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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

Sutradhar

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लम्बाई भी ज़रूरी है पर असली चीज़ मोटाइ है
ये बात वही जाने जिसने अच्छे से मारवाई है

लिंग का कड़कपन और देर तक टिकना जरूरी है
ऐसे लौड़े से चुदे बिना औरत की प्यास अधूरी है

ख़ुशी ख़ुशी सौंप देती है औरत उसे जवानी
चोद चोद के उसको चूत से निकाल दे पानी

स्त्री भी उसी पुरुष को चुनती हैं जिसमें उसे मर्दानगी पुरुष्राथ नज़र आता हैं और उस स्त्री को रूह से एहसास होता हैं की सिर्फ इसी मर्द में स्त्रीभोग करने का साहस हैं तो वो स्त्री उस मर्द के साथ खुशी खुशी उसे स्त्रीभोग ओर खुद उस मर्दानगी का सुख पाने के लिए बेताब हो जाति है.
कोमल जी, आप कितनी खूबसूरती से एक महिला की भावनाओं और इच्छाओं को व्यक्त करती हैं। वो दिन गए जब एक महिला घर की चारदीवारी में खुद को गुप्त रखती थी और जिससे उसकी शादी हुई थी उसी के साथ अपनी जिंदगी बिताती थी। अब वह अपनी शर्तों पर जीवन जीना चाहती है और अगर वह अपने शयनकक्ष में असंतुष्ट महसूस करती है तो दूसरे पुरुषों की तलाश करने से नहीं हिचकिचाती।


आरुषि मैम
आपकी कविता पढ़ते - पढ़ते काव्य बहुत आसान सा जान पड़ता है लेकिन जैसे ही लिखने की सोचो तब पता लगता है कि आपकी विधा और उसकी गहराई।

वाकई आपके सहज और सरल काव्य की प्रशंसा भी करना मुझ जैसे पाठक की शक्ति से परे है।

मेरा विनम्र अभिवादन स्वीकार कर मुझे अनुगृहित करे।

सादर
 

komaalrani

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But factual as well Madam :)
komaalrani
isme koyi shak nahi . you are a stickler to facts, as my friend says, a statistician, who knows how to figure out figures, and i do not mean the way we use the figure in the stories.
 

komaalrani

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आपकी कविता पढ़ते - पढ़ते काव्य बहुत आसान सा जान पड़ता है लेकिन जैसे ही लिखने की सोचो तब पता लगता है कि आपकी विधा और उसकी गहराई।

वाकई आपके सहज और सरल काव्य की प्रशंसा भी करना मुझ जैसे पाठक की शक्ति से परे है।

मेरा विनम्र अभिवादन स्वीकार कर मुझे अनुगृहित करे।

सादर
सहज होना सबसे कठिन है

हम सब आरुषि जी के शुक्रगुजार हैं की वो हमें अपनी उपस्थिति से लाभान्वित करती हैं। चित्र और काव्य का यह संयोग रूप और कंचन के संयोग की तरह है. जैसे आभूषण किसी सुन्दर स्त्री की सुंदरता बढ़ाते हैं पर हर कहीं वो आकर्षक नहीं लगते, उसी तरह से ये चित्र उनकी कविताओं के साथ नए अर्थ पाते हैं।

आपका आभार की आपने आरुषि जी को अप/नी ओर से और हजारों हजार पढ़ने वालों की ओर से उन्हें धन्यवाद किया
 

komaalrani

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लम्बाई भी ज़रूरी है पर असली चीज़ मोटाइ है
ये बात वही जाने जिसने अच्छे से मारवाई है

लिंग का कड़कपन और देर तक टिकना जरूरी है
ऐसे लौड़े से चुदे बिना औरत की प्यास अधूरी है

ख़ुशी ख़ुशी सौंप देती है औरत उसे जवानी
चोद चोद के उसको चूत से निकाल दे पानी

स्त्री भी उसी पुरुष को चुनती हैं जिसमें उसे मर्दानगी पुरुष्राथ नज़र आता हैं और उस स्त्री को रूह से एहसास होता हैं की सिर्फ इसी मर्द में स्त्रीभोग करने का साहस हैं तो वो स्त्री उस मर्द के साथ खुशी खुशी उसे स्त्रीभोग ओर खुद उस मर्दानगी का सुख पाने के लिए बेताब हो जाति है.
कोमल जी, आप कितनी खूबसूरती से एक महिला की भावनाओं और इच्छाओं को व्यक्त करती हैं। वो दिन गए जब एक महिला घर की चारदीवारी में खुद को गुप्त रखती थी और जिससे उसकी शादी हुई थी उसी के साथ अपनी जिंदगी बिताती थी। अब वह अपनी शर्तों पर जीवन जीना चाहती है और अगर वह अपने शयनकक्ष में असंतुष्ट महसूस करती है तो दूसरे पुरुषों की तलाश करने से नहीं हिचकिचाती।
कितनी ज्ञान भरी बातें लेकिन कितने कामोत्तेजक शब्दों के साथ, और कितनी आसानी से

काम चार पुरुषार्थों में एक है, लेकिन अर्थ का अर्थ ढूँढ़ते नागरी जीवन में हम शायद इसे भूल गए हैं। गाँव की स्त्रियों और लड़कियों में सेक्स की चर्चा, जिन शब्दों को हम टैबू मानते हैं, भदेस समझते हैं वो भाषा का हिस्सा हैं, चिढ़ाने की छेड़ने की रोज मर्रा की भाषा, ओटीटी और नयी फिल्मो में वो शब्द फिर से बाहर निकले लेकिन गुस्से की तरह, हिंसा के विकल्प के शाब्दिक हिंसा की, गाँव की गारियो की छेड़छाड़ की तरह नहीं।

लम्बाई भी ज़रूरी है पर असली चीज़ मोटाइ है

ये बात वही जाने जिसने अच्छे से मरवाई है


ये एक महिला ही जान सकती है, अधिकतर नर्व एंडिंग्स योनि के शुरू के भाग में होती हैं इलसिए जो टैक्टाइल सुख, स्पर्श का आनद मिलता है उसका बड़ा हिस्सा यही मिलता है. इसलिए मेरी कई कहानियों में दरेरना, रगड़ना ऐसे शब्द इसी संदर्भ में आते हैं। सेक्स की शुरुआत एक क्यूरिऑसिटी की तरह होती है और बाद में सिर्फ एक बॉक्स टिक करने भर तक रह जाती है, लेकिन जिसने उसका आनंद लिया है वही यह जानता है

पिल्स शायद वोमेन एम्पावरमेंट का पहला बड़ा कदम था जिससे नारी को अपनी देह पर अधिकार मिला

आरूषि जी का लाख आभार की नारी मन और तन की बातों को कैसे उन्होंने एरोटिक ढंग से व्यक्त किया.
 

komaalrani

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Ab to bus party shuru ho jaye jaldi se
Next part soon aaj ya kal pakka
 

komaalrani

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No. 1 ko jhelna guddi ke liye to bahut mushkil hai, guddi ki bhabhi hi jhel skti hai use
आपने मेरी ननद को कमजोर समझा है, मैच होने दीजिये देखिये कैसे छक्के मारती है

लेकिन अभी पहला मैच जबरदस्त तो उसका मेरे कमल जीजू के साथ होना है बस दो तीन पोस्टों के अंदर,...
 

komaalrani

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लेकिन पात्रों के नाम के चयन... और उनके बीच रिश्तों की डोर... के लिए...
कहानी के स्थूल रूप के लिए कुछ पहले से हीं जरूरत पड़ेगी...
फिर डिटेल और संवादों में भी आप दोनों का समन्वय हो तो अति-उत्तम...
एकदम और इन्सेस्ट के आँगन में बेबी स्टेप्स बिना डाक्टर साहिबा की मदद के, उनका हाथ थामे मुश्किल है

इसलिए मैंने कहा, कहानी, मुख्य पात्रों के नाम , रिश्ते

अब मुझे डाक्टर साहिबा के जवाब का इन्तजार है
 

komaalrani

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बेचारी नर्ड के बीच फंस गई... ननद रानी...
लेकिन इसकी मेंटर कहाँ गई....
इसके साथ को छोड़ कर किसी और के साथ...
गुड्डी को दोनों काम करना है,

नर्ड्स को न्यूमेरिकल में पिछाड़ कर बिल बोर्ड पर अपनी फोटो लगवानी है

और मस्ती की पाठशाला में भी अव्वल रहना है।
 

komaalrani

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और एक नई .. मस्त बिंदास... झक्कास लड़की..
समाज सेविका.. सब सेक्शन का ध्यान रखने वाली...
लेकिन ये चार साल.. कोचिंग तो साल... बहुत हुआ तो दो साल...
ये कुछ समझ नहीं आया...
अक्सर हाईस्कूल के बाद ही कोचिंग शुरू हो जाती, कोचिंग वाले ११, १२ की पढाई भी करवा देते हैं और कोचिंग भी, और नहीं हुआ तो एक साल का अलग से कोर्स होता है,... तो तीन साल तो,

पर रानी, रानी है।
 
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