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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग ८१


नयी सुबह








सुबह उतर कर चाय बनाना ,सास को जेठानी को चाय देना , फिर इनके लिए बेड टी ले जाना ऊपर रोज का रूटीन था।
मेरा रूटीन था चाय जेठानी को सात बजे मिल जानी चाहिए थी।
और हाँ, किचेन में बिना नहाये कपड़ा बदले नहीं जा सकते थे,...


तभी मुझे याद आया वो ज़माना अब गुजर चुका है , अब मेरा जमाना आ गया है ,क्योंकि


वो बेड टी की ट्रे ले के खड़े थे ,

हम दोनों ने साथ साथ बेड टी पी।




एक नयी सुबह हो चुकी थी हर मायने में।
....

और उसके बाद मैं तैयार हो गयी नीचे जाने के लिए,

मैंने तो आप लोगों को बताया ही था पहले की ,

इसके पहले ससुराल में अपने कमरे से निकलते समय , साडी ब्लाउज के अलावा मैं कुछ सोच भी नहीं सकती थी। और वो भी ,

साडी पूरे सर को ढके, बाल की झलक भी नहीं दिखनी चाहिए।


कल मैंने पहली बार इन के मायके में शलवार कुर्ता पहना था , और वही मेरी जेठानी को शाक देने के लिए काफी था ,

और आज मैंने शाक का लेवल थोड़ा बढ़ाया ,

एक बहुत छोटी सी लाइट प्याजी रंग की चिकन की कुर्ती , जो मेरे कमर के बहुत पहले ही ख़तम हो जाती ,

झलकौवा और नाभि दर्शना

हाँ आज एक बहुत छोटी सी हाफ कप वाली बस मेरे उभारो को हलके से नीचे से उभारने वाली ब्रा ,अंडर वायर्ड मैंने पहन ली

लेकिन उस झलकौवा कुर्ती में वो साफ़ साफ़ दिखती थी।




पहले तो मैंने सोचा की इसके साथ इनका कोई ट्रॉउजर पहन लूँ , फिर मुझे लगा सेकेण्ड डे के लिए बहुत हो जाएगा ,


इसलिए एक टाइट सी पजामी और हाई हील।



खटखट करते हुए मै जब उतरी तो पहले तो जेठानी जी मेरे देर से नीचे आने के लिए ढेर सारे ताने कमेंट्स सोच के बैठी थीं , पर

मेरा रूप देख के उनकी बोलती बंद हो गयी।

एक बहुत छोटी सी चिकन की आलमोस्ट ट्रांसपैरेंट कुर्ती कमर पेट नाभि सब खुली और एक फ्लोरल पजामी।

" नाश्ते में , ... "

उन्होंने कुछ बोलने की कोशिश की लेकिन मैंने उनकी बोलती बंद कर दी , उन्हें अपनी बाँहों में भींच लिया और ,

" अरे दीदी आप का ये छह फिट का देवर किसलिए है , बोलिये न जो आप को पंसद हो , अरे सासु जी नहीं है तो चलिए हम दोनों थोड़ी मस्ती करते हैं न , बचपन के इनके ज़रा आप किस्से सुनाइये न , फिर कोई सीरयल। "

और उनसे मैं बोली ,



" जो तेरी पसंद ,लेकिन जल्दी बिचारी तुम्हारी भाभी कितनी भूखी हैं न। "



थोड़ी ही देर में वो नाश्ता लेकर हाजिर।

खाना हम तीनो ने मिल के बनाया।

और मैं और जेठानी जी मिल के उन की खिंचाई करते रहे।

खाने के बाद जेठानी जी सोने चली गयीं और कलावती आ गयी।
 
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komaalrani

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कलावती




बताया तो था न उसके बारे में। मुझसे २-३ साल छोटी होगी , यही करीब १९-२० साल की। शादी हो गयी है लेकिन मरद पंजाब कमाने गया है ,इसलिए ज्यादातर अपनी माँ के पास रहती है।

माँ उसकी हम लोगों के यहां काम करती है ,कपड़ा बरतन झाड़ू पोंछा , लेकिन जब कलावती रहती है तो अक्सर वही आती है।

रिश्ते में हम लोग उसे अपनी ननद मानते थे , इसलिए मैं और जेठानी जी खुल के उससे मजाक करते थे , और वो भी सूद ब्याज समेत जवाब देती थी , गारी गाने में तो नम्बरी।

देखने में भी अच्छी थी , थोड़ी गोल मटोल ,लेकिन सही जगहों पर , उभार खूब गदराये , कड़े कड़े ,मस्त और पिछवाड़ा भी खूब भारी।

उसे हम लोग चिढ़ाते थे



"लगता है तुझे मायके के यार बहुत पसंद है इसलिए ससुराल छोड़ के मायके में रहती है। "



और वो भी कोई कम थोड़ी ,उलटे पलट के जवाब देती,


" अरे बात आपकी एकदम सही है, मेरे मायके के मरद हैं ही बहुत दमदार ,तभी तो आप दोनों अपना अपना शहर छोड़ चुदवाने मेरे मायके में आयी। "




और मैं इनका नाम लगा के उसे चिढ़ाती ,जेठानी जी के सामने ,

" दीदी लगता है आपके देवर को भी कलावती ने अच्छी तरह ट्रेन किया है "

मेरी जेठानी भी हाँ में हाँ मिलाती बोलतीं ,

" सही कह रही हो , अरे ये आती थी तो सबेरे सबेरे दरवाजा तो मेरे देवर ही खोलते थे लेकिन पता नहीं ,वो खोलते थे या ये खोलती थी। "





" या दोनों खोलते थे "

मैं भी जोड़ती ,





और हम दोनों खिलखलाने लगते ,लेकिन कलावती वो कौन हार मानने वाली ,

मुझसे बोलती ,

" अरे छुटकी भौजी ( मुझे वो छुटकी भौजी ही कहती ) , गनीमत मनाओ अपनी छुटकी ननदिया को की तोहरे सैंया को ट्रेनिंग वेनिंग करा दी , वरना कहीं सुहागरात में बजाय अगवाड़े कही ,... पिछवाड़े पेल दिए होते न तो पता चलता। गांड में वो चिलख मचती बैठ नहीं पाती। "




एकदम खुल्लम खुल्ला मजाक होता था उसका ,


तो जेठानी जी तो सोने चली गयी थी और कलावती धोने के लिए कपडे इनसे मांग रही थी ,और ये बिचारे शरमाते लजाते ,

" दे दो न मांग रही है तो "मैंने चिढ़ाया ,

" आखिर बहन लगेगी तुम्हारी और तुम मांगोगे तो ये भी दे देगी ".

" एकदम , मैं तो बिना मांगे देने को तैयार हूँ छुटकी भौजी लेकिन तोहार झांट तो न सुलगी। "

वो क्यों चुप रहती।



लेकिन अब मैं भी

" अरे उस की चिंता मत करो ,उ सब साफ़ कर के चिक्कन मुक्कन ,न हो तो अपने भैया से पूछ लो , इस लिए सुलगने का सवाल नहीं है। "


मैंने बोला।




और इन को एक बहुत छोटा सा तौलिया दे दिया , उसे पहन के सब कपडे इन्होने उतार के कलावती के हाथ में दे दिए।


मुझे बदमाशी सूझी ,मैंने कलावती को इशारा किया और बोली ,

" हे इ तौलिया भी तो थोड़ी गन्दी हो गयी है न इसको भी धोने को ले लो। "

" एकदम छुटकी भौजी , सही कह रही हो "

और हँसते खिलखिलाते उसने तौलिया खींच ली।





अब वो एकदम ,.. खूंटा एकदम कलावती के सामने




,वो नदीदियो की तरह घूर घूर के देख रही थी ,खिलखिला रही थी।

उन्होंने हाथ से उसे छिपाने की कोशिश की लेकिन कित्ता छिपता , बड़ी मुश्किल से उन्होंने बाथरूम में शरण ली।

" अरे पहले नहीं देखा था क्या जो ऐसे देख रही थी "

मैंने कलावती को चिढ़ाया।

" देखा था लेकिन तब इत्ता मोटा और लम्बा नहीं था। "


वो साफ़ साफ़ बोली।

उनकी बहुत चिरौरी मिनती के बाद एक छोटा सा बॉक्सर शार्ट मैंने उन्हें दिया , बाथरूम में।

लेकिन जब वो पहन के निकले तो ,




फिर मैंने खींच दिया और शेर पिंजड़े से बाहर ,

" चल ठीक से देख ले और चाहे तो पकड़ के दबा के मसल के भी ,.. फिर मत कहना छुटकी भौजी ने ,... "

" एकदम छुटकी भौजी ,"

और उसने न सिर्फ पकड़ा , बल्कि रगड़ा और मसला भी।



किसी तरह वो कलावती से छुड़ा के ऊपर कमरे में भागे।

मैं और कलावती नीचे खिलखिलाते रहे.
शाम को डिनर में मैंने अपनी जेठानी का धरम भरष्ट करा दिया।
 
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Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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update padhte waqt lage ki aapki is kahani ke har ek shabd ki apni hi ek kahani ho..
waise pariwar ke har sadashya ke bich kaafi achhe taal mel hai, aur understanding bhi....

Kahani aur update ki khubi...?

lekhika har ek kirdaar, har ek pehlu aur har ek mod ke baare soch ke kahani aur update s Kalpanasheel aur varnantmak (वर्णनात्मक) roop mein pesh karti hai, jishe padhte waqt sach mein aanand mile....

Kya kahani ke kirdaar ek dusre ki ahmiyat samjhte hai.. .?
Haan... of course... Kyunki maine aise kayi kahaniya padhi hai jaha kirdaar aapach mein hi bair rakhte hai... jo apne paas hai unki hi ahmiyat nahi samajhte... aur jab tak samajh paate hai wo itne door chale jaate hai ki hum chaah kar bhi unko pa nahi sakte.... chaahe erotic way mein hi sahi lekin aapach mein kaise mil jhul ke rahne chaahiye is baat darshane ki koshish ki lekhika ne....
erotica ka level ..?
ab kya bolu ... bas itni si hi baat hai ki khud queen of erotica stories komal likh rahi hai ye kahani... to erotica ka level ek apne apme original aur bemisaal honge hi.. lekhika ne Erotic gatividhiyo ko bahot hi khubsurat tarike se varnan ki hai.. jo sach mein kabile tarif hai...

kya kirdaar aur update ne a aapko abhi tak kahani ke sath jude rehne ko majboor kiya...?
shat pratishat.... aur shayad aage bhi kayi baar padhu is kahani ko... readers ke yahi bolu ki ek baar aap jarur padhiye is kahani ko.... aap log jitni baar padhenge is kahani ko, utni baar aapke dil ke karib hoti jayegi ye kahani....

Yahan Kayi stories read ki hai sab ek se badhkar ek hai... lekin ye kahani unsab se hatakar hai aur amazing bhi.. jaise varsha Ritu mein likhi gayi ek kavita... jo mann ko moh de...
Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills komaalrani ma'am :applause: :applause:
 
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Yahan Kayi stories read ki hai sab ek se badhkar ek hai... lekin ye kahani unsab se hatakar hai aur amazing bhi.. jaise varsha Ritu mein likhi gayi ek kavita... jo mann ko moh de...
Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills komaalrani ma'am :applause: :applause:


Thanks so much, there was a pause as sometimes life interrupts dreams, i am speechless reading your detailed analysis
 
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