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जोरू का गुलाम भाग २३८ पृष्ठ १४५०
वार -१ शेयर मार्केट में मारकाट
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Chutiya admi ek chut ke liye kya nahi kar rahaजोरू का गुलाम भाग ३७
कर्ण छेदन संस्कार
अगले सुबह वो बेड टी लेकर मम्मी को जगाने गए ,उस समय से ही ,
फिर ब्रेकफास्ट टेबल पर भी , ...
मम्मी उनके पीछे पड़ी थीं लेकिन वो हिचक रहे थे ,ना ना कर रहे थे।
मम्मी उनका कर्ण छेदन संस्कार करवाना चाहती थी।
उन्होंने जब ये बोला की बड़े बड़े स्पोर्ट स्टार ,मेल माडल भी तो कान में स्टड पहनते हैं
और उनका कान पकड़ के धमकाया तो मान गए वो।
" ये ना ना करने वाला छिनारपना तूने अपने मायकेवालियों से सीखा है न। "
वो हंस के बोलीं ,और कुछ देर में हम तीनों एक बाडी माडिफिकेशन शाप पे थे।
असल में उनकी घबडाहट उनके मायके वालियों से ही थीं , और ये बात माम से कौन समझ सकता था।
मेकअप , ड्रेस , क्लींन शेव लुक ,ये सब तो टेम्पोरेरी चीजें थी ,उन्हे बदल भी सकते थे ,
और कुछ कहानी भी बना सकते थे।माम के वापस लौटने के बाद तुरंत ही हमें उनके मायके जाना था।
लेकिन परमानेंट बाडी माडिफिकेशन , ... ये बात वो भी जानते थे और उनसे ज्यादा मम्मी जानती थीं ,और इसलिए वो सुबह से ही पीछे पड़ीं थी।
और मम्मी पीछे पड़ें तो फिर किसी की औकात नहीं है ना करने की ,उनकी तो बात ही और थी।
असल में वो शाप नार्मल पियर्सिंग शाप नहीं थी।
कल शाम को ही हम माँ बेटी ने मुश्किल से उसे ढूंढा था , वो एक एडल्ट बाड़ी माडिफिकेशन पार्लर था।
जहाँ ' नार्मल पियर्सिंग ' से भी ज्यादा बहुत कुछ होता था और मम्मी ने पहले ही उनकी नोज और इयर दोनों की पियर्सिंग के लिए बात कर रखी थी।
………….
और बिचारे फंस गए। कुर्सी पर बैठते ही ,... जैसे डेंटिस्ट्स के यहां चेयर होती है न एकदम वैसे ही चेयर थी।
एक लड़की ,उनकी उस ममेरी बहन से दो तीन साल ही बड़ी होगी , कच्चे टिकोरे ,
लेकिन उनकी नोकें साफ़ साफ़ दिख रही थीं उसकी टी शर्ट में जो उसने अल्ट्रा लो जीन्स में टग कर रखी थी।
ये आदत से मजबूर उसके उभार देख रहे थे ,
और उसने अपने गोरी कलाइयों से इनके हाथ को पकड़ के आर्म रेस्ट पर रखा और जब तक ये कुछ समझें समझें ,
उसने कोई बटन दबा दी और दो कफ सीधे उनके हाथों पे , अब वो हाथ हिला भी नहीं सकते थे।
कान की तो बात उन्होंने मान ली थी लेकिन उन्हें क्या मालुम था की नाक भी , ...
" अरे नाक तो कान के साथ फ्री है ,फिर इस गोरे गोरे मुखड़े पे छोटी सी नथ तो खूब फबेगी। "
वो लड़की उन्हें समझाते ,उनके गाल सहलाते बोलीं।
" और क्या ,नथ नहीं पहनोगे तो मैं उतारूंगी क्या ?"
मम्मी ने हंस के चिढाते हुए पूछा ,और हम तीनों की खिलखिलाट में उनकी नन्ही मुन्नी चीख दब के रह गयी।
नाक भी छिद गयी।
जब मैं और मम्मी उनके नए नए छेदों के हील करने के लिए वेट कर रहे थे ,
वो लड़की फिर आयी और उसने मम्मी को कई कैटलॉग पकड़ा दिए।
उसमें कुछ थे जिसे बी एम् इ ( बाड़ी माडिफिकेशन एक्सट्रीम ) कहते हैं।
मम्मी लड़कियों के निपल्स ,बूब्स वाले कैटलॉग देख रही थीं ,
फिर उन्हें कुछ सूझा और मुस्कराते हुए वो बोल पड़ी,
" हे क्या नाम है तेरी उस ननद का "
" गुड्डी ,मम्मी "
मैंने जवाब दिया।
मैं समझ गयी थी ,मम्मी केदिमाग में कुछ चल रहा है।
Bhadwa bana rahi maa apni beti ke liye or chutiya mard ban Raha haiमॉम
अचानक उनकी आवाज का टोन बदला ,एकदम आइस कोल्ड ,तलवार की धार की तरह शार्प ,
" स्ट्रिप "
वो बस पत्थर से हो गए ,जैसे उन्हें समझ में न आरहा हो क्या हुआ।
" सूना नहीं। "
मम्मी की आवाज अब और कडक होगयी।
बस अब उन्होंने पल्लू खोलना शुरू किया ,लेकिन मम्मी की आवाज एकदम ठंडी और बिजली की तरह कड़क ,
" डोंट यू लिसेन ,आई सेड स्ट्रिप , , नाट डिसरोब , ... स्ट्रिप इन अ अट्रैक्टिव वे "
अब तो मैं भी सहम गयी थी ,मैंने उनकी चोट को कुछ हल्का करने के लिए मुस्कराते हुए बोला ,
" अरे जैसे वो तेरी वो छिनार बहिनिया ,कच्चे टिकोरे वाली स्ट्रिपटीज करेगी न , जब हम सब उसको ट्रेन कर देंगे , मुजरा करवाएंगे उससे ,
लेकिन वो जैसे सिर्फ मम्मी की बात सुन रहे थे ,
क्या चक्कर लिया उन्होंने धीमे से और साड़ी का पल्लू चक्कर लेते हुए पेटीकोट से निकाला , फिर कुछ लजाते कुछ ललचाते ,
कुछ छिपाते कुछ दिखाते , कभी झुक के अपने क्लीवेज का जलवा तो कभी पीछे से नितम्बो का जादू ,...
थोड़ी देर में साडी उनके पैरों पर लहराती ,सरसराती गिर पड़ी।
एकदम पद्मा खन्ना ,जानी मेरा नाम वाली ,
मेरे हुस्न के लाखों रंग कौन सा रंग देखोगे ...
मैंने खुल के गाया ,
लेकिन अबकी मम्मी ने नहीं देखा मेरी ओर , उनके मन में कुछ और था।
और अब मैं समझ चुकी थी उनका सोना ,ये कहना की मिलते हैं ब्रेक के बाद ,कल सिर्फ बहाना था। और एक तरह से सच भी , आखिर बारह कब के बज गए थे ,और तारीख बदल चुकी थी।
निगाहें तो मेरी भी उन पर से नहीं हट रही थीं ,
पिंक कच्छी लो कट डीप बैकलेस चोली ,गुलाबी साटिन का पेटीकोट ,
' गुड '
मम्मी के मुंह से हलके से निकला ,मम्मी की लंबी लंबीगोरी गोरी उँगलियाँ उनके गुलाबी गालों पर फिसल रही थीं ,पिघल रही थीं।
चाँद खिड़की से चुपके से अपना रस्ता भूलके झाँक रहा था ,पुराना लालची।
मेरी निगाहे भी बस वहीँ ठहर गयी थीं ,
सब कुछ रुका हुआ था.
अचानक खूब भरे भरे रसीले स्कारलेट लिप ग्लास कोटेड होंठों पर मम्मी के लंबे तीखे नाख़ून और ,बिल्ली की तरह नोच लिए।
गुड वो बोलीं और फिर उनकी उंगलिया पैडेड ब्रा से उभरे उभारों पर आ के टिक गयीं ,कभी छूती कभी बस हलके से सहला देतीं।
मम्मी लगता है 'कहीं और' पहुँच गयी थी।
' बैठ जाओ '
मम्मी बहुत हलके से बोलीं लेकिन अब उनके कान जैसे मम्मी के हर शब्द का वेट कर रहे थे और वह कुर्सी पर बैठ गए।
बस।
मम्मी ने फर्श पर गिरी फैली उनकी पिंक पटोला साडी उठायी और कस के उनके हाथ पैर कुर्सी से बाँध दिए बल्किं गांठे भी चेक कर ली।
सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में कुर्सी पे बैठे वो अब टस से मस नहीं हो सकते थे।
माम बस उंनसे कुछ कदम दूर पलंग पर बैठ गयीं और उन्हें प्यार से देखती सराहती , पूछा ,
" बोल कैसे लग रहा है " .
और खुद ही जवाब दिया , "
मैं तो अपना माल ठोक बजा के ही लेती हूँ। "
फिर उन्होंने वो हरकत की जिससे उनकी क्या किसी भी मर्द की हालत खराब हो जाती।
जोर से उन्होंने अंगड़ाई ली और दोनों कबूतर आलमोस्ट ट्रांसपरेंट नाइटी से चिपक गए ,उड़ने को बेताब।
जी बिलकुल कोमल मैम, साथ छोड़ने का तो सवाल ही नहीं उठता।
बस एक छोटा सा अंदाज था, जो कह दिया। वैसे भी हमारी सोच को आपसा विस्तार कहां हो सकता है ??
अपडेट का इंतजार रहेगा l
सादर
बस कोशिश करुँगी, आज ही अगला अपडेट।
अब बाकी दोनों कहानियों पर अपडेट आ गया है इसी का नंबर है।
Thanks so much for the nice words. I feel no brickbats means bouquets. I realise that Hinglish generates more views as it expands the readers base, but I am not comfortable writing or reading Hinglish. I prefer to express myself either in Hindi or in English. Secondly, I feel only making views or likes as a criterion for what i write is doing commodification of story.Well, I know it for sure that there are many more readers who truly appreciate your work. Just that they choose not to respond, which is strange, but their choice, nonetheless.
Also, there are just a handful (or maybe less) on this forum, who have their way with words. A story in Hindi fonts is a herculean task and you are doing it in the most elegant manner. I have noticed that Hinglish stories receive more views and comments. Despite this knowledge, sticking to the basics is what defines your magnificence.
Let me add, your stories deserve far more kudos than it is getting. But I am sure, you are not bothered by the same.
Your presence itself says a lot. You are a pillar of support. Just one word of encouragement is good enough.As usual you are awsome. mind mat karna mujhe Tarif karna ni aata.
Thanks so much aap story shuru se padh rahe hain aur apni opnion alag alag part pe express kar rahe hain, bahoot bahoot thanksEk chote si baat ka itna bada issue bana diya
Hope ap bura nahi manegi maine abhi shuru kiya hai mere coments kabhi bure bhi ho sakte hai asha karta hu ap ko bura nahi lagegaThanks so much aap story shuru se padh rahe hain aur apni opnion alag alag part pe express kar rahe hain, bahoot bahoot thanks