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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

Funkguy

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हमेशा की तरह बेजोड़ कोमल भौजी

बाकी कोई क्या कह रहा है, इस पर ध्यान न ही दिया जाए तो बेहतर होगा। ये कहानी पैरेंट प्लेटफॉर्म से चली आ रही है जिसके आगे के भाग को लिखने के आग्रह को आपने ठुकरा दिया था जिससे कि नये पाठक मूल पृष्ठभूमि और उद्देश्य से अछूते न रह जाये।
विख्यात देशी-विदेशी लेखक तक अर्थान्तर और मतान्तर से नही बचे है। वर्तमान पाठक मूल भाव को समझने से ज्यादा बाल की खाल निकालने के लिए पढ़ते है। जिस तरह से आप पिछले प्लेटफॉर्म्स पर सक्रिय रही है और वाद-संवाद में भाग लेकर अपने भावनाओं को बताया है, वह नये-नवेले क्या समझेंगे।
आप जैसे लेखक जो कि भाव, शब्द विन्यास, स्थान प्रयोग, विस्तार, नये प्रयोग, नये सोच, क्षण-क्षण में घटित और परिवर्तित भावों को अभिव्यक्ति में निपुण है, वैसे लेखकों से हमारा साथ धीरे-धीरे छूट रहा है। चाहे वो अशोकाफन हो या कथाप्रेमी या प्रेमगुरु, आप जैसे लेखकों की इरोटिका को आवश्यकता है। उम्मीद है कि भविष्य में आप लोगों की और भी कहानियां पढ़ने को मिले।
 

komaalrani

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हमेशा की तरह बेजोड़ कोमल भौजी

बाकी कोई क्या कह रहा है, इस पर ध्यान न ही दिया जाए तो बेहतर होगा। ये कहानी पैरेंट प्लेटफॉर्म से चली आ रही है जिसके आगे के भाग को लिखने के आग्रह को आपने ठुकरा दिया था जिससे कि नये पाठक मूल पृष्ठभूमि और उद्देश्य से अछूते न रह जाये।
विख्यात देशी-विदेशी लेखक तक अर्थान्तर और मतान्तर से नही बचे है। वर्तमान पाठक मूल भाव को समझने से ज्यादा बाल की खाल निकालने के लिए पढ़ते है। जिस तरह से आप पिछले प्लेटफॉर्म्स पर सक्रिय रही है और वाद-संवाद में भाग लेकर अपने भावनाओं को बताया है, वह नये-नवेले क्या समझेंगे।
आप जैसे लेखक जो कि भाव, शब्द विन्यास, स्थान प्रयोग, विस्तार, नये प्रयोग, नये सोच, क्षण-क्षण में घटित और परिवर्तित भावों को अभिव्यक्ति में निपुण है, वैसे लेखकों से हमारा साथ धीरे-धीरे छूट रहा है। चाहे वो अशोकाफन हो या कथाप्रेमी या प्रेमगुरु, आप जैसे लेखकों की इरोटिका को आवश्यकता है। उम्मीद है कि भविष्य में आप लोगों की और भी कहानियां पढ़ने को मिले।

धन्यवाद, जो कुछ मैं नहीं कह पायी वो आपने कह दिया, एक रससिद्ध पाठक की तरह , बस साथ बनाये रखिये कथा द्रुत गति से आगे बढ़ेगी
 

Rahul201220

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हमेशा की तरह बेजोड़ कोमल भौजी

बाकी कोई क्या कह रहा है, इस पर ध्यान न ही दिया जाए तो बेहतर होगा। ये कहानी पैरेंट प्लेटफॉर्म से चली आ रही है जिसके आगे के भाग को लिखने के आग्रह को आपने ठुकरा दिया था जिससे कि नये पाठक मूल पृष्ठभूमि और उद्देश्य से अछूते न रह जाये।
विख्यात देशी-विदेशी लेखक तक अर्थान्तर और मतान्तर से नही बचे है। वर्तमान पाठक मूल भाव को समझने से ज्यादा बाल की खाल निकालने के लिए पढ़ते है। जिस तरह से आप पिछले प्लेटफॉर्म्स पर सक्रिय रही है और वाद-संवाद में भाग लेकर अपने भावनाओं को बताया है, वह नये-नवेले क्या समझेंगे।
आप जैसे लेखक जो कि भाव, शब्द विन्यास, स्थान प्रयोग, विस्तार, नये प्रयोग, नये सोच, क्षण-क्षण में घटित और परिवर्तित भावों को अभिव्यक्ति में निपुण है, वैसे लेखकों से हमारा साथ धीरे-धीरे छूट रहा है। चाहे वो अशोकाफन हो या कथाप्रेमी या प्रेमगुरु, आप जैसे लेखकों की इरोटिका को आवश्यकता है। उम्मीद है कि भविष्य में आप लोगों की और भी कहानियां पढ़ने को मिले।


:hinthint2: आपको ऐसा क्यों लगता है कि नये पाठको मे कहानी को पढ़ने या समझने की अकल / दिमाग़ नही है,

सिर्फ सेक्स को पढ़कर खुश हो जाना तो दिमाग होने की निशानी तो नही होती है ?

एक बार लेखिका ने कहा था कि हेरोइन अपने पति की मन की गाँठे खोलने की कोशिश कर रही है, इसलिए अपने पति को बदल रही है

जबकि सच ये था कि उसके पति के पुराने विचारों के कारण कोमल को अपने दोनो जीजू से चुदने नही मिला था,

तभी से अपनी बहन, जीजू और अपनी माँ की रजामंदी से अपने पति को चुतिया बनाते हुए अपने जीजू से ही गांड मरवा दी, जिससे उसका पति कभी भी उनके जीजू को कोमल को चोदने से रोक ना सके।

कोमल का मकसद सिर्फ अपने पति को ऐसा कुत्ता बनाना था, जो कोमल को किसी के साथ कुछ भी करने से ना रोक सके,
इसके लिए अपने पति को भी दुसरो से सेक्स करवा दिया, ताकि पति भी कुछ ना कह सके।

इसमें ऐसा क्या खास "रॉकेट साइंस" है कि सिर्फ आप ही कहानी को सही से समझ पाएंगे,
और नये पाठक कहानी को समझ नही पाएंगे।
 
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Funkguy

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:hinthint2: आपको ऐसा क्यों लगता है कि नये पाठको मे कहानी को पढ़ने या समझने की अकल / दिमाग़ नही है,

सिर्फ सेक्स को पढ़कर खुश हो जाना तो दिमाग होने की निशानी तो नही होती है ?

एक बार लेखिका ने कहा था कि हेरोइन अपने पति की मन की गाँठे खोलने की कोशिश कर रही है, इसलिए अपने पति को बदल रही है

जबकि सच ये था कि उसके पति के पुराने विचारों के कारण कोमल को अपने दोनो जीजू से चुदने नही मिला था,

तभी से अपनी बहन, जीजू और अपनी माँ की रजामंदी से अपने पति को चुतिया बनाते हुए अपने जीजू से ही गांड मरवा दी, जिससे उसका पति कभी भी उनके जीजू को कोमल को चोदने से रोक ना सके।

कोमल का मकसद सिर्फ अपने पति को ऐसा कुत्ता बनाना था, जो कोमल को किसी के साथ कुछ भी करने से ना रोक सके,
इसके लिए अपने पति को भी दुसरो से सेक्स करवा दिया, ताकि पति भी कुछ ना कह सके।

इसमें ऐसा क्या खास "रॉकेट साइंस" है कि सिर्फ आप ही कहानी को सही से समझ पाएंगे,
और नये पाठक कहानी को समझ नही पाएंगे।
बन्धु
एक सलाह दूंगा
एक बार फिर से आंख और दिमाग खोल के पढ़िये
पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर नही
ये कहानी 2016 में शुरू हुई थी और इसकी फॉलोविंग बहुत तादाद में थी, सबसे कम टाइम में 1000 पेजेस तक पहुँची थी।
और सबसे बड़ी बात कहानी का जॉनर फेमडॉम है जो टाइटल के साथ टैग्गड है, इस कहानी का असली इंट्रोडक्शन कुछ ऐसा है :
IMG-20210630-223119
 

Funkguy

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और रही बात आपके मन की गांठ खोलने की तो ये बात उसी तरह से सच है जिस तरह से मनोविज्ञान के नियम।

कभी रसमलाई न खाने वाले व्यक्ति को उसका स्वाद तब तक नही पता चल सकता है जब तक वह उसका चख न लें। बिना कोई खेल खेले आप उस खेल का आनन्द नही ले सकते। इंसान के अंदर भावनाएं मौजूद रहती है जो स्वयं उस इंसान को नही मालूम होता, जो कभी परिस्थितिवश सामने आती है तो कभी किसी की सहायता से।
हेट्रोसेक्सुअल लोग ये स्वीकारते है कि दोनों लिंगो के साथ सेक्स का जो आनंद है वह भिन्न है किंतु आनंद तो आनंद ही है।

मैं फिर से आपसे कहूंगा कि अगर आपको न पसन्द हो तो आप इस कहानी को छोड़ के दूसरी कहानी पढ़ सकते है।

घर में रहिये, सावधान रहिये
कहानी पढ़िये, आनंद लीजिये।
 
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Rahul201220

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बन्धु
एक सलाह दूंगा
एक बार फिर से आंख और दिमाग खोल के पढ़िये
पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर नही
ये कहानी 2016 में शुरू हुई थी और इसकी फॉलोविंग बहुत तादाद में थी, सबसे कम टाइम में 1000 पेजेस तक पहुँची थी।
और सबसे बड़ी बात कहानी का जॉनर फेमडॉम है जो टाइटल के साथ टैग्गड है, इस कहानी का असली इंट्रोडक्शन कुछ ऐसा है :
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भाई

कोई पूर्वाग्रह की बात नही है,

मैंने तो सिर्फ इतना कहा कि कोमल का अपने पति को बदलने का उद्देश्य सिर्फ उसका अपने मायके की बाकी औरतों की तरह पति के अलावा भी सबसे सेक्स करने की खुली छूट हासिल करने के मकसद को हासिल करना था।

जबकि लेखिका ने एक बार कहा था कि कोमल अपने पति की उसके घर मे रोक - टोक, दबा कर रखने आदि जैसी मन की गाँठों को खोलने के लिए पति को बदलने का प्रयास कर रही है,

जबकि असल बात ये थी कि ऐसे पति के कारण कोमल अपनी माँ, बहनो, मौसियो, चाचियों आदि जैसे दूसरों से मजे नही कर पाती,

इसलिए पति को बहला - फुसला कर अपने मकसद को हासिल किया।

आप उन औरतों जैसी बाते करने लगे है, जो अपनी सही गलत किसी भी बात को मनवाने की जिद करते है या सोफे मे सोने को कहने लगते हैं।

मै तो इतना ही कह रहा था कि जब कोमल एक खास उद्देश्य से सब की तो लेखिका का ये कहना की सिर्फ पति की भलाई और प्यार के लिए कोमल उसे बदलने की कोशिश कर रही हैं ,
इसे तो धूर्तता ही कहा जा सकता हैं।
 
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Funkguy

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आप कहानी के इतर अपनी राय बनाने के लिए स्वतंत्र है
 
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L.k.nee cha

Qut killer
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Rahul Bhai ki baat ekdam sahi hai or Jo story ka naam hai usi ke hisab se likhi jarahi hai lekin Rahul Bhai or mai bas yahi kahana chahate ki hamane pichhe Jo ab tak pada ki heroin Jo bhi pyar jata rahi thi o sab ek dikhava tha o to apne pati se badla lene ke lie Kiya na ki use pyar karti thi or ha pyar apne dono jijo or aiyasio se karti thi Jo uske pati ke side rahate Puri nahi ho parahi thi lekin ab kuchh bhi nahi kahega kyo ki jiski gand khul gayi o muh Kya khole ga
 
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