हमेशा की तरह बेजोड़ कोमल भौजी
बाकी कोई क्या कह रहा है, इस पर ध्यान न ही दिया जाए तो बेहतर होगा। ये कहानी पैरेंट प्लेटफॉर्म से चली आ रही है जिसके आगे के भाग को लिखने के आग्रह को आपने ठुकरा दिया था जिससे कि नये पाठक मूल पृष्ठभूमि और उद्देश्य से अछूते न रह जाये।
विख्यात देशी-विदेशी लेखक तक अर्थान्तर और मतान्तर से नही बचे है। वर्तमान पाठक मूल भाव को समझने से ज्यादा बाल की खाल निकालने के लिए पढ़ते है। जिस तरह से आप पिछले प्लेटफॉर्म्स पर सक्रिय रही है और वाद-संवाद में भाग लेकर अपने भावनाओं को बताया है, वह नये-नवेले क्या समझेंगे।
आप जैसे लेखक जो कि भाव, शब्द विन्यास, स्थान प्रयोग, विस्तार, नये प्रयोग, नये सोच, क्षण-क्षण में घटित और परिवर्तित भावों को अभिव्यक्ति में निपुण है, वैसे लेखकों से हमारा साथ धीरे-धीरे छूट रहा है। चाहे वो अशोकाफन हो या कथाप्रेमी या प्रेमगुरु, आप जैसे लेखकों की इरोटिका को आवश्यकता है। उम्मीद है कि भविष्य में आप लोगों की और भी कहानियां पढ़ने को मिले।
बाकी कोई क्या कह रहा है, इस पर ध्यान न ही दिया जाए तो बेहतर होगा। ये कहानी पैरेंट प्लेटफॉर्म से चली आ रही है जिसके आगे के भाग को लिखने के आग्रह को आपने ठुकरा दिया था जिससे कि नये पाठक मूल पृष्ठभूमि और उद्देश्य से अछूते न रह जाये।
विख्यात देशी-विदेशी लेखक तक अर्थान्तर और मतान्तर से नही बचे है। वर्तमान पाठक मूल भाव को समझने से ज्यादा बाल की खाल निकालने के लिए पढ़ते है। जिस तरह से आप पिछले प्लेटफॉर्म्स पर सक्रिय रही है और वाद-संवाद में भाग लेकर अपने भावनाओं को बताया है, वह नये-नवेले क्या समझेंगे।
आप जैसे लेखक जो कि भाव, शब्द विन्यास, स्थान प्रयोग, विस्तार, नये प्रयोग, नये सोच, क्षण-क्षण में घटित और परिवर्तित भावों को अभिव्यक्ति में निपुण है, वैसे लेखकों से हमारा साथ धीरे-धीरे छूट रहा है। चाहे वो अशोकाफन हो या कथाप्रेमी या प्रेमगुरु, आप जैसे लेखकों की इरोटिका को आवश्यकता है। उम्मीद है कि भविष्य में आप लोगों की और भी कहानियां पढ़ने को मिले।