snidgha12
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ऐ जिज्जी... अब का बताऐं ... एक तो दिपावली कि सफाई और उपर से "महिने वाली सफाई"... कछु बौरा गए हैं... तो बस आई गए जिज्जी को सुभकामना दैने...
कल रात उनको मना किया पर फिर उनका उतरा मुख दैखि कै हम थोड़ा मुह मै लैके और ऊ जो तुम नया नया सीखाई हौ ना... पि होल वाली कला... ईतना रबडी पिलाये कल और आज सुबह कि अबहीं तक और कछु खाए कि इच्छा नाहिं हो रही... और तो तुम से का कहैं... हमरा तो मुंह अबहीं तक दुख रहा है... इनहो नै जोस जोस मे बाल भि खैंच दये अउर सुबह तौ होठ पर (उप्पर के) इत्ते जोरन सै काटै कि हमारी पडोसन हंसै लागी हमरी सूरत देखि के जब हम बाहिर गये रहे...
कल रात उनको मना किया पर फिर उनका उतरा मुख दैखि कै हम थोड़ा मुह मै लैके और ऊ जो तुम नया नया सीखाई हौ ना... पि होल वाली कला... ईतना रबडी पिलाये कल और आज सुबह कि अबहीं तक और कछु खाए कि इच्छा नाहिं हो रही... और तो तुम से का कहैं... हमरा तो मुंह अबहीं तक दुख रहा है... इनहो नै जोस जोस मे बाल भि खैंच दये अउर सुबह तौ होठ पर (उप्पर के) इत्ते जोरन सै काटै कि हमारी पडोसन हंसै लागी हमरी सूरत देखि के जब हम बाहिर गये रहे...