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जोरू का गुलाम भाग २३८ पृष्ठ १४५०
वार -१ शेयर मार्केट में मारकाट
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Super...and wonderful..आरुषि जी का होली का उपहार
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पहले तो साजन ने चोली हटायी
हल्के से मेरी फिर चुची दबायी
झट से खींच दी साये की डोरी
मेरे लाज के मैं तो हो गई दोहरी
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जांघों पर रख दी अपनी पिचकारी
बहुत ही शातिर था चतुर शिकारी
भिगोने लगा अपने प्यार के रंग में
मचल उठी मैं भी पिया के संग में
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तन पर मेरे कर के पिचकारी की बौछार
कहे मुबारक हो तुमको होली का त्यौहार
फागुन की गुझिया और भांग वाली ठंडाई
आप सब को है दिल से होली की बधाई
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Ab komal sali ke komal komal golkunda me kamal jiju ka hathiyar jayega.मस्ती जीजा साली की -गेम नेक्स्ट राउंड
नो पेन्ट्रेशन
दोनों ही खूंटे बस अंदर घुसने का इंतज़ार करते , और वो मौका मिल गया ,
गुड्डी ने जोर से सीटी मारी ,... लड़कियों के कालेज के बाहर लोफर लड़के खड़े होकर जैसे सीटी मारते हैं न , एकदम वैसे ही , बल्कि उससे भी तेज
मतलब क्लियर था , फुल फोरप्ले , नो बार्ड , हाथ , होंठ , कोई भी छेद ,.. सिवाय एक के,...मतलब मुख मैथुन पर कोई रोक नहीं।
वो एक छेद पूरी तरह खुल गया, नीचे वाले दोनों खूंटे के लिए बंद थे।
यानी अब लड़के लोग भी अपने हाथ, मुंह का इस्तेमाल कर सकते हैं, खूंटे का भी लेकिन बस घुसाना, मतलब चुदाई अभी भी नहीं और हम दोनों लड़कियां भी कुछ भी कर सकती हैं, अपने अपने माल के साथ, मेरी बहन मेरे मरद के साथ
और मैं अपनी बहन के मरद और जीजू दोनों के साथ , और वो दोनों अजय और कमल भी,...सिवाय एक चीज़ के
और गुड्डी ने हँसते हुए अनांउस भी कर दिया ,...
नो पेन्ट्रेशन ,....
बस मैं उस समय कमल जीजू का चूस रही थी और अगले ही पल 69 ,
कमल जीजू मेरी सुरमेदानी पर मुंह लगा कर ,... मस्त चूसते थे वो , ... और अजय जीजू के होंठ सीधे मेरे जुबना पर , एक जोबन होंठों ने गिरफतार किया और दूसरा उनके हाथों ने , क्या मस्त रगड़ाई , मसलाई हुयी , लेकिन मेरे जोबन ललचाते भी तो बहुत थे मेरे जीजू लोगों को ,...
एक निप्स को जीभ फ्लिक कर रही थी ,
दूसरे निप को अजय जीजू का अंगूठा और तर्जनी मिल के कभी फ्लिक करती तो कभी मसल के रख देती ,
अजय स्साला, अपनी बहन का यार, मेरी बहन का मरद, मेरी हालत खराब रहा था, मेरे दोनों जोबन मस्त होके पत्थर हो गए थे। निपल फड़फड़ा रहे थे।
और उसका सारा बदला मैं कमल जीजू के मोटे बांस पर , आधे से ज्यादा मैंने घोंट लिया था , होंठ मेरे कमल जीजू के मोटे तगड़े चर्मदण्ड पर फिसल रहे थे , रगड़ रहे थे , मेरी जीभ जोर जोर से लिक कर रही थी , और गाल कस कस के चूस रहे थे ,
लेकिन ये नहीं की मैंने अजय जीजू के खूंटे को इग्नोर कर दिया था , ....
आखिर दो दो जीजू होने का फायदा के , सबसे छोटी साली , तीन बहनों में होने का फायदा क्या ,...
मेरी कोमल कोमल हथेली , मेरी मुट्ठी ,... और मैं जोर जोर से मुठिया रही थी , साथ साथ में मेरा अंगूठा अजय जीजू के खुले सुपाड़े पर उनके पेशाब को छेद को छेड़ रहा था , उकसा रहा था , वहीँ से तो निकलेगी गाढ़ी गाढ़ी मलाई ,...
और छेद की बात करूँ तो मेरी शरारती उंगलियां सिर्फ खूंटे के छेद पर ही नहीं , बीच बीच में उनके पिछवाड़े के छेद पर भी ,
और मेरे पिछवाड़े , कमल जीजू की उंगलिया वही खेल तमाशे कर रही थीं ,...
कमल जीजू के शैतान होंठ , जीभ , अपनी सबसे छोटी साली के शहद के छत्ते का रस चूस रहे थे ,
पर दोनों हाथ कस के छोटी साली के, मेरे , कसे कसे नितम्ब , कोमल कोमल नितम्ब पूरी ताकत से फैलाये हुए थे , ... और उनकी दुष्ट बदमाश उँगलियाँ , बस उसी दरार के चारो ओर चक्कर काट रही थी जैसे शोहदे , लड़कियों के स्कूल की छुट्टी होने के पहले से ही वहां चक्कर काटने लगते हैं , ... एकदम उसी तरह ,... कभी कभी उनकी ऊँगली उस दरार को रगड़ देती थी ,
लास्ट टाइम भी तो मेरे पिछवाड़े , कमल जीजू का ही खूंटा घुसा था ,
सोच के अबतक छरछराने लगता है ,...
गनीमत थी गुड्डी की शर्त अभी पिछवाड़े वाले छेद पर मोटे खूंटे के लिए नो इंट्री बोर्ड लगा था, लेकिन कमल जीजू की उँगलियों को कौन रोक सकता था उनकी फेवरिट सबसे छोटी साली की कोमल कोमल गाँड़ में ऊँगली करने से, होंठ उनके मेरे शहद के छत्ते से शहद चाट रहे थे और उँगलियाँ पिछवाड़े सेंध लगा रही थी,... और मेरा गोलकुंडा भी जानता था, अभी कमल जीजू का मोटा बांस भी इसके अंदर घुसेगा,
वो जीजू कौन जो स्साली की गाँड़ न मारे, सीधे से नहीं तो जबरदस्ती,... यही तो मजा है जीजू साली के रिश्ते का।
और मेरा पिछवाड़ा भी प्यार से, बेताबी से कमल जीजू की ऊँगली कस कस के भींच रहा था जैसे कह रहा हो आने दो उस मोटू को उसे भी अब निचोड़ लूंगी, एक एक बूँद निकाल के तब बाहर जाने दूंगी
लेकिन साली कौन जो अपनी बदमाशियां बंद कर दें , मेरे होंठों ने जीजू के खूंटे को जोर जोर से चूसना शुरू कर दिया
जो होना होगा , होगा पिछवाड़े ,,... और एक बार जोर से पुश कर के मेरा सर , .. मैंने अब आलमोस्ट पूरा कमल जीजू का खूंटा मुंह के अंदर , एकदम हलक तक ,... मैं चोक कर रही थी , ... गों गों कर रही थी पर ,...
और उसका असर जीजू की ऊँगली पर पड़ा ,
गच्चाक ,... एक झटके में पूरा दो पोर मेरी कोमल कोमल गांड में
और मेरी ऊँगली ने बदला लिया अजय जीजू के पिछवाड़े से ,...कमल जीजू ने मेरे पिछवाड़े दो पोर तक ठेला था, मैंने अजय जीजू , रीनू के मरद के पिछवाड़े पूरी ऊँगली जड़ तक पेल दी। क्या फायदा तीन बहनों में सबसे छोटी साली होने का जबतक दो जीजू से एक साथ मजा न लिया जाए।