॉइंट से मुझे शमीज की काली स्ट्राप झांकती नज़र आरही थी, देखा जाये तोह अभी मुस्कान ने जैसे जवानी के दहलीज़ पर कदम रखा हो।

मैं मुस्कान का ऊपर से नीचे तक x-रे करने में इतना खो गया की भूलहि गया की मेरे सामने चन्द्रमा भी बैठी हुई है, चन्द्रमा ने हल्का सा टेबल पर रखे मेरे हाथ को टच किया तो मेरी तन्द्रा भांग हुई और मैं संभल के बैठ गया, दोनों लड़किया था झिझक रही थी तो मैंने ही बात स्टार्ट करते हुए चन्द्रमा से पूछा

मैं : तो ये अचानक इधर आने का प्लान कैसे बना ?
चन्द्रमा : अचकचाते हुए, वो मेरी एक दी रहती है कालकाजी के पास तोह वही जा रही थी मिलने की मेट्रो के बाहर ही मुस्कान मिल गयी तोह मैंने दी के यहाँ जाना कैंसिल कर दिया और सोचा आपके साइड घूमने आ जाऊँ। क्यों ठीक किया ना ?
मैं : हाँ, बहुत अच्छा किया इसी बहाने मुलाक़ात हो गयी मेरी भी मुस्कान से
मुस्कान : मुस्कुराते हुए, जी हाँ, कहंदु आपकी बड़ी तारीफ कर रही थी।
मैं : झूट, ज़रूर मेरी बुराई कर रही होगी मेरी,
चन्द्रमा : मैं क्यों बुराई करू आपकी, आपबहुत अच्छे और इंटेललेजेन्ट है
मुस्कान : हाँ,छोल रही थी की ऑफिस में जब ये नयी नयी थी तब आपने इसकी बहुत हेल्प की थी।
मैंने सवालिया नज़रो से चन्द्रमा की ओर देखा
चन्द्रमा : अरे मैंने मुस्कान बताया था किजब मैं कंपनी में नयी नयी आयी थी तब आप मेरे सीनियर थे और आपने मेरी बहुत हेल्प की थी और काम सिखाया था (मैं समझ गया की चन्द्रमा ने झूठी कहानी सुनाई थी, तभी हमारा आर्डर रेडी हो गया, मैंने बिल निकल कर मुस्कान को पकड़ाया और उसको इशारा किया आर्डर लेके आने के लिए , मैंने जान भुझ कर मुस्कान को आर्डर लेने भेजा था ताकि मैं चन्द्रमा से २ मिनट अकेले में बात कर सक। मुस्कान के जाते ही मैंने पूछा की बात क्या है ?

चद्र्मा : अरे ये रस्ते में मिली और चेप हो गयी की कोरोना के कारन कही बाहर नहीं निकली और स्कूल की भी छुट्टी है तो मुझे भी ले चलो, मेरे पास कोई चारा नहीं था इसीलिए लेके आना पड़ा, लेकिन आप चिंता मत करो ये किसी से कुछ नहीं कहेगी, वैसे खाने के बाद मैं इसको भगाने की कोशिश करुँगी बस आप मेरा साथ देना हाँ में हाँ मिला कर।
मैं : हाँ तो मैं तुम्हारी हाँ में हाँ ही मिला रहा हूँ तब से
चन्द्रमा : रहने दो आप तो, मैंने अभी देखा था ऐसे घर रहे थे जैसे उसको कच्चा ही खा जाओगे।
मैं : अरे नहीं, मैं तो ऐसे नहीं देखता, तुम ही बताओ क्या आजतक मैंने तुमको ऐसे घूर के देखा है ?
चद्र्मा : यही तो मुझे तो नहीं देखा कभी ऐसे, जैसे उसको देख रहे थे
मैं : अरे नहीं बाबा मैं तोह बस ऐसे ही देख रहा था

इतने में मुस्कान खाना लेके आगयी और फिर हम तीनो ईशर उधर के हसी मज़ाक करके बर्गर और ड्रिंक्स का आननद लेने लग गए। खाना खाते खाते मैंने नोटिस किया की चन्द्रमा बार बार अपना फ़ोन देखती, कॉल साइलेंट या रिजेक्ट करती और वापिस रख देती, एक बार मेरे मन में आया की पूंछू की किसकी काल है लेकिन मुस्कान के कारन चुप रहा, खाना ख़तम होते मुस्कान का फ़ोन बजने लगा, कॉलर का नाम देख के उसके चेहरे पर घबराहट दिखाई देने लगी, उसने मोबाइल की स्क्रीन टेढ़ी करके उसको कॉलर नाम दिखाया, एक पल के लिए चन्द्रमा के चेहरे के भाव बदले फिर उसने मुस्कान को इशारा किया की वो बाहर जाकर कॉल अटैंड कर ले। मुस्कान झट से फ़ोन लेके रेस्टुरेंट से बाहर चली गयी। मुस्कान के बाहर जाते ही खिसक कर वो बिलकुल मेरे सामने आगयी और मेरा हाथो पर अपना हाथ रख के बोली
चन्द्रमा : आजके लिए बुरा मत मान ना, मैंने प्लान किया था की हम आज फिर उसी दिन के जैसे कही घूमेंगे फिरेंगे और अच्छा फील करेंग।
मैं : अरे कोई बात नेक्स्ट संडे को आना किसी अच्छी जगह घूमने चलेंगे, उसके कोमल हाथोके सहलाते हुए कहा।

चन्द्रमा उस समय मेरी आँखों में आंखे डाले किसी प्रेम में डूबी प्रेमिका के जैसे आने वाले दिनों की आस जगा रही थी। ये वही पल था जब मैंने उसकी हिरणी जैसी आँखों में देखते हुए फैसला कर लिया था की जो भी हो अब ये मेरी है और मैं इसका, ना कोई उम्र की सीमा , न कोई जात पात और ना कोई समाज का बंधन, ये वो पल था जब मैंने पहली बार चन्द्रमा के लिए अपने मन में प्रेम के सागर को हिलोरे मरता हुआ महसूस किया था। हमदोनो न जाने कितनी देर तक एक दूसरे की और एक टक देखते रहे की तभी मुझे बाहर से मुस्कान हाथ हिलती नज़र आयी,वो चन्द्रमा को बुला रही थी, चन्द्रमा ने पलट के मुस्कान की ओर देखा और उठ कर बाहर निकल गयी, बाहर निकलते टाइम उसने गिलास डोर से मेरी ओर देखे एक हलकी सा मुस्कुराई और फिर वो मुस्कान कीऔर मुड़ गयी, फ़ोन मुस्कान से लेके अपने कानो से लगाया और फ़ोन पर बात करने लगी, मैंने बाहर से धयान हटा कर अभी जो कुछ हुआ था हमारे बीच उसके बारे में सोचने लगा, कितना खुशनसीब हूँ मैं जो चन्द्रमा मिली, जबसे ये मेरे जीवन में आयी है तब से नीलू के जाने का दर्द भूल सा गया हूँ, ठीक ही तो अब मैं नीलू की यादो से जुडी सारी बातों को भुला दूंगा, उसकी चैट्स, उसकी पिक्स, उसके गिफ्ट्स सब मिटा दूंगा सिर्फ और सिर्फ चन्द्रमा के लिये। मैं ऐसे ही न जाने कितनी देर टक मक्डोनल्ड की टेबल पर अकेला बैठा रहा और आने वाले दिन में दिनों अपने और चद्र्मा के प्यार का सोच सोच कर मुस्कुराता रहा।
Keep going
 

rkv66

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मैक्डोनाल्ड में अकेले बैठे बैठे आधा घंटा बीत गया होगा लेकिन दोनों लड़किया अभी तक वापस नहीं आयी थी, अब मुझे थोड़ी चिंता होने लगी , मैं भी मक्डोनल्ड के बहार निकला लेकिन बहार भी लड़कियों का अता पता नहीं था, 2-४ मिनट इधर उधर ढूंढने के बाद मैंने जेब से अपना फ़ोन निकला, इस से पहले की मैं नंबर डायल करता, मेरा फ़ोन बज उठा, फ़ोन चन्द्रमा का ही था, मैं झट से कॉल पिक किया
चन्द्रमा : हेलो
मैं : हेलो कहा गायब हो गयी मैं कब से ढूंढ रहा था
चन्द्रमा : सॉरी हम घर के लिए निकल गए
मैं : अचानक ऐसे कैसे ?
चन्द्रमा : बाद में बताउंगी
मैं : लेकिन फिर भी कुछ तो बताओ कोई दिक्कत है क्या ?
चन्द्रमा : हाँ थोड़ी
मैं : क्या हुआ ?
चन्द्रमा : नहीं न बाद में बताउंगी
मैं : बस ये बता दो की तुम्हारी कोई दिक्कत है या मुस्कान की
चन्द्रमा : मुस्कान की

ये सुनके मुझे सुकून आया, चिंता रफूचक्कर हुई।

मैं : ठीक है कोई ज़ायदा टेंशन की बात हो तो बताना
चन्द्रमा : आप को नहीं बताउंगी तो किसको बताउंगी, आपसे ही तो अपनी हर बात शेयर करती हूँ
मैं : हाँ मैं जनता हूँ (ये सुनके बहुत अच्छा लगा ) मन में आया वही फ़ोन पर आए लव यू बोल दू , लेकिन खुद को रोक लिया , किसी दिन नज़रो के सामने कहूंगा अकेले में ताकि उस ख़ास पल को हमेशा याद रख सकू।

चन्द्रमा : अच्छा ठीक है मैं फ़ोन रखती हूँ , आप अब कॉल मत करना जब तक मैं न बोलू
मैं : ठीक है जब इस पंगे से फ्री हो जाओ तो मुझे कॉल कर लेना मैं वेट करूँगा
चन्द्रमा : ठीक है बाई
मैं : ओके बाई

अब मैं वहा रुक क्या ही करता ? बाइक उठाई और ऑफिस आगया, करने को कुछ था नहीं, संडे का दिन था, मैं ऑफिस में आके चेयर पर रिलैक्स्ड होकर पसर गया और आंखे बाद कर ली। आँखे बंद करते ही फिर वही चन्द्रमा का चाँद सा मासूम मुखड़ा खयालो में मौजूद था, वो सुन्दर गहरी आँखे, छोटा सा क्यूट फेस, शरारत भरी मुस्कान और कभी शर्म से झुकती निगाहे, मन किया की फ़ोन उठा के अभी कॉल कर दू लेकिन खुद को रोका, आखिर उसने मन किया था पता नहीं मुस्कान बहनचोद क्यों आयी, बहन की लौड़ी अगर नहीं आयी होती तो मैं और चन्द्रमा अभी इस खाली ऑफिस में एक दूजे के साथ बैठे होते, मुझे मुस्कान पर बड़ा गुस्सा आरहा था पर कुछ कर नहीं सकता सिवाए मुस्कान को गाली देने के।

मैं हाथ बढ़ा कर कंप्यूटर ऑन किया लेकिन कुछ था ही नहीं करने को तो करता क्या ? फिर अचानक कुछ सोच कर मैंने अपना व्हाट्सप्प कंप्यूटर पर लॉगिन कर लिया और चन्द्रमा के पुराने व्हाट्सप्प मैसेज पढ़ने लगा। स्क्रॉल करते करते मैं उस दिन की चाट पर जा पंहुचा जब मुझे मुझे अपनी ग्रीन सूट में पिक भेजी थी। वो पिक देख में फिर उसके खयालो में खो गया, वाइट एंड ग्रीन प्रिंटेड कॉटन सूट में वो बाला की सुनदर लग रही थी, देखके साथ पता चल रहा था की कुछ देर पहले ही नहा के निकली हो, एक दम फ्रेश तरोताज़ा चेहरा, बिना मेकअप और लिपस्टिक वाले रस टपकते गुलाबी होने, आह क्या सुन्दर सुकोमल कन्या है, मन ख़ुशी में सीत्कार कर उठा, मैं उसी पिक को कंप्यूटर पर बड़ा करके ज़ूम कर करके देख रहा था, हर एंगल से सुंदरता टपक रही थी, इस बार मैंने जो ज़ूम किया पिक्चर को तो सीधा क्लीवेज पर, अधलेटी अवस्था में थी आगे से कुरता खींचा हुआ था तो चूचियों की गोलाइयाँ साफ़ दिख रही थी, थोड़ा और ज़ूम करने पर हल्का निप्पल्स का उभर भी नज़र आगया।

ओह्ह लगता था वो बिना ब्रा के थी , उसके खड़े निप्पल्स और और बिना ब्रा का सोंचते ही लैंड महाराज ने ठुमकना स्टार्ट कर दिया और मेरा मन भी बईमान होने लगा, मैं चन्द्रमा की फोटो देखता देखता खयालो की दुनिया में खो गय। खयालो में खोये खोये ही न जाने कब मैंने पाने लुण्ड को पैंट से बहार निकल कर मुठ मरना स्टार्ट कर दिया, मैं कुर्सी पर अधलेटा चन्द्रमा की कोमल काया, उसके अनछुई चूचियों ओर बिना चुदी चूत की कल्पना करते हुए लण्ड के हाथो की मुट्ठी में जड़के तेज़ी से आगे पीछे करने लगा, चन्द्रमा की हर एक अदा मेरी आँखों के सामने थी ओर हर अदा मेरे लण्ड का जोश बढ़ा रही थी हर गुज़रते पल के साथ मेरा कण्ट्रोल अपने लुंड पर से छूटता जा रहा था, फिर जैसे दिमाग में एक धमक सा हुआ असीम आननद का ओर मेरे लुंड ने वीर्य की पिचकारी छोड़नी स्टार्ट कर दी, हर निकलते वीर्य की पिचकाररी के साथ दिल ओर दिमाग मस्ती ओर मज़े की अनोखी दुनिया में था,

कुछ मिनट बाद जब खयालो की दुनिया से बहार आया ओर आंख खोली तो खुद पर शर्मा आने लगी, कुर्सी के नीचे ओर सामने वीर्य ही वीर्य था , फिर उठाई ओर सामने देखा तो मुट्ठ इतनी ज़बरदस्त थी की लण्ड से निकलने वाला अधिकतर माल सीधा जाकर दिवार पर गिरा, जो अभी मुठ मरने में मज़ा आया था वो अब किरकिरा होगा, मैं में गिल्ट की भावना जागने लगे की ये क्या किया , मुठ ही मारनी थी तोह बाथरूम में जाके मरता, ये सब गंदगी साफ़ करनी पड़ेगी, मैं नहीं चाहता था की कल कोई स्टाफ ऑफिस में आये ओर ये देखे, थोड़ी देर बाद उठकर मने सब साफ़ किया ओर कंप्यूटर से व्हाट्सप्प ओर हिस्ट्री etc क्लियर करके घर निकल गय।
Wow
 

rkv66

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दो तीन दिन ऐसे ही निकल गए, क्योँकि उसका यौन 2-३ दिन के लिए कांटेक्ट से बहार जाना कोई नयी बात नहीं थी, पहले भी वो कई बार ऐसा कर चुकी थी, वैसे भी उस दिन की घटना के बाद से मुझे पक्का यक़ीन हो चला था की अब बात बन चुकी है बस अब सामने से आई लव यू बोलना बचा है केवल,काहिर 2-३ दिन गुर्जरने के बाद थोड़ी चिंता हुआ, माल अपना है ये यक़ीन तो है लेकिन दुनिया बड़ी मादरचोद है कहीं कोई मेरे माल पर हाथ न साफ़ करले अब ऐसा सोंच के मन थोड़ा अशांत हुआ फिर एक दो दिन में ये अशांति चिंता में बदल गयी, अब लगभग एक सप्ताह होने वाला था लेकिन चन्द्रमा का कुछ पता नहीं, न कोई कॉल न कोई मैसेज, आखिरकार शनिवार के दिन मैंने हिम्मत करके एक मश्ग दाल्हि दिया उसके व्हाट्सप्प पर " हेलो कहा गायब" करके। लेकिन मैसेज डिलीवर नहीं हुआ ओनली एक टिक बानी रही व्हाट्सप्प पर, सुबह से शाम हो गयी लेकिन वही सिंगल टिक, पुरे दिन में न जाने कितनी बार चेक किया लेकिन हर बार सिंगल तिवक देख के मन उदास रहा,

रात में जब खाना खा के सोने के लिए लेटा और फ़ोन चेक किया तो देखा मैसेज डिलीवर हो गया था, ब्लू टिक नहीं बना था रीड वाला लेकिन डबल टिक मतलब मैसेज डिलीवर हो गया। ये देख के इतनी ख़ुशी हुई की मानो व्हाट्सप्प का आविष्कार मैंने ही किया हो केवल चन्द्रमा का मैसेज करने के लिए और पहला मैसेज उसके मोबाइल पर जाने के ख़ुशी में नाच उठा हू। रात और रात के बाद संडे का आधा दिन ऐसे निकला, न मैसेज रीड हुआ ना कोई जवाब आया ना कोई खबर। संडे था तो घर पर ही पड़ा रहा, एक दो कॉल आयी लेकिन मैंने नोटिस नहीं किया वैसे भी मैं संडे को कॉल बहुत कम पिक करता हू। शाम के टाइम मैं घर के लिए कुछ सामान लेने मार्किट निकला के फ़ोन बजने लगा लेकिन मैंने पिक नहीं किआ लेकिन फिर बार बार बजने लगा तो मैंने झल्ला के फ़ोन उठा लिया और लगभग डांटते हुए बोला
मैं : डोंट डिस्टर्ब में आज ऑफ है
कॉलर : आप कोण बोल रहे हो
मैं : (और ज़यादा गुस्से से), बोला न कल ऑफिस टाइम में कॉल करना, आज ऑफ डे है
कॉलर : मुझे तुमसे बात करनी है अभी
मैं : भाई बोला न आज ऑफ है ऑफिस की बात ऑफिस में
कॉलर : ये ऑफिस की बात नहीं है पर्सनल है मुझे अभी करनी है (उसकी आवाज़ में अजीब सा गवरपान था)
मैं : अच्छा ठीक है बोलो कोनसी बात करनी है पर्सनल वाली
कॉलर : आप नाम बताओ पहले अपना
मैं : तुमने किसको मिलाया है तुम्हे नहीं पता क्या ?
कॉलर : आप समीर बोल रहे हो ?
मैं : हाँ मैं समीर ही हूँ , तुम कौन हो ?
कॉलर : मैं दीपक बोल रहा हूँ
मैं : कौन दीपक ?
दीपक : दीपक सैनी फरीदाबाद से
मैं : भाई जो भी हो मैं किसी दीपक को नहीं जानता, (फरीदाबाद के नाम से थोड़ा चौंका, ये दीपक कौन है साला )
दीपक : चन्द्रमा को तो जानते हो आप ?
मैं : (अब एक दम से बत्ती जली, लगता है ये चन्द्रमा का एक्स bf है उसका नाम भी दीपक ही था ) हाँ जानता हूँ चन्द्रमा को
दीपक : कैसे जानते हो उसको ?
मैं : ये मैं तुमको क्यों बताओ, और तुम हो कौन ये पूछे वाले की मैं किसको जानता हूँ किसको नहीं
दीपक : क्योँकि चन्द्रमा मेरी होने वाली पत्नी है
मैं : (ये सुनके मेरा मूड सड़ गया) कंग्रॅजुलेशन तुम दोनों को, फिर कब है शादी ?
दीपक : शादी वादी तो तब होगी ना जब तुम उसका पीछा छोड़ोगे
मैं : (बहनचोद, ये तो डायरेक्ट मेरे पर ब्लामे डाल रहा है) मैंने कौन सा उसे घर में बंद करके रखा है या रस्सी से बंध राखी है, जिस से उसका मन उसते सँग करेगी शादी,
दीपक : मैं उस से प्यार करता हूँ वो भी मेरे से प्यार करती है पर जब से तुमसे मिली है हर दिन लड़ती है ढंग से बात भी करती और फ़ोन करो तो फ़ोन काट देती है।
मैं : भाई तेरे करम ही ऐसे होंगे जिसके कारन ऐसा कर रही है, इसमें मेरी क्या गलती है, मैंने थोड़ा न बोला है की तेरे से बात करे या मत करे, ये तुम दोनों के बीच की बात है तुम देखो
दीपक : मैंने सब चेक कर लिया, वो आजकल केवल तुमसे बात करती या मैसेज करती है और किसी से नहीं करती, तुमने ही उसे अपने चक्कर में फास रखा है
मैं (ये सुन के गुस्सा आगया) वो क्या पंछी है की मैंने उसे पिंजड़े में बंद कर लिया, उसकी मर्ज़ी है चाहे तेरे पास रहे या और किसी के संग और हमारे बीच ऐसी कोई बात नहीं है, सिंपल दोस्त है ओनली।
दीपक : झूट, दोस्ती में कोई इतनी बात नहीं करता जितनी वो तुमसे करती है, बहनचोद तूने चन्द्रमा चोद दी है क्या ?
मैं : एक मिनट रुक (फ़ोन में रिकॉर्डिंग स्टार्ट करने के लिए ), हाँ अब बोलक्या बोल रहा था?
दीपक : दीपक ये बता की तूने चन्द्रमा चोद दी है क्या ?
मैं : क्योँ तुझे क्या लगता है वो ऐसे चैरेक्टर की लड़की है क्या ?
दीपक : अरे उसे तो मैं रोक के रखता हूँ , उसे स्लीवलेस्स पहने नहीं देता, न छोटे कपडे, न लड़को से बात करने देता हूँ, नहीं तो आजकल के लड़के मौका देख के कब चोद दे पता नहीं लगत।
मैं : फिर तो तू उसे सांस भी गिन के दिलवाता होगा ?
दीपक : मतलब?
मैं : बहनचोद, तू आदमी है या चुटिया है, किसी अनजान आदमी से जिससे आज तक तू मिला नहीं, तेरे को पता नहीं की मेरा उसका क्या रिलेशन है, जिसे तू अभी ५ मिनट पहले होने वाली पत्नी बता रहा था उसकी चुदाई और चूत मारने की बात बता रहा है। शर्म कर ले थोड़ी
और रही बात मेरी और चन्द्रमा की तो मुझे नहीं पता की उसने क्या बोला मेरे बारे में लेकिन हम केवल दोस्त है और जो कुछ तू सोच रहा है वो तेरी गन्दी सोंच है केवल, और रही बात कपड़ो की, तो अगर चन्द्रमा मेरी गिर्ल्फ्रैंड होती तो मैं उसे पूरी आज़ादी देता जो मन चाहे पहने, जो मन चाहे खाये पिए और दोस्तों के साथ घूमे, कपडे से कुछ नहीं होता जिसको करना होगा सात ताले में बंद करके रखोगे ना तब भी कुछ न कुछ तरीका निकल लेगी और जिसको नहीं करना होगा वो सब सामने हो के भी नहीं करेगी समझा।
दीपक : अच्छा फिर तुम उसको पैसे क्यों देते हो, सब चूत के चक्कर में ही पैसे खरच करते है ?
मैं : मैंने कौन से पैसे दिए उसे ?
दीपक : वो तीन हज़ार जो तुमसे लेके वो मेरे पीछे पीछे पटना आयी थी ?
मैं : उन पैसो का क्या ? वो उसने उधार लिए और चूका दिए ? क्यों उधार केवल उनको ही देते है जिसकी चूत मारनी हो ? फिर तो तू जिनसे उधार लेता होगा उनको बदले में अपनी गांड देता होगा।
दीपक : (भड़कते हुए) कोई पैसे नहीं लौटाए इस रंडी ने
मैं : पहली बात मेरे सामने उसको गाली मत दो, दूसरी बात मैं ये साल रिकॉर्ड कर रहा हूँ, इस कॉल को काट के मैं इसकी रिकॉर्डिंग चन्द्रमा का भेजूंगा, तीसरी बात आज के बाद मुझे फिर कभी कॉल मत करना मुझे चूतियों से बात करना पसंद नहीं है, चौथी और लास्ट बात , तुझे शायद पता नहीं है लेकिन मैं बता दू की मैं तेरे जैसा 20-२५ साल का लौंडा नहीं हूँ , ३५ साल का खेला खाया मर्द हूँ , जो तू दो चार चूतिये दोस्तों पर अकड़ रहा होगा इनसे दुगने है मेरे यार दोस्त, रहनेवाला बागपत का हूँ, अर जो अपनी पे आगया तो वही फरीदाबाद में गाड़ मार लूंगा और कोई बचाने वाला भी नहीं मिलेगा । इतना कह बिना उसकी सुने मैंने कॉल कट कर दी।

फ़ोन कटा तो पता लगा की पीछे से चन्द्रमा की 2-३ कॉल मिस्ड कॉल में पड़ी थी, लड़ाई के जोश में पता नहीं लगा की कॉल वाइटिंग में है, मैंने जल्दी से कॉल लगाया
मैं : हाँ बोलो
चन्द्रमा : आपके पास किसी का कॉल आया था क्या ?
मैं : क्यों क्या हुआ ?
चन्द्रमा : लम्बी बात है बाद में बताउंगी, बस पता नहीं दीपक को कैसे मेरा आप का पता लग गया है और वो ड्रामे कर रहा है, आपका कल वाला मैसेज देख लिया उसने और बस तब लाडे जा रहा है, अगर उसका कॉल आये तो बोल्डेन की मेरा आपका कुछ नहीं है जस्ट फ्रेंड है हम
मैं : उसका कॉल आ चुका है, मेरी उस से लड़ाई हो गयी है, और मैंने कुछ पार्ट कॉल की रिकॉर्ड कर ली है तुमको भेजने के लिए,
चन्द्रमा : प्लेस मुझे भेज दो, अब वो फिर लड़ेगा तोह मुझे पता रहेगा क्या बोला है उसने आपको
मैं : हाँ वो भेज दूंगा, लेकिन तुम ये बताओ उसने तुमको मारा पीटा तोह नहीं,
चन्द्रमा : न अब उसकीतनी भी मजाल नहीं, बस वर्बल फाइट, आपवो रिकॉर्डिंग भेजो
मैं : ठीक है भेज रहा हूँ, अब फिर कब बात होगी ?
चन्द्रमा : आप कोई कॉल मैसेज मत करना, मैं खुद करुँगी , अभी ये पता नहीं क्या क्या ड्रामे करेगा पहले उसे झेल लू।

मैंने उसको रिकॉर्डिंग भेजदि, मैंने जान बुझ के एक दो बात दीपक से ऐसी कही थी जिस से वो झल्ला के चन्द्रमा के अगेंस्ट कहे और मैंने कुछ भी ऐसे नहीं कहा जो मुझे चन्द्रमा की नज़रों में बुरा बनत। मैं घर आगया, अब मुझे इन्तिज़ार था अगले कदम का, देखते है क्या होता है और कौन उठता है अगला कदम।
Fantastic. Tempo building up
 
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