री अब का होत पछताये जब मांद बन गयी गांड।
लंड का धक्का गांड मे चुत पे आण्ड दिया सटाय।।
हिनहिना के गुड्डी ने अपने भैया को लिया मनाय।
अपने संग सब बहने क्या मे तो मैया भी लूँ चुदाय।।
कोमल भाभी ने सिखाया सैंया को चोदन का खेल।
बिस्तर पर तो मानो जैसे अब बन जाता है वो बैल।।
ऐसा धक्का मारियो भैया अकड़ जाये सब निकल।
ठंडी से ठंडी औरत भी पल भर मे जाये पिघल।।
रसगुल्ला, रसमलाई हो या चमचम जैसी मिठाई।
खुद थाली मे आ गिरे जैसे भाभी हो हलवाई।।
चाटना चोदना तो भाभी तक बाकी सबकी फाड़।
भेद ना कर चुत-चुत मे अपना खूंटा सीधे दे गाड़।।
अरे भैया तुमको हमारी कोमल भोजी की दुहाई।
कन्या हो औरत तु करना अब सब की चुदाई।।
चुदाई हो तो ऐसी हो रात भर मैं चूत फूल जाए।
सोलह बरस का सावन क्या पुरानी खेती भी लहराए।।
रे भैया तुमको हमारी कोमल भोजी की दुहाई।
जो अपने पानी से अपनी बहना का पेट ना फुलाये।।