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जोरू का गुलाम भाग २३०
रात भर मस्ती- बारी ननदिया गुड्डी
29,62,275
घर पहुँचते ही ,
कल रात की तरह आज भी लिविंग रूम में रीनू और गुड्डी वाल टू वाल गद्दे लगाकर गयीं थी , एक टेबल पर ड्रिंक्स का सामान भी मौजूद था ,... सोफे कुर्सियां किनारे ,
और गुड्डी ने सबसे पहले अपने भइया को धकेल कर गद्दे पर , बचपन में भाई बहन जिस तरह की धींगामस्ती करते हैं उसी तरह एकदम ,
और उन्होंने भी गुड्डी को अपने ऊपर खींच लिया , रीनू उनकी साली भी अपने जीजू की रगड़ाई में गुड्डी के साथ आ गयी मैदान में ,
जो होना था वही हुआ , थोड़ी देर में इनके कपडे कमरे के चारो तरफ बिखरे पड़े थे ,
और कुछ देर में गुड्डी और रीनू के कपडे भी उनके साथ , ... गुड्डी ने रीनू से सीख लिया था मर्द को कैसे काबू में किया जाता है , बस ऊपर चढ़ कर उस किशोरी ने उनके दोनों हाथ पकड़ कर , उन के सर के नीचे ,
" हिलना मत भैया " उनकी बहना बोली। " अगर हिले तो बहुत पिटोगे , और रात भर उपवास करोगे सो अलग। तेरी बीबी नहीं आएगी बचाने। "
मैं सच में क्यों आती बचाने , मैं तो अपने दोनों जीजू की गोद में बैठी सोफे पर मस्ती कर रही थी ,
और इन्हे दोनों ने बाँट लिया ,
नीचे का हिस्सा गुड्डी के हिस्से में पड़ा , ऊपर का रीनू के ,
गुड्डी को मालूम था जब से वो जवान हुयी थी , उसके कच्चे टिकोरों ने उसके भइया को , ... बस उन्ही दोनों जुबना का उसने सहारा लिया ,....
और सीधे तलुओं से , अपने दोनों उभार हलके हलके उनके तलुओं से उसने सहलाया , ... जैसे किसी ने मैग्नेटिक लेविटेशन मास्टर कर लिया हो , बस उसके उभार , गोल गोल , गोरे गोरे कड़े कड़े , ...
उसके भइया के पैरों पर सहलाते हुए सीधे ऊपर तक ,
किसी इंटर वाली लड़की के गदराये कच्चे उभार देह से रगड़ेंगे , सहलायेंगे तो क्या होगा , आपके साथ,... बस वही इनके साथ भी हुआ
ऊपर से इनका पुराना माल ,...
झंडा एकदम खड़ा ,...
लेकिन गुड्डी के उभारों ने उसे इग्नोर कर दिया ,
सही किया,... दो साल तक तो इन्होने भी उस बेचारी की कच्ची अमिया को ऐसे ही इग्नोर किय न कभी रगड़ा न मीजा। वो देर तक उनके ऊपर झुकी , जैसे फल से लदी शाख कोई खुद ही झुक कर , ... उसी तरह उसके जोबन इनकी जाँघों के ऊपर रगड़ रगड़ रहे थे फिसल रहे थे ,
बस जैसे गलती से उसके निप्स , खड़े कड़े , गोल्डन रिंग से घिरे ,... इनके आलमोस्ट खुले सुपाड़े से टकरा गया और
उन्हें जोर का झटका जोर से लगा , ....
एकदम तन्नाया बौराया ,
पर गुड्डी के उभार उड़ कर जैसे सीधे उनके पेट को छू रहे थे , सहला रहे थे , और जो काम गुड्डी के पथराये उभार कर रहे थे
वही रीनू के होंठ कर रहे थे , ... पहला चुम्मा पलकों पर , और उनकी आँखे उनकी साली ने अपने होंठों मुंदवा दीं।
फिर रीनू के होठ सरकते हुए उनके गालों पर , ...
जैसे कोई तितली बाग़ में उड़ती फिरे , कभी इस फूल पर , कभी उस फूल पर , कभी थोड़ी देर बैठे , कभी बस छू के उड़ जाय
वही हालत उनकी साली के होंठों की हो रही थी ,
कुछ देर तक उनके ईयर लोब्स पर रीनू के होंठ थे ,
तो अगले पल जीभ से उनके शोल्डर ब्लेड को जस्ट हलके से मेरी बहन ने लिक कर लिया ,
दोनों के बीच , गुड्डी और रीनू के बीच ,जैसे सरोद और सितार की जुगलबंदी चल रही हो, दोनों को मालूम हो की अगला सुर कौन सा होगा , कब ठहराव होगा और कब सीधे मन्द्र से द्रुत पर
जब गुड्डी के निप्स 'एक्सीडेंटली ' इनके खूंटे के खुले सुपाड़े से टकराये ,
उसी समय रीनू के होंठ उसके जीजू के छाती पर , इनके दोनों मेल टिट्स पर ,... और अबकी देर तक वो लिक करती रहे , और कचकचा कर बाइट कर लिया , वो चीख उठे , मजे से ज्यादा , ... दर्द से कम ,.. पर रीनू ने एक चांटा इनके गाल पर जड़ दिया ,
अगले दस मिनट तक तीनों चुप रहे , बस उनकी देह बोलती रही , साथ में ताल दे रही कभी गुड्डी के पायल की रुनझुन तो कभी रीनू के चूड़ियों की चुरूरमुरुर
देह उनकी उसी तरह बंटी रही ,
ऊपरी आधे हिस्से पर मेरी बहन उनकी साली काबिज थी और निचले आधे हिस्से पर , उनकी बहन , मेरी ननद ने हमला बोल रखा था।
लेकिन अब यह हमला ऑल राउंड अटैक हो गया था , गुड्डी के सिर्फ उरोज ही नहीं , उसकी लम्बी लम्बी किशोर उँगलियाँ , रसीले होंठ और यहाँ तक की उसकी चुनमुनिया भी ,... और रीनू तो पक्की शेरनी थी , एकदम जबदरस्त खिलाड़ी , एक तरुणी , एक किशोरी और दोनों के बीच दबे कुचले जा रहे थे ,
एक के भैय्या , एक के जिज्जा जी।
कौन कहता है की सिर्फ ;लड़कियों की सैंडविच बन सकती है , मेरे सामने इनकी बन रही थी , लेकिन इनकी फेवरिट फैंटेसी भी थी यह ,...
रात भर मस्ती- बारी ननदिया गुड्डी
29,62,275
घर पहुँचते ही ,
कल रात की तरह आज भी लिविंग रूम में रीनू और गुड्डी वाल टू वाल गद्दे लगाकर गयीं थी , एक टेबल पर ड्रिंक्स का सामान भी मौजूद था ,... सोफे कुर्सियां किनारे ,
और गुड्डी ने सबसे पहले अपने भइया को धकेल कर गद्दे पर , बचपन में भाई बहन जिस तरह की धींगामस्ती करते हैं उसी तरह एकदम ,
और उन्होंने भी गुड्डी को अपने ऊपर खींच लिया , रीनू उनकी साली भी अपने जीजू की रगड़ाई में गुड्डी के साथ आ गयी मैदान में ,
जो होना था वही हुआ , थोड़ी देर में इनके कपडे कमरे के चारो तरफ बिखरे पड़े थे ,
और कुछ देर में गुड्डी और रीनू के कपडे भी उनके साथ , ... गुड्डी ने रीनू से सीख लिया था मर्द को कैसे काबू में किया जाता है , बस ऊपर चढ़ कर उस किशोरी ने उनके दोनों हाथ पकड़ कर , उन के सर के नीचे ,
" हिलना मत भैया " उनकी बहना बोली। " अगर हिले तो बहुत पिटोगे , और रात भर उपवास करोगे सो अलग। तेरी बीबी नहीं आएगी बचाने। "
मैं सच में क्यों आती बचाने , मैं तो अपने दोनों जीजू की गोद में बैठी सोफे पर मस्ती कर रही थी ,
और इन्हे दोनों ने बाँट लिया ,
नीचे का हिस्सा गुड्डी के हिस्से में पड़ा , ऊपर का रीनू के ,
गुड्डी को मालूम था जब से वो जवान हुयी थी , उसके कच्चे टिकोरों ने उसके भइया को , ... बस उन्ही दोनों जुबना का उसने सहारा लिया ,....
और सीधे तलुओं से , अपने दोनों उभार हलके हलके उनके तलुओं से उसने सहलाया , ... जैसे किसी ने मैग्नेटिक लेविटेशन मास्टर कर लिया हो , बस उसके उभार , गोल गोल , गोरे गोरे कड़े कड़े , ...
उसके भइया के पैरों पर सहलाते हुए सीधे ऊपर तक ,
किसी इंटर वाली लड़की के गदराये कच्चे उभार देह से रगड़ेंगे , सहलायेंगे तो क्या होगा , आपके साथ,... बस वही इनके साथ भी हुआ
ऊपर से इनका पुराना माल ,...
झंडा एकदम खड़ा ,...
लेकिन गुड्डी के उभारों ने उसे इग्नोर कर दिया ,
सही किया,... दो साल तक तो इन्होने भी उस बेचारी की कच्ची अमिया को ऐसे ही इग्नोर किय न कभी रगड़ा न मीजा। वो देर तक उनके ऊपर झुकी , जैसे फल से लदी शाख कोई खुद ही झुक कर , ... उसी तरह उसके जोबन इनकी जाँघों के ऊपर रगड़ रगड़ रहे थे फिसल रहे थे ,
बस जैसे गलती से उसके निप्स , खड़े कड़े , गोल्डन रिंग से घिरे ,... इनके आलमोस्ट खुले सुपाड़े से टकरा गया और
उन्हें जोर का झटका जोर से लगा , ....
एकदम तन्नाया बौराया ,
पर गुड्डी के उभार उड़ कर जैसे सीधे उनके पेट को छू रहे थे , सहला रहे थे , और जो काम गुड्डी के पथराये उभार कर रहे थे
वही रीनू के होंठ कर रहे थे , ... पहला चुम्मा पलकों पर , और उनकी आँखे उनकी साली ने अपने होंठों मुंदवा दीं।
फिर रीनू के होठ सरकते हुए उनके गालों पर , ...
जैसे कोई तितली बाग़ में उड़ती फिरे , कभी इस फूल पर , कभी उस फूल पर , कभी थोड़ी देर बैठे , कभी बस छू के उड़ जाय
वही हालत उनकी साली के होंठों की हो रही थी ,
कुछ देर तक उनके ईयर लोब्स पर रीनू के होंठ थे ,
तो अगले पल जीभ से उनके शोल्डर ब्लेड को जस्ट हलके से मेरी बहन ने लिक कर लिया ,
दोनों के बीच , गुड्डी और रीनू के बीच ,जैसे सरोद और सितार की जुगलबंदी चल रही हो, दोनों को मालूम हो की अगला सुर कौन सा होगा , कब ठहराव होगा और कब सीधे मन्द्र से द्रुत पर
जब गुड्डी के निप्स 'एक्सीडेंटली ' इनके खूंटे के खुले सुपाड़े से टकराये ,
उसी समय रीनू के होंठ उसके जीजू के छाती पर , इनके दोनों मेल टिट्स पर ,... और अबकी देर तक वो लिक करती रहे , और कचकचा कर बाइट कर लिया , वो चीख उठे , मजे से ज्यादा , ... दर्द से कम ,.. पर रीनू ने एक चांटा इनके गाल पर जड़ दिया ,
अगले दस मिनट तक तीनों चुप रहे , बस उनकी देह बोलती रही , साथ में ताल दे रही कभी गुड्डी के पायल की रुनझुन तो कभी रीनू के चूड़ियों की चुरूरमुरुर
देह उनकी उसी तरह बंटी रही ,
ऊपरी आधे हिस्से पर मेरी बहन उनकी साली काबिज थी और निचले आधे हिस्से पर , उनकी बहन , मेरी ननद ने हमला बोल रखा था।
लेकिन अब यह हमला ऑल राउंड अटैक हो गया था , गुड्डी के सिर्फ उरोज ही नहीं , उसकी लम्बी लम्बी किशोर उँगलियाँ , रसीले होंठ और यहाँ तक की उसकी चुनमुनिया भी ,... और रीनू तो पक्की शेरनी थी , एकदम जबदरस्त खिलाड़ी , एक तरुणी , एक किशोरी और दोनों के बीच दबे कुचले जा रहे थे ,
एक के भैय्या , एक के जिज्जा जी।
कौन कहता है की सिर्फ ;लड़कियों की सैंडविच बन सकती है , मेरे सामने इनकी बन रही थी , लेकिन इनकी फेवरिट फैंटेसी भी थी यह ,...
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