Shetan
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अरे इनकी कामिनी बहेनीय छिनार अशली रंडी है बिलकुल. अपने भैया का खुटा बित्ते से नाप कर बेंगन के साइज का अंदाजा लगा ही लिया.गुड्डी और बैगन के मजे
" वाह भैया, सब आप अपने साइज के छांटे हैं, कोई भी एक बित्ते से कम नहीं है "
गुड्डी खिलखिलाते हुए अपने बचपन के यार से बोली।
( वैसे असली बात ये थी की गुड्डी ने सच में अपने भैया का नापा था, इंच टेप ले के, इंच में भी, सेंटीमीटर में भी, लम्बाई भी मोटाई भी, ...इसलिए बोल रही थी )
रीनू ने अपनी ननद को मजेदार चिढ़ाती हुयी आँखों से गुड्डी को देखते हुआ बोला,
" अब इसे मैरीनेट करना पड़ेगा, हर बैगन को कम से कम १५-२० मिनट तक "
" कैसे "
ये पैदायशी बुद्धू पूछ बैठे। लेकिन गुड्डी को कुछ कुछ अंदाजा अब हो गया था, सुबह इन्ही उसकी मीठी भाभी ने खुद अपने हाथ से मोटा खीरा छील के उसकी बिल में पेला था, और उसी की सैंडविच,
रीनू ने बुद्धू जीजू को नजरअंदाज कर दिया और गुड्डी से बोली, " चल स्साली रंडी, ऊपर, और टाँगे फैला ले और थांग बस सरका ले "
गुड्डी, रीनू की चमची, झट्ट से उछल कर किचेन के स्लैब पे, और टाँगे फैला के, गुलाबी गुलाबी चुनमुनिया खोल के , दोनों फांको ने कस के दरवाजा बंद कर के रखा था, बस बड़ी मुश्किल से कसी कसी पतली दरार दिखती थी उस इंटर वाली टीनेजर की।
" चल अब अपने भैया को बोल आगे क्या करना है"
रीनू ने अपने जीजू को एक बैगन जो उन्होंने छांटा था पकड़ाते हुए गुड्डी को बोलै।
" भैया, इसे मेरी, " और उसकी बात पूरी भी नहीं हुयी थी की रीनू ने आग्नेय नेत्रों से घूरा और कस के हड़काया, " स्साली, रंडी, ये होती है रंडी की जुबान, " और गुड्डी सच में एकदम से
" हे मेरे बचपन के यार, चल इधर आ और पेल दे इसे अपनी बहन की बुरिया में " गुड्डी उन्हें अपनी ओर इशारा करके बुला के बोली
लेकिन बैगन मोटा था, कुछ चिकनाई भी नहीं लगी और सबसे बड़ी बात की थांग घुटनो के पास फंसी तो वो टीनेजर अपनी मखमली जाँघे भी पूरी तरह नहीं फैला सकती थी, पर उसके भैया भी १७० + आई क्यू वाले और सबसे बड़ी बात चूत चाटने के रसिया और चूत कुँवारी इंटर वाली छुटकी बहिनिया की हो तो कौन भाई मौका छोड़ता है। तो वो भी बस लग गए,
" हे पांच मिनट के अंदर बैगन घुस जाना चाहिए, भाई बहन की रास लीला के लिए टाइम नहीं है बहुत काम है किचेन में "
रीनू ने हड़काया।
जीभ भाई की कभी बहन की बुर के ऊपर सपड़ सपड़ तो कभी अंदर घुस के जिस चूत की झिल्ली कुछ दिन पहले ही उन्होंने फाड़ी थी, उसकी हाल चाल लेती।
गुड्डी भी अपने भाई का पूरा हाथ बटा रही थी, कस के उनका सर पकड़ के अपनी चूत पे चिपका, कभी खुद निचले होंठों को उनके होंठों पर रगड़ के
" उय्य्यी, हाँ भैया, हां बहुत मजा आ रहा है, ओह्ह्ह ऐसे ही चूस न स्साले, ओह्ह "
वो सिसक रही थी अपनी चंद्रमुखी को उनके मुंह पे रगड़ रही थी। और थोड़ी देर में एक तार की चासनी निकलनी शुरू हो गयी और वैसे, जैसे उसके भैया को इशारा था गेयर चेंज करने के लिए। जीभ का साथ देने के लिए दोनों उँगलियाँ भी आ गयी। उँगलियाँ भरतपुर स्टेशन के अंदर घुस गयी दोनों और जीभ स्टेशन के बाहर लगे सिग्नल को , गुड्डी की क्लिट को, और फिर दोनों होंठ। होंठ क्लिट को कस कस के चूसते,जीभ उसे फ्लिक करती और बुर के अंदर दोनों उँगलियाँ लंड को मात कर रही थीं।
बस थोड़ी देर में झरना फूट पड़ा, चूत एकदम गीली आस पास भी, और गुड्डी के भैया ने बैगन पकड़ के पुश करना शुरू कर दिया। गुड्डी ने भी अपने दोनों हाथों से अपनी फांको को पकड़ के फ़ैलाने की कोशिश की और बैगन की टिप घुस गयी लेकिन रीनू की आवाज
" स्साले गंडुए, पेलना नहीं आता क्या, खाली पेलवाना जानते हो। पेल कस के एक मिनट टाइम है बस, वरना मैं आती हूँ और बैगन की जगह अपनी मुट्ठी पेलूँगी पूरी कोहनी तक। "
और उन्होंने पूरी ताकत से ठेलना धकेलना, शुरू किया। दर्द के मारे गुड्डी की जांघें फटी पड़ रही थी लेकिन वो जानती थी की एक चीख और उसके भैया के बस का कुछ नहीं होगा, उसका क्या वो किसी का दर्द नहीं बरदाश्त कर सकते। गुड्डी ने स्लैब कस के पकड़ लिया और बूँद बूँद कर के दर्द पी गयी।
कभी गोल गोल घुमा के कभी ताकत से ठेल के अपनी बहन की बुर में ऑलमोस्ट पूरा बैगन वो ठेल के माने।
और रीनू ने आगे का इंस्ट्रक्शन दे दिया
" गुड गर्ल, चल अब अपनी थांग ठीक कर और कस के इसे १५ मिनट अपने अंदर भींच के रखना, निकलने न पाए और मुझे बिरयानी का मसाला निकाल के दे "
काम का बटवारा ये था की, रीनू को हैदराबादी बिरयानी बनानी थी, भुना गोश्त और हांडी चिकेन इनके जिम्मे, स्वीट डिश गुड्डी के जिम्मे और गुड्डी हर काम में इन दोनों लोगों की हेल्प भी करती।
बदमाशी शुरू की गुड्डी ने ही।
कुछ तो उस इंटर वाली टीनेजर की बिल में जो मोटा बैगन धंसा था उसका दोष, चूत रिस रही थी, बूँद बूँद कर के और उतनी ही तेज चींटिया भी काट रही थीं, अंदर। दूसरे उसे अपने भैया को छेड़ने में बहुत मजा आता था, बेचारे आधे टाइम बोल ही नहीं पाते थे और अभी तो उनके दोनों हाथ फंसे थे, इसलिए कुछ कर भी नहीं सकते थे।
वो दोनों हाथों से चिकेन वाश कर रहे थे, रगड़ रगड़ कर, गुड्डी उन्हें हेल्प कर रही थी,सबसे पहले अभी हांडी चिकेन ही बनाना था।
लेकिन गुड्डी का एक हाथ तो खाली था और उस शोख, चुलबुली टीनेजर ने हाथ का सही इस्तेमाल किया जो हर बहन बचपन से करना चाहती है।
भैया के बॉक्सर शार्ट में हाथ डाल के अपनी फेवरेट ' मटन पीस ' को पकड़ लिया और बस हलके हलके, न दबाया, न रगड़ा, बस बहुत धीरे धीरे सहलाना शुरू कर दिया, छू के ही मन डोल रहा था।
अब तक गुड्डी तीन मर्दों का घोंट चुकी थी, अपने भैया के अलावा, भाभी के दोनों जीजू, और अगले हफ्ते कोचिंग की पार्टी में पता नहीं कितने, उसकी सहेली रानी का एक पार्टी में ६ का, ६ बार नहीं ६ लड़कों का रिकार्ड था और वो तो उसे तोड़ना ही था। फिर मीठी भाभी तो गली मोहल्ले के भी कितने लौंडो पे दाना डलवा रही थीं, रोज के लिए चार पांच का इंतजाम, मीठी भाभी सच में बहुत अच्छी हैं।
लेकिन जो मजा भैया में है, हर चीज में,... उन्हें छेड़ने में, उकसाने में, चिढ़ाने में, वो किसी में नहीं। पहले भी उनके बारे में सोच सोच के गुड्डी की चूत में चींटी काटती थी और अब जब घोंट लिया भैया का तो और,... भैया के बारे में सोच के बुरिया में आग लग जाती है
लेकिन गुड्डी अकेले नहीं थी, जवान होती हर टीनेजर बहन की यही हालत होती है, भाई के और ' भाई का ' सोच के।
" हे गुड्डी क्या कर रही है " उन्होंने झिड़का। दोनों हाथ तो मटन को पकडे थे, कुछ कर तो सकते नही थे और गुड्डी भी इस बात को जानती थी। अब वो खुल के मुठियाते बोली,
" क्या कर रही हूँ ? जो एक बहन का हक़ है, वो कररही हूँ। नहीं अच्छा लग रहा हो मना कर दीजिये " अपनी शोख अदा में आँख नचा के उस शैतान ने चिढ़ाया।
" मेरे हाथ खाली होने दो तो बताता हूँ "
वो भी अब मूड में आ रहे थे, लेकिन गुड्डी जानती थी आज उसके भैया के जिम्मे बहुत काम है इसलिए उसका ज्यादा कुछ वो बिगाड़ नहीं पाएंगे इसलिए और उकसा रही थी। और गुड्डी ने अपनी बात ही आगे बढ़ाई,
" और भैय्या, मना करियेगा न तो आपके मना करने से कौन मैं मानने वाली हूँ ? करुँगी तो अपने मन की और हाथ खाली हो के भी आप का कर लेंगे मेरा ? उस टीनेजर ने अब खुल के चैलेन्ज दिया।
" भूल गयी अभी, दो दो बार सुबह से, " हिम्मत से वो बोले।
लेकिन गुड्डी की भाभी से तो कभी जीत नहीं पाए और अब उन्ही भाभी की सिखाई पढ़ाई ननदिया से भी जीतना मुश्किल था,
उनके जीजा उस छिनार के भईया की तरह उसकी बहेनिया भी पूरी दीवानी है रीनू की. बस एक बार बोला और तुरंत ऊपर. अशली रंडी के सारे गुन है.
भईया चाटोरे ने चुत गीली क्या करी पूरा बेंगन अंदर वाह. Amezing erotic game. अब जब तक नई डिश तैयार होंगी बेंगन चुत मे ही पैकेगा.
रंडी का हाथ खाली कहा रहता है. झट से अपने भईया का खुटा पकड़ लिया. लेकिन छिनार की हिम्मत तो देखो. ललकार लिया अपनी मिट्ठी भाभी रीनू को. अब माझा आएगा मुकाबले का.