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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

Mass

Well-Known Member
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Yes i know, the same thing my story is waiting for,

sometimes I wait and sometimes you have to wait but rest assured I will be visiting your story soon and when ever you find time, do post a review on this post
Thank you. This time, I surely wont disappoint you...will post my review by today or tomorrow at max. Sure. I wanted to post my review today itself..but was just too busy and tired. Luckily, weekend coming up..so, definitely will post my review. Thank you.

komaalrani
 

Premkumar65

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मजे 'गुड्डी बाई के मोहल्ले' के



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रीनू की शरारतें वहां भी जारी थीं ,

टिकट के लिए भी उसने गुड्डी को ही भेजा ,

गुड्डी सचमुच में पक्की गुड्डी बाई लग रही थी, वही ठसका, वही ठुमके और वही अंदाज, कपडे मेकअप तो एकदम पांच रुपये छाप रीनू ने क्र ही दिया था।


और पिक्चर हाल भी उसी तरह का रंडियों के इलाके का एक्सटेंसन सा ही लग रहा था, कहीं पान की पीक, कहीं अधजली बीड़ी सिगरेट,कोई ज्यादा चहल पहल भी नहीं थी। दो चार रंडियां चक्कर काट रही थीं, एक कोई, पुराने पोस्टर के पास खड़ी सिगरेट सुलगा थी, पोस्टर भी आधा नुचा, नाम बस पढ़ने में आ रहा था, गरम जवानी, दो चार और ऐसे पुराने पोस्टर लगे थे इधर उधर, दीवाल के कोने में एक कुत्ता लेटा तिरछी आँखों से इधर उधर देख रहा था, फिर कुनमुना के लेट गया।

पिकचर शुरू होने में अभी टाइम था।

रीनू ने गुड्डी को ही टिकट लाने भेजा।

टिकट खिड़की वाली भी कान खुजाते हुए खिड़की के बाहर गुड्डी की ओर ही देख रहा था,


गुड्डी उसे देख के मुस्करायी, मैं भी उन दोनों की बात सुनने के लिए एकदम टिकट खिड़की की बगल में दीवाल के पास, गुड्डी के भैया भी गुड्डी के पीछे पीछे चल के लेकिन थोड़ी देर पे खड़े और उनके पीछे रीनू, अजय और कमल जीजू के साथ,

" हे छह टिकट बालकोनी के, सबसे पीछे वाले " गुड्डी बड़े अंदाज से बोली


और जिस अदा से उसने पहले धागे की तरह दोनों उभारों के बीच फंसे आँचल को सरकाया और चोली के ऊपर से दोनों उभारों की नुमाइश की फिर चोली में हाथ डाल के, गोलाइयाँ तो पहले ही झलक रही थीं, अब एकदम खुल के उस टिकट वाले के सामने,


गुड्डी को कोई जल्दी नहीं थी, धीरे धीरे हाथ डाल के , बुदबुदाते हुए,' स्साला कहाँ घुस गया, माँ का,... एक छोटा सा बटुआ निकाला

और जैसे ही खिड़की वाले की ओर देखा, टिकट वाला मुस्करा के बोला,

" लगता है पहली बार आयी हो, अरे इस हाल में बालकनी वाल्कनी नहीं हैं फिर तेरे मोहल्ले वाली सब तो एकदम आगे की सीट पे बैठती हैं , लकड़ी वाली, " तबतक उसकी निगाह गुड्डी से थोड़ी दूर खड़े इन पे पड़ी और वो बोला,

" लौंडा तो बढ़िया पाटा है, मोटा असामी लगता है, इसीलिए, यहाँ सबसे ऊँचा दर्जा, ड्रेस सर्किल हैं, चल उसी की दे देता हूँ, पीछे की दो लाइन, एकदम खाली रहती है। "

और टिकट लेके गुड्डी ने फिर उसे सम्हाल के, उस स्टाइल से पहले चोली के अंदर से वो बटुआ निकाला और फिर बटुए में टिकट और बटुआ चोली में

और उस दौरान गुड्डी के गोल गोल गदराये छोटे छोटे गोरे जुबना को टिकट वाला बिना टिकट देख रहा था, रस ले रहा था,


"माल तो तेरा जबरदस्त है स्साली तू आग लगा देगी, चल अभी तो, लेकिन अगली बार आएगी न तो तेरा महीने का पास बना दूंगा। ये देख रही दोनों जो खड़ी हैं उनका महीने का पास है "


" मतलब, "


गुड्डी को भी बात करने में मजा आ रहा था, पलकें झपकते हुए मुस्करा के उसने टिकट बाबू की ओर देखा और हलके से अपनी जीभ लाल लाल गाढ़ी लिपस्टिक लगे होंठों पे फेरा बस टिकट बाबू गुलाम, और सब बातें बता दी,


" चल तू नयी नयी है, तेरा पहला महीना फ्री, ये सब जो देख रही हैं, अभी कोई स्साला दिखेगा तो उसे पटा के अंदर, असली फिल्ल्म तो दस मिनट में शुरू होगी और फिर ये सब जब तक परदे पे वो वाली चल रही है, ग्राहक का, बस खोल के आगे पीछे, और क्या ज्यादा पैसे देने वाला हुआ तो ऊपर वाला भी खोल के पकड़ा देंगी, वो स्साला कब तक चलेगा, दो मिनट,चार मिनट, और एक बार वो झड़ गया तो खेल ख़तम पैसा हजम, फिर बाहर निकल के दूसरा मुर्गा, तो एक शो में चार पांच तो मिल ही जाते हैं, बस जो कल्लू है न वो गेटकीपर बस वो दस टका



" अरे ये दस रूपया तो बहुत ज्यादा " गुड्डी बनावटी घबड़ा के बोली

" अरे दस रूपया नहीं, मतलब कुल कमाई का दस फीसदी, लेकिन कौन हिसाब रखता है जो मिल जाए और कभी कभी वो कलुआ भी, किसी दिन धंधा किसी का ठंडा हुआ, ग्राहक नहीं मिल रहा है तो वही जाके, और हाँ कुछ तो मुंह में भी लेकिन एक तो कंडोम लगा के और उसका चौगुना, दस गुना जैसा ग्राहक हो " बुकिंग बाबू ने समझाया, नयी नवेली को।

" और किसी ग्राहक का घपाघप का मन हो तो, " पीछे मुड़ के अपने भैया की ओर देख के वो मुस्करा के बोली


" तो करवा ले न, लेकिन इतनी जगह नहीं होती और असली कमाई तो टर्न ओवर की है, जैसे गुजराती थाली होती है, जितनी जल्दी ग्राहक को निपटाया, दूसरा आएगा, हाँ कभी कभार एकाध कोई पुलिस वाला या ऐसे ही कोई आया तो किनारे निहुरा के काम चला लेता है , वैसे नाम क्या है तेरा, "


टिकट बाबू धीरे धीरे यारी बढ़ा रहे थे और अब एक दो और रंडियां भी आस पास मंडरा रही थीं।


" गुड्डी, गुड्डी बाई, हाँ एक बात और बता दे कोई पान की बढ़िया दुकान आस पास " गुड्डी खिड़की से हटते हुए पूछ बैठी,

" जब अंदर सड़क पे जायेगी न थोड़ी दूर पे ठेका है, बस उसी के बाद दो गली छोड़ के तीसरी गली के मोड़ पे, पेसल बोलेगी तो समझ ले पलंग तोड़ पान झूठ दो तीन पानी तो मरद फेंकेगा ही, मेरा नाम बता देना राजू नाम है मेरा और हाँ पिक्चर अभी आधे घंटे में शुरू होगी । "





गली में घुसते ही एक तेज भभका सा उठा।

नाली में जगह जगह इस्तेमाल किये कंडोम फेंके हुए थे, कोने में एक जगह कचड़ा पड़ा था, और दोनों ओर मकानों के बाहर भंडुए मंडरा रहे थे। लेकिन असली खेल गलियों में था जहाँ हर घर के बाहर छह सात लड़कियां, कुछ साड़ी चोली में तो कुछ टॉप जींस में भी, खूब गहरे मेकअप किये, कुछ मकानों में छत पर से भी,




पास ही में वो दारू का ठेका भी था, बगल में एक चाय पकौड़ी की दूकान, जहाँ बेंच पर कुछ लोग बैठे थे, बायीं ओर की एक गली में सड़क पर ताज़ी मछली बिक रही थी



दो भंडुए पीछे गुड्डी के पड़ गए ,


" हे नयी आयी है क्या , ...चल मेरे साथ " एक बोला

" चल न , वरना यहां , आठ दस तो अभी बैठने वाले मिल जाएंगे , जाँघों में ताकत तो तेरे बहुत है ,.... चार टका तेरा , बाकी हमारा। आखिर पुलिस को भी खिलाना पड़ता है , दादा लोगों को ,... "दूसरा बोला


" चल हट , आठ दस से मेरा क्या होगा ,...और ये चार टके पे नहीं सौदा होगा। " गुड्डी ने एक रंडी वाले अंदाज से उसे झिड़का , और आगे बढ़ गयी।


तब तक रीनू ने किसी से पान की दूकान के बारे में , पूछा तो टिकट वाले ने बताया था ठेके के बाद की दूसरी गली में और उसने भी वही बताया की सबसे अच्छी तो एक है जो पेसल डबल जोड़ा बेचता है , लेकिन , वो उस गली ,...

वो गली सच में ‘सड़क छाप’ थी , सड़क के दोनों ओर रंडिया बन ठन के , कोई इशारे से बुलाता तो कोई हाथ पकड़ कर ही ,... चारों ओर शोहदे , सड़क छाप। कोई आँख बचा के झट से घुस जाता तो कोई सिर्फ मोल भाव में ही मजे ले रहा था।





गुड्डी जैसे ही गली में घुसी ,सब की आंख वही टिकी ,


और पान वाले से उसने छह जोड़े डबल पेसल पान बंधवाये , दो जोड़े उसने और बाँध दिए , बोला ,
" एक भी किसी मर्द को खिला देगी न तो बकरा सांड हो जाएगा , लेकिन तेरी जांघ में ताकत है , तू झेल लेगी। नयी आयी लगती है , ... चल तुझे चंदा बाई के कोठे पर रखवा देता हूँ , ... "

पान का उसने पैसा भी नहीं लिया ,गुड्डी ने सिर्फ एक बार झुक कर अपने जोबन की झलक दिखला दी और वादा कर दिया कल पक्का , आज किसी के साथ है


उसी पान के दूकान पे एक औरत सिगरेट सुलगा के खड़ी थी, थोड़ी भरी देह की, पान खाये लाल लाल होंठ, और उस की तेज निगाहों ने पहले तो गुड्डी को ऊपर से नीचे तक देखा और गली के मोड पे खड़े गुड्डी के भैया पे निगाह पड़ गयी, और मुस्करा के बोली,

" वो स्साला भंडुआ,... तेरे साथ है क्या " और गुड्डी ने गली के मोड़ पे देखा तो ये, बस झट से गुड्डी ने कहानी बताई,




वैसे तो रीनू ने गुड्डी को ये टास्क दिया था, रंडियों के मोहल्ले के अंदर पंद्रह बीस मिनट रह के और पान की दूकान से पान लाना,

लेकिन उसके भैया, उनके अंदर हजार गुण हों लेकिन एक खराबी थी, केयर करने वाली और ये खराबी बड़ी तगड़ी थी। तो गुड्डी के साथ तो नहीं लेकिन काफी पीछे पीछे, और इधर उधर की रंडियों को देखते जैसे कोई समझे ये भी ग्राहक है कोई नया माल देख रहा है,

लेकिन उस औरत की तेज और अनुभवी आँखों ने समझ लिया थी को वो कोई ग्राहक नहीं है इस नयी चिड़िया के साथ है,

" तुझे फंसा के लाया है न " उस औरत ने गुड्डी की ओर सिगरेट बढ़ाते हुए कहा ,



" हाँ "गुड्डीने सुट्टा मारते हुए कहा,


और फिर जोड़ा की हम दोनों एक होटल में हैं पांच दिन से, पैसे वैसे सब कब के खलास, तो दो दिन पहले स्साला भंडुआ बोला की मान जा तो एक ग्राहक कोई ले आता हूँ , मोटा असामी होगा तो दे जाएगा तगड़ा। लेकिन,


" कोई नहीं आया न,"


मुस्करा के वो औरत बोली, फिर जोड़ा " मेरा नाम मेरा नाम गुलाब बाई है,सब मौसी बोलते हैं, बीस साल से यही काम कर रही हूँ नया पंछी देखने का,... जिसको जिसको कोठे पे बैठाया, उसका उसका डंका बज गया, ...तेरा नाम क्या है "



" गुड्डी, गुड्डी बाई " गुड्डी के मुंह से निकल गया फिर उसने जोड़ा,

" नहीं, आया था एक आया था लेकिन तीन दिन में एक से क्या,... तो मैं खुद बोली यार बेचना है कोई चीज तो बाजार में बेचो न, यहाँ कहाँ कहाँ से ग्राहक ढूंढोगे और होटल का किराया अलग "

" एकदम सही कहा तूने, बाजार की चीज बाजार में ही बिकती है, किसी को कोई चीज लेनी हो तो मालूम होगा जहाँ मिलती है वहीँ जाएगा न और जब से गली गली में स्पा, पार्लर खुल गए हैं और होटल वाले कस्टरमर सब वही, हजार पांच सौ में सर्विस के नाम पे सब मिल जाता है। लेकिन तूने सही किया, देख चीज तेरी है तो बेचने का हक़ तेरा, और वो स्साला तेरा भंडुआ, लौंडा टाइप उसके बस का कुछ नहीं है , कोई भंडुआ उसको पुलिस का डर दिखा के तुझे गड़प कर देगा या वो तुझे खुद ही औने पौने किसी कोठे पे बेच देगा। और मान लो तेरे होटल में रोज कोई पकड़ के ले भी आया तो वो स्साला बहनचोद कितना देगा, पांच सौ, हजार, दो हजार और यहाँ तो चार पांच घंटे में तू कमा लेगी इस रूप और जोबन पे। " गुलाब बाई बोली,

असली खेल था मेरी बहिनिया और गुड्डी बाई की भौजी रीनू का, जो उसने तीन तीन मर्दों की मलाई गुड्डी के ऊपर क्रीम के साथ लपेटी थी, चेहरे पे, गले पे जुबना पे, और मरद की मलाई, पसीने और सस्ते परफ्यूम की महक का जो जबरस्त महक वाला कॉकटेल बना था व्ही सब ग्राहकों की नजर, भंडुओं की निगाह गुड्डी बाई की ओर खींच रहा था, मर्द की महक जिस लड़की के देह में रची बसी हो, जैसे गौने की रात के बाद बार बार मर्द के नीचे आके जब नयी दुल्हन नीचे उतरती है तो एक अलग ही महक उसकी देह से निकलती है, जैसे पद्मिनी नारियों की देह से कमल की महक निकलती है एकदम उसी तरह अलग सी महक

और गुलाब बाई ने उस महक को पहचान लिया था, और समझ गयी थी, रुप रंग, जोबन बारी उमरिया के साथ ये महक, ग्राहक तो दस गली छोड़ के सूंघते सूंघते इस के पास आएंगे. गुड्डी की भी गुलाब बाई से जम गयी थी तो उसने पूछ ही लिया

" कैसे मौसी " गुड्डी की आँखे चमक गयीं, चेहरा ख़ुशी से दमक गया।

" अरे देख, अगल बगल देख साले जितने चक्कर काट रहे हैं मरद,... सब की निगाह तेरे पे ही है, और हजारो यहाँ हर गली में रोज चक्कर काटते हैं और सैकड़ों रोज बैठते हैं,... बस जोड़ ले। तुझे कभी ग्राहक की कमी तो होगी नहीं, एक को निपटा के बाहर निकलेगी तो दूसरा तुरंत,... तो ये साले पांच दस मिनट से ज्यादा कोई टिकते नहीं, तो एक घंटे में कितने, " मौसी ने पूछा




गुड्डी की मैथ्स अच्छी थी, झट से बोली, मौसी छह,।



" चल पांच मान ले, अरे अपनी मशीन धोएगी, साले का कंडोम फेंकेगी, दल्ले सब कंडोम गिन के ही हिसाब करते हैं, उस का पचास रूपया अलग से, और एक बात, सौदा नीचे वाले का है, जब वो पेंट खोले उसके साथ ही बोल देना की ऊपर वाला छूना है तो उसका पैसा अलग और चोली खोलने का तो दो गुना, टाइम भी तो एक्स्ट्रा खाटी होता है, तो पांच और पांच घंटे में पच्चीस, नहीं तो बीस, १०० रूपये भी जोड़ तो २००० हो जाएगा और तेरा तो इसका तिगुना चौगुना, चलेगी क्या,... लेकिन अभी तो तेरे साथ वो, "


मौसी ने हिसाब समझाया,

" हाँ आज वो दो तीन को और ले आया है पिक्चर हाल में कुछ तो स्साले देंगे " गुड्डी मुंह बना के बोली,

" सही कह रही है, लेकिन मेरी बात याद रखना और तेरा नंबर नहीं मांग रही हूँ लेकिन ये कार्ड रख ले काम आएगा, मर्जी तेरी, लेकिन जब तू चाहे " और कार्ड उसने गुड्डी को पकड़ा दिया लेकिन गुड्डी कार्ड देख के चौक गयी, प्रेम चाय शाप।

" लेकिन मौसी ये तो, " कार्ड देख के गुड्डी बोली,


और वो हंस पड़ी,

" यहाँ मैं नहीं मिलूंगी, बस इस गली के अंत में चाय की ये दूकान है। दूकान के अंत में एक पर्दा है बस बिना कुछ बोले वो पर्दा हटा के अंदर आ जाना, वहां एक बंदा हरदम चौबीस घंटे रहता है उसे कार्ड दिखा देना या खाली बोल देना, गुलाब मौसी से मिलना है वो ले आएगा, या फोन भी करना, तो बस मिस्ड काल मार देना, मेरा कोई बंदा आधे घंटे में वापस फोन करेगा, चल मैं भी चलती हूँ तू भी चल वो स्साला कैसे घूर रहा है, लेकिन एक बात बताऊँ, ....तेरा ख्याल करता है वो "

और एक बगल की गली से वो अंदर और गुड्डी भी पान बाँध के वापस,


हाँ गली से बाहर निकलते समय एकदम एक लड़का सा , उसके पीछे ,...



" हे देती है क्या ,... "

" क्या लेगा , " कमर मटका के गुड्डी बोली , और उसके पाजामे का नाडा पकड़ के खींच दिया ,


" अरे अभी खड़ा वडा होता भी है कि नहीं , ... चल जा अपनी आपा से ६१ -६२ करवा ले , देख कुछ सफ़ेद सफ़ेद निकलता है की नहीं , अगर एकाध बूँद भी निकला न तो तेरे लिए चाइल्ड कंसेशन "


अगल बगल खड़े सब हंसने लगे ,
wowww kya mast picturisation kiya hai kothewaliyon ka. Ye experience kahan se aya Komalji?
 

Premkumar65

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गुड्डी बाई -मस्ती पिक्चर हाल में
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पिक्चर हाल में गुड्डी अजय के साथ , ये अपनी साली और मैं कमल जीजू के साथ ,.... हाल में तो बस आगे वाली सीटें भरी थी , ड्रेस सर्किल में में हमी लोग थे ,

सबसे ज्यादा मजे इनके और गुड्डी बाई के थे और सबसे ज्यादा दुरगत मेरी।

अजय सबसे किनारे और उनके बगल में गुड्डी बाई और फिर ये। मतलब गुड्डी के दोनों ओर,

और इनके एक बगल में उनकी बहना, गुड्डी बाई और दूसरी ओर साली, रीनू फिर कमल जीजू और दूसरे किनारे पे मैं।

और बदमाशी सबसे पहले , और कौन, शुरू करेगा, कमल जीजू फिल्म बस शुरू ही हुयी थी, और वो मुझसे बोले,


" कोमलिया, तेरी सीट पे कुछ प्रॉब्लम है जरा उठ देखता हूँ,"

और मैं जैसे उठी, उन्होंने खींच के मुझे अपनी गोद में,

और बात सही भी है , साली की सही जगह जिज्जू की गोद में है।


लेकिन मैं भी कोई ऐसी वैसी साली तो हूँ नहीं, तो बैठते बैठे मैंने पीछे से अपनी साड़ी साया कमर तक, और जीजू की पेंट तो पहले ही सरक गयी थी ।

तो अब बस उनके मोटू और मेरे चिकने चिकने कोमल कोमल पिछवाड़े के बीच में कोई बाधा नहीं थी, और कुछ उन्होंने फैलाया कुछ मैंने, तो पिछवाड़े की फैली दरार के बीच में कमल जीजू का मोटा औजार फंस गया। अब तो जीजू के इस मोटू से मेरे पिछवाड़े से इतनी दोस्ती होगयी थी, पिछले २४ घंटे में ही पांच छह बार घुस चूका था अंदर लेकिन न उसका मन भरता था न मेरे भूरे दरवाजे का।

कमल जीजू भी न बस, कमल जीजू ही थे।

आज हम तीनो, मैं, रीनू और गुड्डी एकदम चनिया चोली वाली चोली पहन के आये थे आलमोस्ट बैकलेस, बस एक धागे से बंधी




और उनके हाथों ने झट से मेरे कैद जुबना को आजाद कराया और सीधे अपने हाथों में और क्या कस कस के मसल रहे थे लेकिन मैं भी उन्ही के ग्रेड की साली थी मैं क्यों छोड़ती, मैं भी अपने चौड़े चौड़े चूतड़ जीजू के तन्नाए बौराये मोटू पे रगड़ रही थी।

लेकिन मजे सबसे ज्यादा ये और इनकी छिनार बहिनिया ले रही थी,

इनके दोनों हाथों में लड्डू और इनकी बहन के दोनों हाथो में भी ल से शुरू होने वाला अंग।


एक हाथ से ये अपनी बहन की छोटी छोटी चूँची दबा रहे थे तो दूसरे हाथ से अपनी साली की बड़ी बड़ी चूँची।

और गुड्डी बाई की दूसरी चूँची पे अजय का हाथ, दो दो मरद सिनेमा हाल में खुल के दोनों चूँची के मजे ले इससे ज्यादा कोई लड़की क्या चाहेगी

और रीनू भी खाली नहीं बैठी थी, अपने जीजू के औजार को पेंट से बाहर उसी ने निकाला और झुक के चुम्मा भी ले लिया।


और प्राइवेसी भी करीब करीब पूरी थी।



सामने की सीटों पर तो और खुल्लमखुला खेल हो रहा था। शुरू में बस दो चार लोग, लेकिन पिक्चर शुरू होते होते ४० -५० लोग हो गए थे , ज्यादातर आगे की पंद्रह बीस रो में और सब के सब जोड़ों में। किनारे की सीटें सबसे पहले भरीं, फिर दो चार लोग बीच की सीटों पर भी और खूब सीटी, हल्ला गुल्ला,

" अरे असली पिक्चर लगाओ "

और दस मिनट के बाद साफ़ था कोई ब्ल्यू फिल्म काट के, दो आदमी दो औरतें एक साथ, और जैसे ही वो पिक्चर चालू हुयी, तेजी से ज़िप खुलने की आवाजें और फिर आहा उईईई हाँ अरे आराम से, साफ़ था फिल्म देख देख के मुठ मारी जा रही थी, और उसी सिसकियों के बीच किसी आदमी की आवाज आयी,

" हे ऊपर वाला खोल न "

" उसका पचास अलग से लगेगा " किसी औरत की आवाज आयी।

" दे दूंगा, एक बार पकड़ने दे न " वही आदमी बोला।

" पहले पैसा निकाल " उसी औरत की आवाज आयी।

सामने परदे पे ब्लो जॉब का क्लोज अप आ रहा था और फिल्म की सिसकियों के साथ पिकचर हाल में भी सिसकियाँ बढ़ गयी थीं।

" हे जरा एक बार मुंह लगा दे न " किसी आदमी की आवाज आयी और तुरंत जवाब आया, " उस का चौगुना लगता है, पहले १०० की पत्ती निकाल और कंडोम लगा ले "

परदे पर का चूसने का सीन था, या हाल का डायलॉग,.... रीनू ने गुड्डी का सर पकड़ के गुड्डी के भैया के खड़े तन्नाए लंड पे झुका दिया और उस ने न १०० का पत्ता माँगा न कंडोम लगाने की जिद की, बस चुसूर चुसूर चूसने लगी,



अजय की दो उँगलियाँ गुड्डी की बिल में घुसी हुयी थीं। और ये अपनी साली के साथ चुम्मा चाटी कर रहे थे।

गुड्डी मल्टी टास्किंग में एक्सपर्ट थी, चूस वो अपने भैया का रही थी लेकिन मुठिया अजय का रही थी।

पर कुछ देर बाद इनकी साली ने अपने जीजू के खूंटे को मुंह में ले लिया और गुड्डी का पूरा ध्यान अजय के ऊपर,

आगे परदे पर ब्ल्यू फिल्म ख़तम हो गयी थी और देखते देखते आधा से ज्यादा सीटें खाली, पर थोड़ी देर में वहीँ रंडिया वापस लेकिन मर्द बदल गए थे और पंद्रह बीस मिनट में जब दोबारा ब्ल्यू फिल्म चलने लगी तो फिर पहले की तरह, मुठ मारना, सिसकिया और इंटरवल के पहले आधे से ज्यादा लोग चले गए।

लेकिन हम लोगो की मस्ती पे कोई फरक नहीं पड़ रहा था, और साथ में हम दोनों बहने अपनी ननद को छेड़ भी रही थीं, चिढ़ा भी रही थीं। रीनू सामने चल रही ब्ल्यू फिल्म को देख के, गुड्डी को चिढ़ाते बोली,

" हे गुड्डी बाई देख कित्ता मोटा है "

" मेरे भैया का उससे बीस है " इनका मोटा खूंटा मसलते इनकी बहिनिया बोली। तबतक एक लड़की जो चूस रही थी, उसके पीछे दूसरा आदमी चढ़ गया और हचक के पेलने लगा।

" क्या ललचा रही है गुड्डी बाई, एक साथ दो दो, अरे तेरे ऊपर एक साथ तीन तीन चढेंगे " मैंने गुड्डी बाई को छेड़ा।

लेकिन गुड्डी असल रंडी, और अब रंडियो की जुबान भी सीख गयी थी,

" अरे भौजी तोहार झांट काहें सुलग रही है, आपके दो दो जीजा है तो दो का मजा साथ लेती हैं तो मेरे भी तीन बहनचोद, मादरचोद भाई है तो मैं भी तीन का मजा एक साथ लूँगी, छेद तीन हैं लंड तीन,... आप दोनों देखिएगा जलियेगा नहीं तो किचेन से बेलन लेके अंदर डाल लीजियेगा। "

अपने मुंह से अजय का खूंटा निकाल के वो बोली और फिर इनका मूसल चूसने लगी।


पिक्चर हाल में मैंने भी बहुत मजे लिए थे, किस करना, ये भी थोड़ी हिम्मत कर के ऊपर से बूब्स पकड़ लेते थे दबा देते थे और मैं शैतानी से बालकोनी में या बॉक्स में कार्नर सीट पे ज़िप खोल के, लेकिन आज ऐसी मस्ती कभी नहीं आयी।

मैंने देखा की पूरे हाल में बस वही आवाज, वही काम,

इंटरवल तक २५ -३० लोगों की मुट्ठ तो मारी ही गयी होगी।

लेकिन न हम तीन लड़कियां झड़ी न कोई मर्द, असल में मेरी और रीनू की प्लानिंग थीं, आज रात में ये तीनो लौंडे गुड्डी पे एक साथ, उसके तीनो छेद की सेवा जबरदस्त हो और कल जब ये लड़के लोग लौंडेबाजी वाले स्पा में जाएंगे तो मैं और रीनू मिल के गुड्डी की जबरदस्त रगड़ाई, डबल स्ट्रेप आन



इंटरवल में हम लोग निकल आये , ... और सीधे एक होटल में



रीनू की शरारत वहां भी जारी थी ,
Kya mast mahal banaya hai. jaise sath me picture hall ke andar khel chuki ho aap.
 

Premkumar65

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गुड्डी बाई -होटल में


इंटरवल में हम लोग निकल आये , ... और सीधे एक होटल में



रीनू की शरारत वहां भी जारी थी ,


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सबसे बड़ी बात तो रीनू ने ये की कि, गुड्डी बाई कि धजा बदली।

जिस तरह से वो 'सड़क छाप रंडी ' लग रही थी किसी होटल में घुसना मुश्किल था लेकिन रीनू एकदम जादूगरनी थी और प्लानिंग में परफेक्ट। कार कि डिक्की में एक बड़ा सा बैग रखा था और उसी पिक्चर हाल के बाथरूम में ही, रीनू और गुड्डी घुसी और जब निकली तो एकदम बदली, चार इंच कि स्टिलेटो हील, छोटा सा माइक्रो स्कर्ट, जो चुनमुनिया से मुश्किल से डेढ़ दो बित्ते नीचे तक और वो भी स्प्लिट, और एक ट्यूब टॉप जो उभारों को और उभार रहा था और चेहरे का मेकअप भी बदला, खूब डार्क मसकारा, फाल्स आईलैशेज, एक अलग रंग कि लिपस्टिक और तेज परफ्यूम

एक हाई क्लास तो नहीं लेकिन खुल्ल्म खुला काल गर्ल या एस्कॉर्ट लग रही थी और सबसे बड़ी बात ड्रेस के साथ ऐटिटूड भी उसी तरह का, लम्बी तो वो थी ही, गोरी गोरी लम्बी लम्बी टाँगे और चार इंच के हाई हील के साथ और खुल के और जिस तरह से वो हिप्स को मटका मटका के चल रही थी

और होटल भी उस रंडियों के मोहल्ले से बहुत दूर नहीं था, उसमें बार और डिस्को भी था और साफ़ था कि ये काल गर्ल्स का भी अड्डा था।


और गुड्डी ने जिस तरह से एंट्री ली सब कि नजर उसकी तरफ और उसका नाम भी सबकी जुबान पर चढ़ गया होगा, क्योंकि रीनू बार बार उसे नाम से ही बुला रही थी, गुड्डी गुड्डी कर के और उस के फेसबुक और इंस्टा के डिटेल भी ,


और जब वेटर आया तो आर्डर देने का काम भी उसी के जिम्मे रीनू ने लगाया और जिस तरह से गुड्डी खुल के फ्लर्ट कर रही थी,

" आई वांट समथिंग हॉट एंड स्ट्रांग, बस मजा आ जाये, च्वायस इज योर्स, "


और सर्व करते हुए भी जब वेटर उसकी ओर आया तो गुड्डी ने वो जबरदस्त अंगड़ाई ली कि लगा दोनों कबूतर टॉप फाड़ के उड़ कयेंगे और वैसे भी जब से उसके निप रिंग उसके भैया ने लगवाई थी, निप्स टनटनाये ही रहते थे तो उस ड्रेस से कबूतर कि दोनों चोंचे साफ़ नजर आ रही थी,

और जब वो गुड्डी कि प्लेट में सर्व कर रहा था तो गुड्डी कि आंखे सीधी उसकी आँखों से टकरायीं और जीभ अपने सेक्सी डार्क लिपस्टिक लगे होंठों पे उसने फिराई,


" उयी आप ने एक बार ही इतना सारा डाल दिया " सर्विंग कि ओर देखते हुए जो डबल मीनिंग डायलॉग उसने बोला तो बेचारे वेटर का तम्बू तन गया।

रीनू ने गुड्डी की ब्रा जब्त कर ली थी और एकदम देह से चिपके करीब करीब पारदर्शी टॉप से जुबना का कड़ाव, कटाव, उभार सब दिख रहा था और गोल्डन रिंग से निप तो हरदम टनाटन रहते थे तो वो भी टॉप में छेद कर रहे थे और वेटर की निगाह भी बार बार वहीँ,...



खाने के बीच में जब वेटर सर्व कर रहा था तो रीनू गुड्डी से बोली ,


" सुन यार तुझे अगर सुसु आ रही है न तो वाशरूम चली जा , वरना यहां गड़बड़ मत करना , और अपना पर्स भी ले जा। "


पर्स तो रीनू का था , लेकिन गुड्डी की ऊँगली दबा के जो इशारा रीनू ने किया था , वो गुड्डी समझ गयी।


पांच मिनट बाद वो वाशरूम से आयी तो पर्स खाली था , रीनू ने खोल कर चेक कर लिया। दोनों ननद भाभी जोर से मुस्करायीं

पर्स के अंदर रेड वाला बट्ट प्लग था




और बेन वा बॉल्स , ... और गुड्डी उसे अगवाड़े पिछवाड़े घुसेड़ कर आयी थी ,

रीनू भी पक्की ,... हलके हलके सरका कर उसने चेक भी किया , वहीँ।

हे और पैंटी गीली तो नहीं कर दी, रीनू ने एकदम खुले आम पूछा

" अरे नहीं आप खुद चेक कर लीजिये, अपने पर्स में से निकाल के अपनी पिंक कलर कि पतली सी थांग लहराते हुए रीनू को दे दिया,

वेटर उस समय स्वीट डिश सर्व कर रहा था और जब बिल ले के आया तो गुड्डी ने उसे दिखा के पहले तो बिल के पीछे लिपस्टिक निकाल के अपना मोबाइल नंबर लिखा और टिप में अपनी थांग भी,

होटल से निकलते ही हम लोगो ने जोर से हो हो किया

दस बजे तक हम लोग घर पर थे और वो रात सच में तूफानी थी , हम सब के लिए लेकिन सबसे ज्यादा गुड्डी के लिए।

लेकिन बदमाशी भी सबसे ज्यादा गुड्डी ने ही की ,

और सबसे जयादा अपने भइया के साथ , और उसकी पिलानिंग में शामिल थीं , और कौन मेरी बहन , इनकी साली और गुड्डी बाई ( अब रीनू के साथ हम सब लोग उसे इस नाम से बुला रहे थे ).

मैंने गुड्डी को जीता था उसके भइया को उसके सामने आम खिला के , ... मैंने और मुझसे ज्यादा मम्मी ने इनकी खाने पीने की सारी आदतें सुधार दी थीं ,

लेकिन पान से ये अभी भी , .... कोहबर में भी मना कर दिया था , ....

और गुड्डी बाई उस मशहूर गली के मशहूर पान वाले से ६ जोड़े पान की जगह आठ जोड़े पान लायी थी , और सब के सब पेसल ,...



होटल से लौटते हुए , गुड्डी बाई ने एकदम रंडी वाली ही अदा में अपने भइया को पान ऑफर किया ,

असल में गाडी मैं चला रही थी , रीनू मेरे बगल में , पीछे तीनों लड़के और गुड्डी अपने भइया की गोद में , और आफ कोर्स एक जोबन उसके भइया के कब्जे में दूसरा अजय के ,


लेकिन गुड्डी के पान वाले ऑफर को उन्होंने बेदर्दी बालमा स्टाइल में ठुकरा दिया ,

गुड्डी बोली , चल भैया मैं ही खा लेती हूँ , और वो पान बस उसने इनके होंठों से छुलाकर सीधे अपने मुंह मे




लेकिन रीनू आयी उसकी बचत को , चल यार तेरे यार ने मना कर दिया , तो तू मुझे दे दे , ... एक जोड़ी पान रीनू के मुँह में भी ,....

और थोड़ी देर में ही पहले बहन के मुंह का फिर साली के मुंह का कुचा कुचाया, मुख रस से भीगा पान इनके मुंह में और हाँ गुड्डी के पीछे से बट्ट प्लग और आगे से बेन वा बॉल्स निकालने का काम भी गुड्डी के भैया ने ही किया।



घर पहुँचते ही ,

कल रात की तरह आज भी लिविंग रूम में रीनू और गुड्डी वाल टू वाल गद्दे लगाकर गयीं थी , एक टेबल पर ड्रिंक्स का सामान भी मौजूद था ,... सोफे कुर्सियां किनारे ,

और गुड्डी ने सबसे पहले अपने भइया को धकेल कर गद्दे पर , बचपन में भाई बहन जिस तरह की धींगामस्ती करते हैं उसी तरह एकदम ,

और उन्होंने भी गुड्डी को अपने ऊपर खींच लिया , रीनू उनकी साली भी अपने जीजू की रगड़ाई में गुड्डी के साथ आ गयी मैदान में ,

जो होना था वही हुआ , थोड़ी देर में इनके कपडे कमरे के चारो तरफ बिखरे पड़े थे ,

और कुछ देर में गुड्डी और रीनू के कपडे भी उनके साथ , ... गुड्डी ने रीनू से सीख लिया था मर्द को कैसे काबू में किया जाता है , बस ऊपर चढ़ कर उस किशोरी ने उनके दोनों हाथ पकड़ कर , उन के सर के नीचे ,

" हिलना मत भैया " उनकी बहना बोली।
" अगर हिले तो बहुत पिटोगे , और रात भर उपवास करोगे सो अलग। तेरी बीबी नहीं आएगी बचाने।
Superb Update Komalji. Maan gaye aapki lekhni ko.
 

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जोरू का गुलाम भाग २३०

रात भर मस्ती- बारी ननदिया गुड्डी

29,62,275



घर पहुँचते ही ,



कल रात की तरह आज भी लिविंग रूम में रीनू और गुड्डी वाल टू वाल गद्दे लगाकर गयीं थी , एक टेबल पर ड्रिंक्स का सामान भी मौजूद था ,... सोफे कुर्सियां किनारे ,

और गुड्डी ने सबसे पहले अपने भइया को धकेल कर गद्दे पर , बचपन में भाई बहन जिस तरह की धींगामस्ती करते हैं उसी तरह एकदम ,

और उन्होंने भी गुड्डी को अपने ऊपर खींच लिया , रीनू उनकी साली भी अपने जीजू की रगड़ाई में गुड्डी के साथ आ गयी मैदान में ,



जो होना था वही हुआ , थोड़ी देर में इनके कपडे कमरे के चारो तरफ बिखरे पड़े थे ,

और कुछ देर में गुड्डी और रीनू के कपडे भी उनके साथ , ... गुड्डी ने रीनू से सीख लिया था मर्द को कैसे काबू में किया जाता है , बस ऊपर चढ़ कर उस किशोरी ने उनके दोनों हाथ पकड़ कर , उन के सर के नीचे ,

" हिलना मत भैया " उनकी बहना बोली। " अगर हिले तो बहुत पिटोगे , और रात भर उपवास करोगे सो अलग। तेरी बीबी नहीं आएगी बचाने। "


मैं सच में क्यों आती बचाने , मैं तो अपने दोनों जीजू की गोद में बैठी सोफे पर मस्ती कर रही थी ,

और इन्हे दोनों ने बाँट लिया ,

नीचे का हिस्सा गुड्डी के हिस्से में पड़ा , ऊपर का रीनू के ,

गुड्डी को मालूम था जब से वो जवान हुयी थी , उसके कच्चे टिकोरों ने उसके भइया को , ... बस उन्ही दोनों जुबना का उसने सहारा लिया ,....

और सीधे तलुओं से , अपने दोनों उभार हलके हलके उनके तलुओं से उसने सहलाया , ... जैसे किसी ने मैग्नेटिक लेविटेशन मास्टर कर लिया हो , बस उसके उभार , गोल गोल , गोरे गोरे कड़े कड़े , ...




उसके भइया के पैरों पर सहलाते हुए सीधे ऊपर तक ,

किसी इंटर वाली लड़की के गदराये कच्चे उभार देह से रगड़ेंगे , सहलायेंगे तो क्या होगा , आपके साथ,... बस वही इनके साथ भी हुआ

ऊपर से इनका पुराना माल ,...

झंडा एकदम खड़ा ,...

लेकिन गुड्डी के उभारों ने उसे इग्नोर कर दिया ,

सही किया,... दो साल तक तो इन्होने भी उस बेचारी की कच्ची अमिया को ऐसे ही इग्नोर किय न कभी रगड़ा न मीजा। वो देर तक उनके ऊपर झुकी , जैसे फल से लदी शाख कोई खुद ही झुक कर , ... उसी तरह उसके जोबन इनकी जाँघों के ऊपर रगड़ रगड़ रहे थे फिसल रहे थे ,

बस जैसे गलती से उसके निप्स , खड़े कड़े , गोल्डन रिंग से घिरे ,... इनके आलमोस्ट खुले सुपाड़े से टकरा गया और

उन्हें जोर का झटका जोर से लगा , ....

एकदम तन्नाया बौराया ,

पर गुड्डी के उभार उड़ कर जैसे सीधे उनके पेट को छू रहे थे , सहला रहे थे , और जो काम गुड्डी के पथराये उभार कर रहे थे

वही रीनू के होंठ कर रहे थे , ... पहला चुम्मा पलकों पर , और उनकी आँखे उनकी साली ने अपने होंठों मुंदवा दीं।


फिर रीनू के होठ सरकते हुए उनके गालों पर , ...

जैसे कोई तितली बाग़ में उड़ती फिरे , कभी इस फूल पर , कभी उस फूल पर , कभी थोड़ी देर बैठे , कभी बस छू के उड़ जाय

वही हालत उनकी साली के होंठों की हो रही थी ,

कुछ देर तक उनके ईयर लोब्स पर रीनू के होंठ थे ,




तो अगले पल जीभ से उनके शोल्डर ब्लेड को जस्ट हलके से मेरी बहन ने लिक कर लिया ,

दोनों के बीच , गुड्डी और रीनू के बीच ,जैसे सरोद और सितार की जुगलबंदी चल रही हो, दोनों को मालूम हो की अगला सुर कौन सा होगा , कब ठहराव होगा और कब सीधे मन्द्र से द्रुत पर

जब गुड्डी के निप्स 'एक्सीडेंटली ' इनके खूंटे के खुले सुपाड़े से टकराये ,


उसी समय रीनू के होंठ उसके जीजू के छाती पर , इनके दोनों मेल टिट्स पर ,... और अबकी देर तक वो लिक करती रहे , और कचकचा कर बाइट कर लिया , वो चीख उठे , मजे से ज्यादा , ... दर्द से कम ,.. पर रीनू ने एक चांटा इनके गाल पर जड़ दिया ,

अगले दस मिनट तक तीनों चुप रहे , बस उनकी देह बोलती रही , साथ में ताल दे रही कभी गुड्डी के पायल की रुनझुन तो कभी रीनू के चूड़ियों की चुरूरमुरुर

देह उनकी उसी तरह बंटी रही ,

ऊपरी आधे हिस्से पर मेरी बहन उनकी साली काबिज थी और निचले आधे हिस्से पर , उनकी बहन , मेरी ननद ने हमला बोल रखा था।

लेकिन अब यह हमला ऑल राउंड अटैक हो गया था , गुड्डी के सिर्फ उरोज ही नहीं , उसकी लम्बी लम्बी किशोर उँगलियाँ , रसीले होंठ और यहाँ तक की उसकी चुनमुनिया भी ,... और रीनू तो पक्की शेरनी थी , एकदम जबदरस्त खिलाड़ी , एक तरुणी , एक किशोरी और दोनों के बीच दबे कुचले जा रहे थे ,

एक के भैय्या , एक के जिज्जा जी।

कौन कहता है की सिर्फ ;लड़कियों की सैंडविच बन सकती है , मेरे सामने इनकी बन रही थी , लेकिन इनकी फेवरिट फैंटेसी भी थी यह ,...
Wowww good idea to sandwich between two young females.
 

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मस्ती ही मस्ती- ननद भौजाई



एक झटके में पूरा सुपाड़ा उनकी साली के बिल ने घोंट लिया ,

और उस के साथ उनकी बहन जो आधे घंटे से जोड़ा पाना मुंह में रचा घुला रही थी ,
पान का रस , एक एक बूँद फिर लार सी , एक धागे सी ,... गुड्डी के होंठ से , उसके भइया के होंठों के बीच ,

गुड्डी के थूक में घुले , मिले लिथड़े पान के टुकड़े , ...और फिर गुड्डी ने अपने होंठों से अपने भइया के होंठ सील कर दिए


उधर उनकी साली ने जोर जोर के धक्के मारे , आधे से ज्यादा खूंटा अपनी बिल में


जब तक पान का सारा रस उसके भैया ने घोंट नहीं लिया ,


गुड्डी के होंठ चिपके रहे ,

एक जोड़ा पान उनकी साली के मुंह में भी था ,



अब गुड्डी के होंठ हटने के बाद वो भी

बूँद बूँद , फिर लार , एक धागा सा पान का रस ,...

एक जोड़ा पान का वियाग्रा के फूल डोज से ज्यादा असरदार था और उनके मुंह में तो बहन और साली के रस से घुले दो जोड़े पान के रस ,

ये राउंड सोलो ही था



रीनू तो अपने जीजू के साथ चालु ही हो गयी थी ,


गुड्डी को अजय ने



और



मैं कमल जीजू के साथ, एकदम सही सोचा आपने, मेरे पिछवाड़े उनका फेवरिट छेद




उसके बाद डबलिंग

मेरे साथ कमल और अजय

और गुड्डी के साथ ये और कमल जीजू




हाँ रीनू ने तो जैसे एक जिज्जा व्रत ले रखा था इसलिए और कोई नहीं ,

गुड्डी की तो ट्रिपलिंग भी हुयी , ये गुड्डी के मुंह में , कमल जीजू , पिछवाड़े और अजय आगे



लेकिन सैंडविच और गुड्डी की ट्रिपलिंग के बीच लड़कों को ब्रेक देने के लिए ,... मैंने, रीनू ने स्ट्रैप ऑन से गुड्डी की सैंडविच बनाई।



मैं आगे पिछवाड़े का इलाका रीनू के पास। पूरी रात मस्ती

रीनू दस दस इंच के दो सुपर स्ट्रैप ऑन , जायंट्स ले आयी थी एक लाल , एक काला ,




एकदम डिब्बा बंद ,..

( पहले तो मुझे लगा १० इंच , ये कल की लौंडिया ,.... फिर मुझे लगा जावेद जिसका वो मुठिया भी चुकी है , इसके फेसबुक पेज में है उसकी फोटो तो अब मेरे भी मोबाइल में है , पूरे ११ इंच का बम्बू , ..और नापते हुए ,... रानी ने बोला भी है ,... गुड्डी रानी पर पहली चढ़ाई पार्टी में यही बम्बू करेगा )

डिब्बा भी खोला गुड्डी ने , रैपर भी , और रीनू ने दोनों को चटवाया भी गुड्डी से ,

कर दे चिकना , और कुछ नहीं लगाने वाली तेरी भाभियाँ , .... बोली वो ,


और हम दोनों ने गुड्डी के , तीनो लड़को के सामने ही वो स्ट्रैप ऑन बांधे , उन्हें दिखाते चिढ़ाते ,





और एक बार फिर इनकी ममेरी बहन , कुतिया बनी घुटनों पर झुकी मेरे सामने , मेरी जाँघों के बीच बंधे स्ट्रैप ऑन को कस कस के चूस रही थी , और मैं गालियां देती हुयी उसके बाल खींचती हुयी मुंह में ठेल रही थी ,

" चल रंडी की , ... चूस स्साली वरना इसी से तेरी भाई की गांड मारूंगी ,... भाई चोद , मेरे भाइयों को रखैल ,... चूस कस कस के "

ये मुस्कराते हुए देख रहे थे , क्लिक क्लिक अपने मोबाईल से खींच रहे थे ,


और मुझे शादी के बाद का अपना पहला दिन याद आ रहा था , सुहागरात से पहले का , जब ननदें भाभियों को छेड़तीं है , सुहागरात की बातें सुना के डराती चिढ़ाती हैं , ये मुझे ज्ञान दे रही थी ,

" भाभी आप मेरे भैया को जानती नहीं है , आज ही तो आयी हैं , मैं बात दूंगी आप को सब उन के बारे में उन की पसंद नापसंद , मुझे से अच्छी तरह समझ लीजियेगा , वरना,... "

मैं बस एक चीज जानती थी ये जो लड़का है मुझे अच्छा लगता है , मुझे खूब प्यार करता है , और दुनिया इधर से उधर हो जाए मैं उसे छोड़ने वाली नहीं

और रहा ननद का सवाल , तो वो जो काम हर भाभी जवान होती ननद के साथ करती है , वो मैं भी करुँगी। बस।

और उस के बाद रीनू का ,... रीनू ने काले रंग का दस इन्च वाला बाँध रखा था , और मैंने लाल।

खींच कर गुड्डी को अपने उस सुपर डिलडो पर रीनू ने चढ़ाया , और एक बार चार पंच इंच घुस गया तो मैं पिछवाड़े ,


अभी भी ऑलमोस्ट कोरा ही ,

डा. गिल ने बोला भी था , मेरी ननद की बुरिया , दो चार बच्चे जन के भी भोंसडे वाली कभी नहीं होगी , कसी की कसी रहेगी ,.. और वही हालत पिछवाड़े के छेद की थी।


मैंने जान बूझ कर पहला धक्का ही पूरी ताकत से मारा , मेरी बड़ी पुरानी इच्छा थी , इनके सामने इनकी बहन की गांड मारने की , जिस दिन मैं शादी के बाद घर में आयी थी इनके , सुहागरात के पहले ही , जब मेरी ननद ने मुझे ज्ञान दिया था तभी ,...


"उईईईईई , उईईई " क्या चीखी वो।
नीचे से रीनू बोली ,

" कोमलिया क्या हलके से ,... अरे हमारी ननद गदहे के गली वाली है , एलवल की , ... इसे तो गदहे का भी घोंटना है , उन्ही गदहों का तो लटका हुआ देख देख कर ये जवान हुयी है , वही सोच सोच के , हमारी ननद झांटे आने से पहले से ऊँगली करती थी , मार कस के , इसके मायके तक सुनाई दे ,"



रीनू मेरी बड़ी बहन थी , उसकी बात टालने की मेरी हिम्मत ,... बस थोड़ा सा बाहर निकल कर मैंने एक बार फिर और जोर का धक्का मारा ,

" उईईई उईईई उईईईईई , उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ " चीखी ननदिया , आँख में उसके आंसू तैरने लगे , ... "

और मैंने जोर से अपने लम्बे नाख़ून उसके निप्स पर एक साथ गड़ा दिए , साथ में तीसरा धक्का , सात इंच अंदर

अबकी तो लगा वो बेहोश हो गयी , चीखती रही सुबकती रही , आंसू का कतरा उसके चिकने गाल पर ,

और नीचे से रीनू ने आंसू चाट लिया और उसके गाल कचकचा के काट लिए , फिर साथ साथ दोनों ओर से डबल चुदाई।

" हाँ कोमल हाँ , ...पेल और पेल ,... " पहले कमल जीजू की आवाज सुनाई पड़ी , फिर उनकी भी ,

बस मैंने अगले धक्के में जड़ तक


ननद चीख रही थी चिल्ला रही था , पर ननदों का काम चीखना चिल्लाना है ,... और स्ट्रैप ऑन में कोई झड़ने का डर भी नहीं , इसलिए लगातार बार बार , आधे घंटे तक ,

गुड्डी रानी लेकिन रोते चीखते भी दो बार झड़ी ,

हमने डिलडो निकाल लिए , पर यह बात तीनों लड़कों को पसंद नहीं आयी , तीनो चीखे ,

पर उन्हें नहीं मालूम था की हम सिर्फ साइड चेंज कर रहे हैं , अब मैं अपनी ननद की चूत चोद रही थी , और उस की मीठी भाभी गांड

और रीनू तो ननदों की गांड मारने में एकदम बेरहम , दस मिनट में ही उसने उतनी चीखें निकलवा दीं , जितनी मैंने आधे घंटे में निकलवाई थीं।

एक बार फिर रीनू हटी ,

गुड्डी की गांड को कुछ आराम मिला , लेकिन अब उसकी बुर की बुरी हालत होने वाली थी ,

रीनू एक जायंट वाइब्रेटर लायी , उसका हेड एक बड़े नॉब की तरह पल्सेटिंग ,

गुड्डी बिचारी उसकी हुडोक्टोमी हो चुकी थी ,...क्लिट एकदम खुली


हम दोनों ने अब गुड्डी को पीठ के बल लिटा दिया , एक बार फिर मैंने अपना डिलडो गुड्डी की बिल में , तीन उँगलियाँ गुड्डी के पिछवाड़े ,.


..
Ufffff Komalrani kya gajab ka light ho . mazzaaa aaa gaya.
 

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और गुड्डी की बारी
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तबतक गुड्डी थोड़ा सा फ्रेश होकर , वाश कर के , अंदर आयी , एक लांग स्कर्ट पहने



और मैंने गुड्डी की स्कर्ट उठा दी ,

एक लम्बा मोटू स्ट्रैप ऑन वो अपने कमर पर बांधे थी

'बोल मेरी ननदिया किस की लेनी है ,"मैंने पूछा


और बिना एक पल सोचे उसने सीधे मेरे इनके , अपने भइया की ओर इशारा कर दिया ,

रीनू को बोलने की जरूरत नहीं थी , उसके हाथ काफी थे ,

साली ने तुरंत अपने जीजू को निहुराया और गुड्डी ने अपना ,... सीधे उनके पिछवाड़े ठोंक दिया।

रीनू पूरी ताकत से अपने जीजू को निहुराये रही ,
और क्या मस्त गांड़ मारा उस स्साली कल की छोकरी ने, कमल जीजू को भी गांड़ मारने में टक्कर दे रही थी, पहले तो स्ट्रैप ऑन के सुपाडे को उनके पिछवाड़े के छेद पे रगड़ा जैसे मरद सब करते है, बेचारी लड़की का /लौंडे का छेद दुबदुबाता रहता है स्साला मोटा अब अंदर गया तब अंदर गया, फिर आराम से धीरे धीरे उसने अपने भैया के पिछवाड़े का दरवाजा दूनो हाथों से कस के चियारा और पूरी ताकत से ठेल दिया,




मान गयी मैं अपनी ननदिया की कमर की ताकत को,

रोकते रोकते भी इनके मुंह से एक चीख निकल गयी,



अभी जिस तरह से हचक के रीनू ने गुड्डी स्साली की गांड़ मारी थी और उसके बाद कमल जीजू ने तो एकदम फाड़ के उसकी रख दी थी उस से गुड्डी ने खूब सीखा था, क्वविक लर्नर तो थी ही, फिर गीता ने ट्रेनिंग भी गजब की दी थी,

दोनों हाथों से भैया की कमर पकड़ के कभी प्यार दुलार से कभी खूब जोश से, हचक हचक के गांड़ मार रही थी, उनके फुदकते लंड को सहला रही थी, झुक के कभी उन्हें चूम लेती प्यार से तो कभी होंठों से उनके पीठ को सहलाती, और एक बार आधा से ज्यादा डिलडो बाहर निकाल के पूछा उसने

" स्साले, तेरी बहन दर्जा नौ से गर्मायी थी, तुझे अपनी कच्ची अमिया दिखाती थी और स्साले तूने उसे चोदने में पूरे तीन साल लगाया, बोल "





और एक धक्के में अबकी सब का सब डिलडो अंदर और जैसे रीनू ने गुड्डी के लौंडा मार्का चूतड़ पे कस के स्पैंक किया था एकदम उसी तरह



" गलती हो गयी " उनके मुंह से निकला।

" तो इसी गलती की सजा मिल रही है तेरी ली जा रही है और जो भाई अपनी बहन की लेने में देर करे न उसकी यही सजा है उसकी मार ली जाए। "



गचगच गचगच पेलते हुए गुड्डी बोली, और जोड़ा, " चल रोज तुझे सुबह छुलछुल पिलाऊंगी, बोल स्साले गांडू, पियेगा न "



" हाँ " वो मुस्कराते बोले।



और इस ख़ुशी में गुड्डी ने पूरा निकाल के एक झटके में पेल दिया और बोली, " बोल स्साले, मजा आ रहा है गांड़ मरवाने में गांडू "

और एक हाथ उनके पिछवाड़े, कस के चटाक
" हाँ " वो बोले और गुड्डी पोज बदल बदल के,

थोड़ी देर में वो पीठ के बल लेटे थे और गुड्डी जोर जोर से उनकी ले रही थी,



करीब आधे घंटे गुड्डी ने उनकी ली।
==

साढ़े चार बज चुके थे , जब हम सब सोये तो आज तीनो लड़के गुड्डी के ही साथ , गुड्डी का डिलडो अभी भी , सोते हुए भी उनके पिछवाड़े धंसा और कमल और अजय जीजू भी गुड्डी को पकडे हुए।

मैं और रीनू एकदम बहन की तरह चिपके सो रहे थे , जैसे जब जवानी हमारी चढ़ी , कन्या रस के सारे गुर हमने सीखे बस उसी तरह ,...

दो ढाई घंटे बाद मेरी निगाह खुली , देखा गुड्डी और उसके भइया , फिर से चालू थे, गुड्डी के भैया आराम आराम से साइड से अपने बहिनिया की ले रहे थे और वो सिसक रही थी, उफ़ उफ़ कर रही थी


फिर रीनू की नींद भी खुल गयी , अजय और कमल तो खर्राटे भर रहे थे।

रीनू की प्लानिंग बहुत सिम्पल थी, गुड्डी की खूब रगड़ाई हो आज रात में एकदम तक के थेथर हो जाये, ठीक से सो भी न पाए और कल जब तीनो मरद आधे दिन के लिए बाहर जाएंगे कमल जीजू के दोस्त के मेल टू मेल स्पा में तो तो हम दोनों बहने गुड्डी की जरा जम के लेंगी और फिर रीनू के सारे किंक , खिलौने,....



तो गुड्डी जित्ती थकी रहेगी, उसे तोड़ना उतना ही आसान रहेगा,

बिना बोले गुड्डी इनके ऊपर , उसकी रसमलाई इनके मुंह पर

और वो किशोरी अपने भइया को सुबह सुबह बेड टी पिला रही थी , सुनहला शरबत घल घल ,

एक बूँद भी बाहर नहीं ,


और फिर मेरी ननद को हम दोनों भाभियों ने भी बेड टी एकदम उसी तरह ,
ननद ने ज़रा भी छिनारपना नहीं किया सीधे से गटक गयी ,

कल तो वो सोने के ऐक्टिंग कर रहे थे , पर आज जगे टुकुर टुकुर अपनी बहन को ,...



हाँ उस के बाद वो भी , मेरे दोनों जीजू की तरह नींद की गोद में
Wowww what a superb update. bahut hi erotic and exciting .
 

Djkrypto

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अपडेट अच्छा है बस अंत जल्दी हो गया जोकि काफी अधूरा सा लगा कोमल को अपने पति की और ऐसी तैसी करवानी चाहिए हालांकि वो कहती है अपने पति से प्यार करती है लेकिन कहानी मे दिखता नहीं है नहीं तो अब तक उसके दोनों जीजू की नथ उतर चुकी होती दोनों के पिछवाड़े कोरे है हीरो ही फाड़ा जा रहा है इस पेज पे भी मुझे लगा था इस्पे ऐसा नहीं होगा क्यूंकि यहां कमल उनकी गांड का चूरमा नहीं बना सकते किन्तु हीरो को दोनों जीजू से कम मर्द दिखाया जा रहा है मस्त होता अगर तीनो गुड्डी रीनू और कोमल मिलके दोनों जीजू और हीरो को पीछे से चीरती तीनों की चीखों पे एक पोस्ट होनी चाहिए कोमल को अपना बदला भी लेना चाहिए गुड्डी जैसे और दूसरा ये की कहानी के हीरो की गांड फाड़ दी गयी और उसे दर्द भी नहीं हुआ उसकी पीड़ा बेबसी को थोड़ा और विस्तार से बताना था और अंत मे सही मे जोरू का गुलाम बनाने हेतु उनका भी दुबे भाभी जैसा दुग्ध स्नान जरुरी है बुक्काके और ककोल्ड ( बुआ सास ) को लेके आना चाहिए सीन्स मे और सिर्फ हीरो नहीं बल्कि कमल और अजय की भी गांड का उद्घाटन हो तभी समानता होगी। कोमल को चाहिए की उसके मायके वाले सबको फड़वा दें।
 
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