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अपडेट पोस्टेड - एक मेगा अपडेट, जोरू का गुलाम - भाग २३९ -बंबई -बुधवार - वॉर -२ पृष्ठ १४५६
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वाह भईया रोगन जोश मटन पका रहा है. और उसकी कमसिन कवारी बहन बैठ कर उसका खुटा चूस रही है. भईया कुछ नहीं बिगड़ सकता ये वो जानती है. इस बार छिनार नांदिया उनकी बहन उनको तड़पा रही है.मस्ती बहन भाई की
गुड्डी खूब गरमाई हुयी थी, शुरआत अबकी भी उसकी उँगलियों ने की,
जब उसके भैया रोगन जोश चला रहे थे तो कुछ देर तक तो उनके बॉक्सर शार्ट के ऊपर से उसने उनके खूंटे को रगड़ा मसला,
और जब तम्बू तन गया तो शार्ट को सरका के नीचे, बम्बू बाहर और छुटकी बहिनिया की मुट्ठी में, लेकिन वो मुठिया नहीं रही थी बस आराम आराम से दबा रही थी, हलके हलके अपने भैया के मूसल की मोटाई कड़ाई का मजा ले रही थी।
और वो जानती थी की बेचारे उसके भइआ इस समय उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते।
उनका ध्यान इस समय पूरी तरह रोगन जोश पर है, मटन के एक एक टुकड़े पर, और गुड्डी एक अच्छी बहन की तरह भाई के पैरों के बीच बैठ गयी और गप्प, खूब बड़ा सा मुंह खोल के भैया का मुट्ठी ऐसा मोटा गरम, मांसल सुपाड़ा अपने मुंह मे। गुड्डी हलके हलके चूस रही थी, जीभ से चाट रही थी, सुपाड़े के बीच पेशाब के छेद को जीभ की टिप से सुरसुरा रही थी और अपनी कोमल उँगलियों से गुड्डी रानी भैया के बॉल्स को कभी सहलाती, कभी हलके से दबाती।
कोई भी भाई हो उसकी सुन्दर सी सेक्सी कमसिन जस्ट जिसने इंटर पास किया हो ऐसी बहन उसके सुपाड़े को मुंह में लेकर चुभलायेगी चूसेगी तो क्या हालत होगी उसकी,
हालत उनकी खराब हो रही थी और जैसे ही उन्होंने रोगन जोश को ढंक दिया और तय था की अब अगले बीस पचीस मिनट तक कुछ नहीं करना है
तो वो भी जोश में आ गए और बहन का सर पकड़ के, नहीं गुड्डी को अपनी बहन को चुसवा नहीं रहे थे, हचक हचक के उसका मुंह चोद रहे थे, डीप फक, थोड़ी देर में सुपाड़ा गुड्डी के हलक पे ठोकर मार रहा था और उनको सपोर्ट करने उनकी साली रीनू भी बगल में खड़ी थी,
" जीजू पेलो कस के, चोद दो मेरी इस रंडी ननदिया का मुंह, बहुत गर्मायी है "
साली बोले और वो भी रीनू जैसे, तो कौन जीजा नहीं मानेगा, गुड्डी के बाल को कस के पकड़ के हचक के ठेलते रीनू के जीजा, गुड्डी के भैया बोले,
" क्यों बहुत गरमा रही थीं न, लो, घोंटो जड़ तक। अभी गाँड़ में घुसा था तो ऐसे चिल्ला रही थी जैसे कोई मोटा लकड़ी का चैला घुस गया हो चूस कस कस के "
गुड्डी गों गों कर रही थी, आँखे उबली पड़ रही थीं, अच्छा तो लग रहा था लेकिन लग रहा था भैया बस पल भर के लिए निकाल ले , पर साली के उकसाने के बाद कौन मरद अपनी बहन को छोड़ता है, लेकिन गुड्डी का दिमाग, उसने कड़ाही की ओर इशारा किया और उसके भाई का दिमाग उधर, और गुड्डी को मौका मिल गया, छुड़ा के खड़ा होने का
और थोड़ी दूर खड़ी होके वो एक बार फिर से अपने भाई को उकसा रही थी, चढ़ा रही थी चिढ़ा रही थी।
एक तो छोटा सा एप्रन जो मुश्किल से गुड्डी के ३२ सी कड़क बूब्स को ढक रहा था और फिर दो इंच की पतली सी थांग
जो उसकी चुनमुनिया को ढकने की कोशिश कर रहा था , और ऊपर से गुड्डी महा शैतान और उसे रीनू की शह मिली थी।
थांग को सरका के गुड्डी ने अपनी गुलाबी गुलाबो की दोनों फांको के बीच फंसा लिया था। और अपने भाई को चिढ़ाती निगाहो से देखने का,
" किसी को कुछ चाहिए का ? " उकसाते हुए वो बोली,
और जब तक उसका भाई कुछ जवाब देता वो पीछे मुड़ के खड़ी हो गयी,
पीछे से तो वो और सेक्सी माल लग रही थी, एप्रन की सिर्फ एक डोरी गले में बंधी, बाकी गोरी केले के पत्ते की तरह चिकनी पीठ उस किशोरी की, मुट्ठी में आ जाए ऐसी पतली कटीली कमरिया और बड़े बड़े खुले दावत देते मांसल मटकते कूल्हे, और आगे तो थांग दो इंच की थी भी, पीछे बस एक डोरी की तरह, पतली सूत की तरह बस किसी तरह नितम्बों में फंसी,
पीछे मुड़ के वो मुस्करायी, ऊँगली मोड़ के उस षोडसी ने अपने पीछे आने की दावत दी और नितम्बो को मटकाते, सारंगनयनी, हंस की चल से ठुमकते और,
हल्के से गर्दन को जुम्बिश दे के अपने भाई से बोली,
" जो मेरे पीछे आएगा, वो अपनी माँ, "और कुछ रुक के हलके से जोड़ा, " चोदेगा,... और वो भी मेरे सामने। "
जवाब उनकी साली ने दिया, " अरे चोद देगा अपनी माँ ये, तेरे लिए, तेरे सामने ही चोद देगा, मेरा जीजू रंडी रानी "
गुड्डी हलके से ठहरी, और फिर पीछे मुड़ के अपने पीछे आते भाई को देखा और बड़े भोलेपन से बोली,
" क्यों भैया सोच ले, मादरचोद बनना है तो मेरे पीछे आओ, लास्ट चांस, फिर मैं न छोडूंगी न मेरी भाभी, तुझे, तेरी, ..." और अपनी बात हवा में छोड़ के हलके से दो कदम बढ़ी,
भाई उसके पीछे पीछे, आगे बढ़ा
और गुड्डी फिर ठुमक के रुक गयी, पिछवाड़ा उसके भाई की ओर ही था। आराम से उसने अपनी थांग सरकायी, दोनों हाथों से नितम्बो को फैला के अपने गोल दरवाजे का रसीला द्वार, अपने भैया को दिखाते, ललचाते, हलके से गरदन घुमा के, फ्लाईंग किस ले के पूछा
" क्यों भैया चाहिए ? "
" हाँ, एकदम,... एकदम चाहिए, " उसके भैया किसी तरह थूक घोंटते जोश में बोले,
" स्साले, नाम तो ले नहीं पा रहा है, इसे क्या ले पायेगा, "
बिना पिछवाड़े थांग के ढक्कन को बंद किये, पिछवाड़े के छेद को दिखाते हड़काते वो बोली, और दो कदम आगे चली, पीछे से उसका भाई चिल्लाया,
" तेरी गाँड़, तेरी गाँड़ लूंगा, मारूंगा, एक बार और मार लेने दे बस " और पीछे पीछे गुड्डी के,
तबतक गुड्डी किचेन की खिड़की के पास पहुँच गयी थी और रुक के वो पलट गयी, और अपनी थांग को आगे से सरका के अपनी गुलाबो को दिखाती,
दोनों फांको को हथेली से रगड़ती वो टीनेजर बोली,
" भैया ये ले लो, पिछवाड़े का मजा तो तूने सुबह से तीन बार ले लिया है " और यह कह के एक बार फिर पीछे मुड़ गयी। उसके गोल गोल एकदम खुले नितम्ब, बबल बॉटम, उसके भैया की हालत खराब थी।
गुड्डी खिड़की से बाहर झाँक रही थी, वहां से लिविंग रूम साफ़ दिखता था और लिविंग रूम में उसकी कोमल भाभी और कमल जीजू खड़े खड़े ,
तबतक उसके भैया ने आके गुड्डी को पीछे से दबोच लिया, खूंटा तो खुला ही था खड़ा भी और वो बहिनिया के नितम्बो के बीच में रगड़ खा रहा था,
" नहीं भैया इधर नहीं, आगे वाली ले ले न, इधर बहुत दुःख रहा है " गुड्डी ने बहाना बनाया।
" स्साली चाहे तेरी दुखे या फ़टे मैं तो तेरी गाँड़ मार के रहूँगा "
थांग सरका के दरारों के बीच अपना मोटा मूसल सटाते वो बोले और उनकी साली रीनू के दिल में ठंडक पहुँच गयी,
यही तो वो चाहती थी की उसके जीजू गोल छेद के पक्के रसिया बन जाए, और इस समय वो भी अपनी बहन के गोल छेद में पेलने के लिए बेताब थे।
और बहन भी आज उन्हें तड़पा रही थी, और क्यों न तड़पाये, दर्जा नौ से हाथ में लेकर टहल रही थी, रोज झांट साफ़ करके, और इंटरकोर्स,.. इंटर का रिजल्ट निकलने के हफ्ते भर बाद हुआ, फिर चित्तोड गढ़,... कितना तो इन्ही भैया के आगे रोज चूतड़ मटका मटका के टहलती थी। एक बार भरतपुर बहन का लूट लेने के बाद, बहन के बुलबुल के तो दीवाने हो गए लेकिन गोल दरवाजे की ओर झाँका तक नहीं, छेद तो वो भी है।
" हे गुड्डी दे न इधर वाला" वो दोनों नितम्बो को सहलाते, बहन की पिछवाड़े की दरार रगड़ते चिरौरी कर रहे थे,
"नहीं भैया, वो नहीं, बहुत मन कर रहा है तो मेरी गुलाबो को ले ले, पिछवाड़े तो तुम तीन बार ले चुके हो सुबह से, अब एकदम सूज गयी है तेरे मोटू का धक्के खा खा के, ले लो न आगे की। आज से पहले तो उसी के पीछे पड़े रहते थे, माना तेरा कस के खड़ा है लेकिन दे तो रही हूँ न " उस शोख ने और तड़पाया।
अब उन की समझ में नहीं आ रहा था क्या करे, लेकिन अब ऊँगली की जगह उनका मोटू बहन की गांड की दरार रगड़ रहा था और मन तो अब गुड्डी का भी पिछवाड़े का कर रहा था लेकिन वो थोड़ा और तंग करना चाहती थी अपने भैया कम यार को, हँसते हुए बोली,
" अच्छा भैया मैंने कहा था की जो मेरे पीछे आएगा, वो अपनी माँ चोदेगा, तो सोच ले, चोदेगा मेरी बुआ को मेरे सामने,? पीछे तो तुम आ गए अब पक्का बोलो और साफ़ साफ़ "
" चोद दूंगा, एक बार तो हाँ कर दे, अरे यार जो बहन चोद बन गया वो मादरचोद भी बन जायेगा, गुड्डी दे न "
अब गुड्डी भी जान बुझ के अपनी पिछवाड़े की कसी दरार भैया के मोटे सुपाड़े पे रगड़ रही थी और सोच रही थी, इस स्साले मेरे भाई में सब बात अच्छी है, केयरिंग है, हैंडसम है, औजार जबरदस्त है, बस सीधा थोड़ा ज्यादा है, और फिर उसे चढाती हुयी खिलखिलाती वो किशोरी बोली,
" भैया मैं हाँ न करू तो क्या करेगा तू , "
" तो जबरदस्ती मार लूंगा तेरी गाँड़, " अब जोश में गुड्डी का भाई बोला, अब उससे रहा नहीं जा रहा था, लंड जोश में फटा जा रहा था, कस कस के वो अपनी बहन की, उस षोडसी की दोनों छोटी छोटी ३२ सी वाली चूँचियाँ दबा रहा था,
गुड्डी के मन में आया, फिर स्साले पूछता क्यों हैं मार ले न, गाँड़ होती क्यों हैं मारने के लिए ही न और वो भी मस्त टीनेजर बहन की गाँड़ लेकिन फुस्फसुसाते हुए बोली,
" भैया लेकिन मैं निहुरंगी नहीं, "
" अरे स्साली, मैं खड़े खड़े तेरी गाँड़ मार लूंगा " अब वो आपे से बाहर हो गए थे।
बैगन की ये नयी डिश सच में सब चटखारे ले ले कर खाएंगे और तीन घंटे के अंदर चार लम्बे मोटे बैगन, सिर्फ घोंटना ही नहीं, लिए लिए किचेन का सारा काम करना, गुड्डी की गुलाबो की ट्रेनिंग भी अच्छी होगी।अरे इनकी कामिनी बहेनीय छिनार अशली रंडी है बिलकुल. अपने भैया का खुटा बित्ते से नाप कर बेंगन के साइज का अंदाजा लगा ही लिया.
उनके जीजा उस छिनार के भईया की तरह उसकी बहेनिया भी पूरी दीवानी है रीनू की. बस एक बार बोला और तुरंत ऊपर. अशली रंडी के सारे गुन है.
भईया चाटोरे ने चुत गीली क्या करी पूरा बेंगन अंदर वाह. Amezing erotic game. अब जब तक नई डिश तैयार होंगी बेंगन चुत मे ही पैकेगा.
रंडी का हाथ खाली कहा रहता है. झट से अपने भईया का खुटा पकड़ लिया. लेकिन छिनार की हिम्मत तो देखो. ललकार लिया अपनी मिट्ठी भाभी रीनू को. अब माझा आएगा मुकाबले का.
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Thanks so much for a Mega Comment on Mega Update.First Things first..when you say Mega Update...it indeed is "MEGA"...no two doubts about it.
The "gift" from Geeta to Guddi for kitchen cleaning tips...kaash...has kisi ko aise "gifts" mil jaate...to mard log bhi kabhi kitchen se baahar hi naa aaye
But the part of Guddi in kitchen was just awesome...kainchi se apron kaatna...and the subsequent "description" of remaining clothes of Reenu...kapde "pehan" kar bhi ekdum (almost) nangi...but to be more honest...the way you described the scene in such detail was absolutely awesome!!
The icing on the cake...the language used by all in the kitchen...full desi expletives..(which actually doesnt feel like)...That's your expertise..
Reenu, Guddi aur uske bhai kaa kitchen scene...uff...ekdum jaan leva...has everything an erotic episode should have...super backdoor scene description with equally awesome pics to double the fun (of reading and imagining)![]()
I can go on and on about the entire kitchen + baingan episode...but suffice to say...not only was it super sexy and erotic...it showcases your tremendous writing skills to write a "Mega" update between just 3 characters and a small kitchen area
Guddi kaa "Golconda"...waise south mein aapko pata hoga..Golconda fort bhi hai...
uske bhai ne Golconda kaa dwaar khol ke humko jo mazaa diya...woh to ek alag hi level kaa tha...
in the end...the sexy play of Guddi and her brother...which included "गपागप, सटासट, ....खड़े खड़े" was simply too good...(& mouth watering..if we include the dishes as well)
And as our friend Raji wrote in her comments...ekdum masaale daar update...
In the end, I will only say this much...the amount of effort required to come up with such an awesome and REALLY LOOONG UPDATE (& along with super sexy pics for each section) is truly commendable...
***** (5 Stars)...
komaalrani
हम्म्म्म.... यही सुन ना चाहती थी रंडी छिनार. अपनी महतारी तेरी बुआ को भी पेलेगा. और तेरी महतारी को भी पेलेगा. अरे रीनू को भी यही सुन ना था. आखिर अपने जीजू को ट्रेनिंग किस चीज की दी है. अपनी माँ बहेना को पेलवाने की ना.. गपागप, सटासट, ....खड़े खड़े
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यही तो गुड्डी सुनना चाहती थी और गुड्डी से ज्यादा उनकी साली रीनू, वो वहीँ से बोली, " जीजू छोड़ना मत इस रंडी को, कड़ाही मैं देख लुंगी "
बस, न उनकी ताकत में कोई कमी थी न आसन के ज्ञान में, रीनू के जीजा ने अपनी बहन की दोनों टांगों के बैच अपनी टाँगे डाल के फैलाया और गुड्डी की की जाँघे नितम्ब सब फ़ैल गए, फिर एक ऊँगली पर दूसरी ऊँगली चढ़ाकर एक साथ जड़ तक गुड्डी की गाँड़ में पेल दी।
" उयी उह्ह्ह उईईईईई नहीं भैया "
गुड्डी कुछ दर्द से चीखी कुछ अपने भैया को जोश दिलाने के लिए, लेकिन गुड्डी भी जब से जवानी का पहला पानी चढ़ा था उसके ऊपर तभी से अपने भैया को देख के चींटिया काटती थीं, और अब भैया का साथ दिलाने के लिए, गुड्डी ने अपने दोनों नितम्ब पूरी ताकत से फैला लिए और बस इतना मौका काफी थी,
उँगलियाँ बाहर, सुपाड़ा अंदर, और अबकी गुड्डी वास्तव में दर्द से चिलायी
" ओह्ह भैया, नहीं, उफ्फ्फ, भैया तेरा कित्ता मोटा है, ओह्ह बहुत दर्द हो रहा है "
लेकिन अब उसका भाई उसके दर्द की चिंता नहीं कर रहा था उसे बस मस्ती की पड़ी थी, अगला धक्का और जोरदार और सुपाड़ा अंदर "
" बस बहना, घबड़ा मत तेरे प्यारे मोटू का सुपाड़ा अंदर चला गया है, अब तो रास्ता वो बना लेगा, बस दो मिनट और बर्दास्त कर ले"
और कचकचा के गुड्डी के मालपुआ वैसे गाल उन्होंने काट लिए, निपल पे पिंच कर लिया, एक हाथ बुलबुल को सहला रहा था
जैसे मछली को तैरना नहीं सिखाना पड़ता वैसे ननदों को छिनरपन नहीं सिखाना पड़ता, और गुड्डी तो छिनार में छिनार, उसने खुद एक टांग फैला के थोड़ी ऊपर दीवाल के सहारे, और भैया उसके इशारा समझने लग गए थे।
रस्ता थोड़ा चौड़ा हुआ और घुड़सवार दौड़ पड़ा, सामने खैबर का दर्रा था, एकदम संकरा, लेकिन उसके पार थी मस्ती की घाटी। सवार ने घोड़े को एड मारी और घुसा दिया दर्रे में,
उयी उयी नहीं ऑगगग उफ्फफ्फ्फ़ गुड्डी चीख रही थी, उसकी चीख कान बेध रही थी, लगा रहा था जैसे कसी भोंथरे चाकू से नन्हे मेमंने को हलाल किया जा रहा हो।
लेकिन यही चीखें तो और ऐड लगाती है घोड़े को, बिना घुड़सवार के कहे घोडा सुन के जोश में आ जाता है, खैबर का दर्रा पार हुआ और धीरे धीरे पूरा अंदर,
वो ठेलते गए, पेलते गए, ढकेलते गए, बहना चीखती रही, जल बिन मीन की तरह तड़पती रही, लेकिन उनकी जबरदस्त पकड़। मछली तड़प सकती थी, फिसल सकती थी, चंगुल से बाहर नहीं निकल सकती थी।
जब मंजिल तक, पूरे एक बित्ते उनकी बहन का यार, उनका मोटू अंदर घुस गया जड़ तक तब वो रुके और कुछ देर बाद गुड्डी की चीखे बंद हुयी, पहले सुबकियों में बदलीं फिर सिसकियों में।
और अब उनकी दो ऊँगली भी गुलाबो के अंदर और वो लंड से कम मजा नहीं दे रही थीं उन्हें एक एक नर्व एंडिंग जी प्वाइंट सब मालूम था
कभी गोल गोल कभी चम्मच की तरह मोड़ के, और दो मिनिट में ही बहिनिया पिघलने लगी, मस्ती बुर में आ रही थी और सिकोड़ वो गाँड़ रही थी,
लेकिन तभी एक चीख की आवाज सुनाई पड़ी, गुड्डी की कोमल भाभी की, उस खिड़की से लिविंग रूम काफी कुछ दिखता था जिसमे गुड्डी की भाभी और उनके दोनों जीजू, और उस चीख के बाद कमल जीजू की हलकी सी आवाज,
और भाभी और उनके जीजू भी हलके से दिखे, मतलब भाभी की भी उनके जीजू खड़े खड़े ले रहे थे .
गुड्डी एकदम सोच के गरमा गयी
लेकिन उससे ज्यादा असर उसके भैया पर पड़ा, वो धक्के उन्होंने अपनी बहिनिया के पिछवाड़े मारने शुरू किये की जैसे आज गुड्डी की गाँड़ का गोदाम बना के ही छोड़ेंगे, हर धक्का जड़ तक, पूरा बांस बाहर तक निकाल के एक धक्के में और ये चौथी बार थी जो आज गुड्डी की उसके भैया ले रहे थे तो गुदा सुरंग में जहाँ कहीं भी छिला था, चमड़ी खुली थी, फटी थी, उसे दरेरते रगड़ते
गुड्डी अब थोड़ा झुक गयी थी, खिड़की पकड़ के
और उसको भी आराम हो गया था और उसके यार और भतार को भी, धक्के और धुआंधार हो गए थे, लेकिन गुड्डी भी अब गुदा द्वार का मजा लेना मरवा मरवा के एक दिन के अंदर सीख गयी थी, कभी सिकोड़ती, कभी फैलाती कभी खुद धक्के मारती तो कभी भाई को उकसाती,
" हाँ भैया ऐसे ही, सच्ची तुझे अपने कोचिंग वालियों की अपनी सहेलियों की भी दिलवाऊंगी, एकदम कच्ची कलियाँ, दर्जा नौ दस वाली, दोनों ओर बिन फटी, अगवाड़े की भी झिल्ली फाड़ना और पिछवाड़े की भी, स्साली चिचियायेंगी बहुत लेकिन मैं रहूंगी न हाथ पैर पकड़ के, और एक बात बताऊँ राज की, लेकिन एकदम अपने तक रखना, "
" बोल न, " कमर पकड़ के सुपाड़ा ऑलमोस्ट बाहर निकाल के उसके भैया बोले,
" स्साला एक बार मादरचोद, तेरा पानी जिस लौंडिया के पिछवाड़े गिरा न, खुद हाथ पैर जोड़ेगी, अपनी छोटी बहनों को सहेलियों को ले आएगी बहुत असर है मेरे प्यारे अच्छे भैया के पानी में " मस्त बहन बोली और खुद पीछे धक्का मारा
और खूंटा फिर अंदर, गप्प
बस आगे दोनों ऊँगली बिल में और लंड बहन की गाँड़ में थोड़ी देर में गुड्डी झड़ रही थी, पर उन्होंने ऊँगली बाहर नहीं निकाली और निकाली तो बहन के मुंह में और पीछे के धक्को की स्पीड बढ़ा दी, पांच सात मिनट के बाद जब वो बहन की गाँड़ में झड़े तो गुड्डी भी दुबारा झड़ रही थी।
लेकिन अब उन दोनों के पास बहुत टाइम नहीं था, रीनू की आवाज आयी, हे बहनचोद, भाई चोद, अब आधे घंटे टाइम मुश्किल से बचा है, मेरी बिरयानी तैयार हो गयी है, चलो काम पे लग जाओ।
वाह रंडी स्विडिश बना रही है या फिर क्रीम डिश. बात तो सही है. जब रीनू ने छिनार को रंडी कहा तो उसका पूछना जायज़ है. मै रंडी तो मेरा भैया क्या हुआ.स्वीट डिश
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" हे रंडी रानी, अभी तुझे स्वीट डिश बनानी है, टेबल सेट करनी है " रीनू ने गुड्डी के चूतड़ों पे प्यार से एक हाथ कस के मारते हुए बोला,
और गुड्डी के पिछवाड़े से एक कतरा भाई की मलाई का निकल पड़ा, वो मीठी निगाह से अपने भाई की ओर देखते, बोली, " मीठी भाभी, चल मैं तो रंडी हूँ, लेकिन वो रंडी का भाई क्या हुआ ?"
" भंडुआ, बहन का दल्ला और क्या " हँसते हुए रीनू बोली,
" हे भंडुए चल जरा अपनी बहन की हेल्प कर, वो पांच छ दसहरी आम निकाल के उनकी लम्बी लम्बी स्लाइस काट ले, " गुड्डी ने अपने भैया को स्वीट डिश बनाने के काम पे लगा दिया और बाकी काम में वो खुद,
" थोड़ा मैरीनेट तो करा दे भैया ज्यादा टैंगी हो जाएगा, भैया मेरे "
गुड्डी ने अपनी चम्पाकली की दोनों फांको को फैला के अपने भाई को लुहकाया और कौन भाई छोड़ देता तो बस एक साथ दो तीन लम्बी लम्बी आम की फांके गुड्डी रानी की चूत में,
" चल फ़ास्ट मैरीनेट करा देता हूँ "
हँसते हुए उसके भाई ने बोला और गुड्डी की सीधे क्लिट चूसने लगा और साथ में उँगलियों से दोनों फांको को रगड़ने लगा, और चासनी निकलने लगी, आम की फांके चूत रस में भीग उठीं।
भाई बहन की ये टीम, भाई के जिम्मे अभी भुना गोश्त बनाना बाकी था। अपनी चूत में आम की फांके घुसाए गुड्डी अपने भैया के के लिए सब मसाले, 2-3, तेज पत्ता, 4 लौंग, लंबी ,¼ इंच दालचीनी छड़ी, 2-3 हरी मिर्च, आधी तोड़ी हुई, हरी मिर्च, 4 मध्यम प्याज, कटा हुआ, प्याज. 1 बड़ा चम्मच नरम धनिया का तना, मोटा कटा हुआ, धनिया के दाने,1 ½ बड़ा चम्मच धनिया पाउडर,1 छोटा चम्मच देगी लाल मिर्च पाउडर, दे, गी लाल मिर्च पाउडर½ छोटा चम्मच हल्दी पाउडर, हल्दी पाउडर, 1 चम्मच अदरक लहसुन का पेस्ट
जिस काम में दस पंद्रह मिनट लगता, भाई बहन ने मिल के ५ मिनट में निबटा दिया और फिर जब तक उसका भाई गोश्त भुनने में लगा था गुड्डी स्वीट डिश के बाकी काम में
चल भैया तुझे स्वीट डिश टेस्ट कराती हूँ, गुड्डी उछल के भाई के बगल में ,
क्या मस्त स्वीट डिश थी, भाई स्पेशल,
गुड्डी ने अपनी कसी चूत में आम की लम्बी फांके, खोंस रखी थी और उसके ऊपर क्रीम, ढेर सारी लथेड़ दी थी। और उसके भाई चूस चाट रहे थे। आम की सारी फांके भाई के मुंह में और क्रीम चेहरे पे
रीनू अपने जीजू की मस्ती देख रही थी और गुड्डी की हेल्प में स्वीट डिश सेट कर रही थी, वाइन के प्याले में क्रीम , मैंगो की लम्बी लम्बी फांके, ग्रेप्स के टुकड़े और सबसे ऊपर गारिंश के लिए एक चेरी।
जब तक गुड्डी और रीनू ने मिल के टेबल सेट की, भुना गोश्त और रोगन जोश भी तैयार था। बैगन की कलौंजी रीनू ने पहले ही तैयार कर दी थी।
लेकिन गुड्डी की हालत खराब थी, वो चल नहीं पा रही थी, कभी दीवाल का सहारा लेती तो कभी टेबल का, सुबह से चार बार उसके पिछवाड़े मोटा बांस जा चका था और किचेन में तो और रगड़ के ली गयी, फिर चार मोटे बैगन भी, एकदम जड़ तक, जोर जोर की चिल्ख उठ रही थी.
और थोड़ी देर में सभी लोग लंच के लिए टेबल पे, टंकी सब की खाली हो गयी थी, दो दो राउंड मलाई निकल गयी थी, दिन अभी बाकी था।
हांडी चिकेन,
भुना गोश्त,
रोगनजोश, बैगन की कलौंजी, बिरयानी
और गुड्डी की पेसल स्वीट डिश
लंच के समय भी मस्ती चलती रही।
वाह मान गए. अपने खसम की अशली तारीफ तो मुजे भी बहोत पसंद आई. दोनों जीजू के बराबर वो अकेले. खेर गुड्डी को तो रंडी बना ना था. पर ये मस्त लगा.जोरू का गुलाम भाग २२७
गुड्डी रानी की रगड़ाई- किचेन में मस्ती
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बाहर निकल टेबल सेट करती हुयी गुड्डी को मैंने देखा तो उसकी हालत तो मुझसे भी खराब थी, रुक रुक के खड़ी हो जाती थी। रोकने पर भी सिसकी निकल जाती थी जैसे जोर की चिल्ख उठ रही हो, उसकी ये हाल उसके भैया और रीनू ने मिल के की थी।
क्या किया गुड्डी के भैया ने गुड्डी के साथ,
बस इतना बता सकती हूँ की जितना मेरे दोनों जीजू ने मिल के मेरी रगड़ाई की उससे बहुत ज्यादा, मेरे मरद ने मेरी ननद की रगड़ाई की। जैसा मैं चाहती थी उससे भी बहुत ज्यादा।
इसलिए तो मैं कहती हूँ, मेरा मरद, मेरा मरद है। सारी दुनिया एक तरफ, मेरा मरद अकेले,
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गुड्डी, ये और रीनू के हवाले आज किचेन था और लंच की जिम्मेदारी।
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Update, Part 227 is posted on page 1318 (Last page).
Please read, enjoy, like and comment.
इन भाई बहन का प्यार देख कर तो आँखों से अंशू आ जाएंगे. कितना प्यार हे दोनों मे.इन भाई बहन का प्यार देख कर तो आँखों से अंशू आ जाएंगे. कितना प्यार हे दोनों मे.
जहा छिनार के भैया कम सैया रीनू के जीजा याद दिला रहे है की किसे दो बार पिछवादा रगड़ ठुकाई हुई तो साली पैदाइसी छिनार याद दिलाया. कैसे उसने भईया का रस पिया था. और कैसे खुटे पर खुद चढ़ी थी..
दोनों भाई बहेन कभी कुत्ता बिल्ली जैसे लड़ते है तो कभी रोमांस. ये तो रीनू ना रोके तो लगे ही रहते.
साली छिनार बैगन घुसेड़ी है अपने अंदर फिर भी खुटा ढूढ़ रही है. बात सही है. धोबी के गधे के साथ सुलवाओ. तो इसका भईया भी ऐसा ही है. पराए हो या अपने पिछवाड़े का सोख जरूर है. शादी के वक्त ससुराल की औरतों ने खूब स्वाद लिया चिकने का..
जिसने डाला वही निकले वाह. ये छिनार अशली रंडी खानदान की है. घर मे तो बंदोबस्त कर लिया बहार भी पालने लगी. और अब अपने भईया को गोलकोंडा दिखा रही है. रीनू ने अपने जीजा को गोलकोंडा सोखिन बना ही डाला.
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रीनू का नंबर तो बार बार लग रहा है, पिछली पोस्टो में देखिये, और आप ने कहा है तो अगली पोस्ट में फिर रीनू और उनके जीजूRinu ka bhi number lagao
Chinu to seen me dikhti hi nahi hai
ये प्रैक्टिकल डेमोंसट्रेशन से सिखाया जा रहा है...वाह री कोमलिया ये तू खुद अपने जीजू से गांड मरवा रही थी या गुड्डी छिनार नांदिया को मरवाने के सारे गुन सीखा रही थी. माझा आ गया. जब कोमलिया रुक कर गोल गोल घूमी तो गुड्डी छिनार भी बिलकुल वैसे ही अपना पिछवादा कोमल के मरद अपने भैया के खुटे पर गोल गोल घूमने लगी.
कोमल उछालती तो गुड्डी छिनार नहीं. बस फर्क इतना की कोमलिया अपने जीजू के खुटे पर तो गुड्डी छिनार अपने भैया के खुटे पर.
साली नांदिया है तो पैदाइसी रंडी. PT बचपन से इसी लिए कर रही थी. की सारी एक्सरसाइज के आसान अपने भईया के खुटे पर कर सके.
पता नहीं इन मर्दो को अपनी महतारी का नाम सुनकर क्या हो जाता है. स्पीड बढ़ जाती है. और झटके तेज़ हो जाते है. कोमलिया ने अजय जीजू को उनकी माँ याद दिलाई तो गुड्डी छिनार भी अपनी बुआ मतलब उनकी महतारी याद दिला दी वाह.
लेकिन ये सच मे दिल गुद गुदाने वाला था. उनका भी मुँह खुला. और अपनी बहेनिया के जोबन की तारीफ की. माना उनके बचपन का माल है. लालचते थे देख कर. तो अब पेल दो ना. सब तो कोमलिया की देंन है. मगर उनके मुँह से सुन ने का माझा ही कुछ और है. वाह.
लगता हे कोमलिया अपने मरद के पीछवाड़े के छेद को भी नहीं बचने देने वाली. माझा अब आएगा. कोमालिया और कमल जीजू वाह...
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