आपका स्किल भी अद्भुत है...
ऐसे सुंदर नजारे...
आपका स्किल भी अद्भुत है...
जोरू के गुलाम और कोमल ..आ पिया इन नैनन मैं पलक ढाप तोहे लूँ,
ना मैं देखूँ गैर को ना तोहे देखन दूँ ।।
एक सफ़र था की चलता गया,
भोर का सुरज भी ढलता गया।।
वो कहानी थी की चलती रही,
मैं पाठक था की बस पढता गया।।
कच्ची उम्र से बलखाती जवानी,
गिलासी शराब से शरबती पानी,
खिलती कली से, हसीन ग़ुलाब,
चढ़ता सबाब उतरता रुबाब,
पन्ने पर पन्ने एक नई किताब,
जोरु के ग़ुलाम राजा साहब,
कौन होगा जो ना चाहेगा उसको,
चढ़ाये कामरंग वो भाभी जिसको,
फिर सास-ननद हो या पड़ोसन,
काम वाली बाई हो या नवेला जोबन,
प्रेम मे बावरी कोमल रानी,
रास रचाए अपने साजन संग,
आप बसे मन साजन के वो,
और गैर सजवाये साजन् पलंग,
ना खुद निकले मन से उनके,
ना साजन मन गैर को बसने दे,
प्रेम का रिश्ता मजबूत इतना,
फूलों को खुद निचौड़े कोमल,
साजन को कलियाँ तोड़ने दे।।
उम्र से जो मिली जोगन,
सब पे चढ़ाये अपना साजन,
आप बनी रानी जिसकी,
दासी बनायी सब जोगन,
ब्याही तब से संवारी ब्रेंड,
अब चूत-चूत मे भेद न करे,
ऐसा सांजन का लंड।।
अरे साजन लेटा पलंग पर और कपड़े दिये हटाय,
सास, ननद, जेठानी पड़ोसन, सब संग दिया लिटाय।।
सचमुच ... कविता की पहली पन्क्तियों में जो लिखा है..क्या बात कही है आपने जबरदस्त,
इतने दिन बाद आप थ्रेड पर आये लेकिन इन लाइनों ने सब शिकवे शिकायतें दूर कर दी, सारी कहानी का निचोड़ कविता में
उनकी कहानियों में भी बड़े विस्तार से ताना बाना बुना गया है...Madam, hope aapne prkin Ki Parivaar story par comments padhe hain..aapke liye bhi kuch likha hain maine. Hope you have seen it. Thanks.
komaalrani
आप जैसे पाठक विरले हीं होते हैं....Thank you Dear. All due to good stories of you and other good friends. I only give comments which is rather easier (though sometimes it is difficult) than writing good stories. Thank you once again for your kind wishes.
komaalrani
Ohh no...You are just being modest but that is innate in you. I can share that reading some stories is much tougher than writing. Reviewing is still tough. and you have been awarded the BEST REVIEWER award, a recognition, not to be taken lightly. Secondly, your commitment to the stories you follow is something one can learn from. Congrats again.
मैं आपसे सहमत हूँ...जी बहुत शुक्रिया, आपकी कहानी ही ऐसी है जितनी तारीफ़ करो कम हि लगती है।।
Interaction from both sides (reader as well as writer) is a healthy sign.Thank you so much for your kind and warm words from you. Truly delighted for this message. One more thing that I have noticed is that you also engage with your readers in a very good way and the replies you give to your readers comments (not just to me but all your other followers as well) (& not just the mundane Thank you acknowledgments, which is not wrong btw) are one of its kind. You have this super quality in you.
On a lighter note, one of the better decisions that I have taken in this forum is to follow your story and engage in such delightful conversations with you. They really light up the day!!
Once gain, Many Thanks and Truly honored.
komaalrani
Actually, I too agree (which probably did not agreed earlier in my discussion with Komal Madam).Ohh no...
reading is quite easier.. that's why people come here .. read the story and then left without like or comment...
However I do agree that comment or review is a bit tougher than likes.
I do second the same.