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Erotica जवानी जानेमन (Completed)

malikarman

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मैकडोनाल्ड पहुंच मैंने आर्डर किया बर्गर एंड कोल्ड ड्रिंक्स और एक शांत सी टेबल ढूंढ के हम तीनो बैठ गए। एक ओर मैं अकेला और मेरे सामने चन्द्रमा और मुस्कान,सामने बैठ कर मुस्कान पर सबसे पहलेएक गहरी नज़र डाली, मुस्कान चन्द्रमा से उम्र और हाइट में छोटी नज़र आरही थी। हाइट ५ फुट से भी काम रही होगी, सावला सलोना रंग,एकहरा बदन,छोटी छोटी अमरुद जैसी चूचिया पतले शिफॉन के टॉप में तीर की भांति उभरी हुई, लगता था अभी ब्रा भी पहनना स्टार्ट नहीं किया था, उसके कंधे के जॉइंट से मुझे शमीज की काली स्ट्राप झांकती नज़र आरही थी, देखा जाये तोह अभी मुस्कान ने जैसे जवानी के दहलीज़ पर कदम रखा हो।

मैं मुस्कान का ऊपर से नीचे तक x-रे करने में इतना खो गया की भूलहि गया की मेरे सामने चन्द्रमा भी बैठी हुई है, चन्द्रमा ने हल्का सा टेबल पर रखे मेरे हाथ को टच किया तो मेरी तन्द्रा भांग हुई और मैं संभल के बैठ गया, दोनों लड़किया था झिझक रही थी तो मैंने ही बात स्टार्ट करते हुए चन्द्रमा से पूछा

मैं : तो ये अचानक इधर आने का प्लान कैसे बना ?
चन्द्रमा : अचकचाते हुए, वो मेरी एक दी रहती है कालकाजी के पास तोह वही जा रही थी मिलने की मेट्रो के बाहर ही मुस्कान मिल गयी तोह मैंने दी के यहाँ जाना कैंसिल कर दिया और सोचा आपके साइड घूमने आ जाऊँ। क्यों ठीक किया ना ?
मैं : हाँ, बहुत अच्छा किया इसी बहाने मुलाक़ात हो गयी मेरी भी मुस्कान से
मुस्कान : मुस्कुराते हुए, जी हाँ, कहंदु आपकी बड़ी तारीफ कर रही थी।
मैं : झूट, ज़रूर मेरी बुराई कर रही होगी मेरी,
चन्द्रमा : मैं क्यों बुराई करू आपकी, आपबहुत अच्छे और इंटेललेजेन्ट है
मुस्कान : हाँ,छोल रही थी की ऑफिस में जब ये नयी नयी थी तब आपने इसकी बहुत हेल्प की थी।
मैंने सवालिया नज़रो से चन्द्रमा की ओर देखा
चन्द्रमा : अरे मैंने मुस्कान बताया था किजब मैं कंपनी में नयी नयी आयी थी तब आप मेरे सीनियर थे और आपने मेरी बहुत हेल्प की थी और काम सिखाया था (मैं समझ गया की चन्द्रमा ने झूठी कहानी सुनाई थी, तभी हमारा आर्डर रेडी हो गया, मैंने बिल निकल कर मुस्कान को पकड़ाया और उसको इशारा किया आर्डर लेके आने के लिए , मैंने जान भुझ कर मुस्कान को आर्डर लेने भेजा था ताकि मैं चन्द्रमा से २ मिनट अकेले में बात कर सक। मुस्कान के जाते ही मैंने पूछा की बात क्या है ?

चद्र्मा : अरे ये रस्ते में मिली और चेप हो गयी की कोरोना के कारन कही बाहर नहीं निकली और स्कूल की भी छुट्टी है तो मुझे भी ले चलो, मेरे पास कोई चारा नहीं था इसीलिए लेके आना पड़ा, लेकिन आप चिंता मत करो ये किसी से कुछ नहीं कहेगी, वैसे खाने के बाद मैं इसको भगाने की कोशिश करुँगी बस आप मेरा साथ देना हाँ में हाँ मिला कर।
मैं : हाँ तो मैं तुम्हारी हाँ में हाँ ही मिला रहा हूँ तब से
चन्द्रमा : रहने दो आप तो, मैंने अभी देखा था ऐसे घर रहे थे जैसे उसको कच्चा ही खा जाओगे।
मैं : अरे नहीं, मैं तो ऐसे नहीं देखता, तुम ही बताओ क्या आजतक मैंने तुमको ऐसे घूर के देखा है ?
चद्र्मा : यही तो मुझे तो नहीं देखा कभी ऐसे, जैसे उसको देख रहे थे
मैं : अरे नहीं बाबा मैं तोह बस ऐसे ही देख रहा था

इतने में मुस्कान खाना लेके आगयी और फिर हम तीनो ईशर उधर के हसी मज़ाक करके बर्गर और ड्रिंक्स का आननद लेने लग गए। खाना खाते खाते मैंने नोटिस किया की चन्द्रमा बार बार अपना फ़ोन देखती, कॉल साइलेंट या रिजेक्ट करती और वापिस रख देती, एक बार मेरे मन में आया की पूंछू की किसकी काल है लेकिन मुस्कान के कारन चुप रहा, खाना ख़तम होते मुस्कान का फ़ोन बजने लगा, कॉलर का नाम देख के उसके चेहरे पर घबराहट दिखाई देने लगी, उसने मोबाइल की स्क्रीन टेढ़ी करके उसको कॉलर नाम दिखाया, एक पल के लिए चन्द्रमा के चेहरे के भाव बदले फिर उसने मुस्कान को इशारा किया की वो बाहर जाकर कॉल अटैंड कर ले। मुस्कान झट से फ़ोन लेके रेस्टुरेंट से बाहर चली गयी। मुस्कान के बाहर जाते ही खिसक कर वो बिलकुल मेरे सामने आगयी और मेरा हाथो पर अपना हाथ रख के बोली
चन्द्रमा : आजके लिए बुरा मत मान ना, मैंने प्लान किया था की हम आज फिर उसी दिन के जैसे कही घूमेंगे फिरेंगे और अच्छा फील करेंग।
मैं : अरे कोई बात नेक्स्ट संडे को आना किसी अच्छी जगह घूमने चलेंगे, उसके कोमल हाथोके सहलाते हुए कहा।

चन्द्रमा उस समय मेरी आँखों में आंखे डाले किसी प्रेम में डूबी प्रेमिका के जैसे आने वाले दिनों की आस जगा रही थी। ये वही पल था जब मैंने उसकी हिरणी जैसी आँखों में देखते हुए फैसला कर लिया था की जो भी हो अब ये मेरी है और मैं इसका, ना कोई उम्र की सीमा , न कोई जात पात और ना कोई समाज का बंधन, ये वो पल था जब मैंने पहली बार चन्द्रमा के लिए अपने मन में प्रेम के सागर को हिलोरे मरता हुआ महसूस किया था। हमदोनो न जाने कितनी देर तक एक दूसरे की और एक टक देखते रहे की तभी मुझे बाहर से मुस्कान हाथ हिलती नज़र आयी,वो चन्द्रमा को बुला रही थी, चन्द्रमा ने पलट के मुस्कान की ओर देखा और उठ कर बाहर निकल गयी, बाहर निकलते टाइम उसने गिलास डोर से मेरी ओर देखे एक हलकी सा मुस्कुराई और फिर वो मुस्कान कीऔर मुड़ गयी, फ़ोन मुस्कान से लेके अपने कानो से लगाया और फ़ोन पर बात करने लगी, मैंने बाहर से धयान हटा कर अभी जो कुछ हुआ था हमारे बीच उसके बारे में सोचने लगा, कितना खुशनसीब हूँ मैं जो चन्द्रमा मिली, जबसे ये मेरे जीवन में आयी है तब से नीलू के जाने का दर्द भूल सा गया हूँ, ठीक ही तो अब मैं नीलू की यादो से जुडी सारी बातों को भुला दूंगा, उसकी चैट्स, उसकी पिक्स, उसके गिफ्ट्स सब मिटा दूंगा सिर्फ और सिर्फ चन्द्रमा के लिये। मैं ऐसे ही न जाने कितनी देर टक मक्डोनल्ड की टेबल पर अकेला बैठा रहा और आने वाले दिन में दिनों अपने और चद्र्मा के प्यार का सोच सोच कर मुस्कुराता रहा।
Lovely update
 
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blinkit

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मैक्डोनाल्ड में अकेले बैठे बैठे आधा घंटा बीत गया होगा लेकिन दोनों लड़किया अभी तक वापस नहीं आयी थी, अब मुझे थोड़ी चिंता होने लगी, मैं भी मक्डोनल्ड के बाहर निकला लेकिन बाहर भी लड़कियों का अता पता नहीं था, 2-४ मिनट इधर उधर ढूंढने के बाद मैंने जेब से अपना फ़ोन निकला, इस से पहले की मैं नंबर डायल करता, मेरा फ़ोन बज उठा, फ़ोन चन्द्रमा का ही था, मैं झट से कॉल पिक किया

चन्द्रमा : हेलो
मैं : हेलो अरे कहाँ गायब हो गयी मैं कब से ढूंढ रहा हूँ
चन्द्रमा : सॉरी समीर जी हम घर के लिए निकल गए
मैं : अचानक क्यों, क्या हुआ ?
चन्द्रमा : बाद में बताउंगी
मैं : लेकिन फिर भी कुछ तो बताओ कोई दिक्कत है क्या ?
चन्द्रमा : हाँ थोड़ी
मैं : क्या हुआ ?
चन्द्रमा : नहीं ना बाद में बताउंगी
मैं : बस ये बता दो की तुम्हारी कोई दिक्कत है या मुस्कान की
चन्द्रमा : मुस्कान की

मुझे ये सुनकर सुकून आया, चिंता रफूचक्कर हुई।

मैं : ठीक है कोई ज़ायदा टेंशन की बात हो तो बताना
चन्द्रमा : आप को नहीं बताउंगी तो फिर किसको बताउंगी, आपसे ही तो अपनी हर बात शेयर करती हूँ
मैं : हाँ मैं जनता हूँ

(ये सुनके बहुत अच्छा लगा) मन में आया वही फ़ोन पर आयी लव यू बोल दू , लेकिन खुद को रोक लिया , किसी दिन नज़रो के सामने कहूंगा अकेले में ताकि उस दिन ये पल हम दोनों के लिए खास बन जाये।

चन्द्रमा : अच्छा ठीक है मैं फ़ोन रखती हूँ , आप अब कॉल मत करना जब तक मैं ना बोलू करने के लिए।
मैं : ठीक है जब इस पंगे से फ्री हो जाओ तो मुझे कॉल कर लेना मैं वेट करूँगा
चन्द्रमा : ठीक है बाई
मैं : ओके बाई

अब मैं वहा रुक क्या ही करता ? बाइक उठाई और ऑफिस आगया, करने को कुछ था नहीं, संडे का दिन था, मैं ऑफिस में आकर चेयर पर रिलैक्स्ड होकर पसर गया और आंखे बाद कर ली। आँखे बंद करते ही फिर वही चन्द्रमा का चाँद सा मासूम मुखड़ा खयालो में मौजूद था, वो सुन्दर गहरी आँखे, छोटा सा क्यूट फेस, शरारत भरी मुस्कान और कभी शर्म से झुकती निगाहे, मन किया की फ़ोन उठा के अभी कॉल कर दू लेकिन खुद को रोका, आखिर उसने मना किया था पता नहीं मुस्कान बहनचोद क्यों आयी, बहन की लौड़ी अगर नहीं आयी होती तो मैं और चन्द्रमा अभी इस खाली ऑफिस में एक दूजे के साथ बैठे होते, मुझे मुस्कान पर बड़ा गुस्सा आरहा था पर कुछ कर नहीं सकता सिवाए मुस्कान को गाली देने के।

मैं हाथ बढ़ा कर कंप्यूटर ऑन किया लेकिन कुछ था ही नहीं करने को तो करता क्या ? फिर अचानक कुछ सोच कर मैंने अपना व्हाट्सप्प कंप्यूटर पर लॉगिन कर लिया और चन्द्रमा के पुराने व्हाट्सप्प मैसेज पढ़ने लगा। स्क्रॉल करते करते मैं उस दिन की चैट पर जा पंहुचा जब मुझे मुझे अपनी ग्रीन सूट में पिक भेजी थी। वो पिक देख में फिर उसके खयालो में खो गया, वाइट एंड ग्रीन प्रिंटेड कॉटन सूट में वो बला की सुन्दर लग रही थी, देखकर पता चल रहा था की कुछ देर पहले ही नहा के निकली हो, एक दम फ्रेश तरोताज़ा चेहरा, बिना मेकअप और लिपस्टिक वाले रस टपकते गुलाबी होंठ, आह क्या सुन्दर सुकोमल कन्या है, मन ख़ुशी में सीत्कार कर उठा, मैंने उसकी फोटो को कंप्यूटर पर ज़ूम कर कर के देख रहा था, हर एंगल से सुंदरता टपक रही थी, इस बार मैंने जो ज़ूम किया पिक्चर को तो सीधा क्लीवेज पर ज़ूम हुई, अधलेटी अवस्था में थी आगे से कुरता खींचा हुआ था तो चूचियों की गोलाइयाँ साफ़ दिख रही थी, थोड़ा और ज़ूम करने पर हल्का निप्पल्स का उभार भी नज़र आ गया।

ओह्ह लगता था वो बिना ब्रा के थी , उसके खड़े निप्पल्स और और बिना ब्रा का सोंचते ही लण्ड महाराज ने ठुमकना स्टार्ट कर दिया और मेरा मन भी बईमान होने लगा, मैं चन्द्रमा की फोटो देखता देखता खयालो की दुनिया में खो गय। खयालो में खोये खोये ही ना जाने कब मैंने लुण्ड को पैंट से बहार निकल कर मुठ मरना स्टार्ट कर दिया, मैं कुर्सी पर अधलेटा चन्द्रमा की कोमल काया, उसके अनछुई चूचियों ओर बिना चुदी चूत की कल्पना करते हुए लण्ड को मुट्ठी में जकड़े तेज़ी से आगे पीछे हिलाने लगा, चन्द्रमा की हर एक अदा मेरी आँखों के सामने थी ओर हर अदा मेरे लण्ड का जोश बढ़ा रही थी हर गुज़रते पल के साथ मेरा कण्ट्रोल अपने लुंड पर से छूटता जा रहा था, फिर जैसे दिमाग में एक धमका सा हुआ असीम आनंद का ओर मेरे लण्ड ने वीर्य की पिचकारी छोड़नी स्टार्ट कर दी, हर निकलते वीर्य की पिचकारी के साथ दिल और दिमाग मस्ती ओर मज़े की अनोखी दुनिया में खोता जा रहा था।

कुछ मिनट बाद जब खयालो की दुनिया से बहार आया और आंख खोली तो खुद पर शर्मा आने लगी, कुर्सी के नीचे वीर्य ही वीर्य फैला हुआ था, मैंने सामने देखा तो मुट्ठ इतनी ज़बरदस्त थी की लण्ड से निकलकर अधिकतर माल सीधा जाकर दिवार पर गिरा, जो अभी मुठ मारने में मज़ा आया था वो अब किरकिरा ख़राब लगने लगा, मेरे मन में गिल्ट की भावना जागने लगी, मुठ ही मारनी थी तो बाथरूम में जाकर मार सकता था, अब ये सब साफ़ करनी पड़ेगा, मैं नहीं चाहता था की कल कोई स्टाफ ऑफिस में आये ओर ये देखे, थोड़ी देर बाद उठकर सब साफ़ किया और कंप्यूटर से व्हाट्सप्प हिस्ट्री क्लियर करके घर के लिए निकल गया।
 
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blinkit

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Mast update
:vhappy1:
thank you!
 

blinkit

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Mast update, kuchh to gadbad hai daya, aashiqi ke chakkar me dhayan nhi diya aur bhul gya ki chandni ko kisi ka phone aa rha tha aur wo ghabra kar kat rahi thi, phir wahi call muskan ko aaya usne use phone dikhaya aur usne bat krne ko bahar bhej di,
Yha teen swal man me aane chahiye the joki aashiqi ke chakkar me gol kr gya hero,
First kiska phone tha,
Second chandni dar kyo rahi thi aur bataya kyo nhi agar koi bat hai to
Tesra aur aham swal agar muskan chandni ko metro me mili aur chep huyi to caller ko kaise malum ki dono sath hai,
Bade Khatrnak readers hai, plot sahi bhanp gaye.

:vhappy1:
thank you!
 

Rkk2022

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